Tuesday, December 9, 2025

पन्ना की उथली हीरा खदान से युवक को मिला 15. 34 कैरेट वजन का बेशकीमती हीरा


पन्ना। हीरा की खदानों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की उथली खदान से 15.34 कैरेट वजन वाला जेम क्वालिटी का बेशकीमती हीरा मिला है। हल्के हरे रंग वाला यह नायाब हीरा पन्ना के रानीगंज मुहल्ला निवासी सतीश खटीक को कृष्णा कल्याणपुर की पटी हीरा खदान में मिला है। इस नायाब हीरे की अनुमानित कीमत 50 से 60 लाख रुपये आंकी जा रही है।

हीरा अधिकारी रवि पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि हीरा धारक सतीश खटीक ने कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में पहुंचकर आज दोपहर में विधिवत हीरे को जमा कर दिया है। आगामी होने वाली हीरों की नीलामी में इस हीरे को भी बिक्री के लिए रखा जाएगा। हीरा जितनी राशि में भी बिकेगा उसकी रॉयल्टी काटने के बाद शेष राशि हीरा धारक को प्रदान की जाएगी। हीरा पारखी अनुपम सिंह के अनुसार सतीश खटीक को मिला हीरा वजन और क्वालिटी के लिहाज से बहुमूल्य हीरा है, जिसे सरकारी खजाने में जमा कर लिया गया है। 

हीरा मिलने पर अपनी ख़ुशी का इजहार करते हुए युवक सतीश खटीक ने बताया कि बीते माह 19 नवम्बर को उसे हीरा खदान का पट्टा मिला था। कृष्णा कल्याणपुर स्थित खदान में 20 दिन पहले ही उन्होंने काम शुरू किया था। इतने कम समय में उन्हें यह हीरा मिल गया जिससे हमारी जिंदगी खुशहाल हो जाएगी। हीरा मिलने के बाद से इस युवक के परिवार में जश्न और ख़ुशी का माहौल है, लोग बधाइयाँ दे रहे हैं। 

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Monday, December 8, 2025

मुख्यमंत्री ने पन्ना नेशनल पार्क में 10 नई कैंटर बसों को दिखाई हरी झंडी

  • अब एक साथ 19 पर्यटक ले सकेंगे रोमांचक जंगल सफारी का आनंद
  • ऑनलाइन बुकिंग न होने पर पर्यटकों को मिलेगी पार्क राउंड की सुविधा


पन्ना। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में पर्यटन की सुविधाओं में लगातार विस्तार किया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पन्ना नेशनल पार्क के मड़ला गेट से 10 नई वीविंग कैंटर बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। अब इन बसों के जरिए पर्यटक जंगल सफारी का रोमांचक अनुभव और अधिक सुविधाजनक तरीके से ले सकेंगे।

मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने पर्यटकों को एक नई सौगात देते हुए प्रदेश के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटन सुविधाओं के विस्तार की दिशा में अहम कदम उठाया है। जंगल सफारी के लिए  10 नई आरामदायक वीविंग कैंटर बसें उपलब्ध करायी हैं। इन कैंटर बसों में एक साथ 19 पर्यटकों के बैठने की क्षमता है। यह बसें अन्य सफारी वाहनों की तुलना में अधिक लंबी और ऊंची हैं, जिससे पर्यटकों को बेहतर दृश्य और अधिक आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलेगा। 

बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये बसें अधिक सुरक्षित मानी जा रही हैं। इन बसों की लंबाई और ऊंचाई भी अधिक है, जिससे सफर के दौरान पर्यटकों को ज्यादा जगह और आराम मिलता है। वहीं बच्चों और सीनियर सिटिज़न्स के लिए यह बसें सुरक्षित और अनूठा अनुभव प्रदान करेंगी। इन बसों में बैठकर पर्यटक न केवल वन्यजीवों के विचरण का नज़ारा देख सकेंगे, बल्कि जंगल सफारी का एक सुखद और यादगार अनुभव भी ले सकेंगे।

ऑनलाइन बुकिंग न होने पर पर्यटकों को मिलेगी पार्क राउंड की सुविधा

10 नई वीविंग कैंटर बसों के संचालन से उन पर्यटकों को बड़ी सुविधा मिलेगी, जो पहले ऑनलाइन बुकिंग न होने की वजह से जंगल सफारी का अनुभव नहीं ले पाते थे। इसके साथ ही ऑनलाइन स्लॉट जल्दी भर जाने से कई पर्यटक नेशनल पार्क पहुंचकर भी सफारी से वंचित रह जाते थे।

नेशनल पार्क्स के एंट्री गेट से ही बुकिंग की सुविधा

नई कैंटर बसों के संचालन के बाद अब पर्यटकों को नेशनल पार्क के गेट पर ही सफारी बुक करने की सुविधा मिलेगी। ऑनलाइन बुकिंग पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इन वाहनों से जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए प्रति व्यक्ति/प्रति राउंड लगभग ₹1150 से ₹1450 तक शुल्क देना होगा। यह 10 नई कैंटर बसें प्रदेश के प्रमुख नेशनल पार्कों और पर्यटन स्थलों जैसे बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, पन्ना, परसिली (सीधी) सहित अन्य नेशनल पार्क्स और अन्य पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की सुविधा के लिए संचालित की जाएंगी।

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Saturday, December 6, 2025

बुंदेल केसरी महाराजा छत्रसाल का संघर्षमयी जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी : श्री तोमर

  •  विधानसभा अध्यक्ष ने पन्ना में आज किया महाराजा छत्रसाल की अष्टधातु की प्रतिमा का अनावरण
  • महाराजा छत्रसाल जैसे वीर पुरूष बुन्देलखण्ड और हमारे लिए गौरव, बुन्देलखण्ड रही उनकी कर्मभूमि 


पन्ना। बुंदेल केसरी महाराजा छत्रसाल की राजधानी एवं हीरा, तालाब और मंदिरों की नगरी पन्ना में प्राचीन व ऐतिहासिक धरम सागर तालाब के किनारे छत्रसाल जी की प्रतिमा का अनावरण गौरवशाली क्षण है। इस गरिमामयी कार्यक्रम में नगरवासी भी साक्षी बनकर उत्साहित हैं। मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक स्थान के रूप में मान्यता प्राप्त पन्ना भगवान श्री जुगल किशोर की पावन स्थली तथा महाराजा छत्रसाल के गुरु प्राणनाथ की तपस्थली भी है। यह बात विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने शनिवार को पन्ना नगर के धरम सागर तालाब परिसर में महाराजा छत्रसाल की अष्टधातु की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की हैसियत से कही। उन्होंने उपस्थितजनों को बधाई व शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर विस अध्यक्ष का तलवार एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर आत्मीय स्वागत किया गया।

विस अध्यक्ष श्री तोमर ने कहा कि बुन्देलखण्ड महाराजा छत्रसाल की कर्मभूमि रहा है। भारत के कण कण में शंकर की भांति पन्ना के कण कण में हीरा की किवदंती प्रासंगिक है। इस ऐतिहासिक एवं प्रेरणादायी अवसर पर हमें सच्चे देशभक्त बनने का मजबूत संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराजा छत्रसाल का जीवन संघर्ष से भरा रहा है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने मुगल साम्राज्य के विरूद्ध अद्भुत शौर्य और पराक्रम दिखाया। मात्र 12 वर्ष की अल्पायु में पिता के स्वर्गवास के बावजूद उन्होंने आक्रमणकारियों को न सिर्फ परास्त किया, बल्कि बुन्देलखण्ड पर कब्जा भी जमाया। सीमित संसाधन एवं संख्या बल की कमी के बावजूद अपने संकल्प बल की दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ उन्होंने साहस और बहादुरी दिखायी। 

विस अध्यक्ष ने कहा कि हमारा देश वीरों की भूमि है। महाराजा छत्रसाल जैसे वीर पुरूष बुन्देलखण्ड और हमारे लिए गौरव हैं। इस अवसर पर छत्रसाल की जन्म जयंती एवं पुण्य तिथि पर भी गरिमामय कार्यक्रम के आयोजन तथा नई पीढ़ी को छत्रसाल के संघर्षमय जीवन व पराक्रम पर केन्द्रित साहित्य के वितरण के लिए कहा। शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों को इस स्थान का भ्रमण कराने का आह्वान भी किया। अध्यक्ष श्री तोमर ने महाराणा प्रताप और वीर शिवाजी के शौर्य का भी जिक्र करते हुए कहा कि पूर्वजों के प्राणों के बलिदान की बदौलत भारत देश को आजादी मिली है। इसलिए हमें अपनी संस्कृति, मान्यता और परंपरा का संरक्षण करना भी नितांत आवश्यक है।

खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि यह कार्यक्रम मात्र प्रतिमा के अनावरण का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि महाराजा छत्रसाल के संघर्ष को निरंतर स्मरण करने का अवसर भी है। सांसद ने कहा कि आईकोनिक सिटी खजुराहो की भांति पन्ना नेशनल पार्क और मंदिरों में भी पर्यटकों का बड़ी संख्या में आगमन हुआ है। पन्ना टाईगर रिजर्व पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटक स्थल बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि महाराजा छत्रसाल के नाम पर पन्ना नगर के स्टेडियम को विकसित किया जा रहा है। भविष्य में अटल पार्क का लोकार्पण होगा और यहां पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने पन्ना को स्वच्छ बनाने के लिए टीम भावना से कार्य करने का आह्वान भी किया।


पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक पन्ना बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने पन्ना में तीव्र गति से रेलवे परियोजनाओं के विकास और निर्माण कार्य के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 2100 करोड़ रूपए की एलिवेटेड रोड निर्माण शुरू करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। टाईगर कोरिडोर के जरिए पेंच, कान्हा और बाधवगढ़ टाईगर रिजर्व से पन्ना जुड़ेगा। कालिंजर-जबलपुर मार्ग का राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में उन्नयन के लिए प्रयास किया जा रहा है। पन्ना विधायक ने कहा कि धरम सागर तालाब परिसर में महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा की स्थापना से वर्तमान में भी इतिहास पुरूष की झलक देखने को मिलेगी। इस अवसर पर विधायक ने स्वयं के बेनीसागर तालाब को गोद लेने की भांति सांसद से भी धरमसागर तालाब को गोद लेने का अनुरोध किया और निर्माणाधीन पाथवे सहित तालाब परिसर के प्रस्तावित सौंदर्यीकरण की जानकारी दी। 

उन्होंने यादवेन्द्र क्लब को डायमण्ड म्यूजियम की बजाय हेरीटेज होटल या रेस्टोरेंट की भांति विकसित करने की बात कही। साथ ही तालाब के बीच स्थित शिव मंदिर तक पहुंच मार्ग की आवश्यकता बताई। इसके अलावा डायमण्ड पार्क के साथ म्यूजियम की स्थापना, वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी को बढ़ावा देने के प्रयायों की जानकारी दी। नपाध्यक्ष मीना पाण्डेय ने स्वागत उद्बोधन दिया। 

कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष बृजेन्द्र मिश्रा सहित विष्णु पाण्डेय, गुनौर विधायक डॉ. राजेश वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष मीना राजे, उपाध्यक्ष संतोष यादव, नपा उपाध्यक्ष आशा गुप्ता, पार्षदगण एवं अन्य जनप्रतिनिधि, कलेक्टर ऊषा परमार, पुलिस अधीक्षक निवेदिता नायडू, जिला पंचायत सीईओ उमराव सिंह मरावी, अपर कलेक्टर मधुवंतराव धुर्वे, सीएमओ उमाशंकर मिश्रा सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारीगण, प्रबुद्धजन, गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या में नगरवासी मौजूद थे। 

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अरावली का पुनः नया संकट, प्रकृति और संस्कृति का विध्वंस


।। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ।। 

अरावली क्षेत्र में 1980 के दशक में वैध-अवैध 28000 खदानें चालू थी। इनको बंद कराने का बीड़ा तरुण भारत संघ ने वर्ष 1988 में उठाया था। 1993 में अरावली की धरती पर सभी खदाने एक बार तो बंद करा दी थी। यह काम 1990 के दशहरे विजयदशमी पर सरिस्का का खनन रुकने से इसकी शुरुआत हुई थी।

महात्मा गांधी जयंती 2 अक्टूबर 1993 को हिम्मतनगर गुजरात से अरावली चेतना यात्रा द्वारा खनन बंद कराते हुए “अरावली का सिंहनाद“ दिल्ली संसद तक 22 नवंबर 1993 को पहुंचा था। तब अरावली एक बार तो खनन मुक्त हो गई था।  वर्ष 1994 में अरावली के सभी जिलों के जिलाधिकारियों को खनन बंद करने की कार्यवाही हेतु अरावली संरक्षण समितियां गठित करके, उच्चतम न्यायालय को रिपोर्ट देने वाला तंत्र बनाया गया था।

उस समय लगता था कि अब अरावली बच गई है और आगे के लिए अरावली को बचाने वाली व्यवस्था भी अब बन गई है। वर्ष 1996 आते-आते मैं निश्चिंत हो गया था और मान लिया था कि अब मेरा संकल्प पूरा हो गया है। लेकिन 10- 15 वर्ष बाद ही मुझे देखने में आया कि खनन संगठन ज्यादा दल - बल के साथ संगठित होकर खनन  खुलवाने में जुट रहा हैं। तब बहुत से ख्याली मीणा जैसे युवा अरावली बचाने के लिए तैयार हो गए थे। पूरी अरावली में बहुत से लोग स्वयं सामने आकर अरावली बचाने में जुट गए थे। मन को उस समय बहुत समाधान और संतोष था। मुझे मालूम नहीं था कि, मेरे सामने ही संपूर्ण अरावली में वैध और अवैध खनन शुरू होगा और इस खनन को सरकारों व खनन उद्योग पतियों के गठजोड़ को उच्चतम न्यायालय भी मोहर लगा देगा

मैने जब तक उच्चतम न्यायालय का निर्णय आते ही पढ़ा, तब तक सरकारी एफिडेविट, सरकार की रिपोर्ट, मंत्रालय की कार्रवाई नहीं देखी थी। तब लगता था कि उच्चतम न्यायालय ने चारों राज्यों की अरावली का एक जैसी कानून व्यवस्था देने की मनसा से ऐसा किया होगा।

100 मीटर की ऊंचाई की परिभाषा को एक मानक माना होगा। जैसे हम अपनी पढ़ाई में कोई एक आधार बिंदु मानकर गणनाएं करते हैं, वैसे गणना के लिए यह रखा होगा। विस्तार से थ्.ै.प् वन सर्वेक्षण संस्थान, भारतीय सर्वेक्षण विभाग(जीएसआई) टेक्निकल सबकमेटी की रिपोर्ट (टीएससी) देखकर आंखें खुली कि यह संपूर्ण करवाई तो खनन उद्योग के सतत विकास के नाम पर हमारी प्राचीनतम विरासत अरावली के लिए नया संकट पैदा कर रही है।

अरावली का 20 मीटर तक की ऊंचाई वाला क्षेत्रफल 107494 वर्ग किमी है। 20 मीटर से ऊपर वाला क्षेत्र 12081 वर्ग किमी, 40 मीटर से ऊपर वाला क्षेत्र 5009 वर्ग किमी, 60 मीटर वाला क्षेत्र 2656 वर्ग किमी है, 80 मीटर वाला क्षेत्र 1594 वर्ग किलोमीटर, 100 मीटर वाला क्षेत्र 1048 वर्ग किलोमीटर, 100 मीटर से ऊपर वाला क्षेत्र केवल 8.7 प्रतिशत क्षेत्रफल है।

अब भारत सरकार का पर्यावरण मंत्रालय अपनी ईमानदारी से काम करेगा तो कुल 8.7 प्रतिशत अरावली क्षेत्र ही बचेगा। यह अरावली वासियों को स्वीकार नहीं है। अरावली क्षेत्र के आदिवासी तो ये स्वीकार नहीं करते हैं। अरावली में आदिवासियों के मुहासे, वाडे, घर, घेर तो 100 मीटर से नीचे की भूमि पर ही है। वहां से भी ये उजाड़ना नहीं चाहते। खनन की बीमारियों से भी बचकर इससे दूर रहना ही इनका स्वभाव है। उनकी अपनी संस्कृति और प्रकृति है। उनका आदिज्ञान तो प्रकृति से संस्कृति से जोड़ने वाला है।

अरावली की अपनी प्रकृति और संस्कृति तो दुनिया में सर्वोपरि है। अरावली में खनन उद्योग यहां की संस्कृति और प्रकृति के विरुद्ध है। इसी बात को समझकर 45 वर्ष पूर्व अरावली बचाने का काम जयपुर से शुरू हुआ था। अब रिपोर्ट को पढ़ने, देखने, समझने से समझ आया कि, जयपुर से ही खनन संगठन की पहल को उच्चतम न्यायालय ने मान्यता दे दी है। इन्हीं की बातें ही इस रिपोर्ट में  झलकती हैं।

अरावली को बचाने वालों से आज तक कभी भी कोई रिपोर्ट तैयार करने वाला नहीं मिला। जबकि बचाने वाले जयपुर, अलवर में ही अधिकतर रहते हैं; मुझे भी आज तक अरावली के विषय पर बात करने वाला कोई सरकारी अधिकारी नहीं मिला। मुझसे कोई बात करता तो मैं भी इस कार्रवाई में अरावली की सच्ची जानकारी देता और हम भी अरावली का सर्वमान्य सत्य बताते। 100 मीटर ऊंचाई वाली परिभाषा तो केवल खनन उद्योगों की बनाई परिभाषा है। यह परिभाषा किसी भू वैज्ञानिक, पर्यावरण, प्रकृति, संस्कृत , भू - संस्कृति को समझने वाला नहीं स्वीकारता है।

भारत सरकार व चारों राज्यों (गुजरात, राजस्थान हरियाणा, दिल्ली)की सरकार को अरावली की परिभाषा पर पुनर्विचार करना चाहिए।अन्यथा सरकारों की बड़ी बदनामी होगी। परिभाषा का यह विवाद उच्चतम न्यायालय के सिर पर नहीं डालना चाहिए । उच्चतम न्यायालय  तो हमारे लोकतंत्र का सर्वोपरि अंग माना जाता है; यह तो सरकार से भी ऊपर है। लेकिन न्यायपालिका आजकल जो भी न्याय करती है वे ज्यादातर एकतरफा समझौता जैसा दिखाई देता है। इसलिए आरवाली की परिभाषा वाला समझौता अरावली का न्याय नहीं है और अब हमें यह स्वीकार भी नहीं है क्योंकि इसमें अरावली  पर्वतमाला के पक्ष को ठीक से स्थान नहीं मिला। इसलिए इस निर्णय ने भारत की संस्कृति -प्रकृति के अनुरूप अरावली पर्वतमाला को न्याय नहीं मिला।

हम हमारी सम्मनीय न्यायपालिका के सर्वोच्च न्यायालय को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की प्रार्थना करते है। अरावली भारत की प्राचीनतम विरासत है। इसे भारतीय संस्कृति और प्रकृति योग का उच्चतम उदाहरण मानकर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें। वही से भारतीय विरासत  अरावली को बचाने की पहल होगी।

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Friday, December 5, 2025

पन्ना टाइगर रिजर्व के नर बाघ पी-243 के सिर पर गहरा घाव

  • वन्य जीव विशेषज्ञों की देखरेख में चल रहा है उपचार
  • विगत 8 माह पूर्व भी आपसी संघर्ष में हुआ था घायल 

जख्मी बाघ का उपचार करने के लिए उसे ट्रेंकुलाइज करते हुए डॉ संजीव कुमार गुप्ता। 
 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या बढऩे के साथ ही उनके बीच इलाके में आधिपत्य को लेकर आपसी संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ी हैं। बाघों के बीच होने वाली इस टेरिटोरियल फाइट (आपसी संघर्ष) में कई बार बाघ बुरी तरह से जख्मी हो जाते हैं। अभी हाल ही में पन्ना टाइगर रिजर्व का 11 वर्षीय बाघ पी-243 आपसी संघर्ष में बुरी तरह जख्मी हुआ है, इस बाघ के सिर में गहरा घाव है। यह वही प्रसिद्ध नर बाघ है, जिसने चार अनाथ शावकों की परवरिश की थी, जिनकी मां बाघिन पी-213(32) की मौत मई 2021 में हो गई थी। 

उल्लेखनीय है कि इसी साल अप्रैल 2025 में भी यह बाघ आपसी संघर्ष में बुरी तरह से जख्मी हो गया था। इस बाघ के सिर में गहरा घाव हो गया था जो प्राकृतिक रूप से ठीक नहीं हो पा रहा था। बाघ की दिनोंदिन बिगड़ती हालत को देखते हुए वन्य जीव स्वास्थ्य अधिकारी पन्ना टाइगर रिज़र्व द्वारा  ट्रेंकुलाइज किया जाकर उसके घाव का उपचार किया गया। अब तक़रीबन 8 माह बाद आपसी संघर्ष में फिर इस बाघ के सिर में उसी जगह पर गहरा घाव हो गया है।   

उपसंचालक टाइगर रिजर्व  मोहित सूद ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बाघ पी- 243 कुछ दिनों पूर्व घायल हो गया था, जिसका उपचार चल रहा है। वन्य जीव विशेषज्ञों व डॉ संजीव कुमार गुप्ता वन्य जीव स्वास्थ्य अधिकारी की देखरेख में चल रहे उपचार से घाव तेजी से सूख रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि सतत निगरानी व उपचार से इस बाघ का घाव जल्दी ही भर जायेगा और वह स्वस्थ होकर पूर्व की तरह जंगल में स्वच्छंद रूप से विचरण करेगा। 

अनाथ शावकों की बाघ पी-243 ने की थी परवरिश   

पन्ना टाइगर रिज़र्व का नर बाघ पी-243 अपने भारी भरकम डील डौल के चलते जहाँ आकर्षण का केंद्र रहता है वहीं इस बाघ में कुछ ऐसी विशिष्टताएं भी देखी गई हैं जो दुर्लभ है। चार वर्ष पूर्व  मई 2021 में बाघिन पी 213-32 की अज्ञात बीमारी के चलते मौत हो गई थी, उस समय इस बाघिन के तक़रीबन 7-8 माह के चार शावक थे जो मां की असमय मौत होने पर अनाथ हो गए। ऐसे समय जब इन अनाथ व असहाय शावकों के बचने की कोई सम्भावना नहीं थी उस समय इसी नर बाघ ने इन शावकों को न सिर्फ सहारा दिया बल्कि मां की तरह उनकी परवरिश भी की। इसका परिणाम यह हुआ कि चारो नन्हे शावक खुले जंगल में चुनौतियों के बीच अपने को बचाने में कामयाब हुए।   


नर बाघ पी-243 का व्यवहार शावकों के प्रति बहुत ही प्रेमपूर्ण और अच्छा था। वह अपने इलाके में घूमते हुए इन शावकों पर भी कड़ी नजर रखता था। खास बात यह थी कि बाघिन (जीवन संगिनी) की मौत के एक माह गुजर जाने पर भी नर बाघ ने शावकों की परवरिश के लिए जोड़ा नहीं बनाया। बाघ का इलाका चूँकि काफी बड़ा और फैला हुआ था, जिसकी वह सतत निगरानी भी करता रहा। लेकिन दो दिन से ज्यादा वह शावकों के रहवास स्थल से दूर नहीं रहता था। नर बाघ की गतिविधि पर नजर रखने वाले मैदानी वन कर्मियों के मुताबिक वह शावकों की देखभाल करने में पूरी रुचि लेता था। बाघ पी-243 शावकों के क्षेत्र में शिकार करके उनके भोजन का भी इंतजाम करता था। बाद में चारो शावक बड़े होकर दक्ष शिकारी बन जंगल में चुनौतियों और खतरों के बीच जीने में सक्षम हो गए। 

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Monday, December 1, 2025

हर किसी को आकर्षित करती है पक्षियों की अनोखी दुनिया


पक्षी सदा से मनुष्यों का मन मोहते आए हैं । हमारे साहित्य, कला, संस्कृति और लोक कथाओं में उनका विशेष स्थान रहा है। हिमालय पार करने वाला उनका रोमांचक सफर हो, या हमारे आंगन में जोड़ा बनाने और घोंसला बनाने का उनका जीवन कलाप, पक्षी हमें प्रकृति की सुंदर दुनिया को जानने और सराहने का अवसर देते हैं। सारस की शान से लेकर पपीहे की मधुर तान तक, हर प्रजाति की अपनी अनूठी कहानी है, जो हमारे जीवन को समृद्ध बनाती है।

बर्ड वॉचिंग (Bird Watching) के शौकीनों के लिए पन्ना टाईगर रिजर्व का जंगल किसी जन्नत से कम नहीं है । लगभग 543 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर एरिया का खूबसूरत जंगल तथा बीचों-बीच प्रवाहित होने वाली केन नदी में तीन सौ से भी अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे पक्षी देखने को मिलते हैं। टाईगर रिजर्व के भ्रमण हेतु आने वाले पर्यटको में बर्ड वॉचिंग के शौकीनों की संख्या बढ़ी है। पक्षियों पर रिसर्च कर रहे विश्व स्तर के कई पक्षी विशेषज्ञ पक्षी दर्शन के लिए यहाँ पहुंचते हैं। 

विदित हो कि पूर्व में पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र टाईगर हुआ करता था। पार्क भ्रमण के दौरान पर्यटकों को यदि टाईगर देखने को नहीं मिला तो वे बड़े निराश होकर यहां से जाते थे। पार्क प्रबंधन व मैदानी अमला भी सिर्फ टाईगर को लोकेट करने में ही लगा रहता था लेकिन अब प्रबन्धन व पर्यटक दोनों का ही रूझान बदला है। टाईगर के अलावा भी अब पर्यटक अन्य दूसरे वन्य प्राणियों, पक्षियों व वनस्पतियों के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं। पर्यटकों के रुझान में आया यह बदलाव निश्चित ही शुभ संकेत है। प्रकृति, पर्यावरण व जैव विविधता के संरक्षण में यह बदलाव मददगार साबित होगा।

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Sunday, November 30, 2025

सत्य एक पथहीन भूमि है : जे. कृष्णमूर्ति

जे. कृष्णमूर्ति 

“मैं यह दृढ़ता से कहता हूँ कि सत्य एक पथहीन भूमि है—और आप किसी भी मार्ग, किसी भी धर्म, किसी भी संप्रदाय के माध्यम से उसकी ओर नहीं जा सकते। यही मेरा दृष्टिकोण है, और मैं इसे पूरी तरह और बिना किसी शर्त के मानता हूँ। सत्य असीम है, असंस्कारित है—इसलिए उसे किसी संगठन में बाँधा नहीं जा सकता।

मैं किसी भी आध्यात्मिक संगठन से संबंध नहीं रखना चाहता—कृपया इसे समझें। ऐसे संगठन व्यक्ति को अपंग बना देते हैं, उसकी विशिष्टता नष्ट कर देते हैं—वही विशिष्टता जिसमें स्वयं सत्य की खोज अंकुरित होती है।

मैं अनुयायी नहीं चाहता—और मैं इसे पूरी गंभीरता से कहता हूँ। क्योंकि जैसे ही आप किसी का अनुकरण करते हैं, आप सत्य का अनुसरण करना छोड़ देते हैं।

मेरा उद्देश्य एक ही है—मनुष्य को मुक्त करना। मैं उसे हर प्रकार के पिंजरे से मुक्त करना चाहता हूँ, हर भय से, हर बंधन से—न कि नई धर्म व्यवस्थाएँ खड़ी करना या नए सिद्धांत स्थापित करना।

फिर आप पूछेंगे—“फिर आप दुनिया भर में बोलने क्यों जाते हैं?”

मैं आपको कारण बताता हूँ:

न अनुयायियों के लिए,

न किसी विशेष शिष्य समूह के लिए,

न धन के लिए,

न आरामदायक जीवन के लिए।

मनुष्य विचित्र रूप से अपने को दूसरों से अलग दिखाना चाहता है, चाहे वे भेद कितने भी हास्यास्पद क्यों न हों। मैं इस मूर्खता को बढ़ावा नहीं देना चाहता। मेरे न तो कोई शिष्य हैं, न कोई दूत—न पृथ्वी पर, न किसी आध्यात्मिक लोक में।

यदि केवल पाँच लोग भी ऐसे हों जो सचमुच सुनें, जीएँ, और अपने चेहरे को अनंत की ओर मोड़ें—तो वही पर्याप्त है। हजारों ऐसे लोगों का होना निरर्थक है जो परिवर्तन नहीं चाहते, जो नए को अपने पुराने, जड़ मन से ढालना चाहते हैं।

यदि मैं तीखे शब्दों में बोलता हूँ तो कृपया इसे करुणा की कमी न समझें।

जैसे एक शल्य-चिकित्सक दर्द देकर भी उपचार करता है—वैसे ही मैं भी बोलता हूँ।

मैं फिर कहता हूँ—मेरा केवल एक उद्देश्य है—मनुष्य को मुक्त करना।

उसे उसकी सीमाओं से बाहर निकलने में सहायता देना—क्योंकि उसी में शाश्वत आनंद और असीम आत्मबोध है।

मैं स्वयं मुक्त हूँ—अखंड, अपार, अंश नहीं, सम्पूर्ण।

जैसे एक कलाकार चित्र इसलिए बनाता है क्योंकि उसमें उसकी सहज अभिव्यक्ति है—वैसे ही मैं यह कार्य करता हूँ। मुझे किसी से कुछ प्राप्त नहीं करना।

आप इतने वर्षों से सुन रहे हैं, पर परिवर्तन कुछ ही लोगों में आया है।

अब कृपया मेरे शब्दों का परीक्षण करें—आलोचनात्मक बनें—ताकि आप मूल तक पहुँचें।

आप पूछें—“आप समाज के लिए कितने ख़तरनाक हैं?”

क्योंकि जो असत्य और अनावश्यक पर टिका है—उसके लिए सत्य सदा खतरा है।

मैं आपसे सहमति नहीं चाहता, न अनुकरण चाहता हूँ—मैं चाहता हूँ कि आप समझें।

मैं कहता हूँ—प्रकाश, पवित्रता, सौंदर्य—सब आपके भीतर है।

सच्ची आध्यात्मिकता यही है— स्व की विशुद्धता, जहाँ बुद्धि और प्रेम समरस हों।

यही वह शाश्वत सत्य है जो जीवन ही है।

कमज़ोर लोगों के लिए कोई संगठन सत्य का मार्ग नहीं दिखा सकता—क्योंकि सत्य बाहर नहीं, भीतर है—न दूर, न पास—वह हमेशा यहीं है।

पत्रकार मुझसे हमेशा पूछते हैं—“कितने सदस्य हैं? कितने अनुयायी हैं? संख्या से हम सत्य को परखेंगे।”

मैं कहता हूँ—मुझे नहीं पता। मैं परवाह भी नहीं करता।

यदि एक मनुष्य भी मुक्त हुआ—तो वही पर्याप्त है।

आप सोचते हैं कि कोई अन्य व्यक्ति सुख और मुक्ति की कुंजी रखता है।

कोई भी उस कुंजी का स्वामी नहीं।

वह कुंजी आप स्वयं हैं—आपकी पवित्रता, आपकी निर्मलता, आपकी अडिग सत्यनिष्ठा ही अनंत के द्वार खोलती है।

इसलिए बाहर सहारे ढूँढना, दूसरों पर निर्भर रहना—यह सब निरर्थक है।

हर्ष, शक्ति, शांति—सब भीतर से जन्म लेते हैं।

आपको बताया जाता है कि आपकी आध्यात्मिक प्रगति कितनी है—कितना बचकाना है यह!

आपके भीतर सौंदर्य या कुरूपता कौन बता सकता है—सिवाय आपके?

जो लोग सचमुच समझना चाहते हैं—जो आरंभहीन-अंतहीन चिर सत्य को पाना चाहते हैं—वे साथ चलेंगे, तीव्रता के साथ, और वे असत्य के लिए खतरा होंगे।

वे स्वयं ही दीपक बनेंगे—क्योंकि वे समझते हैं।

ऐसा समूह बनाना आवश्यक है—और यही मेरा उद्देश्य है।

इस समझ से ही सच्ची मित्रता उत्पन्न होगी—जिसे आप अभी नहीं जानते—और इस मित्रता से सहयोग।

पर यह न किसी अधिकार से होगा, न मुक्ति के लालच से—केवल समझ के कारण।

यदि आप संगठन बनाना चाहते हैं, सजावट करना चाहते हैं—वह आपका काम है।

पर मेरा कार्य एक ही है—मनुष्य को पूर्ण रूप से, बिना शर्त मुक्त करना.”

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Thursday, November 27, 2025

बाल विवाह के विरूद्ध 100 दिवसीय जन जागरूकता अभियान आरंभ

बाल विवाह की प्रथा समाज के लिए अभिशाप है, आइये इस कुप्रथा को समाप्त करें।  

पन्ना। बाल विवाह के विरूद्ध जन जागरूकता के लिए 100 दिवसीय अभियान का आगाज आज गुरुवार 27 नवम्बर से हो रहा है। बाल विवाह का अर्थ है जब लड़के की उम्र 21 वर्ष से कम और लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम हो, तो उनका विवाह हो जाए। भारत में बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है जिस पर रोक लगाने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 लागू है, जिसके अनुसार लड़की की न्यूनतम आयु 18 और लड़के की 21 वर्ष है। इसके दुष्परिणामों में स्वास्थ्य जोखिम, शिक्षा में बाधा और हिंसा का खतरा शामिल है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरूआत 27 नवम्बर 2024 को की गई थी। अभियान के एक वर्ष पूर्ण होने पर एवं बाल विवाह मुक्त भारत की दिशा में तेजी लाने के लिए अब संपूर्ण देश में 100 दिवसीय इंटेंसिव थीम वाला अभियान 27 नवम्बर 2025 से आरंभ होगा। यह अभियान आगामी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च तक निरंतर रूप से संचालित किया जाएगा। सेचुरेशन अप्रोच के साथ आयोजित होने वाले इस अभियान में प्रत्येक चिन्हित संस्था, सामुदायिक स्थल व सेवा प्रदाता तक पहुँच सुनिश्चित की जाएगी। कलेक्टर ऊषा परमार ने अभियान के क्रियान्वयन के लिए जिला शिक्षा अधिकारी, जिला संयोजक, जनपद पंचायत सीईओ, बाल विकास परियोजना अधिकारी तथा प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारी अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि अभियान का शुभारंभ गुरूवार को विशाखापट्टनम में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम से होगा। इस अवसर पर पूरे देश में एक सामूहिक शपथ के माध्यम से भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के संकल्प को पुनः दोहराया जाएगा। कैंपेन का पहला चरण 27 नवम्बर से 31 दिसम्बर तक शैक्षणिक संस्थाओं के माध्यम से जनजागरूकता पर केन्द्रित होगा, जबकि द्वितीय चरण में एक से 26 जनवरी तक धार्मिक स्थानों और विवाह से जुड़े सर्विस प्रोवाइडर्स पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 

इसमें मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारा, वेडिंग हॉल, बैन्ड पार्टी, डीजे, कैटरर और टेंट हाउस शामिल हैं। इस दौरान स्थानीय पुलिस और कम्युनिटी वालेंटियर्स के साथ वैवाहिक सीजन में सघन निगरानी सुनिश्चित की जाएगी। तृतीय तथा अंतिम चरण में एक फरवरी से 8 मार्च तक समुदाय स्तर पर जुड़ाव और ओनरशिप को मजबूत करने के लिए ग्राम पंचायत और नगरीय क्षेत्रों के वार्डों में गतिविधियों का आयोजन कर फोकस किया जाएगा।

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Saturday, November 22, 2025

पन्ना टाइगर रिज़र्व में हथिनी अनारकली ने दिया दो मादा बच्चों को जन्म

  •  नन्हे मेहमानों के आने से टाइगर रिजर्व में खुशी का माहौल 
  •  पन्ना में बाघों के साथ-साथ बढ़ रहा हाथियों का भी कुनबा

हथिनी अनारकली अपने दोनों नवजात शिशुओं के साथ, पास ही खड़े वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में बाघों के साथ-साथ हांथियों का कुनबा भी बढ़ रहा है। यहाँ की हथिनी अनारकली ने एक साथ दो मादा बच्चों को जन्म दिया है। आमतौर पर हथिनी एक ही बच्चे को जन्म देती है, पन्ना टाइगर रिज़र्व के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी हथिनी ने तक़रीबन 3 घण्टे के अंतराल में दो बच्चों को जन्म दिया है। इन नन्हे मेहमानों के आने से पन्ना टाइगर रिज़र्व में खुशी का माहौल है। इन नये मेहमानों के आने के साथ ही पीटीआर में हांथियों का कुनबा बढ़कर 21 हो गया है। 

वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हथिनी अनारकली ( 57 वर्ष ) ने शुक्रवार को दोपहर 2.20 बजे खैरईया में अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। जन्म देने के उपरांत हथिनी नन्हे बच्चे को वहां से लेकर हिनौता हांथी कैम्प पहुंची और यहाँ पर शाम 5.50 बजे दूसरे बच्चे को जन्म दिया। दोनों नवजात बच्चे व मां पूरी तरह से स्वस्थ हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि इसके पूर्व उन्होंने न तो कहीं देखा और न ही सुना कि किसी हथिनी ने एक साथ दो बच्चों को जन्म दिया है। पन्ना में यह अजूबा पहली बार देखने को मिला है। 

उन्होंने बताया कि हथिनी व उसके नन्हे शिशु की समुचित देखरेख तथा विशेष भोजन की व्यवस्था की जा रही है। हथिनी को दलिया, गुड, गन्ना तथा शुद्ध घी से निर्मित लड्डू खिलाये जा रहे हैं ताकि दोनों नन्हे शिशुओं को पर्याप्त दूध मिल सके। हथनी व उसके शिशुओं की देखरेख व निगरानी के लिए स्टाफ की तैनाती की गई है। गौरतलब है कि पन्ना टाईगर रिजर्व में वनराज व गजराज दोनों के ही कुनबे में वृद्धि हो रही है, जो निश्चित ही प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से एक शुभ संकेत है। वर्तमान में पन्ना टाईगर रिजर्व के पास कुल 21 हाथी हो गये हैं,  जिनमें से 05 नर एवं 16 मादा हांथी हैं। इनमें 11 वयस्क, 3  अर्द्ध वयस्क एवं 7 बच्चे सम्मिलित हैं। 

सोनपुर के मेले से पन्ना लाई गई थी अनारकली 

हथिनी अनारकली के पन्ना आने की भी दिलचस्प दास्तान है। बताया गया है क़ि 18 वर्ष की उम्र में हथिनी अनारकली को जून 1986 में सोनपुर के मेले से पन्ना लाया गया था। तभी से यह हथिनी पन्ना टाइगर रिज़र्व में हांथियों के कुनबे में शामिल है। पन्ना टाइगर रिज़र्व में तक़रीबन 39 वर्ष तक अपनी सेवाएं देने के साथ इस हथिनी ने हांथियों के कुनबे को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनारकली ने पन्ना टाइगर रिज़र्व में अब तक 6 बार बच्चों को जन्म दिया है। छठवीं बार इस हथिनी ने दो मादा बच्चों को जन्म देकर चर्चा में है। 

पन्ना टाइगर रिज़र्व के महावत बताते हैं कि अनारकली ग़स्ती के काम में बेहद निपुण है। वन क्षेत्र में शिकारियों व लकड़ी चोरों की आहट मिलने पर हथनी अनारकली उस दिशा में पत्थर बरसाने लगती हैं। जब हथिनी अपनी सूंड से पत्थर मारती है तो शिकारी जान बचाकर भागने को मजबूर हो जाते हैं। मानसून सीजन में बाघों की निगरानी व जंगल की सुरक्षा का दायित्व यहाँ के हाथी बखूबी निभाते हैं। टाइगर रिजर्व के पहुंच विहीन क्षेत्रों में जहां नदी नालों के कारण मैदानी वन अमला नहीं पहुंच पाता, ऐसे इलाकों में टाइगर रिजर्व के प्रशिक्षित हाथी मुस्तैदी के साथ गस्त करते हैं। हाथियों की मदद से टाइगर रिजर्व के बेहद संवेदनशील इलाकों में भी गस्त संभव हो जाती है।

नवजात शिशुओं के साथ हथिनी का वीडियो :



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Thursday, November 20, 2025

आबकारी उपनिरीक्षक मुकेश पाण्डेय को मिला कर्मयोगी पुरस्कार

 

पन्ना कलेक्टर ऊषा परमार आबकारी उपनिरीक्षक मुकेश कुमार पाण्डेय कर्मयोगी पुरस्कार से सम्मानित करते हुए। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पदस्थ आबकारी उपनिरीक्षक मुकेश कुमार पाण्डेय को कर्मयोगी पुरस्कार मिला है। कर्मयोगी प्रशिक्षण में मध्य प्रदेश में आबकारी विभाग में समस्त लोकसेवकों में राज्य स्तर पर तृतीय स्थान मिलने पर श्री पाण्डेय को आबकारी आयुक्त मध्य प्रदेश अभिजीत अग्रवाल द्वारा प्रदत्त प्रशस्ति पत्र को पन्ना कलेक्टर ऊषा परमार ने प्रदान किया। इस अवसर पर जिला आबकारी अधिकारी मुकेश कुमार मौर्य, एसडीएम संजय कुमार नागवंशी, सहायक जिला आबकारी अधिकारी शंभू दयाल जाटव भी उपस्थित थे।

केंद्र सरकार द्वारा केंद्र और राज्य कर्मचारियों को विभिन्न विषयों और क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने के लिए आई गॉट कर्मयोगी पोर्टल बनाया गया है। इस पोर्टल में केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा अपने विभाग संबंधी विषय, योजनाओं और गतिविधियों के संबंध में विभिन्न कोर्स तैयार किए गए। इसके साथ ही जीवन प्रबंधन एवं कार्यस्थल प्रबंधन संबंधी पाठ्यक्रम भी तैयार किए गए। केंद्र और राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को कर्मयोगी पोर्टल से न्यूनतम प्रशिक्षण अनिवार्य किया है। 

प्रदेश शासन द्वारा इसके लिए गत माह अभियान भी चलाया गया था। आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा विभाग के टॉप 10 कर्मयोगी लोकसेवकों को सम्मानित करने का निर्णय लिया गया था। इस क्रम में आबकारी उपनिरीक्षक मुकेश कुमार पाण्डेय को भी कर्मयोगी सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री पाण्डेय की इस उपलब्धि पर समस्त अधिकारी-कर्मचारियों सहित शुभचिंतकों ने प्रसन्नता व्यक्त की है।

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