Saturday, February 10, 2024

यदि जल्दी नहीं चेते तो सूर्य की गर्मी से झुलसने लगेगी यह धरती !

  • जलवायु परिवर्तन से उपजे वैश्विक खतरे को अनदेखा करना खतरनाक
  • यदि ग्लेशियर पूरी तरह पिघल गए तो डूब जायेंगे समुद्र किनारे के नगर 

दिनोंदिन विकराल होता जा रहा जलवायु परिवर्तन का खतरा।  ( फोटो इंटरनेट से साभार )

जलवायु परिवर्तन (Climate change) का खतरा दिनोंदिन विकराल रूप लेता जा रहा है। इस वैश्विक खतरे की ओर दुनिया भर के बुद्धजीवी व पर्यावरणविद वर्षों से निरंतर चेता रहे हैं। फिर भी हम दस्तक दे रहे इस विनाशकारी खतरे को अभी भी अनदेखा किये जा रहे हैं। यदि इस भयानक होती जा रही समस्या पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी खतरों से जूझना पड़ेगा। और तब बहुत देर हो चुकी होगी। इस वैश्विक संकट पर केंद्रित अनिल सरस्वती का आलेख ओशो टाइम्स में प्रकाशित हुआ है, जो आने वाली भीषण तबाही के प्रति सचेत करता है।  

 इस समय धरती पर लगभग एक अरब 50 करोड़ यातायात के वाहन दौड़ रहे हैं। अरबों टन कोयला जल रहा है, पेट्रोल और डीजल के अनगिनत बैरल फूंके जा रहे हैं ताकि जिसे हम विकास कहते हैं उसकी रफ्तार तेजी से चलती रहे, और दूर उत्तरी ध्रुव में आर्कटिक पर जमी हिम और बर्फ की मोटी परत तेजी से पिघल रही है। पहले यह अनुमान था कि यदि पृथ्वी के बढ़ते हुए तापमान को नहीं रोका गया तो वर्ष 2040 तक आर्कटिक पूरी तरह बर्फ से मुक्त हो जाएगा लेकिन अब एक नई रिपोर्ट के अनुसार हमारे सारे प्रयासों के बावजूद वर्ष 2030 की वह पहले गर्मी होगी जब आर्कटिक पर बर्फ ही नहीं होगी। यह कोई साधारण घटना नहीं है, हम सबका जीवन इससे जुड़ा है।

आर्कटिक और अंटार्कटिक इस पृथ्वी के रेफ्रिजरेटर हैं और पूरे विश्व को शीतल रखते हैं। क्योंकि वह शुभ्र श्वेत हिम और बर्फ से ढके हैं, इसलिए सूरज का प्रकाश और गर्मी इनसे टकराकर अंतरिक्ष में वापस लौट जाते हैं। धरती के बहुत से इलाके ऐसे हैं जो सूर्य की गर्मी को सोख लेते हैं। आर्कटिक और अंटार्कटिक अपनी सर्दी से उन गर्म प्रदेशों द्वारा सोख ली गई गर्मी के साथ एक संतुलन बनाने का काम करते हैं, अन्यथा हमारी यह धरती सूर्य की गर्मी से झुलसने लगेगी।

 पिछले कुछ दशकों से हर दशक में आर्कटिक सागर की बर्फ 13% पिघल रही है और आज अपने मौलिक स्वरूप से यह बर्फ अविश्वसनीय 95% कम हो चुकी है। जल्द ही हमें इसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिलेंगे। वर्ष 1900 से लेकर आज तक हमारे समुद्रों का स्तर 7 से 8 इंच बढ़ चुका है और स्थिति बिगड़ती जा रही है। बढ़ते हुए सागर तलों से इनके किनारे बसे महानगरों का जीवन खतरे में है। ध्रुवीय ग्लेशियरों का पिघलना इसका मुख्य कारण है। अगर यह ग्लेशियर पूरी तरह पिघल जाते हैं तो पूरे विश्व के समुद्रों का तल 20 फीट ऊंचा हो जाएगा। इसका अर्थ होगा उनके किनारे बसे सारे नगर पानी के अंदर होंगे और करोड़ों करोड़ों लोगों का जीवन खतरे में होगा। एक अभूतपूर्व भगदड़ मचेगी, मनुष्य और जीव जंतु सुरक्षित स्थानों की तलाश में पलायन करने लगेंगे। हमारी जलवायु पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाएगी, भयंकर गर्म हवाएं चलने लगेंगी।

अंतरराष्ट्रीय संधियों के अनुसार इस धरती को कार्बन से मुक्त करने का लक्ष्य वर्ष 2030 रखा गया है, लेकिन भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों को इसके लिए कुछ और समय चाहिए जो इस धरती के पास है ही नहीं। हमें चाहिए अधिक और अधिक विकास, बड़ी-बड़ी गाड़ियां हवाई जहाज से यात्राएं, हमारी कभी ना पूरी होने वाली इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्रदूषण फैलाते कारखाने। स्वीडन और नार्वे जैसे देश इस स्थिति को सुधारने के लिए काफी कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह सब व्यर्थ है अगर शेष विश्व उनका साथ नहीं देता। संभवतया पहले ही काफी देर हो चुकी है।

साईकिल यात्रा के जरिए दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश



दुनिया भर में अनेकों लोग इस गंभीर संकट के प्रति न सिर्फ सजग हैं बल्कि दूसरों को भी सजग करने के प्रयास में जुटे हैं। वे इसे अनदेखा कर हाँथ पर हाँथ रखकर नहीं बैठे अपितु अपने दायित्यों का निर्वहन कर रहे हैं जो शुभ संकेत है। ग्रीन इंडिया मूवमेंट के तहत पर्यावरण संरक्षण व जनजागरण अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के इटावा निवासी रोबिन सिंह साईकिल से भारत भ्रमण कर रहे हैं। साईकिल यात्रा के दौरान रोबिन सिंह शुक्रवार को सतना से साईकिल चलाकर पन्ना पहुंचे। 

उन्होंने बताया कि देश में घटते वन क्षेत्र के संरक्षण, पुनर्वीकरण वन क्षेत्रों में वृद्धि तथा जलवायु परिवर्तन के वैश्विक खतरे को देखते हुए जनजागरण अभियान अकेले साईकिल द्वारा संपूर्ण भारत वर्ष में शुरू करने का निर्णय लिया। अब तक 491 दिन में यात्रा 23 राज्यों में भ्रमण कर चुकी है। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुए ग्रीन इंडिया मूवमेंट-पर्यावरण संरक्षण जनजागरूकता अभियान के प्रथम चरण का समापन आगामी 11 मार्च को भोपाल में होगा। रोबिन सिंह ने बताया कि यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर विशेषकर युवाओं व छात्रों के साथ पर्यावरण संरक्षण विषय पर संवाद भी करते हैं। उन्होंने संवेदनशील होकर पर्यावरण के संरक्षण के प्रयास में शामिल होने की आवश्यकता बताई।

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