Friday, July 16, 2021

वर्ल्ड स्नेक डे : सांपों की प्रजातियों पर मंडरा रहा संकट, जागरूकता जरुरी

सर्प किंग कोबरा ( नाग )

सांप दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में पाए जाते हैं। इनसे उपजे डर-भय के चलते इनकी पूजा भी कई संस्कृतियों में की जाती है। यहां तक कि उन्हें चढ़ावा भी चढ़ाया जाता है। खैर, पूरी दुनिया में 16 जुलाई को विश्व सांप दिवस यानी वर्ल्ड स्नेक डे मनाया जाता है। सांप की प्रजातियों  पर छाए संकट, उनकी कम होती संख्या और उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।

दुनिया भर में सांप की 3400 के लगभग प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से छह सौ के लगभग प्रजातियां ऐसी हैं जिनमें जहर होता है। इनमें भी, ढाई सौ के लगभग प्रजातियां ऐसी हैं जिनका जहर इंसान के लिए जानलेवा होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में लगभग ढाई सौ प्रजाति के सांप पाए जाते हैं। इनमें से केवल चार प्रजातियां ही ऐसी हैं जो जहरीली होती हैं। इनमें कोबरा, करैत, सॉ स्केल्ड वाइपर और रसेल वाइपर शामिल हैं। दुनिया का सबसे लंबा और जहरीला सांप किंग कोबरा होता है जो सिर्फ भारत में पाया जाता है। किंग कोबरा ऐसा सांप है जो अन्य प्रजातियों के सांपों को खाकर ही अपना पेट भरता है। करैत भी कुछ हद तक सांप खाते हैं। 

सांपों के प्रमुख भोजन में चूहे, मेढक और छिपकलियां शामिल हैं। इन्हीं का पीछा करते हुए वे इंसान के घरों में प्रवेश कर जाते हैं। सांप कभी इंसान को काटना पसंद नहीं करते। उनके लिए उनका जहर एक तरह से उनका खाना जुटाने का जुगाड़ है। चूहे को काट लो तो वह भाग नहीं पाता। फिर उसे निगला जाता है। इसीलिए वे उस पर अपने जहर का इस्तेमाल करते हैं। इंसान को काट भी लो तो निगला नहीं जा सकता। इसलिए उसे काटने से फायदा नहीं। यानी जहर की बर्बादी है। वे सिर्फ उसे ही काटते हैं, जिसे निगल सकते हैं। हां, कई बार खुद पर खतरा देखकर वे अपनी जान बचाने के लिए इंसान को काट लेते हैं और यह इंसान के लिए जानलेवा साबित होता है। अफ्रीका में पाया जाने वाला ब्लैक मांबा सांप सबसे तेज दौड़ता है। जबकि, ब्राजील में पाए जाने वाले पिट वाइपर सांप के जहर का इस्तेमाल ब्लड प्रेशर के उपचार में किया जाता है।

भारत में सिर्फ चार प्रजातियों के जहरीले सांप पाए जाने के बावजूद चिकित्सा सुविधाओं के अभाव और सांप के जहर का एंटीवेनम बनाए जाने में आवश्यक शोध की कमी के चलते सर्प दंश से मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। अमेरिका की एक संस्था का आकलन है कि दुनिया भर में हर साल एक लाख के लगभग लोग सर्प दंश के चलते मरते हैं और इसमें से 46 हजार लोग भारत के होते हैं। इसके लिए खराब चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ लोगों के बीच जागरुकता के अभाव को भी जिम्मेदार माना जाता है। सांप एक माहिर शिकारी होते हैं। चूहों, छिपकलियों, मेढकों जैसे तमाम जंतुओं का शिकार करके वे पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन कायम रखते हैं। उनके नहीं होने से यह संतुलन बिगड़ सकता है। चूहों का सफाया करने के चलते ही उन्हें किसानों का मित्र माना जाता है।

ये तो रही सांप के बारे में कुछ जरूरी बातें। और हां, ये बात याद रखिए कि सांप दूध नहीं पीते। नागराज को प्रसन्न करना है तो उन्हें दूध मत परोसिए। चूहा परोसिए। वे प्रसन्न हो जाएंगे।

(जंगलकथा के लेखक कबीर संजय की फेसबुक वॉल से साभार)

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