Saturday, January 12, 2019

बाघों में होती है अचंभित कर देने वाली नैसर्गिक क्षमता

  • प्राकृतिक आपदाओं का उन्हें हो जाता है आभास 



अरुण सिंह,पन्ना। वन्य जीवों विशेषकर बाघों में अचंभित कर देने वाली नैसर्गिक क्षमता होती है जिससे उन्हें होने वाली प्राकृतिक आपदाओं का काफी पहले ही आभास हो जाता है। वर्षों तक वन्य प्रांणियों के निकट रहकर उनकी जीवन चर्या का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने भी इस बात की पुष्टि की है। विशेषज्ञों के मुताबिक कई पक्षियों को मौसम के बारे में पूर्वाभास हो जाता है, जो एकदम सटीक होता है।
उल्लेखनीय  है कि कुदरत के साथ वन्य प्रांणियों व पक्षियों की लयबद्धता इतनी गहन होती है कि उन्हें आने वाली प्राकृतिक आपदाओं का आभास महीनों पूर्व हो जाता है। भविष्य में होने वाली प्राकृतिक उथल - पुथल व अनहोनी तथा मौसम को दृष्टिगत रखते हुए वन्य जीव व पक्षी अपनी जीवनचर्या का निर्धारण करते हैं। पशु पक्षियों में अंतर्निहित यह नैसर्गिक क्षमता विस्मय विमुग्ध करने वाली है, क्यों कि इतनी वैज्ञानिक प्रगति व ज्ञान के बावजूद मनुष्य अभी भी प्राकृतिक आपदाओं व मौसम के बारे में सटीक आकलन कर पाने में सक्षम नहीं है। वन व वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में कई दशक तक सक्रिय रहे सेवा निवृत्त वन अधिकारी मारूती चितम्पगी ने एक गर्भवती बाघिन का कई महीने तक गहनता के साथ अध्ययन किया तो बड़े ही आश्चर्य जनक व चौकाने वाले तथ्य उजागर हुए।
उनके मुताबिक गर्भवती बाघिन की ट्रेकिंग के दौरान उन्होंने देखा कि डायोस्कोरिया प्रजाति के एक पौधे का कंद बाघिन ने अपना गर्भपात करने के लिए खाया। इस कंद का उपयोग आदिवासी महिलाएं भी इसी उद्देश्य के लिए करती हैं। बाघिन ने इस पौधे का कंद इसलिए खाया क्यों कि कुदरती क्षमता से उसे यह आभास हो गया था कि अगले साल सूखा पड़ेगा। इन परिस्थितियों में जन्म लेने वाले शावकों को भोजन जुटाने व उनके पालन - पोषण में कठिनाई होगी। आश्चर्य की बात यह है कि बाघिन का अनुमान सच साबित हुआ और उस साल भीषण सूखा पड़ा। यदि हम प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ न करें व वन्य जीवों की कुदरती क्षमताओं से सीख लें तो प्राकृतिक आपदाओं से बच सकते हैं। लेकिन विकास की अंधी होड़ और प्रकृति के साथ बैर का भाव हमें निरन्तर तबाही की ओर लिए जा रहा है। फिर भी हम अपनी गलतियों को सुधारने के लिए तैयार नहीं हैं।

हर जीव होता है अद्भुत 

पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्रांणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता का कहना है कि चींटी से लेकर हांथी तक प्रत्येक जीव में कुदरती क्षमता होती है, जिससे उन्हें प्राकृतिक आपदाओं का आभास हो जाता है। यही वजह है कि वन्य जीव प्राकृतिक आपदाओं से अपने कुनबे को बचा लेते हैं। बारिश कैसी होगी इसका अनुमान पक्षियों के घोसलों को देखकर लगाया जा सकता है।
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