Thursday, June 5, 2025

पन्ना को आबाद करने वाली सफलतम रानी बाघिन टी-2 नहीं रही

  • सर्वाधिक शावकों को जन्म देकर पन्ना को पहुँचाया शून्य से शिखर तक
  • पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन टी-2 की चार पीढ़ियां कर रही हैं विचरण  

पन्ना टाइगर रिजर्व की सफलतम बाघिन टी-2 की जीवित अवस्था की फोटो। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद करने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली पन्ना की सफलतम रानी बाघिन टी-2 नहीं रही। इस बाघिन ने अपने जीवन काल में 21 शावकों को जन्म दिया है। मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व में इस बाघिन की चार पीढ़ियां बाघों के कुनबे को विस्तार दे रही हैं। खुले जंगल में अपना पूरा जीवन जीने वाली पन्ना की इस सफलतम रानी के बिछड़ने पर जिस तरह औपचारिकता निभाते हुए उसे अंतिम विदाई दी गई, उससे वन्य जीव प्रेमी दुखी और आहत हैं। मालुम हो कि पन्ना बाघ पुनर्स्थापना में इस बाघिन का शानदार योगदान रहा है, जिसे देखते हुए इस बाघिन की विदाई पेंच टाइगर रिज़र्व की कॉलर वाली बाघिन "सुपर मॉम" की तर्ज पर होनी चाहिए थी।

उल्लेखनीय है कि विगत 29 मई को उत्तर वन मंडल पन्ना के देवेंद्रनगर वन परिक्षेत्र में एक बाघिन का शव मिला था, जिसकी उम्र लगभग 9-10 साल  बताई गई थी। इस बाघिन की उस समय कोई पहचान नहीं बताई गई, जबकि पन्ना टाइगर रिज़र्व की प्रत्येक बाघिन का विधिवत रिकॉर्ड संधारित है। ऐसी स्थिति में मृत बाघिन की पहचान सुगमता से की जा सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बाघिन के शव को सामान्य तरीके से जला दिया गया। जबकि अपना पूरा जीवन रॉयल अंदाज में जीने वाली पन्ना की इस सफलतम बाघिन की पहचान की जाकर उसकी विदाई भी पूरे सम्मान के साथ की जानी चाहिए थी। ताकि लोग इस बाघिन के शानदार योगदान से वाकिफ़ हो पाते, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 

बाघिन टी-2 के शव को किसी गुमनाम बाघिन की भांति इस तरह से जलाया गया। 

तक़रीबन 19 वर्ष की यह बाघिन पन्ना टाइगर रिज़र्व की शान रही है, लेकिन उसकी उसकी विदाई गुपचुप तरीके से कर दी गई। पन्ना टाइगर रिज़र्व के लिए यह एक अच्छा अवसर था जब  इस बाघिन के योगदान को बताया जाता, जिससे लोग वाकिफ़ हो पाते कि पेंच टाइगर रिज़र्व की तरह पन्ना में भी एक "सुपर मॉम" बाघिन थी, जिसने पन्ना को शून्य से शिखर तक पहुँचाने में सबसे अहम् भूमिका निभाई है।      

पन्ना टाइगर रिजर्व जिसे वर्ष 2009 में बाघ विहीन घोषित किया गया था, वहां टी-2 इकलौती बाघिन है जिसने पन्ना के बाघों की मूल नस्ल को बचाने में कामयाब हुई है। इसलिए यह बाघिन पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए खास महत्व रखती है। पन्ना टाइगर रिजर्व को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में भी इस बाघिन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यही वजह है कि इस बाघिन को पन्ना की सफलतम रानी कहा जाता है। बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत वायु सेना के हेलीकॉप्टर से इस बाघिन को 9 मार्च 2009 में कान्हा से पन्ना लाया गया था। पन्ना में कामयाबी का झंडा फहराने वाली इस बाघिन ने यहां अन्य दूसरी ब्रीडिंग बाघिनों की तुलना में सर्वाधिक शावकों को जन्म दिया है। पेंच के नर बाघ टी-3 को फादर ऑफ़ दि पन्ना टाइगर रिजर्व का ख़िताब दिया गया था, इस लिहाज से पन्ना की सफलतम रानी बाघिन टी-2 को यदि "मदर ऑफ़ दि पन्ना टाइगर रिजर्व" कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

बाघिन टी-2 ने अपने 7 लिटर में 21 शावकों को जन्म दिया है, यह संख्या पन्ना टाइगर रिजर्व की ब्रीडिंग बाघिनों में सर्वाधिक है। टी-2 ने पहली बार अक्टूबर 2010 में चार शावकों को जन्म दिया था, जिनमें दो नर व दो मादा शावक थे। इस बाघिन ने अपने सातवें लिटर जुलाई 19 में तीन शावकों को जन्म दिया, जिसमें एक नर व दो मादा हैं। बाघिन टी-2 के मादा शावक भी बड़े होकर वंश वृद्धि कर रहे हैं। जिनमें पी-213, पी-222, पी-234, पी-234 (23) तथा पी-213(32) ने कई शावकों को जन्म दिया है। 

पेंच टाइगर रिज़र्व की कॉलर वाली बाघिन "सुपर मॉम" का शाही अंदाज में इस तरह हुआ था दाह संस्कार।  

पन्ना टाइगर रिजर्व के अलावा इस बाघिन की वंश बेल सतना जिले के चित्रकूट, सतपुरा टाइगर रिजर्व व संजय टाइगर रिजर्व तक फैली है। वर्ष 2016 में पन्ना टाइगर रिजर्व से निकलकर चित्रकूट के जंगल को अपना नया आशियाना बनाने वाली बाघिन पी-213(22) ने वहां अब तक 11 से अधिक शावकों को जन्म दे चुकी है। इस तरह से यदि बाघिन टी-2 के पूरे कुनबे को जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा 80 के पार जा पहुंचता है। इस आंकड़े से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इकलौती एक बाघिन टी-2 ने बाघों की वंश वृद्धि में कितना अहम और महत्वपूर्ण रोल निभाया है। पन्ना को अलविदा कर चुकी 19 वर्ष की बाघिन टी-2 की चार पीढ़ियां पन्ना टाइगर रिजर्व की शोभा बढ़ा रही हैं।

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Wednesday, June 4, 2025

जख्मी बाघ पी- 243 को उपचार उपरांत स्वच्छंद विचरण हेतु छोड़ा गया

आपसी संघर्ष में जख्मी हुए बाघ पी- 243 को उपचार उपरांत खुले जंगल में छोड़ा गया। 

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में बाघों के बीच होने वाली टेरिटोरियल फाइट (आपसी संघर्ष) में विगत माह 10 वर्षीय बाघ पी-243 बुरी तरह जख्मी हो गया था, इस बाघ के सिर में गहरा घाव था। पर्यटकों ने जब इस जख्मी बाघ की तस्वीर ली, तब पता चला कि वह जख्मी है। 

सोशल मीडिया में बाघ की फोटो वायरल होने पर पार्क प्रबंधन का ध्यान इस जख्मी बाघ की ओर गया। बाघ विशेषज्ञों की सलाह पर वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी पन्ना टाइगर रिजर्व के द्वारा इस बाघ का उपचार किया गया, लेकिन अपेक्षित लाभ न होने पर बाघ को ट्रेंकुलाइज करके बाड़े में रखकर उसका गहन उपचार हुआ। फलस्वरूप जख्मी बाघ का घाव भरने लगा और वह अब पूरी तरह से ठीक हो गया है। 

क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की ने जानकारी देते हुए आज बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के अंतर्गत हिनौता परिक्षेत्र में पिछले दिनों बाघ पी- 243 के सिर पर चोट का निशान दिखाई देने पर पार्क प्रबंधन द्वारा 20 अप्रैल 25 को ट्रेंकुलाइज किया जाकर बड़गड़ी बाडे में वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी पन्ना टाइगर रिजर्व की सतत निगरानी में उपचार हेतु रखा गया था। बाघ पी- 243 के घाव वर्तमान में ठीक होने के उपरांत 3 जून 25 को शाम लगभग 6:00 बजे उप संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व की उपस्थिति में स्वच्छंद विचरण हेतु बाड़ा खोला गया। 

बाड़े का गेट खोले जाने के उपरांत लगभग 8:00 बजे बाघ बाड़े से निकलकर वन क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण हेतु चला गया। बाघ की निगरानी हाथियों एवं क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा की जा रही है। उपरोक्त कार्रवाई उपसंचालक के निर्देशन व वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी के तकनीकी मार्गदर्शन में संपन्न की गई, जिसमें परिक्षेत्र अधिकारी हिनौता, हाथी महावत एवं अन्य क्षेत्रीय कर्मचारी उपस्थित रहे।

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