Monday, February 12, 2024

हर साल पूरी दुनिया में आखिर क्यों मनाया जाता है रेड हैंड डे ?

  • बच्चों के नैसर्गिक अधिकारों की सुरक्षा के साथ उनके सम्पूर्ण विकास हेतु उन्हें अच्छा माहौल और सुबिधा मिले ताकि बड़े होकर वे एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें। बच्चों से जोखिम और खतरों का काम कराना अमानवीय ही नहीं समाज के लिए भी खतरनाक है। इसी बात को दृष्टिगत रखकर बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु पूरी दुनिया में 12 फरवरी को रेड हैंड डे मनाया जाता है।

विकास संवाद पन्ना द्वारा रेड हैंड डे मनाया गया जिसमें बच्चों ने उत्साह के साथ भाग लिया। 

पन्ना। हर बच्चे में उसकी अपनी नैसर्गिक क्षमता और प्रतिभा बीज की भांति मौजूद होती है। यदि उसे अनुकूल वातावरण और सुबिधा मिले तो समय के साथ उसके भीतर की प्रतिभा प्रकट होने लगती है। यह बच्चा बड़ा होकर समाज को बेहतर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम हो पाता है। लेकिन यदि बच्चे को अनुकूल माहौल न मिले और वह गलत दिशा में ले जाया जाय तो यही बच्चा समाज के लिए घातक भी साबित हो सकता है। बच्चों के नैसर्गिक अधिकारों की सुरक्षा हेतु हर साल रेड हैंड डे मनाया जाता है। 

इस वर्ष भी विकास संवाद पन्ना द्वारा रेड हैंड डे मनाया गया। यह दिवस बच्चो कि सुरक्षा और सम्पूर्ण विकास के लिए जरुरी है, जिससे उनको शिक्षा के अवसर के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा जा सके। सेना में भर्ती, जोखिम और खतरों के काम में बच्चो को लगाए जाने के विरोध में पूरे विश्व में विरोध स्वरूप 12 फरवरी को रेड हैंड डे मनाया जाता है।

कहने को तो आज हम अपने आपको अभी तक के मानव इतिहास का सबसे सभ्य और विकसित समाज मानते हैं। लेकिन दुनिया के एक बड़े हिस्से में हम अक्सर मानवता को शर्मसार कर देने वाली ऐसी छवियाँ देखते हैं, जिसमे बच्चे अपने मासूम हांथो में बंदूक, मशीनगन, बम जैसे विनासक हथियार को उठाए हुए बड़ो कि लडाईयों को अंजाम दे रहे हैं। विश्व के कई देशो में चल रहे आंतरिक उग्रवाद, हिंसक आन्दोलन, आतंकवाद गतिविधियों में बड़े पैमाने पर बच्चो का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें से ज्यादातर को जबरदस्ती लड़ाई में झोंका जाता है। इस खूनी खेल में बच्चो को एक मोहरे के तौर पर शामिल किया जाता है, जिससे इस तरह के संगठन अपने कारनामों को आसानी से अंजाम दे सकें।  

एक अनुमान के मुताबिक आज पूरी दुनिया में लगभग 250000 बच्चो का इस्तेमाल विभिन्य शसत्र संघर्षो में हो रहा है। इनमें से भी करीब एक तिहाई संख्या लडकियों की है। दुनिया के जिन राष्ट्रों में यह काम प्रमुखता से हो रहा है, उनमें अफगानिस्तान, सीरिया, अंगोला, कांगो, ईराक, इजराईल, फिलिस्तीन, सोमलिया, सूडान, रवाडा,इंडोनेशिया, म्याम्बर, नेपाल,श्रीलंका, लाइबेरिया, थाईलेंड और पिफ्लिपिस जैसे देश शामिल हैं। शस्त्र संघर्षो में इस्तेमाल किए जा रहे बच्चो का जीवन बहुत ही खतरनाक और कठिन परिस्थितियों में बीतता है। यहाँ वे लगातार हिंसा के साए में रहते हैं और उन्हें हर समय गोली या बम के शिकार होने का खतरा बना रहता है।


 

इन परिस्थितियों और हालातों के चलते छोटी उम्र में ही बच्चे कई तरह कि शारीरिक वा मानसिक बीमारियां की भेंट चढ़ जाते हैं। उनका लगातार यौन शोषण होता है और कई बच्चे एचआईबी एड्स का भी शिकार हो जाते हैं। यह सब कुछ दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत संयुक्त राष्ट्र द्वारा बच्चो को दिए गए अधिकार के हनन की पराकाष्ठा है। ऐसा नहीं है कि दुनिया ने इस पर ध्यान ना दिया हो, 12 फरवरी 2002 को संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार कन्वेंशन में एक अतिरिक्त प्रोटोकाल जोड़ा गया था। जो ससत्र संघर्षो में नाबालिक बच्चो के सैनिको के तौर पर उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है। इसके बाबजूद अभी भी नाबालिग बच्चो को शस्त्र संघर्षो में भर्ती जारी है। 

बच्चो के सैनिक उपयोग की निंदा और इसके अंत के लिए हर साल 12 फरवरी को पूरी दुनिया में रेड हैंड डे नाम से एक विशेष दिन मनाया जाता है। इस आयोजन का मकसद दुनिया भर में कहीं भी हो रहे बच्चो को शहत्र संघर्ष में शामिल करने का विरोध जताना है। दुनिया में बच्चो के हक़ की आवाज में अपनी आवाज मिलाते हुए विकास संवाद पन्ना द्वारा चलाए जा रहे दस्तक अभियान से जुड़े दस्तक युवा और दस्तक बाल समूह ने लाल हांथ दिवस मनाते हुए बच्चो को सेना में भर्ती किए जाने और उनके साथ हो रही क्रूरता का विरोध जताया है।  

इस कार्यक्रम को दस्तक परियोजना के 10 गांवो के 182 युवा और बच्चो ने अपने-अपने गांवो में बैठको के माध्यम से चर्चा की एवं गांव में रैली निकालकर लोगों को जागरूक किया गया। बच्चो और युवाओ के इस कार्यक्रम में समुदाय ने भी पूरा सहयोग किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से दस्तक कार्यक्रम के जिला समन्यवयक रविकांत पाठक, रामऔतार तिवारी, पृथ्वी ट्रस्ट से समीना यूसुफ़ एवं सामुदायिक कार्यकर्ता छत्रसाल पटेल, रामविशाल गौंड, बबली अहिरवार, बैशाली सिंह, समीर खान दस्तक समूह के साथी अरविन्द्र गौंड, जेम्सी गौंड, निशा कोंदर, शांति गौंड आदि शामिल रहे। 

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