Wednesday, October 16, 2024

डेंगू (Dengue) से कैसे करें बचाव, इसके लिए ये उपाय अपनायें

  • मच्छरों के काटने से बचें, घर के आस-पास साफ़-सफ़ाई रखें
  • पानी के बर्तनों को ढककर रखें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
  • डेंगू से बचाव व नियंत्रण के लिए जारी की गई एडवाइजरी 


पन्ना। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा डेंगू (Dengue) से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। इस संबंध में अवगत कराया गया है कि डेंगू एडीज नामक मच्छरों के काटने से फैलने वाली बीमारी है। यह मच्छर हमारे घर व आसपास साफ और रूके पानी में पनपता है। डेंगू का मच्छर सामान्यतः दिन में काटता है तथा उत्पत्ति स्थल के 400  मीटर के दायरे में सक्रिय रहता है। घर में नमी और अंधेरे वाले स्थान में छुपकर विश्राम करता है। 

मच्छरों के पनपने का प्रमुख स्थान घर, छत व आसपास विभिन्न प्रकार के खुले पड़े जल पात्र जैसे पानी की टंकी, टायर, गमले, कूलर, मिट्टी के दिए, छत, मटके, पाइप, गड्ढे, मनी प्लांट के पॉट, प्लास्टिक की बोतल, कप, गिलास, टूटा फूटा सामान व खिलौने, कनस्तर और अन्य सामान में भरा साफ पानी इत्यादि है। मच्छर इनमें अंडे देते हैं और 2-3 दिवस में लार्वा निकलने के बाद यह तीन-चार दिन में प्यूपा में बदल कर तीन दिन बाद मच्छर बनकर उड़ जाता है। इस तरह 7 से 12 दिवस के भीतर मच्छर अपना उत्पत्ति चक्र साफ और रूके पानी में पूर्ण करते हैं। इनकी रोकथाम के लिए जल पात्रों में रखा पानी तत्काल खाली करना चाहिए। नियमित रूप से 7 दिवस के भीतर जल पात्रों में भरा पानी भी खाली करना जरूरी है।

उपचार में न हो विलंब

डेंगू संक्रमित व्यक्ति को प्रारंभिक स्तर पर कमजोरी, तेज बुखार, सिर व हाथ पैर में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसके पश्चात मरीज के शरीर व आंख में रक्त के चक्कते दिखना अथवा नाक, मसूड़े या अन्य स्थान से रक्तस्राव होने तथा उल्टी के लक्षण दिखाई देते हैं। इस स्थिति में उपचार में विलंब नहीं करना चाहिए। इससे मरीज गंभीर हो सकता है और चक्कर आने, मूर्छित होना अथवा सॉक में चले जाने की स्थिति बन सकती है। उक्त लक्षण होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से परामर्श लेकर उचित उपचार लेना चाहिए। 

एडीज मच्छर डेंगू मरीज को काटने पर संक्रमित होकर अन्य स्वस्थ्य व्यक्तियों को काटकर डेंगू बीमारी का प्रसार करते हैं। इससे स्वस्थ्य व्यक्ति डेंगू से बीमार हो जाता है। डेंगू के लक्षण मिलने पर बगैर चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा विशेषकर दर्द निवारक दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। बुखार होने पर उम्र अनुसार उचित मात्रा में पैरासीटामोल की दवा ली जा सकती है। संभावित डेंगू के लक्षण पर झोलाछाप व अप्रशिक्षित तथा अवैध उपचार करने वालों से इलाज नहीं कराना चाहिए। इससे स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ सकती है। 

डेंगू होने पर डरने अथवा घबराने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अनावश्यक दवा व भ्रांतियों से बचना चाहिए। संभावित रोगी को तत्काल चिकित्सालय और स्वास्थ्य केन्द्र में अपनी जांच कराना जरूरी है, जिससे समय पर डेंगू संक्रमण की पहचान कर उपचार किया जा सके तथा प्रभावित क्षेत्र में नियंत्रण कार्यवाही भी हो सके।

घर व आसपास अनावश्यक पानी जमा नहीं होने दें

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी में सलाह दी गई है कि डेंगू के प्रसार को रोकने व बचाव के लिए अपने घर व आसपास अनावश्यक पानी जमा नहीं होने दें तथा खुली टंकियों को ढंककर रखें। अनावश्यक कबाड़ का सामान नष्ट कर दें और उनमें पानी इकट्ठा न होने दें। सप्ताह में एक बार आवश्यक रूप से टंकी, मटके व कूलर एवं अन्य जल पात्रों में भरा पानी बदलना चाहिए। अनुपयोगी जल पात्रों में भरा पानी नहीं बदल सकने की स्थिति में उनमें मिट्टी का तेल, खाने का तेल या गाड़ियों से निकला ऑयल डालने से मच्छर के लार्वा और प्यूपा नष्ट हो जाते हैं। जांच में डेंगू की पुष्टि होने पर मरीज को पूर्ण उपचार के साथ फलों का रस, नारियल पानी, दाल का पानी, ओआरएस का घोल तथा पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शीघ्र लाभ मिलता है। 

मच्छरों से बचाव के लिए पूरे बांह के कपड़े पहनने चाहिए। दिन में मॉस्कीटो रिपेलेंट और मच्छर रोधी क्रीम व अगरबत्ती का उपयोग करना चाहिए। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग भी करें। डेंगू से बचाव की जानकारी परिवारजनों व मित्रों एवं रिश्तेदारों व सोसायटी के साथ भी साझा करना चाहिए, जिससे समस्तजन स्वयं अपने घर तथा आसपास डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर की उत्पत्ति को रोकने में अपना सहयोग दे सकें। डेंगू की जानकारी व जनसहयोग से डेंगू के प्रसार को रोका जा सकता है।

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