मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में ग्रामीण इलाकों का भ्रमण करना अपने आप में एक अनूठा अनुभव होता है। यहां ग्रामीण विकास के ऐसे ऐसे नायाब मॉडल और तकनीक के दर्शन होते हैं कि बड़े-बड़े इंजीनियर भी हैरत में पड़ जाएं। जनपद पंचायत अजयगढ़ का ऐसा ही एक अनूठा गांव फरस्वाहा है, यहां पर विकास के जो भी काम हुए हैं उन्हें जरूर देखा जाना चाहिए।
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फरस्वाहा गांव में मार्ग के बीचो बीच नाली का निर्माण इस अनोखी तकनीक से हुआ है, जहाँ से वाहनों का निकलना कठिन है। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 40 किलोमीटर दूर केन नदी के किनारे ग्राम पंचायत फरस्वाहा स्थित है। रेत के अवैध उत्खनन को लेकर यह गांव आमतौर पर चर्चा में रहता है, लेकिन पहली बार यहां पर हुए विकास कार्यो ने मीडिया का ध्यान आकृष्ट किया है। फरस्वाहा गांव ग्रामीण विकास का ऐसा नमूना है जिसे देखकर पता चलता है कि विकास के नाम पर सरकारी धन का किस तरह से दुरुपयोग होता है। यहां पर हुए कथित विकास कार्यों से ग्राम वासियों को सुविधा तो दूर की बात उनका जीवन और कठिनाइयों से भर गया है।
शुक्रवार 29 नवंबर को पन्ना से पत्रकारों का एक दल जब तक़रीबन एक हजार की आबादी वाले इस गांव में पहुंचा, तो गांव में घुसते ही वहां जो नजारा देखने को मिला इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। गांव के भीतर जितने भी मार्ग हैं, उनके बीचो-बीच नाली का निर्माण कराकर नाली को इस तरह ढकवा दिया गया है की बीचो-बीच आधा फीट ऊंची स्पीड ब्रेकर जैसी संरचना बन गई है। ऐसी स्थिति में गांव के भीतर चार पहिया वाहन से निकलना तो नामुमकिन है ही, दो पहिया वाहन से चलना भी खतरे से खाली नहीं है।
फरस्वाहा गांव के भीतर नाली निर्माण की इस अनोखी तकनीक को देख पन्ना से इस गांव में पहुंचे पत्रकार हैरत में पड़ गए। आश्चर्य चकित कर देने वाली अनूठी तकनीक से बनवाई गई फरस्वाहा गांव की नालियों के निर्माण में आखिर किस सब इंजीनियर का तकनीकी मार्गदर्शन रहा है ? निश्चित ही ऐसे काबिल सब इंजीनियर को आगामी 26 जनवरी के अवसर पर जरूर पुरस्कृत किया जाना चाहिए। ताकि उनके तकनीकी ज्ञान व कौशल से हर कोई वाकिफ हो सके। जिले के आला अफसरों खासकर कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ को भी इस गांव का भ्रमण कर यहां हुए विकास कार्यों का अवलोकन करना चाहिए। ताकि उन्हें जिले की जमीनी हकीकत का इल्म हो सके।
आश्चर्य की बात तो यह है कि पूरे गांव में नालियों का निर्माण कराने के बावजूद घरों का गंदा पानी ऊपर से बहता रहता है, जिससे ज्यादातर मार्ग कीचड़ व गंदगी से पटे पड़े हैं। नल जल योजना का क्रियान्वयन भी यहां अजीबोगरीब ढंग से हुआ है। घरों में नल कनेक्शन के पाइप ऊपर से निकाले गए हैं। ऐसी स्थिति में लीकेज होने पर पानी की बौछार मार्ग पर चारों तरफ पड़ती है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां सब काम मनमर्जी से कराये जाते हैं, कोई सुनने वाला नहीं है।
पत्रकारों द्वारा फरस्वाहा गांव में हुए विकास कार्यों की ओर जब जनपद अजयगढ़ के सीईओ सतीश नागवंशी का ध्यान आकृष्ट कराया गया, तो उन्होंने भी अजीबोगरीब जवाब दिया।जनपद सीईओ का कहना है कि मैं संबंधित उपन्यत्री से बात की है। उसने अभी तक ब्रीफ नहीं किया है। जो मामला संज्ञान में लाया गया है, उसको निश्चित तौर पर सही कराया जाएगा। लेकिन कार्य गलत क्यों हुआ और इसकी जवाबदारी किसकी है, इस बाबत उन्होंने कुछ नहीं कहा। गलत ढंग से कराए गए कार्य को सही करने में जो राशि खर्च होगी, वह कहां से आएगी यह भी विचारणीय प्रश्न है ?
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