- प्रकृति के विविध रूपों को ब्रश व पेंट की मदद से किया साकार
- छात्र-छात्राओं की सोच और कला का दीवार में हुआ प्रदर्शन
- बाघों को संकट से बचाने तथा उनके संरक्षण की दिशा में अनूठी पहल
बाघ संरक्षण का सन्देश देने दीवाल पर प्रकृति के विविध रूपों का चित्रण करते स्कूली बच्चे। फोटो - अरुण सिंह |
अरुण सिंह,पन्ना। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस को म.प्र. के पन्ना शहर में आज रविवार को बड़े ही अनूठे अंदाज में मनाया गया। राष्ट्रीय पशु बाघ को बचाने तथा उनके संरक्षण हेतु आम लोगों में जागरूकता पैदा करने के मकसद से शहर के मध्य में स्थित पॉलीटेक्निक कॉलिज की दीवार में चित्र उकेरकर पेंटिंग बनाने की प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस अनूठी प्रतियोगिता में विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं सहित कलाकारों ने बड़े ही उत्साह के साथ भाग लिया। वन विभाग व म.प्र. टाईगर फाउण्डेशन सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुई इस पेंटिंग प्रतियोगिता को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुँचे। निश्चित ही इस आयोजन से अपने वजूद को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे संकट से घिरे बाघों के संरक्षण की महत्ता का संदेश आम जनता तक पहुँचेगा।
उल्लेखनीय है कि अवैध शिकार, तेजी से घटते वन क्षेत्र और विकास परियोजनाओं के कारण बाघों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। उनके विचरण क्षेत्र व प्राकृतिक रहवास नष्ट हो रहे हैं, जिसे देखते हुये पूरी दुनिया का ध्यान जंगल की शान कहे जाने वाले इस शानदार वन्य जीव को बचाने और उसे संरक्षित करने की ओर गया है। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व ने तो बाघों के वजूद को बचाने की दिशा में एक नई राह दिखाई है। बीते एक दशक पूर्व तक पन्ना के जंगल में बाघों की संतोषप्रद मौजूदगी थी, लेकिन अवैध शिकार और कुप्रबंध के चलते पन्ना के जंगलों से बाघों का वर्ष 2009 में पूरी तरह से सफाया हो गया। कभी बाघों के लिये प्रसिद्ध रहा पन्ना टाईगर रिजर्व बाघ विहीन होने के साथ ही एक शोक गीत में तब्दील हो गया।
बाघ पुनर्स्थापना योजना को मिली कामयाबी
पूरी तरह से बाघ विहीन होने के बाद पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने के लिये बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत पेंच टाईगर रिजर्व से एक नर बाघ तथा कान्हा व बान्धवगढ़ टाईगर रिजर्व से दो बाघिनों को प्रथम चरण में पन्ना लाया गया। टाईगर मैन के रूप में देश व दुनिया में प्रसिद्ध हो चुके आर. श्रीनिवास मूर्ति को प्रदेश सरकार ने पन्ना के पुनरूत्थान की जवाबदारी सौंपी। उन्होंने अपनी लगन, निष्ठा और ईमानदारी की मिशाल कायम करते हुये वन अधिकारियों व मैदानी कर्मचारियों में वह जज्बा भरा कि देखते ही देखते पन्ना टाईगर रिजर्व नन्हे शावकों की किलकारियों से गुलजार हो उठा। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में जहां 30 से अधिक बाघ हैं, वहीं बफर व दूसरे वन क्षेत्रों में भी यहां के बाघ विचरण कर रहे हैं। पुनस्र्थापना योजना के बाद टाईगर रिजर्व में 70 से भी अधिक बाघ शावकों का जन्म हो चुका है।
पन्ना ने दिखाई बाघ संरक्षण की राह
बाघ पुनस्र्थापना योजना को मिली शानदार सफलता से बाघ विहीन पन्ना टाईगर रिजर्व जहां फिर से आबाद हुआ, वहीं पन्ना ने पूरी दुनिया को बाघ संरक्षण की नई राह भी दिखाई। पन्ना की इस कामयाबी से कई देश सबक सीखकर अपने यहां भी पन्ना की ही तर्ज पर बाघों की वंशवृद्धि के लिये प्रयास कर रहे हैं। लेकिन दुनिया को सीख देने और नई राह दिखाने वाले पन्ना के जंगलों में ही अब वन्य प्राणियों के शिकार की घटनायें फिर से होने लगी हैं। बीते दो माह के दौरान ही दो तेंदुआ व एक भालू का शिकार हो चुका है, जो चिन्ता की बात है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ संरक्षण दिवस पर स्कूली बच्चों ने अपनी सोच और कला का प्रदर्शन करते हुये जो संदेश दिया है, उसका आम जनमानस में असर होगा, यह उम्मीद की जा रही है।
ईको सिस्टम का पैमाना होता है बाघ
जिस इलाके के जंगल में बाघ की मौजूदगी होती है, वह इस बात का द्योतक है कि वहां का जंगल समृद्ध और स्वस्थ है। बाघ ईको सिस्टम का पैमाना होता है। मालुम हो कि खुले जंगल में स्वच्छन्द रूप से विचरण करने वाले बाघ और चिडिय़ाघर के बाघ में काफी अन्तर होता है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर चिडिय़ाघर या बाड़ों में कैद बाघों की नहीं अपितु खुले जंगल में बिंदास विचरण करने वाले बाघों की घटती संख्या व मंडराते संकट पर चर्चा होती है। क्योंकि पर्यावरण संरक्षण के लिये खुले जंगल में स्वच्छन्द रूप से विचरण करने वाले बाघों का संरक्षण जरूरी है।
मड़ला में बच्चों ने निकाली जागरूकता रैली
वन अधिकारियों ने बच्चों का बढ़ाया उत्साह
दीवार पर प्रकृति के विविध मनमोहक रूपों का चित्र उकेरकर संरक्षण का संदेश देने के लिये आयोजित इस अनूठी प्रतियोगिता में भागीदारी निभाने वाले स्कूली बच्चों का वन अधिकारियों ने मौके पर उपस्थित रहकर उत्साह वर्धन किया। बच्चों ने भी बड़े ही उत्साह के साथ इस प्रतियोगिता में अपनी भागीदारी निभाते हुये चित्र बनाये। कार्यक्रम में वन मण्डलाधिकारी उत्तर नरेश ङ्क्षसह यादव, दक्षिण श्रीमति मीना मिश्रा, जिला पंचायत सीईओ गिरीश मिश्रा, जिला पंचायत पन्ना के अध्यक्ष रविराज सिंह यादव, विश्रामगंज एसडीओ नरेन्द्र सिंह परिहार, पन्ना एसडीओ जाहिल गर्ग तथा हेमन्त यादव इस चित्रकला प्रतियोगिता के दौरान पूरे समय मौजूद रहे।
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