Wednesday, February 19, 2025

पन्ना टाइगर रिजर्व में पाए गए 691 गिद्ध

  • 17 से 19 फरवरी तक पीटीआर में हुई तीन दिवसीय गणना
  • यहां के जंगल, पहाड़ व सेहे बाघों के साथ गिद्धों को भी पसंद 


।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व सिर्फ बाघों का ही नहीं अपितु गिद्धों का भी घर है। यहां के खूबसूरत जंगल, पहाड़ व गहरे सेहे बाघों के साथ-साथ आसमान में ऊंची उड़ान भरने वाले गिद्धों को भी खूब भाते हैं। आज संपन्न हुई गिद्धों की गणना में यहां पर विभिन्न प्रजाति के 691 गिद्ध ( Vulture ) पाए गए हैं। यहाँ पर गिद्धों की 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की निवासी प्रजातियां हैं जबकि शेष 3 प्रजातियां प्रवासी हैं। 

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व अंजना सुचिता तिर्की ने बताया कि प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना 2025 अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में 17 से 19 फरवरी तक तीन दिवसीय गिद्ध गणना का कार्य संपन्न हुआ है। गिद्धों की इस गणना में पहले दिन 17 फरवरी को 661, दूसरे दिन 18 फरवरी को 691 व अंतिम दिन 19 फरवरी को 686 गिद्धों की मौजूदगी पाई गई है। म.प्र. में पाई जाने वाली गिद्धों की चार प्रजातियां किंग वल्चर, लांग विल्ड वल्चर, व्हाइट बैक्ड वल्चर तथा इजिप्सियन वल्चर पन्ना टाईगर रिजर्व में अच्छी संख्या में निवास करते हैं। लेकिन ठण्ड का मौसम आने पर गिद्धों की तीन प्रजातियां यहां प्रवास के लिए आती हैं। ये प्रवासी हिमालयन वल्चर पूरे ठण्ड के दिनों में यहां रूकते हैं और घोसला बनाकर बच्चे भी देते हैं। ठण्ड खत्म होने पर मार्च के महीने में हिमालयन वल्चर चले जाते हैं। 


विदित हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व का धुंधुवा सेहा न सिर्फ बाघों का प्रिय रहवास स्थल है अपितु यह सेहा गिद्धों का भी स्वर्ग कहा जाता है। ठंड के दिनों में इस गहरे सेहा की चट्टानों में बड़ी संख्या में गिद्ध धूप सेकते नजर आते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में प्रवासी गिद्ध भी होते हैं। कहा जाता है कि उड़ते हुए पक्षियों को कोई सरहद रोक नहीं सकती। वे अपनी मर्जी के मुताबिक उड़ान भरकर सैकड़ों किलोमीटर का लंबा सफर तय करते हुए उस जगह पहुंच जाते हैं जहां की आबोहवा उनके अनुकूल होती है। पक्षी प्रेमी पर्यटकों के मुताबिक इस सेहा के आसपास आसमान में हर समय गिद्ध मंडराते रहते हैं। यही वजह है कि यह सेहा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है, क्यों कि यहां वनराज के साथ-साथ आसमान के बादशाह गिद्धों के भी दर्शन हो जाते हैं।

आसमान में सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले पक्षी गिद्धों पर विलुप्त होने का खतरा भी मंडरा रहा है। प्रकृति के सबसे बेहतरीन इन सफाई कर्मियों की जहां भी मौजूदगी होती है, वहां का पारिस्थितिकी तंत्र स्वच्छ व स्वस्थ रहता है। लेकिन प्रकृति और मानवता की सेवा में जुटे रहने वाले इन विशालकाय पक्षियों का वजूद मानवीय गलतियों के कारण संकट में है। गिद्धों के रहवास स्थलों के उजडऩे तथा मवेशियों के लिए दर्द निवारक दवा डाइक्लोफिनेक का उपयोग करने से गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है। लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व आज भी गिद्धों का नैसर्गिक रहवास है, यहाँ की आबोहवा उनको खूब रास आती है।

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3 comments:

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    1. पन्ना टाइगर रिजर्व के अलावा दक्षिण वन मंडल की विभिन्न रेंजों में भी 762 गिद्धों की गड़ना हुई ...
      विगत वर्ष (2024 में ) यह 520 के लगभग थी ...

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