- आधुनिक बनने की चाह में हमने छोड़ी पुरातन जीवन शैली
- ग्रामीणजन आज भी उकडू बैठकर करते हैं घर का कामकाज
।। अरुण सिंह ।।
अक्सर आपने गांवों के लोगों को उकड़ू बैठते हुये देखा होगा लेकिन यदि वह शहर में आकर इस तरह बैठता हैं तो लोग उसे गंवार समझते हैं और बड़े अजीब तरीके से उसे देखते हैं। लेकिन आपको शायद यह बात नहीं मालूम की उकड़ू बैठने से आपके शरीर को बहुत सारे लाभ होते हैं। उकडू बैठकर घर का कामकाज करने तथा नित्य क्रिया से निवृत्त होने के लिए आज भी ग्रामीणजन अपनी पुरातन जीवन शैली को अपनाये हुये हैं। यही वजह है कि पेट व घुटनों से सम्बंधित तमाम तरह की बीमारियों व कठिनाइयों से वे मुक्त रहते हैं। जबकि अधिकांश शहरी आधुनिक दिखने की चाह में भारत के ऋषि मुनियों द्वारा ईजाद किये गये सहज व सरल आसनों तथा जीवन शैली से मुंह मोड़ कर पाश्चात्य जीवन शैली को अपना लिया है, परिणाम स्वरुप कम उम्र में ही शारीरिक कठिनाइयां आने लगी हैं।
उल्लेखनीय है कि आज हमारी जीवन जीने की शैली एक दम से बदल गई है। अनेकों बीमारियों की वजह पुरानी भारतीय जीवन शैली को छोड़ देना हैं, उनमें उकड़ू बैठना भी एक है। आप खुद अपने अंदर झांक कर देखे आप कब उकड़ू बैठे थे।आपने कई ऐसे लोगों को देखा होगा जो उकडू बैठते हैं तो आप उन्हें गवार या बेवकूफ समझने की गलती न करें, क्योंकि इस तरह बैठने के कई लाभ होते हैं। अगर आप उकडू नहीं बैठते तो आज से ही उकड़ू बैठने की आदत डाल लीजिये। इस तरह बैठने का बड़ा फायदा यह है कि हमारे शरीर की आंतों की संरचना और बनावट इस प्रकार है कि अगर आप उकड़ू आसन में बैठते हैं, तो आंतों पर ज्यादा प्रेशर लगाए बिना ही आप अच्छे से फ्रेश हो सकते हैं, शायद यही वजह है कि भारत के ऋषि-मुनियों ने इसी अवस्था में बैठने को कहा।
मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कल्दा पठार की जीवन शैली। फोटो - अरुण सिंह |
हम अक्सर गाँव में व्यक्तियों को उकडू बैठकर घर का कामकाज करते हुए देखते हैं तो हम सोचते हैं ये लोग गंवार हैं। परंतु ऐसा नहीं हैं, गाँव के लोग जो करते हैं उसके कई कारण होते हैं। गांव में आपने देखा होगा कि लोग पेड़ों के नीचे या कहीं भी इक्कठा समूह में भी बैठते हैं तो इसी अवस्था में बैठते हैं। इससे पाचन तंत्र और आंतें काफी मजबूत हो जाती हैं। आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि स्कूल में मुर्गा बनाने की सजा भी इसी कारण चालू किया गया था ताकि बच्चों के पाचन तंत्र को और अधिक मजबूत किया जा सके। यदि आप उकड़ू बैठकर उंगली से ब्रश करते हैं तथा कंठ साफ करते हैं तो आपके आमाशय में जो भोजन पड़ा हुआ है जो कि अभी तक पचा नहीं है वह भी नीचे की और खिसकना चालू हो जायेगा। ऐसा करने से आपकी आँखों की रोशनी बढ़ जाएगी तथा क्योंकि यह हमारे तंत्रिका तंत्र से जुड़ा हुआ है, इसलिए रोजाना उकड़ू बैठकर ब्रश करें। इसके अलावा यदि आप इस अवस्था में बैठते हैं तो इससे मूलाधार चक्र पर भी दबाव पड़ता है जिसकी वजह से प्राण शक्ति नीचे की ओर गति न करके ऊपर की ओर उठती है, जिसकी वजह से आपको यौवन प्राप्त होता हैं।
पहले लोग दिन में कम से कम दो घंटे तो इस आसन का उपयोग करते ही थे। खेत में काम करते हुए, खाना खाते हुए, पंचायत में बैठ कर हुक्का पीते हुए, दिशा मैदान जाते हुए। कपडे धोते, दूध निकालते व घर की गृहणियां झाडू लगाते समय इसी आसन का उपयोग आमतौर पर करती हैं। इससे हमारे घूटने तो पूर्णता से मुड़ते ही है साथ-साथ पेट कभी मोटा नहीं होता, पाचन क्रिया तेज होती है। जो लोग इंगलिस सीट का उपयोग करते हैं उनके घुटनों के पीछे एक बल्ब सा बन जाता है, जिसके कारण उनका घुटना मुडऩा बंद हो जाता है, यहीं से सारी बीमारी शुरू होती है।
इस आसन को गो-दुग्ध आसन भी कहां जाता है। इसका प्रचार-प्रसार कम देखने को मिलता है। आप लोग शायद नहीं जानते कि इसी आसन से भगवान महावीर को ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। न जाने क्यों रामदेव बाबा सब आसन बताते है परंतु गो-दुग्ध आसन की कम बात करते हैं। जबकि यही वह आसन है जिससे पता चलता है की आपका शरीर स्वस्थ है या नहीं। आज से ही दस मिनट कम से कम उकडू बैठे.....जो नहीं बैठ सकते वह किसी लकडी-खम्बे का सहारा लेकर जितना बैठ सकते हैं उतना नीचे तक जायें। धीरे-धीर आप बैठने लग जायेंगे। तब आप खुद देखेंगे कि आपके शरीर की कितनी बीमारियां छूमंतर हो गईं।
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