0 संरक्षण के लिए हुआ बेहतर काम व वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ी
0 पर्यटन से शासन को मिला 7 करोड़ रु. से अधिक रिकार्ड राजस्व
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की का तबादला महज डेढ़ साल में ही भोपाल के लिए कर दिया गया है, जो इन दिनों चर्चा में है। एक तेज तर्राट और ईमानदार महिला वन अधिकारी जो वन्य प्राणी संरक्षण की दिशा में अच्छा काम कर रही थी, उनका अचानक इस तरह तबादला होना, कई सवाल खड़ा करता है। आखिर अल्प समय (18 माह) में ही इस महिला ऑफिसर का तबादला क्यों और किन परिस्थितियों में हुआ, इस पर विचार किया जाना जरूरी है।
यह महिला वन अधिकारी संरक्षण के लिए बेहतर काम कर रही थीं। इनके कार्यकाल में वन अधिकारियों व मैदानी कर्मचारियों में अपने दायित्वों के प्रति जवाबदेही व टीमवर्क की भावना जहां मजबूत हुई, वहीं पन्ना टाइगर रिजर्व में वन एवं वन्य प्राणियों की संख्या में भी अपेक्षानुरूप वृद्धि हुई है। इस दौरान यहां पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हुआ, नतीजतन शासन को 7 करोड़ रुपए से भी अधिक राजस्व प्राप्त हुआ जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पन्ना टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों को अमूमन प्रतिदिन बाघों व अन्य वन्य प्राणियों का दीदार हुआ। जिससे न केवल देश में अपितु विदेशी पर्यटकों में भी पीटीआर के प्रति आकर्षण बढ़ा है।
इनके स्थानांतरण की असल वजह क्या है ? यह तो नहीं मालूम, लेकिन एक वजह वन्य प्राणियों की मौत को भी बताया जा रहा है। यहां यह लेख करना जरूरी है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में जब वन्य प्राणियों की संख्या बढी है, तो उसी अनुपात में उम्र दराज वन्य जीवों की स्वाभाविक मौत भी होगी। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यदि संरक्षण की कमी व प्रबंधन की लापरवाही से शिकार की घटनाएं हों तो यह एक बड़ी वजह स्थानांतरण की हो सकती है। लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ जैसे वन्य प्राणियों के शिकार के कोई बड़े मामले नहीं आए जबकि अन्य टाइगर रिजर्व में इस तरह की घटना प्रकाश में आती रही हैं।
गौरतलब है कि क्षेत्र संचालक श्रीमती अंजना सुचिता तिर्की का तबादला पन्ना से भोपाल के लिए कर तो दिया गया है, लेकिन अभी तक उनकी जगह किसी अन्य क्षेत्र संचालक की नियुक्ति नहीं हुई। श्रीमती तिर्की भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून से प्रशिक्षित हैं तथा उन्हें वाइल्डलाइफ में काम करने का अच्छा अनुभव भी है। इसलिए इनका स्थानांतरण करने से पहले पन्ना टाइगर रिजर्व में किसी योग्य व वाइल्डलाइफ में काम करने का अच्छा अनुभव रखने वाले वन अधिकारी की पदस्थापना बतौर क्षेत्र संचालक किया जाना बेहद जरूरी है।
यह न भूलना चाहिए कि पन्ना टाइगर रिजर्व वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो गया था और मौजूदा समय यह टाइगर रिजर्व अपने शिखर पर है। इस स्थिति को कायम रखने के लिए संरक्षण के साथ-साथ सक्षम और बेहतर प्रबंधन की दरकार है। यदि ऐसा नहीं होता तो पन्ना टाइगर रिजर्व में वन एवं वन्य प्राणियों को नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी। इस बात को भी ध्यान में रखना जरूरी है कि शून्य से शिखर तक का सफर पन्ना टाइगर रिजर्व ने जो तय किया है, उस तरह का चमत्कारिक प्रयोग बार-बार संभव नहीं है। प्रकृति भी सिर्फ एक बार संभलने और संवरने का मौका देती है। यदि नहीं चेते तो फिर प्रकृति का दूसरा रूप भी दिखाई देने लगता है, जो निश्चित ही भयावह होता है।
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निस्वार्थ व निड़र पत्रकारिता का मिसाल अरुण सिंग जी। यह लेख केलिए आप को धन्यवाद। अंजाम मैडम की तबादला असामयिक व अनुचित हैं।
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