- झोपड़ी में रहती है अहिरगुवांं पंचायत की 80 वर्षीय विधवा
- जिनके पहले से घर हैं उनके बन गये आवास लेकिन गरीब वंचित
गरीब वृद्धा पीएम आवास की माँग करते हुये। |
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को आज समाजसेवी संस्था समर्थन के प्रतिनिधि जब इस ग्राम पंचायत में पहुँचे तो अहिरगुवां कैम्प में झोपड़े में निवास करने वाली इस वृद्धा ने इन प्रतिनिधियों को बड़ा अफसर समझकर हांथ जोड़कर कहा कि साहब मुझे भी पीएम आवास दिलवा दो, भगवान आपका भला करेगा। इस 80 वर्षीय वृद्धा ने बताया कि वह अपनी विधवा बेटी के साथ झोपड़े में रहती है, बारिश का मौसम बड़ी मुसीबत भरा होता है। जीवनयापन के लिये सिर्फ वृद्धावस्था पेंशन जो 5 सौ रूपया मिलता है, उसी का सहारा है। इसी पैसे से किसी तरह गुजर-बसर हो रहा है। यदि पीएम आवास मिल जाये तो हमारी मुसीबत कम हो जायेगी। मालुम हो कि ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सबके लिये आवास 2022 का लक्ष्य पाने के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण प्रारंभ की गई है। इस योजना की शुरूआत 20 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री जी द्वारा की गई है। इस योजना के शुरू होने पर अवासहीन गरीबों के चेहरों पर मुस्कान फैल गई थी, उन्हें उम्मीद जागी थी कि अब उनके पास भी एक अदद पक्का घर होगा। लेकिन फूलमाला सरकार जैसे अनेकों ऐसे गरीब हैं, जिन्हें पीएम आवास अभी तक नसीब नहीं हो सका है।
आदिवासी मजरा में कुपोषण बड़ी समस्या
माँ की गोद में बैठा कुपोषण से ग्रसित बच्चा। |
प्राथमिक शाला में शौचालय है लेकिन टैंक नहीं
आदिवासी बस्ती रामपुर क्वाटरन के गरीब आदिवासी बच्चों के पढऩे हेतु शासन द्वारा प्राथमिक शाला का संचालन किया जा रहा है। जहां पढऩे के लिये गिनती के ही कुछ बच्चे मध्याह्न भोजन की लालच में शाला पहुँचते हैं। खाना मिलते ही बच्चे शाला से निकल लेते हैं। इस प्राथमिक शाला में छात्र व छात्राओं के लिये पृथक-पृथक शौचालय का निर्माण तो कराया गया है लेकन आश्चर्य इस बात का है कि टैंक नहीं बनवाया गया। जाहिर है कि निॢमत शौचालय सिर्फ देखने के लिये है, इसका उपयोग नहीं किया जाता।पेयजल की भी समस्या गंभीर
गरीब आदिवासियों की इस बस्ती में पेयजल की समस्या भी गंभीर है। स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध न होने के कारण मजरा के आदिवासी कुंये का दूषित और गन्दा पानी पीते हैं। मालुम हो कि कुछ ही दिनों पूर्व इस मजरे में उल्टी-दस्त का प्रकोप भी हो चुका है जो कुंये का दूषित पानी पीने के कारण हुआ था। बीमारी फैलने पर पीडि़तों का उपचार हुआ तथा कुंआ के पानी का भी ट्रीटमेन्ट कराया गया लेकिन अब हालात फिर जस के तस हैं।00000