Thursday, August 7, 2025

पन्ना में पहली बार बलराम जयंती पर आयोजित होगा सांस्कृतिक कार्यक्रम

  • पूर्व वर्ष की भांति श्री कृष्ण पर्व का भी होगा आयोजन 
  • जनआस्था और श्रद्धा के केंद्र हैं पन्ना के ये दोनों मंदिर 

पन्ना शहर में स्थित सुप्रसिद्ध बलदाऊ जी मंदिर.

पन्ना। भव्य प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में स्थित सुप्रसिद्ध बलदाऊ जी मंदिर में इस वर्ष पहली बार बलराम जयंती के अवसर पर 14 अगस्त को मंदिर परिसर पन्ना में संस्कृति विभाग द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 16 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व पर श्री जुगल किशोर मंदिर प्रागण पन्ना में पूर्व वर्ष की भांति श्री कृष्ण पर्व का आयोजन भी किया जाएगा। इस मौके पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में आमंत्रित कलाकारों द्वारा आकर्षक प्रस्तुतियां दी जाएंगी। 

कार्यक्रम के सम्बन्ध में मिली जानकारी के अनुसार श्री बल्देव जी के जन्मोत्सव हरछठ पर्व पर छतरपुर की कलाकार कमला लोधी भक्ति गायन, सीधी के कलाकार लाल बहादुर घासी द्वारा घसिया बाजा एवं स्वप्निल मैलोडी ग्रुप जबलपुर बैंड के कलाकारों द्वारा भक्ति गायन प्रस्तुत किया जाएगा। इस क्रम में जन्माष्टमी पर आयोजित श्री कृष्ण पर्व पर सागर के अमित घारू बधाई एवं बरेदी लोकनृत्य तथा टीकमगढ़ के पवन तिवारी द्वारा भक्ति गायन प्रस्तुत किया जाएगा। कलेक्टर सुरेश कुमार ने उक्त दोनों कार्यक्रमों के सफल आयोजन के लिए अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी अशोक चतुर्वेदी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, जबकि पुलिस अधीक्षक सहित अनुविभागीय दण्डाधिकारी पन्ना, तहसीलदार पन्ना, मनरेगा के परियोजना अधिकारी, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी एवं यातायात थाना प्रभारी को भी आवश्यक व्यवस्थाओं का दायित्व सौंपा गया है। 

उल्लेखनीय है कि पवित्र नगरी पन्ना में स्थिति श्री बल्देव जी मन्दिर का निर्माण तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा रूद्रप्रताप सिंह ने लगभग 149 वर्ष पूर्व सन् 1876 में करवाया था। यह मन्दिर पूर्व और पश्चिम की स्थापत्य कला का अनूठा संगम है। इस मन्दिर की स्थापत्य कला और अनुपम सौन्दर्य को निहारकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण की सोलह कलाओं के प्रतीक मन्दिर निर्माण में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं। मन्दिर में प्रवेश हेतु 16 सोपान सीढ़ी, 16 झरोखे, 16 लघु गुम्बद व 16 स्तम्भ पर विशाल मण्डप है। मन्दिर का शिखर स्वर्ण कलश से सुशोभित है। महाराजा रूद्रप्रताप सिंह को कृषि से अत्यधिक लगाव था, इसलिये उन्होंने हलधर भगवान श्री बल्देव जी की नयनाभिराम कृष्णवर्णी प्रतिमा मन्दिर के गर्भग्रह में प्रतिष्ठित कराई थी। यह अनूठा मन्दिर राज्य की पुरातात्विक धरोहर में शामिल किया गया है।

पन्ना विधायक के प्रयास से हरछठ एवं जन्माष्टमी पर्व राज्य सूची में शामिल


पन्ना विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह के सार्थक प्रयासों की बदौलत संस्कृति एवं पर्यटन विभाग द्वारा पन्ना के हरछठ एवं जन्माष्टमी महोत्सव को मध्यप्रदेश की राज्य सूची में शामिल किया गया है। अब आगामी 14 अगस्त को बलराम जयंती पर भगवान बल्दाऊ के जन्म दिवस और 16 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। विगत 29 मई को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पन्ना नगर आगमन पर स्थानीय विधायक द्वारा परंपरागत भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एवं हरछठ पर्व को संस्कृति विभाग के कैलेण्डर में शामिल करने की मांग की गई थी। इसके फलस्वरूप अब संस्कृति विभाग द्वारा गरिमामय एवं उल्लासपूर्वक आयोजन का निर्णय लिया गया है। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। आमजनों ने भी पन्ना विधायक के इस प्रयास की सराहना की है।

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Saturday, August 2, 2025

महज डेढ़ साल में ही क्षेत्र संचालक का क्यों हुआ तबादला ?

0 संरक्षण के लिए हुआ बेहतर काम व वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ी
0 पर्यटन से शासन को मिला 7 करोड़ रु. से अधिक रिकार्ड राजस्व


।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की का तबादला महज डेढ़ साल में ही भोपाल के लिए कर दिया गया है, जो इन दिनों चर्चा में है। एक तेज तर्राट और ईमानदार महिला वन अधिकारी जो वन्य प्राणी संरक्षण की दिशा में अच्छा काम कर रही थी, उनका अचानक इस तरह तबादला होना, कई सवाल खड़ा करता है। आखिर अल्प समय (18 माह) में ही इस महिला ऑफिसर का तबादला क्यों और किन परिस्थितियों में हुआ, इस पर विचार किया जाना जरूरी है।

यह महिला वन अधिकारी संरक्षण के लिए बेहतर काम कर रही थीं। इनके कार्यकाल में वन अधिकारियों व मैदानी कर्मचारियों में अपने दायित्वों के प्रति जवाबदेही व टीमवर्क की भावना जहां मजबूत हुई, वहीं पन्ना टाइगर रिजर्व में वन एवं वन्य प्राणियों की संख्या में भी अपेक्षानुरूप वृद्धि हुई है। इस दौरान यहां पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हुआ, नतीजतन शासन को 7 करोड़ रुपए से भी अधिक राजस्व प्राप्त हुआ जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पन्ना टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों को अमूमन प्रतिदिन बाघों व अन्य वन्य प्राणियों का दीदार हुआ। जिससे न केवल देश में अपितु विदेशी पर्यटकों में भी पीटीआर के प्रति आकर्षण बढ़ा है।

इनके स्थानांतरण की असल वजह क्या है ? यह तो नहीं मालूम, लेकिन एक वजह वन्य प्राणियों की मौत को भी बताया जा रहा है। यहां यह लेख करना जरूरी है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में जब वन्य प्राणियों की संख्या बढी है, तो उसी अनुपात में उम्र दराज वन्य जीवों की स्वाभाविक मौत भी होगी। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यदि संरक्षण की कमी व प्रबंधन की लापरवाही से शिकार की घटनाएं हों तो यह एक बड़ी वजह स्थानांतरण की हो सकती है। लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ जैसे वन्य प्राणियों के शिकार के कोई बड़े मामले नहीं आए जबकि अन्य टाइगर रिजर्व में इस तरह की घटना प्रकाश में आती रही हैं।

गौरतलब है कि क्षेत्र संचालक श्रीमती अंजना सुचिता तिर्की का तबादला पन्ना से भोपाल के लिए कर तो दिया गया है, लेकिन अभी तक उनकी जगह किसी अन्य क्षेत्र संचालक की नियुक्ति नहीं हुई। श्रीमती तिर्की भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून से प्रशिक्षित हैं तथा उन्हें वाइल्डलाइफ में काम करने का अच्छा अनुभव भी है। इसलिए इनका स्थानांतरण करने से पहले पन्ना टाइगर रिजर्व में किसी योग्य व वाइल्डलाइफ में काम करने का अच्छा अनुभव रखने वाले वन अधिकारी की पदस्थापना बतौर क्षेत्र संचालक किया जाना बेहद जरूरी है।


यह न भूलना चाहिए कि पन्ना टाइगर रिजर्व वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो गया था और मौजूदा समय यह टाइगर रिजर्व अपने शिखर पर है। इस स्थिति को कायम रखने के लिए संरक्षण के साथ-साथ सक्षम और बेहतर प्रबंधन की दरकार है। यदि ऐसा नहीं होता तो पन्ना टाइगर रिजर्व में वन एवं वन्य प्राणियों को नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी। इस बात को भी ध्यान में रखना जरूरी है कि शून्य से शिखर तक का सफर पन्ना टाइगर रिजर्व ने जो तय किया है, उस तरह का चमत्कारिक प्रयोग बार-बार संभव नहीं है। प्रकृति भी सिर्फ एक बार संभलने और संवरने का मौका देती है। यदि नहीं चेते तो फिर प्रकृति का दूसरा रूप भी दिखाई देने लगता है, जो निश्चित ही भयावह होता है।

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