- राम प्रजापति के खेत में जैविक खेती का दिया गया प्रशिक्षण
- खेती की लागत कम करने की तकनीकी पर दिया गया जोर

पन्ना। ग्रामीण इलाकों के पढ़े लिखे युवक जो महानगरों में निजी कंपनियों में नौकरी करते हैं उनका रुझान अब अपने परम्परागत धंधा खेती की ओर बढ़ने लगा है। ऐसे युवक लाखों रुपये की नौकरी छोड़ अपने गांव वापस आकर जैविक खेती करने लगे हैं। ऐसा ही एक युवक राम प्रजापति पन्ना जिले की ग्राम पंचायत बरकोला के ग्राम रामपुरखोड़ा के हैं जो अब जैविक खेती में रूचि ले रहे हैं।
समर्थन संस्था के ज्ञानेंद्र तिवारी ने बताया कि ग्राम पंचायत बरकोला के ग्राम रामपुरखोड़ा में पंचायत मित्रो की समीक्षा बैठक राम प्रजापति के खेत में रखा गया जहाँ पंचायत मित्रों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। श्री तिवारी ने बताया कि राम प्रजापति 28 वर्ष के हैं जो महाराष्ट में एक कम्पनी में नौकरी करते हैं लेकिन उनका काम खेती किसानी से ही जुड़ा रहा है। युवा कृषक राम प्रजापति का कहना है कि मुम्बई के लोग एमपी वालों को अच्छी नजर से नहीं देखते, उनका मानना है कि एमपी में गरीबी है, जबकि ऐसा नही है। दो वर्ष से खेती में जुटे राम को कुछ मदद उद्यानिकी विभाग से मिली है लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है। उन्होंने गर्मी में मिर्ची, टमाटर एवं लौकी और कद्दू के साथ कलिंदा लगाने की तैयारी की है।
उल्लेखनीय है कि जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता को बनाए रखने में मदद करती है। जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में इस्तेमाल किया जाता है। जैविक खेती में गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, जीवाणु खाद, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं तथा प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र कीट और जैविक कीटनाशकों द्वारा फ़सल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है।
वर्तमान समय में खेती करने की प्रणाली पूर्ण तरीके से बदल चुकी है, जिसका एकमात्र कारण है बढ़ती जनसंख्या। जिसकी वजह से अधिक खाद्यान्न उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। जिसके कारण खेती में अधिक रासायनों का प्रयोग किया जा रहा है। जैविक खेती को लोग भूलते जा रहे हैं जिसके कारण हमें शुद्ध भोजन नहीं मिल पा रहा है। अत्यधिक रासायनों के प्रयोग से हमारा भोजन भी विषाक्त होता जा रहा है। जबकि जैविक खेती भारतीय कृषि की एक प्राचीन पद्धति है जो भूमि के प्राकृतिक गुणों को बनाए रखने के साथ हमें रसायनमुक्त शुद्ध भोजन प्रदान करती है। राम प्रजापति जैसे शिक्षित युवक जैविक खेती अपनाकर दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं जो अच्छे संकेत हैं।
समर्थन संस्था की पहल पर युवा कृषक राम प्रजापति के खेत में ही पंचायत मित्रो को प्राकृतिक एवं जैविक खेती की तकनीक का प्रशिक्षण कृषि विशेषज्ञों द्वारा दिया गया। कृषि विशेषज्ञ कपूर सिंह, विकास मिश्रा एवं अमित द्ववेदी ने पंचायत मित्रों को प्रशिक्षित किया। कृषि विशेषज्ञ कपूर सिंह ने प्राकृतिक खेती अपनाकर खेती की लागत कम करने की तकनीकी पर जोर दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में फरीदा, ज्ञानेन्द्र तिवारी, विकास मिश्रा, कमल चन्द, शुशील सेन एवं आरती, बाबूलाल रजक सहित 25 पंचायत मित्र शामिल रहे।
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