Friday, February 28, 2025

कल्दा पठार में मिला दुर्लभ लेसर एडजुटेंट पक्षी

  •  प्राकृतिक जैवविविधता से भरपूर है यहाँ का जंगल 
  •  पिछले वर्ष मिला था दुर्लभ कीट भक्षी पौधा ड्रोसेरा 

कल्दा पठार के जंगल में मिला दुर्लभ पक्षी लेसर एडजुटेंट  ( फोटो - अजय चौरसिया )

पन्ना। हरी-भरी वादियों और खूबसूरत घने जंगलों से समृद्ध पन्ना जिले के कल्दा पठार का जंगल जैवविविधता के लिए भी जाना जाता है। दक्षिण वनमण्डल  पन्ना के अंतर्गत आने वाले कल्दा पठार के श्यामगिरि की वादियों में लेसर एडजुटेंट पक्षी देखा गया है। इस दुर्लभ पक्षी की तस्वीर दो दशक से प्रकृति संरक्षण का कार्य कर रहे अजय चौरसिया ने ली है और इस पक्षी के यहाँ होने की पुष्टि की है।

प्रकृति प्रेमी अजय चौरसिया ने बताया कि कल्दा पठार प्राकृतिक जैवविविधता से समृद्ध क्षेत्र है, जहां वनस्पति और वन्यजीवों की प्रचुरता देखी जाती है। यह क्षेत्र संरक्षण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और दुर्लभ प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित आवास साबित हो सकता है। लेसर एडजुटेंट सारस परिवार में एक विशाल दलदली पक्षी है, जो अक्सर बड़ी नदियों और झीलों में अच्छी तरह से वनाच्छादित क्षेत्रों में, कृषि क्षेत्रों में, मीठे पानी की आर्द्रभूमि में और तटीय आर्द्रभूमि में पाया जाता है। घटती आबादी के कारण इसे आई यू सी एन की रेड लिस्ट में "निकट संकटग्रस्त" श्रेणी में रखा गया है।

इस पक्षी की कल्दा पठार में उपस्थिति इस क्षेत्र की जैवविविधता की महत्ता को दर्शाती है। यहां के जंगलों ने एक ओर जहाँ वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियों को सहेज रखा है, वहीं पक्षियों की भी विभिन्न प्रजातियों के लिए भी एक आदर्श रहवास बना हुआ है। यहां पर तोता, मैना, हरियल, मोर, इंडियन गोल्डन ओरिओल, वुडपैकर, सर्पेन्ट ईगल, ग्रीन बी ईटर, के साथ ही जलीय पक्षियों में व्हिसलिंग डक, आइबिस, प्लोवर, पोंड हेरॉन, करमोरेंट, किंगफिशर, आदि पक्षियों को सहज ही देखा जा सकता है। 

गौरतलब है कि पिछले वर्ष इसी क्षेत्र में कीटभक्षी पौधा ड्रोसेरा की भी उपस्थिति दर्ज की गई थी। यह पौधा अपने पोषण के लिए छोटे कीटों का शिकार करता है और पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कल्दा पठार जैवविविधता के लिए उपयुक्त क्षेत्र है और इसके बेहतर संरक्षण हेतु विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे यहाँ की दुर्लभ जैवविविधता को सहेजा जा सके।

वनमण्डल अधिकारी अनुपम शर्मा ने कहा कि यह पक्षी भारत के पूर्वी राज्यों में पाया जाता है, पर इस पक्षी का कल्दा पठार के जंगलों में पाया जाना एक सुखद समाचार है। इसके लिए उन्होंने पर्यावरणप्रेमी अजय चौरसिया, वनकर्मियों और समस्त पन्नावासियों को बधाई दी हैं।

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