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बाघिन अपने शावकों के साथ, सांकेतिक फ़ाइल फोटो। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में सोमवार 9 दिसंबर की सुबह हिनौता गेट के निकट कच्छ क्रमांक 535 में जो कुछ घटित हुआ वह अनपेक्षित और चिंताजनक घटना है। बाघिन पी 652 के तीन नर शावकों के हमले में जिस तरह से एक बुजुर्ग महिला की दिल दहला देने वाली मौत हुई है, उससे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। सबसे अहम सवाल तो यही है कि इस पूरे घटनाक्रम के लिए कौन जिम्मेदार है ?
उल्लेखनीय है कि हिनौता गांव पन्ना टाइगर रिजर्व के बिल्कुल नजदीक बसा हुआ है। इस गांव में लोगों के खेत भी जंगल से लगे हैं, फल स्वरुप खेती करना मुश्किल होता है। जंगली जानवर फसल उजाड़ देते हैं नतीजतन यहां बेरोजगारी बड़ी समस्या है। हिनौता गांव के पूर्व सरपंच रामप्रसाद यादव बताते हैं कि ग्रामीणों के पास निस्तार के लिए कोई जगह नहीं है, ऐसी स्थिति में लकड़ी चारा व वनोपज के लिए ग्रामीण जंगल चले जाते हैं। इसके पहले कभी इस तरह की घटना नहीं हुई, भालू के हमले की जरूर घटनाएं होती थीं। लेकिन बाघ ने इंसानों पर हमला कभी नहीं किया। इस घटना ने पूरे गांव को चिंता में डाल दिया है कि अब कैसे गुजारा होगा।
मालुम हो कि हिनौता गांव के लोगों का गुजारा मजदूरी और पशुपालन से होता है। घटना के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने जंगल में मवेशियों व इंसानों के प्रवेश पर सख्ती से रोक लगा दी है। राम प्रसाद यादव कहते हैं कि इस तरह की सख्ती से समस्या बेहद विकट हो सकती है। वह यह भी स्वीकार करते हैं कि टाइगर रिजर्व के भीतर जाना प्रतिबंधित है, इसलिए ग्रामीणों को जंगल में नहीं घुसना चाहिए। लेकिन मजबूरी में ग्रामीण जाते हैं क्योंकि बिना जंगल गए गुजारा नहीं है। चूंकि अब पहले की तुलना में बाघों की तादाद कई गुना बढ़ गई है, इसलिए जंगल में जाना खतरे से खाली नहीं है।
घटना के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाघिन पी 652 के तीन नर शावकों का भविष्य अब क्या होगा ? मानवीय गलतियों के चलते तीन अर्ध वयस्क नर शावकों ने कोर क्षेत्र में चारा काट रही महिलाओं के निकट पहुंचकर एक बुजुर्ग महिला को न सिर्फ मार दिया, अपितु उस महिला का भक्षण भी किया है। निश्चित रूप से यह चिंता की बात है क्योंकि हिनौता गांव पन्ना टाइगर रिजर्व से बिल्कुल सटा हुआ है। इसलिए भविष्य में इन नर शावकों का इंसानों के प्रति कैसा बर्ताव होगा, कुछ कह पाना मुश्किल है।
यह पूरा घटनाक्रम किन परिस्थितियों में हुआ, इसकी गहन जांच पड़ताल होनी चाहिए। क्योंकि सवाल यह है कि इस घटना के लिए कौन जिम्मेवार है, किसकी गलती है। इस खौफनाक घटना के लिए बाघ शावक जिम्मेदार हैं या उन महिलाओं की गलती है जो जंगल के भीतर बाघों के इलाके में चारा काटने के लिए गई हुई थीं। इसके लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन भी सवालों के घेरे में है, कि आखिर महिलाएं चारा काटने कोर क्षेत्र के उस इलाके में कैसे पहुंच गई, जहां बाघ परिवार विचरण करता है। महिलाओं को अंदर जाने से रोकने में महकमा कैसे नाकाम रहा ? निश्चित ही महिला की मौत बेहद दुखद है और पीड़ित परिवार को हुए क्षति की भरपाई नहीं हो सकती लेकिन असल सवाल तो यही है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है, बाघ या इंसान ?
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बहुत ही दुःखद घटना। बाघों के इलाके में इस तरह इंसानों को नहीं जाना चाहिए।
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