Thursday, January 30, 2025

पन्ना स्थित जे.के सीमेंट फैक्ट्री में बड़ा हादसा, 4 श्रमिकों की मौत 15 घायल

  •  मृतकों में 3 लोग बिहार के व एक पन्ना जिले के सिमरिया का है
  •  मुआवजा देने की घोषणा, मृतकों को मिलेंगें 18-18 लाख रुपये 

जे. के. सीमेन्ट फैक्ट्री की निर्माणाधीन सेकण्ड यूनिट के छत की शटरिंग गिरने से यहाँ हुआ था हादसा। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में आज सुबह बड़ा हादसा हुआ है, जिसमें 4 लोगों की मौत व 15 लोग घायल हुए हैं। यह भयावह और दुःखद हादसा पन्ना जिले के सिमरिया थानांतर्गत स्थित जे. के. सीमेन्ट फैक्ट्री की निर्माणाधीन सेकण्ड यूनिट के छत की शटरिंग गिर जाने के चलते हुआ है। घायलों को इलाज के लिए पडोसी जिला कटनी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनका इलाज जारी है।    

प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक, सिमरिया थाना अंतर्गत पुरैना और पगरा के बीच जे.के सीमेंट का दूसरा प्लांट बनाया जा रहा है। प्लांट के सेकण्ड यूनिट का काम रोजाना की तरह गुरुवार को भी चल रहा था। उसी दौरान छत की शटरिंग एकाएक भरभरा कर गिर गई। बताया जा रहा है कि उस समय नीचे बड़ी संख्या में मजदूर काम कर रहे थे, जो शटरिंग की चपेट में आ गए। हादसे की सूचना मिलते ही जिला मुख्यालय पन्ना से आला अधिकारी व  पुलिस बल मौके पर पहुंचा और शटरिंग में दबे मजदूरों को निकालने का कार्य तेज गति से शुरू हुआ। 

रेस्क्यू का कार्य पूरा होने के बाद शाम 5 बजे हादसे के सम्बन्ध में पुलिस द्वारा प्रेस नोट जारी किया गया। पन्ना पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट के मुताबिक आज गुरुवार को सुबह करीब 10 बजे  ज़िला पन्ना अंतर्गत थाना सिमरिया क्षेत्र में स्थित जेके सीमेंट प्लांट की सेकण्ड यूनिट (प्रोजेक्ट वर्क ) में निर्माणाधीन  छत की शटरिंग गिर जाने से 15 लोग घायल हुए एवं 04 लोग घटना में मृत् होने की सूचना प्राप्त हुई थी। जिस पर तत्काल पुलिस बल  मौके पर पहुंचा एवं एसडीआरएफ़ की यूनिट को मौके पर बुलाया गया, जिनके सहयोग से रेस्क्यू एवं रिलीफ कार्य प्रारंभ किया गया।  

घटना में जिन 4 लोगों की मौत हुई है, उनमें 3 लोग बिहार के व एक पन्ना जिले के सिमरिया का निवासी है। पुलिस के मुताबिक हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है उनके नाम व पता इस प्रकार है। अंसार आलम पूर्णिया बिहार उम्र 34 साल, मसूद पिता नसरूदीन पूर्णिया बिहार उम्र 36 साल, रोहित खरे सिमरिया पन्ना उम्र 32 साल तथा  मुस्फ़िर पूर्णिया बिहार उम्र 36 साल हैं।

बताया गया है कि मृतकों के परिवारजनों को मौके पर ले जाया गया, उनसे एस पी पन्ना एवं एडीएम पन्ना ने व्यक्तिगत चर्चा की एवं उन्हीं से चर्चा उपरांत मुआवजा तथा अन्य राशि तय की गयी। मृतकों को 18-18 लाख रुपये एवं बीमा राशि 4 लाख जेके सीमेंट कंपनी देगी तथा अन्त्येष्टी सहायता 50-50 हज़ार दिया जाएगा। 

प्रत्येक घायलों को 1-1 लाख रुपया सम्पूर्ण इलाज व इलाज के दौरान की पूरा वेतन जेके सीमेंट कंपनी द्वारा दिया जायेगा। साथ ही परिवहन का खर्चा कंपनी वहन करेगी। इसके साथ ही सिमरिया थाने में दोषियों के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर कठोर कार्यवाही की जा रही है। मौक़े पर पवई विधायक प्रहलाद लोधी, सागर संभागायुक्त, डीआईजी छतरपुर, एसपी पन्ना, एडीएम पन्ना, जीएम जेके सीमेण्ट व जिला प्रशासन के अधिकारी उपस्थित रहे। 

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Monday, January 27, 2025

ढ़ाई साल में ही बदल गई पन्ना जिले के दिया गाँव की तस्वीर

  •  सरपंच बने पूर्व फौजी की इच्छा शक्ति ने किया कायाकल्प 
  •  अपने अनूठे कार्यों के लिए अब मिसाल बन चुका है यह गाँव 

पन्ना जिले की ग्राम पंचायत दिया जो इन दिनों अपने रचनात्मक कार्यों व अभिनव प्रयोगों के लिए चर्चा में है। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले का दिया गाँव अपने अनूठे कार्यों और नवाचारों के लिए चर्चा में है। ढ़ाई साल के अल्प समय में ही इस गाँव की तकदीर व तस्वीर दोनों बदल गई है। अब यह गाँव पूरे जिले के लिए एक मिसाल बन चुका है। एक पूर्व फौजी की द्रढ़ इच्छा शक्ति और सकारात्मक सोच ने यह कमाल किया है, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है। 

सरपंच बने पूर्व फौजी रामशिरोमणि सिंह लोधी को गाँव में किये गए अनूठे कार्यों और नवाचारों के लिए 26 जनवरी के मुख्य समारोह में प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा सम्मानित किया गया है। यह पहला अवसर है जब जिले की 386 ग्राम पंचायतों में से किसी पंचायत के सरपंच को गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस तरह सम्मानित किया गया है, जो गौरव की बात है। इससे निश्चित ही जिले व प्रदेश की अन्य पंचायतों को प्रेरणा मिलेगी। 

जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी. दूर पन्ना जिले की सीमा में स्थित ग्राम पंचायत दिया की हालत ढ़ाई साल पूर्व तक बेहद दयनीय थी। तक़रीबन 6 हजार की आबादी व 2500 मतदाता वाली इस पंचायत के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भी मोहताज रहना पड़ता था। शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लोगों को सुगमता से नहीं मिल पाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब शासन की योजनाओं का लाभ जहाँ सुगमता से हर पात्र को मिल रहा है वहीं गाँव का भी कायाकल्प हो गया है।        

 26 जनवरी के मुख्य समारोह में प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार सरपंच को सम्मानित करते हुए। 

ग्राम पंचायत के सरपंच 46 वर्षीय पूर्व फौजी रामशिरोमणि सिंह लोधी बताते हैं कि हमारी पंचायत में नल जल योजना संचालन के लिए ऑटो मेंसन लगाया गया है। विभिन्न प्रकार के सेसंर के माध्यम से मोबाइल फोन से ही पूरा सिस्टम कमांड हो रहा है, बिना पढ़ा लिखा युवक घर बैठे ही पेयजल सप्लाई व्यवस्था को ऑपरेट कर लेता है। पानी की टंकी का लेवल, मोटर पंप को चालू करना एवं बंद करना तथा ओवर फ्लो होने पर अलार्म बजाना इत्यादि प्रकार की सुविधा ऑटोमेशन डिवाइस पर उपलब्ध हैं, जो इस पंचायत में हो रहा है।  

वे आगे बताते हैं कि पंचायत में बेटी पढ़ाओ - बेटी बचाओ अभियान के तहत पंचायत की तरफ से प्रत्येक बेटी का जन्म दिन मनाने के साथ जन्म दिन पर वृक्षारोपण करवाया जाता है। पंचायत क्षेत्र की बेटियों को स्कूल भेजने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। स्कूलों में स्वच्छता,बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है। पंचायत के सभी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों का अवलोकन भी समय-समय पर किया जाता है। पंचायत में स्वयं का जन् पुस्तकालय भी उपलब्ध है, इसके अलावा तीन निःशुल्क कोचिंग सेंटर भी चल रहे हैं। शालाओं में व्यायाम के लिए पूर्व में मशीनें आई थीं जो कबाड़ में पड़ी थीं। उन मशीनों को ठीक कराकर तथा अतिरिक्त व्यवस्था करके पंचायत में स्वयं का जिम भी उपलब्ध है, जिसका लाभ बच्चों को मिल रहा है।  

पंचायत भवन के सभा कक्ष में विकास कार्यों के संबंध में चर्चा करते सरपंच रामशिरोमणि सिंह लोधी। 

पंचायत में 13 छोटे बड़े परकुलेशन टैंक बनवाकर किसानों की असिंचित जमीन को सिंचित रकबे में कन्वर्ट किया गया है। इसके साथ ही पंचायत द्वारा 6 कुओ का निर्माण करवाया गया है जिससे कई किसान लाभान्वित हुए हैं। पंचायत में स्वयं की नर्सरी होने के कारण निशुल्क वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाता है। पंचायत में तीन जगह वृक्षारोपण करवाकर पर्यावरण को संतुलित करने का भी काम किया जा रहा है। पंचायत में अभी तक 183 परिवारों को विभिन्न योजनाओं के तहत खाद्यान्न पर्ची उपलब्ध कराकर गरीब परिवारों को भोजन की व्यवस्था करवाई गई है। 57 गरीब पात्र हितग्राहियों को वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन एवं दिव्यांग पेंशन दिलवाकर उनकी जीविका का साधन बनवाया गया है। पंचायत में 118 लोगों का संबल और सरनिर्माण कार्ड बनाकर हितग्राहियों को लाभ पहुंचाया गया है।  पंचायत में 70 प्लस के 98 आयुष्मान कार्ड भी बनवाए गए हैं। 

पंचायत में मध्य प्रदेश शासन द्वारा संचालित 36 प्रकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जन शिविर का आयोजन भी करवाया गया है। खेती में सुधार कैसे हो इसके लिए पन्ना कृषि विज्ञान केंद्र से वैज्ञानिकों को लाकर प्रशिक्षण दिलवाया गया है। स्वयं सेवी संस्था समर्थन के सहयोग से किसानों को जैविक खेती के साथ ही मोटे अनाजों (मिलट) के उत्पादन हेतु प्रेरित किया जा रहा है। पंचायत में इस वर्ष प्राकृतिक व मोटे अनाज की खेती 42 किसानों द्वारा करवाई गई है। घरों में किचेन गार्डेन के लिए भी महिलाओं को प्रेरित किया गया है, फलस्वरूप अधिकांश लोग अपने घरों की खाली पड़ी जमींन में किचेन गार्डेन लगा रहे हैं। पंचायत का विकास कैसे हो इसके लिए समय-समय पर ग्राम सभाएं, मासिक बैठक एवं पंचायत की बैठक आयोजित होती है। जिसमें सभी पंचायत के सदस्यों एवं पंचों का योगदान रहता है।

 फौजी के सरपंच बनने की कहानी, उन्ही की जुबानी 

पूरे 20 साल तक फ़ौज में रहकर देश की सेवा करने वाले सैनिक रामशिरोमणि सिंह लोधी का जीवन भी प्रेरणादायी है। वे बताते हैं कि पन्ना में रहकर ही उन्होंने शिक्षा ग्रहण की और छत्रसाल महाविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल की। उसी दौरान फ़ौज की भर्ती शुरू हुई, जिसमें मैंने भी हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि पन्ना के जिस पुलिस परेड ग्राऊंड में 26 जनवरी को प्रभारी मंत्री द्वारा मुझे सम्मानित किया गया है, उसी ग्राउंड में फ़ौज के लिए मेरा चयन हुआ था। 23 अप्रैल 2000 को मेरा चयन हुआ, फलस्वरूप 2020 तक मैंने पूरी निष्ठां और मनोयोग के साथ अपनी सेवाएं सेना व देश को प्रदान की। सेवाकाल में मुझे 2 मैडल, 10 अवार्ड तथा 84 रिवॉर्ड मिले। 

ग्राम पंचायत दिया के अंतर्गत आने वाले गाँव कोठीटोला निवासी रामशिरोमणि सिंह लोधी बताते हैं कि फ़ौज से सेवानिवृत्त होने के उपरांत जब गाँव लौटा तो यहाँ की दयनीय स्थिति को देख काफी विचलित हुआ। तभी मैंने तय किया कि देश सेवा के बाद अब अपने जन्मभूमि की सेवा करूँगा। इस तरह मैं जून 2022 में सरपंच बन गया और निरंतर अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में जुटा हुआ हूँ। पूर्व फौजी व वर्तमान सरपंच का कहना है कि यदि सकारात्मक सोच व द्रढ़ इच्छा शक्ति हो तो पांच साल में हर गाँव का कायाकल्प हो सकता है। 

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Sunday, January 26, 2025

पन्ना जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया 76वां गणतंत्र दिवस

  • प्रभारी मंत्री इन्दर सिंह परमार ने फहराया राष्ट्रीय ध्वज
  • स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की दीं प्रस्तुतियां 

मुख्य समारोह में प्रभारी मंत्री इन्दर सिंह परमार राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए। 

पन्ना। समूचे देश के साथ मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में 76वां गणतंत्र दिवस समारोह हर्षोल्लास एवं गरिमामय ढंग से मनाया गया। जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन पुलिस लाइन ग्राउण्ड पन्ना में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री तथा पन्ना जिले के प्रभारी मंत्री इन्दर सिंह परमार ने सुबह 9 बजे राष्ट्रीय ध्वज फहराकर परेड की सलामी ली। इस दौरान राष्ट्रगान की धुन बजाई गई और हर्ष फायर किया गया। 

ध्वजारोहण के पश्चात प्रभारी मंत्री श्री परमार ने खुली जिप्सी में पुलिस अधीक्षक सांई कृष्ण एस थोटा एवं जिपं सीईओ व प्रभारी कलेक्टर संघ प्रिय के साथ परेड का निरीक्षण किया। रक्षित निरीक्षक खिलावन सिंह कंवर भी साथ थे। मुख्य अतिथि ने नागरिकों के नाम संबोधित मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संदेश का वाचन कर आकाश में गुब्बारे छोड़े। समारोह में परेड की विभिन्न टुकड़ियों द्वारा आकर्षक मार्च पास्ट का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद अतिथियों ने टोली नायकों से परिचय प्राप्त किया। इस मौके पर प्रजातंत्र रक्षकों का सम्मान भी किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आकर्षक प्रस्तुतियां देते स्कूली बच्चे। 

गणतंत्र दिवस के जिला स्तरीय कार्यक्रम में विभिन्न स्कूल के बच्चों ने देश भावना से ओत-प्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आकर्षक प्रस्तुतियां दीं। अपार उत्साह के साथ बच्चों द्वारा सामूहिक पीटी प्रदर्शन भी किया गया। गणतंत्र दिवस के मुख्य कार्यक्रम में शासकीय विभागों की अलग-अलग थीम पर केन्द्रित झांकियां भी आकर्षण का केन्द्र रहीं। कार्यक्रम उपरांत उत्कृष्ट परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं झांकी के लिए पुरस्कार वितरित किए गए। 

सशस्त्र परेड में जिला पुलिस बल पुरूष की टुकड़ी को प्रथम, एसएएफ 10वीं वाहिनी विसबल की टुकड़ी को द्वितीय और होमगार्ड की टुकड़ी को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। जबकि गैर शस्त्र परेड सीनियर वर्ग में एनसीसी महिला सीनियर डिवीजन की टुकड़ी को प्रथम, एनसीसी सीनियर डिवीजन छत्रसाल महाविद्यालय पन्ना की टुकड़ी को द्वितीय और एनएसएस महिला दल छत्रसाल महाविद्यालय पन्ना की टुकड़ी को तीसरा स्थान मिला। निःशस्त्र परेड जूनियर वर्ग में शासकीय मनहर कन्या उ.मा. विद्यालय पन्ना के गाइड दल को प्रथम, अरविन्दो, डायमण्ड पब्लिक एवं सरस्वती शिशु मंदिर पन्ना के स्काउड दल को द्वितीय तथा शौर्या दल की टुकड़ी को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। 

इसी तरह सांस्कृतिक कार्यक्रमों के वरिष्ठ वर्ग में शासकीय मनहर कन्या उ.मा. विद्यालय पन्ना को प्रथम, नेशनल पब्लिक स्कूल पन्ना को द्वितीय एवं पीएम श्री जवाहर नवोदल विद्यालय रमखिरिया को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ, जबकि कनिष्ठ वर्ग में ब्लू स्काई पब्लिक स्कूल को प्रथम, महारानी दुर्गा राज्य लक्ष्मी को द्वितीय तथा लिस्यू आनंद सीनियर सेकेण्डरी स्कूल को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।

जिला पंचायत की झांकी को प्राप्त हुआ प्रथम स्थान


गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में 09 विभागों द्वारा विभिन्न थीम पर आधारित आकर्षक झांकियों का प्रदर्शन भी किया गया है। इस दौरान जिला पंचायत की झांकी को प्रथम, महिला एवं बाल विकास विभाग की झांकी को द्वितीय और पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद की झांकी को तीसरा स्थान मिला। प्रथम स्थान पर चयनित जिला पंचायत की झांकी के लिए परियोजना अधिकारी संजय सिंह परिहार को नोडल अधिकारी और मृदुल श्रीवास्तव को सहायक नोडल अधिकारी बनाया गया था। 

गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि द्वारा उत्कृष्ट कार्य तथा शासकीय दायित्वों के बेहतर निर्वहन के लिए अधिकारी-कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया। जिला स्तरीय कार्यक्रम में गत 16 दिसम्बर को विजय दिवस पर पुलिस बैण्ड के बेहतर प्रदर्शन पर 21 हजार रूपए की नगद पुरस्कार राशि भी प्रदान की गई।

कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक पन्ना बृजेन्द्र प्रताप सिंह सहित जिला पंचायत अध्यक्ष मीना राजे, नपाध्यक्ष मीना पाण्डेय, नपा उपाध्यक्ष आशा गुप्ता एवं अन्य जनप्रतिनिधि, अपर कलेक्टर नीलाम्बर मिश्र, एसडीएम संजय नागवंशी, अन्य शासकीय सेवक, गणमान्य नागरिक और पत्रकारगण भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. विनय श्रीवास्तव एवं प्रमोद अवस्थी द्वारा किया गया।

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Friday, January 24, 2025

खेत में बनी घास की झोपड़ी में आग भड़कने से दो मासूमों की दर्दनाक मौत

 

घटना स्थल का नजारा, खेत में यहीं बनी हुई थी झोपड़ी जो जलकर खाक हो गई है। 

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में आज एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक खेत में बनी झोपड़ी में अचानक आग लगने से दो मासूम भाई जिंदा जल गए। इस दर्दनाक हादसे में दोनों सगे भाइयों की मौत हो गई है। घटना बृजपुर थाना क्षेत्र के इटवा खास गांव की है। सूचना मिलते ही तहसीलदार और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। जांच कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। 

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक देशु आदिवासी बृजपुर थाना अंतर्गत इंटवाखास गाँव के निकट स्थित खेत की रखवाली करने के लिए खेत में घास की झोपड़ी बना कर अपनी पत्नी एवं बच्चों सहित रह रहा था। आज सुबह मृतक बच्चों के माता-पिता लकड़ी लेने जंगल गए थे, झोपड़ी में दोनों भाई अंकित आदिवासी एवं संदीप आदिवासी उम्र 2 और 3 वर्ष घास की बनी झोपड़ी में अकेले थे। उसी समय झोपड़ी में अचानक आग लग गई। धीरे-धीरे आग ने विकराल रूप ले लिया और दोनों मासूम भाई आग की चपेट में आ गए। जिससे उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। 

बच्चों के परिजन लकड़ी लेकर जब वापस खेत में पहुंचे, तो वहां का नजारा देख दहाड़ें मारकर रोने लगे। खेत में बानी झोपड़ी जलकर खाक हो चुकी थी तथा  उनके दोनों मासूम बच्चे आग में बुरी तरह से जल गए थे। इस खौफनाक हादसे के बाद आस-पास के लोगों ने तत्काल पुलिस को मामले की जानकारी दी। पुलिस द्वारा मामले की विवेचना की जा रही है। दो मासूम बच्चों के जिन्दा जलने की घटना के बाद से क्षेत्र में गम का माहौल है। 

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Thursday, January 23, 2025

गणतंत्र दिवस परेड में “चीता द प्राइड ऑफ इण्डिया’’ की थीम पर केन्द्रित होगी मध्यप्रदेश की झाँकी

  •  राजपथ पर दिखेगी मध्यप्रदेश में चीतों की ऐतिहासिक पुनर्स्थापना की झलक


नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड-2025 में मध्यप्रदेश की झाँकी “चीता द प्राइड ऑफ इण्डिया’’ की थीम पर केन्द्रित होगी। झाँकी में मध्यप्रदेश में चीतों की ऐतिहासिक पुनर्स्थापना की झलक दिखेगी। 

भारत से 70 वर्ष पूर्व चीते विलुप्त हो चुके थे, भारत में चीतों की वापसी का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न को जाता है। प्रदेश में चीता परियोजना की सफलता के साथ अब मध्यप्रदेश “टाइगर स्टेट’’ और “चीता स्टेट’’ भी बन गया है।

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो नदी के किनारे स्थित राष्ट्रीय कूनो अभयारण्य देश में चीतों का एक नया घर है। अभयारण्य में चीतों के लिये उचित आहार और प्राकृतिक आवास मौजूद हैं। पुनर्स्थापना की सफल परियोजना के परिणाम स्वरूप कूनो में वयस्क और शावक सहित कुल 24 चीते अभयारण्य में विचरण कर रहे हैं।

प्रस्तुत झाँकी में भारत में चीतों के सफल पुनर्स्थापन को दर्शाया गया है। अग्रभाग में कूनो राष्ट्रीय उद्यान के वयस्क चीतों का जोड़ा और कूनो में जन्मे नन्हें चीता शावकों को दर्शाया गया है। झाँकी के मध्य भाग में बहती हुई कूनो नदी और इसके आसपास राष्ट्रीय उद्यान के वनावरण एवं प्राकृतिक आवास में विचरण करते हुए वन्य-जीव, जिनमें हिरण, बंदर, पक्षी और चीते उनकी बढ़ती हुई संख्या के साथ जैव-विविधता के लिये एक आदर्श के रूप में कूनो अभयारण्य को दर्शाया गया है।



झाँकी के मध्य भाग के पिछले हिस्से में पेड़ के नीचे बैठे “चीता मित्र’’ स्थानीय निवासियों को चीता संरक्षण के बारे में प्रशिक्षित कर रहे हैं। झाँकी के अंतिम भाग में वनकर्मी वाच-टॉवर से चीतों की निगरानी करते दिखाई दे रहे हैं, जो सफल चीता परियोजना में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। झाँकी के दोनों ओर एलईडी पेनल्स के माध्यम से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों पर केन्द्रित फिल्म को भी प्रदर्शित किया जा रहा है। झाँकी के दोनों ओर नृत्य दल श्योपुर जिले का सहरिया जनजाति नृत्य “लहंगी’’ करते हुए नजर आयेंगे।

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Wednesday, January 22, 2025

प्रदेश में किसानों को श्रीअन्न की खेती के लिये मिलती है प्रोत्साहन राशि

 


मध्यप्रदेश में किसानों को रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना अंतर्गत श्रीअन्न की खेती एवं उत्पादन बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा श्रीअन्न विशेषकर कोदो-कुटकी पर भुगतान किए गए न्यूनतम क्रय मूल्य के अतिरिक्त एक हजार रूपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। राज्य सरकार ने प्रति हेक्टेयर अधिकतम 3900 रूपये प्रोत्साहन राशि प्रदान करने का प्रावधान किया है।

प्रदेश में श्रीअन्न उत्पादन में लगे कृषकों एवं समूहों को राज्य स्तरीय महासंघ द्वारा संगठित किया गया है। श्रीअन्न प्रोत्साहन कंसोर्टियम ऑफ फार्म्स प्रोड्यूसर कंपनी का गठन किया गया है। नवीन तकनीकी के उपयोग से श्रीअन्न एवं उसके प्रसंस्कृत उत्पादों को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।

किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ प्रतिवर्ष प्रदान किया जा रहा है। वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24 तक एक करोड़ 87 लाख किसानों को 18 हजार 587 करोड़ रूपये की दावा राशि का भुगतान किया गया है। कृषि के क्षेत्र में किए गए विशेष प्रयासों से प्रदेश में धान, मक्का, उड़द, सोयाबीन, गेहूँ, चना, मसूर, सरसों आदि का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। 

प्रदेश मक्का एवं तिल के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। वहीं गेहूँ, मोटा अनाज, चना, उड़द, मसूर, सोयाबीन एवं अलसी के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और मूंगफली, राई-सरसों के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में फसल विविधीकरण से पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिये जलवायु आधारित अनुकुल फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। बाजार और निर्यात मांग से प्रेरित फसलों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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Monday, January 20, 2025

पन्ना टाइगर रिज़र्व के पर्यटन समय में हुआ बदलाव

 


पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में फेस-4 मॉनीटरिंग के तहत वन्य प्राणियों की गणना 21 जनवरी से 28 जनवरी 2025 की अवधि में की जानी है। जिसे द्रष्टिगत रखते हुए पर्यटन समय में बदलाव किया गया है। 

क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की ने जानकारी देते हुए बताया कि 21 जनवरी मंगलवार से पन्ना टाइगर रिज़र्व में फेस-4 मॉनीटरिंग के तहत बाघ व तेंदुआ सहित अन्य वन्य प्राणियों की गणना (अनुश्रवण) का कार्य किया जायेगा। इसलिए 21 जनवरी से 28 जनवरी की अवधि के लिए पर्यटकों की प्रातःकालीन सफारी का समय अब सुबह 8 बजे से किया गया है। वन्य प्राणियों की गणना हेतु टाइगर रिज़र्व के सभी वन परिक्षेत्रों में चिन्हित स्थानों पर ट्रैप कैमरे लगाये गये हैं। इन कैमरों में एकत्रित फोटो का मिलान किया जाता है और इससे नये वन्य-प्राणियों की पहचान की जाती है। 

गणना में बाघ, तेंदुआ सहित अन्य वन्य प्राणियों के मूवमेंट तथा टेरिटरी की भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ और सहभक्षी वन्य-प्राणियों की गणना के लिये वन कर्मियों को तैनात किया गया है। ट्रैप कैमरों में सेंसर लगा होता है, इन कैमरों के सामने से वन्य-प्राणी के निकलते ही कैमरा फोटो क्लिक कर लेता है। वन्य-प्राणियों की गणना का उद्देश्य वन्य-प्राणियों के संभावित आँकड़े प्राप्त हो जाते हैं जिससे बाघ, तेंदुआ के संरक्षण को लेकर योजना बनाने में सहयोग मिलता है। पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर सहित आसपास के जंगलों में 90 से भी अधिक बाघों के मौजूदगी की सम्भावना जताई जा रही है। 

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Thursday, January 16, 2025

सीएम हेल्पलाइन शिकायतों के निराकरण में लापरवाही पर कलेक्टर ने की कार्यवाही

  • कमिश्नर को दो-दो वेतनवृद्धि रोकने का भेजा प्रस्ताव


पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कलेक्टर सुरेश कुमार ने सीएम हेल्पलाइन शिकायतों तथा समाधान ऑनलाइन के चयनित विषयों का समय सीमा में निराकरण नहीं करने पर लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध असंचयी प्रभाव से दो-दो वेतनवृद्धि रोकने संबंधी अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रस्ताव संभागायुक्त सागर को प्रेषित किया है। 

इन अधिकारियों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत शाहनगर रोहित मालवीय, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पन्ना आनंद शुक्ला, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गुनौर धीरज चौधरी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पवई अखिलेश कुमार उपाध्याय, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत अजयगढ़ सतीश नागवंशी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी पन्ना अशोक कुमार मिश्रा, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी शाहनगर डॉ. रागिनी तिवारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी अजयगढ़ नंदपाल सिंह, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी गुनौर रामकुमार प्रजापति, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी पवई हुकुम सिंह यादव, प्रभारी तहसीलदार अजयगढ़ सुरेन्द्र अहिरवार, तहसीलदार गुनौर रत्नराशि पाण्डेय, प्रभारी तहसीलदार पन्ना अखिलेश प्रजापति, प्रभारी तहसीलदार पवई प्रीति पंथी, तहसीलदार रैपुरा चन्द्रमणि सोनी, तहसीलदार सिमरिया कैलाश प्रसाद कुर्मी, बीएमओ अजयगढ़ डॉ. सुनील अहिरवार, बीएमओ अमानगंज डॉ. अमित मिश्रा, बीएमओ शाहनगर डॉ. सर्वेश लोधी, अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग पन्ना के.के. श्रीवास्तव, अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग गुनौर ए.के. मिश्रा, अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग पवई राजमणि बागरी, उप संचालक कृषि ए.पी. सुमन, सहायक आयुक्त सहकारिता डॉ. अरूण मसराम और जिला संयोजक आर.के. सतनामी की दो-दो वेतनवृद्धि रोकने का प्रस्ताव भेजा गया है।

कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों को दिया नोटिस

जिला कलेक्टर ने कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी शाहनगर मेघा चंदेल, अजयगढ़ कल्लू पटेल, गुनौर एवं पन्ना प्रदीप त्रिपाठी एवं पवई के जेएसओ प्रताप सिंह को असंचयी प्रभाव से दो-दो वेतनवृद्धि रोकने के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही तीन दिवस में समाधानकारक जवाब चाहा गया है। उल्लेखनीय है कि उक्त अधिकारियों को प्रत्येक सप्ताह टीएल बैठक एवं दूरभाष व पत्रों के माध्यम से सीएम हेल्पलाइन की लंबित शिकायतों के निराकरण के निर्देश दिए गए थे, लेकिन संतुष्टिपूर्ण निराकरण नहीं होने से वर्तमान में दिसम्बर माह की ग्रेडिंग अब तक वेटेज स्कोर 60 प्रतिशत के साथ सी है। इससे यह स्पष्ट है कि संबंधित द्वारा पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरती गई है।

कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई गणतंत्र दिवस की तैयारी बैठक

जिले में आगामी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस हर्षोल्लासपूर्वक एवं गरिमामय ढंग से मनाया जाएगा। इस संबंध में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में गणतंत्र दिवस की तैयारी बैठक आयोजित की गई। कलेक्टर सुरेश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में अधिकारियों को गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह के लिए आवश्यक दायित्व सौंपे गए। बताया गया कि शासकीय कार्यालयों में ध्वज संहिता का पालन कर सुबह 8 बजे ध्वजारोहण किया जाएगा। 

जिला मुख्यालय पर स्थानीय पुलिस परेड ग्राउण्ड में आयोजित मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि द्वारा सुबह 9 बजे ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली जाएगी। इस दौरान आयोजन स्थल पर आवश्यक व्यवस्थाओं सहित कार्यक्रम संचालन और तहसील व विकासखण्ड स्तर पर भी कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में निर्देश दिए गए।

बताया गया कि मुख्य कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं लोकतंत्र सेनानी का सम्मान भी होगा। कार्यक्रम स्थल पर आने में असमर्थ सेनानियों का घर जाकर स्वागत व सम्मान किया जाएगा। बैठक में गणतंत्र दिवस समारोह पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन, विभिन्न समितियों के गठन, साफ-सफाई व्यवस्था, झांकियों की तैयारी, कार्यालय प्रमुखों द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोकसेवकों के नाम अनिवार्यतः 20 जनवरी तक प्रेषित करने तथा अनुभाग स्तर पर बैठक आयोजन के निर्देश भी दिए गए। 

गणतंत्र दिवस पर शासकीय भवनों व ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर रोशनी भी की जाएगी। गतणंत्र दिवस की अंतिम रिहर्सल 24 जनवरी को होगी। गणतंत्र दिवस की संध्या पर टाउन हॉल में भारत पर्व का आयोजन भी किया जाएगा। गणतंत्र दिवस की तैयारी बैठक में जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिय सहित अपर कलेक्टर नीलाम्बर मिश्र, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरती सिंह तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारीगण भी मौजूद थे।

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Tuesday, January 14, 2025

भारत का इकलौता किला, जहां कभी कोई युद्ध नहीं हुआ

  • इलाहाबाद किले की कहानी उसी की जुबानी !

    

गंगा जमुना मइया की गोद में खड़ा इलाहाबाद का किला। ( फोटो : तरुण कुशवाहा )

जी ! मैं इलाहाबाद का किला हूँ ! और वह भी महान बादशाह जहीरुद्दीन अकबर का बनवाया हुआ वही किला जो तीर्थराज प्रयाग की पावन धरा पर गंगा जमुना मइया की गोद में खड़ा हूँ। मैं सन 1575 से बनना शुरू हुआ था, तो 45 साल में पूरा हुआ। यहां तक कि जो युवक मुझे बनाने के काम में लगे थे वह सभी बनाते -बनाते बूढ़े हो गए थे। पर ख़ुशी इस बात की है कि मैं भारत में एक मात्र कुँवारा किला हूँ जहां कभी कोई युद्ध नही हुआ। कहते हैं जो किला युद्ध न देखे वह कुँवारा किला माना जाता है। पर मुझे तो इसी पर गर्व है कि मैंने कभी कोई युद्ध नहीं देखा और न ही वह देखना चाहता हूँ।

लोग कहते हैं हर किला एक युद्ध मांगता है। लेकिन मैं ऐसा कभी नहीं सोचा। क्योंकि मेरे बनाने वालों ने मुझे युद्ध और मार काट के लिए बनाया ही नही था ? मैं तो शाही खानदान द्वारा माँ गंगा के दर्शन के लिए ही बनाया गया था कि प्रति दिन मां गंगा और यमुना की लहरों का मिलन वे भी देख सकें और मैं भी, तो वह जीवन पर्यन्त हमेशा देखता रहूंगा। जहां तक मेरी बनावट का सवाल है तो मुझे नक्कासीदार पत्थरों से बनाया गया है। और बनावट ऐसी कि अपनी विशिष्ट निर्माण व शिल्प कला के लिए ही जाना जाता हूँ। जब मेरी नक्काशीदार पत्थरों की विशालकाय दीवार से यमुना मइया की लहरे टकराती हैं तो लगता है जैसे कह रही हों कि मैं अन्दर बैठे सभी देवी देवताओं को स्नान करा के ही मानूगी। और हां यह तो मैने बताया ही नही कि मैं हिन्दू मुस्लिम एकता की वह मिसाल हूं जिसके अन्दर पातालपुरी में 44 देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जहां लोग आज भी पूजा पाठ करते हैं। 

मेरे अन्दर बड़ा मनोरम दृश्य देखने को मिलता है, जहां आने जाने वाले सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई का महल देखने की इजाजत अभी भी है। आखिर कोई इतनी दूर से आये और उनका दर्शन न करने को मिले तो मैं खुद को अभागा समझूँगा ? यहां अक्षय वट के नाम से मशहूर बरगद का एक पुराना पेड़ और पातालपुरी मंदिर भी है। कहते हैं इस अक्षय वट को माता सीता का आशीर्वाद प्राप्त है जो कभी नष्ट नही होगा। पर उस समय मेंरा भी कम राजसी ठाट बाठ नहीं रहा ?

पहले तो यहां किले के अन्दर एक टकसाल भी था, जिसमें चांदी और तांबे के सिक्के ढाले जाते थे। साथ ही पानी के जहाज और नाव भी बनाई जाती थीं जो यमुना नदी से समुद्र तक ले जाई जाती। बहुत सारे ज़माने देखे हैं मैने, जिनमें राजे रजवाड़े से लेकर फिरंगी हुकूमत तक। पर अब भारत की सेना को समर्पित हूँ । सभी किलों की अपनी --अपनी किस्मत होती है जो आबाद भी होते हैं और फिर खंडहर भी हो जाते हैं। पर मुझे तो माँ गंगा की गोद नसीब है और लेटे हुए बजरंग बली का सानिध्य, जहां बहुत सारे मंदिर तो मेरे प्रांगण में ही बने हैं। यही कारण है कि जब गंगा जमुना मइया हिलोरे मारती हैं तो लेटे हुए हनुमानजी के चरणों तक पहुँच जाती हैं। तब मुझे भी बड़ा सुकून मिलता है। क्योकि ऐसा दृश्य देखने को तो सभी देवता तक लालायित रहते हैं। जब कि लोगों का कथन है कि वे सभी माघ के महीने में प्रयागराज ही आ जाते हैं। लेकिन मैं तो ऐसा भाग्य शाली हूँ कि पूरे कुंभ मेले को ही यहीं से देखता रहता हूँ।

कितना खुशनुमा दृश्य होता है, जब तमाम लोग इस ईसवी 644 से लगीतार चल रहे सम्राट हर्षवर्धन द्वारा शुरू किए कुम्भ में एकत्र हो एक दूसरे से मिलते बिछड़ते और खुश होते गाते बजाते दिखते हैं। यह सब देख  खुद को धन्य समझता हुआ खड़ा हूँ, विगत 400 वर्षों से अपने आन बान और शान के साथ। पर यह जरूर है कि कुछ वर्षों से कुछ लोग साम्प्रदायिक रूप देकर यहां की प्राचीन गंगा यमुनी तहजीब की साँझी विरासत को तहस नहस करने में आमादा हैं।

आलेख : बाबूलाल दाहिया 

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Friday, January 10, 2025

हिन्दी की उदारता ही उसकी ताकत है

 


             

।। बाबूलाल दाहिया ।।

आज विश्व हिन्दी दिवस है। बात विगत वर्ष की है जब मुझे भोपाल के एक होटल से रानी कमला पति स्टेशन आना था।आटो वाले ने पूछा कि कहां चलना है तो रानी कमलापति नाम ही भूल गया अस्तु जल्दी में कह दिया (हबीब गंज) वह मुस्लिम ड्राइवर सुधारते हुए कहा "अच्छा रानी कमलापति स्टेशन ?" मैंने कहा "हां"। दरअसल उसे रोज सवारी लाते ले जाते रानी कमलापति रट सा गया होगा। पर मेरे जुवान में वही पुराना हबीबगंज ही चढ़ा था। इसी तरह मैं प्रयाग राज को भी अक्सर इलाहाबाद कहने की भूल कर बैठता हूं। क्योकि सहज और लम्बे समय से रटे रटाए नाम जल्दी से जुवान में आ जाते हैं, पर लम्बे अटपटे भूल जाते हैं। 

कुछ वर्षों से शहरों के नाम बदलने की मुहिम तो चली ही थी पर अब बोल चाल में आए फारसी और अंग्रेजी के नामों पर भी कुछ लोग अपनी संकीर्ण मानसिकता थोपने लगे हैं। उनसे कौन कहे कि जब ( हिन्दू, हिन्दुस्तान) ही विदेशियों का दिया हुआ नाम है, तो हिन्दुओं की भाषा हिन्दी में सुद्धता ढूढ़ना भी ( फूस में फांस ढूढ़ना ) जैसे मुहावरे को चरितार्थ करना ही है। क्योकि उसके बुनियाद में ही सम्मिश्रण है।

हमने गांधी जी के भाषण पढ़े हैं। नेहरू जी के भाषण नजदीक से सुने हैं, और उनकी पुस्तक भारत एक खोज भी पढ़ा है। पर उनके भाषण और लेखन में हिन्दी नही हिन्दुस्तानी रहा करती थी। उन भाषणों में हिन्दी उर्दू का अन्तर न के बराबर था। लगता है आजादी के पश्चात ही हिन्दी अधिक ( संस्कृत निष्ठ ) होकर अपना अलग रूप गढ़ती चली गई और उसकी बड़ी बहन उर्दू भी अधिक (फारसी निष्ठ) होती गई।

पर यकीन मानिए हिन्दी की अपनी ताकत उसकी उदारता ही रही है। जो शब्द सहज, सरल, बोधगम्म बोलचाल में स्वीकार्य हैं चाहे जिस भाषा के हो हिन्दी ने आत्मसात करने में परहेज नही किया। इसी से भाषा लोचदार य मुहावरेदार बनी। उसने यह कभी नही देखा कि वह शब्द फारसी के हैं य अंग्रेजी के। भाषा और लिपि दोनों यूं भी मनुष्य का नैसर्गिक नही अर्जित ज्ञान है।  मैं गांव में रहता हूं और यह अनुभव किया हूं कि लोग सरल सहज ग्राह शब्दों को तो अपना लेते हैं पर कठिन को छोड़ देते हैं। कुछ अटपटे शब्दों के बजाय उसके गुण धर्मों के अनुसार नए नाम भी रख देते हैं। जैसे मोटर साइकिल को फट-फट की निरन्तर आवाज निकालने के कारण  (फटफटिया ) नाम रखलिया और पानी मैदान हर जगह उग आने वाले पौधा आइपोमियाँ का नाम (बेसरम ) उसी का परिचायक हैं।

वे रेल के इंतजार में बैठे हों तो यह कभी भी नही कहते कि  " आज लौह पथगामनी बिलम्ब से आएगी।" बल्कि यह कहना अधिक उपयुक्त मानते हैं कि  " ट्रेनलेट है।" जब कि इस वाक्य में 66% इंग्लिश और सिर्फ ( है )भर हिन्दी का क्रिया पद है। पर एक ही अक्षर 66% इंग्लिश को हिंदी बना देता है। हमें चाहिए कि अपनी हिन्दी को इसी प्रकार उदार और समर्थवान रखें। शुरू- शुरू में तो भाषा के रूप में मनुष्य के मात्र आंखों के इशारे य हाथ के संकेत ही रहे होंगे। ठीक उसी प्रकार जैसे मूक बधिर लोग सब कुछ समझ लेते हैं। यदि कुछ शब्द मुँह से फूटते भी रहे होंगे तो उसी तरह जैसे भूखा बछड़ा (ओ-- मां ---? ) की लम्बी आवाज मुँह से निकालता है और उत्तर में गाय भी हुंकार भरती है। पर तब ग्वाला य किसान भी उनकी भाषा समझ जाता है कि "बछड़ा भूखा है और गाय उसे दूध पिलाना चाहती है।"

भाषा मात्र उर्दू, हिन्दी, संस्कृत य अंग्रेजी भर नही है। प्राचीन समय में देश में सैकड़ों ऐसी बोलियां थी जो एक दूसरे से अलग-अलग थीं और हर एक समुदाय की अपने -अपने सीमित कार्य क्षेत्र के जरूरत की भाषा ही हुआ करती थीं। क्योकि तब संचार के साधन आज जैसे नही थे और विवाह सम्बन्ध आदि भी 50-60 किलो मीटर के दायरे में ही होते थे। अस्तु उस सीमित क्षेत्र की लोक ब्यौहार की एक अलग तरह की भाषा ही बन जाती थी।  भाषा कोई भी हो महत्वपूर्ण उसके भाव होते हैं। 

2017 की बात है जब हमारा 5 सदस्यीय दल 40 जिलों के परम्परागत बीज बचाओ यात्रा अभियान में था और बैतूल जिले के एक गांव में रुका था तो हमें ठहरा देख वहां का  (कोरकू ) आदिवासी समुदाय रात्रि में हमारे सम्मान में एक लोक नृत्य का कार्यक्रम रखा। कोरकू आदिवासियों की अपनी एक अलग बोली है जिसे वहां बसने वाले अन्य समुदाय यादव, रहांगडाले , ठाकरे, विसेंन आदि भी नही समझ पाते। उसे मात्र कोरकू ही समझते और बोलते हैं। जब उनके द्वारा गाए गए गीत का अर्थ हमने एक कोरकू टीचर से पूछा तो गीत के भाव को समझ हम खुद ही आश्चर्य चकित रह गए। क्योकि वह गीत कोरकू युवकों को सम्बोधित था जिसमें कहा गया था कि-- " देखो रे ! आज हमारे बीच यह मेहमान आए हैं ,अस्तु उनकी सेवा और सुबिधा में कोई कमी मत रखना?" तो यह थी अपढ़ कोरकू लोगों की हमारे प्रति मेहमानवाजी की बिचार अभिब्यक्ति।

हमारी बोली बघेली है और पड़ोसी क्षेत्र के जिलों की बुन्देली। परन्तु न तो बुन्देली को बुंदेला राजपूत बनारस य मिर्जापुर से बुन्देल खण्ड में लाए थे न, ही,बघेल राजा गुजरात से बघेली को लाए होंगे। क्योकि उनके पहले भी बुन्देलखण्ड में चन्देल,खंगार ,लोधी, भर एवं गोड़ राजवंश शासन करते थे और बघेलखण्ड में कोल, वेनवंशी, गोंड़, बालन्द आदि राजा हुए थे। इसलिए सिद्ध  है कि यह वर्तमान बघेली बुन्देली पहले भी किसी न किसी लोक ब्यौहार के भाषा के रूप में विकसित रही होंगीं।

पिछले वर्ष जब मैं कोल जनजाति पर शोध सर्वेक्षण कर रहा था तो कोरकू की तरह ही कोल समुदाय के भी एक अलग ( हो ) नामक भाषा के कुछ संकेत मिले थे। ( हो) का अर्थ उस कोलारियन भाषा में (मनुष्य) होता है। और (हो) भाषा का मतलब वन्य प्राणियों से अलग मनुष्य की भाषा रहा होगा। हो सकता है प्राचीन बघेली कोलों की (हो) भाषा से ही विकसित हुई हो जो अन्य समुदायों के यहां बस जाने के कारण बदल गई हो? पर उसके अवशेष आज भी हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू व संस्कृत के परिधि से बाहर ( राउत, रउताइन, गउटिया, गउटिन ) आदि सम्मान जनक पद एवं उनका जोहार नामक अभिवादन लोक ब्यौहार में मौजूद हैं।

शहर में रहने वाले किसी ब्यक्ति से यदि पेड़ों के नाम पूछें जाँय तो वह 20-25 नाम बताकर चुप हो जायगा। परन्तु यहां के कोल, गोंड, भुमिया एवं बैगा आदिवासी एक सांस में ही सैकड़ों नाम बता देंगे। इसलिए सिद्ध है कि  पेड़- पौधों, वनस्पतियों ,नदियों पहाड़ों के रखे गए नाम शुरू-शुरू में यहां के प्राचीन निवासियों के ही रहे होंगे। परन्तु बाद में पढ़े लिखे लोग उसी प्रकार  प्रलेखी करण कर के उन्हें अपना बना लिए होंगे जैसे हमारे पास संरक्षित 200 प्रकार की परम्परागत धानों के नाम तो किसानों के रखे हुए हैं, पर आज वह हमारे पास लिपिबद्ध हैं तो लोग हमारी मानने लगे हैं।

इसलिए वक्त का तकाजा है कि भाषा बिचार अभिब्यक्ति का माध्यम ही रहे। पूजा की वस्तु नही जो देवालय में सजाकर रख दी जाय। क्योकि जैसे- जैसे संचार का दायरा बढ़ता है भाषा में भी एकरूपता आती जाती है।

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Wednesday, January 8, 2025

पैदल जा रहे राहगीर का पुलिस ने काट दिया चालान !

  • टारगेट पूरा करने अजयगढ़ पुलिस का गज़ब कारनामा  
  • पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक पन्ना से लगाई न्याय की गुहार 

 सुशील कुमार शुक्ला जिन पर चालानी कार्यवाही हुई, न्याय पाने पुलिस अधीक्षक को सौंपा आवेदन।    

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की पुलिस वाकई गज़ब है। वह सड़क में पैदल जा रहे राहगीर का भी हेलमेट न लगाने के जुर्म में चालान काट सकती है। इस कार्यवाही से पता चलता है कि पन्ना जिले के अजयगढ़ थाना की पुलिस लोगों के जानमाल की सुरक्षा के प्रति कितनी सजग व संवेदनशील है। यह अलग बात है कि पुलिस को सड़कों पर यमदूत बनकर रेत से ओवरलोड़ भरे व धमाचौकड़ी मचाने वाले ट्रैक्टर और डम्फर नजर नहीं आते। पैदल सड़क पर चलने वाले व्यक्ति का चालान काटकर शायद पुलिस ने यह सन्देश दिया है कि सड़क वाहनों के लिए है, पैदल चलने वालों के लिए नहीं। यदि सड़क पर चलना ही हो तो हेलमेट लगाकर ही चलें, नहीं तो चालानी कार्यवाही के लिए तैयार रहें। 

अजयगढ़ पुलिस द्वारा की गई इस कार्यवाही की इन दिनों सोशल मीडिया में खासी चर्चा है। बिना हेलमेट लगाये सड़क में पैदल चलने पर चालानी कार्यवाही का दंश झेल रहे 50 वर्षीय अधेड़ सुशील कुमार शुक्ला पिता स्वर्गीय कालका प्रसाद शुक्ला निवासी कछियाना मोहल्ला वार्ड क्र. 11 अजयगढ़ ने पुलिस अधीक्षक पन्ना सांई कृष्ण एस थोटा को आवेदन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई है। फरियादी सुशील कुमार शुक्ला के मुताबिक वह 4 जनवरी 2024 को अपनी छोटी बेटी के जन्मदिन का आमंत्रण देकर शाम लगभग 7.30 बजे बहादुरगंज की तरफ से अपने घर वापस लौट रहा था। उसी समय पीछे से पुलिस की गाड़ी आई, जिसमें 4 से 5 पुलिस कर्मी जो सादा कपड़ो में थे उन्होंने मुझे जबरन गाड़ी में बैठाया और अजयगढ़ थाने में ले गये। 

पुलिस के इस बर्ताव से हैरान अधेड़ ने जब पुलिस कर्मियों से इस तरह अचानक जबरन थाना लाने का कारण पूंछा तो उसे धमकाया गया। अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए पुलिस वालों ने कहा कि चुपचाप बैठ, ज्यादा सवाल करोगे तो ऐसे केश में फसायेगें कि जुर्माना के साथ छः माह तक जमानत नहीं होगी। फरियादी द्वारा थाना प्रभारी से निवेदन किया गया कि मेरी बेटी का जन्मदिन है, केक काटना है सभी लोग मेरा इंतजार कर रहे होंगे, इसलिए मुझे जाने दें। लेकिन थाना प्रभारी ने भी मेरी एक नहीं सुनी। 

उन्होने वहां खड़ी एक मोटर साईकिल का नंबर आदि लिखकर हेलमेट न लगाकर वाहन चलाने का 300 रुपये का चालान काट दिया। फरियादी को धमकी दी गई कि हमें चालान काटने का लक्ष्य पूरा करना है यदि तुमने हल्ला किया तो तुम्हें झूठे केश में फंसा देगें। घटना दिनांक से फरियादी भयभीत एवं दुखी है और मानसिक रूप से आहत है। पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक को शिकायती आवेदन सौंप कर न्याय दिलाने व संबंधितों के विरुद्ध न्यायोचित कार्यवाही किए जाने की मांग की है। 

इस मामले के सम्बन्ध में अजयगढ़ थाना प्रभारी रवि सिंह जादौन से जब पत्रकारों ने पूंछा तो उन्होंने कहा कि हम पैदल जा रहे व्यक्ति पर हेलमेट न लगाने का जुर्माना भला क्यों लगाएंगे ? बिना हेलमेट वाहन चला रहे होंगे, इसलिए जुर्माना लगाया गया होगा। हो सकता है उस व्यक्ति के बजाय किसी और के नाम पर वाहन हो। वाहन मालिक से पूंछतांछ की जायगी, जिससे सब कुछ स्पष्ट हो जायेगा। 

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Monday, January 6, 2025

पन्ना जिले में कुल 7 लाख 76 हजार 92 मतदाता

  • मतदाता सूची का हुआ अंतिम प्रकाशन
  • 30-39 आयु वर्ग के मतदाता सर्वाधिक


पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में अब मतदाताओं की कुल संख्या 7 लाख 76 हजार 92 है। सर्वाधिक 2 लाख 86 हजार 157 मतदाता पवई विधानसभा में एवं सबसे कम 2 लाख 35 हजार 893 मतदाता गुनौर विधानसभा में दर्ज हैं, जबकि पन्ना विधानसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 2 लाख 54 हजार 42 है। पन्ना जिले में कुल 931 मतदान केन्द्र है। इनमें पवई विधानसभा के 339, गुनौर के 285 एवं पन्ना विधानसभा के 307 मतदान केन्द्र शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी फोटो निर्वाचक नामावली के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम अंतर्गत 6 जनवरी को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया गया। आयोग के निर्देशानुसार 1 जनवरी 2025 की अर्हता तिथि के आधार पर प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के संबंध में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में राजनैतिक दल के अध्यक्ष एवं प्रतिनिधियों की बैठक भी आयोजित की गई। इस मौके पर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेश कुमार ने पुनरीक्षित मतदाता सूची के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी।  

इस दौरान अवगत कराया गया कि गत 29 अक्टूबर को मतदाता सूची के प्रारंभिक प्रकाशन के दौरान जिले में मतदाताओं की कुल संख्या 7 लाख 71 हजार 156 थी। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम की अवधि में 4 हजार 936 मतदाता बढे़ हैं। जिले में 18-19 आयु वर्ग के 11 हजार 702, 20 से 29 आयु वर्ग के 1 लाख 87 हजार 378, 30 से 39 आयु वर्ग के 2 लाख 8 हजार 76, 40 से 49 आयु वर्ग के 1 लाख 52 हजार 167, 50 से 59 आयु वर्ग के 1 लाख 9 हजार 230, 60 से 69 आयु वर्ग के 65 हजार 889, 70 से 79 आयु वर्ग के 31 हजार 667, 80 से 89 आयु वर्ग के 8 हजार 882, 90 से 99 आयु वर्ग के 1 हजार 50 तथा 100 से 109 आयु वर्ग के 51 मतदाता हैं। 

बैठक में मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को जिले की तीनों विधानसभा की मतदाता सूची का सेट एवं फोटोरहित मतदाता सूची की सीडी प्रदान की गई। इस दौरान अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी नीलाम्बर मिश्र एवं निर्वाचन पर्यवेक्षक उमांशकर दुबे भी उपस्थित रहे।

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कंपनी की नौकरी छोड़ राम प्रजापति ने अपनाया जैविक खेती

  • राम प्रजापति के खेत में जैविक खेती का दिया गया प्रशिक्षण 
  • खेती की लागत कम करने की तकनीकी पर दिया गया जोर 



पन्ना। ग्रामीण इलाकों के पढ़े लिखे युवक जो महानगरों में निजी कंपनियों में नौकरी करते हैं उनका रुझान अब अपने परम्परागत धंधा खेती की ओर बढ़ने लगा है। ऐसे युवक लाखों रुपये की नौकरी छोड़ अपने गांव वापस आकर जैविक खेती करने लगे हैं। ऐसा ही एक युवक राम प्रजापति पन्ना जिले की ग्राम पंचायत बरकोला के ग्राम रामपुरखोड़ा के हैं जो अब जैविक खेती में रूचि ले रहे हैं। 

समर्थन संस्था के ज्ञानेंद्र तिवारी ने बताया कि ग्राम पंचायत बरकोला के ग्राम रामपुरखोड़ा में पंचायत मित्रो की समीक्षा बैठक राम प्रजापति के खेत में रखा गया जहाँ पंचायत मित्रों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। श्री तिवारी ने बताया कि राम प्रजापति 28 वर्ष के हैं जो महाराष्ट में एक कम्पनी में नौकरी करते हैं  लेकिन उनका काम खेती किसानी से ही जुड़ा रहा है। युवा कृषक राम प्रजापति का कहना है कि मुम्बई के लोग एमपी वालों को अच्छी नजर से नहीं देखते,  उनका मानना है कि एमपी में गरीबी है, जबकि ऐसा नही है। दो वर्ष से खेती में जुटे राम को कुछ मदद उद्यानिकी विभाग से मिली है लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है। उन्होंने गर्मी में मिर्ची, टमाटर एवं लौकी और कद्दू के साथ कलिंदा लगाने की तैयारी की है।

उल्लेखनीय है कि जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता को बनाए रखने में मदद करती है। जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में इस्तेमाल किया जाता है। जैविक खेती में गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, जीवाणु खाद, फसल अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं तथा प्रकृति में उपलब्ध जीवाणुओं, मित्र कीट और जैविक कीटनाशकों द्वारा फ़सल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है।


वर्तमान समय में खेती करने की प्रणाली पूर्ण तरीके से बदल चुकी है, जिसका एकमात्र कारण है बढ़ती जनसंख्या। जिसकी वजह से अधिक खाद्यान्न उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। जिसके कारण खेती में अधिक रासायनों का प्रयोग किया जा रहा है। जैविक खेती को लोग भूलते जा रहे हैं जिसके कारण हमें शुद्ध भोजन नहीं मिल पा रहा है। अत्यधिक रासायनों के प्रयोग से हमारा भोजन भी विषाक्त होता जा रहा है। जबकि जैविक खेती भारतीय कृषि की एक प्राचीन पद्धति है जो भूमि के प्राकृतिक गुणों को बनाए रखने के साथ हमें रसायनमुक्त शुद्ध भोजन प्रदान करती है। राम प्रजापति जैसे शिक्षित युवक जैविक खेती अपनाकर दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं जो अच्छे संकेत हैं। 

समर्थन संस्था की पहल पर  युवा कृषक राम प्रजापति के खेत में ही पंचायत मित्रो को प्राकृतिक एवं जैविक खेती की तकनीक का प्रशिक्षण कृषि विशेषज्ञों द्वारा दिया गया। कृषि विशेषज्ञ कपूर सिंह, विकास मिश्रा एवं अमित द्ववेदी ने पंचायत मित्रों को प्रशिक्षित किया। कृषि विशेषज्ञ कपूर सिंह ने प्राकृतिक खेती अपनाकर खेती की लागत कम करने की तकनीकी पर जोर दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में फरीदा, ज्ञानेन्द्र तिवारी, विकास मिश्रा, कमल चन्द, शुशील सेन एवं आरती, बाबूलाल रजक सहित 25 पंचायत मित्र शामिल रहे।

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Sunday, January 5, 2025

राइडर्स इन द वाइल्ड-2025 का तृतीय संस्करण शुरू

  • बाइकर्स में दो महिला बाइकर भी शामिल
  • खजुराहो से पन्ना होते हुए गुजरेंगे बाइकर्स 


भोपाल। प्रदेश में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बाइकिंग इवेन्ट 'राइडर्स इन द वाइल्ड-2025 का तृतीय संस्करण रविवार को एमपीटी के होटल 'विंड एंड वेव्स' से शुरू हुआ। संचालक एमपी टूरिज्म बोर्ड संतोष श्रीवास्तव एवं मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों ने फ्लैग ऑफ कर सुपर बाइक रैली को मध्यप्रदेश भ्रमण के लिए रवाना किया। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा संस्था मोस्टेच के सहयोग से आयोजन किया जा रहा है। 

संयुक्त संचालक एमपी टूरिज्म बोर्ड संतोष श्रीवास्तव ने बताया, ‘बाइकर्स भोपाल से राजगढ़, झालाबाड़ के रास्ते से गांधी सागर फॉरेस्ट रिट्रीट पहुंचेंगे। यहां टेंट सिटी में रुकेंगे और अगले दिन गुना, अशोकनगर मार्ग से चंदेरी पहुंचेंगे। चंदेरी में भी बाइक राइडर्स टेंट सिटी में रुकेंगे और चंदेरी के हेरिटेज और प्राणपुर विलेज विजिट करेंगे। यह शहर फिल्म पर्यटन की दृष्टि से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। 

इसके बाद बाइकर्स टीकमगढ़ मार्ग से खजुराहो पहुंचेंगे जहां वे एक दिन रुककर हेरिटेज वॉक और बुंदेलखंड की संस्कृति से अवगत होंगे। खजुराहो से पन्ना के रास्ते बाइकर्स सतना, रीवा एवं सीधी मार्ग से एमपीटी के परसिली रिसोर्ट पहुंचेगे, यहां वेयरफुट सेंड ट्रेक, वर्ड वॉचिंग, जंगल वॉक, मिलेट म्युजियम विजिट और होम स्टे में रात्रि विश्राम करेंगे। बाइकर्स परसिली से उमरिया होते हुए जबलपुर (भेड़ाघाट) पहुंचेंगे। जहाँ मार्बल रॉक धुंआधार वॉटर फॉल विजिट, बोटिंग और स्काई डायनिंग करेंगे। इसके बाद भेड़ाघाट से भीमबेटका जाएंगे और 11 जनवरी को भोजपुर टेम्पल पर बाइक रैली का समापन होगा। 

राइडर्स इन द वाइल्ड 3.0 में इस वर्ष 28 बाइकर भाग ले रहे हैं, इनमें दो महिला बाइकर भी हैं। राइडर्स मुंबई, हैदराबाद, उदयपुर एवं राजस्थान से हैं। एमपीटीबी ने बाइकर्स रैली के साथ एक एंबुलेंस और डॉक्टर की टीम भी शामिल की है, जिससे बाइकर्स को किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधित असुविधा न हो। 

एमपी को मिला बेस्ट एडवेंचर अवार्ड

बाइक राइडर्स रैली का आयोजन हर वर्ष किया जाता है। मध्यप्रदेश को कुछ समय पहले ही एडवेंचर टूरिज्म को लेकर बड़ा खिताब मिला है। अरुणाचल प्रदेश के एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ATOAI) के राष्ट्रीय सम्मेलन में मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड को 'बेस्ट एडवेंचर टूरिज्म स्टेट’ के रूप में सम्मानित किया गया था।

मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा बाइक रैली के आयोजन का उद्देश्य वन्य-प्राणी, प्राकृतिक स्थल, कला-संस्कृति धरोहर के व्यापाक प्रचार-प्रसार बढ़ावा देना है।

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Saturday, January 4, 2025

देश के 80 प्रतिशत से अधिक घड़ियालों का घर है चंबल नदी

  • बाघ, तेंदुआ प्रदेश के साथ अब घड़ियाल प्रदेश भी है मध्यप्रदेश
  • जलीय जीव घड़ियाल नदियों का ईको सिस्टम करते हैं मजबूत 


वन्य जीवन से समृद्ध मध्यप्रदेश बाघ प्रदेश, चीता प्रदेश, तेंदुआ प्रदेश के साथ अब घड़ियाल प्रदेश भी है। यहाँ गिद्धों का आदर्श रहवास है। देश में घड़ियालों की संख्या 3044 है और उसमें से मध्यप्रदेश में 2456 है। इस प्रकार देश में 80 प्रतिशत से अधिक घड़ियालों का घर है मध्यप्रदेश। यहाँ पर डॉल्फिन का भी रहवास है। 

मध्यप्रदेश में अथक प्रयासों से घड़ियालों के संरक्षण का कार्य किया गया। उनके प्राकृतिक रहवास को सुरक्षित बनाया गया और अवैध शिकार पर रोक लगायी गयी। साथ ही अवैज्ञानिक मछली पकड़ने के तौर-तरीकों को बंद किया गया।

435 किलोमीटर क्षेत्र को किया चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित

चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित किया गया है। चंबल नदी मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बहती है। नदी में घड़ियालों की वृद्धि की वजह देवरी ईको सेंटर है। इस सेंटर में घड़ियाल के अण्डे लाये जाते हैं और उनसे बच्चे निकलने के बाद उनका पालन किया जाता है। 

बच्चों की आयु 3 साल होने पर उन्हें नदी में छोड़ दिया जाता है। प्रतिवर्ष 200 घड़ियाल को “ग्रो-एण्ड-रिलीज’’ कार्यक्रम के तहत नदी में छोड़ा जाता है। स्वच्छ नदियों में रहना और नदियों को स्वच्छ रखना घड़ियालों की विशेषता है। इसी वजह से कई राज्यों से इसकी माँग की जाती है। चंबल नदी के घड़ियाल प्रदेश एवं देश की नदियों की शान बढ़ा रहे हैं। जलीय जीव घड़ियाल नदियों का ईको सिस्टम मजबूत करते हैं।

देश में वर्ष 1950 और 1960 के दशक के बीच घड़ियालों की आबादी में 80 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आयी। भारत सरकार ने 1970 के दशक में इसे संरक्षण प्रदान किया। संरक्षण समूहों ने प्रजनन और पुन: प्रवेश कार्यक्रम शुरू किये। हालांकि, वर्ष 1997 और वर्ष 2006 के बीच घड़ियालों की आबादी में गिरावट आयी।

घड़ियाल को गेवियलिस गैंगेटिकस, जिसे गेवियल या मछली खाने वाला मगरमच्छ भी कहा जाता है। वयस्क मादा घड़ियाल 2.6 से 4.5 मीटर (8 फीट 6 इंच से 14 फीट 6 इंच) लम्बी होती है और नर घड़ियाल 3 से 6 मीटर (9 फीट 10 इंच से 19 फीट 8 इंच) लम्बे होते हैं। वयस्क नर के थूथन के अंत में एक अलग सिरा होता है, जो घड़ा नामक मिट्टी के बर्तन जैसा दिखता है, इसलिये इसका नाम घड़ियाल पड़ा। घड़ियाल अपने लम्बी, संकरी थूथन और 110 आपस में जुड़े तीखे दाँतों की वजह से मछली पकड़ने में सहायक होते हैं।

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की स्थापना के लिये 30 सितम्बर, 1978 में भारत सरकार की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। घड़ियालों का कुनबा बढ़ाने के लिये मुरैना में चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी के देवरी घड़ियाल सेंटर में हेचिंग सेंटर शुरू किये जायेंगे। इन नदियों के किनारे बसे 75 गाँव के लोगों को जागरूक किया गया है। गाँव के 1200 लोग घड़ियाल मित्र के रूप में वन विभाग के साथ काम कर रहे हैं।

पंजाब में वर्ष 1960-70 के बाद से वहाँ की नदियों से घड़ियाल गायब हो गये थे। चंबल नदी के देवरी घड़ियाल सेंटर से वर्ष 2017 में घड़ियाल पंजाब भेजे गये थे। वर्ष 2018 में 25 घड़ियाल सतलुज नदी के लिये भेजे गये और वर्ष 2020 में व्यास नदी के लिये 25 घड़ियाल भेजे गये थे।

राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य

चंबल नदी के पारिस्थतिकी तंत्र को सुरक्षित रखने की दिशा में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य बनाया गया था। तीन राज्यों में स्थित इस सेंचुरी का मुख्य आकर्षण घड़ियाल और दुर्लभ पक्षी ‘स्कीमर’ है। यह गंगेटिक में पायी जाने वाली डॉल्फिन, घड़ियाल, मगरमच्छ और साफ पानी के कछुओं के लिये प्रसिद्ध है। वर्ष 1979 में इसे राष्ट्रीय अभयारण्य घोषित किया गया था। 

यह तीन राज्यों मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में फैला हुआ है। अब तक प्रवासी एवं यहाँ रहने वाले पक्षियों की 290 से अधिक प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है। इस अभयारण्य का मुख्य आकर्षण घड़ियाल और दुर्लभ पक्षी “इण्डियन स्मीकर’’ है। यह दुर्लभ पक्षी गर्मियों के मौसम में यहाँ अपना घरोंदा बनाते हैं। देश में अपनी कुल आबादी के करीब 80 फीसदी स्मीकर चंबल सेंचुरी में प्रवास करते हैं।

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Friday, January 3, 2025

पन्ना के जंगल में घायल नीलगाय का हुआ उपचार

 

आपसी संघर्ष में घायल हुई नीलगाय, जिसका उपचार किया गया। 


पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में परिक्षेत्र पन्ना गंगऊ अभ्यारण्य अंतर्गत हरसा बीट के कक्ष क्रमांक 246 में एक नर नीलगाय घायल अवस्था में बैठा हुआ पाया गया है। इस घायल हुए नीलगाय का उपचार पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य जीव स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया जा रहा है।

क्षेत्र सचालक पन्ना टाइगर रिज़र्व अंजना सुचिता तिर्की ने जानकारी देते हुए बताया कि जंगल में नीलगाय के घायल होने की सूचना मिलते ही परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया। श्रीमती तिर्की ने बताया कि प्रथम दृष्टया उक्त नीलगाय के घायल होने का कारण दो नीलगाय में आपसी-संघर्ष होना प्रतीत हुआ। 

आसपास सर्चिंग करने पर कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं पाई गई है। जमीन पर आपसी संघर्ष के निशान प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया की घायल हुई इस नीलगाय का उपचार डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया जा रहा है, जिसकी हालत अब बेहतर है।

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मध्यप्रदेश में बाघ, तेंदुआ और घड़ियाल जैसे प्राणियों की सर्वाधिक संख्या

  • मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को करेंगे चंबल अभयारण्य का भ्रमण
  • प्रदेश में 4 जनवरी से वन्य-जीव पर्यटन को मिलेगा एक नया आयाम



मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि वन्य जीव पर्यटन की दिशा में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। शनिवार 4 जनवरी से वन्य-जीव पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव चंबल अभयारण्य का भ्रमण कर चंबल नदी के घड़ियाल अभयारण्य की व्यवस्थाओं का अवलोकन कर पर्यटन सुविधाओं का जायजा लेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रकृति ने मध्यप्रदेश को कई वरदान दिए हैं। सघन वन, वृक्षों की विविधता के साथ ही वन्य-प्राणियों की भी विविधता मध्यप्रदेश में देखने को मिलती है। वनों और वन्य-प्राणियों से मध्यप्रदेश की एक अलग पहचान बनी है। मध्यप्रदेश बाघ, तेंदुआ और घड़ियाल जैसे प्राणियों की सर्वाधिक संख्या वाला प्रदेश है। चीता पुनर्स्थापन करने वाला मध्यप्रदेश एक मात्र प्रदेश है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देश में ही नहीं पूरे विश्व में सर्वाधिक घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि विश्व में लगभग तीन हजार घड़ियाल हैं, तो इनमें से 85 प्रतिशत चंबल नदी में हैं। करीब चार दशक पहले घड़ियालों की गणना का कार्य शुरू हुआ, जिससे घड़ियालों के इतनी बड़ी संख्या में चंबल में होने की जानकारियां सामने आईं। जनवरी और फरवरी महीने में अनुकूल तापमान का अनुभव कर घड़ियाल पानी से बाहर निकलते हैं और उस वक्त घड़ियालों और मगरमच्छों की गिनती आसानी से हो जाती है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। पर्यटकों में यह चंबल बोट सफारी के नाम से प्रसिद्ध है। यह तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयासों से एक प्रमुख संरक्षण परियोजना है। मध्यप्रदेश में वर्ष 1978 में इसे वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में मान्यता दी गई थी। चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाले छत कछुए और लुप्तप्राय गांगेय डॉल्फिन को संरक्षित करना है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह अभयारण्य लगभग साढ़े पांच वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। पहाड़ियों और रेतीले समुद्र तटों की तरह चंबल नदी के तटों से यह धरती भरी हुई है। यह वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है और इसका मुख्यालय मुरैना में है।

घड़ियालों और गंगा डॉल्फिनों का निवास स्थान, पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और डॉल्फ़िन यहाँ पाए जाते हैं। अन्य जानवर जो (दुर्लभ) श्रेणी में हैं, उनमें मगरमच्छ, चिकने-लेपित ऊदबिलाव, धारीदार लकड़बग्घा और भारतीय भेड़िये हैं, जो संरक्षण सूची की अनुसूची-1 में शामिल हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चंबल नदी में कछुआ परिवार की 26 दुर्लभ प्रजातियों में से 08 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें भारतीय संकीर्ण सिर एवं नरम खोल वाला कछुआ, तीन धारीदार छत वाला कछुआ और मुकुटधारी नदी वाला कछुआ शामिल हैं, जो यहां की पहचान है।

शीतकाल है घड़ियाल देखने का उपयुक्त समय

चंबल में घड़ियाल अभयारण्य देखने के लिए यात्रा का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून तक रहता है। शीतकाल में घड़ियाल देखने और यह क्षेत्र घूमने का सबसे अच्छा समय माना गया है। राष्ट्रीय चंबल वन्य-जीव अभयारण्य में प्रकृति को देखने की बहुत सी गतिविधियाँ होती हैं। घड़ियाल, डॉल्फ़िन, अन्य सरीसृप, जल निकायों और सुंदर परिदृश्य की फोटोग्राफी नाव की सवारी से की जा सकती है। यहाँ की घाटियों और नदियों के किनारे पगडंडियों पर चलना प्रकृति को करीब से देखने का मौका देता है। चंबल नदी लगभग एक हजार किलोमीटर लंबी है। पर्यटक चंबल घड़ियाल सफारी अभयारण्य का आनंद उक्त क्षेत्र के निकटवर्ती नगरों में रहवास सुविधा का उपयोग ले सकते हैं।

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Thursday, January 2, 2025

आपसी संघर्ष में 5 वर्षीय नर तेंदुआ की मौत

 

आपसी संघर्ष की घटना में मृत पांच वर्षीय तेंदुआ का शव, जिसका पोस्ट मार्टम वन्य प्राणी चिकित्सक ने किया। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में दो तेंदुओं के बीच हुई भीषण जंग में एक पांच वर्षीय नर तेंदुआ की मौत हुई है। आपसी संघर्ष की यह घटना उत्तर वन मण्डल के पन्ना वन परिक्षेत्र अंतर्गत बहेरा बीट की है। 

जंगल में मृत पाये गये नर तेंदुये के शव का पोस्टमार्टम आज दोपहर पन्ना टाइगर रिज़र्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने किया, जिससे इस बात का खुलासा हुआ कि तेंदुआ की मौत आपसी संघर्ष में हुई है। बताया गया है कि तेंदुए का शव अच्छी हालत में था, दुर्गन्ध नहीं थी जिससे प्रतीत होता है कि बीती रात में ही तेंदुओं के बीच आपसी संघर्ष हुआ है जिसमें एक तेंदुए को अपनी जान गंवानी पड़ी। 

वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. गुप्ता ने बताया कि मृत तेंदुए की गर्दन में केनाइन दांत के निशान थे, गले में दांत के गहरे जख्म पाए गए हैं। इस भीषण संघर्ष में मृत तेंदुआ की पसलियां भी टूटी हुई थीं। मालुम हो कि पन्ना टाइगर रिज़र्व सहित बफर व टेरिटोरियल के जंगल में तेंदुओं की अच्छी खासी संख्या है, नतीजतन इलाके को लेकर भी इनके बीच आपसी संघर्ष की घटनाएं होती रहती हैं। पोस्ट मार्टम के बाद मृत तेंदुए के अवयवों को जाँच के लिए भेजा जा रहा है। तेंदुए के शव को वरिष्ठ वन अधिकारीयों की मौजूदगी में जला दिया गया है। इस मौके पर सीसीएफ छतरपुर नरेश यादव, उत्तर व दक्षिण वन मंडल के डीएफओ सहित वनकर्मी मौजूद रहे। 

अवैध शिकार के नहीं प्राप्त हुए साक्ष्य

वन मंडल उत्तर पन्ना के वन परिक्षेत्र पन्ना की बीट बहेरा के कक्ष क्रमांक पी-456 में गुरूवार को सकरिया खुदारे हार स्थान पर मृत तेंदुआ के शव की सूचना पर वन विभाग की टीम द्वारा मौका स्थल का निरीक्षण किया गया। वन मंडल अधिकारी एवं उप वन मंडल अधिकारी सहित अन्य स्टॉफ तथा पुलिस के डॉग स्क्वार्ड की उपस्थिति में सर्चिंग करने पर मृत तेंदुआ के आस-पास कोई अवैध शिकार के साक्ष्य नहीं मिले। प्रथम दृष्टया मृत तेंदुआ के गले व चेहरे में नाखून और दांतों ( केनाइन ) के निशान पाए गए। मृत तेंदुआ के आस-पास आपसी संघर्ष के साक्ष्य मिले हैं। इसके अलावा तेंदुआ के चारों केनाईन दांत व नाखून इत्यादि लगे पाए गए। आस-पास अन्य किसी प्रकार की संदिग्ध वस्तु भी प्राप्त नहीं हुई। टीम द्वारा मौका स्थल पर फोटोग्राफ्स लेकर एवं नापजोख कर जप्ती की कार्यवाही की गई। 

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पचमढ़ी में प्राकृतिक रेश्मी वस्त्रों की प्रदर्शनी देखी

 


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को नर्मदापुरम जिले में स्थित पर्यटन केंद्र पचमढ़ी में प्राकृतिक रेश्मी वस्त्रों की विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शनी "प्राकृत- द गिफ्ट ऑफ नेच्यूरल" का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वस्त्रों के निर्माण,विक्रय व्यवस्था आदि की विस्तृत जानकारी प्राप्त की।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में पचमढ़ी न केवल अप्रतिम सुंदरता और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि प्रदेश के वस्त्र शिल्पियों के बनाए कलात्मक वस्त्रों के विक्रय की दृष्टि से भी देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अनूठी प्रदर्शनी के लिए एमपी सिल्क फेडरेशन के समस्त टीम सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएँ दीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पचमढ़ी प्रवास में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों से भी भेंट की।

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Wednesday, January 1, 2025

ठंडी में सब कप रहे ,कहीं दिखे ना हर्ष।आप बधाई लीजिए,आया नूतन वर्ष।।

 


 

।। बाबूलाल दाहिया ।। 

मित्रों ! हमारे यहां हर साल दो नवीन वर्ष आते हैं। एक आज आया है और एक फागुन बीतने के बाद चैत्र में आयेगा। नव वर्ष तो कायदे से वह हो, जिसमें कुछ नयापन लगे और दिखे भी ? जैसे  हमारे देश की जलवायु में चैत्र में कुछ नयापन दिखता है । क्योंकि वह चारों तरफ पेड़ पौधे वनस्पतियों के सिर में सवार होकर आता है। महुए की मादकता और करोंदे की महक वातावरण में घुली हुई सी दिखती है। अमलतास के पीले फूलों की बल्लरिया अपने जूड़ों में बांधने के लिए स्वर्ग अप्सराओं को मौन आमंत्रण सा दे उठती हैं। पलास के फूल जंगल को ही लालिमा युक्त कर देते हैं।

उधर शीघ्र पकने वाले अनाज चना, मसूर, जौ, मटर आदि पक कर घर में खुशहाली ला देते हैं। ग्रामों में हर जगह ढोलक नगड़िया के थाप के साथ फाग और राई की आवाज सुनाई पड़ने लगती है। पर चुपके-चुपके आने वाला यह नया वर्ष जिसमें न तो पेड़ पौधों में कोई उल्लास य नयापन है न जीव जंतुओं में ? हमारे कमरे में दो छिपकिली अपनी जरूरत से ज्यादा जीभ लपलपाती मच्छरों को खाती दिन भर चहल कदमी करती थीं। पर मक्खी मच्छर के साथ इन दिनों पता नहीं वह कहां छिपकर 3 माह की नींद में सोई हुई हैं ?

 80 से अधिक अवस्था वाले बुजुर्गो के इस असार संसार से गुजरने के रोज नित नूतन समाचार मिल रहे हैं। और उसी में चाहें तो किसी दिन अपन को भी शामिल कर सकते हैं। उधर घर से निष्काशित और यातना कैम्पों जिसे आप डिटेक्शन सेंटर रूपी गौशाला भी कह सकते हैं, उनमें कितने ही निरीह पशु बैठान लेकर मृत्यु की बाट जोह रहे हैं। यहां तक कि शीत लहर के कारण कुछ राज्यों में स्कूलों में बच्चों की छुट्टी भी कर दी गई है। किन्तु फिर भी सारा देश रजाई कम्बल में घुसा हुआ या हीटर में शरीर सेक रहा नव वर्ष की बधाई का आदान प्रदान कर रहा है। तो लीजिए इसी बहती गंगा में हाथ धोता मैं भी आप सभी फेसबुक के मित्रों को नूतन वर्ष की बधाई दे रहा हूं। जो नैसर्गिक रूप से भले ही कहीं दिखाई न दे, किन्तु कैलेंडर बदलने की सच्चाई तो है ही। आइए इस कैलेंडर वर्ष 2024 को अलविदा कहें।

कुछ दकियानूस लोग इस नया वर्ष का विरोध भी कर रहे हैं। पर उन्हें कौंन समझाए कि भैये हमारे महीनों और वर्षों की गणना दो तरह की होती है। पहली सूर्य गणना के अनुसार और दूसरी चन्द्र गणना के अनुसार। परन्तु जिस नव वर्ष के आप हिमायती हैं, वह चन्द्र गणना का विक्रमी सम्बत है जो राज काज के लिए  उपयुक्त नहीं है। जबकि यह वैश्विक सन उसके लिए पूर्णतः उपयुक्त है।

जब तक हमारे राजकाज में यह ईसवी सन चलेगा, तब तक हर वर्ष 1 जनवरी ही नव वर्ष होगी। हां एक भारतीय सम्बतसर सूर्य गणना का अवश्य है। वह है राजा शालिवाहन का चलाया हुआ (शके सम्बत) उसमें चैत से सावन तक के माह 31 दिन के होते हैं और भादों से फागुन तक के 30 दिन के। अगर उसे सरकार राजकाज में लेले तो आपका भारतीय नव वर्ष चैत प्रतिपदा को ही हो जायगा। परन्तु वह भी चन्द्र गणना के विक्रमी सम्बत की प्रतिपदा से अलग ही शके सम्बत सर की सूर्य गणना वाली प्रतिपदा को होगा।

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