Monday, January 31, 2022

लोकतंत्र के लिए समाचार पत्रों का योगदान महत्वपूर्ण : मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह

 

स्थानीय समाचार पत्र दैनिक बुंदेली भ्रमण का लोकार्पण करते हुए मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह साथ में पत्रकारगण। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले से प्रकाशित स्थानीय समाचार पत्र दैनिक बुंदेली भ्रमण का आज भव्य लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बृजेंद्र प्रताप सिंह कैबिनेट मंत्री खनिज संसाधन एवं श्रम विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आम जनता से जुड़ी हुई समस्याओं को उठाने में समाचार पत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है और बड़ी खुशी की बात है यह समाचार पत्र पन्ना से प्रकाशित प्रथम समाचार पत्र है, जिसमें जिले से जुड़े समाचार और आम जनता के मुद्दों को उठाया जाएगा एवं बुंदेली भाषा में भी इस पेपर का प्रकाशन होगा।

उन्होंने कहा कि पत्रकारों के जुड़े मुद्दों उनसे जुड़ी जो भी समस्याएं हैं उनका निदान प्रमुखता से किया जाएगा। पत्रकार निष्पक्ष निर्भीक होकर देश एवं समाज के हित में अपने समाचारों का प्रकाशन करें और इस लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करें। इस अवसर पर मंत्री द्वारा फीता काटकर कार्यालय का उद्घाटन किया गया। इसके बाद दीप प्रज्वलित कर पेपर का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर सतना से पधारे विशिष्ट अतिथि महेश तिवारी पत्रकार कल्याण परिषद के पदाधिकारी एवं भोपाल से पधारे अनूप साहू अनीता साहू समाजसेवी सुरेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अरुण सिंह, रविकांत मिश्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर समाचार पत्र के प्रकाशक नईम खान ने कहा कि पन्ना में एक नियमित समाचार पत्र की आवश्यकता थी जिसे देखते हुए बुंदेली भ्रमण के समस्त साथियों ने इस समाचार पत्र के प्रकाशन की जिम्मेदारी ली। हमारे द्वारा आम जनता से जुड़े जनहित और विकास के मुद्दों को प्राथमिकता से उठाया जाएगा और हर एक समस्याओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।

 इस अवसर पर महेश तिवारी ने कहा कि आज के दौर में पत्रकार विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है और अंतिम छोर में बैठे हुए व्यक्ति को शासन की योजनाओं का लाभ मिले इस दिशा में प्रयासरत रहता है और दिन रात लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मिशन के रूप में कार्य करता रहता है इस अवसर पर अन्य विशिष्ट पदाधिकारियों ने भी अपने अपने उद्बोधन दिए और लोकार्पण समारोह विधिवत संपन्न हुआ इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकार साथी एवं बुंदेली भ्रमण परिवार के सदस्य उपस्थित रहे जिसमें संपादक डी.के. साहू उप संपादक जमील खान पत्रकार समी सिद्दीकी, महबूब अली, राकेश शर्मा, कृष्ण कांत शर्मा बालकृष्ण शर्मा, अमित  खरे सौरव साहू, राकेश शर्मा अजीत खरे वरिष्ठ पत्रकार जगदीश नामदेव सादिक खान लक्ष्मीनारायण चिरोलिया लक्ष्मी शर्मा, रमजान खान, कैलाश रैकवार, अर्चना प्यासी, पुष्पा जायसवाल सहित बड़ी संख्या में नगर के गणमान्य नागरिक समाजसेवी पत्रकारगण उपस्थित रहे।

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Wednesday, January 26, 2022

पन्ना में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया 73वां गणतंत्र दिवस

  • समारोह में प्रभारी मंत्री श्री कावरे ने किया ध्वजारोहण
  • विभागों द्वारा प्रदर्शित झांकियां रही आकर्षण का केन्द्र

गणतंत्र दिवस समारोह में परेड की सलामी लेते प्रभारी मंत्री श्री कावरे। 

पन्ना। देश का 73वां गणतंत्र दिवस समारोह पन्ना जिले में हर्षोल्लास एवं गरिमामय ढंग से मनाया गया। जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन स्थानीय पुलिस परेड ग्राउण्ड में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि आयुष (स्वतंत्र प्रभार) एवं जल संसाधन राज्य मंत्री तथा पन्ना जिले के प्रभारी मंत्री रामकिशोर "नानो" कावरे ने सुबह 9 बजे ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली। इस दौरान राष्ट्रगान की धुन बजाई गई।

ध्वजारोहण के पश्चात प्रभारी मंत्री श्री कावरे ने खुली जिप्सी में कलेक्टर संजय कुमार मिश्र और पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीणा के साथ परेड का निरीक्षण किया। मुख्य अतिथि ने प्रदेश की जनता के नाम संबोधित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संदेश का वाचन किया और आकाश में गुब्बारे छोड़े। समारोह में आकर्षक मार्च पास्ट का प्रदर्शन किया गया।

गणतंत्र दिवस के मुख्य कार्यक्रम में शासकीय विभागों की अलग-अलग थीम पर केन्द्रित झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं। गणतंत्र दिवस समारोह में स्वास्थ्य विभाग, जिला शिक्षा केन्द्र, महिला एवं बाल विकास विभाग, पन्ना टाइगर रिजर्व, आईटीआई, अटल भू-जल योजना और जिला पंचायत की झांकियों का प्रदर्शन किया गया।


मुख्य अतिथि द्वारा कार्यक्रम के समापन पर बेहतर परेड और झांकी के लिए पुरस्कार वितरित किए गए। परेड में जिला पुलिस बल की टुकड़ी को प्रथम और विशेष सशस्त्र बल की 10वीं वाहिनी को द्वितीय स्थान मिला। इसी प्रकार जिला पंचायत की झांकी को प्रथम, स्वास्थ्य विभाग की झांकी को द्वितीय और महिला एवं बाल विकास विभाग तथा जिला शिक्षा केन्द्र की झांकी को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान मिला। परेड कमाण्डर रक्षित निरीक्षक देविका सिंह बघेल को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. विनय श्रीवास्तव एवं प्रमोद अवस्थी द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष रविराज सिंह यादव, जिला पंचायत सीईओ बालागुरू के., अपर कलेक्टर जे.पी. धुर्वे सहित अन्य जनप्रतिनिधि, शासकीय सेवक, गणमान्य नागरिक और पत्रकारगण उपस्थित थे। इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस समारोह कोविड गाइडलाइन का पालन कर मनाया गया।

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Friday, January 21, 2022

शकरकन्द का विकल्प खनुआ पीड़ी कन्द


पन्ना। जैव विविधता से परिपूर्ण अपनी अनूठी वाटिका में सब्जियों की भूली बिसरी देशी प्रजातियों का संरक्षण करने के साथ-साथ औषधीय बनस्पतियों को भी जतन के साथ सहेजने वाले सर्जना के उपाध्यक्ष राम लोटन कुशवाह के जैव विविधता वाटिका में यू तो 10 -12 प्रकार के कन्द हैं। पर उनके द्वारा प्रयोजित खनुआ एवं पीड़ी नामक दो कन्दों को अन्य किसानों ने भी तिलवा चौथ फलाहार हेतु विकसित किया है। आज बाजार में यह दोनों कन्द शकरकन्द के विकल्प के रूप में में दिख रहे हैं। जब कि यह दोनों जंगली कन्द थे।

पद्मश्री बाबूलाल दाहिया जी ने यह रोचक जानकारी सोशल मीडिया में साझा किया है। उन्होंने बताया कि यह बगैर रासायनिक उर्वरक पैदा होते हैं और इन्हें कोई कीट ब्याधि भी नहीं सताती अस्तु कीटनाशक जहर से मुक्त होने के कारण यह फलाहारियों के लिए पूर्णत: जैविक फलाहार होते है। रामलोटन कुशवाह 200 से अधिक प्रजाति के  पेड़ पौधों बनस्पतियों कन्दों की जैव विविधता को संरक्षण देने वाले वही कृषक हैं, जिनकी विगत अगस्त माह के अपने "मन की बात" में प्रधानमंत्री ने भरपूर प्रसंशा की थी एवं अन्य किसानों को भी उनका अनुकरण करने की सलाह दी थी।

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Thursday, January 20, 2022

धान की खरीदी में हुआ फर्जीवाड़ा, किसानों ने की शिकायत


पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में धान की हुई खरीदी में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा होने की जानकारी सामने आई है। किसानों द्वारा शिकायत की गई है कि उनके पट्टों की जमीन पर दलालों और बिचौलियों ने खाद्य व राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से उत्तर प्रदेश की धान को खरीदी केंद्रों में जमा कराया है।  

पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे अजयगढ़ क्षेत्र के धान खरीदी केंद्रों में व्यापक फर्जीवाड़ा हुआ है। हजारों कुंतल धान जो उत्तर प्रदेश से लाया गया था उसे फर्जी पंजीयन कराकर खरीदी केंद्रों में जमा करा कर शासन को जहां करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया, वहीं इस फर्जीवाड़े में लिप्त लोगों द्वारा अपनी जेबें भरी गई हैं। अजयगढ़ क्षेत्र के किसानों का कहना है कि उनके खेत में धान लगी ही नहीं थी, फिर भी बिचौलियों ने उनके पट्टों पर फर्जी पंजीयन कराकर धान जमा कराई गई है। मामले की शिकायत राजस्व अधिकारियों सहित कलेक्टर पन्ना से भी की गई है।  इस कथित फर्जीवाड़े के संबंध में पूछे जाने पर कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने पत्रकारों को बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी। श्री मिश्रा ने बताया कि जिसने पंजीयन कराया है राशि उसी के खाते में जाएगी, लेकिन जांच में यदि पंजीयन गलत हुआ तो यह राशि जप्त की जाएगी।

ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी निलंबित 

धान उपार्जन कार्य के निरीक्षण में लापरवाही बरतने वाले ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एल. पी. उरमलिया को उप संचालक कृषि पन्ना ने तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है। मिली जानकारी के मुताबिक निलंबित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी विकास खण्ड अजयगढ़ के अंतर्गत धान उपार्जन कार्य के निरीक्षण में जहाँ लापरवाही की गई है वहीं कलेक्टर व उप संचालक कृषि द्वारा सौंपे गए अन्य दायित्यों का निर्वहन भी नहीं किया गया। विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने, निर्धारित मुख्यालय में न रहते हुए नियमित क्षेत्र भ्रमण न करने तथा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अजयगढ़ द्वारा किसानों के उर्वरक वितरण कार्य में ड्यूटी लगाए जाने पर कार्य संपादित न करने के कारण उप संचालक कृषि द्वारा ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी केंद्र बीरा एल. पी. उरमलिया के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाकर मुख्यालय पवई में अटैच किया गया है। 

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Tuesday, January 18, 2022

मध्यप्रदेश : सर्वाधिक शावकों को जन्म देने वाली "सुपर मॉम" बाघिन नहीं रही, आदिवासी महिला ने दी मुखाग्नि

  • कॉलर वाली बाघिन के नाम से दुनिया भर में मशहूर मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व की "सुपर मॉम" नहीं रही। 17 वर्ष की इस बाघिन ने 29 शावकों को जन्म दिया, जो एक रिकॉर्ड है। जंगल में पूरा जीवन जीने वाली बाघिन सुपर मॉम के बिछडऩे से वन्यजीव प्रेमी पर्यटक जहां दुखी हैं, वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शोक व्यक्त किया है। 

पेंच टाइगर रिजर्व की विश्व प्रसिद्ध कॉलर वाली बाघिन को इस तरह दी गई अंतिम विदाई। 

। अरुण सिंह 
पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाने के साथ-साथ मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में अहम योगदान देने वाली "सुपर मॉम" कॉलर वाली बाघिन अब नहीं रही। देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का हमेशा केंद्र रही पेंच की इस रानी ने वन परीक्षेत्र कर्माझिरी के बीट कुंभादेव के कक्ष क्रमांक 589 में 15 जनवरी को सायं अंतिम सांस ली। रविवार 16 जनवरी को पेंच टाइगर रिजर्व की शान सुपर मॉम को पूरे सम्मान के साथ वन अधिकारियों की मौजूदगी में आदिवासी महिला श्रीमती शांताबाई सरयाम ने वन्यजीव प्रेमियों तथा बफर क्षेत्र के रहवासियों की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए मुखाग्नि दी।

विक्रम सिंह परिहार पूर्व फील्ड डायरेक्टर जो बीते साल पेंच टाइगर रिजर्व से सेवानिवृत्त हुए हैं, बताया कि तीन वर्ष तक उन्होंने कॉलर वाली बाघिन को बहुत करीब से देखा है। यह अत्यधिक निर्भीक, शावकों की केयरिंग करने वाली तथा वन कर्मियों के बहुत पास से गुजरने पर भी आक्रामकता न दिखाने वाली बाघिन थी। अपने शावकों को सुरक्षा प्रदान करने तथा परवरिश करने की उसमें अद्भुत क्षमता थी। इस बाघिन ने 8 बार में 29 शावकों को जन्म दिया, जिनमें 23 शावकों को वयस्कता तक पहुंचाकर बाघों की वंश वृद्धि में अविस्मरणीय योगदान दिया है। अपने इलाके को सुरक्षित रखने की इस बाघिन में गजब की क्षमता थी। श्री परिहार ने बताया कि पेंच टाइगर रिजर्व में सबसे पहले वर्ष 2008 में रेडियो कॉलर इसी बाघिन को लगाया गया था, जिससे यह कॉलर वाली बाघिन के नाम से प्रसिद्ध हुई।

यह बाघिन "मोस्ट फेमस टाइग्रेस इन इंडिया" के नाम से भी जानी जाती रही है। पेंच टाइगर रिजर्व में भ्रमण हेतु आने वाला हर पर्यटक एक बार इस बाघिन को शावकों के साथ जरूर देखना चाहता था। विक्रम सिंह परिहार बताते हैं कि सितंबर 2005 में जन्मी इस बाघिन ने वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक 10 साल में 29 शावकों को जन्म दिया, जो एक कीर्तिमान है। दुनिया में किसी भी बाघिन ने इतने शावकों को जन्म नहीं दिया। इस लिहाज से यह "सुपर मॉम" बाघिन पेंच टाइगर रिजर्व की धरोहर मानी जाती रही है। श्री परिहार बताते हैं कि अपने तीसरे लिटर में इस बाघिन ने एक साथ 5 शावकों को जन्म दिया था। जंगल में सामान्यत: बाघ शावकों का सरवाइबल रेट 50 फ़ीसदी के लगभग होता है लेकिन इसके 29 में 23 सही सलामत हैं, जो 80 फ़ीसदी के लगभग है।

अपने नन्हे शावकों के साथ पेंच की कॉलर वाली बाघिन।

बाघ पुनर्स्थापना योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि पेंच की कॉलर वाली बाघिन का योगदान अभूतपूर्व है। ऐसी बाघिनें यदा-कदा ही होती हैं जो अपने जीवन में इतिहास रचती हैं। डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि इस बाघिन ने जंगल में अपना पूरा जीवन जिया है, उसके निशान हर कहीं मौजूद हैं जिन्हें मिटाया नहीं जा सकता। इस बाघिन की वंशवेल पेंच टाइगर रिजर्व ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य दूसरे वन क्षेत्रों में भी फैल चुकी है। आपने बताया कि एक फीमेल अपने जीवन में कितना योगदान दे सकती है, इसका अनुमान लगाना कठिन है।

उन्होंने पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन टी-2 का उदाहरण देते हुए बताया कि लगभग 16 वर्ष की इस बाघिन ने 7 बार में 21 शावकों को जन्म दिया है। इन 21 शावकों से पन्ना टाइगर रिजर्व में 72 से 80 शावकों का जन्म हुआ। इस तरह से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पेंच की कॉलर वाली बाघिन के 29 शावकों से अब तक कितने शावक पैदा हुए होंगे। इसीलिए चाहे मानव हो या वन्य प्राणी फीमेल का योगदान सर्वोपरि माना जाता है। डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि राजाशाही जमाने में जब राजा शिकार करते थे तो वे मेल टाइगर को ही मारते थे, फीमेल को नहीं। क्योंकि वे जानते थे कि फीमेल को मारा तो बाघों की प्रजाति ही खत्म हो जाएगी।

पेंच की बाघिन का पन्ना से है कनेक्शन

पेंच टाइगर रिजर्व की बाघिन "क्वीन ऑफ पेंच" का कनेक्शन मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से भी है। इस विश्व प्रसिद्ध बाघिन की बेटी को बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत 22 जनवरी 2014 को पन्ना लाया गया था। लाइट कलर (गोरे रंग) वाली इस बाघिन को पन्ना टाइगर रिजर्व में सबसे सुंदर बाघिन का रुतबा हासिल है। लगभग 11 वर्ष की हो चुकी इस खूबसूरत बाघिन ने पन्ना टाइगर रिजर्व में आकर यहां बाघों की वंश वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस बाघिन ने यहां अब तक 7 बार में 17 शावकों को जन्म दिया है। कॉलर वाली बाघिन की संतान बाघिन टी-6 पन्ना में अपनी मां की विरासत को आगे बढ़ा रही है।

कॉलर वाली बाघिन की तरह विश्व प्रसिद्ध बाघिनों की सूची में राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व की मछली बाघिन का नाम भी दर्ज है। विक्रम सिंह परिहार बताते हैं कि सर्वाधिक समय तक जीवित रहने का रिकॉर्ड मछली के नाम है। अमूमन जंगल में बाघ का जीवन औसतन 12 से 15 साल होता है, लेकिन रणथम्भौर की यह बाघिन 20 साल तक जीवित रही। मछली बाघिन दुनिया में कई नामों से मशहूर हुई। इसे "लेडी ऑफ लेक" तथा "क्रोकोडायल किलर" के नाम से भी जाना जाता है। यह बाघिन अपने शावकों को बचाने के लिए मगरमच्छ से भिड़ गई थी।

बाघिन की मौत पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जताया शोक

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दुनियाभर के वन्यजीव प्रेमियों व पर्यटकों के बीच मशहूर रही पेंच की इस बाघिन के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रदेश की शान और 29 शावकों की माता पेंच टाइगर रिजर्व की "सुपर टाइग्रेस मॉम" कॉलर वाली बाघिन को श्रद्धांजलि। पेंच टाइगर रिजर्व की 'रानी' के शावकों की दहाड़ से मध्य प्रदेश के जंगल सदैव गुंजायमान रहेंगे।

प्रदेश के वन मंत्री कुंवर विजय शाह ने भी ट्वीट कर 29 शावकों को जन्म देने का कीर्तिमान स्थापित कर सुपर टाइग्रेस मॉम कहलाने वाली बाघिन टी-15 की मृत्यु को वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि मैं पूरे वन विभाग की ओर से भावांजलि समर्पित करता हूं।

आदिवासी महिला शांताबाई ने दी मुखाग्नि



पेंच टाइगर रिजर्व की बाघिन ने जंगल में अपनी जिंदगी को रॉयल अंदाज में जिस तरह से जिया है, उसी तरह उसको पूरे सम्मान के साथ रॉयल विदाई भी दी गई। पेंच टाइगर रिजर्व के प्रवेश द्वार वन ग्राम कर्माझिरी की निवासी दबंग आदिवासी महिला शांताबाई सरयाम ने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पेंच की रानी को मुखाग्नि दी। वन्य प्राणी संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली शांताबाई एक ऐसी दबंग आदिवासी महिला हैं जिन्होंने अपने गांव कर्माझिरी में न सिर्फ शराब पर पाबंदी लगाई है, बल्कि शिकार की घटनाओं पर रोक लगाने में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

विक्रम सिंह परिहार बताते हैं कि वह इको विकास समिति कर्माझिरी की अध्यक्ष भी हैं तथा स्टे होम चलाती हैं। पेंच टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक अशोक मिश्रा ने बताया कि कॉलरवाली बाघिन टी-15 को जब अंतिम विदाई दी गई, उस समय उप संचालक अधर गुप्ता, सहायक वन संरक्षक बी.पी.पी. तिवारी, परिक्षेत्र अधिकारी आशीष खोब्रागडे, एनटीसीए के प्रतिनिधि विक्रांत जठार, राजेश भेंडारकर, जिला पंचायत सदस्य रामगोपाल जयसवाल, पंजीकृत गाइड तथा रिसोर्ट प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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Tuesday, January 11, 2022

गांव तक सड़क नहीं, कोई बीमार पड़ा तो खाट में ले जाना मजबूरी

मध्यप्रदेश का पन्ना जिला देश और दुनिया में बेशकीमती हीरों के लिए भले ही जाना जाता है लेकिन यहां के लोगों की जिंदगी में इन हीरों की चमक कहीं नजर नहीं आती। जिले की अधिसंख्य आबादी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस जिले के छोटे से गांव मढ़िया राव के लोगों की जिंदगी तो मुसीबतों का पर्याय बन चुकी है।

सड़क विहीन पन्ना जिले के  मढ़िया राव गांव में घायल व्यक्ति को खाट के सहारे ले जाते ग्रामीण। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। बेमौसम बारिश, कड़ाके की ठंड और ओलों की बौछार से बेहाल हुए किसानों को जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी के चलते कैसी-कैसी मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं, मध्यप्रदेश के पन्ना जिले का मढिया राव गांव इसका जीता जागता उदाहरण है। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 50 किलोमीटर दूर अमानगंज तहसील के इस गांव तक पहुंच मार्ग नहीं है। हल्की बारिश होने पर इस गांव तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में गांव का कोई व्यक्ति यदि बीमार होता है तो इलाज के लिए सड़क मार्ग तक खाट में ले जाने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं रहता।

मढ़िया राव गांव के प्रमोद शर्मा (40 वर्ष) ने बताया कि पिछले दिनों निर्माणाधीन मकान के ऊपर से लखन लाल शर्मा (50 वर्ष) गिर गए थे, जिससे उनकी कमर में अंदरूनी चोट के कारण उनकी स्थिति गंभीर हो गई, वे चल फिर भी नहीं सकते थे। बारिश के कारण इलाज के लिए उन्हें कहीं ले जाना भी संभव नहीं था, क्योंकि एंबुलेंस तो दूर गांव तक दो पहिया वाहन भी नहीं आ सकता। वे बताते हैं कि बारिश थमने पर शनिवार को उन्हें खाट पर लिटा कर गांव के लोग पैदल खेतों से होकर 4 किलोमीटर दूर सड़क मार्ग तक ले गए। जहां से उन्हें अमानगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। मकान के ऊपर से गिरकर घायल हुए लखन लाल शर्मा के छोटे भाई राम प्रकाश शर्मा ने बताया कि हमारे गांव तक सड़क नहीं है, इसलिए एंबुलेंस नहीं आ पाती। बीमार मरीजों व गर्भवती महिलाओं को खाट के सहारे ही ग्राम वासियों की मदद से सड़क तक पहुंचाया जाता है।

गांव तक सड़क मार्ग ना होने से ग्राम पंचायत जिजगांव तहसील अमानगंज के मढिया राव गांव की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। इसी गांव के 48 वर्षीय शिक्षक सामंत सिंह राव ने बताया कि मढ़िया राव में सिर्फ पांचवी तक प्राथमिक शाला है। पांचवी के बाद गांव के बच्चों को पड़ोसी गांव कमताना पढऩे के लिए जाना पड़ता है, जो 2 किलोमीटर दूर है। लेकिन इस दूरी को तय करना बच्चों के लिए आसान नहीं है। बारिश में हर तरफ कीचड़ मच जाता है तथा कड़वानी नाला को भी पार करना पड़ता है, जिससे बारिश के मौसम में बच्चे पढऩे के लिए स्कूल नहीं जा पाते।

सामंत सिंह राव बताते हैं की बारिश में सांप और बिच्छू भी खूब निकलते हैं जिनसे हमेशा खतरा बना रहता है। आपने बताया कि 4 साल पूर्व गांव के ही नौवीं कक्षा में पढऩे वाले बच्चे मनीष को रास्ते में सर्प ने डस लिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से गांव के बच्चे व उनके परिजन और भी डरने लगे हैं। जाहिर है बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है, गांव की बच्चियां तो पांचवी के बाद आगे की पढ़ाई कर ही नहीं पातीं।

गांव के लड़कों की नहीं हो पाती शादी 



महज दो-तीन किलोमीटर की सड़क न बन पाने से इस गांव का सामाजिक तानाबाना भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। गांव के लड़कों की शादी तक नहीं हो पाती, जिससे उन्हें एकाकी जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है। सामंत सिंह राव बताते हैं कि लड़की वाले आते हैं और अमानगंज से ही वापस लौट जाते हैं। वे कहते हैं कि जिस गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है वहां हम अपनी लड़की की शादी नहीं कर सकते। सामंत सिंह राव के मुताबिक गांव में 30 वर्ष से अधिक आयु के अनेकों युवक हैं, जिनकी शादी नहीं हुई। सड़क न बन पाने का असर सिर्फ गांव के लड़कों की ही जिंदगी पर पड़ रहा हो ऐसा नहीं है, लड़कियों की शादी में भी दिक्कत आती है।

सेवानिवृत्त फौजी व क्षेत्र के समाजसेवी मंगल सिंह राजावत ने बताया कि विगत कई वर्षों से मढ़िया राव गांव तक सड़क निर्माण की मांग की जा रही है। कई बार कलेक्टर पन्ना को आवेदन भी दिया गया लेकिन आज तक सड़क नहीं बन सकी। राजावत बताते हैं कि पूर्व में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग से सड़क स्वीकृत हुई थी लेकिन ठेकेदार ने सिर्फ कुछ दूरी तक मिट्टी डलवाई और अधूरा काम छोड़कर चला गया। उसने काम क्यों छोड़ा इसकी भी खोज खबर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा नहीं ली गई, जिससे हालात जस के तस बने हुए हैं।

ग्रामीण चुनाव का भी कर चुके हैं बहिष्कार 

गांव तक सड़क मार्ग न बन पाने से परेशान ग्रामीणों ने पिछले लोक सभा चुनाव के दौरान मतदान का बहिष्कार भी किया था। मढय़िा राव गांव के रामकृपाल शर्मा ने बताया कि चुनाव के समय जब ग्रामवासियों ने मतदान का बहिष्कार किया तो अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि सड़क का निर्माण कराया जाएगा लेकिन वोट पडऩे के बाद फिर किसी ने भी सुध नहीं ली। प्रमोद शर्मा बताते हैं कि चुनाव के समय हमें सिर्फ आश्वासन मिलता है, सड़क बनवाना तो दूर जनप्रतिनिधि फिर यहां झांकने तक नहीं हैं। आप बताते हैं कि हमारे गांव मढ़िया राव में विधायक तक कभी नहीं आए, एक बार सिर्फ तत्कालीन भाजपा विधायक राजेश वर्मा आए थे। वे भी एक बच्चे की सर्प काटने से हुई मौत की वजह से चेक देने के लिए, फिर इसके बाद कोई नहीं आया।

सड़क निर्माण के लिए ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन 



घायल व्यक्ति को खटिया से अस्पताल ले जाने का वीडियो सोशल मीडिया में आने के बाद मढ़िया राव गांव चर्चा में है। इस गांव के लोगों ने समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने तथा सड़क निर्माण की मांग को लेकर सोमवार 10 जनवरी को कलेक्टर पन्ना के नाम अमानगंज तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी को ज्ञापन सौंपा है। ग्राम वासियों ने तहसीलदार को बताया कि गांव तक सड़क न होने से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गर्भवती महिलाओं व बीमार व्यक्तियों को इलाज के लिए खाट में लिटा कर ले जाने को मजबूर होना पड़ता है। ग्रामीणों ने तहसीलदार से अनुरोध किया है कि ग्राम मढ़िया राव की वर्षों से अधूरी पड़ी सड़क का निर्माण शीघ्र पूरा कराया जाए ताकि ग्राम वासियों को समस्या से निजात मिल सके। मामले के संबंध में तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी ने कहा कि सड़क के काम की क्या स्थिति है इस संबंध में मैं जनपद पंचायत गुनौर के सीईओ से बात करके पता लगाती हूं। सड़क निर्माण का कार्य पूरा कराया जाएगा।

वीडियो : घायल को खाट में खेतों के रास्ते अस्पताल ले जाते ग्रामवासी 




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Wednesday, January 5, 2022

पन्ना की बाघिन पी-213(62) ने दिया दो शावकों को जन्म

  •  अपनी मां के साथ चहल-कदमी करते दिखे दोनों शावक 
  •  नन्हे शावकों की अठखेलियों से पीटीआर हुआ गुलजार

अपनी मां के साथ चहल-कदमी करते नन्हे शावक जिनकी तस्वीर पहली बार कैमरा ट्रैप में कैद हुई। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से नये साल में खुशखबरी मिली है। यहां 3 वर्ष की युवा बाघिन पी- 213 (62) ने पहली बार दो शावकों को जन्म दिया है। नन्हे शावकों के साथ जंगल में चहल-कदमी करते बाघिन की पहली तस्वीर कैमरा ट्रैप में कैद हुई है, जिसे पार्क प्रबंधन द्वारा बुधवार 5 जनवरी को जारी कर नन्हे मेहमानों के आने की खुशखबरी दी गई है।

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि बाघिन पी-213(62) पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी-213 की संतान है। तीन वर्ष की हो चुकी इस बाघिन ने पहली बार शावकों को जन्म दिया है। बाघिन के साथ शावकों का छायाचित्र कैमरा ट्रैप के माध्यम से प्राप्त हुआ है। श्री शर्मा ने बताया कि शावकों की उम्र लगभग दो-तीन माह की है तथा बाघिन और दोनों शावक पूर्णरूपेण स्वस्थ हैं। मालूम हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र में 70 से भी अधिक बाघ स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं।

ब्रीडिंग क्षमता वाली बाघिनों की बढ़ी तादाद 

किसी भी वन क्षेत्र में बाघों की वंश वृद्धि बहुत कुछ ब्रीडिंग क्षमता वाली बाघिनों की संख्या पर निर्भर करती है। इस लिहाज से मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व बेहतर स्थिति में है। मौजूदा समय यहां पर ब्रीडिंग क्षमता वाली 13 बघिनें हैं, जो शावकों को जन्म देकर पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के कुनबे को बढ़ा रही हैं। बीते साल वर्ष 2021 में पन्ना टाइगर रिजर्व की 9 बाघिनों ने शावकों को जन्म दिया है। जिनके 18 शावक पीटीआर की रौनक को बढ़ा रहे हैं।

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व श्री शर्मा के मुताबिक वर्ष 2022 में ब्रीडिंग क्षमता वाली बाघिनों की संख्या में और इजाफा होगा, क्योंकि 3 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक की 10 युवा बघिनें पीटीआर में हैं। जिनसे उम्मीद है कि वे आने वाले समय में शावकों को जन्म देंगी। इस तरह पन्ना टाइगर रिजर्व में ब्रीडिंग क्षमता वाली बाघिनों की संख्या दो दर्जन के आसपास पहुंच सकती है, जो शुभ संकेत है।

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Saturday, January 1, 2022

जैविक खेती के लिये तैयार हो रहा पन्ना जिले का विल्हा गाँव

  • रासायनिक खेती के दुष्परिणामों को देखते हुए बड़ी संख्या में किसान अब जैविक खेती को अपनाने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। प्रदेश सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। पन्ना जिले के कई किसान जैविक तरीके से सब्जियां उगाकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं। जिले का विल्हा गाँव तो जैविक गांव बनने की तैयारी में है। 

गोबर और जैविक कचरे से वर्मी कम्पोष्ट तैयार करने की विधि सीखतीं गांव की महिलाएं। 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले का विल्हा गाँव जैविक खेती को अपनाने की दिशा में अग्रसर है। कई दशकों से खेती करने वाले किसान सुदामा पटेल कहते हैं कि इतने सालों में मैंने यह सबक लिया है कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अधाधुंध उपयोग कर न सिर्फ हम खेतों को ऊसर बना रहे हैं अपितु अपनी सेहत व पर्यावरण से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। रासायनिक खेती घाटे की खेती है क्यों कि इसमें लागत ज्यादा और फायदा कम है। वे आगे कहते हैं कि मैंने अब यह संकल्प किया है कि जैविक ढंग से खेती करूँगा और फसलों में रासायनिक खाद नहीं डालूंगा। 

सुदामा पटेल बताते हैं कि उन्होंने निजी भूमि के अलावा बटाई पर खेत लेकर वर्षों खेती की है। अटूट मेहनत के बावजूद खर्चा काटने के बाद दो-ढाई लाख से ज्यादा आय नहीं होती। यदि मौसम ने साथ नहीं दिया अथवा कोई आपदा आ गई तो इतना भी नहीं बच पाता। लेकिन जैविक ढंग से यदि खेती की जाय तो मिट्टी की उपजाऊ शक्ति जहाँ बढती है, वहीँ लागत बहुत ही कम आती है। इसलिए अब बटाई पर खेत लेकर रासायनिक खेती करना छोड़ अपनी 20-22 एकड़ जमीन में जैविक तरीके से खेती करना शुरू किया है। इसमें सालाना कम से कम 8-10 लाख रुपये की आय हो रही है। श्री पटेल कहते हैं कि कम क्षेत्र में खेती करके ज्यादा मुनाफा कमा लेंगे लेकिन रासायनिक खेती अब नहीं करेंगे। 

 ग्राम पंचायत रक्सेहा के ग्राम विल्हा में किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे स्वयं सेवी संस्था समर्थन के रीजनल क्वार्डिनेटर ज्ञानेंद्र तिवारी ने बताया कि गांव में 159 परिवार खेती के कार्य में लगे हैं। ग्राम पंचायत ने निर्णय लिया है कि ग्राम पंचायत को जैविक ग्राम पंचायत के रूप में विकसित करना है। इस दिशा में जिले की स्वयंसेवी संस्था समर्थन फोर्ड फाउन्डेसन एवं कृषि,उद्यानिकी व कृविके के सहयोग से जैविक ग्राम बनाने में सामुदायिक पहल कर रही है। शुक्रवार को साल के आखिरी दिन लगभग 42 किसानों के वर्मी कम्पोस्ट के वेड तैयार कर दिये गये एवं केचुआ डालने की प्रक्रिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक रितेश बगोरा के निदेशन में पूरा किया गया। पूरे गांव के किसान महिला एवं पुरूष जैविक खेती के लिये तैयार हैं। रूकमन बाई एवं सुदामा पटेल जैसे किसानों ने कहा कि हम रासायनिक खाद से खेती कर चुके हैं अब हम जैविक खेती ही करेंगे। जैविक खेती से कम क्षेत्र में भी खेती करके ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।

गांव में जैविक उत्सव जैसा महौल 

ग्राम पंचायत के सचिव एवं रोजगार सहायक नारायण ने कहा कि आज ग्राम विल्हा में जैविक उत्सव जैसा महौल है। वास्तव में यह बदलाव की बयार समर्थन और ग्राम पंचायत के साथ विभागीय समन्वय का परिणाम है। गांव के सभी किसान खुश हैं कि हमारी मिटटी स्वस्थ्य रहेगी, ऊसर नहीं बनेगी।  इस कार्यक्रम में उपसंचालक कृषि एपी सुमन, कृविके के वैज्ञानिक पीएन त्रिपाठी एवं उद्यान विकास अधिकारी संजीत बागरी तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनरेगा परियोजना अधिकारी संजय सिंह परिहार का किसानों के अधोसंरचना विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। समर्थन संस्था के क्षेत्रीय समन्वयक ने कहा कि जैविक कृषि की ओर किसान आगे आ रहे हैं। विभागीय एवं पंचायत समन्वय के साथ ग्राम के लोगों की भागीदारी से सब कुछ संभव है।

गांव में 113 किसानों के घरों में पोषण वाटिका



मवेशियों से प्राप्त होने वाले गोबर और जैविक कचरे से गांव के किसान वर्मीकम्पोस्ट तैयार कर रहे हैं जिसका उपयोग वे फसलों की अधिक पैदावार के लिए करेंगे। ज्ञानेंद्र तिवारी बताते हैं कि गांव में 113 किसानों के घरों में पोषण वाटिका स्थापित है, जहाँ बैगन, मिर्ची, टमाटर, पालक, मूली एवं धनिया तथा कुछ घरों में लहसुन, प्याज भी लगाया गया है। अभी तक ग्राम बिल्हा में लोग गोबर की खाद के साथ रसायनिक खाद व दवाओ का भी उपयोग करते रहे हैं लेकिन अब वे जैविक तरीके से सब्जी उगाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। उद्यान विभाग से कृषि यंत्र हेतु 52 किसानों का पंजियन करवाया गया है तथा 42 किसानों के यहाँ वर्मी खाद तैयार कराने हेतु वैड लगा कर किसानों को केचुआ खाद बनाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। किसानों के द्वारा रसायनिक खाद एवं दवाई का प्रयोग कम कर जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु प्रयास किया जा रहा है।

गांव की महिला के नवाचार का वीडियो -



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