Tuesday, December 31, 2019

पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में मिला बाघ का कंकाल

  •   रमपुरा बीट के कक्ष क्र. 1355 में हुई संदिग्ध मौत
  •   मौत के 15-20 दिन बाद वन अमले को चल सका पता
  •   बाघों की मॉनिटरिंग व सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उठे सवाल



 पन्ना टाईगर रिजर्व का प्रवेश द्वार।

अरुण सिंह,पन्ना। नये वर्ष का आगाज म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में एक बुरी खबर के साथ हुआ है। टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में रमपुरा बीट के कक्ष क्र. 1355 में 31 दिसम्बर मंगलवार को लेन्टाना की झाडिय़ों के बीच अज्ञात बाघ का कंकाल मिला है। बताया गया है कि बाघ की मौत 15 से 20 दिन पूर्व हुई होगी। मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई, इस बात का खुलासा नहीं हो सका है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि टेरीटरी के लिये हुये आपसी संघर्ष में बाघ की मौत हुई होगी। पार्क प्रबन्धन की इस आशंका को यदि सच भी मान लिया जाये तो भी सवाल यह उठता है कि मौत के 15-20 दिन तक बाघों की मॉनिटरिंग व निगरानी में तैनात वनकर्मियों को बाघ के मौत की खबर क्यों नहीं लगी?



क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व कार्यालय द्वारा मामले के संबंध में दी गई जानकारी के मुताबिक पन्ना कोर परिक्षेत्र के बीट रमपुरा कक्ष क्र. 1355 में गश्त के दौरान जमुनहाई तलैया के पास लेन्टाना की झाडिय़ों में बाघ का कंकाल पाया गया है। सूचना प्राप्त होते ही परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना कोर, उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व तथा क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया मौके पर पहुँचे। डॉग स्क्वाड को मौके पर बुलाकर सॄचग करवाई गई। पार्क प्रबन्धन के मुताबिक मौके पर अवैध गतिविधि के कोई चिह्न नहीं पाये गये। बताया गया है कि यह वन क्षेत्र बाघ पी-111 का इलाका है, यहां लम्बे समय से इस बाघ की मौजूदगी देखी गई है। जहां बाघ का कंकाल मिला है उसके आस-पास ताजे पगमार्क भी पाये गये हैं। पार्क के आला अधिकारियों द्वारा मौके पर उपस्थित वनकर्मियों  से पूछताछ की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि इस क्षेत्र में बाघिन टी-2 के शावक पी-261, पी-262 एवं पी-263 विचरण करते थे। इन तीनों शावकों की आयु लगभग 3 से 4 वर्ष के आस-पास थी, जो जवानी की दहलीज पर थे और अपनी टेरोटरी बनाने के लिये अनुकूल वन क्षेत्र की तलाश कर रहे थे। इन तीनों ही बाघ शावकों को रेडियो कॉलर नहीं पहनाया गया था, फलस्वरूप उनके मूवमेन्ट की जानकारी वन अमले को नहीं हो पाती थी। क्षेत्र संचालक द्वारा वनकर्मियों से चर्चा के उपरान्त यह संभावना व्यक्त की गई है कि अपनी टेरीटोरी बनाने के चक्कर में बाघ पी-111 से हुये आपसी संघर्ष में उक्त बाघ की मृत्यु हुई होगी। मृत बाघ टी-2 की छठवीं लिटर की तीन सन्तानों में से कोई एक प्रतीत होता है।

बाघ के कंकाल को जलाकर किया गया नष्ट

क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बताया कि मौके पर बाघ के सभी अवयव केनाइन, नाखून व हड्डी पाई गई हैं। आपने यह भी बताया कि मौत होने की घटना लगभग 15-20 दिन पुरानी प्रतीत होती है। मृत बाघ की वॉडी पोस्टमार्टम योग्य न होने से वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा मात्र परीक्षण किया गया तथा सेम्पल एकत्रित किये गये। मृत बाघ के कंकाल का परीक्षण करने के उपरान्त क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया, उप संचालक, वन्य प्राणी चिकित्सक, परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना कोर, प्रतिनिधि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एवं अन्य स्टाफ की उपस्थिति में जब्त किये गये बाघ के कंकाल को जलाकर नष्ट कर दिया गया है।

सवालों के घेरे में है बाघों की निगरानी

पिछले कुछ महीनों पन्ना टाईगर रिजर्व के आस-पास बफर व टेरीटोरियल के जंगलों में वन्य प्राणियों के शिकार की कई घटनायें प्रकाश में आ चुकी हैं, जिनमें तेंदुओं के शिकार की घटनायें भी शामिल हैं। शिकार की लगातार हो रही घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुये निगरानी तंत्र को मजबूत व चौकस रखना चाहिये। लेकिन टाईगर रिजर्व का कोर क्षेत्र जो वन्य प्राणियों के लिये सबसे सुरक्षित माना जाता है, वहां एक युवा बाघ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के 15-20 दिन तक यदि वनकर्मियों व अधिकारियों को इसकी भनक न लगे तो मामला बेहद गंभीर और चिन्ताजनक हो जाता है। इसी तरह की लापरवाही और अनदेखी के चलते 10 वर्ष पूर्व पन्ना टाईगर रिजर्व बाघ विहीन हुआ था, जिसे अथक श्रम व जन समर्थन से आबाद किया गया। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि पन्ना नेशनल पार्क की उल्टी गिनती फिर शुरू हो गई है।
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केन नदी को रेत माफियाओं ने कुरूक्षेत्र में किया तब्दील

  •   पंचायतों के नाम स्वीकृत खदानों में मशीनों से बेरोकटोक हो रहा उत्खनन
  •   अवैध उत्खनन के खिलाफ कांगे्रसी आये दिन प्रदर्शन कर सौंप रहे ज्ञापन



अरुण सिंह,पन्ना। विलुप्त होने की कगार में पहुँच चुके विभिन्न प्रजाति के जलचरों को आश्रय प्रदान करने वाली जीवनदायिनी केन नदी का वजूद संकट में है। रेत के अवैध कारोबार में लिप्त लोगों द्वारा इस खूबसूरत नदी का सीना भारी भरकम दैत्याकार मशीनों से छलनी किया जा रहा है। नदी के प्रवाह क्षेत्र से मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर रेत निकाले जाने से मगर, घडिय़ाल व विभिन्न प्रजाति के मछलियों सहित अन्य जलचरों व जलीय वनस्पतियां नष्ट हो रही हैं। अनियंत्रित उत्खनन से केन नदी का पूरा ईको सिस्टम तहस-नहस हो गया है, जिसके दुष्परिणाम केन किनारे बसे ग्रामों को भोगना पड़ रहा है। आलम यह है कि रेत के इस खेल में अधिक से अधिक कमाई करने की रेत माफियाओं में होड़ मची है, जीवनदायिनी यह नदी कुरूक्षेत्र में तब्दील हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि म.प्र. में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथजी ने अवैध उत्खनन पर प्रभावी रोक लगाने तथा माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश सभी जिला कलेक्टरों को दिये थे। लेकिन रेत में मची लूट को देखते हुये ऐसा प्रतीत होता है कि पन्ना जिले में मुख्यमंत्री  जी के निर्देशों का असर  नहीं हो रहा। आश्चर्य की बात तो यह है कि आये दिन कांग्रेस के लोग ही रेत के अवैध उत्खनन का विरोध करते हुये प्रशासन को ज्ञापन सौंपने का काम कर रहे हैं, जबकि राज्य में उनकी पार्टी की ही सरकार है। विचित्र और विचारणीय बात तो यह है कि जिन लोगों को अवैध उत्खनन के मामले में मुखर विरोध दर्ज करना चाहिये, विपक्षी दल के नेता चुप्पी साधे हुये हैं। सत्ता पक्ष का विरोध व विपक्ष की चुप्पी के पीछे क्या राज है, यह रहस्य बना हुआ है।
मालुम हो कि जिले में मौजूदा समय पंचायतों के नाम स्वीकृत खदानों में ही रेत का उत्खनन हो रहा है। लेकिन इन खदानों का संचालन पंचायतों के द्वारा न होकर माफियाओं द्वारा कराया जा रहा है। यही वजह है कि जहां मजदूरों से रेत निकाली जानी चाहिये वहां पर दर्जनों की संख्या में भारी भरकम मशीन रेत निकालने के काम में जुटी हैं। केन नदी में रेत की जिस तरह से लूट मची है वह किसी से छिपा नही है, फिर भी प्रशासन इसे अनदेखा किये हुये है। इसके पीछे असल वजह क्या है कुछ कह पाना कठिन है। लेकिन कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में जिस तरह से जिले के बड़े व प्रभावशाली दिग्गज नेताओं के चेहरे नजर नहीं आते, उससे भी सवाल उठ खड़े होते हैं कि आखिर बड़े नेता अवैध उत्खनन मामले में क्यों चुप हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि रेत के इस खेल में जो लाभ उठा रहे हैं वे चुप हैं और जो वंचित हैं वे हो-हल्ला मचाकर शासन व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने का प्रयास कर रहे हैं कि रेत के खेल में उनकी कोई भूमिका नहीं है। मामला जो भी हो लेकिन कांग्रेसियों का रेत के अवैध उत्खनन को लेकर किया गया प्रदर्शन व सौंपा गया ज्ञापन लोगों के बीच चर्चा का विषय अवश्य बना हुआ है।

कांग्रेसियों ने संयुक्त कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन



अवैध उत्खनन को रोके जाने के संबंध में निरंतर कांग्रेसजनों के द्वारा विरोध के पश्चात भी अवैध उत्खनन नहीं रूक पा रहा है। इस दिशा में जिला युवक कांग्रेस के तत्वाधान में जिलाध्यक्ष दीपक तिवारी तथा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनीश खान के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने एकत्र होकर 30 दिसम्बर को कलेक्टर के नाम ज्ञापन दिया जिसे संयुक्त कलेक्टर सकल चन्द्र परस्ते एवं तहसीलदार पन्ना दीपा चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से प्राप्त किया। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि अजयगढ़ क्षेत्रांतर्गत माफियाओं द्वारा केन नदी का सीना छलनी कर माफियाओं द्वारा अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है जिसे जनहित के वास्ते तत्काल रोका जाये। ज्ञापन देने में जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष दीपक तिवारी, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनीश खान, निधि पाठक सहित राजा तिवारी, रियासत खान, अब्दुल हमीद, अमित शर्मा, रेवती रमण दीक्षित, आकाश पाराशर, रामगोपाल शिवहरे, रामदास जाटव, मनीष कुशवाहा, अनमोल गुप्ता, अनुराग, रामसनेही, रवि तिवारी, इरशाद, जयराम गौंड़, कदीर खान, अक्षय जैन, राज खान, आविद वेग, मोहसिन हुसैन, डमरू लाल सेन एवं शहीद खान सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसजन सम्मिलित रहे।
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Saturday, December 28, 2019

भीषण शीत लहर से ठिठुरा मन्दिरों का शहर पन्ना

  •   बर्फीली हवाओं से जन जीवन हुआ प्रभावित
  •   तापमान का पारा पहुँचा 4 डिग्री सेल्सियस



।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मन्दिरों का शहर पन्ना इन दिनों भीषण शीत लहर की चपेट में है। बर्फीली हवाओं के चलने से ठण्ड के तेवर आक्रामक हो रहे हैं, जिससे आम जन जीवन जहाँ बुरी तरह से प्रभावित हुआ है,वहीँ पशु-पक्षी भी ठण्ड से हैरान और परेशान हैं। आलम यह है कि विपरीत स्वभाव वाले प्राणी भी इस कड़ाके की ठण्ड में बदली परिस्थितियों के चलते आपसी वैर भाव भूलकर शीतलहर से बचने का उपाय ढूंढ रहे हैं। 

पन्ना में भीषण ठण्ड व बर्फीली हवाओं के चलते तापमान का पारा 4 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुँचा है। पेड़-पौधों पर ओस की बूँदें जमने लगी हैं जिससे पौधों पर सफेदी नजर आती है। सुबह जल्दी उठने वाले लोग भी 9 बजे के पहले रजाई नहीं छोड़ रहे। सबसे बुरी दशा रोज कमाने वाले गरीब मजदूरों की है, जिन्हें इस हाड़ कंपा देने वाली शीत लहर में ठिठुरना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि विगत एक सप्ताह से ठण्ड का दौर शुरू हुआ है जो निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। बीते तीन दिनों से तो ठण्ड भीषण शीतलहर में तब्दील हो चुकी है, फलस्वरूप दिन में भी ठिठुरन बनी रहती है। इस भीषण ठण्ड से बचाव के लिये शहर के सार्वजनिक महत्व वाले स्थानों पर प्रशासन द्वारा अलाव की व्यवस्था की गई है। लेकिन यह व्यवस्था भीषण ठण्ड और शीतलहर को देखते हुये नाकाफी है। बस स्टैण्ड व जिला अस्पताल जैसी जगहों पर लोग ठिठुरते रहते हैं। 
इस शीतलहर का घरेलू कामकाजी महिलाओं की दिनचर्या में जहां खासा असर पड़ा है, वहीं सरकारी कामकाज भी ठण्ड से प्रभावित हो रहा है। सरकारी दफ्तरों का आलम यह है कि ज्यादातर कर्मचारी किसी न किसी बहाने अपनी सीट छोड़कर धूप में नजर आते हैं। कई दफ्तरों में तो बैठकें आदि भी धूप में आयोजित हो रही हैं। बर्फीली हवाओं के तीखे तेवरों का असर माॄनग वॉक के शौकीनों पर भी पड़ा है। सुबह 5 बजे से ताजी हवा खाने व चहल कदमी करने के लिये सैर पर निकलने वाले लोग अब कम ही नजर आते हैं। 
शहर में इन्द्रपुरी कालोनी के निकट से गुजरे बाईपास मार्ग, अजयगढ़ रोड, चौपड़ा मन्दिर मार्ग, पहाड़कोठी व अमानगंज घाटी मार्ग पर प्रतिदिन सुबह सैकड़ों लोग सैर पर जाते रहे हैं। लेकिन विगत 4-5 दिनों से इक्के-दुक्के दुस्साहसी लोग ही गर्म कपड़ों से ढँके मुंदे नजर आते हैं। ज्यादातर लोगों की दिनचर्या इस भीषण शीतलहर में सुबह 9 बजे के बाद ही शुरू होती है तथा शाम के समय भी ज्यादातर लोग जल्दी ही घर की तरफ रूख कर रहे हैं।

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Friday, December 27, 2019

यादगार बन गया बाघ टी-3 वॉक का आठ दिवसीय आयोजन

  • देशभर के 50 से अधिक वन्य-प्राणी विशेषज्ञों ने लिया भाग
  • पेंच के इसी नर बाघ ने किया है पन्ना को फिर से आबाद 


पन्ना के बाघों का पितामह बाघ टी-3 

अरुण सिंह, पन्ना। बाघ संरक्षण के क्षेत्र में दुनिया का सरताज बन चुका मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिज़र्व पिछले 8 दिनों से रोचक गतिविधि को लेकर चर्चा में रहा है। बाघ पुनर्स्थापना के 10 वर्ष पूरे होने पर वन विभाग, जैव-विविधता बोर्ड और डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. इण्डिया द्वारा 20 से 26 दिसम्बर तक यहाँ पन्ना टी-3 वॉक का आयोजन किया गया, जिसका गुरुवार 26 दिसम्बर को  समापन हुआ। सात चरणों में हुई वॉक में देशभर के 50 से अधिक वन्य-प्राणी विशेषज्ञ और बाघ प्रेमियों ने भाग लिया। पन्ना टी-3 वॉक सागर, पन्ना, छतरपुर और दमोह जिले के उन्हीं इलाकों से गुजरी, जहाँ 10 साल पहले पेंच से आया बाघ टी-3 वापस लौटने के प्रयास में गुजरा था। पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने 70 वन अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम और 4 हाथियों के साथ 19 दिन में इसे वापस पन्ना लाने में सफलता हासिल की थी। यह एक ऐतिहासिक दिन था, क्योंकि इस वापसी के कारण ही आज पन्ना में 55 बाघ हैं।
पन्ना में बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने वाले इस नर बाघ के जीवन वृत्तान्त से दुनिया को अवगत कराने तथा पन्ना की चमत्कारिक सफलता के पीछे छिपी पन्ना टीम की अटूट मेहनत, लगन, जुनून और जज़्बे का साक्षात्कार कराने की मंशा से यह अनूठा आयोजन किया गया था। पूरी दुनिया में पन्ना ही एक ऐसी जगह है जहाँ बाघों को गौरव और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत यहाँ जन्मे प्रथम बाघ शावक का जन्म दिन भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है, ऐसा उदाहरण दुनिया में अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलेगा।

वॉक ने टी-3 की वापसी की दशक पुरानी यादों को किया ताजा



पन्ना टी-3 वॉक का उद्देश्य देश-विदेश के पर्यावरणविद्, शिक्षाविद् और जन-सामान्य को पन्ना बाघ पुनर्स्थापना के लिये किये गए प्रयासों से अवगत कराना है ताकि इनकी संख्या को विश्व में पुनरू बढ़ाया जा सके। पन्ना टी-3 वॉकर्स ने 20 दिसम्बर को हुए पहले चरण में 12 किलोमीटर की यात्रा में बाघ टी-3 का ट्रेक देवरादेव, गेहारीघाट, एस्केप प्वाइंट, दूसरे दिन 10 किलोमीटर का माटीपुरा, रायपुरा, टी-3 का फाइनल एस्केप प्वाइंट, तीसरे दिन 10 किलोमीटर का लम्पटी नाला, नयाखेड़ा, जहाँ उसके पहली बार पगमार्क मिले थे, चौथे दिन 10 किलोमीटर का नैनागिरि और सगुनि वन, जहाँ लोगों ने टी-3 बाघ को देखा था, पाँचवें दिन 15 किलोमीटर का नैनागिरि से रमना, पतरीकोट जहाँ से उसको पहली बार लाने के प्रयास किये गए। पन्ना टी-3 वॉकर्स ने छठें दिन तेंदूखेड़ा डिपो से हिनौता (पन्ना) तक 10 किलोमीटर का रास्ता तय किया और बाघ को गन्ने के खेत में घेर कर बेहोश करने की घटना की यादें साझा कीं। टी-3 वॉक के इस अनूठे आयोजन का समापन प्रकृति व्याख्या केन्द्र मड़ला में हुआ, जहाँ प्रतिभागियों के साथ पन्ना टाइगर रिज़र्व के अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हुये।
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Thursday, December 26, 2019

बाघ विहीन पन्ना टाइगर रिजर्व अब है 55 बाघों का घर

  • बाघ संरक्षण के क्षेत्र में पन्ना ने बनाई है वैश्विक पहचान 
  •  कई देश अब पन्ना मॉडल का अध्ययन कर पुनर्स्थापना का कर रहे प्रयास


पन्ना टाइगर रिज़र्व के जंगल में आराम फरमाता बाघ परिवार। 

 पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना जिला बेशकीमती और उत्कृष्ट हीरों के लिये विख्यात रहा है। लेकिन अब यह जिला बाघ पुनर्स्थापना के सफल होने पर बाघ संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाई है। विगत 10 वर्ष पूर्व  पन्ना टाईगर रिजर्व बाघविहीन हो चुका था फलस्वरूप यहां पर बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई। नतीजतन पन्ना टाइगर रिजर्व आज छोटे-बड़े मिलाकर कुल 55 बाघों का घर है। बाघ की अकेले रहने की प्रवृत्ति के कारण अब यह क्षेत्र भी बाघों के लिये छोटा पडऩे लगा है। जिससे टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से कई बाघ बाहर निकलकर बफर सहित आस-पास के जंगलों में विचरण कर रहे हैं। पन्ना की इस चमत्कारिक कामयाबी से प्रेरित होकर दुनिया के कई देश अब पन्ना मॉडल का अध्ययन कर अपने देश में बाघ पुनर्स्थापना का प्रयास कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सदियों से पन्ना का जंगल बाघों का प्रिय रहवास रहा है। इस वजह से यहां के जंगल को वर्ष 1994 में टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था। फिर एक समय ऐसा भी आया, जब वर्ष 2009 में इस टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं बचा। वन्य-प्राणी विशेषज्ञ और पन्ना के नागरिक यह स्थिति देख आश्चर्य चकित रह गये। मार्च-2009 में बाँधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व से 2 बाघिन को पन्ना लाया गया। इन्हें टी-1 और टी-2 नाम दिया गया। इसके बाद 6 दिसम्बर को पेंच टाइगर रिजर्व से बाघ लाया गया, जिसका नामकरण टी-3 किया गया। इस बाघ का पन्ना टाइगर रिजर्व में मन नहीं लगा और वह वापस दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा। हर वक्त सतर्क पार्क प्रबंधन ने 19 दिन तक बड़ी कठिनाई और मशक्कत से इसका लगातार पीछा किया और 25 दिसम्बर को इसे बेहोश कर पुन: पार्क में ले आये। टाइगर रिजर्व में वापस बाघ को लाने के लिये लगातार रोज मंथन और अनुसंधान होते रहे। इसके लिये वन विभाग ने लॉस्ट वाइल्डरनेस फाउण्डेशन से सम्पर्क किया। फाउण्डेशन ने सबसे पहले हताश और निराश हो चुके पार्क प्रबंधन को प्रोत्साहित किया। उन्हें प्रशिक्षण के साथ आगे आने वाली कठिन और लम्बी कार्य यात्रा के लिये तैयार किया।
बाघों का पन्ना टाइगर रिजर्व से नामो-निशान मिटने का एक बड़ा कारण था, स्थानीय पारधी समुदाय द्वारा शिकार को अपना परम्परागत व्यवसाय मानना। पारधी जाति शिकार को अपनी वीरता का मानदण्ड मानती थी। उनको अपना पुस्तैनी व्यवसाय छोडऩे के लिये मनाना बहुत बड़ी चुनौती थी। ये लोग गरीब होने के साथ अनपढ़ भी थे। इसलिये पारधी समुदाय की मानसिकता को बदलने के साथ उन्हें रोजगार के नये अवसर प्रदान करने के रास्ते ढूँढ़े गये। इनको विश्वास में लेने के बाद फारेस्ट गाइड और प्राकृतिक भ्रमण पर पर्यटकों का साथ देने का प्रशिक्षण दिया गया, ताकि इन्हें पर्याप्त आमदनी प्राप्त हो सके। पर्यटकों के साथ इनका भ्रमण वॉक विद द पारधीज काफी लोकप्रिय भी हुआ। पर्यटन को बढ़ाने में पार्क प्रबंधन ने पारधी लोगों के जंगल के प्रति गहन ज्ञान का भी सदुपयोग किया। वे पर्यटकों को चिडिय़ों की विभिन्न आवाजों और सीडकार्विंग से काफी लुभाते हैं। इस समाज को विकास की मुख्यधारा से जोडऩे के लिये उनके बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में भी भर्ती कराया गया। पन्ना टाइगर रिजर्व में अभी लॉस्ट वाइल्डनेस फाउण्डेशन द्वारा 15 आदिवासी बसाहटों में काम किया जा रहा है। फाउण्डेशन आदिवासियों को बाघ से सामना होने पर बचाव करना और वन्य-प्राणी-मानव द्वंद रोकना सिखाता है। पार्क प्रबंधन ने शिकार के विरुद्ध कड़ी सतर्कता बढ़ाई है। पहले आदिवासी जानवरों का शिकार कर उनके अंगों को अवैध रूप से बेचा करते थे। कई बार जब बाघ खाने की तलाश में गाँव में घुसकर मवेशी मार देते थे, तब गाँव वाले भी ट्रेप या जहर से बाघ को मार देते थे। इसके अलावा बाघों की विलुप्ति का सबसे बड़ा कारण बाहरी व्यक्तियों द्वारा अवैध तरीके से अंधाधुंध शिकार किया जाना था। शिकारी रात के अंधेरे में वन-रक्षकों को चकमा देकर बाघ को मार देते थे।

 बाघ टी-3 को वापस लाने की रणनीति बनाते हुये श्री मूर्ति । (फाइल फोटो)

बाघ टी-3 के वापस टाइगर रिजर्व में लौटने के बाद इतिहास बदलने वाला था। वर्ष 2010 में बाघिन टी-1 ने अप्रैल में और टी-2 ने अक्टूबर में शावकों को जन्म दिया। अब रिजर्व में बाघ की संख्या 8 हो गई थी। टी-1 ने पहली बार 16 अप्रैल को शावकों को जन्म दिया था। यह दिन आज भी पन्ना टाइगर रिजर्व में जोर-शोर से मनाया जाता है। इसके बाद वन विभाग द्वारा 5 वर्षीय बाघों का एक जोड़ा भी कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से यहाँ लाया गया। वर्ष 2013 में भी पेंच से एक बाघिन को पन्ना स्थानांतरित किया गया। अनुमानत: पन्ना में अब तक 70 बाघ हो चुके हैं, जिनमें से कुछ विंध्य और चित्रकूट क्षेत्र के जंगलों में भी पहुँच चुके हैं। अब पन्ना टाइगर पार्क रिजर्व में 55 बाघ हैं।
बाघ पुनर्स्थापना की पहल करने के पहले क्षेत्र संचालक ने अपने अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ लोगों के बीच जाकर बाघों को बचाने के लिये हाथ जोड़कर विनती की। लोगों पर इस कार्यवाही का असर हुआ और वे उनके इस नेक काम में दिल से जुड़ते गये। लोगों ने बाघ पुनर्वापसी की महत्ता को समझा और शिकार न करने की कसम ली। पूरे विश्व में जब बाघ कम होते जा रहे हैं, ऐसे में पन्ना में बाघ पुनर्स्थापना देश और प्रदेश के लिये गर्व की बात है।

बाघ टी-3 को ढूँढऩा था मुश्किल: श्री मूर्ति 

पन्ना टाईगर रिजर्व के तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति  बताते हैं कि बाघ पुनर्स्थापना बहुत ही दुष्कर कार्य था। हमें कदम-कदम पर असफलतायें भी मिलीं पर हमने हार नहीं मानी। एक के बाद एक प्रयोग करते रहे। स्थानीय लोगों को भी जागरूक करते रहे। जो परिणाम आये, वो आज विश्व के सामने हैं। बाघ टी-3 को दूसरी बार ढूँढऩा निहायत ही मुश्किल काम था। उसको पहनाये गये वीएचएफ कॉलर से कोई सिग्नल नहीं मिल रहे थे। हमारे स्टाफ के लोग न केवल चारों दिशाओं में दौड़े, बल्कि 24 घण्टे सतर्क रहे। कई उपाय आजमाने के बाद अंततोगत्वा हमने एक ट्रिक अपनाई। हमने बाघिन का मूत्र क्षेत्र के पेड़ों पर छिड़कवाया, जिससे आकर्षित होकर टी-3 हमें वापस मिला। प्राकृतिक रूप से बाघ इस गंध के सहारे ही बाघिन तक पहुँचता है।
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Tuesday, December 24, 2019

पन्ना के निकट पत्थर खदान में मिला तेंदुआ का शव

  •   मृत नर तेंदुआ की उम्र लगभग 8 वर्ष,सुरक्षित मिले सभी अंग 
  •   विश्रामगंज रेन्ज में सरकोहा बीट के धुबयाई की घटना




अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना जिले में उत्तर वन मण्डल अन्तर्गत विश्रामगंज रेन्ज के सरकोहा बीट स्थित बन्द पड़ी पत्थर खदान में मंगलवार की दोपहर एक नर तेंदुआ का शव मिला है। मृत तेंदुआ की उम्र लगभग 8 वर्ष बताई जा रही है। जंगल से लगे धुबयाई नामक स्थान में जहां पहले पत्थर खदान चलती थी, वहीं गश्ती के दौरान वन कर्मियों को तेंदुआ का शव मिला है। यह स्थान जिला मुख्यालय पन्ना से तकरीबन 7 किमी दूर है।
मामले की जानकारी देते हुये उप वन मण्डलाधिकारी विश्रामगंज नरेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि किसी अज्ञात बीमारी व भूख के कारण तेंदुआ की मौत हुई है। आपने बताया कि पन्ना टाईगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक द्वारा तेंदुआ के शव का पोस्टमार्टम किया गया है, फलस्वरूप उसके पेट में कुछ नहीं मिला। देखने से भी तेंदुआ अत्यधिक कमजोर नजर आ रहा था, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि बीमारी, भूख व कड़ाके की ठण्ड के कारण उसकी मौत हुई है। तेंदुये का शव मिलने की जानकारी होने पर वन मण्डलाधिकारी श्रीमती मीना मिश्रा डॉग स्क्वॉड टीम के साथ मौके पर पहुँची और घटना स्थल का जायजा लिया। सीसीएफ छतरपुर आर.पी. राय भी मौके पर पहुँचे और उनकी मौजूदगी में ही मृत तेंदुये का वहीं पर दाह संस्कार किया गया। शव का पोस्टमार्टम करने वाले वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. एस.के. गुप्ता ने बताया कि मृत तेंदुये के शरीर में सभी मुख्य अवयव सुरक्षित पाये गये हैं। जाँच के लिये सेम्पल जबलपुर, ग्वालियर तथा इण्डियन बिटनरी रिसर्च इन्स्टीट्यूट बरेली भेजा जा रहा है। रिपोर्ट आने पर ही मृत्यु की असल वजह का खुलासा हो सकेगा।
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Saturday, December 21, 2019

फिर जीवन्त हो रही बाघ टी-3 के रोमांचक यात्रा की कहानी

  •   10 वर्ष पूर्व जिस रास्ते चला था टी-3 उसी मार्ग पर चल रहे पर्यावरण प्रेमी
  •   इस अनूठे आयोजन में देशभर के दर्जनों प्रतिभागी हो रहे शामिल
  •   बाघ टी-3 वाक में प्रतिभागी उस समय की चुनौतियों व हालातों से होंगे रूबरू


पन्ना को आबाद करने वाला नर बाघ टी-3 जिस मार्ग से 10 वर्ष पूर्व गुजरा था, उसी मार्ग पर वॉक करते पर्यावरण प्रेमी।  

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. का पन्ना जिला इन दिनों एक अनूठे आयोजन को लेकर चर्चा में है। यह आयोजन बाघ पुनस्र्थापना योजना के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया गया है। उस समय की चुनौतियों और बाधाओं का सामना करते कैसे कामयाबी का मुकाम हासिल किया गया इससे रूबरू कराने के लिये म.प्र. वन विभाग, बायोडायवॢसटी बोर्ड व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के तत्वाधान में यह अनूठी पहल हुई है। इसकी खासियत यह है कि इस पूरे आयोजन के केन्द्र में वह बाघ है जिसने पन्ना को फिर से आबाद किया है। पन्ना के बाघों का पितामह बाघ टी-3 की वह रोमांचक यात्रा जो उसने 10 वर्ष पूर्व दिसम्बर 2009 में की थी, उस यात्रा मार्ग पर देशभर से आये पर्यावरण प्रेमी वॉक कर रहे हैं। 20 दिसम्बर से शुरू हुई यह जंगल यात्रा टी-3 के विभिन्न पड़ावों से होते हुये उस स्थल तक पहुँचेगी, जहां से इस नर बाघ को ट्रंक्यूलाइज कर वापस पन्ना टाईगर रिजर्व में लाया गया था। वॉक में भाग ले रहे लोग कड़ाके की इस ठण्ड में 10 वर्ष पूर्व के रोमांचक दास्तान को न सिर्फ महसूस करेंगे अपितु उसे जी भी सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार 20 दिसम्बर को शुरू हुई बाघ टी-3 वॉक पहले दिन 12 किमी की दूरी तय करते हुये अपने पहले पड़ाव किशनगढ़ पहुँची। शनिवार को सभी प्रतिभागी 10 किमी जंगल के कठिन रास्तों से होकर गुजरेंगे। इस तरह तकरीबन 70 किमी पैदल वॉक करने के बाद 26 दिसम्बर को अभियान का समापन होगा। इस आयोजन की खास बात यह है कि भाग लेने वाले प्रतिभागियों का नेतृत्व वही शख्स कर रहा है जिसकी अगुवाई में पन्ना को चमत्कारिक सफलता मिली है। बीते 10 वर्षों में पन्ना टाईगर रिजर्व ने शून्य से 54 तक का जो सफर तय किया है, उसके मूल में इसी शख्स आर. श्रीनिवास मूर्ति की पन्ना को फिर से आबाद करने का जुनून, जज्बा और काबिलियत छिपी है। बतौर क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व श्री मूर्ति ने पन्ना टाईगर रिजर्व के उजड़े संसार को फिर से आबाद करने के लिये अथक मेहनत करते हुये पूरे अमले में ऐसा जज्बा जगाया कि पूरी टीम एकजुट होकर हर तरह की बाधाओं को पार करते हुये कामयाबी का वह करिश्मा दिखाया, जिससे पूरी दुनिया चमत्कृत हो गई। इस चमत्कारिक सफलता का ही यह परिणाम है कि दुनिया के कई देश बाघ संरक्षण का पाठ सीखने के लिये पन्ना आ रहे हैं।

बाघ टी-3 के यात्रा की रोमांचक दास्तान


प्रतिभागी पर्यावरण प्रेमियों को टी-3 का यात्रा वृत्तांत सुनाते हुये श्री मूर्ति। 

पन्ना की कामयाबी का सूत्रधार बाघ टी-3 की दास्तान रहस्य और रोमांच से भरपूर है। मार्च 2009 में जब अधिकृत रूप से यह घोषणा हो चुकी थी कि पन्ना टाईगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं है यानि पन्ना बाघ विहीन हो चुका है। पन्ना में बाघों को फिर से आबाद करने के लिये बाघ पुनर्स्थापना योजना के प्रथम चरण में कान्हा और बांधवगढ़ से बाघिन टी-1 व टी-2 को पन्ना लाने के बाद 7 नवम्बर 2009 को पेंच से नर बाघ  को यहां लाया गया था। जंगल में पूर्व से ही विचरण कर रहीं दो बाघिनों से इस नर बाघ की मुलाकात न होने पर यह 27 नवम्बर को अपने पुराने ठिकाने की ओर कूच कर गया। जिस बाघ पर पन्ना को आबाद करने की उम्मीदें टिकी थीं, जब वह यकायक गायब हो गया तो उस समय के क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति  ने बाघ को खोजकर लाने के उस महाअभियान की शुरूआत यह कहते हुये की थी कि नर बाघ को हर हाल में खोजकर पन्ना लाना है अन्यथा पन्ना को आबाद करने का सपना कभी हकीकत नहीं बन सकेगा।

कड़ाके की ठण्ड में शुरू हुआ तलाश अभियान

दिसम्बर महीने की हाड़ कंपा देने वाली ठण्ड में बाघ की तलाश में निकलने से पहले श्री मूॢत ने वन अधिकारियों व कर्मचारियों में देश भक्ति के उस जज्बे का संचार किया कि पूरी टीम जय हिन्द का उद्घोष करते हुये हर तरह की मुसीबतों से जूझने तत्पर हो गई। चार हाथियों, पच्चीस वाहनों और सत्तर वन कॢमयों के साथ क्षेत्र संचालक श्री मूर्ति बाघ की तलाश में जुट गये। इस जंगल से उस जंगल, नदी-नालों व पहाड़ों को पार करते हुये भीषण ठण्ड में रातों दिन बाघ की तलाश की जाती रही। पेंच के इस बाघ ने पूरे एक माह तक वन अधिकारियों व कर्मचारियों को हैरान और परेशान किया, लेकिन श्री मूर्ति की टीम ने हिम्मत नहीं हारी। कामयाबी का नया इतिहास रचने वाले इस वनराज को 25 दिसम्बर 2009 को बेहोश करके पुन: पन्ना लाया गया और 26 दिसम्बर को इसे खुले जंगल में छोड़ दिया गया। पन्ना की कामयाबी का यही टर्निंग प्वाइंट था, टी-3 की मुलाकात बाघिन टी-1 से हुई और पन्ना में नन्हे शावकों के आगमन का सिलसिला शुरू हो गया जो अनवरत् जारी है। मौजूदा समय पन्ना में बाघों का कुनबा 50 के भी पार जा पहुँचा है।

टी-3 वॉक के आयोजन से बढ़ेगी जनभागीदारी



जन समर्थन से बाघ संरक्षण पन्ना की कामयाबी का मूल मंत्र रहा है। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुये पार्क प्रबन्धन द्वारा इस तरह की गतिविधियां आयोजित की जाती हैं ताकि आम जनता में पर्यावरण व बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा हो तथा वे संरक्षण के कार्य में सहभागी भी बनें। इस यात्रा का मूल उद्देश्य भी बाघ संरक्षण में जनभागीदारी बढ़ाना और देश दुनिया के पर्यावरण प्रेमियों व आम जनमानस को उन चुनौतियों और किये गये प्रयासों से परिचित कराना है, जिससे पन्ना को उसका पुराना गौरव वापस मिला है। यात्रा से पन्ना के इस गौरव को सुरक्षित, संरक्षित और सहेजकर रखने की प्रेरणा मिलेगी।
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मुरैना के घडिय़ालों से आबाद हुई पन्ना की केन घडिय़ाल सेन्चुरी

  •   केन नदी के मोहारी घाट में छोड़े गये 20 मादा व 5 नर घडिय़ाल
  •   विगत 12 वर्षों के सतत प्रयासों से मिली है यह सफलता


केन घड़ियाल सेन्चुरी के मोहारी घाट में घड़ियालों को केन नदी में छोड़ते वनकर्मी। 

अरुण सिंह,पन्ना। देशी और विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहने वाली पन्ना टाईगर रिजर्व की केन घडिय़ाल सेन्चुरी में अब पर्यटक घडिय़ालों का भी दीदार कर सकेंगे। रंग-बिरंगे ग्रेनाइट पत्थरों की कटान ने अलौकिक छटा बिखेरने वाले रनेह फाल व केन घडिय़ाल सेन्चुरी में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। लेकिन विगत कई वर्षों से यहां पर सिर्फ एक मादा घडिय़ाल ही नजर आती रही है। जिससे प्रजनन न हो पाने के कारण केन घडिय़ाल सेन्चुरी का वजूद खत्म होने की कगार में जा पहुँचा था। पार्क प्रबन्धन के सतत प्रयासों से आखिरकार कामयाबी मिली और चम्बल घडिय़ाल सेन्चुरी मुरैना से 20 मादा व 5 नर घडिय़ाल पन्ना को आज मिल गये। जिन्हें केन घडिय़ाल सेन्चुरी के मोहारी घाट में सुरक्षित तरीके से छोड़ दिया गया है।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने जानकारी देते हुये बताया कि वर्ष 20077 में यहां घडिय़ाल छोड़े गये थे। विगत कई वर्षों से यहां पर सिर्फ एक मादा घडिय़ाल की ही मौजूदगी है। जिसे देखते हुये मुरैना से घडिय़ाल लाकर यहां छोड़े जाने के प्रयास किये जा रहे थे जो आज फलीभूत हुआ है। श्री भदौरिया ने कहा कि नर व मादा घडिय़ाल पर्याप्त संख्या में मिल जाने से अब सूनी पड़ी केन घडिय़ाल सेन्चुरी भी आबाद हो गई है। आपने बताया कि शनिवार को आज केन घडिय़ाल सेन्चुरी के मोहारी घाट में मुरैना से प्राप्त घडिय़ालों को रिलील करने के लिये सभी अनुमतियां व आवश्यक तैयारियां पार्क प्रबन्धन द्वारा पूर्व से ही कर ली गई थीं। घडिय़ालों के यहां आने पर उन्हें सुरक्षित तरीके से सफलता पूर्वक छोड़ दिया गया है।

प्रजनन के लिये नदी में रेत का होना जरूरी : भदौरिया 



घडिय़ालों के प्रजनन हेतु नदी के दोनों किनारों पर पर्याप्त रेत का होना जरूरी है, क्योंकि घडिय़ाल रेत में ही अण्डे देते हैं। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने केन नदी पर रेत के बड़े पैमाने पर होने वाले अवैध उत्खनन पर चिन्ता प्रकट करते हुये कहा कि केन नदी के किनारों पर रेत नहीं रह गई है। रेत के अभाव में घडिय़ालों का सरवाइव हो पाना बड़ा कठिन हो जाता है। केन घडिय़ाल सेन्चुरी के आस-पास नदी के किनारों से रेत मिल ही नहीं रही, जो चिन्ता की बात है। केन घडिय़ाल सेन्चुरी में छोड़े गये घडिय़ालों को अनुकूल व सुरक्षित परिस्थितियां मिलें, इसके लिये जरूरी उपाय करने होंगे ताकि प्रजनन की प्रक्रिया बिना बाधा के जारी रहे।
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मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन पर पन्ना को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

  •   सीईओ बालागुरू के. व परियोजना अधिकारी संजय सिंह परिहार को प्रदान किया गया पुरूस्कार
  •   भव्य समारोह में केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रदान किया मोमेन्टो एवं प्रमाण पत्र



अरुण सिंह,पन्ना। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ग्रामीण विकास विभाग की विभिन्न योजनाओं के राष्ट्रीय पुरूस्कार के.सुब्रमण्यम ऑडीटोरियम नई दिल्ली में प्रदाय किये गये। जिसके अन्तर्गत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में म.प्र. से पन्ना जिले को प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राष्ट्रीय पुरूस्कार प्रदान किया गया। यह पुरूस्कार भारत सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं भारत सरकार की पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के. एवं परियोजना अधिकारी मनरेगा संजय सिंह परिहार को भव्य समारोह में मोमेन्टो एवं प्रमाण पत्र प्रदाय किया गया। मनरेगा में यह राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त करने वाला म.प्र. में पन्ना एकमात्र जिला है।
इस समारोह में पुरूस्कार प्राप्ति हेतु कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के. एवं परियोजना अधिकारी मनरेगा संजय सिंह परिहार को आमंत्रित किया गया था। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा अत्यावश्यक कार्य आ जाने के कारण वहां नहीं पहुँच सके, उनके द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के नेतृत्व में 12 सदस्यीय दल पुरूस्कार प्राप्त करने हेतु दिल्ली भेजा गया। जिले को यह राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त होने से जिले के अधिकारी-कर्मचारियों सहित ग्रामीण विकास विभाग के समस्त अमले द्वारा बहुत प्रसन्नता व्यक्त की जा रही है, क्योकि जिले को ग्रामीण विकास विभाग में राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का पुरूस्कार पहली बार प्राप्त हुआ है, यह निश्चित रूप से जिले के लिये गौरव की बात है। भारत सरकार के इस सम्मान समारोह में उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, नागालेण्ड, सिक्किम राज्यों के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, भारत सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अमरजीत सिन्हा, अतिरिक्त सचिव श्रीमती अल्का उपाध्याय, म.प्र. के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव उमाकान्त उमराव, म.प्र. की मनेरगा आयुक्त श्रीमती शिल्पी गुप्ता, संयुक्त आयुक्त मनरेगा प्रभात उईके, मीडिया अधिकारी अनिल गुप्ता सहित पूरे देश के विभिन्न राज्यों से पधारे वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
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Thursday, December 19, 2019

शान्ति व्यवस्था कायम रखने पन्ना जिले में धारा 144 लागू

  •   सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक संदेश, चित्र आदि भेजना प्रतिबंधित
  •  कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कर्मवीर शर्मा ने जारी किया आदेश



अरुण सिंह,पन्ना। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कर्मवीर शर्मा ने जन सामान्य के कल्याण एवं जिले में लोक शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिये दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के आदेश जारी कर दिये हैं। इस दौरान जिले की सीमा में धरना प्रदर्शन, रैली आदि निकालना प्रतिबंधित रहेगा। इसी प्रकार सोशल मीडिया साइट्स जैसे वाट्सअप, इन्स्ट्राग्राम, फेसबुक, ट्यिूटर आदि के माध्यम से सामाजिक ताने-बाने को तोडऩे, विभिन्न समुदायों के मध्य व्यमनस्य की स्थिति निर्मित करने के लिये तरह-तरह के आपत्तिजनक संदेश, चित्र, वीडियो, आडियो, संदेश, सूचनाओं आदि का प्रकाशन पूर्णता: प्रतिबंधित किया गया है। जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने की संभावना को दृष्टिगत रखते हुये मानव जीवन, लोक सम्पत्ति की क्षति, लोक शान्ति बनाये रखने के लिये यह आदेश जारी किया गया है।
इस दौरान सोशल मीडिया का कोई भी व्यक्ति सामाजिक या व्यक्तिगत रूप से आपत्तिजनक व अश्लील संदेश को प्रकाशित एवं फारवर्ड आदि नहीं कर सकेगा। इनमें किसी भी प्रकार का आपत्तिजनक, सम्प्रदायिक सद्भाव बिगाडऩा, व्यक्तिगत अपेक्षित होकर दुष्प्रचार, आतंकवाद, जातिवाद, सम्प्रदायिकता से संबंधित महिला एवं अल्पसंख्यक वर्ग समुदाय जाति विशेष के विरूद्ध प्रतिकूल टिप्पणी, अफवाह, सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक, सामाजिक, परम्पारिक आदि सभी आयोजनों का बिना अनुमति आयोजन प्रतिबंधित रहेगा। कोई भी व्यक्ति जिले में किसी भी प्रकार की रैली, जुलूश, प्रदर्शन, आन्दोलन, धरने का आयोजन और न ही नेतृत्व करना प्रतिबंधित रहेगा। कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थलों पर चाकू, डण्डा, धारदार हथियार एवं अन्य घातक हथियार जैसी वस्तुयें नहीं रख सकेगा। शासकीय परिसर एवं उससे लगे हुये 100 मीटर की परिधि में ध्वनि विस्तार यंत्र का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। आवश्यकता होने पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के लिये सक्षम अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यह आदेश जनसामान्य के जान माल की सुरक्षा तथा भविष्य में लोक शान्ति भंग होने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुये दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (2) के अन्तर्गत पारित किया गया है। इसका उल्लंघन करने पर संबंधित के विरूद्ध भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी।

पन्ना शहर में पुलिस ने निकाला फ्लेग मार्च



नागरिकता बिल को लेकर पन्ना शहर में शान्ति व्यवस्था कायम रखने हेतु फ्लेग मार्च निकाला गया। जिसमे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एसडीओपी, एसडीएम, तहसीलदार पन्ना एवं थाना प्रभारी कोतवाली पन्ना हमराही यातायात प्रभारी पन्ना एवं समस्त पुलिस बल शामिल रहे। अधिकारियों द्वारा सभी शहरवासियों से नगर में शान्ति एवं सौहार्द बनाये रखने की अपील की गई है।
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माफिया राज ख़त्म करने प्रशासन दिखाये द्रढ़ इच्छा शक्ति

  • कहना कुछ और करना कुछ वाली नीति से नहीं आयेगा बदलाव 
  • एन्टी माफिया सेल का गठन कहीं सिर्फ कागजी खानापूर्ति तो नहीं 


अरुण सिंह,पन्ना। समूचे प्रदेश से माफिया राज खत्म करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने जो दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है और सभी कलेक्टरों को माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं, उसकी आम जनता के बीच जमकर सराहना हो रही है। मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप प्रदेश के कुछ जिलों में इसका असर भी दिखने लगा है। समाज के लिए खतरा बन चुके माफियाओं के साम्राज्य को पूरे दमखम के साथ ध्वस्त किया जा रहा है। प्रदेश  सरकार की इस साहसिक पहल से उन लोगों में खलबली मची हुई है जिन्होंने गैर कानूनी तरीके से प्रकृति और पर्यावरण का विनाश करते हुए अकूत संपत्ति अर्जित की है। इसी संपत्ति के बलबूते शासकीय मशीनरी का संरक्षण हासिल कर वे खनिज संपदा का बेखौफ होकर न सिर्फ दोहन कर रहे हैं अपितु आम जनता का शोषण भी कर रहे हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र का पन्ना जिला जिसे समृद्धि और खुशहाली के शिखर पर होना चाहिए था वह गलत नीतियों और प्रशासनिक लूट खसोट व माफिया राज को संरक्षण देने की मानसिकता के चलते दीन हीन और फटे हाल है। प्रकृति ने इस जिले को अनगिनत खूबियों से नवाजा है, यहां पर खूबसूरत जंगल के साथ समृद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत तो है ही यहां की धरती से बेशकीमती रत्न हीरा भी निकलता है।  पर्यटन व शिक्षा के विकास की इस जिले में विपुल संभावनाएं मौजूद हैं जो समूचे जिले के लिए मंगलकारी हो सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से इस दिशा में ठोस और ईमानदार प्रयास अभी तक नहीं हुए। रोजी रोजगार के लिए सिर्फ रेत और पत्थर खदान व जंगल की अवैध कटाई को ही सहारा माना गया, जिससे खूबसूरत इलाका जो दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता था वह दिनों दिन उजड़ रहा है। पन्ना जिले के जीवन का आधार केन नदी अधाधुंध उत्खनन से चीत्कार कर रही है।  उसका वजूद संकट में है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इतने स्वार्थी और लालची हो चुके हैं कि उन्हें यह विनाश दिखाई नहीं दे रहा।


इस निराशा भरे माहौल में प्रदेश के मुख्यमंत्री की साहसिक पहल से आम लोगों में उम्मीद की किरण जागृत हुई है। क्योंकि यदि प्रदेश का मुखिया ही माफिया राज को खत्म करने की ठान लेगा तो सरकारी मशीनरी को सही रास्ते पर आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। कुछ जिलों ने इस दिशा में तत्परता दिखाई भी है जिसके परिणाम  लोगों को दिखाई दे रहे हैं। लेकिन ऐसे अनेकों जिले जिसमें पन्ना भी शामिल है वहां अधिकारी वर्षों पुरानी आदतों को जल्दी छोड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है। यहां अभी भी वेट एण्ड सी वाली रणनीति पर अधिकारी चल रहे हैं। खानापूर्ति और दिखावे के लिए कुछ कागजी पहल जरूर की गई है, जिसमें माफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही हेतु एंटी माफिया सेल का गठन भी है। मजे की बात तो यह है कि इन्हीं अधिकारियों के पास जिले भर के माफियाओं की पूरी कुंडली है फिर यह अपेक्षा जनता से क्यों की जा रही है कि जनता जानकारी दें ताकि माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही की जा सके।  अरे सुबह से देर शाम तक महेंद्र भवन परिसर में संचालित हो रहे खनिज विभाग के दफ्तर में किन लोगों का जमावड़ा रहता है क्या इससे प्रशासन अनभिज्ञ है?


आपराधियों पर कार्यवाही हेतु जिले में एन्टी माफिया सेल का गठन


 कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कर्मवीर शर्मा द्वारा आदेश जारी किये गये हैं कि विभिन्न माध्यमों से इस आशय की सूचनायें और शिकायतें प्राप्त हो रही है कि शासकीय भूमियों पर अवैध कब्जे, मिलावटी सामानों की बिक्री, अवैध खनिज दोहन/परिवहन एवं अन्य गैर कानूनी गतिविधियों का संचालन कतिपय व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा समूह बनाकर किया जा रहा है। इस प्रकार की गतिविधियों का आम जीवन पर विपरीत प्रभाव पडऩे के साथ शासकीय राजस्व की हानि होने के साथ-साथ कानून व्यवस्था की स्थिति भी निर्मित हो सकती है।
उन्होंने इस प्रकार की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाये जाने के लिये जिले में एन्टी माफिया सेल का गठन किया है। इस टीम में समस्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व/दण्डाधिकारी, समस्त अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, जिला परिवहन अधिकारी, समस्त मुख्य नगरपालिका अधिकारी, खनिज अधिकारी तथा समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत जिला पन्ना को अपने-अपने कार्य क्षेत्र में कार्यवाही हेतु दायित्व सौंपे हैं। सम्पूर्ण जिला का प्रभारी जे.पी. धुर्वे अपर कलेक्टर/अपर जिला मजिस्ट्रेट जिला पन्ना (मो.नं. 9425184459) को बनाया है। एन्टी माफिया सेल के जिला स्तर पर पुलिस समन्वय का दायित्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बी.के.एस. परिहार (मो.नं. 7049142828) निभायेंगे। उक्ताशय से संबंधित गतिविधियों की सूचना जिला परिवहन अधिकारी का मो.नं. 9425173384 पर देने के अलावा संबंधित क्षेत्र के संबंधित अधिकारियों को दी जाये। इनमें अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पन्ना इनका मो.नं. 9999416199, पवई मो.नं. 9755957255, अजयगढ़ मो.नं. 9111262165, गुनौर मो.नं. 7049610171 तथा शाहनगर मो.नं. 8349392277 है। इसी प्रकार अनुविभागीय अधिकारी पुलिस पन्ना मो.नं. 9479996503, पवई मो.नं. 9479996504, अजयगढ़ मोनं. 9479996505 पर सूचना दी जा सकती है। कोई भी व्यक्ति एन्टी माफिया सेल के अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से अथवा उनके मोबाईल फोन द्वारा एसएमएस, व्हाट्सअप के माध्यम से ऐसी शिकायतें प्रस्तुत/प्रेषित कर सकते हैं। साथ ही ईमेल पर मेल के माध्यम से भी शिकायतें/सूचनायें प्रेषित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त कलेक्ट्रेट में शिकायत शाखा अथवा अपर कलेक्टर कार्यालय में शिकायत की जा सकती है। ऐसे शिकायतकर्ताओं का नाम गोपनीय रखा जायेगा। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि कार्यालय अधीक्षक रामलखन शर्मा ई-मेल, दूरभाष एवं शिकायत पेटी पर प्राप्त शिकायतों को संकलित कर एन्टी माफिया सेल के प्रभारी जे.पी. धुर्वे अपर कलेक्टर जिला पन्ना को सीधे प्रस्तुत करेंगे। संबंधित अधिकारी उनके मोबाइल आदि पर शिकायतों को भी प्रभारी अधिकारी को प्रस्तुत करेंगे तथा प्रभारी अधिकारी के निर्देशानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करेेंगे।

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Wednesday, December 18, 2019

कांग्रेस ने पूरे साल चलाया सिर्फ ट्रान्सफर उद्योग: कुलस्ते

  •   केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने प्रदेश सरकार पर साधा निशाना
  •   वचन पत्र के वायदों को पूरा न करने का कमलनाथ सरकार पर लगाया आरोप

                                

अरुण सिंह,पन्ना। प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में पूरे साल सिर्फ ट्रान्सफर उद्योग चलाने का कार्य किया है। चुनाव के समय इन्होंने प्रदेश की जनता से जो वायदे किये थे, वचन पत्र के उन वायदों को पूरा नहीं किया, इसलिये जनता निराश है। यह बात केन्द्रीय इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने पन्ना प्रवास के दौरान आयोजित प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुये कहा कि प्रदेश में किसी भी किसान का कर्ज माफ नहीं हुआ।
उल्लेखनीय है कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक केन्द्रीय मंत्री श्री कुलस्ते को अपराह्न 12 बजे पन्ना आनाा था। पन्ना पहुँचने पर यहां भाजपा कार्यालय में प्रेस वार्ता आयोजित की गई थी, जिसकी विधिवत सूचना पार्टी के मीडिया प्रभारी द्वारा पत्रकारों को दी गई थी। नियत समय पर जिले के पत्रकार भाजपा कार्यालय पहुँच गये, लेकिन केन्द्रीय मंत्री श्री कुलस्ते 1.30 बजे तक पन्ना नहीं पहुँचे। पूरे डेढ़ घण्टे तक पत्रकार मंत्री जी का इंतजार करते रहे, जब वे नहीं आये तो ज्यादातर लोग वहां से चलते बने। पूरे 2 घण्टे विलम्ब से मंत्री जी पन्ना पहुँचे और तब प्रेस वार्ता आयोजित हुई, लेकिन उस समय गिनती के ही कुछ पत्रकार मौजूद रहे। प्रेसवार्ता में ज्यादा संख्या भाजपा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की रही। केन्द्रीय मंत्री श्री कुलस्ते ने इस मौके पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा और पिछले 15 वर्ष के भाजपा शासन को परिवर्तनकारी बताते हुये कहा कि शिवराज सरकार ने प्रदेश की तस्वीर बदलने का काम किया था। श्री कुलस्ते ने कहा कि जनता से झूठे वायदे करके प्रदेश में कांग्रेस की सरकार दुर्भाग्य से बन गई है, जिससे हर कोई निराश है। केन्द्रीय मंत्री श्री कुलस्ते ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गुणगान करते हुये कहा कि उन्होंने पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है, हर भारतवासी को उन पर गर्व है। प्रेस वार्ता के दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष रामबिहारी चौरसिया सहित पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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वन्य प्राणी आये दिन हो रहे सड़क दुर्घटना के शिकार

  •  पन्ना-अमानगंज रोड पर हो रही सर्वाधिक दुर्घटनायें
  •  तेज-रफ्तार वाहनों से सड़क पार करने वाले वन्य जीव होते हैं शिकार



अरुण सिंह,पन्ना। सड़क मार्गों पर तेज रफ्तार से जाने वाले वाहन वन्य प्राणियों के लिये यमराज साबित हो रहे हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र से होकर गुजरने वाले मार्गों पर आये दिन दुर्घटनायें हो रही हैं, फलस्वरूप वन्य प्राणी असमय काल कवलित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा हादसे पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर एवं बफर क्षेत्र के बीच से निकलने वाले राजमार्ग 47 पन्ना से अमानगंज के बीच होते हैं। इसके अलावा पन्ना-छतरपुर मार्ग में भी तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर वन्य प्राणी हादसे का शिकार होते हैं जिससे उनकी मौत तो होती ही है, वाहनों में सवार लोग भी जख्मी हो जाते हैं। आये दिन होने वाली इन सड़क दुर्घटनाओं के बावजूद वाहनों की गति पर अंकुश लगाने के लिये कोई ठोस पहल नहीं की जा रही, परिणामस्वरूप हादसो का सिलसिला यथावत जारी है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों राजा बरिया कैम्प के पास एक नीलगाय तेज रफ्तार कार की चपेट में उस समय आ गई जब वह सड़क पार कररही थी। इस हादसे में नीलगाय की जहां मौत हो गई, वहीं कार भी दुर्घटनाग्रस्त हुई। इसी तरह गत 13 दिसम्बर को रमपुरा बैरियर के पास इसी मार्ग में किसी अज्ञात वाहन द्वारा पुन: एक नीलगाय को टक्कर मारी गई, जिससे उसकी मौत हो गई। इस तरह से होने वाली वाहन दुर्घटना में जहां वन्य प्राणियों की मौतें हो रही हैं, वहीं हर समय जन हानि की भी संभावना बनी रहती है। मालुम हो कि पन्ना-अमानगंज मार्ग पर बाघों की मौजूदगी भी कई बार दर्ज हुई है। कोर क्षेत्र से लगे होने के कारण कई बार बाघ कोर से बफर क्षेत्र के जंगल में सड़क पार कर जाते हैं। ऐसी स्थिति में बाघों सहित वन्य प्राणियों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुये पार्क प्रबन्धन द्वारा वाहन चालकों को सावधानीपूर्वक धीमी गति से वाहन चलाने की न सिर्फ समझाईश दी जाती है अपितु सड़क मार्ग पर कई जगह इस बावत साईन बोर्ड भी लगाये गये हैं। वन्य प्राणियों की मौजूदगी वाले इस मार्ग पर अधिकतम 20 किमी प्रति घण्टे की रफ्तार से वाहन चलाना सुरक्षित है, जिसे सभी वाहन चालकों को अपनाना चाहिये। ताकि वन्य प्राणियों की सुरक्षा के साथ-साथ वे भी सुरक्षित रहें।
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Tuesday, December 17, 2019

सौर ऊर्जा से जगमगायेगा पन्ना का नवीन कलेक्ट्रेट भवन

  •   नवीन कलेक्ट्रेट भवन में होगा प्रदूषण रहित विद्युत का उत्पादन
  •   बाधामुक्त विद्युत प्रदाय के साथ होगा विद्युत खपत का समायोजन
  •   स्थापित यूनिट का कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा किया गया शुभारंभ


अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना स्थित नवीन कलेक्ट्रेट भवन सौर ऊर्जा की रोशनी से जगमगायेगा। इस विशाल भवन में निर्वाध रूप से विद्युत व्यवस्था को बनाये रखने एवं प्रदूषण रहित विद्युत उत्पादन करने के साथ विद्युत की बचत करने के लिये कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा अभिनव पहल की गई है। इस प्रोजेक्ट के तहत उन्होंने कलेक्ट्रेट भवन की खाली पड़ी छत में 370 सोलर पेनल की स्थापना सावन इलेक्ट्रानिक हैदराबाद के द्वारा  कराया गया है। यह सोलर पेनल 120 केव्ही विद्युत उत्पादन करेंगे। जिससे विद्युत विभाग से विद्युत प्रदाय बन्द होते ही स्थापित सोलर पेनल यूनिट से विद्युत प्रवाह प्रारंभ हो जायेगा। इस व्यवस्था से विद्युत प्रदाय के कारण कभी भी कार्य प्रभावित नहीं होगा।
स्थापित यूनिट का शुभारंभ कलेक्टर श्री शर्मा द्वारा इस संयंत्र का लोकार्पण फीता काटकर एवं यूनिट का स्वीच चालू कर किया। इस यूनिट में 60-60 किलो वॉट के दो सोलर संयंत्र स्थापित हैं। इनको 4 सोलर हाईग्रेड इन्वेटर से जोड़ा गया है। प्रत्येक इन्वेटर से 30 किलो वॉट विद्युत मिलेगी। इस सौर ऊर्जा संयंत्र से प्रतिदिन 450 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। माह में यह संयंत्र कुल 13500 यूनिट बिजली पैदा करेगा। जिसका मूल्य 1 लाख 7 हजार 500 रू. होता है। यह राशि प्रतिमाह बचत की जा सकेगी। इस संयंत्र के साथ एक नेट मीटर लगाया गया है। जिससे सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत विद्युत विभाग को प्राप्त होगी। इसका लेखाजोखा रखा जायेगा। अतिरिक्त विद्युत विद्युत विभाग को मिलने पर प्रत्येक माह विद्युत देयक में सम्मिलित कर विद्युत आपूर्ति करेगा। सोलर संयंत्र से कलेक्टर चेम्बर, कलेक्टर न्यायालय, मीङ्क्षटग हॉल, एनआईसी, व्हीसी रूम को जोड़ा जायेगा। इनमें विद्युत प्रवाह बन्द होने के साथ आटोमेटिक सोलर पेनल से विद्युत प्रदाय प्रारंभ हो जायेगा। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के., अपर कलेक्टर जे.पी. धुर्वे, संयुक्त कलेक्टर सिकलचन्द परस्ते के साथ विभिन्न विभागों के जिला अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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मध्यप्रदेश विजन-टू-डिलीवरी रोडमैप-2020-2025 हुआ जारी

  • मिन्टो हाल में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने किया रोडमैप का विमोचन
  • मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ की मौजूदगी में आयोजित हुआ भव्य समारोह  



भोपाल। मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार ने 17 दिसंबर 2019 को एक वर्ष पूरा किया है। एक वर्ष में अर्जित सफलताओं और उपलब्धि साझा करने के लिए आज आयोजित एक कार्यक्रम में सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के लिए अगले पाँच वर्षों के लिए एक विजन दस्तावेज़ श्मध्य प्रदेश विजन-टू-डिलीवरी रोडमैप 2020-2025 ’जारी किया गया। रोडमैप दस्तावेज का अनावरण पूर्व प्रधानमंत्री और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में एक गरिमापूर्ण समारोह में मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की मौजूदगी में मिन्टो हॉल, भोपाल में हुआ।

विजन टू डिलीवरी रोडमैप - 2020-2025 के मुख्य बिन्दु


रोडमैप दस्तावेज का निर्माण लोगों की सामाजिक-आर्थिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं और कम, मध्यम और लम्बे समय के उद्देश्यों को ध्यान में रख लोक-केंद्रित विकास प्रक्रिया के तहत किया गया है। इसमें सभी नागरिकों विशेषकर महिलाओं, बच्चों, किसानों और अन्य हाशिए वाले समूहों का विकास सुनिश्चित करने पर फोकस किया गया है। पाँच साल के रोडमैप की कल्पना प्राथमिक (नागरिकों और संबंधित विभागों) के साथ-साथ द्वितीय (राजनीतिक नेतृत्व, फैसला लेने वाले लोगों, अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों) हितधारकों के साथ एक बढ़ी और विचार-विमर्श प्रक्रिया थी। यह रोडमैप विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों की जरूरतों के मुताबिक विकास संबंधी प्राथमिकताओं को व्यवस्थित तरीके से शामिल करते हुए विभिन्न स्तरों पर चरणबद्ध तरीके से उनके क्रियान्वयन के लिए तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ और उनकी सरकार चिन्हित क्षेत्रों पर वास्तविक रूप में कार्य करने के लिये प्रतिबद्ध है। रोडमैप में चिन्हित मानव विकास संकेतकों और सम्बंधित लक्ष्यों में मध्य प्रदेश का वर्ष 2025 तक शीर्ष प्रदर्शन करने वालों प्रदेशों में से एक के रूप में बनने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है। यह पिछले एक साल में सरकार द्वारा की गई पहलों और अभिनव कार्यक्रमों को पूरक बनाएगा, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों विशेष रूप से किसानों, महिलाओं, बच्चों के लिए, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। रोडमैप में मध्य प्रदेश को श्विकास समृद्ध और ख़ुशहाल राज्य’ बनाने पर बल दिया गया है। इसके लिए, राज्य की कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर और लोगों के अनुकूल बनाने और अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए एक सुविधाजनक वातावरण बनाने की प्रतिबद्धता रोडमैप में है। इस रोडमैप में आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समानता, सांस्कृतिक समरसता, पर्यावरणीय स्थिरता, बुनियादी ढाँचे के विकास और सुशासन के 06 मानव विकास विषयों को शामिल किया गया है। इन 6 क्षेत्रों को पुनः 11 सेक्टरों में बाँटा गया है, जो क्रमशः औद्योगिक विकास, कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों, शिक्षा, लोक स्वास्थ्य और पोषण, समावेशी विकास, संस्कृति, विरासत और पर्यटन, युवा कल्याण और खेल, सिंचाई, ऊर्जा और पर्यावरण, शहरी विकास, ग्रामीण विकास और सुशासन हैं।
रोडमैप दस्तावेज में मध्य प्रदेश के विश्लेषण में प्रदेश की शक्तियों, कमजोरियों, अवसरों का आंकलन किया गया है। इसके बाद दस्तावेज बनाने के लिए अपनाये गये सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है। रोडमैप के निर्माण में अपनाई गई क्रिया जैसे पृष्ठभूमि, विकास की रूप-रेखा, चहुँमुखी एजेंडा और प्रमुख क्षेत्रों और मुख्य विषयों की पहचान, प्रत्येक क्षेत्र की आकांक्षाएँ तथा आकांक्षाओं का प्राथमिकता निर्धारण इत्यादि है। सेक्टोरल प्राथमिकताएँ तय करने एवं दस्तावेज को बनाने में हितधारकों से बातचीत, विभागों से बातचीत तथा डेस्क अनुसंधान को विकसित करने के लिये अपनाये गये तरीकों का उल्लेख है। दस्तावेज के मुख्य अंग - पृष्ठभूमि, दृष्टि, मिशन और लक्ष्य, निगरानी योजना और प्रमुख प्रदर्शन संकेतक एवं सूचकांक हैं।
इस रोडमैप के आधार पर प्रत्येक क्षेत्र और विभाग के लिए व्यापक प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (ज्ञच्प्)’ का निर्माण भी किया जायेगा जिससे प्रगति को मापने योग्य बनाने के साथ-साथ जहाँ भी जरूरी हो, सुधारात्मक कार्रवाइयों को सुनिश्चित किया जा सके। कुल मिलाकर श्मध्य प्रदेश विजन-टू-डिलीवरी रोडमैप 2020-2025श् मध्यप्रदेश को एक संपन्न और समृद्ध राज्य बनाने के लिए लोगों की सरकार की प्रतिबद्धता है, जहाँ हर किसी की देखभाल की जाती है, उनकी आजीविका मजबूत होती है और हितों की रक्षा की जाती है।
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Monday, December 16, 2019

पुलिस परेड ग्राउण्ड में समारोहपूर्वक मनाया गया विजय दिवस

  •  शहीदों के परिजनों का शाल श्रीफल से किया गया सम्मान
  •   स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की दी रंगारंग प्रस्तुति



अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना में विजय दिवस स्थानीय पुलिस परेड ग्राउण्ड में समारोहपूर्वक आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा राष्ट्रीय ध्वजारोहण किया गया। इस अवसर पर ध्वज को सलामी एवं राष्ट्र गान की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कलेक्टर श्री शर्मा द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के विजय दिवस संदेश का वाचन किया गया। इस अवसर पर स्कूली बच्चों द्वारा राष्ट्रीय गीतों पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गई।
कलेक्टर श्री शर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थितों को विजय दिवस की हार्दिक शुभकामनायें दी। उन्होंने संदेश वाचन करते हुये कहा कि विजय दिवस भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ के स्मरण का दिवस है। इसी दिन 16 दिसम्बर को 48 वर्ष पूर्व भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान द्वारा भारत पर थोपे गये युद्ध में निर्णायक विजय प्राप्त की थी। इस युद्ध के शहीद जवानों को हम सभी श्रद्धापूर्वक सलाम करते हैं। सन् 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध एक सैन्य संघर्ष था। यह 3 दिसम्बर को शुरू हुआ और 16 दिसम्बर को ढाका में पाक सेना के समर्पण के साथ समाप्त हो गया। पाकिस्तानी सेना बुरी तरह से परास्त हुई। हताश पाकिस्तानी सेना समर्पण के लिये मजबूर हुई। इसी के साथ पूर्वी पाकिस्तान एक नये देश बंगला देश के रूप में विश्व मानचित्र पर स्थापित हुआ। इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को आत्म समर्पण करना पड़ा था। संदेश वाचन के उपरान्त 1971 के सैनिकों एवं शहीदों के परिवारजनों का शाल श्रीफल से सम्मान किया गया। इनमें गोपाल शर्मा, स्वरूपदास शर्मा, राजाराम जडिय़ा धाम मोहल्ला पन्ना, काजी सैयद चमन अली एवं श्रीमती गीता देवी यादव आगरा मोहल्ला पन्ना, नोने ङ्क्षसह चौहान, श्रीमती लल्ला बाई, श्रीमती गोरी बाई, श्रीमती केशर बाई ग्राम बराछ शामिल थे।


इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में शासकीय कस्तूरबागांधी छात्रावास की बच्चियों द्वारा यह देश है वीर जवानों राष्ट्र भक्ति गीत पर आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति की गई। इसी प्रकार शासकीय उत्कृष्ट आरपी स्कूल के छात्रों ने प्रभावपूर्ण राष्ट्र भक्ति का गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर जिला पंचायत के अध्यक्ष रविराज ङ्क्षसह यादव, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के., अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बी.के.एस. परिहार, नगरपालिका अध्यक्ष मोहनलाल कुशवाहा, पूर्व विधायक श्रीकांत दुबे, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती शारदा पाठक, जनप्रतिनिधिगण, जिला अधिकारी, पत्रकारगण, कर्मचारीगण, छात्र-छात्रायें एवं आमजन उपस्थित रहे।

विजय दिवस प्रदर्शनी रही आकर्षण का केन्द्र

 विजय दिवस के मुख्य आयोजन स्थल स्थानीय पुलिस परेड ग्राउण्ड में जिला जनसम्पर्क कार्यालय पन्ना द्वारा चित्र प्रदर्शनी एवं 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध से संबंधित फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शनी में भारतीय सैनिकों का ढाका में प्रवेश पाकिस्तानी सेना का आत्म समर्पण, बंगला देश निर्माण पर हर्ष मनाते लोग, तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी, भारतीय सेना अधिकारियों बातचीत आदि चित्रों का प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शनी का जिला अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों एवं स्कूली बच्चों द्वारा अवलोकन किया गया। जहां एक ओर अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों ने चित्र प्रदर्शनी की सराहना की वहीं स्कूली बच्चों द्वारा प्रदर्शित फिल्म को सराहा।
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Sunday, December 15, 2019

पन्ना शहर में शीत लहर कोहरे का भीषण प्रकोप

  •  ठण्ड के आक्रामक तेवरों से जनजीवन हुआ प्रभावित
  •  सुबह सैर पर निकलने वाले लोगों ने भी बदला समय 



अरुण सिंह,पन्ना। मंदिरों का शहर पन्ना इन दिनों  भीषण शीत लहर और घने कोहरे की चपेट में है। बीती रात बारिश होने के साथ ही मौसम का मिजाज तेजी से बदला और  ठण्ड ने कहर ढाना शुरू कर दिया। मौजूदा समय जिले का अधिकतम तथा न्यूनतम तापमान औसत से नीचे बना हुआ है। तेज ठण्ड तथा कोहरे के कारण आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। दो दिन से  घना कोहरा होने के कारण सूर्य देव के दर्शन दुर्लभ हो गये हैं। पूरे दिन सर्द हवाओं के कारण ठण्ड का प्रकोप कायम रहता है, जिससे लोग रजाई के भीतर दुबकने को मजबूर हैं। कोहरे का आलम यह है कि दिन में भी वाहनों को लाइट जलाकर चलना पड़ रहा है। सुबह के समय तो 10 मीटर दूर का भी साफ  दिखाई नहीं देता। 

उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर इन दिनों शीत लहर की चपेट में है। बर्फीली हवाओं के चलने से ठण्ड के तेवर आक्रामक हो रहे हैं, जिससे आम जन जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। भीषण ठण्ड व घने कोहरे के चलते सुबह जल्दी उठने वाले लोग भी नौ बजे के पहले रजाई नहीं छोड़ रहे। सबसे बुरी दशा रोज कमाने वाले गरीब मजदूरों की है, जिन्हें इस हाड़ कंपा देने वाली शीत लहर में ठिठुरना पड़ रहा है। पिछले दो दिनों से ठण्ड का यह दौर शुरू हुआ है जो निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। अब तो ठण्ड भीषण शीतलहर में तब्दील हो चुकी है, फ लस्वरूप दिन में भी ठिठुरन बनी रहती है। इस भीषण ठण्ड से बचाव के लिये शहर के सार्वजनिक महत्व वाले स्थानों पर अभी तक अलाव की भी व्यवस्था नहीं की जा सकी है। नतीजतन बस स्टैण्ड व जिला अस्पताल जैसी जगहों पर लोग ठिठुरते रहते हैं। इस शीतलहर का घरेलू कामकाजी महिलाओं की दिनचर्या में जहां खासा असर पड़ा है, वहीं सरकारी कामकाज भी ठण्ड से प्रभावित हो रहा है। बर्फ ीली हवाओं के तीखे तेवरों का असर माॄनग वॉक के सौखीनों पर भी पड़ा है। सुबह 5 बजे से ताजी हवा खाने व चहल कदमी करने के लिये सैर पर निकलने वाले लोग अब कम ही नजर आते हैं। ज्यादातर लोगों की दिनचर्या इस भीषण शीतलहर में सुबह  9 बजे के बाद ही शुरू होती है तथा शाम के समय भी ज्यादातर लोग जल्दी ही घर की तरफ रुख कर रहे हैं।
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Saturday, December 14, 2019

मनरेगा में राष्ट्रीय पुरूस्कार हेतु पन्ना जिले का चयन

  •   जिले में मनरेगा योजना का हुआ उत्कृष्ट क्रियान्वयन
  •   कलेक्टर व जिला सीईओ 19 दिसम्बर को प्राप्त करेंगे अवार्ड



पन्ना, 14 दिसम्बर 2019। महात्मा गांधी नरेगा अवार्ड 2019 हेतु केन्द्र सरकार द्वारा पूरे देश में राज्यों, जिलों, जनपद तथा ग्राम पंचायतों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अन्तर्गत विभिन्न श्रेणियों में 19 दिसम्बर को दिल्ली में पुरूस्कृत किया जाना प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश से पन्ना जिले को महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अन्तर्गत प्रभावी क्रियान्वयन हेतु पुरूस्कार के लिये चयनित किया गया है। इस प्रक्रिया हेतु सर्वप्रथम जिलों द्वारा प्रदेश स्तर पर अपने-अपने जिलों का प्रजेन्टेशन राज्य स्तर पर भोपाल भेजा गया।
कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के मार्गदर्शन में जिले का प्रजेन्टेशन भेजा गया था। राज्य स्तर से समीक्षा पश्चात् चयनित किये गये कुछ जिलों के प्रजेन्टेशन के प्रस्ताव राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली भेजे गये। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सम्बन्धित जिलों के कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, परियोजना अधिकारी (मनरेगा) को अपने जिले का प्रजेन्टेशन देने हेतु दिल्ली बुलाया गया। राष्ट्रीय स्तर पर समस्त राज्यों के चयनित जिलों द्वारा अपने अपने जिले का प्रजेन्टेशन माह अक्टूबर में दिया गया। राष्ट्रीय स्तर पर प्रजेन्टेशन के पश्चात् भारत सरकार द्वारा सम्बन्धित जिलों के प्रजेन्टेशन के अनुरूप मनरेगा अन्तर्गत कराये गये कार्यो एवं कार्यालयीन अभिलेखीकरण के सत्यापन हेतु टीम भेजी गई। पन्ना जिले का सत्यापन राजीव अहल, संचालक, प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा 23 नवम्बर को किया गया। जिले द्वारा मनरेगा अन्तर्गत कराये गये उत्कृष्ट कार्य के लिये किये गये प्रस्तुतीकरण एवं भारत सरकार द्वारा कराये गये सत्यापन उपरान्त पन्ना जिले का चयन महात्मा गांधी नरेगा अवार्ड 2019 हेतु किया गया है। अवार्ड वितरण का कार्यक्रम 19 दिसम्बर 2019 को सी सुब्रमन्यन हाल, नई दिल्ली में आयोजित है, जिसमें जिले के कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत बालागुरू के अवार्ड प्राप्त करने हेतु उपस्थित होंगे। निश्चित् रूप से राष्ट्रीय स्तर पर पुरूस्कार हेतु मध्यप्रदेश से पन्ना जिले का चयन होने पर जिले के लिये गौरव की बात है, जो जिले में बेहतर कार्य करने के लिये नई ऊर्जा का संचार करेगा।
गौरतलब है कि पन्ना जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अप्रैल 2007 से प्रारम्भ हुई। इस योजना के प्रारम्भ होने से जहां हितग्राही मूलक योजना अन्तर्गत 6974 कूपों के निर्माण के साथ साथ डीजल पम्प प्रदाय किये जाने से 10461 एकड़ सिंचित रकवे में वृद्धि हुई, जिस कारण से कृषि उत्पादन वृद्धि में अभूतपूर्व परिणाम सामने आये। साथ ही मनरेगा अभिसरण के माध्यम से 1175 सीमेन्ट कांक्रीट रोड का निर्माण हुआ, जिससे ग्रामवासियों के लिये आवागमन सुगम हुआ। जिले में प्रचलित विभिन्न कार्यो के अन्तर्गत वर्ष 2018.19 में 63114 परिवारों को 3116498 मानव दिवस रोजगार उपलब्ध कराया गया, जिसमें 1127707 मानव दिवस रोजगार महिलाओं को उपलब्ध कराया गया है। मनरेगा में प्रदान किये रोजगार में 36.19 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी है।
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Thursday, December 12, 2019

ओशो ने अपने विचारों की क्रांति से समूचे विश्व को आलोकित किया

  •  तीन दिवसीय ओशो महोत्सव का जबलपुर में  भव्य शुभारम्भ



जबलपुर। राज्य शासन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ओशो महोत्सव का आज यहाँ भव्य समारोह में शुभारम्भ किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि संभागायुक्त श्री रविन्द्र कुमार मिश्रा थे। समारोह की अध्यक्षता महापौर डॉ स्वाति गोडबोले ने की। विधायक श्री विनय सक्सेना, डॉ. राजेश धीरावाणी, आलोक मिश्रा, कृष्ण वेदांता, कपिल तिवारी, सीमा कपूर, डॉ नसरत मेहंदी, आलोक मिश्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन थे। समारोह में ओशो महोत्सव का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया गया।
    ओशो महोत्सव के शुभारंभ समारोह के प्रारम्भ में कलेक्टर श्री भरत यादव ने  पहली बार शासकीय स्तर पर आयोजित किये जा रहे इस महोत्सव में देश-विदेश से आये ओशो भक्तों का स्वागत किया। उन्होंने कहा की ओशो महोत्सव से आचार्य रजनीश की कर्मभूमि रहे जबलपुर को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी और इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
    महापौर डॉ स्वाति गोडबोले ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अपने विचार व्यक्त करते हुए ओशो महोत्सव के आयोजन को जबलपुर वासियों के लिए गौरव बताया। महोत्सव में आये ओशो भक्तों का शहरवासियों की ओर से स्वागत करते हुए महापौर ने कहा कि माँ नर्मदा के गोद में बसे जबलपुर को आचार्य रजनीश ने अपनी कर्मस्थली बनाया, यहाँ शिक्षा ग्रहण की और ज्ञान प्राप्त करने के बाद समूचे विश्व को अपने विचारों से आलोकित किया तथा इस शहर को विशिष्ट पहचान दिलाई।
    समारोह के मुख्य अतिथि संभागायुक्त श्री रविन्द्र कुमार मिश्रा ने आचार्य रजनीश की कर्मभूमि पर ओशो महोत्सव के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ओशो ने अपने विचारों की क्रान्ति से  समूचे विश्व को आलोकित किया है।
    संभागायुक्त ने देश में स्थित सभी ओशो ध्यान केन्द्रों को प्रकाश पुंज बताया। उन्होंने कहा कि ध्यान से प्रयोग की शैली विश्व में आचार्य रजनीश ने ही विकसित की। श्री मिश्रा ने महोत्सव में आये ओशो भक्तों का स्वागत करते हुए कहा कि महोत्सव जबलपुर को नई पहचान देगा और इससे पर्यटन की गतिविधियां भी बढ़ेंगी।

ओशो महोत्सव में आज

    ओशो महोत्सव के दूसरे दिन 12 दिसंबर के कार्यक्रमों की शुरुआत सक्रिय ध्यान से होगी जो स्वामी अनादि अनंत अमृत धाम आश्रम जबलपुर के मार्गदर्शन में होगा इसके बाद श्री अशोक चतुर्वेदी पूर्व सचिव विधानसभा मां साधना ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन पुणे एवं फिल्म निदेशक सुभाष घई का व्याख्यान होगा। ध्यान क्या और क्यों इस विषय पर सुश्री सीमा कपूर लेखिका द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा। ओशो अनहद कम्यून भोपाल की ओर से मां प्रेम पूर्णिमा साहित्यकार एवं कथाकार श्री कमलेश पांडे द्वारा इसी क्रम में ध्यान पर व्याख्यान दिए जाएंगे। मैं धार्मिकता सिखाता हूं धर्म नहीं, इस विषय पर श्री शशांक शेखर महाधिवक्ता मध्यप्रदेश श्री नरेंद्र पाल सिंह रूपराह वरिष्ठ अधिवक्ता जबलपुर, श्री सुरेंद्र बिहारी गोस्वामी प्रोफेसर नूतन कॉलेज भोपाल व्याख्यान एवं परिचर्चा में भाग लेंगे।  अगले महत्वपूर्ण चरण में श्री सुभाष घई फिल्म निर्माता एवं निर्देशक की अध्यक्षता में ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन पुणे द्वारा ओशो की विभिन्न भाव भंगिमाओं की अनदेखी फिल्म, ओशो के अंग्रेजी-हिन्दी वीडियो एवं ओशो मेडिटेशन रिसोर्ट पुणे झलकियां दिखाई जायेगी। शाम 7.30 बजे से प्रसिद्ध सूफी गायिका रेखा भारद्वाज द्वारा सूफी गायन की प्रस्तुति दी जाएगी।

Wednesday, December 11, 2019

प्रशिक्षु वन अधिकारियों के लिये पन्ना बना शिक्षा का केन्द्र

  •   भारतीय वन सेवा के अधिकारियों का छ: दिवसीय अध्ययन प्रवास
  •   वन अधिकारी पन्ना टाइगर रिजर्व में हासिल कर रहे व्यवहारिक ज्ञान



अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. का पन्ना टाइगर रिजर्व देश व विदेश के प्रशिक्षु वन अधिकारियों तथा वन्य जीव प्रेमियों के लिये शिक्षा का केन्द्र बन चुका है। बीते 10 सालों में यहां पर जिस तरह के अनूठे और अभिनव प्रयोग हुये हैं तथा इन प्रयोगों से जो चमत्कारिक सफ लता मिली है उससे पन्ना टाइगर रिजर्व की ख्याति पूरी दुनिया में फैली है। इस कामयाबी को निकट से देखने व समझने के लिये भारत ही नहीं अपितु अन्य दूसरे देशों के वन अधिकारी अध्ययन प्रवास में यहां आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रशिक्षु वन अधिकारियों का 92 सदस्यीय दल गत 9 दिसम्बर को यहां पहुंचा है। छ: दिवसीय इस अध्ययन प्रवास में ये अधिकारी पन्ना टाइगर रिजर्व के अतीत, वर्तमान व भविष्य की संभावनाओं का गहराई से अध्ययन करेंगे। इन्दिरा गाँधी नेशनल फारेस्ट एकेडमी के इन प्रशिक्षु वन अधिकारियों को डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिकों तथा पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। प्रवास में आये वन अधिकारी पन्ना टाइगर रिजर्व में प्रकृति, पर्यावरण व वन्य प्रांणियों के बारे में बड़ी लगन व मेहनत से व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त कर रहे हैं। मालुम हो कि वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था। ऐसी स्थिति में यहां पर बाघों को फिर से आबाद करने के लिये बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई। जिसे यहां पर अभूतपूर्व कामयाबी मिली, परिणामस्वरूप बीते 10 सालों में पन्ना टाईगर रिजर्व में राष्ट्रीय पशु बाघों की संख्या शून्य से 50 से भी अधिक पहुँच गई है। यह चमत्कारिक सफलता देश ही नहीं पूरी दुनिया को आकृष्ट कर रही है। दुनियाभर के वन अधिकारी व वन्यजीव प्रेमी पन्ना की सफलता को जानने और समझने के लिये यहां आ रहे हैं। भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी भी वन व वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन के संबंध में व्यवहारिक ज्ञान अॢजत करने के लिये अध्ययन प्रवास पर हैं। निश्चित ही पन्ना टाईगर रिजर्व के लिये यह गौरव की बात है।

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बिना बिजली गुरूत्वाकर्षण शक्ति से की जा रही जल की आपूर्ति

  •   पन्ना जिले के बड़ौर गाँव  को पेयजल संकट से मिली निजात
  •   एनएमडीसी की अभिनव पहल से गाँव में घर-घर पहुँच रहा पानी
  •   गाँव से 3 किमी दूर प्राकृतिक श्रोत से आ रहा है कंचन जल



 अरुण सिंह 

पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में एक गाँव ऐसा है जहां बिना किसी खर्च के घर-घर स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इस गाँव के लोगों को अब गर्मी के मौसम में भी पेयजल के लिये भटकना नहीं पड़ेगा। बिना बिजली व किसी खर्च के गाँव के प्रत्येक घर में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने का यह करिश्मा एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना द्वारा किया गया है। 
गाँव से लगभग 3 किमी दूर जंगल में स्थित प्राकृतिक जल श्रोत से पाईप लाईन द्वारा कंचन जल गाँव तक पहुँचाया जा रहा है। चूंकि जल श्रोत ऊँचाई पर है इसलिये पानी को गाँव तक पहुँचाने में कोई खर्च नहीं आता। गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रयोग कर इस जल की आपूर्ति गाँव तक की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि भूमिगत-जल के अभाव में बुन्देलखण्ड क्षेत्र पानी की समस्या से वर्षों से जूझता आया है। ग्रीष्म ऋतु में यह समस्या और भी विकट रूप धारण कर लेती है, जब ग्रामीणों को दूरस्थ क्षेत्रों से पेयजल की व्यवस्था करने के लिये बाध्य होना पड़ता है। जिला मुख्यालय पन्ना के निकट स्थित बड़ौर गाँव के लोगों को भी गर्मियों में भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ता था। गाँव की महिलाओं को मीलों दूर से पेयजल ढोकर लाना पड़ता था। ग्रामीणों की इस विकट समस्या को दृष्टिगत रखते हुये एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना प्रबंधन ने गाँव को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिये अनूठी तरकीब खोजी। 
गाँव से 3 किमी दूर स्थित प्राकृतिक जल श्रोत जहां जंगल और पहाड़ों से बारहों महीने पानी रिसकर एकत्रित होता है, वहां से बड़ौर गाँव को पेयजल की आपूर्ति करने की योजना बनाई गई। इस योजना को मूर्तरूप देने के लिये जल श्रोत से लेकर गाँव तक परियोजना द्वारा पाईप लाईन बिछवाई गई। इसी पाईप लाईन के द्वारा बिना किसी पावर की मदद लिये गुरूत्वाकर्षण की शक्ति का उपयोग कर अनवरत् रूप से पानी गाँव तक पहुँच रहा है। इस अनूठी तरकीब के कामयाब होने पर ग्रामवासियों को चौबीसों घण्टे प्राकृतिक जल मिलने लगा है।
एनएमडीसी की इस सौगात से ग्रामीण अत्यधिक खुश हैं। गाँव के लोगों का कहना है कि जब से हम लोग इस पानी का सेवन कर रहे हैं तब से उन्हें जल जनित बीमारियों से भी मुक्ति मिल गई है। यह पानी अत्यधिक पाचक और स्वास्थ्यवर्धक है।
हीरा खनन परियोजना के प्रबंधक राजीव शर्मा ने 10 दिसम्बर को ग्राम बड़ौर का दौरा किया और बड़ौर ग्राम के सरपंच रूप नारायण यादव की उपस्थिति में जीर्णोद्धार किये गये 'पेज जल आपूर्ति प्रणाली का लोकार्पण किया। इस अवसर पर परियोजना के उप महाप्रबंधक (वाणिज्य) डॉ. अनुराग चौबे, उप महाप्रबंधक (सिविल) एस.आर. डेहरिया, वरिष्ठ प्रबंधक (कार्मिक) भूपेश कुमार, श्रमिक संघ एमपीआरएचकेएमएस के महामंत्री समर बहादुर सिंह और पीएचकेएमएस के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह सहित ग्रामीण जन और शासकीय विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे। 
विदित हो कि नैगम सामाजिक दायित्व के तहत वर्ष 2008-09 में एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा 18 लाख की लागत से बड़ौर ग्राम में इस जल-प्रदाय योजना को कार्यान्वित किया गया था। सिंगल-यूज प्लास्टिक के प्रयोग को पूर्णत: समाप्त करने के उद्देश्य से एनएमडीसी लिमिटेड, हीरा खनन परियोजना द्वारा 9 दिसम्बर 2019 को शुरू किये गये जन-चेतना अभियान को आगे बढ़ाते हुये कार्यक्रम के दौरान परियोजना प्रबंधक ने ग्रामीणजनों और विद्यार्थियों को जूट बैग भी प्रदान किया।
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केन व सहायक नदियों में मशीनों से हो रहा रेत का अवैध उत्खनन

  •  कांग्रेस सरकार का अवैध उत्खनन रोकने का दावा खोखला साबित 
  •   रेत का अवैध उत्खनन रुकवाने कांग्रेसियों को देना पड़ रहा ज्ञापन 



अरुण सिंह,पन्ना। जिले के अजयगढ़ क्षेत्र में केन सहित उसकी सहायक नदियों में बड़े पैमाने पर हो रहे रेत के अवैध उत्खनन का चौतरफा विरोध होने लगा है। रेत माफियाओं द्वारा जिस तरह से भारी-भरकम मशीनों द्वारा नदियों के प्रवाह क्षेत्र से रेत निकाली जा रही है उससे नदियों का स्वरूप जहां बिगड़ रहा है वहीं जलीय वनस्पतियों व जलचरों को भी भारी क्षति पहुँच रही है। रेत से भरे सैकड़ों वाहनों की आवाजाही से किसानों की फसलें भी नष्ट हो रही हैं। पीडि़त किसानों द्वारा गुहार लगाने के बावजूद उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। रेत माफियाओं के आतंक से अजयगढ़ क्षेत्र सहमा हुआ है और प्रशासन मूक दर्शक की भूमिका निभा रहा है। रेत की इस खुली लूट में प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं की भूमिका भी चर्चा में है। मजे की बात तो यह है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है फिर भी कांग्रेसियों को रेत का अवैध उत्खनन रुकवाने के लिए कलेक्टर को ज्ञापन सौपना पड़ रहा है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार का अवैध उत्खनन रोकने का दावा खोखला साबित हुआ है जिससे जनता के बीच सरकार की खासी किरकिरी हो रही है।

उल्लेखनीय है कि नियमों को तांक में रखकर बड़े पैमाने पर रेत के हो रहे अवैध उत्खनन की चर्चा गली-गली हो रही है। आलम यह है कि रेत से भरे ट्रक, डम्फर और ट्रेक्टर पूरे दिन व रात सड़कों पर बेरोकटोक दौड़ते हैं। स्थिति की गंभीरता व सरकार की हो रही किरकिरी को देखते हुये अजयगढ़ ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गर्ग के नेतृत्व में जिले के सभी ब्लॉक अध्यक्षो ने एकराय होकर  कलेक्टर पन्ना कर्मवीर शर्मा से रेत के हो रहे अवैध उत्खनन पर रोक लगाने की माँग की है। अजयगढ़ ब्लाक कांग्रेस कमेटी ने  केन नदी एवं अजयगढ़ की सहायक रून्ज, बागे नदियों में खुलेआम भारी-भरकम एलएनटी मशीनों का उपयोग कर हो रहे अवैध उत्खनन की ओर जिले के प्रशासनिक मुखिया का ध्यान आकृष्ट कराया है। इन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि शासन की मंशा मुताबिक लेवरों से रेत की लोडिंग की जाना चाहिये जिससे क्षेत्र की जनता को रोजगार उपलब्ध हो सके व अधिक गहराई तक रेत न निकल सके। लेकिन अजयगढ़ क्षेत्र में एलएनटी मशीनों से बीसों फिट गहराई की रेत निकाली जा रही है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा को दिये ज्ञापन में खनिज विभाग की उदासीनता का लेख किया गया है। मालुम हो कि खनिज अधिकारी के लचर और ढुलमुल रवैया की वजह से अराजक स्थिति निर्मित हुई है फलस्वरूप अनियंत्रित तरीके से रेत की लूट जारी है। खनिज कार्यालय में पूरे दिन व देर रात तक दलालों और माफियाओं का ताँता लगा रहता है।
आज अगर अवैध उत्तखनन की बात की जाए तो पूरे जिला प्रशासन एवं सत्ता धारी नेताओ सहित सभी को मालूम है कि  रेत माफियाओं ने भारी भरकम मशीनों से केन नदी को छलनी कर दिया है।  यह बात सभी जानते है लेकिन अगर कार्यवाही की बात की जाए तो प्रशासन केवल परिवहन पर कार्यवाही कर वाहवाही लूट लेता है। अवैध उत्तखनन पर कार्यवाही क्यो नही की जाती यह एक बड़ा सवाल है। रेत का अवैध उत्तखनन- बीरा, रामनई, मोहाना, कटर्रा, चाँदीपाठी, जिगनी, फरस्वाहा, बरकोला, उदयपुर, अमरछी  सभी जगह रेत का अवैध उत्तखनन चल रहा है।  ग्राम पंचायत की जो भी खदाने शासन द्वारा स्वीकृत की गई हैं उन खदानों का बिना सीमांकन किये खदानों की प्रशासन द्वारा स्वीकृति दे दी गई है।जबकि खनिज अधिकारी को सीमांकन करा कर खदान में मुनारे बनाने के बाद ही खदान चलाने की स्वीकृति देना चाहिये थी। जिन पंचायतों को रेत की खदानों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है वे रेत खनन माफियाओं से मिलकर भारी पैमाने पर अवैध उत्खनन करा रहे हैं। कांग्रेसियों ने ज्ञापन के माध्यम से अवैध उत्खनन को तत्काल प्रभाव से रोके जाने की माँग की गई है तथा कहा गया है कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाये। अब देखना यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों विशेषकर खनिज कार्यालय की कार्य प्रणाली पर कांग्रेसियों के इस ज्ञापन का कितना असर होता है। 
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