Thursday, January 10, 2019

सारंगधर जहां पर होती है अलौकिक अनुभूति

  • औषधीय गुणों से परिपूर्ण है यहां के कुण्ड का जल 
  • इस मनोरम स्थल का पर्यटन स्थल के रूप में हो विकास 


प्राकृतिक व धार्मिक महत्त्व के स्थल सारंगधर का प्रवेश द्वार। 

अरुण सिंह, पन्ना। प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ - साथ यदि किसी स्थान पर आध्यात्मिक शांति की भी प्रगाढ़ता से अनुभूति होती है तो ऐसे स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है. पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी. दूरी पर स्थित सारंगधर एक ऐसा ही स्थान है, जहां पहुंचने पर हर किसी को आत्मिक शांति तो मिलती ही है, व्यक्ति को अपने भीतर की छिपी आध्यात्मिक क्षमताओं व शक्ति का भी अहसास होता है.

किसी समय प्राचीन ऋषियों और मुनियों की तपोस्थली रहा यह स्थान आज भी आध्यात्मिक ऊर्जा तरंगों से आविष्ट है. धनुषाकार पहाड़ी से घिरा यह स्थान जिसे सुतीक्षण मुनि के आश्रम के नाम से जाना जाता है. पहाड़ी के आकार की वजह से इसे सारंगधर भी कहा जाता है. यहां के बारे में एक किवदंती यह भी है कि वन गमन के समय भगवान राम इस आश्रम से होते हुए चित्रकूट गये थे. कहा जाता है कि आश्रम के निकट ही ऋषि - मुनिया की हड्डियों का ढेर देखकर भगवान राम अत्यधिक द्रवित हुए और वहीं पर अपनी भुजा उठाकर यह प्रतिज्ञा की वे पृथ्वी को निशाचरों से विहीन कर देंगे. सुतीक्ष्ण मुनि की इस तपोस्थली में अक्षय वट के नीचे बैठकर कुछ क्षण गुजारना अपने आप में एक अलौकिक अनुभव होता है. यहां पास में एक कुण्ड भी विद्यमान है. जहां अज्ञात प्राकृतिक श्रोतों से हमेशा कंचन जल प्रवाहित होता रहता है. इस जल में अनेकों औषधीय गुण हैं. जो कोई इस जल का सेवन करता है उसे पेट के विकारों व चर्म रोगों से मुक्ति मिल जाती है. सारंगधर की हरी - भरी पहाडिय़ों में औषधीय पौधे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. दूर -दूर से वैद्य औषधीय पौधों की तलाश में इस स्थान पर आते हैं. आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि सारंगधर की पहाडिय़ों में पाये जाने वाले औषधीय पौधों की वही तासीर रहती है जो हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में पाये जाने वाले औषधीय पौधों की होती है. इस खूबी के कारण भी सारंगधर का विशेष महत्व है. यहां पर हर वर्ष मकर संक्रान्ति के समय विशाल मेले का भी आयोजन होता है. जिसमें दूर - दूर से लोग आते हैं. सारंगधर पहाड़ी के नीचे मैदान में तत्कालीन नरेश महाराजा हरवंश राय ने 1846 में भगवान श्रीराम जानकी का यहां पर भव्य मंदिर भी बनवाया था जो आज भी विद्यमान है. मंदिर में विराजे भगवान की नयनाभिराम छवि के दर्शनों हेतु दूर - दूर से से लोग यहां आते हैं. इस मंदिर के अलावा सारंगधर स्थान में 52 छोटे - बड़े मंदिर भी मौजूद हैं. कुछ वर्ष पूर्व यहां पर शिव के बारह अवतारों की विधिवत स्थापना की गई है, जिससे इस स्थान का धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है. क्षेत्र के लोगों की इस तपोस्थली के प्रति अगाध श्रद्धा है. फलस्वरूप इस स्थल के विकास व यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य को बरकरार रखने के प्रति आसपास के ग्रामवासी काफी सजग रहते हैं. ग्राम पंचायत अहिरगवां के अन्तर्गत आने वाले इस धर्म स्थल को यदि पर्यटन के नक्शे में जोड़ दिया जाये तो यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है. 

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