Sunday, May 31, 2020

जिन ग्रामों में मिले कोरोना पॉजिटिव वे सभी कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित

  • कंटेनमेंट क्षेत्र का कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा किया गया निरीक्षण
  • यहाँ बगैर अनुमति न ही कोई व्यक्ति प्रवेश करेगा और न ही बाहर जायेगा


कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा एवं पुलिस अधीक्षक  मयंक अवस्थी कंटेनमेंट क्षेत्र का निरीक्षण करते हुये। 

अरुण सिंह,पन्ना। जिले के जिन क्षेत्रों में प्रवासी श्रमिकों का आना हुआ था उन श्रमिकों की स्क्रीनिंग की गयी थी। स्क्रीनिंग के दौरान जिनमें कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा था या पूर्व में पाये गये कोरोना पॉजिटिव के सम्पर्क के आधार पर कोविड केयर सेंटर में रखा गया था। उनके नमूने जांच के लिए प्रेषित किये गये थे। प्रयोगशाला से जिन लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव पायी गयी उन लोगों को तुरंत जिला चिकित्सालय में स्थापित कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती कराया गया है। जिन गांव के लोगों के सैम्पल कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं उन सभी ग्रामों को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। कंटेनमेंट क्षेत्र में कर्फ्यू लागू हो गया है। इन क्षेत्रों में कोई भी व्यक्ति अनावश्यक घरों से बाहर नही निकलेगा। इन गांव में आवश्यक वस्तुओं की होम डिलेवरी कराए जाने की व्यवस्था की जाएगी। कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा एवं पुलिस अधीक्षक  मयंक अवस्थी द्वारा देर रात इन क्षेत्रों का भ्रमण कर वहां की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया गया।
उन्होंने अजयगढ मुख्यालय एवं ग्राम मकरी का निरीक्षण किया गया। अजयगढ नगरीय क्षेत्र में दो कोरोना पॉजिटिव तथा ग्राम मकरी में एक कोरोना पॉजिटिव मरीज पाया गया था। इन क्षेत्रों को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। इनमें न तो कोई बगैर अनुमति प्रवेश करेगा और न ही कोई व्यक्ति बगैर अनुमति क्षेत्र से बाहर जायेगा। कलेक्टर श्री शर्मा ने राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिये कि क्षेत्र को आगामी आदेश तक पूरी तरह सील रखा जाये। लोगोें की अतिआवश्यक वस्तुओं की होम डिलेवरी कराये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। जिससे लोग घरों पर ही रहें। निरीक्षण के दौरान उन्होंने वहां की गयी व्यवस्थाओं का जायजा लिया और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशानिर्देश दिये। इसके अलावा कोरोना पॉजिटिव मरीज ग्राम बरबसपुरा पाया गया है। यह ग्राम पहले से ही कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित है। एक केस ग्राम देवरी में पाया गया है इस क्षेत्र को भी कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। इस ग्राम में भी घोषित कंटेनमेंट क्षेत्र की तरह नियम एवं शर्ते लागू होंगी। लागू किये गये नियमों एवं शर्तो का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। सभी लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग एवं मुंह पर मास्क या कपडा बांधने के साथ बार-बार हांथ धोना अनिवार्य किया गया है।

 हर कोरोना संदिग्ध व्यक्ति के लिए जा रहे हैं सैम्पल

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित नोबल कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में निरंतर कार्यवाही जारी है। इनमें विदेश से आए 08 लोगों को पूर्व से ही कम्युलेटिव किया गया था। इन सभी यात्रियों का होम कोरेन्टाईन पूर्ण हो चुका हैै। अन्य राज्यों एवं जिलों से 31 मई को आये 428 व्यक्ति का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस प्रकार बाहर से आए कुल 56486 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। जिले के 428 व्यक्तियों का स्क्रीनिंग की गयी। जिले में अब तक 56486 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
इनमें आज दिनांक को शाम 4 बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 428 लोगों को होम क्वारेन्टाईन किया गया है। अब तक जिले में कुल 20626 व्यक्तियों को होम क्वारेन्टाईन में रखा गया है। जिसमें 30049 व्यक्तियोें का होम कोरेन्टाईन पूर्ण किया गया। अब तक 470 नमूने लिए जा चुके हैं तथा 393 नमूने निगेटिव पाए गये हैं, 73 सैम्पल रिपोर्ट अप्राप्त है एवं पैथॉलोजी द्वारा 04 सेम्पल रिजेक्ट किये गये। अब तक जिले में कोविड-19 के कुल 16 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। 14 पॉजिटिव व्यक्तियों को जिला चिकित्सालय में स्थापित आइसोलेशन सेंटर में भर्ती किया गया है। कुल मरीजों में 02 पॉजिटिव मरीज पूर्णतः स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं।
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Saturday, May 30, 2020

पन्ना जिले में फिर मिले 5 पॉजिटिव मरीज, कुल 16 हुई संख्या

कोरोना पॉजिटिव केस मिलने पर अजयगढ़ का वह इलाका जिसे सील किया गया। 

अरुण सिंह, पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। शनिवार 30 मई को शाम 5 बजे तक प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पन्ना जिले में 5 नये कोरोना पॉजिटिव मरीज पाये गये हैं। जबकि शुक्रवार को 7 मरीज मिले थे, इस तरह बीते दो दिनों में ही 12 कोरोना पॉजिटिव  मरीज पाये गये हैं। जिले में अब पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 16 हो गई हैं। जिन इलाकों में कोरोना पॉजिटिव मरीज पाये गये हैं वह क्षेत्र कंटेनमेंट घोषित किया गया है।
 मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज इन्दौर से आये  2 कोरोना पॉजिटिव मरीज अजयगढ में पाये गये हैं। जबकि एक कोरोना पॉजिटिव मरीज देवरी (ककरहटी) क्षेत्र में पाया गया है जो दिल्ली से आया था। एक केस बरबसपुर का है जो पूर्व में आये व्यक्तियों से प्राथमिक सम्पर्क का है। सभी को लक्षण एवं सम्पर्क के आधार पर कोविड केयर सेंटर में पूर्व से ही रखा गया था। इस प्रकार अभी तक पन्ना में 16 पॉजिटिव केस पाये गये हैं। उनमें से दो पूर्व में एवं आज एक कुल 3 केस स्वास्थ्य होकर घर जा चुके हैं। वर्तमान समय जिले में कुल 13 केस एक्टिव हैं, जिनका उपचार किया जा रहा है। इन सभी मरीजों के प्राथमिक सम्पर्क के लोगों को आइसोलेट करने की कार्यवाही की जा रही है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा कन्टेनमेंट क्षेत्र के लोगों को समझाईश दी गयी कि वे अनावश्यक घरों से न निकलें। संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को निर्देश दिए कि  जिन ग्रामों को कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किया गया है उन क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की होम डिलेवरी कराने की व्यवस्था करें। जिससे बस्ती के लोग बाहर न निकलें। वहीं बस्ती के लोगों को समझाईश दी गयी कि वे लोग अनिवार्य रूप से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें। मुंह पर मास्क या कपडा बांधकर रखें। हांथों को बार-बार साबुन से धोयें। किसी भी व्यक्ति को सर्दी, जुखाम, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ आदि की स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो तुरंत ग्राम में पदस्थ आशा कार्यकर्ता,आंगनवाडी कार्यकर्ता को जानकारी दें। जिससे क्षेत्र में भ्रमण कर रहे चिकित्सा दल द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कर आवश्यक उपचार किया जा सके।

कंटेनमेंट क्षेत्र में कर्फ्यू की तरह नियम लागू - कलेक्टर  



कलेक्टर पन्ना
 जहां भी कोरोना पॉजिटिव मरीज पाया जाता है उस क्षेत्र को कन्टेनमेंट क्षेत्र घोषित किया जाता है। इसी तरह पन्ना जिले में जिन क्षेत्रों में कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं उन क्षेत्रों को कन्टेनमेंट क्षेत्र घोषित किया गया है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने पन्ना नगर के धाम मोहल्ला क्षेत्र में कोरोना पॉजिटिव मरीज पाये जाने के कारण धाम मोहल्ले को अब कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है। इस क्षेत्र में कर्फ्यू लागू होने जैसे नियम प्रचलन में आ गए हैं। इस क्षेत्र में कोई व्यक्ति अपने घर से बाहर बिना प्रशासन की अनुमति के नही निकलेगा और न ही कोई व्यक्ति प्रवेश करेगा। इस क्षेत्र के निवासी भौतिक रूप से अपने पडोसी से भी सम्पर्क नही कर सकेंगे। यदि किसी भी व्यक्ति को कोरोना वायरस से संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई देता है जैसे सर्दी, खांसी, बुखार,साँस लेने में तकलीफ आदि के साथ कोई भी मेडिकल इमरजेन्सी हो तो जिला प्रशासन, डॉक्टर या वहा ड्यूटी करने वाले शासकीय सेवकों को बतायें। जिससे संबंधित का समय पर उपचार हो सके। कंटेनमेंट क्षेत्र में घर-घर जांच करने आने वाले डॉक्टर एवं कर्मचारियों का सहयोग करें। इस क्षेत्र में आवश्यक वस्तु जैसे दूध, सब्जी, राशन की सामग्री आदि के लिए होम डिलेवरी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इस क्षेत्र में बाहर के लोगों का आना-जाना अतिआवश्यक होने पर ही हो सकेगा। इसी प्रकार क्षेत्र के लोगों का घरों से निकलना भी प्रतिबंधित रहेगा। यह व्यवस्था जिले के उन समस्त स्थानों पर लागू रहेगी जिन स्थानों पर कोरोना पॉजिटिव मरीज पाये जा रहे हैं।  उपरोक्त बातों का उल्लंघन करते पाये जाने पर सख्त कार्यवाही की जायेगी।
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पन्ना जिले में कोरोना मरीजों की संख्या दहाई के पार

  •  शुक्रवार 29 मई को जिले में 7 व्यक्ति मिले कोरोना पॉजिटिव
  •  पन्ना व श्यामगिरी में एक - एक तथा बरबसपुरा में पांच संक्रमित
  • जिले में अब बढ़कर 11 हुई कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या


देर रात्रि जिला चिकित्सालय पन्ना के कोविड केयर सेंटर का जायजा लेने के बाद दिशा निर्देश देते हुये कलेक्टर श्री शर्मा। 

अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में भी अब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। शुक्रवार 29 मई को एकमुश्त सात नये संक्रमित मरीजों के मिलने से जिले में कुल कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। अभी तक पन्ना जिले को तुलनात्मक रूप से काफी हद तक सुरक्षित माना जा रहा था। लेकिन हजारों की संख्या में यहाँ प्रवासी मजदूरों व बाहर से आये अन्य लोगों के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। संक्रमण को रोकने के लिये तय किये गये उपायों तथा फिजिकल डिस्टेन्सिंग के पालन में लापरवाही होने से हालात बिगड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों बरबसपुरा ग्राम में एक संक्रमित व्यक्ति पाया गया था। इसके संपर्क में आने वाले  लोगों के सैंपल जाँच हेतु भेजे गये थे, जिनमें से 5 लोग कोरोना पोजिटिव मरीज पाये गये हैं। ये सभी एक ही परिवार के सदस्य बताये जा रहे हैं। इन पांच संक्रमित मरीजों के अलावा पन्ना शहर के धाम मुहल्ला तथा दूरस्थ आदिवासी बहुल क्षेत्र कल्दा पठार के श्यामगिरी निवासी दो युवक संक्रमित पाये गये हैं। दोनों युवक गुजरात से वापस लौटे थे। मालुम हो कि अन्य राज्यों और जिलों से अब तक 54 हजार से भी अधिक व्यक्ति यहाँ आ चुके हैं जिनकी स्क्रीनिंग की जा चुकी है। लेकिन पन्ना पहुँच चुके प्रवासी मजदूरों की संख्या के अनुपात में जाँच हेतु नमूने नहीं लिये जा सके हैं। अब जैसे - जैसे जाँच के लिये नमूने भेजे जा रहे हैं, संक्रमित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। जिले में यकायक संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही प्रशासन सक्रिय और चौकस हो गया है। देर रात्रि कलेक्टर पन्ना कर्मवीर शर्मा जिला चिकित्सालय पहुंचकर कोविड वार्ड की व्यवस्थाओं का जायजा लिया तथा अधिकारीयों को दिशा निर्देश दिये हैं। इस बीच धाम मुहल्ला जहाँ संक्रमित मरीज पाया गया है, उस पूरे इलाके को सील कर दिया गया है। कलेक्टर श्री शर्मा ने नगरवासियों से अपील की है कि सावधानी में ही कोरोना से बचाव है, इसलिए अत्यावश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें। सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करें तथा मुंह पर मॉस्क अनिवार्य रूप से लगायें और साबुन से हाँथ धोंये।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने जिले के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि इस बीमारी से घबराना नहीं है । इसका डटकर मुकाबला करना है और स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा जारी किये गये निर्देशों का पालन करना है, ताकि जिले में करोना संक्रमण  की जंग को जीता जा सके। उन्होंने जिलेवासियों से अपील की है कि अति आवश्यक कार्य होने पर ही घर से बाहर  निकलें और जब भी बाहर निकले तो मुँह में मास्क अवश्य लगायें। इसके साथ ही आंखों में चश्मा लगा कर ही निकले । उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्तियों का हौसला बढ़ायें उनकी उपेक्षा न करें । किसी संदिग्ध या  संक्रमित व्यक्ति के संबंध में कोई जानकारी प्राप्त हो तो तत्काल स्वास्थ्य विभाग को या जिला प्रशासन को उपलब्ध करायें। ताकि समय रहते संबंधित व्यक्ति की जांच की जा सके। कोरोना संक्रमण में लगे पुलिस, राजस्व विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का सम्मान करें।

धाम मोहल्ले मे आगामी आदेश तक रहेगा कर्फ्यू 


शहर के महेंद्र भवन चौराहा से गाँधी चौक वाला मार्ग सील किया गया। 

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने देर रात्रि जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि  पन्ना शहर से पहला कोरोना पॉजिटिव केस धाम मोहल्ले से प्राप्त हुआ है जिसका उपचार शुरू हो चुका है। धाम मोहल्ले को अब कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किया जा रहा है इसका अर्थ होगा की धाम मोहल्ले में एक प्रकार से आगामी आदेश तक कर्फ्यू रहेगा। इसके अंतर्गत इस क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर  बिना प्रशासन की अनुमति के नहीं निकलेगा, न ही कोई इस क्षेत्र मे प्रवेश करेगा। अपने पड़ोसी से भी  भौतिक रूप से संपर्क नही करेगा, छत पर भी  भीड़ इकट्ठी नहीं करेगा। किसी भी प्रकार का यदि कोई कोरोना से संबंधित लक्षण दिखाई देता है
जैसे सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ आदि या किसी भी प्रकार की मेडिकल इमरजेंसी होती है तो तत्काल प्रशासन , डॉक्टर या वहाँ पर ड्यूटी करने वाले लोगो को  अवगत करायेगा ताकि उसका उपचार समय पर किया जा सकें। घर - घर जांच करने आने वाले डॉक्टर एवं कर्मचारियों से सहयोग करेगा तथा सही -सही जानकारी उपलब्ध करायेगा। कंटेनमेंट क्षेत्र में अत्यावश्यक वस्तु जैसे दूध, सब्जी और राशन की सामग्री होम डिलीवरी के रूप में व्यवस्था बनाई जाएगी इस हेतु एसडीएम पन्ना प्रथक से मोबाइल नंबर जारी करेंगे।

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Friday, May 29, 2020

मंदिरों के शहर पन्ना में भी कोरोना ने दी दस्तक

  •   जिले में शुक्रवार को मिले दो कोरोना पॉजिटिव मरीज 
  •  अब जिले में आधा दर्जन हुई पॉजिटिव मरीजों की संख्या 
  •  शहर के गाँधी चौक इलाके को कराया गया सील 


पन्ना शहर का हृदय स्थल गाँधी चौक जिसे प्रशासन द्वारा सील कराया गया। 

अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र  के पन्ना जिले में शुक्रवार को आज दो कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से हड़कंप मच गया है। इन दो मरीजों की रिपोर्ट पॉजीटिव आने के साथ ही जिले में मरीजों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है। आज मिले दो कोरोना पॉजिटिव मरीजों में एक पन्ना शहर का है, जबकि दूसरा मरीज आदिवासी बहुल कल्दा पठार के श्यामगिरी क्षेत्र का निवासी बताया गया है। मालुम हो कि अभी तक पन्ना शहर कोरोना संक्रमण से मुक्त था लेकिन इस युवक के पॉजिटिव आने के साथ ही मंदिरों के शहर पन्ना में भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने रिपोर्ट आने के साथ ही पूरे इलाके को सील करा दिया है।
  मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के.  तिवारी ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि आज दो कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं। इनमें एक पन्ना शहर व दूसरा कल्दा पठार के श्यामगिरी का है। इन दो नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि होने के बाद जिले में अब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है। बताया गया है कि पॉजिटिव पाए गए दोनों ही युवक गुजरात से पन्ना लौटे थे, जिन्हें प्रशासन ने क्वारेंटाईन किया हुआ था। लक्षण मिलने पर इन दोनों का सैंपल जांच हेतु सागर लैब भेजा गया, जहां से आज पॉजिटिव रिपोर्ट प्राप्त हुई है। संतोषजनक बात यह है कि पूर्व में कोरोना पॉजिटिव पाये गये जिन दो युवकों को जिला चिकित्सालय पन्ना के कोविड केयर हेल्थ सेंटर में भर्ती कराया गया था, वे समुचित उपचार मिलने और सतत निगरानी व देखरेख होने से पूरी तरह स्वस्थ हो गये हैं, जिन्हे छुट्टी भी दे दी गई है। निश्चित ही यह राहत भरी खबर है कि जिले में संक्रमित पाये जाने वाले मरीज जल्दी ही स्वस्थ हो रहे हैं। शुक्रवार 29 मई को मिले दो कोरोना पॉजिटिव मरीजों की कांटेक्ट हिस्ट्री तथा इनके संपर्क में आये लोगों की जानकारी हासिल की जा रही है।
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Thursday, May 28, 2020

कोरोना संकट के चलते विकराल हुई टिड्डी दल की समस्या

  • रेत वाली जमीन जहाँ अण्डे दिये वहां इनको नष्ट करने का काम नहीं हुआ
  • नियमित अंतराल पर बारिश होने से कीटों को पनपने का वातावरण मिला 

                                       
टिड्डी दल को भगाने के प्रयास में जुटा एक ग्रामीण। 

अरुण सिंह, पन्ना। महज दो ग्राम की वजन वाली टिड्डी इन दिनों चर्चा में है। करोड़ों की तादाद में जब टिड्डी झुंड बनाकर किसी इलाके में धावा बोलता है तो चंद घण्टों में ही फसल व पेड़ पौधों को सफाचट कर देता है। पूरे सत्ताइस साल बाद टिड्डी दल देश के विभिन्न हिस्सों में भयंकर तरीके से हमले कर रहे हैं। राजस्थान, गुजरात, पंजाब, मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश खासतौर पर इसके निशाने पर हैं। पहली बार टिड्डी दलों ने शहरी आबादी क्षेत्रों में भी घुसपैठ की है। क्या हैं ये टिड्डे, कैसे सफाचट कर देते हैं ये पूरी हरियाली तथा क्यों सत्ताइस साल बाद ये इतने भयंकर साबित हो रहे हैं।  इन बातों को जानने और समझने का प्रयास किया जाना जरुरी है। हमलावर हो चुकी इस टिड्डी दल की विकट समस्या से निपटने के लिये प्रशासन व जनता द्वारा विविध उपाय भी किये जा रहे हैं। टिड्डी दल को ख़त्म करने के लिये बड़े पैमाने पर कीटनाशकों का भी प्रयोग किया जा रहा है, जिससे मित्र कीटों का भी जहाँ सफाया हो रहा है वहीँ जैव विविधता को भी क्षति पहुँच रही है। इस सम्बन्ध में कृषि विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों का क्या कहना है इस पर नजर डालते हैं ताकि समस्या को समझने में मदद मिल सके।
उल्लेखनीय है कि टिड्डी दल किसी एक देश की समस्या नहीं हैं। ये एक ग्लोबल समस्या है। अरब सागर के तीन तरफ यानी अफ्रीका, अरब और भारतीय उप महाद्वीप के देश इसके हमलों से प्रभावित होते रहे हैं। माना जाता है कि क्लाईमेट क्राइसिस के चलते वर्ष 2018 में कुछ असामान्य चक्रवाती तूफान आये हैं। इनके चलते खासतौर पर अरब क्षेत्र में बरसात हुई। जिससे रेत वाली जमीन में ज्यादा नमी बनी, इसके चलते टिड्डी दलों की भयंकर पैदावार हुई है। आमतौर पर इनकी पैदावार पर रोक लगाने के लिए ऐसी जगहों जहां पर इन्होंने अंडे दिए होते हैं, वहां पर दवाओं का छिड़काव किया जाता है। लेकिन, इस बार कोरोना संकट के चलते ईरान का पूरा अमला उससे निपटने में ही जुटा हुआ था। इसके चलते इन कीटों को नष्ट करने का काम प्रमुखता से नहीं हुआ। जिसके चलते समस्या विकराल हो गई। भारत में इस बार मार्च, अप्रैल और मई के पहले पखवाड़े में लगातार ही नियमित अंतराल में पश्चिमी विक्षोभों की सक्रियता रही है। इसके चलते नियमित अंतराल पर बारिश हुई है। जिससे मौसम में नमी बनी रही। यह कीटों के पनपने के लिए बेहद मुफीद स्थिति बन गई। भारत के गुजरात, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में पिछले साल ही टिड्डी दलों का हमला हुआ था। लेकिन, इस समस्या पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। आश्चर्यजनक तौर पर टिड्डियां इस बार भयंकर ठंड में भी सर्वाइव कर गईं। जबकि, ठंड उतरते ही उन्हें नमी वाला बहुत ही अच्छा मौसम मिला। जिसके चलते उनके पैदावार में बड़ी तेजी आई।
पेड़ पर बैठा टिड्डी दल। 
आमतौर पर टिड्डी दल हर तरह के पेड़-पौधें, फसलें आदि चट कर जाते हैं। बड़े पेड़ों की भी कोमल पत्तियों और टहनियों को वे खा जाते हैं। एक सामान्य टिड्डी दल में पंद्रह करोड़ तक की संख्या में टिड्डे हो सकते हैं और हवा अगर मुफीद हो तो वे 150 किलोमीटर तक की यात्रा एक दिन में कर सकते हैं। एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला एक सामान्य टिड्डी दल एक दिन में 35 हजार लोगों के बराबर का खाना खा सकते हैं। बलुई जमीन को टिड्डी दल अपनी ब्रीडिंग कॉलोनी में बदल देते हैं। मादा टिड्डा जमीन में दो से चार इंच का छेद करके उसमें अंडे देती है। मेटिंग के आठ से 24 घंटों बाद मादा अंडे देने की शुरुआत कर देती है। अपने जीवन भर में एक टिड्डा पांच सौ अंडे देती है। यह भी देखने में आता है कि मादाएं एकदम करीब-करीब अंडे देती हैं। यहां तक कि एक वर्ग मीटर के बीच में पांच हजार तक अंडे हो सकते हैं। एक अंडा 7-9 मिलीमीटर लंबा होता है। गर्मी का मौसम टिड्डों के लिए बेहद मुफीद होता है। गर्मी के दिनों में इन अंडों में से 12 से 15 दिनों के भीतर ही बच्चे निकल आते हैं जबकि जाड़े के दिनों में तीन से चार सप्ताह लग जाते हैं। इन्हें निंफ कहा जाता है। गर्मी के दिनों में तीन से चार सप्ताह में निंफ बड़े हो जाते हैं और इनके पंख निकल आते हैं, जबकि, जाड़े के दिनों में इसमें छह से आठ सप्ताह लग जाते हैं। यूं तो टिड्डी दल हर प्रकार की हरी चीज को साफ कर कर देते हैं। लेकिन, ऑक, नीम, धतूरा, शीशम और अंजीर को वे नहीं खाते हैं। निंफ और वयस्क टिड्डा दोनों ही नुकसान पहुंचाने वाले होते हैं। जब ये टिड्डी दल अपने पूरे जोर पर होते हैं तो अकाल तक का खतरा पैदा कर देते  हैं। वर्ष 1926 से 31 के बीच भारत के अलग-अलग हिस्सों में लगातार टिड्डी दलों के हमले हुए। कहा जाता है कि उस समय तक टिड्डी दल फसलों को चट करने के लिए आसाम तक पहुंच गये थे। फसलों को खाने के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी तमाम प्रकार की परेशानियां पैदा कर सकते हैं। घरों, बिस्तरों और रसोईघरों में वे घुस जाते हैं। बहुत सारे लोग इसके प्रति एलर्जिक भी होते हैं। टिड्डी दलों की वजह से रेलवे लाइन पर घर्षण कम हो जाता है और इससे ट्रेन के फिसलने का खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए ट्रेनों तक को रोकना पड़ता है। वे अगर जलाशयों में गिर जाते हैं तो पानी भी पीने योग्य नहीं रह जाता। एक विशालकाय टिड्डी दल दस वर्ग किलोमीटर तक में फैले हो सकते हैं। इस तरह के दल में तीन सौ टन तक टिड्डे हो सकते हैं। अभी तक ऐसे झुंड भी रिकार्ड किए गए हैं जो 300 वर्ग किलोमीटर तक में फैले थे। वे सूरज की रोशनी को रोक लेने वाले किसी काले-मनहूस बादल की तरह किसानों की आशाओं पर मंडराते हैं। आमतौर पर टिड्डा तीन से पांच महीने तक जीता है। हालांकि, यह भी मौसम के ऊपर बहुत कुछ निर्भर करता है। टिड्डा का जीवन चक्र तीन अलग-अलग हिस्सों में यानी अंडा फिर होपर या निंफ और वयस्क में बांटा जा सकता है।
टिड्डी दलों का हमला रोकने के लिए भारत में बहुत पहले से कृषि मंत्रालय के अंतर्गत लोकस्ट वार्निंग आर्गेनाइजेशन काम करता रहा है। इसके केन्द्र राजस्थान में जगह-जगह पर बनाए गए हैं। जहां पर टिड्डी दलों की आमद और उनकी ब्रीडिंग पर निगाह रखी जाती है। कुछ विशेषज्ञ तो यहां तक बताते हैं कि पहले इस संस्था के पास अपने विमान भी हुआ करते थे। इन विमानों के जरिए टिड्डी दलों पर छिड़काव किया जाता था और उनको समाप्त करने की कोशिश होती थी। इन कोशिशों को काफी कुछ कामयाबी भी मिली थी और टिड्डी दलों के हमले लगभग समाप्त हो गए थे। लेकिन, हाल के दिनों में मौसम का चक्र बिगड़ने के चलते टिड्डी दल फिर से हमलावर हो गए हैं। टिड्डी का कोई एक दल भारत में सक्रिय नहीं हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में टिड्डियों का एक दल घूम रहा है। इसके चलते हजारों करोड़ की फसलें चट होती जा रही हैं। जबकि, एक अन्य दल ने पाकिस्तान की ओर से प्रवेश किया है जो पंजाब में फसलों को चट करने में जुटा हुआ है।

कीटनाशकों के छिड़काव से पर्यावरण व जैव विविधता पर प्रभाव 


पेड़ पर छिड़काव करते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व के कर्मचारी। 

टिड्डी दल को नष्ट करने के लिये जो कीटनाशक छिड़का जा रहा है उसके क्या प्रभाव है ? कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि  इस वर्ष याने मई 2019 से लेकर अभी तक लगभग 4.5 लाख लीटर कीटनाशकों का प्रयोग इन टिड्डियों पर राजस्थान में हो चुका है। जनवरी 20 तक  2.75 लाख लीटर तो अकेली मेलाथिओंन 96 प्रतिशत का उपयोग हो चुका है। तो इसमे कोई अतिशयोक्ति नहीं कि  पर्यावरण व जैव विविधता पर कितना बडा प्रभाव पड रहा है। मरु जैव विविधता जंहा की फ़्लोरा कम व फ़्यूना ज्यादा है वँहा बेशक इन कीटनाशकों का प्रभाव अत्यधिक हानिकारक है। फिर इन कीटनाशकों के प्रयोग से टिड्डी के अलावा भी वे सभी छोटे कीट मर रहे है जिनको मारने की आवश्यकता नही है। मरी हुई टिड्डियों को खाने से अन्य बड़े पक्षी, कुत्ते, बिल्ली, अन्य रेप्टाइल्स व अन्य बेजुबान जानवर खाकर वैसे ही मर रहे हैं। बड़ी वनस्पतियो पर दवाई के प्रभाव से वो भी देर सवेर नष्ट हो ही जायेगी। मानव व पशु जो इन वनस्पतियों व इनके उत्पाद खा रहा है तो जाहिर है दूरगामी प्रभाव पीढ़ियों पर अवश्य पड़ेंगा, जैसे भोपाल गैस दुर्घटना के परिणाम आज 40 साल बाद भी वहां के पशु, पक्षी व मनुष्य झेल रहे हैं ।अतः कीटनाशक के प्रयोग से केवल टिड्डी को ही नुकसान न होकर हम सब को हो रहा है। जंहा राजस्थान सालाना अन्य फसलों में कीटनाशक डालता है उससे कंही ज्यादा तो अकेली टिड्डी में डाल चुका। अतः इसकी भयावहता से हम अभी भी अनभिज्ञ हैं। जंहा भी टिड्डी आ रही है वंही मनोरंजन के रूप में दवाइयों के डिब्बे व मशीन लेकर भाग रहे हैं और अपनी ही जैव विविधता को नष्ट करने में तुले हैं।

तो फिर नियंत्रण के क्या होंने चाहिये उपाय 

 प्रश्न उठता है नियंत्रण का अन्य उपाय क्या है ?  चूंकि टिड्डिया दिन में उड़ान भरती हैं और रात को आराम करती हैं। जाहिर है दिन में हम यांत्रिक विधियों से भगा देंगे लेकिन रात्रि में मारने के लिए हमे रासायनिक कीटनाशको का प्रयोग न करके कुछ ऐसे जैविक कीटनाशको का प्रयोग करना चाहिए जो पर्यावरण अनुकूल हो और टिड्डियों के प्रतिकूल। जैसे नीम आयल है,  कुछ नर फेरोमोन्स हो सकते हैं जो मादाओं को आकर्षित करके केवल उन्हें मारे। साथ ही अन्य विकल्प खोजे जाने चाहिये।अभी तक वैज्ञानिकों को टिड्डी के लिए जैविक विकल्प खोज लेना चाहिए था। ये हर साल अफ्रीका से लेकर भारत तक नुकसान पहुचाती हैं और हम ये भी जानते हैं कि रासायनिक कीटनाशको से ये मात्र 2-3 प्रतिशत ही खत्म होती हैं। तो फिर केवल दो प्रतिशत के लिए हम हमारी अन्य जैविक सम्पदा को नुकसान क्यों  पहुचा रहे हैं ? जंहा तक टिड्डी स्वयं के द्वारा लाभ की बात है तो ये मित्र कीट साबित हो सकती है। जैसा कि हम जानते है ये पोलिफेगस कीट है यानी जो भी वनस्पति व वनस्पति का भाग इसके सामने आया उसे खा जाती है। तो बड़े बड़े भू भागों पर जंहा खरपतवारों की समस्या है वँहा नियंत्रित परिस्थितियों में इनसे नष्ट करवाया जा सकता है, जैसे लेंटाना, पार्थेनियम, कंटेली, मदार ये ऐसे खरपतवार है जो फसलों को व पड़त भूमियों को खराब कर रहे है। कीटनाशक टिड्डियों से ज्यादा पर्यावरण व अन्य जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचा रहा है, इसके दूरगामी परिणाम भी ठीक नही होंगे। जैविक कीट या जैविक कीटनाशी रासायनिक कीटनाशको का विकल्प होना चाहिए एवं टिड्डी को स्वयं को भी मित्र कीट के रूप में उपयोग लेने की तरकीब निकालनी चाहिए।
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Wednesday, May 27, 2020

कोविड-19 संक्रमित मरीजों के वार्डो का कमिश्नर ने किया निरीक्षण

  • चिकित्सालय एवं मॉडल स्कूल के कोविड हेल्थ केयर सेंटर की सराहना
  • सभी सेंटरों में महिला एवं पुरूष के लिए पृथक पृथक व्यवस्था


कोविड-19 संक्रमित मरीजों के वार्डो का निरीक्षण करते हुये कमिश्नर श्री गंगवार साथ में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा व अधिकारीगण। 

अरुण सिंह,पन्ना। सागर संभाग के आयुक्त अजय सिंह गंगवार ने पन्ना प्रवास के दौरान कोविड-19 महामारी के विरूद्ध जिले में की जा रही कार्यवाही का सूक्ष्म निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पीपीई किट, मास्क एवं सेनेटाइजर निर्माण इकाई का निरीक्षण किया। उन्होंने जिले में आ रहे प्रवासी श्रमिकों की स्क्रीनिंग पंजीयन, भोजन व्यवस्था, परिवहन आदि पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने जिला चिकित्सालय एवं मॉडल स्कूल में तैयार किए गये कोविड हेल्थ केयर सेंटरों का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने बताया की जिला चिकित्सालय में 35 मरीजों के लिए गहन चिकित्सा वार्ड एवं 55 मरीजों के लिए आक्सीजन लाइन वाले वार्ड तैयार किए गए हैं। वहीं मॉडल स्कूल एवं छात्रावास में मरीजों को उपचार के लिए रखने की व्यवस्था की गयी है। प्रत्येक कमरें को सीसीटीव्ही कैमरा स्थापित किये गये हैं। इन कैमरों को जिन कक्षों में चिकित्सा स्टाफ रहेगा उन कक्षों में कैमरें के डिस्प्ले सेंटर स्थापित किये गये हैं। प्रत्येक सेंटर में महिला एवं पुरूष के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा बच्चे एवं मॉ को पृथक से रखने की व्यवस्था की गयी है। जिला मुख्यालय के अलावा तहसील स्तर पर भी कोविड हेल्थ केयर सेंटर स्थापित किये गये हैं। सभी सेंटरों में महिला एवं पुरूष के लिए पृथक पृथक व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। इन केन्द्रों में महिला एवं पुरूष के लिए पृथक-पृथक शौचालय तथा चिकित्सा दल के लिए पृथक से कक्ष एवं व्यवस्थाएं की गयी हैं। इन केन्द्रों में रोगियों के लिए चाय, नाश्ता, भोजन आदि की व्यवस्था बाहर होटलों के माध्यम से की जाएगी। प्रत्येक केन्द्र के लिए सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए पुलिस बल की तैनाती की गयी है।
आयुक्त श्री गंगवार ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के साथ विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हुए प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि इन सब व्यवस्थाओं में यदि किसी भी सामग्री की व्यवस्था संभागीय मेडिकल कॉलेज से करनी हो तो बतायें। मैं तुरंत आपके जिले को आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराता हॅू। मौके पर उपस्थित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा बताया गया कि आवश्यक सामग्री एवं 25 वेड मेडिकल कॉलेज में जिले के लिए सुरक्षित रखने संबंधी पत्र कलेक्टर के माध्यम से मेडिकल कॉलेज को प्रेषित किया गया है। कमिश्नर श्री गंगवार ने कोविड-19 संक्रमण रोकने एवं उपचार के लिए की गयी तैयारियों पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए जिला प्रशासन की टीम को धन्यवाद ज्ञापित किया।

जिले में अब तक 54041 लोगों की हुई स्क्रीनिंग

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित नोबल कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में निरंतर कार्यवाही जारी है। इनमें विदेश से आए 08 लोगों को पूर्व से ही कम्युलेटिव किया गया था। इन सभी यात्रियों का होम कोरेन्टाईन पूर्ण हो चुका हैै। अन्य राज्यों एवं जिलों से 27 मई को आए 716 व्यक्ति का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस प्रकार बाहर से आए कुल 54041 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। जिले के 716 व्यक्तियों का स्क्रीनिंग की गयी। जिले में अब तक 54041 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें आज  716 लोगों को होम क्वारेन्टाईन किया गया है। अब तक जिले में कुल 28121 व्यक्तियों को होम क्वारेन्टाईन में रखा गया है। जिसमें 20109 व्यक्तियोें का होम कोरेन्टाईन पूर्ण किया गया। हॉस्पिटल आईसोलेशन में 03 मरीज भर्ती है। अब तक 373 नमूने लिए जा चुके हैं तथा 337 नमूने निगेटिव पाए गए हैं, 32 सैम्पल रिपोर्ट अप्राप्त है एवं पैथॉलोजी द्वारा 04 सेम्पल रिजेक्ट किये गये हैं। एक पॉजिटिव व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ होकर अपने घर चला गया है। तीन पॉजिटिव व्यक्तियों को जिला चिकित्सालय में स्थापित आइसोलेशन सेंटर में भर्ती किया गया है।
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तपै नवतपा नव दिन जोय,तौ पुन बरखा पूरन होय

  • नौतपा शुरू होते ही सूर्यदेव ने दिखाये उग्र तेवर
  • प्रचण्ड गर्मी से पशु, पक्षी व इंसान सभी बेहाल


नौतपा का यह प्रतीकात्मक चित्र इंटरनेट से लिया गया है। 

अरुण सिंह,पन्ना। नौतपा शुरू होने के साथ ही सूर्यदेव के  उग्र तेवर नजर आने लगे हैं। झुलसा देने वाली प्रचण्ड गर्मी ने पशु, पक्षी व इंसान सभी को बेहाल कर दिया है। सुबह से ही तापमान का पारा चढ़ने लगता है, जो दोपहर तक 45 - 46 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर जाता है। वैज्ञानिक मतानुसार नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर आती हैं, जिस कारण तापमान बढ़ता है। अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है, जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है। इस कारण ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती हैं। चूंकि समुद्र उच्च दबाव वाला क्षेत्र होता है, इसलिए हवाओं का यह रुख अच्छी बारिश का संकेत देता है।    
परम्परागत जैविक खेती को बढ़ावा देने के कार्य में पूरी तरह समर्पित पद्मश्री बाबूलाल जी दाहिया नौतपा का बखान अपने अंदाज में करते हैं। उनका कहना है कि  वैसे यह रोहणी नृक्षत्र है जिस के नव दिन  के समय को नव तपा कहा जाता है। इन नव दिनो में सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर होकर गुजरता है , इसलिए सब से तेज गर्मी पड़ती है। आज हमारे पास गर्मी मापक यंत्र है जिसके जरिये मालुम पड़ गया कि हमारे यहां 44 डिग्री सेल्सियस ताप क्रम है। किंतु हमारे पुरखे अपने अनुभव जनित ज्ञान से ही ज्ञात कर लिए थे कि यह 9 दिन सर्बाधिक तपने वाले दिन है। आज हम कूलर, पंखे के बीच रह कर भी उमस महसूस करते हैं। किन्तु हमारे पुरखे इस तपन को झेल सुख की अनुभूति करते थे।
पहले अगर नवतपा 9 दिन खूब तपता तो किसान खुश होते कि इस वर्ष अच्छी बारिश होगी। पर अगर किसी साल प्री मानसून के बादल आकर एकाध दिन बूंदाबादी कर इसका मौसम बिगाड़ देते तो किसान निराश हो जाते कि,, इस वर्ष अच्छी बारिश न होगी ? क्योकि उनकी पूरी खेती वर्षा आधारित ही होती थी। नवतपा के बाद में तो प्रायः यूं ही मृगसिरा नृक्षत्र में हर साल  प्री मानसून बारिस होती है । पर नवतपा नव दिन तपे तभी किसान खुश होते थे।हमारे यहां एक और कहावत कही जाती है कि श्आधा जेठ अषाढ़ कहावै श्  इसलिए यह नृक्षत्र यू ही किसानों के लिए खेती की तैयारी का होता था जिसमे घर के छान्ही छप्पर, खेतो में गोबर की खाद डालना , नये बैलों को हल में चलाने के लिए दमना, बंधी - बाधो के नाट मोघे बाधना आदि बहुत सारे काम होते थे। उधर कुम्हार समुदाय के लोग इसी पखबाड़े में घर के खपरे पाथ कर पकाते अस्तु प्रकृति से जुड़े तमाम लोगो को यह जान ही न पड़ता कि कब जेठ का यह महीना आया और बीत गया ? पर अब तो किसानों को न तो जेठ से मतलब न अषाढ़ और न ही मृगशिरा य नवतपा से। पानी नही गिरा तो ट्यूबबेल  से निकाल लेंगे और घूर कताहुर की भी फिक्र नही, लाकर रसायनिक खाद डाल देंगे । बैल की तो जैसे अब जरूरत ही नही रही ? क्योकि एक ट्रैक्टर आया तो यू ही 20 बैल बूचड़ खाने भेज देता है। उसी का परिणाम है घर - घर बीमारी , पानी का संकट कुंये, तालाब, बाबड़ी, नदी सब जल हींन। कुम्हारों का खपरा उद्दोग खत्म ,पर्यावरण का विनाश, पर आदमी जानते हुए यह विनाश  रूपी विकास अपनाये जा रहा है।
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Tuesday, May 26, 2020

गर्मी में वन्य प्राणियों के लिये जीवनदायी बने प्राकृतिक जलश्रोत

  •  पन्ना टाइगर रिज़र्व में वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने किये गये अभिनव प्रयास
  •   सूखे पुराने जलश्रोतों को किया गया पुनर्जीवित, नवनिर्मित तालाब भी बने सहारा


भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के बाद पानी की शीतलता का आनंद लेती बाघिन। 

। अरुण सिंह 

पन्ना। भीषण तपिश भरी गर्मी में जब तापमान का पारा 45 डिग्री सेल्सियस के पार जा रहा है, उस समय मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में वन्य प्राणियों को अपनी प्यास बुझाने के लिये ज्यादा भटकना नहीं पड़ रहा। पन्ना टाईगर रिजर्व के तकरीबन 576 वर्ग किमी. वाले कोर क्षेत्र में हर दो से चार वर्ग किमी. के दायरे में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पार्क प्रबन्धन द्वारा अभिनव प्रयास किये गये हैं। 

जल संकट वाले इलाकों में पुराने सूख चुके जल श्रोतों को चिह्नित कर वहां पर खुदाई करने से वे  पुनर्जीवित हो उठे हैं। इन जलश्रोतों में प्राकृतिक रूप से पानी आ जाने से अब हिनौता व पन्ना वन परिक्षेत्र के वन्य प्राणियों को पानी की तलाश में भटकना नहीं पड़ रहा है। जिन स्थानों में ऐसे श्रोत विकसित नहीं हुये वहां टैंकरों से गड्ढों को भरकर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि तापमान में हो रही  वृद्घि को देखते हुये पन्ना टाईगर रिजर्व क्षेत्र के वन्य प्राणियों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विशेष इंतजाम किये जा रहे हैं।  केन नदी के दोनों तरफ 576 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले पन्ना टाईगर रिजर्व में बीते 10 वर्षों के दौरान वन्य प्राणियों की संख्या में तेजी से वृद्घि हुई है। वर्ष 2009 में बाघों का यहाँ पर पूरी तरह से खात्मा होने के बाद बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत पन्ना में बाघों का संसार एक बार फिर आबाद हो  गया है। 

मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों का भरा पूरा कुनबा पूरे इलाके में स्वच्छन्द रूप से विचरण करता है। बाघों के अलावा पन्ना टाईगर रिजर्व में मांसाहारी वन्य प्राणियों में तेंदुआ, हाइना, सोनकुत्ता, सियार, भालू आदि के साथ शाकाहारी वन्य प्राणी सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा,चौसिंगा, जंगली सुअर आदि बहुतायत से पाये जाते हैं। 

पन्ना टाईगर रिजर्व में केन नदी उत्तर से दक्षिण की ओर लगभग 55 किमी. की लम्बाई में बहती है। किन्तु भौगोलिक क्षेत्र विशिष्ट प्रकार का होने  से वन्य प्राणियों को पेयजल की कमी अप्रैल व मई के महीने में होने लगती थी। इस समस्या को द्रष्टिगत रखते हुए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने  संकटग्रस्त इलाकों में सौसर का निर्माण कराया गया है, जिनमें टैंकरों से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है।  यह व्यवस्था बारिश शुरू होने तक जारी रहेगी।

बफरजोन में भी वन्य प्राणियों को मिल रहा पानी 


जंगल में बनवाये गये सौंसर में पानी पीने बैठा बाघ। 

पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में प्राकृतिक जल श्रोतों को विकसित कर व अन्य वैकल्पिक व्यवस्था करके पेयजल की उपलब्धत सुनिश्चित की गई है। लेकिन बफरजोन क्षेत्र का बहुत  बड़ा इलाका जल संकट की समस्या से जूझ रहा था। जल संकट से ग्रसित इन इलाकों में भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी पहल की गई है। 

क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने बताया कि एक हजार वर्ग किमी. से भी अधिक क्षेत्र में फैले बफर क्षेत्र के जंगल में मौजूदा समय डेढ़ दर्जन से भी अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं। इन बाघों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ बफर क्षेत्र में पर्याप्त जलश्रोत विकसित करना हमारी प्राथमिकता रही है, जिसमे काफी हद तक सफलता मिली है। 

हमने जंगल में उपयुक्त स्थलों का चयन कर छोटे तालाबों का निर्माण कराया है, जहाँ मई के महीने में भी पानी भरा है।नवनिर्मित ज्यादातर तालाबों में प्राकृतिक श्रोत हैं जिससे उनमें पर्याप्त पानी बना हुआ है। यही वजह है कि इस प्रचण्ड गर्मी में भी वन्य प्राणियों को पानी की तलाश में दूर-दूर तक भटकना नहीं पड़ रहा।

लबालब भरा है किशनगढ़ बफर का स्टापडैम 


किशनगढ़ बफर क्षेत्र के खजरा नाले में बने स्टापडैम का नजारा। 

पन्ना टाइगर रिज़र्व के किशनगढ़ बफर क्षेत्र का जंगल गर्मी के इस मौसम में वन्य प्राणियों को खूब रास आ रहा है। इसकी वजह इलाके के जंगल में पानी की प्रचुर उपलब्धता है। बफर क्षेत्र से होकर गुजरने वाले खजरा नाले में पार्क प्रबंधन द्वारा स्टापडैम का निर्माण कराया गया था जो मई के महीने में भी लबालब भरा हुआ है। यह स्टापडैम न सिर्फ वन्य प्राणियों अपितु मवेशियों के लिये भी गर्मी में सहारा बना हुआ है। 

वन परिक्षेत्राधिकारी किशनगढ़ राजेन्द्र सिंह नरगेश ने बताया कि स्टापडैम से तक़रीबन 3 किमी. दूर स्थित बिला गांव के लोग भी यहाँ नहाने धोने आते हैं। विशेष गौरतलब बात यह है कि इस इलाके का जंगल तेंदुओं का प्रिय रहवास स्थल है। आलम यह है कि यहाँ आये दिन ग्रामीणों को तेंदुआ दिखते हैं, लेकिन ग्रामीणों और वन्य प्राणियों के बीच किसी तरह का संघर्ष व तनाव नहीं है। यह इलाका सहअस्तित्व का शानदार उदाहरण है। 

ग्राम सलैया के चन्दू यादव ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व वह खेत में बनी झोपड़ी में रात को जब सोने के लिये गया तो देखकर हैरान रह गया, क्योकि उसके बिस्तर में नर व मादा तेंदुआ आराम फरमा रहे थे। चन्दू ने बताया कि यह नजारा देख वह चुपचाप लौट आया और दूसरे खेत में जाकर सोया।

जल श्रोतों की पूरे समय की जाती है निगरानी 


 वन्य प्राणी इस तपिश भरी गर्मी में अपनी प्यास बुझाने के लिये आसपास उपलब्ध जलश्रोतों में जरूर जाते हैं, ऐसी स्थिति में शिकार की संभावना भी बनी रहती है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुये नये जलश्रोतों का विकास करने के साथ-साथ शिकारियों पर चौकस नजर रखने व निगरानी की चुस्त व्यवस्था हेतु बफर के जंगलों में जगह-जगह अस्थाई कैम्प बनाये गये है जहाँ वनकर्मियों की तैनाती रहती है। 

ये वनकर्मी जंगल में गस्त करने के साथ शिकारियों की गतिविधि पर चौकस नजर रखते हैं। बफर क्षेत्र में अब तक 106 अस्थाई कैम्प बनवाये जा चुके हैं। अस्थाई कैम्प दर्रा के वन श्रमिक राजाराम ने बताया कि बीती रात्रि कैम्प के सामने से होकर बाघ निकला है। उसने बाघ के पगमार्क भी दिखाये और बताया की कई बाघ इलाके के जंगल में विचरण कर रहे हैं।

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हवा के साथ आंधी की तरह आगे बढ़ रहा टिड्डी दल

  •  पन्ना व सतना जिले को पारकर रीवा और सीधी की ओर 
  •  सतना में केमिकल अटैक कर किया गया टिड्डियों को ढेर 


सतना जिले में केमिकल अटैक करके इस तरह टिड्डी दल को किया गया ढेर। 

अरुण सिंह,पन्ना। प्रदेश के विभिन्न जिलों में आतंक मचाने के बाद टिड्डी दल हवा की दिशा में सावर होकर आंधी की तरह आगे बढ़ रहा है। पन्ना व सतना जिले को पारकर हरियाली का दुश्मन टिड्डियों का यह विशाल झुण्ड तेज गति से बढ़ते हुए  रीवा, सीधी व सिंगरौली की ओर अग्रसर हुआ है। पन्ना और सतना जिले में प्रशासनिक सजगता व किसानों की सक्रियता के चलते यह दल ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया। यहाँ के लोगों ने विविध उपायों के जरिये टिड्डियों को खदेड़ने में कामयाबी पाई है। सतना में तो केमिकल अटैक करके टिड्डियों के इस दल के बड़े हिस्से को ढेर कर दिया गया है। इसके बावजूद करोङों की संख्या में टिड्डियाँ हरियाली को सफाचट करते हुए आगे बढ़ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि आतंक का पर्याय बन चुके  इस तरह के टिड्डी दल का मुकाबला सबसे ज्यादा राजस्थान के लोग करते हैं।  डॉ. मनोज यादव बताते हैं कि इस टिड्डी दल की खास बात यह है कि ये दिन में केवल उड़ती है, इनको थाली, परात बजाकर भगाते रहो। लेकिन रात्रि 8 बजे के लगभग ये सभी अपना पड़ाव डालती हैं और सुबह 8 बजे तक पड़ी रहती  हैं। उस समय जो टिड्डिया जमीन पर रहती  हैं और जमीन में यदि नमी है तो अंडे भी दे सकती हैं। इनमे देखने वाली बात यह है कि जो टिड्डी भूरे या गुलाबी रंग की है वो अंडा नही देगी लेकिन जिसका रंग पीला है उसकी पूरी सम्भवना है कि या तो इसने पिछली रात अंडे दे दिए या इस रात देगी। इनको मारने के लिए सुबह 4 बजे का इंतजार न करें जैसा कि टिड्डी कंट्रोल बोर्ड वाले कहते  हैं बल्कि रात्रि 12 बजे से ही दवाई डालना शुरू कर दें । तो सुबह तक एक दल पर लगभग 50 प्रतिशत काबू पाया जा सकता है। अंडे देने पर जो बच्चे निकलते  हैं उनको फाका कहते हैं। ये फाका स्टेज ही सबसे ज्यादा खतरनाक होती है। इसपर नियंत्रण पा लिए तो समझो टिड्डिया कंट्रोल हो गई। कीटनाशक पर्याप्त मात्रा में व समय पर न  छिड़कने पर ये 2 प्रतिशत तक ही नियंत्रित होती हैं। जैसा कि बताया ही है दिन में भगाने के लिए धातु के बर्तन जैसे थाली, परात, प्लास्टिक के बड़े ड्रम व टिन के कंटेनर बजायें। मारने के लिए रात्रि में बैठने के बाद कीटनाशकों का छिड़काव करें।
सतना के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश दाहिया जो खेती किसानी पर केन्द्रित ख़बरें करते हैं उनका कहना है कि ये मध्यप्रदेश में अंडे नही दे पायेंगी। अपने यहाँ की मिट्टी काली व भारी है, इनको डेजर्ट लोकस्ट कहते हैं यानी ये रेतीली मिट्टी में ही अंडे दे पाती हैं। भारत मे इनका प्रजनन समय राजस्थान को छोड़कर जुलाई अगस्त होता है, लेकिन राजस्थान, गुजरात के कच्छ व पाकिस्तान से लेकर अफ्रीका तक जंहा से आती हैं इनका प्रजनन साल में तीन बार होता है। यानी फाका से अडल्ट होते ही देने लगती है। बारिश शुरू होने पर मानसूनी हवाओ के प्रेसर से या तो वापस पश्चिम को भाग जाती हैं या उड़ना बन्द कर देती हैं। राजस्थान के जैसलमेर व बाड़मेर जिले में अमूमन ये हर साल आती हैं लेकिन इस बार जो 21 मई 2019 को आई तो वापस जाने का नाम नही ले रहीं और लगातर आ रही हैं। इसका कारण ईरान, इराक, पाकिस्तान के द्वारा इनका  प्रभावी नियंत्रण न करना है।

 जीवन सामान्यतया 3 से 6 माह

कीट विशेषज्ञों के अनुसार, टिड्डियों का जीवन सामान्यतया 3 से 6 माह का होता है। अनुकूल परिस्थितियां और भोजन मिलने पर यह 6 माह तक जीवित रह सकती हैं। नमी वाले क्षेत्र में टिड्डियां अंडे देती हैं। टिड्डी एक बार में 20 से 200 तक अंडे देती हैं। मादा टिड्डी जमीन में छेदकर अपने अंडों को सहेजती हैं।     गर्मी में 10 से 20 दिन में अंडे फूट जाते हैं। वहीं सर्दियों में यह अंडे प्रशुप्त रहते हैं। शिशु टिड्डी के पंख नहीं होते और अन्य बातों में यह वयस्क टिड्डी के समान होती है।
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Monday, May 25, 2020

टिड्डी दल ने पन्ना शहर के रिहायसी इलाकों में मचाया आतंक

  •  हवा के रुख के साथ सुबह लगभग 9 बजे किया प्रवेश 
  •  पन्ना शहर में टिड्डियों के आते ही बजने लगा सायरन 


हरियाली व फसलों को चट कर देने वाली टिड्डी का जोड़ा। 

अरुण सिंह पन्ना। हवा के रुख पर सवार होकर टिड्डियों का दल आज सुबह लगभग 9 बजे मध्यप्रदेश के पन्ना शहर में प्रवेश करते हुये  रिहायसी इलाकों में जमकर उत्पात मचाया। टिड्डियों का यह विशालकाय दल पडोसी जिला छतरपुर में पेड़ पौधों को चट करते हुये रविवार की शाम पन्ना जिले के पर्यटन ग्राम मड़ला पहुंचा था। रात में यह दल मड़ला व बगौंहा के जंगल में डेरा डाले रहा और सुबह होते ही पन्ना शहर की तरफ कूच कर दिया। मिली जानकारी के मुताबिक टिड्डी दल ने छतरपुर जिले में भी कहर बरपाया है। जंगली पौधों को चट करने के बाद टिड्डी दल ने कई स्थानों पर फसलों को भी नुकसान पहुंचाया। इस टिड्डी दल ने टीकमगढ़ जिले से शनिवार देर रात छतरपुर जिले की सीमा में प्रवेश किया। सुबह नौगांव, छतरपुर और राजनगर ब्लॉक में फसलों व पेड़-पौधों को अपना निशाना बनाया। लगभग दो किमी एरिया में झुंड के रूप में फैलकर टिड्डियों के दल ने यहां से बमीठा, चंद्रनगर से पन्ना जिले की ओर कूच किया। प्रशासन द्वारा टिड्डियों के हमले से संभावित क्षति को देखते हुये किसानों को जहाँ सतर्क किया गया था, वहीँ बचाव के उपाय भी सुझाय गये थे। पन्ना टाइगर रिज़र्व द्वारा भी टिड्डी दल से पेड़ो को बचाने के लिये कीटनाशक घोल का छिड़काव टैंकर से किया गया। इसके बावजूद टिड्डी दल ने बनस्पतियों व पेड़ पौधों को व्यापक क्षति पहुंचाई है।


मंडला गांव के पास पेड़ों पर छिड़काव करते पन्ना टाइगर रिज़र्व के कर्मचारी। 

सोमवार की सुबह जैसे ही पन्ना शहर में टिड्डी दल का आगाज हुआ, सायरन की आवाजें गूंजने लगीं। पहले तो लोगों ने सोचा कहीं आग लग गई है जिसे बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियां जा रही हैं। लेकिन कुछ ही देर में जब करोड़ों की तादाद में टिड्डियाँ शहर के रिहायसी इलाकों में मडराने लगीं तब लोगों को पता चला कि टिड्डियों को भगाने के लिये शहर में जगह - जगह सायरन बजाया जा रहा है। प्रदेश के कई जिलों से जिस तरह की खबरें मिल रही हैं वे चिंताजनक हैं। कोरोना काल में बड़ी मुश्किलों से पाली गई किसानों की उम्मीदों को भी टिड्डी दल तहस-नहस करने लगे हैं। मूंग की फसल पर टिड्डी दलों का जोरदार हमला हुआ है, वे मूंग को चट करते जा रहे हैं। इसके अलावा, फलों और सब्जियों की नर्सरियों को भी वे साफ कर रहे हैं। मालुम हो कि टिड्डी दल अपने सामने आने वाली हर हरी चीज को खाने का दम रखते हैं। पेड़-पौधों की हरी पत्तियों, कोंपलों और नई डालों तक को वे खा डालती हैं। एक कीड़ा हर दिन अपने वजन के बराबर का भोजन करता है और उनके हमले में हरे-भरे पेड़ नंगे-बुच्चे हो जाते हैं। टिड्डियों के इस दल का पन्ना के बाद अगला हमला किस इलाके में होगा, इसकी जानकारी शाम तक हो पायेगी।
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टिड्डियों के पन्ना शहर में मडराने का वीडियो -  



Sunday, May 24, 2020

जिले में टिड्डी दल की हुई इन्ट्री, मड़ला से बढ़ रहा पन्ना की ओर


अरुण सिंह,पन्ना। जिले में टिड्डी दल की इन्ट्री हो चुकी है, इन टिड्डियों का विशाल दल पर्यटन ग्राम मड़ला से होते हुये केन नदी को पारकर पन्ना की ओर अग्रसर हुआ है। रविवार की शाम वन्य जीव विशेषज्ञ एवं साइंटिस्ट रघुनन्दन सिंह चुण्डावत ने केन नदी के किनारे स्थित अपने रिसॉर्ट से टिड्डियों के दल का वीडियो लिया है। आपने बताया कि यह दल काफी बड़ा है तथा पन्ना की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। जिले में टिड्डी दल के प्रकोप की संभावना को देखते हुए कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने सतत निगरानी हेतु जिला स्तरीय दल का गठन किया है। निगरानी दल में  ए.पी. सुमन उप संचालक कृषि को सम्पूर्ण जिला कार्यक्षेत्र के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।  जी.एल. अहिरवार सहा.संचा. कृषि पन्ना को सहायक,  एम.एम. भट्ट सहा.संचा. उद्यानिकी पन्ना,  शोभित ठावरे यांत्रिक सहायक कृषि अभियांत्रिकी पन्ना,  ए.के. त्रिपाठी वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड कार्यालय एवं ए.के. कुशवाहा कृषि वि. अधिकारी उप संचालक कृषि पन्ना को दल में सदस्य बनाया गया है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि जिला स्तरीय दल टिड्डी दल की सूचना प्राप्त होने पर सूचनाओं का आदान-प्रदान कर प्रभावित क्षेत्र में भ्रमण कर रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु आवश्यक कार्यवाही करेंगे तथा की गयी कार्यवाही का प्रतिवेदन तत्काल इस कार्यालय को प्रस्तुत करेंगे।

टिड्डी दल से बचाव हेतु कृषि विभाग की सलाह


उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास पन्ना ने बताया है कि प्रदेश के कई भागों में टिड्डी दल के प्रकोप की खबरें प्राप्त हो रही है जो पन्ना जिले में भी पहुंच सकती हैं। टिड्डी दल फसलों को नुकसान पहुंचाने वाला कीट है जो कि समूह में एक साथ चलता है और बहुत लम्बी-लम्बी दूरियों तक उडान भरता है। यह फसल को चबाकर, काटकर खाने से नुकसान पहुचाता है। यह उद्यानिकी फसलों, वृक्षों एवं कृषि की फसलों को बहुत बडे स्वरूप में एक साथ हानि पहुंचा सकता है।
उन्होंने बताया कि जिले में टिड्डी दल का प्रकोप होता है तो इसके नियंत्रण के लिए किसान भाई दो प्रकार के साधन अपना सकते हैं। जिसमें भौतिक साधन किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न प्रकार के परम्परागत उपाय जैसे शोर मचाकर, ध्वनिवाले यंत्रों को बजाकर, डराकर भगाया जा सकता है। इसके लिए ढोलक, ट्रैक्टर, मोटर साईकिल का साइलेंसर, खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि से भी सामूहिक प्रयास से ध्वनि की जा सकती है। ऐसा करने से टिड्डी दल नीचे नही आकर फसलों पर न बैठकर आगे प्रस्थान कर जाता है। इसी प्रकार रासायनिक नियंत्रण में सुबह से कीटनाशी दवा ट्रेक्टर चलित स्प्रे पम्प, पावर स्प्रेयर द्वारा जैसे क्लोरोपायरीफाॅस 20 ई.सी. 1200 मि.ली. या डेल्टामेथरिन 2.8 ई.सी. 600 मि.ली. अथवा लेम्डाईलोथिन 5 ई.सी. 400 मि.ली., डाईफ्ल्यूबिनज्यूराॅन 25 डब्ल्यू टी. 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें। टिड्डी दल वर्तमान में ग्वालियर संभाग तक पहुंच गया है जो कि हवा की गति अनुसार चल रहा है।
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Saturday, May 23, 2020

जरूरतमंदों को हर संभव सहायता प्रदान करने के होंगे प्रयास: विधायक पन्ना

  • पन्ना जिले के गरीब तबके को राहत देने एनएमडीसी लिमिटेड की पहल 
  • बस कर्मचारियों एवं नाई समाज के व्यक्तियों को दी गई खाद्यान्न सामग्री 


जरूरतमंदों को खाद्यान्न सामग्री के पैकेट प्रदान करते हुए पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह साथ में एनएमडीसी के अधिकारी। 

अरुण सिंह,पन्ना। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लॉकडाउन से प्रभावित पन्ना जिले के गरीबों व जरूरतमंदों की हरसंभव सहायता की जायेगी। यह बात पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने बस कर्मचारी परिवार एवं नाई समाज के व्यक्तियों को खाद्यान्न सामग्री के पैकेट प्रदान किये जाने के दौरान कही। मालूम हो कि कोरोना वायरस महामारी के चलते उत्पन्न संकट से निपटने के लिए शासन द्वारा लॉकडाउन किया गया है। जिसके चलते बसों का आवागमन एवं छोटे व्यवसायियों के लिए भरण-पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई है। इस समस्या के निदान के लिए इन लोगों के द्वारा जिला कलेक्टर एवं पन्ना विधायक  बृजेन्द्र प्रताप सिंह को अनुरोध पत्र दिया गया था। इनकी समस्या के निराकरण के लिए विधायक श्री सिंह द्वारा जिला प्रशासन से चर्चा की गयी। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने हीरा उत्खनन परियोजना मझगवां से सहयोग करने की अपेक्षा व्यक्त की गयी। हीरा उत्खनन परियोजना द्वारा सीएसआर मद से इन लोगों को खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराई गयी।
 उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन से प्रभावित चाय-पान की गुमटी व ठेला लगाकर जीवन-यापन करने वाले दुकानदार, बस ड्राईवर, कंडक्टर एवं अन्य सहयोगी, सेन समाज के लोग, जिनके कार्य बंद हो जाने से वे आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं, उनको राहत प्रदान करने के लिए एनएमडीसी लिमिटेड, हीरा खनन परियोजना ने नैगम सामाजिक दायित्व (सी.एस.आर.) के तहत जिला प्रशासन को एक हज़ार  पैकेट खाद्य-सामग्री उपलब्ध कराया गया है ।  इस पैकेट में आटा, चावल, दाल, शक्कर, तेल, मसाला, नमक और साबुन शामिल हैं ।  प्रभावित व्यक्तियों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराए जाने के लिए पन्ना विधायक  बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने पहल करते हुए जिला प्रशासन से चर्चा की थी, जिसके पश्चात स्थानीय प्रशासन ने एनएमडीसी से सहयोग की अपेक्षा की थी । गत शुक्रवार को पन्ना के नज़रबाग खेल मैदान में विधायक  बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने हीरा खनन परियोजना के परियोजना प्रबंधक एस.के. जैन की उपस्थिती में बस परिवहन और सेन समाज के चार सौ दस  व्यक्तियों को खाद्य-सामग्री का वितरण किया ।  इस अवसर पर परियोजना से वरिष्ठ प्रबंधक (कार्मिक)  भूपेश कुमार, उप प्रबंधक (पर्यावरण) श्री विशाल सिंह, श्रमिक संघ एम.पी.आर.एच.के.एम.एस. के महामंत्री समर बहादुर सिंह, पी.एच.के.एम.एस. के महामंत्री  भोला प्रसाद सोनी व उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह और कार्मिक विभाग के अजय सिंह पूनिया उपस्थित थे ।  इस कार्यक्रम का आयोजन जिला नोडल अधिकारी व परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत  संजय सिंह परिहार द्वारा की गई ।
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Wednesday, May 20, 2020

यहाँ न लॉकडाउन का असर न कोरोना का भय

  •  किशनगढ़ रेंज अंतर्गत वन क्षेत्र के ग्रामों में नहीं थमी जिंदगी 
  •  अभूतपूर्व संकट के इस दौर में वनोपज व जंगल बन रहा सहारा


पन्ना टाइगर रिज़र्व के किशनगढ़ रेन्ज अंतर्गत बफर क्षेत्र के गांव कदवारा का द्रश्य। 

अरुण सिंह,पन्ना। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से आम जन - जीवन थम सा गया है। घरों में रहकर भी लोग अनजाने भय से ग्रसित हैं। इस महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण सरकारी कामकाज भी प्रभावित हुआ है, प्रशासनिक अधिकारी कोरोना संक्रमण को रोकने के प्रयासों तथा संक्रमित पाये जाने वाले व्यक्तियों के इलाज की समुचित व्यवस्था करने तथा गरीबों को जीवनोपयोगी सामग्री व खाद्यान्न उपलब्ध कराने में जुटे हैं। लेकिन इस संकट काल में भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां न तो लॉकडाउन का असर है और न ही कोरोना संक्रमण के भय से उनकी जिंदगी में कोई रुकावट आई है। यहां के लोग बिना किसी डर और भय के सहज और स्वाभाविक जिंदगी जी रहे हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत किशनगढ़ क्षेत्र के ग्रामों का भ्रमण करने पर यह हकीकत सामने आई है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व का बफर क्षेत्र पन्ना, छतरपुर व दमोह जिले तक फैला हुआ है। इस 1021.79 वर्ग किलोमीटर वाले विस्तृत क्षेत्र में सैंकड़ों ग्राम हैं। किशनगढ़ रेंज के बफर क्षेत्र की स्थिति का जायजा लिए जाने पर जो हालात देखने को मिले वह मौजूदा संकट के परिप्रेक्ष्य में बेहद चौकाने वाले हैं। इस क्षेत्र में स्थित ज्यादातर ग्रामों के लोगों की जिंदगी खेती किसानी व जंगल तक ही सीमित है। रबी सीजन की फसल लेने के बाद गांव के लोग वनोपज (महुआ, अचार व तेंदूपत्ता) के संग्रहण में जुटे हुए हैं। किशनगढ़ बफर के ग्राम सैपुरा के लोगों ने चर्चा के दौरान कोरोना संकट के सवाल पर बताया कि अभी यहां इस तरह की कोई समस्या नहीं है। शहरों की तरह कोरोना का डर अभी वन क्षेत्र के ग्रामों में नहीं है। लोग पूर्व की तरह ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं। लगभग पौने दो सौ की आबादी वाले इस ग्राम में सामान्य, पिछड़ा वर्ग व आदिवासी समाज के लोग रहते हैं। जबकि इलाके के अन्य ज्यादातर गांव आदिवासी बहुल हैं। इन ग्रामों में बसुधा, भौरकुआं, सुकवाहा, कदवारा, पटोरी, मैनारी, खरियानी व पाठापुर आदि हैं, जहां आदिवासी समाज की बहुलता है। इन ग्रामों के लोगों का जीवन यापन पूरी तरह से खेत व जंगल पर ही निर्भर है। आमतौर पर बाहरी लोगों से इन ग्रामों के लोगों का सीधा संपर्क तक नहीं होता, इस लिहाज से कोरोना संकट के समय भी वन क्षेत्र के गांव भय और तनाव से मुक्त हैं।

किशनगढ़ रेंज के बफर क्षेत्र में है घना जंगल


बफर क्षेत्र में जंगल व वन्य प्राणियों के सुरक्षा की सपथ लेते हुये ग्रामवासी। 

पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में ज्यादातर जंगल पूर्व से ही उजड़ा हुआ है, लेकिन कुछ इलाके आज भी वनों की सघनता और जैव विविधता के मामले में समृद्ध हैं। किशनगढ़ वन परिक्षेत्र का बफर ऐसे ही समृद्ध वन क्षेत्रों में से एक है, जहां का जंगल देखते ही बनता है। पन्ना जिले के अमानगंज वन परिक्षेत्र की सीमा खत्म होते ही किशनगढ़ का जंगल शुरू हो जाता है। किशनगढ़ से पहले जो घाटी पड़ती है वहां से गुजरने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से निकली मंडला घाटी से जा रहे हों। घाटी के दोनों तरफ घना मिश्रित वन है जिसे देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। विशेष गौरतलब बात यह है कि इस वन क्षेत्र में प्राकृतिक जल संरचनाओं का जाल बिछा हुआ है, जिससे यहां पानी का भी संकट नहीं है। इस इलाके के प्रतिष्ठित व्यक्ति करण सिंह परमार निवासी संत सलैया ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व का बफर क्षेत्र घोषित होने से पूर्व बिजावर क्षेत्र का यह जंगल शिकार के लिए प्रसिद्ध रहा है। लेकिन बफर क्षेत्र घोषित होने के बाद पिछले 5 सालों में शिकार का एक भी मामला सामने नहीं आया। ग्रामीण इसका श्रेय वन परिक्षेत्र अधिकारी किशनगढ़ राजेंद्र सिंह नरगेश को देते हुए बताते हैं कि रेंजर साहब के प्रयासों से ग्रामीण अब खुद जंगल की रखवाली करने लगे हैं।

जहाँ जंगल नहीं, वहाँ ज्यादा फैल रहा संक्रमण

जंगल व प्रदूषण मुक्त आबोहवा के बीच रहने वालों में इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) अधिक होती है। इस बात का खुलासा वन विभाग के एक अध्ययन से हुआ है। इस अध्ययन में पता चला है कि जिन जिलों में घने जंगल हैं वहां बाहर के लोगों के लगातार आने के बावजूद भी संक्रमण ज्यादा नहीं फैला। जबकि जहां जंगल कम है वहां न सिर्फ तेजी से संक्रमण फैला है बल्कि अपेक्षाकृत वहां मौतें भी अधिक हुई हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो पन्ना जिले के लोग किस्मत वाले हैं, क्योंकि यह जिला न सिर्फ औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त है अपितु एक बड़ा क्षेत्र वनों से आच्छादित भी है। वैज्ञानिकों का भी यह कहना है कि जिन क्षेत्रों में हवा ज्यादा जहरीली है वहां रहने वालों के साफ हवा के क्षेत्रों की तुलना में कोरोना वायरस से संक्रमित होने की ज्यादा संभावना है। वैज्ञानिकों के मुताबिक वायु प्रदूषकों के महीन कण शरीर के अंदर तक प्रवेश कर जाते हैं। जिनके कारण ब्लडप्रेशर, सांस लेने की तकलीफ, हृदय रोग और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। कोविड-19 से संबंधित ज्यादातर मौतों के लिए एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम मुख्य रूप से जिम्मेदार है। जिसके कारण पहले से ही वायु प्रदूषण का कहर झेल रहे लोगों के लिए यह संक्रमण खतरनाक हो सकता है। अब हमें यह तय करना होगा कि इस महामारी के बाद हमें कैसी दुनिया चाहिये ? जिस पर लगातार इस तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता हो या फिर ऐसी जहां आने वाली पीढ़ियां साफ हवा में चैन भरी जिंदगी बसर कर सकें।
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Tuesday, May 19, 2020

पन्ना जिले के ग्राम बिलघाडी में मिला एक कोरोना पॉजिटिव

  •  ग्राम बिलघाडी को कान्टेंमेंट जोन घोषित कर किया गया सील 
  •  जिले में कोरोना पॉजिटिव पाये गये मरीजों की संख्या हुई तीन
  • पॉजिटिव मरीज जिला चिकित्सालय के कोविड वार्ड में शिफ्ट 


कोरोना पॉजिटिव मरीज के मिलने पर मौके में अधिकारियों को दिशा निर्देश देते कलेक्टर। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में आज फिर एक कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला है। इस तरह से जिले में कोरोना पॉजिटिव पाये गये मरीजों की संख्या तीन हो गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार गुनौर तहसील के ग्राम घाट सिमरिया में पूर्व में एक पॉजिटिव व्यक्ति पाया गया था। उसके प्रथम सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों के सेम्पल परीक्षण के लिए प्रयोगशाला सागर भेजे गये थे। उनमें ग्राम बिलघाड़ी निवासी युवक की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव पायी गयी है। यह व्यक्ति सिविल लाईन दिल्ली से पूर्व पॉजिटिव
युवक के साथ यात्रा करके अपने ग्राम 11 मई को पहुंचा था। संतोषजनक बात यह है कि जिले में मिले तीनों कोरोना पॉजिटिव मरीज प्रवासी हैं, वे मुंबई व दिल्ली से विभिन्न साधनों का उपयोग करते हुये पन्ना पहुंचे हैं।  जिले में ही निवास करने वाला कोई भी व्यक्ति अभी तक पॉजिटिव नहीं पाया गया, जो जिलावासियों के लिये राहत भरी खबर है।
तीसरे पॉजिटिव मरीज की रिपोर्ट आते ही आज पूरा प्रशासन सक्रिय हो गया। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के मार्गदर्शन में राजस्व एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा तत्परता से कार्यवाही करते हुए मौके पर पहुंचकर ग्राम को कान्टेंमेंट जोन घोषित किया गया। जिससे संक्रमण के फैलाव को पूरी तरह रोका जा सके। यहां पर अमानगंज एवं गुनौर की स्वास्थ्य टीमें भी मौके पर पहुंची। पॉजिटिव व्यक्ति की स्क्रीनिंग, कांटेक्ट हिस्ट्री, ट्रबल हिस्ट्री एवं सेम्पलिंग की कार्यवाही की गयी। जिला आरआरटी टीम द्वारा पॉजिटिव व्यक्ति से ट्रबल हिस्ट्री एवं कांटेक्ट हिस्ट्री लिए जाने के उपरांत कांटेक्ट में आये व्यक्तियों की पहचान कर सेम्पल लेकर जांच हेतु प्रयोगशाला भेजे जा रहे हैं। जिला स्तर से पहुंची आरआरटी टीम द्वारा कोरोना पॉजिटिव युवक को
 निर्धारित एम्बुलेन्स के माध्यम से जिला चिकित्सालय में स्थापित कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती कराया गया है। सेंटर में उसका उपचार प्रारंभ कर दिया गया है। पूर्व से भर्ती कोरोना पॉजिटिव युवक वर्तमान में स्वस्थ है।  कोविड हेल्थ केयर सेंटर में उपचार के साथ - साथ पौष्टिक आहार एवं स्वस्थ मनोरंजन उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे पॉजिटिव व्यक्ति के स्वास्थ्य में अच्छा सुधार देखा गया है। आज कोरोना पॉजिटिव पाये गये 44 वर्षीय मरीज निवासी ग्राम बिलघाड़ी के सम्बंध में जानकारी मिली है कि वह अपने परिवार के साथ कुछ दिन पूर्व दिल्ली से मिनी बस में सवार होकर जिले के दूसरे कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ वापस अपने गाँव लौटा था। विदित हो कि हॉट स्पॉट इलाके राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से वापस लौटने की जानकारी कथित तौर पर उनके मोबाइल फोन में इंस्टॉल आरोग्य सेतु एप्प के माध्यम से मिली थी। इसे गंभीरता से लेते हुये संदेह के आधार पर 15 मई को कुल 6 लोगों के सैम्पल कोरोना जाँच हेतु लिये गये थे। शनिवार 16 मई को
बिलघाड़ी के युवक का सैम्पल पॉजिटिव पाये जाने पर उसे संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर शासकीय आदिवासी छात्रावास गुनौर में रखा गया और फिर इसी दिन रात्रि में उसे बेहतर उपचार हेतु पन्ना जिला चिकित्सालय के कोविड वार्ड में शिफ्ट किया गया था। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के दूसरे कोरोना संक्रमित मरीज की ट्रेवल हिस्ट्री पता करने एवं प्राइमरी कान्टेक्ट (प्रथम सम्पर्क) के रूप में 15 व्यक्तियों को चिन्हांकन किया गया। सेकेण्डरी कान्टेक्ट के रूप में 5 व्यक्तियों की पहचान की गयी। इनमें 12 लोगों के सेम्पल लेकर जांच हेतु प्रयोगशाला भेजे गए थे। इसमें पूर्व में पॉजिटिव पाये गये मरीज के साथ दिल्ली से लौटेने वाले युवक 44 वर्ष निवासी ग्राम बिलघाड़ी का सैम्पल भी शामिल था जो जांच में पॉजिटिव निकला है। गौरतलब है कि पन्ना जिले में कोरोना के अब तक सामने आये तीनों मामलों में संक्रमित व्यक्ति प्रवासी हैं। पहला मरीज मुम्बई से
 लौटा था जबकि दूसरा व तीसरा मरीज दिल्ली से वापस आये हैं। सरकारी रिकार्ड के अनुसार पिछले एक माह में देश के विभिन्न हिस्सों से जिले में  41998 प्रवासी श्रमिक एवं प्रवासी व्यक्ति पन्ना जिले में आये हैं और अभी भी प्रवासियों के आने का  सिलसिला जारी है।
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Monday, May 18, 2020

कोविड केयर सेंटरों में लगेंगे सीसीटीव्ही कैमरा

  • पन्ना के कोविड केयर सेंटरों का कलेक्टर ने किया निरीक्षण
  • व्यवस्थाओं का अवलोकन कर अधिकारियों को दिये दिशा निर्देश


कोविड हेल्थ केयर सेंटरों का निरीक्षण करते कलेक्टर कर्मवीर शर्मा साथ में अधिकारीगण। 

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय में स्थापित किये गये कोविड हेल्थ केयर सेंटरों का कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा निरीक्षण किया गया। उन्होंने निरीक्षण के प्रथम चरण में जिला चिकित्सालय में कोविड केयर के लिये स्थापित वार्डो का निरीक्षण किया। इन वार्डो में 45 बेड रेगुलर ऑक्सीजन सुविधा से लेस तथा 25 आईसीयू बेडों की स्थापना का निरीक्षण किया गया। उन्होंने इन वार्डो में सभी तरह की चिकित्सा सुविधा, मनोरंजन सुविधा के साथ मरीजों के लिये अन्य सुविधाओं की व्यवस्था का अवलोकन कर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि वार्डो की निगरानी रखने के लिये सीसीटीव्ही कैमरा स्थापित किये जायें। इन वार्डो में आने जाने के लिए पृथक से सर्वसुविधायुक्त प्रवेश मार्ग बनाया जाये। इन वार्डो में भर्ती मरीजों के उपचार के लिए डॉक्टर एवं मेडिकल स्टाफ के लिए सर्वसुविधायुक्त कमरा तैयार रखा जाये। उसी कक्ष में सीसीटीव्ही कैमरे की मॉनीटरिंग व्यवस्था सुनिश्चित करें। प्रत्येक वार्ड में पेयजल की व्यवस्था महिला एवं पुरूषों के लिए पृथक-पृथक शौचालय की व्यवस्था की जाये।
इसके उपरांत उन्होंने पुराने पन्ना में स्थापित कोविड हेल्थ केयर सेंटर, मॉडल स्कूल, सीडब्ल्यूएसएन छात्रावास तथा पिछडा वर्ग छात्रावास का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अब तक की गयी तैयारी की समीक्षा करने के उपरांत तीन दिवस के अन्दर सम्पूर्ण व्यवस्थायें करने के निर्देश संबंधितों को दिये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सेंटर में सीसीटीव्ही कैमरे, मॉनीटरिंग कक्ष, मरीजों के लिए आरामदेह बिस्तर, महिला एवं पुरूषों के लिए पृथक - पृथक शौचालय, प्रत्येक कक्ष में पेयजल के लिये मटके, महिला एवं पुरूषों के लिए अलग - अलग वार्ड की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। मरीजों एवं चिकित्सा दल के आने जाने के लिए पृथक पृथक प्रवेश द्वार बनाये जायें। प्रत्येक सेंटर में चिकित्सक दल के लिए पृथक से सर्वसुविधायुक्त कक्ष स्थापित किया जाये। प्रत्येक केन्द्र में साफ सफाई, पेयजल, प्रकाश व्यवस्था, मनोरंजन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। निरीक्षण के दौरान मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के, एसडीएम शेर सिंह मीना, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी के साथ संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

हैण्डपम्प से पानी भरते समय बरतें सावधानी

कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड पन्ना ने समस्त लोगों से कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु हैण्डपम्पों से पानी भरने के पूर्व एवं पानी भरने के बाद सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि हैण्डपम्पों से पेयजल प्राप्त करने के पूर्व सर्वप्रथम हैण्डपम्प के हेण्डल एवं टोंटी (वॉटर चेम्बर) को अच्छी तरह से साबुन लगाकर साफ कर लेवें, उसके बाद ही हैण्डपम्प से पानी लेवें। पानी भरने के पश्चात् पुनः उसे साफ करें और घर पहुंच कर पुनः अपने हाथ, पैर साबुन लगाकर 20 सेकेण्ड तक साफ करें। इस प्रकार की प्रक्रिया प्रत्येक ग्रामीण द्वारा हैण्डपंप से पानी भरने के दौरान अपनाया जाये। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हम सभी को स्वयं की सुरक्षा करना है। इस समय स्वयं की सुरक्षा ही कोरोना से बचाव हेतु एकमात्र उपाय है।
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बफर क्षेत्र के जंगल को बाघ बना रहे अपना आशियाना

  •  पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में क्षमता से अधिक बाघ 
  •  अब बफर में कोर जैसी सुरक्षा व्यवस्था प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती
  •  जंगल में जगह-जगह अस्थाई कैंप बनाने की हो रही अभिनव पहल 
  •  कैम्पों में तैनात वन श्रमिक जंगल व बाघों की कर रहे निगरानी


पन्ना टाइगर रिज़र्व के अकोला बफर टूरिस्ट ज़ोन में अपने शावक के साथ बाघिन पी-234

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके चलते टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र यहां जन्मे सभी बाघों को उनके लिए अनुकूल रहवास दे पाने में नाकाम साबित हो रहा है।। बाघों की बढ़ती तादाद के लिहाज से 576 वर्ग किलोमीटर का कोर क्षेत्र काफी छोटा पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में यहां के युवा व बुजुर्ग बाघ अपने लिए नये आशियाना की तलाश में कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर के जंगल में पहुंच रहे हैं। कोर क्षेत्र के चारों तरफ 1021.97 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले बफर के जंगल में मौजूदा समय दो दर्जन से भी अधिक बाघ स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं। बफर क्षेत्र में अपने लिए ठिकाना तलाश रहे इन बाघों की निगरानी व उनकी सुरक्षा इस समय पर प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
 उल्लेखनीय है कि बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों की नई पीढ़ी को बफर क्षेत्र में अनुकूल माहौल व रहवास उपलब्ध कराना पार्क प्रबंधन की पहली प्राथमिकता बन चुकी है। इसके लिए जरूरी है कि बफर क्षेत्र के बिगड़े हुए वन को सुरक्षित कर उसे सुधारा और संवारा जाये। इस दिशा में टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के एस भदौरिया ने 2 वर्ष पूर्व ही पहल शुरू कर दी थी। उन्होंने भविष्य की जरूरतों व बाघों के रहवास को लेकर आने वाली समस्याओं का पूर्वानुमान लगाते हुए अकोला बफर क्षेत्र से अभिनव प्रयोग की शुरुआत की। बीते 2 सालों में ही यह बिगड़ा और उजड़ा हुआ वन क्षेत्र हरियाली से न सिर्फ आच्छादित हो गया अपितु यहां जल संरचनाओं का भी विकास और संरक्षण हुआ। इसका परिणाम यह हुआ कि इस उजड़े वन क्षेत्र में बड़ी संख्या में चीतल, सांभर, नीलगाय जैसे वन्य प्राणी पहुंच गये और इनके साथ बाघ परिवार का भी आगमन हो गया। मौजूदा समय कई बाघ अकोला बफर क्षेत्र को न केवल अपना ठिकाना बनाये हुये हैं बल्कि बाघिन भी नन्हे शावकों के साथ यहां देखी गई है।

पन्ना बफर क्षेत्र के जंगल में स्थित अस्थाई निगरानी कैम्प में सुरक्षा श्रमिकों को खाद्यान प्रदान करते क्षेत्र संचालक। 

 अकोला बफर की कामयाबी से प्रेरित होकर पार्क प्रबंधन द्वारा बफर क्षेत्र के दूसरे इलाकों पर भी ध्यान देना शुरू किया है। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने बताया कि बफर क्षेत्र के बिगड़े हुए वन को सुधारने तथा संरक्षित करने के लिए हमने शिकार व अवैध कटाई के लिहाज से संवेदनशील स्थानों पर अस्थाई कैंप बनाकर वहां सुरक्षा श्रमिकों की तैनाती का कार्य नवंबर 18 से शुरू किया था, यह सिलसिला निरंतर जारी है। अब तक बफर क्षेत्र के जंगल में 106 अस्थाई कैंप बन चुके हैं तथा 12 अस्थाई कैंपों को स्थाई कैम्पों  में तब्दील किया गया है। इन कैम्पों के बनने तथा वहां पर हर समय सुरक्षा श्रमिकों व वनकर्मियों की तैनाती तथा सतत निगरानी से जहां अवैध कटाई पर अंकुश लगा है वहीं शिकार की घटनायें भी कम हुई हैं। सुरक्षा बढ़ने से जंगल की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है। यह जंगल आने वाले समय में बाघों के लिए अनुकूल माहौल व परिस्थितियां प्रदान करेगा। इससे कोर क्षेत्र में बाघों की अधिक संख्या के चलते उनके  बीच जो आपसी संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है, वह भी कम हो जायेगी।

वन क्षेत्र के ग्रामीणों को किया जा रहा जागरूक


वनकर्मियों के साथ किशनगढ़ बफर के जंगल में गस्त करते हुये ग्रामवासी। 

जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन क्षेत्रों के ग्रामों में जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण की महत्ता और उसके लाभों को बताकर उन्हें जंगल की सुरक्षा के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिसके बहुत ही सकारात्मक और उत्साहजनक परिणाम आने शुरू हुए हैं। क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के एस भदौरिया बताते हैं कि बफर क्षेत्र के जंगल को सुधार कर उसे बाघों के रहवास लायक बनाना आज की जरूरत है। पन्ना के बाघों को बचाने तथा उन्हें सुरक्षित रखने का यही एकमात्र विकल्प है, क्योंकि बाघों को रहने के लिए सुरक्षित वन क्षेत्र चाहिए। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए हमने सोशल फेंसिंग के कॉन्सेप्ट पर कार्य करना शुरू किया है ताकि ग्रामीणों की संरक्षण के कार्य में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने बताया कि बफर क्षेत्र के कई इलाकों में यह अनूठा कॉन्सेप्ट कारगर साबित हो रहा है। ग्रामवासी वन कर्मियों के साथ मिलकर जंगल में गस्ती कर रहे हैं।
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Sunday, May 17, 2020

घबरायें नहीं, साहस के साथ कोरोना वायरस की जंग जीतें-कलेक्टर

  • महामारी से निपटने समझदारी व नियमों का पालन जरुरी 
  • जिले के बाहर से आने वाले लोगों की निरंतर हो रही स्क्रीनिंग


पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा। 

अरुण सिंह,पन्ना। कोरोना वायरस की यह जंग हम सब मिलकर साहस और समझदारी के साथ जीतेंगे। इसको लेकर घबराने की जरुरत नहीं है, सिर्फ समझदारी का परिचय देते हुये नियमों का पालन करना है। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने बताया कि कोविड-19 के विश्व महामारी घोषित होने के बाद प्रदेश को कोरोना वायरस संक्रमित सूची में शामिल होने के साथ ही जिला प्रशासन द्वारा मुस्तैदी से कार्यवाही शुरू कर दी गयी थी। जिले की प्रत्येक सीमा पर चौकपोस्ट स्थापित करने के साथ जिले के बाहर से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग करने के साथ उन्हें जिले में प्रत्येक तहसील क्षेत्र में स्थापित किए गए क्वारेंटाइन सेंटरों में रखने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी थी। निरंतर समीक्षा एवं निर्देशों के चलते जिले में जैसे ही कोरोना का संदिग्ध मरीज का प्रवेश हुआ उसकी तुरंत सेम्पलिंग कराकर प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा गया। जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव पाए गए मरीज को तुरंत जिला चिकित्सालय में स्थापित कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती कर उसे आवश्यक उपचार, पौष्टिक आहार, मनोरंजन उपलब्ध कराया गया। जिसके चलते एक मरीज पूर्णतः स्वस्थ होकर अपने घर चला गया है। वहीं दूसरे कोरोना के संदिग्ध मरीज की जांच पॉजिटिव मिलते ही उसे जिला चिकित्सालय के कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती कराकर उपचार प्रारंभ कर दिया गया है।
कलेक्टर श्री शर्मा ने बताया कि शाम 6 बजे कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद कोविड केयर सेंटर गुनौर पहुंचकर मरीज के प्रथम सम्पर्क एवं द्वितीय सम्पर्क वाले लोगों की सूची रात में ही तैयार कराकर प्रथम सम्पर्क वाले लोगों को कोविड केयर सेंटर लाकर आइसोलेट कराया गया। प्रथम सम्पर्क वाले सभी व्यक्तियों का सेम्पल रात में ही लेने के साथ मरीज के गांव घाट सिमरिया को रात में ही क्वारेंटाइन क्षेत्र घोषित कर पूरे गांव को सेनेटाइज करने के साथ सील कर दिया गया है। उस गांव के शत प्रतिशत लोगों की स्क्रीनिंग कराई गयी है। इसके साथ ही द्वितीय सम्पर्क वाले लोगों की रात में ही पहचान प्रारंभ कराई गयी। इन सभी व्यक्तियों की भी स्क्रीनिंग कराकर उन्हें होम आइसोलेट कराया गया।

पॉजिटिव मरीज स्वस्थ होकर पहुंचा अपने घर पहुंचा

जैसा कि आप सभी को विदित है कि बीते दिनों एक प्रवासी श्रमिक बम्बई से सिमरिया चौकपोस्ट पर आया था। उसे बनौली में स्थापित क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया था। वहीं उसकी एवं उसके साथियों के सेम्पल लेकर परीक्षण के लिए लैब भेजे गए थे। उनमें एक व्यक्ति मोहम्मद इस्माइल का सेम्पल कोरोना पॉजिटिव आने के कारण उसे जिला चिकित्सालय के कोविड हेल्थ केयर सेंटर भर्ती किया गया था। पॉजिटिव मरीज के स्वास्थ्य पर 15 दिवस तक सतत निगरानी की गयी। उसे भर्ती के दौरान पौष्टिक आहार के साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए टी.व्ही. उपलब्ध कराई गयी। उसे निरंतर उपचार भी आवश्यकतानुसार दिया गया। जिसका कोविड हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती रहने के उपरांत 12वें दिन पुनः सेम्पल परीक्षण कराया गया। मरीज कोरोना निगेटिव प्राप्त होने पर एवं पूर्णतः स्वस्थ होने की स्थिति में घर जाने के लिए एम्बुलेंस से भेजा गया। जब उसे कोविड हेल्थ केयर सेंटर से घर के लिए रवाना किया गया उस समय कलेक्टर, जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों एवं मेडिकल स्टाफ द्वारा ताली बजाकर स्वागत किया गया। सम्मान स्वरूप कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा मोहम्मद इस्माइल को पुष्पगुच्छ भेट किया गया। मरीज को उसके घर अजयगढ तहसील के ग्राम हरदी भेजा गया। उसे समझाइश दी गयी कि वह अपने घर पर ही रहे।

बाहर से आने वाले प्रवासियो की हो रही स्क्रीनिंग

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के निर्देशानुसार जिले में आने वाले प्रवासी व्यक्तियों की स्क्रीनिंग एवं परीक्षण का कार्य निरंतर जारी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा बताया गया कि शत प्रतिशत प्रवासियो की स्क्रीनिंग की जा रही है। कोरोना पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति के साथ 6 लोगों के सेम्पल लिए गए थे। इनमें से एक व्यक्ति साकेत शर्मा उम्र 22 वर्ष निवासी घाट सिमरिया का सेम्पल कोरोना पॉजिटिव पाया गया। यह सभी लोग सिविल लाइन दिल्ली से मिनी बस से प्रस्थान कर गुनौर जनपद के ग्राम घाट सिमरिया पहुंचे थे। इन सभी का 15 मई को सेम्पल लिया गया। 16 मई को सेम्पल पॉजिटिव पाए जाने पर मरीज को संस्थागत क्वारेंटाइन सेंटर शासकीय आदिवासी छात्रावास गुनौर में रखा गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना वायरस पुष्टि संबंधी मरीज की जानकारी जिला प्रशासन एवं अमानगंजध्गुनौर की स्वास्थ्य टीमों को दी गयी। मौके पर जिला प्रशासन के साथ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अनुभाग स्तरीय अनुविभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों के दल ने पहुंचकर आगामी कार्यवाही करते हुए मरीज के प्रथम एवं द्वितीय सम्पर्क तथा ट्रेवल हिस्ट्री प्राप्त कर सेम्पलिंग की गयी। प्राइमरी कान्टेक्ट के रूप में 15 व्यक्तियों का चिन्हांकन किया गया। सेकेण्डरी कान्टेक्ट के रूप में 5 व्यक्तियों की पहचान की गयी। इनमें 12 लोगों के सेम्पल प्राप्त कर प्रयोगशाला भेजे गए। रोगी के ग्राम को क्वारेंटाइन क्षेत्र घोषित कर सभी को घरों में रहने की हिदायत दी गयी। गांव के शत प्रतिशत लोगों की आरआरटी टीम द्वारा स्क्रीनिंग की गयी है।

जिले में अब तक पहुँचे 32 हजार से अधिक प्रवासी 

जिला प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में लगातार प्रवासी श्रमिकों एवं अन्य प्रवासी व्यक्तियों का निरंतर आगमन हो रहा है। इनमें कुछ लोगों को छोडकर सभी लोग जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे यातायात साधनों से जिले में आ रहे हैं। जिला मुख्यालय पर आने के बाद इन सभी लोगों का आवश्यक सहयोग करने के साथ भोजन, पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यालय पर प्रत्येक व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी पंजीबद्ध करने के साथ उनकी स्क्रीनिंग कराई जा रही है। इसके उपरांत इन सभी को जिला प्रशासन द्वारा शासकीय वाहन के माध्यम से संबंधितों के तहसील मुख्यालयों पर भेजा जा रहा है। तहसील मुख्यालय पर भोजन, पेयजल की व्यवस्था के साथ स्क्रीनिंग कर जानकारी दर्ज करते हुए वाहनों को गांव भेजा जा रहा है। गांव पहुंचने पर भी प्रवासियों की स्क्रीनिंग करने के उपरांत उन्हें उनके घर पर होम क्वारेंटाइन किया जा रहा है। गांव में समय समय पर आरआरटी की टीम इनके स्वास्थ्य की जांच कर आवश्यकतानुसार उपचार सुविधा मुहैया कराई जा रही है। होम क्वारेंटाइन किए गए प्रत्येक व्यक्ति पर ग्राम अभ्युदय दल के सदस्य, आंगनवाडी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता निगरानी रखने के साथ उनकी कठिनाईयों का निराकरण किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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आवागमन थमने से सड़कों पर चहल कदमी कर रहे बाघ

  • पन्ना टाइगर रिज़र्व के मड़ला घाटी का वीडियो हुआ वायरल 



अरुण सिंह,पन्ना। बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में घने जंगलों के बीच विचरण करने वाले बाघ लॉकडाउन के चलते सड़कों पर आवागमन थमने से अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी चहल कदमी करने लगे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 39 जो पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है, यहां मंडला घाटी में एक बाघ सड़क के किनारे टहलते नजर आया है। दिन ढलने के बाद अंधेरे में जब यह बाघ चहल कदमी कर रहा था, उसी समय सड़क मार्ग से मोटरसाइकिल में सवार दो युवक गुजरे और अपने सामने वनराज को देख उनकी हालत खराब हो गई। मारे डर के वे अपनी मोटरसाइकिल भी नहीं संभाल पाए, लेकिन वनराज उनकी मौजूदगी को अनदेखा करते हुए सहज भाव से जंगल की तरफ चले गये। वनराज के जाने पर मोटरसाइकिल सवार युवकों ने राहत की सांस ली। यह रोचक दृश्य पास ही मौजूद किसी कार चालक ने अपने कैमरे पर कैद कर लिया जो अब काफी देखा जा रहा है।
 क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व के.एस.भदौरिया ने बताया कि यह वीडियो पन्ना टाइगर रिजर्व के मंडला घाटी का है। लॉकडाउन के कारण सड़क मार्ग पर ट्रैफिक कम होने से अक्सर ही वन्य प्राणी सड़क मार्ग पर आ जाते हैं। अब इन वन्य जीवों को लॉकडाउन होने की भले ही जानकारी न हो लेकिन उन्हें शायद यह गलतफहमी जरूर होने लगी है कि इंसानों ने उनके पुराने इलाकों को खाली कर दिया है। यही वजह है कि इन खाली और शांत जगहों में वन्य प्राणी चहल कदमी करने लगे हैं। श्री भदौरिया ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों ने आज तक कभी किसी इंसान पर हमला नहीं किया। यहां के रहवासियों व बाघों के बीच डर, भय और दुश्मनी का नहीं बल्कि मैत्री व सह अस्तित्व का भाव है। यही वजह है कि पन्ना के लोग बाघों को अपना गौरव समझते हैं।
सड़क मार्ग पर चहल कदमी करते बाघ का वीडियो देखें -


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Saturday, May 16, 2020

पन्ना जिले में मिला दूसरा कोरोना पॉजिटिव मरीज

  • पूर्व में भर्ती पॉजिटिव मरीज का सेम्पल आया निगेटिव 
  • जिले में कोरोना पॉजिटिव की संख्या यथावत रहेगी एक  


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल. के. तिवारी

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में आज दूसरा कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला है। मामले की पुष्टि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल. के. तिवारी ने की है। पीड़ित मरीज के कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग का काम चल रहा है, व्यक्ति आइसोलेशन सेंटर में है। डॉ. तिवारी ने बताया कि पॉजिटिव पाया गया व्यक्ति बाहर से आया था। तबियत बिगड़ने पर उसे घाट सिमरिया के क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया था। मरीज का सेम्पल जाँच के लिये भेजा गया, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। आपने बताया कि पॉजिटिव मरीज पब्लिक जोन में ज्यादा नहीं रहा है, अतः घबराने की जरूरत नही है। मालुम हो कि इसके पूर्व विगत 2 अप्रैल को अजयगढ़ तहसील का एक व्यक्ति पॉजिटिव आया था उसकी जांच की गई थी और जिला अस्पताल के कोविड वार्ड मे भर्ती कराया गया था। नियमानुसार 12 दिन पश्चात आखरी सेम्पल लिया गया  वो आज नेगेटिव आया है। व्यक्ति अब पूर्णतः स्वस्थ है अतः उसे  घर भेजा जा रहा है जहाँ वह होम आइसोलेशन मे रहेगा। इस तरह से पन्ना जिले में कोरोना संक्रमण का दूसरा मामला सामने आने के बावजूद पॉजिटिव मरीज की संख्या फ़िलहाल एक ही रहेगी।

जिले में अभी तक लिये गये सिर्फ 257 नमूने

देश के विभिन्न प्रान्तों व जिलों से प्रवासी मजदूरों सहित अन्य लोगों के जिले में आने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस प्रकार अब तक बाहर से  कुल 35944 लोग पन्ना आ चुके हैं। जबकि सिर्फ 257 व्यक्तियों के ही नमूने लिए गये हैं, जो निश्चित ही चिंता की बात है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित नोबल कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में निरंतर कार्यवाही जारी है। इनमें विदेश से आये 8 लोगों को पूर्व से ही कम्युलेटिव किया गया था। इन सभी यात्रियों का होम कोरेन्टाईन पूर्ण हो चुका हैै। अन्य राज्यों एवं जिलों से 16 मई को आये 2440 व्यक्ति का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस प्रकार बाहर से आये  कुल 35944 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। जिले में अब तक 35944 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें आज दिनांक को 2440 लोगों को होम क्वारेन्टाईन किया गया है। अब तक जिले में कुल 20879 व्यक्तियों को होम क्वारेन्टाईन में रखा गया है। जिसमें 9227 व्यक्तियोें का होम कोरेन्टाईन पूर्ण किया गया। अब तक 257 नमूने लिए जा चुके हैं।

मुंह एवं नाक पर कपडा न बांधने पर होगा अर्थदण्ड

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कर्मवीर शर्मा द्वारा पन्ना जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमाओं में सभी व्यक्तियों के लिए आदेश जारी किया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को सार्वजनिक स्थलों पर मुंह एवं नाक को अच्छी तरह से ढककर रखना अनिवार्य होगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 100 रूपये का अर्थदण्ड अधिरोपित किया जाएगा। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी तथा अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण पन्ना द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 26 (2) के अन्तर्गत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए धारा 30 के अन्तर्गत आदेश जारी किया गया है। आदेश में उल्लेख किया गया है कि पन्ना जिले की राजस्व सीमा में सभी व्यक्तियों को सार्वजनिक स्थलों पर फेस मास्क, फेस कव्हर जिसके लिए अंगोछा, गमछा, साफी, दुपट्टा, रूमाल, तौलियां इत्यादि का उपयोग किया जा सकता है। नाक, मुंह को अच्छी तरह से ढकना अनिवार्य किया गया है इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति से 100 रूपये के अर्थदण्ड की वसूली की जाएगी। यह अर्थदण्ड वसूल करने का अधिकार जिले की सभी नगरीय निकाय एवं ग्राम पंचायतें अपने अपने सीमा क्षेत्र के अन्तर्गत सक्षम होगी।
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