- प्राचीन खेजड़ा मंदिर से निकली श्री जी की भव्य सवारी
- नगरवासियों ने शोभा यात्रा का किया आत्मीय स्वागत
पन्ना के प्राचीन खेजड़ा मंदिर से निकली श्री जी की भव्य सवारी का मनोरम द्रश्य। |
पन्ना। मंदिरों के शहर पन्ना में मंगलवार की शाम प्राचीन खेजड़ा मंदिर से श्री जी की भव्य सवारी निकली। शोभा यात्रा में भक्ति रस से सराबोर नाचते गाते श्रद्धालुओं की टोलियां हर किसी को भाव विभोर कर रही थीं। तेरस के दिन निकली इस दिव्य सवारी नें पद्मावती पुरी धाम को पन्ना को भक्ति रस में डूबो दिया। श्री प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित दस दिवसीय कार्यक्रम में देश विदेश से बड़ी तादाद में सुंदरसाथ (भक्तों) का आना निरंतर जारी है।
भक्ति रस में सराबोर नाचते और गाते श्रद्धालुओं की टोलियां सायं जब प्राचीन खेजड़ा मंदिर से श्री जी की भव्य सवारी के साथ निकलीं तो समूचा शहर भी भक्ति रस में डूब गया। यह अनूठा आयोजन हर साल दशहरे के तीसरे दिन होता है जिसमें सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली श्री प्राणनाथ जी की दिव्य सवारी (शोभा यात्रा) खेजड़ा मंदिर से बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ निकलती है। अन्तर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला में इस शोभा यात्रा का खास महत्व है। क्योंकि यह शोभा यात्रा सद्गुरु के प्रति आदर, सम्मान और अहोभाव प्रकट करने का पुनीत अवसर होता है, जिसमें दूर-दूर से आये सुन्दरसाथ (श्रद्धालु) भक्ति भाव में डूबकर शामिल होते हैं।
मंगलवार 15 अक्टूबर को खेजड़ा मंदिर से शांम 5 बजे निकली इस एैतिहासिक सवारी में श्रीजी की मनमोहक शोभायात्रा मुख्य आकर्षण का केंद्र रही, जिसकी एक झलक पाने के लिये श्रद्धालु बेताब दिखे। इस बार अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेश से भी श्रद्धालु सुंदरसाथ शोभायात्रा में शामिल रहे, जिनमें सर्वाधिक नेपाल देश के सुंदर साथ देखे गए। मंदिरों की नगरी पन्ना शहर के लोगों को भी इस ऐतिहासिक शोभा यात्रा का इंतजार रहता है, जिसका नगरवासियों द्वारा जगह-जगह स्वागत व आरती की गई।
शहर वासियों ने सवारी का किया आत्मीय स्वागत
प्रणामी सम्प्रदाय के आस्था का केन्द्र अति प्राचीन खेजड़ा मंदिर से मंगलवार शाम पांच बजे से अखंड मुक्तिदाता महामति प्राणनाथ जी की सवारी जब निकली तो ऐसा लगा मानो सभी सन्त मनीषी विविध रूप धारण कर इस सवारी की शोभा बढ़ा रहे हों। दिव्य रथ पर सवार श्रीजी तथा धर्मगुरू इस भव्य सवारी की धर्म निष्ठां व भक्तिभाव के साक्षी बने। श्री जी की इस दिव्य सवारी का नगर के धर्मप्रेमियों ने जहाँ तहेदिल से आत्मीय स्वागत किया वहीं प्रणामी धर्म के स्थानीय सुंदरसाथ (भक्तों) ने जगह-जगह श्री जी की आरती उतारकर पुण्य लाभ लिया।
सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक है तेरस की सवारी
अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के दौरान पन्ना नगर में सैकड़ों वर्षों से लगातार श्री जी की सवारी भव्य स्वरूप के साथ निकाली जाती है। इस सवारी का आयोजन पहली बार बुन्देलखण्ड केशरी महाराजा छत्रसाल जी ने किया था। सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली इस तेरस की सवारी को लेकर मान्यता है कि जब बुन्देलखण्ड को चारों तरफ से औरंगजेब के सरदारों ने घेर लिया था तब महामति श्री प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल को अपनी चमत्कारी दिव्य तलवार देकर विजयश्री का आर्शीवाद दिया था और कहा था कि हे राजन जब तक तुम अपने दुश्मनों को धूल चटाकर नहीं आ जाते तब तक मैं इसी खेजड़ा मंदिर में ही रूकूंगा।
तेरस को जब महाराजा छत्रसाल अपने दुश्मनों पर विजय हासिल कर लौटे तो अपने सद्गुरू महामति प्राणनाथ जी को पालकी में बिठाकर अपने कंघों का सहारा देकर श्री प्राणनाथ जी मंदिर में स्थित गुम्मट बंगला जिसे ब्रम्ह चबूतरा भी कहते हैं में लाए थे। जिसके प्रतीक स्वरूप तभी से यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है।
तीन किमी की यात्रा में लगते हैं सात से आठ घंटे
श्री खेजड़ा मंदिर से निकली श्री जी की सवारी को श्री प्राणनाथ जी मंदिर की कुल तीन किलोमीटर तक की यात्रा में सात से आठ घंटे का समय लग जाता है। धार्मिक व एैतिहासिक महत्व की इस विशाल शोभायात्रा में पन्ना नगर वासियों ने भी पूरे उत्साह व भक्ति भाव के साथ बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई।
रथ में सवार श्री जी की एक झलक पाने के लिए लोग घंटों सड़क के किनारे खड़े रहे। सवारी के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा जगह-जगह श्री जी की आरती उतारी व फूलों की बारिश कर स्वागत किया गया साथ ही शोभा यात्रा में सम्मिलित सुन्दरसाथ को मिठाइयां बांटी गईं।
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