- मूलभूत सुबिधाओं से वंचित इस गांव तक आजादी के 78 सालों बाद भी नहीं बनी सड़क
- महिलाओं ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर शीघ्र सड़क निर्माण हेतु एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
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ककरहाई गांव की आदिवासी महिलाएं सड़क निर्माण हेतु एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए। |
पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में ऐसे ग्रामों की संख्या दर्जनों में है, जहाँ पहुंचना आसान नहीं है। बुनियादी और मूलभूत सुबिधाओं से वंचित इन ग्रामों के लोगों की की जिंदगी मुश्किलों से भरी होती है। गांव में यदि कोई बीमार पड जाता है तो उसे तुरंत प्राथमिक चिकित्सा सुबिधा भी नहीं मिल पाती, क्योंकि सड़क मार्ग के आभाव में वाहनों का आवागमन संभव नहीं हो पाता। यहाँ तक कि 108 एंबुलेंस व डायल हंड्रेड जैसी इमरजेंसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। समस्याओं से ग्रसित इन ग्रामों में आदिवासी बहुल गांव ककरहाई भी है, जहाँ आजादी के 78 सालों बाद भी सड़क नहीं बन पाई। खेतों की पगडंडियों से होकर ग्रामीण आने-जाने को मजबूर हैं।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जनपद की ग्राम पंचायत इटवांखास के अंतर्गत आने वाले ककरहाई गांव के आदिवासियों की जिन्दगी मुसीबतों और कठिनाईयों से भरी हुई है। इनकी सुध न तो अधिकारी लेते हैं और न ही जनप्रतिनिधि, फलस्वरूप ये आज भी बुनियादी और मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। दशकों से मुसीबतें झेल रही ककरहाई गांव की महिलाओं ने आज कलेक्ट्रेट पहुंचकर धरना प्रदर्शन किया तथा सड़क निर्माण की मांग के संबंध में आवेदन सौंपा है। जयस नारी शक्ति जिला अध्यक्ष रामबाई के नेतृत्व में लगभग आधा सैकड़ा आदिवासी महिलाओं के द्वारा सौंपे गए ज्ञापन को एसडीएम ने लिया और गांव तक शीघ्र सड़क निर्माण करवाने का आश्वासन दिया है।
ज्ञातब्य हो कि पन्ना जिले के कई आदिवासी बाहुल्य गांव आजादी के 78 सालों बाद भी सड़क, बिजली और पेयजल जैसी सुविधाओं को मोहताज हैं। ऐसा ही मामला पन्ना विधानसभा के ग्राम पंचायत इटवांखास अंतर्गत ग्राम ककरहाई का सामने आया है। इस छोटे से आदिवासी बहुल बस्ती में लगभग एक सैकड़ा घर हैं, जहाँ रहने वाले आदिवासियों के आवागमन हेतु कोई रास्ता नहीं है। यहां के लोग खेतों की पगडंडियो से आवागमन करते हैं। बरसात में आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता है, बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, बीमार लोग अस्पताल नहीं पहुँच पाते। यहाँ तक कि 108 एंबुलेंस व डायल हंड्रेड वाहन भी नहीं पहुंच पाने से घायल या बीमार व्यक्ति को चारपाई पर लेकर जाना पड़ता है।
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