Saturday, September 7, 2019

उजड़ चुके वन का सात माह में ही हुआ कायाकल्प

  •   पर्यटन गतिविधियां शुरू होने पर अवैध कटाई सहित शिकार पर भी लगा अंकुश
  •   पर्यटकों के आने से रोजगार के बढ़े अवसर, ग्रामवासियों में उत्साह



पन्ना बफर क्षेत्र में भ्रमण हेतु अकोला प्रवेश द्वार।


अरुण सिंह,पन्ना। पर्यटन गतिविधियां शुरू होने पर सात माह में ही उजड़ा हुआ वन क्षेत्र हरा-भरा और मनोरम दिखने लगेगा, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन जिला मुख्यालय से लगे पन्ना बफर क्षेत्र के जंगल में यह चमत्कार घटित हुआ है। विगत सात माह पूर्व तक यहां सब कुछ अव्यवस्थित और उजड़ा हुआ था। बड़े पैमाने पर अवैध कटाई होने तथा हजारों की संख्या में मवेशियों की हर समय धमाचौकड़ी मची रहने के चलते यह पूरा वन क्षेत्र उजड़ चुका था, दूर-दूर तक हरियाली के दर्शन नहीं होते थे। जहां-तहां बांस के लगे भिर्रे व बड़े वृक्ष ही यह इंगित करने का प्रयास करते थे कि यह वन क्षेत्र है। इस बिगड़े हुये और उजड़ चुके वन को फिर से हरा-भरा बनाने तथा वन्य प्राणियों के अनुकूल वातावरण निर्मित  करने के लिये एक अभिनव पहल के तहत पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया द्वारा 30 जनवरी 19 को पन्ना बफर क्षेत्र के अकोला गेट से पर्यटन गतिविधियां शुरू की गईं। नतीजतन अवैध कटाई पर जहां रोक लगी है, वहीं शिकार की घटनाओं पर भी अंकुश लगा है। बीते सात माह में इस जंगल का कायाकल्प होने के साथ ही यहां पर बाघ और तेंदुआ सहित दूसरे वन्य प्राणी भी बहुतायत से नजर आने लगे हैं।


बफर क्षेत्र के जंगल में स्थित अस्थाई सुरक्षा कैम्प।

उल्लेखनीय है कि बारिश के पूरे तीन माह तक पन्ना टाईगर रिजर्व का कोर क्षेत्र पर्यटन गतिविधियों के लिये बन्द रहता है। फलस्वरूप प्रकृति व वन्य जीव प्रेमी पर्यटक बारिश के तीन माह तक जंगल के रोमांचक नजारों को देखने से वंचित रहते थे। इस कमी को दूर करने तथा पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुये क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने तमाम आपत्तियों व विरोधों के बावजूद इस अभिनव गतिविधि को शुरू कराया। अवैध कटाई व शिकार की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये चिह्नित किये गये संवेदनशील स्थलों पर अस्थाई सुरक्षा कैम्प बनाकर वहां वन कर्मियों  की तैनाती की गई। इस नवाचार और अभिनव प्रयोग का असर जल्दी ही दिखने लगा तथा बारिश का मौसम शुरू होते ही इस उजड़े हुये जंगल की रंगत ही बदल गई। तकरीबन 40 वर्ग किमी के इस वन क्षेत्र में झाडिय़ों की तेजी के साथ हुई ग्रोथ ने इलाके को हरा-भरा और वनाच्छादित कर दिया है। सागौन के पुराने कटे ठूँठों से भी पौधे निकलकर तेजी से बढऩे लगे हैं, यहां करधई के जंगल की रौनक अब देखते ही बनती है।

बिड़वानी नाला बना आकर्षण का केन्द्र


पर्यटकों को आकर्षित  वाले बिड़वानी नाले का  द्रश्य। 

पन्ना बफर क्षेत्र के इस जंगल में कई ऐसे प्राकृतिक मनोरम स्थल हैं, जो यहां आने वाले पर्यटकों को न सिर्फ आकर्षित  करते हैं अपितु उन्हें मंत्रमुग्ध कर देते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य और खूबियों से भरपूर बिड़वानी नाले को बारिश के इस मौसम में निहारना अपने आप में अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है। चट्टानों से होकर बहते पानी का संगीत और नाले के किनारे वृक्षों पर सैकड़ो पक्षियों का कलरव पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इस नाले की सबसे बड़ी खूबी यह है कि गर्मी के मौसम में भी यह नहीं सूखता, नाले में कई जगह प्राकृतिक जल श्रोत हैं, जहां से गर्मी में भी पानी निरन्तर निकलता है। इस नाले के किनारे वृक्षों में बया पक्षियों ने अपने हुनर और कलाकारी का प्रदर्शन करते हुये बड़ी संख्या में घोंसले बनाये हैं, जो इस नाले के सौन्दर्य को कई गुना बढ़ा देते हैं। पर्यटकों के लिये यह स्थल सेल्फी लेने व फोटोग्राफी का शौक पूरा करने का महत्वपूर्ण केन्द्र बन चुका है। इस अनूठे स्थल के पास ही भारी भरकम चट्टान की शेल्टर है जहां पर हजारों वर्ष पुराने शैल चित्रों के भी दर्शन होते हैं।

पर्यटकों को अक्सर दिख जाते हैं वनराज



 शाकाहारी वन्य प्राणियों का पसंदीदा करधई का जंगल।

पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण बफर क्षेत्र के इस जंगल में अब अक्सर ही वनराज के दर्शन होने लगे हैं। वन भूमि के झाडिय़ों से आच्छादित हो जाने के चलते बाघ सहित वन्य प्राणियों को छिपने में कोई असुविधा नहीं होती। वन परिक्षेत्राधिकारी लालबाबू तिवारी ने बताया कि दो नर बाघों के अलावा एक बाघिन भी शावकों के साथ यहां कई बार नजर आई है। करधई का जंगल शाकाहारी वन्य प्राणियों विशेषकर चीतल और सांभर के लिये किसी जन्नत से कम नहीं है। इस पेड़ की पत्तियों को ये शाकाहारी वन्य प्राणी बड़े रूचि से खाते हैं। रेन्जर श्री तिवारी बताते हैं कि अवैध कटाई व शिकार पर प्रभावी रोक लगा है, लेकिन मवेशियों की समस्या अभी भी बनी हुई है। जिस पर अंकुश लगाने के लिये वन क्षेत्र से लगे ग्रामों के लोगों को जागरूक करने तथा संरक्षण के कार्य में उनका सहयोग लेने का प्रयास किया जा रहा है।

बीते अगस्त माह में 131 पर्यटकों ने किया भ्रमण 


ज्यादा प्रचार-प्रसार न होने के बावजूद पन्ना बफर क्षेत्र में देशी व विदेशी पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बताया कि बीते अगस्त महीने में 47 देशी व 84 विदेशी पर्यटक यहां भ्रमण के लिये पहुँचे हैं, जिनसे 38 हजार 400 रू. राजस्व मिला है। आपने बताया कि सुबह व दोपहर के अलावा पन्ना बफर क्षेत्र के अकोला गेट से नाईट सफारी की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। शाम 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक पर्यटक नाईट सफारी का भी लुत्फ ले रहे हैं। प्रत्येक पर्यटक गाड़ी के साथ एक गाईड भी जाता है जिसे प्रति चक्कर 200 रू. मिलते हैं। स्थानीय युवकों को गाईड बनाया जा रहा है जिससे ग्रामीणों का रुझान पर्यावरण व वन्य प्राणी संरक्षण में बढ़ा है। श्री भदौरिया ने बताया कि आगामी दो-तीन वर्षों में ही बफर क्षेत्र का यह जंगल कोर की ही तरह घना और समृद्ध हो जायेगा, फलस्वरूप वन्य प्राणियों की संख्या भी बढ़ेगी जिससे यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जायेगा।
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