Tuesday, December 31, 2024

नया साल मनाने के दौरान हुड़दंग करने एवं शराब के नशे मे वाहन चलाने वालों पर होगी कार्यवाही

  • नव वर्ष 2025 के उपलक्ष्य मे पार्टी करने और जश्न मनाने एवं पन्ना जिले में घूमने आने वाले पर्यटको की सुरक्षा की दृष्टि से सभी प्रमुख स्थलों पर पुलिस बल की तैनाती की जा रही है। इस बावत पन्ना पुलिस द्वारा एडवायजरी जारी की गई है। 

मंदिरों के शहर पन्ना स्थित श्री बल्देव जी का भव्य मंदिर। 

पन्ना। नव वर्ष 2025 के उपलक्ष्य मे 31 दिसम्बर एवं 01 जनवरी को पन्ना जिले में घूमने आने वाले पर्यटकों एवं आमजनों को किसी तरह की असुविधा व परेशानी न हो, इस बावत सभी प्रमुख स्थलों पर पुलिस बल की तैनाती की जा रही है। जिले में नव वर्ष के जश्न के दौरान शांति व सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस अधीक्षक पन्ना साईं कृष्ण एस. थोटा द्वारा पुलिस बल को और अधिक मुस्तैद रहने एवं शराब के नशे मे वाहन चलाने, ओव्हर स्पीडिंग करने वाले लोगों पर शख्त वाहन चैकिंग कर कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया है।

पुलिस का उद्देश्य है कि लोगों को सेलिब्रेशन में कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े एवं सुगम यातायात व्यवस्था में नव वर्ष पर पसंदीदा स्थलों पर घूम सकें। पुलिस अधीक्षक पन्ना द्वारा इस हेतु एडवाइजरी जारी की गई है, उन्होंने सभी से अपील की है कि एडवाइजरी का पालन कर पुलिस का सहयोग करें।

पन्ना मंदिरो की नगरी है एवं जिले मे विभिन्न पर्यटक स्थल मौजूद है जहां नववर्ष के अवसर पर अधिक मात्रा में पर्यटक आते हैं, जिनकी सुरक्षा एवं सुगम यातायात हेतु पुलिस बल की तैनात की गई है। ड्रंक & ड्राइव और रश ड्राइविंग पर जगह-जगह वाहन चैकिंग लगाकर नजर रखी जाएगी साथ ही सीसीटीवी कंट्रोल रूम एवं इंटरसेप्टर के माध्यम से ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। सभी थानों एवं चौकी का पुलिस बल सड़कों पर उपस्थित रहकर व्यवस्था संभालेगा, साथ ही चैकिंग भी की जाएगी।


31 दिसंबर की रात्रि में होटलों, ढाबों, मॉडल शॉप, क्लब समेत अन्य मनोरंजन गृहों के बाहर पुलिस दस्ते मुस्तैद रहेंगें, क्षेत्र में मोबाइल पुलिस टीम भ्रमण पर रहेगी, आपत्तिजनक सामग्री मिलने पर शीघ्र कार्यवाही होगी। ध्वनि प्रदूषक/विस्तारक यंत्रों का प्रयोग ना करें, निर्धारित डेसिबल से अधिक तेज ध्वनि करने पर कार्यवाही की जाएगी। पुलिस ने भीड़-भाड़ वाले स्थानों, बाजारों, हाटों पर विशेष सतर्कता के लिए आम लोगों से अपील की है।

ट्रैफिक कर्मी की 10 टीमे मोटर साइकिलों पर पेट्रोलिंग करेंगी एवं पुलिस नशा करने वालों की ब्रेथ एनालाइजर से जांच करेगी। शराब पीकर वाहन चलाने वाले लोगों पर कार्यवाही भी की जाएगी। सड़क दुर्घटना रोकने हेतु य़ातायात नियमो जैसे शीटवेल्ट धारण न करने, हेलमेट न लगाने, निर्धारिति क्षमता से अधिक सवारियों को लाने-ले जाने वालों पर भी कार्यवाही की जाएगी

रात्रि में अनावश्यक घूमते पाए जाने वाले लोगों एवं नियमों का उल्लंघन करने वालों पर की जाएगी सख्त से सख्त कार्यवाही। अपराधिक गतिविधियों एवं शिकायत संबंधी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर 7049101043 पर, डायल-100 या संबंधित नजदीकी पुलिस थाने में देवें।

00000 

Monday, December 30, 2024

प्राकृतिक मनोरम स्थलों में नये साल का जश्न मनाने की हो रही तैयारी

  • पर्यटन गांव मड़ला में देशी और विदेशी पर्यटकों का हो रहा जमावड़ा 
  • वन्य प्राणी बाहुल्य क्षेत्र में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग प्रतिबंधित

पन्ना टाइगर रिज़र्व के जंगल में वनराज का दीदार करते पर्यटक ( फ़ाइल फोटो ) 

पन्ना। मंदिरों के शहर पन्ना सहित आस-पास स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थलों में नये साल का जश्न बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल भी ज्यादातर लोगों ने प्रकृति के सानिध्य में रहकर नये वर्ष का जश्न अनूठे अंदाज में मनाने की तैयारी की है। जिले के पर्यटन गांव मड़ला में तो देशी व विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा हो रहा है। यहां  के पर्यटन विकास निगम के होटल जंगल कैम्प सहित अन्य सभी रिसोर्ट पर्यटकों से फुल हो चुके हैं। कोलाहल से दूर प्रकृति के बीच नए साल का जश्न मनाने की लोगों में बढ़ती अभिरुचि को देखते हुए प्रशासन ने गाइड लाइन जारी की है। 

कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट सुरेश कुमार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 अंतर्गत आदेश जारी कर पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एवं बफर जोन तथा चिन्हित ईको सेंसेटिव जोन के अतिसंवेदनशील वन्य प्राणी बाहुल्य क्षेत्र तथा इनकी सीमा के समीप तीव्र ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। प्रतिबंधात्मक आदेश 30 दिसम्बर 2024 की रात्रि 8 बजे से 5 जनवरी 2025 की शाम 5 बजे तक प्रभावशील रहेगा, जिसके तहत निर्धारित क्षेत्र में वैवाहिक कार्यक्रम, जुलूस, रैली, धरना प्रदर्शन, खेल प्रतियोगिता, पटाखे, पार्टी, टी.वी., एलसीडी या चलित वाहन आदि में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा। 

इसके अलावा प्रतिबंधित अवधि में उक्त क्षेत्र में सड़क, जंगल एवं नदी के समीप किसी भी प्रकार की अनाधिकृत गतिविधि, उपद्रव, पार्टी, शराब पीकर गाड़ी चलाने, दस से अधिक व्यक्तियों का जमावड़ा पाए जाने या किसी भी प्रकार की गतिविधि, जिससे आमजन एवं सैलानियों को असुविधा अथवा समस्या उत्पन्न हो या वन्य प्राणियों के दैनिक क्रियाकलाप पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। साथ ही किसी भी प्रकार से कानून एवं शांति व्यवस्था को बाधित पाए जाने पर संबंधित के विरूद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि नव वर्ष पर वन्य प्राणी क्षेत्र के समीप स्थित होटल, लॉज एवं रिसोर्ट में नव वर्ष का पर्व मनाए जाने तथा इस दौरान कानून व शांति व्यवस्था एवं लोक सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार के व्यवधान की रोकथाम के दृष्टिगत उक्त आदेश जारी किया गया है।

00000 

Friday, December 27, 2024

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिवस का राष्ट्रीय शोक


पन्ना। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में गुरुवार 26 दिसंबर को निधन हो गया। वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। पूर्व पीएम के निधन के संबंध में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने एक प्रेस रिलीज जारी की, जिसमें बताया गया, ''अत्यंत दुःख के साथ हम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के 92 वर्ष की आयु में निधन की सूचना देते हैं। उनकी आयु-संबंधी चिकित्सा स्थितियों का उपचार किया जा रहा था और 26 दिसंबर 2024 को घर पर ही उन्हें अचानक बेहोशी आ गई। घर पर तुरन्त उन्हें बचाने के उपाय शुरू किए गए। 

उन्हें रात 8:06 बजे नई दिल्ली के एम्स के मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पूर्व पीएम के निधन पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर देश के कई बड़े नेताओं और हस्तियों ने दुख व्यक्त किया है। भारत सरकार ने आज (27 दिसंबर) के लिए निर्धारित सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और 7 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। 

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिवस का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। इस दौरान 26 दिसम्बर से 1 जनवरी तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। शासकीय रूप से सांस्कृतिक एवं मनोरंजन कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होगा। इसके अलावा शासकीय मंचीय कार्यक्रम, स्वागत, भाषण, अतिथियों के माध्यम से हितलाभ वितरण इत्यादि के समारोह भी नहीं होंगे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार शिविर इत्यादि का आयोजन किया जा सकेगा।

00000

Thursday, December 26, 2024

बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ और सहभक्षी वन्य-प्राणियों की गणना

  • 1278 कैमरों की मदद से 800 से अधिक कर्मचारी कर रहे गणना
  • गणना में बाघ, तेंदुआ और पक्षियों के मूवमेंट की होगी जानकारी 


मध्यप्रदेश में उमरिया जिले के बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में फेस-44 की गणना की जा रही है। इसमें टाइगर रिजर्व के 9 परिक्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाये गये हैं। गणना के बाद आँकड़ों को एकत्रित कर वाइल्ड-लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून भेजा जायेगा। टाइगर रिजर्व में फेस-44 की गणना प्रतिवर्ष की जाती है। 

टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में चिन्हित स्थानों में ट्रैप कैमरे लगाये गये हैं। यह कैमरे 25 दिन के लिये लगाये जाते हैं। इन कैमरों में एकत्रित फोटो का मिलान किया जाता है और इससे नये वन्य-प्राणियों की पहचान की जाती है। गणना में बाघ, तेंदुआ और पक्षियों के मूवमेंट, टेरिटरी की भी जानकारी प्राप्त हो जाती है।

बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गणना के लिये 2 ब्लॉक बनाये गये हैं। एक ब्लॉक में 4 परिक्षेत्र और दूसरे ब्लॉक में 5 परिक्षेत्र हैं। दोनों ब्लॉकों के लिये नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये गये हैं, जो पूरी गणना और गणना में लगे कर्मचारी का सहयोग करेंगे। ट्रैप कैमरे का डाटा बीटीआर के टाइगर सेल तक पहुँचाया जायेगा।

1200 से अधिक कैमरे 640 स्थानों पर लगाये गये

टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ और सहभक्षी वन्य-प्राणियों की गणना के लिये 9 परिक्षेत्रों में 640 स्थानों पर 1200 से अधिक ट्रैप कैमरे लगाये गये हैं। इनकी सुरक्षा के लिये भी स्टॉफ को नियुक्त किया गया है। ट्रैप कैमरों में सेंसर लगा होता है। कैमरों को जंगल में चिन्हित स्थानों पर आमने-सामने लगाया गया है। कैमरों के सामने से वन्य-प्राणी के निकलते ही, कैमरों को मूवमेंट मिलते ही फोटो क्लिक कर लेता है। 

वन्य-प्राणियों की गणना का उद्देश्य वन्य-प्राणियों के संभावित आँकड़े प्राप्त होने से बाघ, तेंदुआ के संरक्षण को लेकर योजना बनाने में सहयोग मिलता है। बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगभग 165 से अधिक बाघ और 130 से अधिक तेंदुआ हैं।

00000 


Tuesday, December 24, 2024

25 दिसम्बर और पीटीआर को आबाद करने वाला बाघ टी-3

  •  प्रधानमंत्री इसी दिन कर रहे केन-बेतवा लिंक परियोजना का भूमिपूजन
  •  इस अजब गज़ब संयोग को आखिर किस रूप में याद करेंगे पन्नावासी

बाघ विहीन पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद करने वाला बाघ टी-3  ( फोटो- विक्रम सिंह परिहार )

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। देश की बहुचर्चित व केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना एक बार फिर चर्चा में है। शुरूआती दौर से ही विवादों के घेरे में रही इस परियोजना को लेकर इन दिनों व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, सांसद व विधायक सभी परियोजना के गुणगान में जुटे हुए हैं, प्रशासनिक अमला भी गांव-गांव अभियान चलाकर इस परियोजना के लाभों को बता रहा है। लेकिन नेताओं और अधिकारियों के बड़े - बड़े दावों के बावजूद लोग सशंकित हैं। क्योंकि अतीत के अनुभव ( जेके सीमेन्ट प्लांट ) बेहद कडुवे साबित हुए हैं।

 विशेष गौरतलब बात यह है कि इस बहुप्रतीक्षित और विवादित केन-बेतवा लिंक परियोजना का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 25 दिसम्बर को खजुराहो में करने जा रहे हैं। यह तिथि 25 दिसम्बर कई मामले में महत्वपूर्ण है। भाजपा के शीर्ष पुरुष व पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेयी जी का जहाँ जन्म दिवस है, वहीं पन्ना टाइगर रिज़र्व को आबाद करने वाले बाघ टी-3 की स्मृतियाँ भी इस तिथि से जुडी हुई हैं। इस अजब गज़ब संयोग को पन्नावासी किस रूप में याद रखेंगे, यह आने वाला वक्त बतायेगा।  

भोपाल एअरपोर्ट में भी प्रचार 

जहाँ तक बाघ टी-3 की इस तिथि से कनेक्शन की बात है तो वह कुछ इस प्रकार है। पन्ना के जंगलों से बाघों की उजड़ चुकी दुनिया को फिर से आबाद करने के लिए 7 नवम्बर 2009 को पेंच टाइगर रिजर्व से नर बाघ टी-3 को यहां लाया गया था। इस नर बाघ को बाड़े में कुछ दिन रखने के बाद 13 नवम्बर को खुले जंगल में स्वच्छन्द विचरण के लिए छोंड़ दिया गया। मालुम हो कि बाघ टी-3 को पन्ना लाये जाने से पूर्व कान्हा व बांधवगढ़ से दो बाघिनों को  पन्ना में 3 और 6 मार्च को लाया जाकर टाइगर रिजर्व के जंगल में छोंड़ दिया गया था ताकि नर बाघ के संपर्क में आकर दोनों बाघिन वंशवृद्धि कर सकें। लेकिन नर बाघ की मुलाकात इन बाघिनों से नहीं हो सकी और 27 नवम्बर को पेंच का यह बाघ पन्ना से अपने घर पेंच की तरफ कूच कर गया। पूरे 30 दिनों तक यह बाघ कड़ाके की ठंड में अनवरत यात्रा करते हुए 442 किमी. की दूरी तय कर डाली, जिसे अथक प्रयासों व जन सहयोग से 25 दिसम्बर को पकड़ा जा सका।

पन्ना टाइगर रिजर्व के तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति के मुताबिक टी - 3 पेंच से लाया गया वह नर बाघ है जो एक तरह से पुन: स्थापित बाघों के कुनबा का पिता है। बाघ टी-3 के 30 दिनों की यात्रा का स्मरण करते हुए श्री मूर्ति बताते हैं कि ये दिन हमारे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण व महत्व के थे, क्योंकि इसी नर बाघ पर पन्ना बाघ पुर्नस्थापना योजना का भविष्य टिका हुआ था। इन 30 दिनों में टी-3 ने बाघ आवास व उनके जीवन के बारे में पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम व पूरे देश को इतना ज्ञान दिया जो अन्यत्र संभव नहीं था। यह बाघ पन्ना के दक्षिणी दिशा में छतरपुर, सागर एवं दमोह जिलों में विचरण करते हुए 442 किमी. की यात्रा की। जिस इलाके में बाघ विचरण कर रहा था वह पूरी तरह असुरक्षित था और शिकार हो जाने की प्रबल संभावना थी। लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी और कडाके की ठंड में नदी, नाले व जंगल पार करते हुए उक्त बाघ को सुरक्षित तरीके से पुन: बेहोश करते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व में मुक्त किया।

बाघ टी-3 की इस खोज ने ही पन्ना टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को एक टीम का रूप दिया। पन्ना टाइगर रिज़र्व के अधिकारियों-कर्मचारियों की रात-दिन की कड़ी मेहनत, सतत निगरानी और स्थानीय लोगों का सहयोग तब रंग लाया जब बाघिन टी-1 ने पहली बार 16 अप्रैल, 2010 को 4 शावकों को जन्म देकर वन्य-प्राणी जगत में पन्ना टाइगर रिजर्व का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा दिया। पन्ना टाइगर रिज़र्व का वर्ष 2009 से अब तक का सफ़र उपलब्धियों से भरा रहा है। मौजूदा समय यहाँ के जंगलों में 90 से भी अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं। इन बाघों को सुरक्षित व अनुकूल रहवास प्रदान करना पार्क प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। बाघों का रहवास जिस तरह से निरंतर सिकुड़ रहा है और जंगलों पर मानव आबादी व विकास योजनाओं की दखलंदाजी बढ़ी है उससे मानव व वन्य जीवों के बीच संघर्ष की स्थितियां निर्मित होने लगी हैं, जो निश्चित ही चिंता की बात है। अभी हाल ही में घटित पन्ना टाइगर रिज़र्व से लगे हिनौता गांव की घटना इस समस्या की गंभीरता को बयां करती है।

 बांध बनने से क्या थम जायेगा केन नदी का अविरल प्रवाह ?



देश की स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त नदियों में सुमार केन नदी पन्ना टाइगर रिज़र्व के मध्य से प्रवाहित होती है। यह नदी वन्य प्राणियों सहित केन किनारे स्थित ग्रामों के लोगों के जीवन का आधार है। केन नदी के किनारे स्थित गांव के लोग बहुचर्चित केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर सशंकित और चिंतित हैं। बीरा गांव के वीरेंद्र सिंह (78 वर्ष) अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि "केन को पानी यदि ऊपर छेंक लेहें तो हम का करबी। हमसे कउनो राय व सहमति नहीं ली गई, जा तो हम लोगन के संगे सरासर अन्याय है"। ग्रामीणों का साफ कहना है कि केन के पानी पर पहला हक हमारा है। हम केन के पानी को रोककर बांध बनाने के पक्षधर नहीं हैं, क्योंकि इस नदी की जलधार पर ही हमारा जीवन निर्भर है।

उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले से प्रवाहित होने वाली केन नदी रीठी कटनी के पास से निकलती है और 427 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना नदी से मिल जाती है। ढोढन गांव के निकट जहां पर बांध का निर्माण होना है, वह नदी के उद्गम स्थल से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर है। इस तरह से बांध के निचले क्षेत्र में नदी की लंबाई तकरीबन 227 किलोमीटर बचती है, जहां सैकड़ों की संख्या में पन्ना, छतरपुर व बांदा जिले के गांव स्थित हैं। 44 हजार करोड रुपए से भी अधिक लागत वाली इस परियोजना के मूर्तरूप लेने से बाघों सहित दूसरे वन्य जीवों और गिद्धों का सदियों पुराना रहवास जहाँ नष्ट होगा वहीं लाखों पेड़ों के कटने से पर्यावरण की अपूर्णीय क्षति होगी। केन नदी के किनारे स्थित फरस्वाहा गांव के करण त्रिपाठी का कहना है कि बांध बनने से केन की जलधार यदि रुक गई तो केन किनारे के गांवों में जिंदगी मुश्किल हो जाएगी। केन नदी में यदि पानी नहीं रहा तो इन गांवों के लोग कैसे जिंदा रहेंगे ?

0000

Friday, December 20, 2024

पन्ना के श्री जुगल किशोर मंदिर को भी प्राप्त हुआ ईट राइट भोग स्थल का प्रमाण पत्र

 


पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में स्थित सुप्रसिद्ध श्री जुगल किशोर मंदिर को ईट राइट भोग स्थल का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा यह प्रमाण पत्र दिया गया है। 

इसके पहले पन्ना के ही श्री प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट को दो वर्ष की अवधि के लिए 26 नवम्बर 2026 तक ईट राइट भोग स्थल का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था। अब श्री जुगल किशोर मंदिर को भी एफएसएसएआई संस्था द्वारा दो वर्ष की अवधि के लिए 20 दिसम्बर 2024 से 19 दिसम्बर 2026 तक के लिए यह प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।

कलेक्टर पन्ना सुरेश कुमार ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के प्रावधानों का पालन करते हुए मंदिर द्वारा भोग निर्माण की प्रक्रिया संचालित करने एवं समस्त खाद्य सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन करने पर संस्था द्वारा सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है। अब जुगल किशोर मंदिर द्वारा निर्मित किया जाने वाला भोग सुरक्षित भोग की श्रेणी में होगा। 

जिले को ईट राइट चैलेंज प्रतियोगिता के चतुर्थ चरण में दो धार्मिक स्थलों को सुरक्षित भोग प्लेस के रूप में प्रमाणित करने का लक्ष्य दिया गया था। इस क्रम में श्री प्राणनाथ जी मंदिर पन्ना एवं श्री जुगल किशोर मंदिर को ईट राइट भोग प्लेस के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है। एफएसएसएआई की मान्यता प्राप्त ऑडिट एजेंसी द्वारा मंदिर में भोग निर्माण की प्रक्रिया एवं अन्य संसाधनों का ऑडिट करने के बाद सर्टिफिकेट प्रदान किया गया है।

00000 

मध्यप्रदेश को प्रकृति से मिला है सभी राज्यों से अधिक वन सम्पदा का वरदान

 

मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में खूबसूरत घने जंगल का नजारा। 

।। के. के. जोशी।।

मध्यप्रदेश का वन क्षेत्र देश में सबसे अधिक विस्तृत है। यहां वनों को प्रकृति ने अकूत सम्पदा का वरदान से समृद्ध किया है। प्रदेश में 30.72 प्रतिशत वन क्षेत्र है जो देश के कुल वन क्षेत्र का 12.30 प्रतिशत है। यहां कुल वन क्षेत्र 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर (94 लाख 68 हजार 900 हेक्टेयर) है। वन क्षेत्रों का वैज्ञानिक प्रबंधन और वन संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन क्षेत्रीय स्तर पर 16 वृत्त, 64 वन मण्डल, 135 उप वन मण्डल, 473 परिक्षेत्र, 871 उप वन परिक्षेत्र और 8 हजार 286 परिसर कार्यरत हैं। प्रदेश में 24 अभयारण्य, 11 नेशनल पार्क और 8 टाइगर रिजर्व हैं, जिसमें कान्हा, पेंच, बाँधवगढ़, पन्ना, सतपुड़ा और संजय डुबरी टाइगर रिजर्व बाघों के संरक्षण में मील का पत्थर साबित हुए हैं।

मध्यप्रदेश वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम लागू करने वाला सबसे देश का पहला राज्य है। प्रदेश में वर्ष 1973 में वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था। प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल किया गया है। मध्यप्रदेश में सफेद बाघों के संरक्षण के लिये मुकुंदपुर में महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव व्हाइट टाइगर सफारी की स्थापना की गई है, इसे विश्वस्तरीय बनाये जाने के प्रयास जारी हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व बाघ सहित कई वन्य-जीवों की आदर्श आश्रय स्थली और प्रजनन के सर्वाधिक अनुकूल स्थान है। पेंच टाइगर रिजर्व की ‘कॉलर वाली बाघिन’ के नाम से प्रसिद्ध बाघिन को सर्वाधिक 8 प्रसवों में 29 शावकों को जन्म देने के अनूठे विश्व-कीर्तिमान के कारण ‘सुपर-मॉम’ के नाम से भी जाना जाता है। विशेष रूप से कान्हा टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले हार्ड ग्राउण्ड बारहसिंगा को मध्यप्रदेश के राजकीय पशु का दर्जा मिला हुआ है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अथक प्रयासों से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की पुनर्स्थापना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह प्रधानमंत्री श्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश राज्य को गौरवान्वित किया है। देश में 13 हजार से भी अधिक तेंदुए हैं, जिसमें से 25 प्रतिशत तेंदुए मध्यप्रदेश में हैं। प्रदेश में तेंदुओं की संख्या 3300 से अधिक है। देश में तेंदुओं की आबादी में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मध्यप्रदेश में यह वृद्धि 80 प्रतिशत है। घड़ियाल, गिद्धों, भेड़ियों, तेंदुओं और भालुओं की संख्या में भी मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। मध्यप्रदेश बाघों का घर होने के साथ ही तेंदुओं, चीतों, गिद्धों और घड़ियालों का भी आँगन है। हाल ही में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़, राजस्थान और उड़ीसा में कुछ बाघों के स्थानांतरण को मंजूरी दे दी है। इस तरह मध्यप्रदेश अन्य राज्यों की जैव-विविधता को सम्पन्न बनाने में भी अपना योगदान दे रहा है।

मध्यप्रदेश में बाघों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं। हाल ही में प्रदेश के रातापानी अभयारण्य को भी टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है। उल्लेखनाय है रातापानी हमेशा से बाघों का घर रहा है। रायसेन एवं सीहोर जिले में रातापानी अभयारण्य का कुल 1272 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अधिसूचित है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद कुल क्षेत्रफल में से 763 वर्ग किलोमीटर को कोर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह वह क्षेत्र है, जहाँ बाघ बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकेंगे। शेष 507 वर्ग किलोमीटर को बफर क्षेत्र घोषित किया गया है। यह क्षेत्र कोर क्षेत्र के चारों ओर स्थित है। इसका उपयोग कुछ प्रतिबंधों के साथ स्थानीय समुदाय कर सकेंगे। आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों की आजीविका इस क्षेत्र से जुड़ी हुई है। भोपाल के अर्बन फॉरेस्ट की रातापानी से समीपता होने के कारण भोपाल को अब टाइगर राजधानी के रूप में पहचान मिलेगी। रातापानी के टाइगर रिजर्व बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिये रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।


मानव-वन्य-जीव संघर्ष को कम करने के लिये शासन के प्रयास


मध्यप्रदेश बाघ एवं तेंदुआ स्टेट है। यहाँ 30 प्रतिशत से अधिक बाघ संरक्षित क्षेत्रों के बाहर विचरण कर रहे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावना अधिक हो गयी है। मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिये वन्यजीव कॉरिडोर एवं अन्य वन क्षेत्रों में रेस्क्यू के लिये 14 रीजनल रेस्क्यू स्क्वॉड और एक राज्यस्तरीय रेस्क्यू स्क्वॉड का गठन किया गया है। वन्यजीवों को मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिए संवेदनशील क्षेत्रों से रेस्क्यू कर संरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा जायेगा, जिससे वन्यजीवों का प्रबंधन एवं संरक्षण अधिक प्रभावी रूप से हो सकेगा। इन संघर्षों में प्रतिवर्ष औसतन 80 प्रतिशत जनहानि, 15 हजार पशु हानि होती है और 1300 नागरिक घायल होते हैं। मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिये शासन ने जनहानि के प्रकरणों में क्षतिपूर्ति राशि को 8 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का निर्णय लिया है। इन प्रकरणों में लोकसेवा गारंटी अधिनियम के तहत 30 दिवस के अंदर क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान किया जाता है।

प्रदेश में बढ़ते हुए हाथियों की संख्या को देखते हुए एक एलीफेंट-टॉस्कफोर्स का गठन किया गया है। हाथी प्रबंधन के लिये योजना तैयार की जा रही है। इसमें एआई तकनीक के उपयोग से स्थानीय समुदायों की सहभागिता को भी प्रबंधन में सम्मिलत किया जा रहा है। हाथी विचरण क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।

प्रदेश में मनुष्य के साथ ही सम्पूर्ण जीव-जगत को अपना कुटुम्ब माना जाता है। हम वनों, पहाड़ों और नदियों को पूजा जाता रहा है। पूर्वजों की इस परंपरा को अक्षुण्ण रखने के लिए जैव-विविधता संरक्षण के प्रयासों से आने वाली पीढ़ियों के लिये वन जीवन को सहेजकर रखना हम सबकी साझी जिम्मेदारी है।

00000


Tuesday, December 17, 2024

इसे बहुत से लोग नहीं पहचानते ?



  ।। बाबूलाल दाहिया ।।

इसे अब शहर वाले तो दूर गाँव वाले लोग भी नहीं जानते। क्योंकि नई पीढ़ी का नाता अपने आस पास के पेड़ पौधों वनस्पतियों से छूटता सा जा रहा है। यही कारण है कि यदि शहर के किसी लड़के से कोई पेड़ों के नाम पूछे तो वह आम, जामुन, खिरनी, अमरूद,नीबू , आंवला, बेर, नीम, इमली, बरगद, पीपल आदि 10-12 पेड़ों से अधिक नहीं बता पाते। इसी तरह अगर गाँव के लोगों से पूछें तो वह भी 25-30 के बाद हिच्च बोल जायेंगे। किन्तु यदि उसी गाँव के बड़े बूढ़ों से पूछा जाय तो सैकड़ों पेड़ों और उनके फूल फलों तक की आकृति आज भी उनके ह्रदय में बनी हुई होती है।

चित्र में दिख रहा यह फल मरोड़ फल के पौधे का है, जिसे बघेली में (ऐंठी) तथा इसके पेड़ को (अटइन ) कहा जाता है। इसका पौधा झाड़ी नुमा 5-6 फीट का होता है और पेड़ के आस-पास 1 इंच मोटी जमीन से बहुत सारी शाखाएँ निकलती हैं। इसके फल में निकलने वाले बीज का जहाँ पहले औषधीय उपयोग था, वहीं इसके छाल का उपयोग बन्धन के रूप में होता है। प्राचीन समय में घर के छप्पर और बाड़ वगैरह में इसी का उपयोग होता था। लेकिन अब तो नई पीढ़ी अनेक पेड़ों की उपयोगिता और बाप पुरखों के लिए उसके अबदान को पूरी तरह भुला चुकी है। यही कारण है कि कारपोरेट घराने बगैर रोंक टोंक अपनी इकाई लगाने के लिए जंगलों को साफ करते रहते हैं और वहां के लोग हाथ में हाथ रखे बैठे रहते हैं। 

मुझे ऐसा लगता है कि हर स्कूलों में एक बीस- पचीस मीटर लम्बा चौड़ा ऐसा हर्बल गार्डन होना चाहिए, जहां 40 -50 तरह के मेडिसनल प्लांट लगे हों जिनकी जानकारी छात्रों को दी जाय। क्योंकि स्कूल का अपने क्षेत्र में एक बहुत बड़ा नेटवर्क होता है, जहां हर घर के छात्र पढ़ने जाते हैं।

00000

पन्ना की उथली खदान में किसान को मिला 17.11 कैरेट वजन का हीरा

  • कृष्णा कल्याणपुर की पटी हीरा खदान में प्रकाश कुशवाहा को मिला यह हीरा 
  • सात दिन पूर्व किस्मत अजमाने अपने 5 अन्य साथियों के साथ लगाई थी खदान 

रानीबाग पन्ना निवासी किसान प्रकाश कुशवाहा हीरा दिखाते हुए। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती ने आज एक गरीब किसान को फिर मालामाल कर दिया है। हीरा की खदानों के लिए प्रसिद्ध पन्ना जिले की उथली खदान से इस किसान को 17 कैरेट 11 सेन्ट वजन का कीमती हीरा मिला है। यह हीरा पन्ना शहर के रानीबाग निवासी प्रकाश कुशवाहा  को कृष्णा कल्याणपुर की पटी हीरा खदान में मिला है। खदान से निकले इस हीरा को किसान ने आज ही हीरा कार्यालय में जमा करा दिया है। 

हीरा कार्यालय पन्ना के हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि रानीबाग पन्ना निवासी प्रकाश कुशवाहा को 17.11 कैरेट वजन का हीरा मिला है, जो जेम क्वालिटी का है। हीरा पारखी ने बताया कि जमा हुए इस हीरे को आगामी नीलामी में बिक्री के लिए रखा जायेगा। बिक्री से प्राप्त राशि में से शासन की रायल्टी काटने के बाद शेष राशि हीरा धारक को प्रदान की जाएगी। हीरे की अनुमानित कीमत पूंछे जाने पर हीरा पारखी ने बताया कि अभी उसकी कीमत नहीं बताई जा सकती। जानकर इस हीरे की अनुमानित कीमत 30 से 35 लाख रुपये आंक रहे हैं।

 हीरा धारक किसान प्रकाश कुशवाहा ने बताया कि विगत 7 दिन पूर्व उसने अपने पांच अन्य साथियों के साथ कृष्णा कल्याणपुर स्थित पटी हीरा खदान क्षेत्र में अपनी किस्मत अजमाने के लिए खदान शुरू की थी। अपनी ख़ुशी का इजहार करते हुए इस युवा किसान ने कहा कि सात दिन के भीतर ही उन्हें यह हीरा मिल गया। जिसे हमने नियमानुसार कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में आकर जमा कर दिया है। इस हीरे की बिक्री से जो भी पैसा मिलेगा, उससे कोई नया धंधा शुरू करेंगे।   

00000 

Monday, December 16, 2024

पन्ना टाइगर रिजर्व में हथिनी अनंती ने दिया मादा बच्चे को जन्म

  • नन्हे मेहमान के आने से टाइगर रिजर्व में खुशी का माहौल 
  • बच्चों सहित अब यहाँ हाथियों का कुनबा बढ़कर 20 हुआ 

पन्ना टाइगर रिजर्व की 14 वर्षीय हथिनी अनंती अपने नन्हे शिशु के साथ। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में 14 वर्षीय हथिनी अनंती ने सोमवार को आज दोपहर एक स्वस्थ मादा बच्चे को जन्म दिया है। यहाँ हाथियों के कुनबे में एक नये और नन्हे मेहमान के आ जाने से खुशी का माहौल है। हथिनी अनंती का यह पहला बच्चा है, इस नन्हे मेहमान के आ जाने से पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों का कुनबा बढ़कर 20 हो गया है। हांथियों के इस कुनबे में दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला भी शामिल है, जो पन्ना टाइगर रिज़र्व के लिये किसी धरोहर से कम नहीं है। 

पन्ना टाइगर रिजर्व की क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की ने जानकारी देते हुए आज बताया कि हथनी अनंती ने 16 दिसम्बर को दोपहर 2 बजे हिनौता हाथी कैम्प में मादा बच्चे को जन्म दिया है। नवजात शिशु तथा हथनी दोनों पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। आपने बताया कि पन्ना टाइगर रिज़र्व की मादा हथिनी अनंती के गर्भवती होने पर विगत कुछ महीनों से उससे काम नहीं लिया जा रहा था। मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिज़र्व में नन्हे मेहमानों सहित हांथियों के कुनबे में 5 नर व 15 मादा हांथी हैं। प्रसव के उपरांत हथिनी व बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण पन्ना टाइगर रिज़र्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया गया है।  बताया जा रहा है कि मादा शिशु अपनी मां का दूध पीने के साथ-साथ अठखेलियां भी करने लगी है। 

वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. गुप्ता ने बताया कि हथिनी अनंती 14 वर्ष की है तथा उसने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया है। आपने बताया कि वर्ष 2024 में पन्ना टाइगर रिज़र्व के हाथियों का कुनबा बढ़कर 20 हो गया है। इस साल पन्ना टाइगर रिज़र्व में चार हांथी के बच्चों का जन्म हुआ है, जिनमें एक नर व तीन मादा बच्चे हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि हथिनी व उसके नन्हे शिशु की समुचित देखरेख तथा विशेष भोजन की व्यवस्था की जा रही है। हथिनी को दलिया, गुड, गन्ना तथा शुद्ध घी से निर्मित लड्डू खिलाये जा रहे हैं ताकि नन्हे शिशु को पर्याप्त दूध मिल सके। हथनी व उसके शिशु की देखरेख व निगरानी के लिए स्टाफ की तैनाती की गई है। गौरतलब है कि पन्ना टाईगर रिजर्व में वनराज व गजराज दोनों के ही कुनबे में वृद्धि हो रही है, जो निश्चित ही प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से एक शुभ संकेत है।

वीडियो : अपनी मां के साथ नन्हा शिशु अठखेलियां करते हुए 



00000 

Friday, December 13, 2024

जेके सीमेंट प्लांट के खिलाफ ग्रामीणों का चक्काजाम, पुलिस ने किया लाठी चार्ज

  • गुनौर विधायक धरने पर बैठे, कई ग्रामीण तथा विधायक का गनमैन हुआ घायल
  • सीमेंट प्लांट के ट्राला की ठोकर से युवक की मौत होने पर उपजा था आक्रोश 

हादसे में युवक की हुई मौत के बाद ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठे भाजपा विधायक राजेश वर्मा। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पुरैना के पास संचालित जेके सीमेंट प्लांट हादसों का पर्याय बन चुका है। इस प्लांट के वाहनों से लगातार हादसे हो रहे हैं, अभी तक दो दर्जन से अधिक लोग काल के गाल में समा चुके हैं। बीति रात्रि शैलेन्द्र कुमार सेन पिता अशोक कुमार सेन जब अपने घर जा रहा था। उसी समय तेज रफ़्तार ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी, जिससे युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। युवक को गंभीर हालत में इलाज के लिए कटनी जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। आज सुबह लोगों को जब हादसे की खबर मिली तो जेके सीमेंट प्लांट के विरुद्ध ग्रामीणों का आक्रोश भड़क उठा। 

युवक की मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने जेके सीमेंट प्लांट के सामने चक्का जाम कर दिया, जिससे आवागमन अवरुद्ध हो गया। चक्का जाम की सूचना मिलने के बाद गुनौर विधान सभा क्षेत्र के भाजपा विधायक राजेश वर्मा ग्रामीणों को समझाने मौके पर पहुंचे, लेकिन जनाक्रोश बढ़ता गया। आक्रोशित ग्रामीणों को वहां से हटाने पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया तथा आंसू गैस के गोले भी दागे गए, जिसमें कई ग्रामीणों सहित विधायक का गनमैन भी घायल हो गया। पुलिस के लाठी चार्ज से नाराज विधायक डॉक्टर राजेश वर्मा भी सड़क पर बैठ गए, उन्होंने ग्रामीणों पर लाठी चार्ज की निंदा की है।  

विधायक की मौजूदगी में पुलिस द्वारा की गई लाठी चार्ज की हरकत से क्षेत्र के लोगों में गुस्सा का माहौल है। गुनौर क्षेत्र के विधायक राजेश वर्मा हजारों लोगो के साथ जेके कंपनी प्लांट के सामने समाचार लिखे जाने तक धराना स्थल पर बैठे हुए हैं, उनके द्वारा क्षेत्र के लोगो तथा पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की जा रही है। ज्ञात हो कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक को धरने पर बैठना पड़ रहा है, उनकी बातों को प्रशासन द्वारा नहीं माना जा रहा है। ज्ञात हो के वर्तमान समय में प्रदेश की कानून व्यवस्था लड़खड़ाई हुई है, आम लोगों की तो बात ही अलग है सताधारी विधायकों को भी धरने पर बैठना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों  ने मृतक युवक के पीड़ित परिवार को पचास लाख का मुआवजा देने तथा परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की गई है। बढ़ते जनाक्रोश को देखते हुए  कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक भी धरना स्थल पर पंहुच गए हैं। 

मालुम हो कि युवक की मौत के बाद ग्रामीणों ने लाश रखकर चक्का जाम किया था। ग्रामीणों की मांग है कि बड़े ट्राला और हैवी वाहन चलने से आये दिन हादसे हो रहे हैं, जिसे देखते हुए चौड़ी सड़क बननी चाहिए। जब तक सड़क का विस्तार नहीं हो जाता, तब तक दिन में हैवी वाहनों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। ग्रामीणों ने प्रशासन से हादसे को अंजाम देने वाले वाहन को जब्त कर कार्यवाही करने तथा पीड़ित परिजनों को मुवावजा दिलाए जाने की मांग की है।

00000  

Thursday, December 12, 2024

पन्ना के श्री प्राणनाथ मंदिर को मिला ईट राइट भोग स्थल का प्रमाण पत्र

 

मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में स्थित महामति श्री प्राणनाथ जी का मंदिर का विहंगम द्रश्य।  

पन्ना। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा पन्ना के श्री प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट को 02 वर्ष की अवधि के लिए 26 नवम्बर 2026 तक ईट राइट भोग स्थल का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। 

एफएसएसएआई संस्था द्वारा यह प्रमाण पत्र खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के प्रावधानों का पालन करते हुए मंदिर द्वारा भोग निर्माण की प्रक्रिया संचालित करने एवं समस्त खाद्य सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन करने पर प्रदान किया गया है। अब मंदिर द्वारा निर्मित किया जाने वाला भोग सुरक्षित भोग की श्रेणी में होगा। कलेक्टर सुरेश कुमार ने मंदिर ट्रस्ट को यह उपलब्धि मिलने पर खुशी व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं दी हैं।  

उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर में स्थित महामति श्री प्राणनाथ मंदिर दुनिया भर के प्रणामी धर्मावलम्बियों की धार्मिक आस्था का केंद्र है। यहाँ हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजेश कुमार राय ने बताया कि जिले को ईट राइट चैलेंज प्रतियोगिता के चतुर्थ चरण में दो धार्मिक स्थलों को सुरक्षित भोग प्लेस के रूप में प्रमाणित करने का लक्ष्य दिया गया था। इस क्रम में श्री प्राणनाथ जी मंदिर पन्ना को ईट राइट भोग प्लेस के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है। एफएसएसएआई की मान्यता प्राप्त ऑडिट एजेंसी द्वारा मंदिर में भोग निर्माण की प्रक्रिया एवं अन्य संसाधनों का ऑडिट करने के बाद सर्टिफिकेट प्रदान किया गया है।

00000 

Tuesday, December 10, 2024

पन्ना जिले में पर्यटन गतिविधि के प्रोत्साहन हेतु हो हरसंभव प्रयास : कलेक्टर

  • जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की हुई बैठक
  • बृहस्पति कुण्ड में ग्लास ब्रिज के निर्माण बावत दिए निर्देश 

कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की कार्यकारिणी समिति की बैठक

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं धार्मिक महत्व वाले स्थानों पर पर्यटन गतिविधि के प्रोत्साहन हेतु हरसंभव प्रयास आवश्यक है। जिले को पर्यटन की दृष्टि से आगे बढ़ाने के लिए प्रारंभिक चरण में सभी आवश्यक तैयारियां की जाएं। भविष्य में पर्यटन क्षेत्र की विस्तार संभावनाओं का आकलन कर निर्धारित कार्ययोजना पर कार्य किया जाए। जिला कलेक्टर सुरेश कुमार ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में मंगलवार को संपन्न हुई जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की कार्यकारिणी समिति की बैठक में उक्ताशय के निर्देश दिए। इस मौके पर जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिय सहित अतिरिक्त सीईओ अशोक चतुर्वेदी, अपर कलेक्टर नीलाम्बर मिश्र, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरती सिंह, एसडीएम संजय नागवंशी, सीएमओ शशिकपूर गढपाले, आबकारी उप निरीक्षक मुकेश पाण्डेय, पर्यटन निगम के उप यंत्री विवेक चौबे सहित रामपथ गमन सेवा समिति के अध्यक्ष सचिन मिश्रा एवं अन्य अशासकीय सदस्य भी उपस्थित रहे।

बैठक में पर्यटन विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने सहित स्थानीय स्तर पर रोजगार और अन्य विषयों पर उपस्थितजनों के सुझाव पर जरूरी निर्णय भी लिए गए। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बृहस्पति कुण्ड सहित सिद्धनाथ मंदिर, हनुमान भाटा, चौमुखनाथ इत्यादि स्थानों पर पर्यटन विभाग द्वारा संचालित पूर्ण व प्रचलित कार्यों की जानकारी ली गई। कलेक्टर श्री कुमार ने बृहस्पति कुण्ड स्थल पर ग्लास ब्रिज के निर्माण के संबंध में चर्चा कर आवश्यक निर्देश भी दिए। यहां विकसित की गई सुविधाओं के दृष्टिगत पर्यटन निगम से हैण्डओवर के पश्चात व्यू प्वाइंट, कैफेटेरिया, वाहन पार्किंग इत्यादि व्यवस्थाओं के संचालन का निर्धारित शर्त अनुसार चयनित एजेंसी को जिम्मा सौंपने के निर्देश दिए। 

हैण्डओवर एवं संचालन समिति में लोक निर्माण विभाग, विद्युत कम्पनी एवं पर्यटन निगम के अधिकारी सहित जनपद पंचायत पन्ना के सीईओ एवं सहायक यंत्री को शामिल करने के लिए कहा। बैठक में संचालन की इच्छुक पंजीकृत संस्थाओं से आवेदन आमंत्रित करने पर चर्चा हुई। साथ ही बृहस्पति कुण्ड परिसर भ्रमण के लिए 10 रूपए एवं तीन घंटे के लिए 20 रूपए चार पहिया वाहन पार्किंग शुल्क निर्धारित करने का निर्णय लिया गया। साथ ही संचालनकर्ता एजेंसी द्वारा वेस्ट मैनेजमंेट एवं पेड़ पौधों की सुरक्षा सहित अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के दायित्व के संबंध में भी विचार विमर्श किया गया।

बैठक में सिद्धनाथ मंदिर परिसर में स्थापित धर्मशाला के उपयोग एवं मंगल भवन में केवल धार्मिक कार्यक्रम आयोजन के लिए भी शुल्क निर्धारित किया गया। केयरटेकर व सफाई व्यवस्था तथा सार्वजनिक शौचालय के निर्माण उपरांत विधिवत संचालन व संधारण का जिम्मा मंदिर समिति को सौंपने के निर्देश दिए गए। यहां धार्मिक आयोजन के लिए प्रतिदिन का शुल्क 500 रूपए निर्धारित करने का निर्णय लिया गया। हनुमान भाटा में भी पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित अधोसंरचना कार्यों की जानकारी ली गई।

बैठक में वर्ष 2025 के पर्यटन कैलेण्डर निर्माण के लिए निर्धारित थीम पर तथा चौमुखनाथ प्रोजेक्ट पर भी चर्चा हुई। पर्यटन स्थलों के पहुंचमार्ग एवं चिन्हित स्थानों पर व्यवस्थित तरीके से संकेतक लगवाने, महिला पर्यटकों की सुरक्षा, पन्ना नगर में पहाड़कोठी पर नगर वन की स्थापना, यादवेन्द्र क्लब की साफ-सफाई सहित सार्वजनिक स्थानों पर पन्ना के पर्यटन स्थलों की जानकारी साझा करने की व्यवस्था और मैहर, चित्रकूट, खजुराहो, ओरछा इत्यादि पर्यटन स्थानों पर भी विभिन्न माध्यमों से पन्ना के पर्यटन स्थलों के प्रचार-प्रसार सहित जिले की धरोहरों के बारे में वेबसाइट, ब्रोशर, कॉफी टेबल बुक इत्यादि के माध्यम से प्रचारित-प्रसारित करने की बात कही। 

इसके अलावा मड़ला में मूलभूत सुविधाओं के विकास, जिले की कला एवं संस्कृति धरोहर के संरक्षण पर भी सदस्यों के साथ संवाद किया गया। इसके अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व की गत सलाहकार समिति की बैठक में हुई चर्चानुसार नेशनल पार्क के मड़ला गेट के जिप्सी संचालकों द्वारा पर्यटक भ्रमण पर ग्राम पंचायत मड़ला को प्रति दिवस 50 रूपए का निर्धारित शुल्क भुगतान करने पर भी सहमति बनी। इस राशि का उपयोग ग्राम पंचायत द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट पर किया जाएगा।

00000  

हमले में महिला की मौत के बाद शावकों का क्या होगा भविष्य ?

बाघिन अपने शावकों के साथ, सांकेतिक फ़ाइल फोटो।  

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में सोमवार 9 दिसंबर की सुबह हिनौता गेट के निकट कच्छ क्रमांक 535 में जो कुछ घटित हुआ वह अनपेक्षित और चिंताजनक घटना है। बाघिन पी 652 के तीन नर शावकों के हमले में जिस तरह से एक बुजुर्ग महिला की दिल दहला देने वाली मौत हुई है, उससे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। सबसे अहम सवाल तो यही है कि इस पूरे घटनाक्रम के लिए कौन जिम्मेदार है ?

उल्लेखनीय है कि हिनौता गांव पन्ना टाइगर रिजर्व के बिल्कुल नजदीक बसा हुआ है। इस गांव में लोगों के खेत भी जंगल से लगे हैं, फल स्वरुप खेती करना मुश्किल होता है। जंगली जानवर फसल उजाड़ देते हैं नतीजतन यहां बेरोजगारी बड़ी समस्या है। हिनौता गांव के पूर्व सरपंच रामप्रसाद यादव बताते हैं कि ग्रामीणों के पास निस्तार के लिए कोई जगह नहीं है, ऐसी स्थिति में लकड़ी चारा व वनोपज के लिए ग्रामीण जंगल चले जाते हैं। इसके पहले कभी इस तरह की घटना नहीं हुई, भालू के हमले की जरूर घटनाएं होती थीं। लेकिन बाघ ने इंसानों पर हमला कभी नहीं किया। इस घटना ने पूरे गांव को चिंता में डाल दिया है कि अब कैसे गुजारा होगा। 

मालुम हो कि हिनौता गांव के लोगों का गुजारा मजदूरी और पशुपालन से होता है। घटना के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने जंगल में मवेशियों व इंसानों के प्रवेश पर सख्ती से रोक लगा दी है। राम प्रसाद यादव कहते हैं कि इस तरह की सख्ती से समस्या बेहद विकट हो सकती है। वह यह भी स्वीकार करते हैं कि टाइगर रिजर्व के भीतर जाना प्रतिबंधित है, इसलिए ग्रामीणों को जंगल में नहीं घुसना चाहिए। लेकिन मजबूरी में ग्रामीण जाते हैं क्योंकि बिना जंगल गए गुजारा नहीं है। चूंकि अब पहले की तुलना में बाघों की तादाद कई गुना बढ़ गई है, इसलिए जंगल में जाना खतरे से खाली नहीं है। 

घटना के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाघिन पी 652 के तीन नर शावकों का भविष्य अब क्या होगा ? मानवीय गलतियों के चलते तीन अर्ध वयस्क नर शावकों ने कोर क्षेत्र में चारा काट रही महिलाओं के निकट पहुंचकर एक बुजुर्ग महिला को न सिर्फ मार दिया, अपितु उस महिला का भक्षण भी किया है। निश्चित रूप से यह चिंता की बात है क्योंकि हिनौता गांव पन्ना टाइगर रिजर्व से बिल्कुल सटा हुआ है। इसलिए भविष्य में इन नर शावकों का इंसानों के प्रति कैसा बर्ताव होगा, कुछ कह पाना मुश्किल है। 

यह पूरा घटनाक्रम किन परिस्थितियों में हुआ, इसकी गहन जांच पड़ताल होनी चाहिए। क्योंकि सवाल यह है कि इस घटना के लिए कौन जिम्मेवार है, किसकी गलती है। इस खौफनाक घटना के लिए बाघ शावक जिम्मेदार हैं या उन महिलाओं की गलती है जो जंगल के भीतर बाघों के इलाके में चारा काटने के लिए गई हुई थीं। इसके लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन भी सवालों के घेरे में है, कि आखिर महिलाएं चारा काटने कोर क्षेत्र के उस इलाके में कैसे पहुंच गई, जहां बाघ परिवार विचरण करता है। महिलाओं को अंदर जाने से रोकने में महकमा कैसे नाकाम रहा ? निश्चित ही महिला की मौत बेहद दुखद है और पीड़ित परिवार को हुए क्षति की भरपाई नहीं हो सकती लेकिन असल सवाल तो यही है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है, बाघ या इंसान ?

00000

Monday, December 9, 2024

पन्ना में बाघिन के तीन शावकों ने किया महिला का शिकार

  • पन्ना टाइगर रजर्व के हिनौता गेट से लगभग आधा किमी दूर घटेहा हार की घटना 
  • हांथियों की मदद से रेस्क्यू टीम ने मृत महिला के क्षत विक्षत शव को हासिल किया 

पन्ना टाइगर रिज़र्व का  हिनौता प्रवेश द्वार जिसके निकट कोर क्षेत्र के जंगल में घटना हुई। 


।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रजर्व से आज बेहद चौंकाने वाली और सनसनीखेज खबर मिली है। टाइगर रिजर्व के हिनौता गेट से लगभग आधा किलोमीटर दूर घटेहा हार के जंगल में बाघिन पी-652 के तीन शावकों ने जंगल में घास काट रही एक महिला को दबोच लिया। शावक महिला को घसीटकर ले गए, फल स्वरूप महिला की मौत हो गई है। घटना आज सुबह लगभग 9:30 बजे की बताई जा रही है। 

वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आज सुबह हिनौता गांव की 6 महिलाएं घास काटने के लिए जंगल गई हुई थीं। उसी समय यह खौफनाक घटना हुई है। जिस समय शावकों ने महिला पर हमला किया, उस समय निकट ही दो जिप्सी में पर्यटक भी जंगल में वहां मौजूद थे। पर्यटकों ने अन्य पांच महिलाओं को जिप्सी में बिठाकर सुरक्षित हिनौता गेट तक छोड़ा है। मृतक महिला फुलिया बाई साहू 64 वर्ष हिनौता गांव की निवासी है।

पन्ना टाइगर रिजर्व के आला अधिकारी व रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई है। हाथियों की मदद से बाघिन व शावकों को मृत महिला के पास से हटाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन वे हट नहीं रहे थे। रेस्क्यू टीम के अथक प्रयासों के बाद हाथियों की मदद से मृतक महिला फुलिया बाई के क्षत विक्षत शव को कब्जे में लिया गया। बताया जा रहा है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के इतिहास में यह पहली घटना है, जब टाइगर ने किसी मानव पर इस तरह से हमला किया है। घटना के बाद से हिनौता गांव सहित वन क्षेत्र से लगे अन्य गांवों में भी भय और दहशत का माहौल है। वन अधिकारियों ने ग्रामीणों को सतर्क रहने तथा जंगल में न जाने की सलाह दी है।

प्रतिबंधित क्षेत्र में महिलाएं गई थीं घास काटने 

पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में सोमवार की सुबह घटित घटना ने हर किसी को चिंता में डाल दिया है। हिनौता गांव की महिलाएं घास काटने के लिए जंगल में जहाँ गई हुई थीं, वह कोर क्षेत्र में आता है। यहाँ अनधिकृत प्रवेश करना व घास काटना प्रतिबंधित है, ऐसी स्थिति में महिलाएं यहाँ कैसे पहुंची यह भी जाँच का विषय है। मृत महिला के शव को टाइगर रिज़र्व प्रबंधन द्वारा पुलिस को सौंप दिया गया है, फलस्वरूप पुलिस द्वारा मामले की विवेचना की जा रही है। घटना की गंभीरता को देखते हुए पार्क प्रबंधन द्वारा सुरक्षा के एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं। बाघिन व उसके तीनों शावकों की सघन निगरानी शुरू कर दी गई है। अब इन शावकों की हर गतिविधि पर नजर रहेगी ताकि भविष्य में इस तरह की अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।    

पन्ना विधायक ने घटना पर जताया दुःख 

बाघ के हमले में हिनौता गांव की महिला फुलिया बाई साहू की मौत पर पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने दुख जताया है। उन्होंने कहा कि इस बेहद हृदय विदारक घटना के संबंध में उन्होंने पन्ना टाइगर रिजर्व की क्षेत्र संचालक व कलेक्टर से बात की है। मृतक के परिवार को हर संभव मदद प्रदान करने के निर्देश भी दिए हैं। विधायक श्री सिंह ने पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि विधायक निधि से भी मृतक के परिवार को सहायता प्रदान करूंगा। इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व की संचालक को आवश्यक एहतियाती कदम उठाने और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

00000

Friday, December 6, 2024

2.21 करोड़ रू. में बिका 32.80 कैरेट वजन का नायाब हीरा, पन्ना के हीरा व्यापारी ने खरीदा



पन्ना। म.प्र. के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में उथली खदान से विगत दो माह पूर्व मिला 32.80 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा खुली नीलामी में आज बिक गया। यह हीरा 6 लाख 76 हजार रू. प्रति कैरेट की दर से 2 करोड़ 21 लाख 72 हजार 800 रू. में बिका है, जिसे पन्ना के हीरा व्यापारी सत्येन्द्र जड़िया ने खरीदा है। 

उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले की उथली खदानों से निकले हीरों में अब तक का यह दूसरा सबसे कीमती हीरा है। दो माह पूर्व 12 सितम्बर 24 को यह हीरा सरकोहा गाँव की उथली हीरा खदान में गरीब किसान स्वामीदीन पाल को मिला था। हीरा बिकने के साथ ही यह किसान अब करोड़पति बन गया है।

हीरा अधिकारी रवि पटेल ने बताया कि नीलामी के अंतिम दिन आज 98.02 कैरेट वजन के 25 नग हीरे रखे गए थे, जिनमें 97.45  कैरेट वजन के 24 नग हीरे 2  करोड़ 80 लाख 18 हजार 13 रुपये में बिके हैं। आज बिके इन हीरों में 32.80 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा भी शामिल है। हीरा अधिकारी ने बताया कि तीन दिनों तक चली हीरों की इस नीलामी में 230.81 कैरेट वजन के कुल 86 नग हीरे 5 करोड़ 38 लाख 62 हजार 233 रुपये में नीलम हुए। इससे शासन को 61 लाख 94 हजार 156 रूपए की राजस्व रायल्टी भी प्राप्त होगी।

मालूम हो कि वर्ष 2018 में 42.59 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा खुली नीलामी में 6 लाख रू. प्रति कैरेट की दर से 2 करोड़ 55 लाख रू. में बिका था। इस लिहाज से आज की नीलामी में 32.80 कैरेट वजन वाला हीरा सबसे मंहगा 6 लाख 76 हजार रू. प्रति कैरेट की दर से नीलम हुआ, जो एक रिकॉर्ड है। 

हीरा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार 69.32 कैरेट वजन के 41 नग हीरों का शासकीय बोली प्राप्त न होने के कारण इन्हें आगामी हीरा नीलामी में रखा जाएगा। हीरा नीलामी में सबसे महंगा हीरा 32.80 कैरेट वजन का 6 लाख 76 हजार रूपए के भाव से कुल 2 करोड़ 21 लाख 72 हजार 800 रूपए में विक्रय किया गया।

 उल्लेखनीय है कि कलेक्टर सुरेश कुमार के निर्देशानुसार उथली हीरा खदानों से प्राप्त हीरों का घोष विक्रय 4 से 6 दिसम्बर 2024 तक संपन्न किया गया। नीलामी में 300.13 कैरेट वजन के 127 नग हीरों का प्रदर्शन किया गया था।

32.80 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा जो सबसे मंहगा बिका -



00000     

Wednesday, December 4, 2024

हीरों की नीलामी में पहले दिन 1 करोड़ 18 लाख में बिके 29 नग हीरे


पन्ना। बेशकीमती हीरों के लिए विख्यात मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की उथली हीरा खदानों से प्राप्त हीरों की नीलामी आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हुई। इस नीलामी में पन्ना सहित सूरत और गुजरात के व्यापारी बड़ी संख्या में शामिल हुए। तीन दिनों तक चलने वाली इस नीलामी के पहले दिन 52.99 कैरेट वजन के 29 नग हीरे 1 करोड़ 18 लाख 2 हजार 780 रुपये में बिके हैं।  

हीरा अधिकारी रवि पटेल ने बताया कि पहले दिन हुई हीरों की नीलामी में 21 ट्रे के माध्यम से 50 नग हीरे जिनका वजन 93 कैरेट 27 सेंट है रखे गए थे, जिनमें जेम क्वालिटी वाला 19 कैरेट 22 सेंट का बड़ा हीरा भी शामिल था। आज की नीलामी में यह हीरा व्यापारियों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा। नीलामी में 19 कैरेट 22 सेंट वाले हीरे की सबसे अधिक बोली 4 लाख 88 हजार रुपये प्रति कैरेट लगी। 

इस तरह यह हीरा 93 लाख 79 हजार 360 रुपये में बिका, जिसे सूरत से आये व्यपारी जिग्नेश साह ने खरीदा। श्री पटेल ने बताया कि नीलामी में 300 कैरेट वजन के 127 नग हीरे रखे जायेंगे, जिनकी अनुमानित कीमत 4 करोड़ 16 लाख 90 हजार 291 रुपये है। आगामी तीन दिनों तक चलने वाली हीरों की इस नीलामी को लेकर व्यापारियों में खासा उत्साह है।

वीडियो : हीरा अधिकारी की मौजूदगी में हीरों की हो रही नीलामी का नजारा 

 


00000

Monday, December 2, 2024

एक दूसरे के पूरक चने की भाजी और हुरहुर

              


।। बाबूलाल दाहिया ।।

मित्रों ! कुछ चीजें प्रकृति ने कैसे एक को दूसरे की सहयोगी य पूरक बनाई है कि उसका साथ मिलते ही दूसरे की गुणवत्ता अपने आप बढ़ जाती है ? यह देखिये एक चने की भाजी है और दूसरा हुरहुर का पौधा। चने की भाजी के लिए तो हमारे बघेल खण्ड में एक कहावत ही कही जाती है कि -

          कुछ दिन दार त कुछ दिन बरी।

           बस थोरिन दिन धीरज धरी।।

          अइसय तइसय सामन टरी ।

          भादव लगत तरोई फरी ।।

          चना कै भाजी अई कुमार।

           देई माघ अमल्लक टार।।

दरअसल यह कहावत गाँव के उस अभाव ग्रस्त जीवन की झांकी है जिसमें लोग आशा की एक डोर के सहारे समय का इंतजार करते रहे आते थे। कि - "सावन भादों के माह तक किसी तरह दाल बरी एवं तरोई की सब्जी से समय गुजार लो ? फिर तो क्वार माह लगते ही चना की भाजी आ जायगी, जिससे हमे क्वार के माह से माघ तक बाद में तरकारी की कोई समस्या ही न रहेगी ? "लेकिन भाजी में अगर हुरहुर के दाने की छौंक न लगे तो स्वाद अधूरा ही रहता है। पर हुरहुर भी चने की भाजी का पक्का साथी है। उसमें उसी समय फल आते हैं जब खेत में चने की भाजी खोटने लायक हो जाती है।

धरती माँ की गोद कभी सूनी नही रहती ? इसीलिए इसमें उगने वाली वनस्पतियां तीन चार बार जमती हैं ताकि,जीव जंतुओं को हमेशा कुछ न कुछ भोजन मिलता रहे। और उसी में खोजी प्रबृत्ति का मनुष्य भी अपनी जरूरत पूर्ति कर लेता है। शुरू- शुरू में मानसूनी बारिश के बाद कुछ घास अषाढ़ में जमती है तो कुछ वर्षा समाप्ति के अंतिम दौर में भादो मास में ? और बाकी ठंड आने पर कातिक अगहन में भी उनका जमनें का शिलशिला चलता रहता है।

हुरहुर का पौधा

हुरहुर का पौधा वर्षा समाप्त के समय ही भादों में अपने आप खर पतवार की तरह घरों के आस पास उग आता है और जैसे ही पौधा एक फुट का हुआ उसमें सफेद रंग के फूल एवं लम्बी हरी फलियां भी आनें लगती हैं। और वह समय होता है क्वार कातिक माह का जब चने की भाजी भी आ जाती है और हुरहुर की फलियां भी जिसके दाने का उस भाजी में छौंक लगता है। यूं तो भाजी में कोदो का चावल य ज्वार का थोड़ा-थोड़ा आटा भी मिलाया जाता है। पर एक चीज और आवश्यक होती है ? वह है हींग। जब प्राचीन समय में ग्रामों में किराने की दूकाने नही हुआ करती थीं तो यूपी के गोंडा जिले के ब्यापारी गांव- गांव  पहुंच कर अपनी हींग बैसाख तक के लिए उघरी दे जाते थे।

अगर किसान का परिवार  "एक तोला"  लगभग 11-12 ग्राम हीग ले लेता तो वह पूरे सीजन के बघार के लिए पर्याप्त होती जाती थी। इस तरह ज्वार की रोटी और कोदो धान के चावल के साथ 3 माह तक चने की भाजी खाई जाती थी। पर मनुष्य की सब कुछ स्वाहा कर कोलिया बाड़ हर जगह कंक्रीट पोत देने की प्रबृत्ति के कारण अब हुरहुर भी बेचारी बिलुप्तता के कगार पर है।

00000