- भारत के पक्षियों के संरक्षण पर एक रिपोर्ट, जो हजारों पक्षी प्रेमियों द्वारा योगदान किए गए लाखों अवलोकनों पर आधारित है।
दुनिया भर में सामान्य तौर पर पक्षियों और जैव विविधता में गिरावट आ रही है। इस उद्देश्य के लिए, भारत ने होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु एवं पारिस्थिकी तंत्र सुधारने तथा अधिक स्थिरता हासिल करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये है । इसके हिस्से के रूप में, समय-समय पर आँकलन की आवश्यकता है कि देश में जैव विविधता की क्या स्थिति है । "भारत के पक्षियों की स्थिति 2020 रिपोर्ट" भारत की अधिकांश पक्षी प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति का आँकलन करने का पहला प्रयास था। इसने उच्च संरक्षण चिंता की 101 प्रजातियों की पहचान की, जिन पर केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है।
तीन साल बाद, रिपोर्ट का यह दूसरा संस्करण बहुत बड़े सूचना आधार पर एक अद्यतन (नवीन परिदृश्य ) प्रदान करता है, जिससे अधिक प्रजातियों का आँकलन किया जा सकता है। रिपोर्ट के नए अनुभाग पक्षियों की व्यवस्थित निगरानी के महत्व पर जोर देते हैं, और भारत में पक्षियों को जो खतरे हैं उन के बारे में जो ज्ञात है, उसकी समीक्षा करते हैं।
स्टेट ऑफ इंडियाज़ बर्ड्स 2023 रिपोर्ट बनाने के लिए 13 संगठन एक साथ आए हैं, जिनमें सरकारी संस्थान, विश्वविद्यालय और गैर सरकारी संगठन शामिल हैं। रिपोर्ट के लिए मुख्य सूचना आधार नागरिक विज्ञान डेटा है जो जीवन के सभी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमियों द्वारा तैयार और संकलित किया गया है। इस प्रकार यह रिपोर्ट सार्वजनिक और सामूहिक भागीदारी तथा सहयोग पर आधारित है - यदि हमें अपने बहुमूल्य पक्षियों और जैव विविधता का संरक्षण करना है तो यह रिपोर्ट अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रमुख अंश -
- संरक्षण प्राथमिकता तय करने के लिए 942 भारतीय पक्षियों का आंकलन किया गया
- 30000 पक्षी प्रेमियों ने 30 मिलियन (3 करोड़) अवलोकनों का योगदान दिया जिसका उपयोग विश्लेषण एवं पक्षियों के वितरण को समझने में सहायक हुआ।
- 217 प्रजातियाँ पिछले आठ वर्षों में स्थिर रही या बढ़ रही हैं।
- 178 प्रजातियों को उच्च संरक्षण प्राथमिकता के रूप में वर्गीकृत किया गया।
- नीलकंठ (Indian Roller) सहित 14 प्रजातियों को IUCN रेड लिस्ट में पुनर्मूल्यांकन के लिए अनुशंसित किया गया।
- पिछले तीन दशकों में एशियाई कोयल की संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी है।
- भारतीय मोर की संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी है।
- खुले पारिस्थितिकी तंत्र, नदियों और तटों जैसे प्रमुख प्राकृतिक-वास में रहने वाले पक्षियों की संख्या में कमी आई है।
- शिकारी पक्षी (रैप्टर), प्रवासी तटीय पक्षी, और बत्तखों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट आई है।
- आठ प्रमुख खतरे भारत में पक्षियों के लिए संश्लेषित हैं।
- भारत के विभिन्न स्थानों पर की गयी केस स्टडीज (अध्ययन), पक्षियों की सुनियोजित एवं नियमित निगरानी (मॉनिटरिंग) की महत्वपूर्ण भूमिका को स्पष्ट करते हैं।
- नीति एवं कार्यकलाप में सामंजस्य एवं एकरूपता के द्वारा उच्च सरंक्षण प्राथमिकता प्राप्त प्रजातियों का चिन्हांकन, उपेक्षित प्राकृतिक-वास की समस्याओं का समाधान, एवं अनुसंधान तथा निगरानी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
No comments:
Post a Comment