Friday, February 28, 2020

पवई मध्यम सिंचाई परियोजना का कलेक्टर ने किया निरीक्षण

  •   परियोजना से 150 ग्रामों को उपलब्ध कराया जायेगा पेयजल
  •   11 हजार हेक्टेयर से भी अधिक कृषि भूमि सिंचित होगी



सिंचाई परियोजना का अवलोकन करते हुये कलेक्टर साथ में कार्यपालन यंत्री व अन्य।

अरुण सिंह,पन्ना।  पवई मध्यम सिंचाई परियोजना तेंदूघाट का कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान मुख्य कार्यपालन यंत्री जल संसाधन को निर्देश दिये कि परियोजना में गर्मी के दिनों में इतना पानी भण्डारित रखें जिससे समूह नलजल योजना के लिये पानी की कमी न पडे।
मौके पर उपस्थित कार्यपालन यंत्री जल संसाधन श्री दादौरिया ने बताया कि यह मध्यम सिंचाई परियोजना 174 मीटर लम्बी एवं 37.50 मीटर पक्के बांध की ऊँचाई है। इसके अलावा 632 मीटर लम्बाई एवं 23 मीटर ऊँचाई मिट्टी का बांध है। इस परियोजना में 9 गेट लगाये गये हैं। इसका जल ग्रहण क्षेत्र 995 वर्ग  किमी तथा बांध में जल भराव की क्षमता 138.60 मिलियन घन मीटर तथा जीवित जल भराव क्षमता 122.25 मिलियन  घन मीटर है। इस बांध से बनने वाली नहरों का काम लगभग पूरा हो गया है। इसकी वाई तरफ नहर से 6643 तथा दाई तरह नहर से 1720 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई इस बांध से समूह नलजल योजना के माध्यम से लगभग 150 ग्रामों को पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा। बांध के डूब क्षेत्र में तकरीबन 1373 हेक्टेयर भूमि आई है, जिसमें निजी भूमि 599 हेक्टेयर, शासकीय भूमि 536 हेक्टेयर तथा 238 हेक्टेयर के लगभग वन भूमि प्रभावित हुई है। पवई मध्यम सिंचाई परियोजना के द्वारा नहरों के माध्यम से 11 हजार हेक्टेयर से भी अधिक कृषि भूमि सिंचित होगी। कार्यपालन यंत्री श्री दादौरिया ने बताया कि पवई मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत निर्मित  की जाने वाली मुख्य नहरों की लम्बाई 40.61 किमी है।  नहरों के निर्माण का कार्य पूरा होने पर अंचल के किसानों को सिंचाई सुविधा मिल सकेगी, जिससे सूखा और अल्प वर्षा के चलते बदहाली का जीवन गुजारने वाले किसानों की जिन्दगी खुशहाल होगी।
कलेक्टर श्री शर्मा ने बांध एवं नहर का निरीक्षण करने के उपरांत निर्देश दिये कि नहरों का कार्य शीघ्र पूर्ण कराया जाये। जिससे आगामी मौसम में किसानों को सिंचाई के लिये पानी मिल सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि यदि कही भूमि अधिग्रहण करने की आवश्यकता है तो पटवारी से सम्पर्क स्थापित कर भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जिले में जो भी बांध अथवा नहरें निर्माणाधीन हैं उन सभी के भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शीघ्र पूर्ण कर ली जाये। जिन सिंचाई बांधों पर समूह नलजल योजना स्थापित की गई हैं उनके लिये हर समय आवश्यकतानुसार जल की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
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नदियों को बचाने के लिए भोपाल में जुटेंगे नदी विशेषज्ञ



देशभर की नदियों पर 24 घंटे जल आपूर्ति, सिंचाई, मछलीपालन और कारखानों में पानी को जरूरत की वजह से बहुत अधिक दबाव है। तकरीबन सभी नदी घाटी प्रदूषण के अलावा बड़े बांध के निर्माण और पानी के कुदरती बहाव की कमी से जूझ रही है। इन नदियों के दोहन की योजनाएं तो कई हैं लेकिन नदी बचाने के लिए समुचित जल नियोजन की बात कहीं नजर नहीं आती। जिस वजह से नादियों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे खतरों को समझने वाले पर्यावरणविद भोपाल में एक और दो मार्च को होने वाले नदी घाटी विचार मंच में आकर चर्चा करने वाले हैं।
 भोपाल के गांधी भवन में शुक्रवार को कार्यक्रम के बारे में बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि इसमें नर्मदा, गंगा, गोदावरी, यमुना, कृष्णा, पोलावरम, सिंगरी, बारू, रेवा, कावेरी, कोसी, विश्वामित्र, साबरमती, गोसीखुर्द, हलोन सहित तमाम नदी घाटी के विभिन्न पहलुओं पर काम करने वाले लोग आएंगे।
 यहां दो दिनों तक देश भर के नदी घाटियों के खतरे और जल नियोजन पर चर्चा की जाएगी और नदियों को बचाने का कोई रास्ता निकाला जाएगा। उन्होंने मध्यप्रदेश के राइट टू वाटर की बात करते हुए कहा कि ये कार्यक्रम अच्छा है लेकिन बेहतर जल नियोजन के साथ ही इसे पर्यावरण के लिहाज से अच्छा बनाया जा सकता है।
 उत्तराखंड से आए पर्यावरण कार्यकर्ता विमल भाई ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंत में विशेषज्ञ मिलकर नीति निर्माताओं तक कुछ सुझाव भी पहुंचाने की कोशिश करेंगे ताकि नदियों को बचाया जा सके। जबलपुर से आए सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा ने कार्यक्रम में आने वाले अतिथियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चर्चा में जन वैज्ञानिक सौम्य दत्ता, पूर्व प्रशानिक अधिकारी शरद चंद्र बेहार, नदी विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री डॉ भरत झुनझुनवाला, पर्यावरणविद सुभाष पांडे, यमुना जी,अभियान के मनोज मिश्रा, पर्यावरण शास्त्री प्रफुल्ल सामंत्रा,  देबादित्या सिन्हा,पर्यावरण शास्त्री, समाजसेवी सुनीति, पर्यावरण विशेषज्ञ रोहित प्रजापति प्रदीप चटर्जी व शोमेन दा, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, जल विशेषज्ञ विवेकानंद माथने जैसे विशेषज्ञ शामिल होंगे।
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Monday, February 24, 2020

पन्ना के जंगलों में नहीं थम रहीं शिकार की घटनायें

  •   उत्तर वन मण्डल के धरमपुर रेंज में फिर हुआ शिकार
  •   मृत वन्य प्राणी तेंदुआ है या लकड़बग्घा नहीं हो सकी पहचान
  •  बिजली के करंट से शिकार होने की जताई जा रही है आशंका


कुडऱा बीट के जंगल में वन्य प्राणी का क्षत-विक्षत कंकाल।

अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना जिले के जंगलों में वन्य प्राणियों के शिकार की घटनायें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। उत्तर वन मण्डल पन्ना का धरमपुर रेंज शिकार की घटनाओं को लेकर लम्बे समय से सुर्ख़ियों में है, फिर भी जिम्मेदार वन अधिकारी शिकारियों की धमाचौकड़ी तथा उनके क्रियाकलापों पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हुये हैं। ताजा मामला धरमपुर वन परिक्षेत्र अन्तर्गत कुडऱा बीट के कक्ष क्र. पी-53 का है। यहां एक सप्ताह से भी अधिक पुराना क्षत-विक्षत हालत में संदिग्ध वन्य प्राणी का कंकाल मिला है, जिसे देखकर स्पष्ट रूप से यह पहचान नहीं की जा सकी कि मृत वन्य प्राणी तेंदुआ है या लकड़बग्घा। वन्यप्राणी कोई भी हो लेकिन यह सुनिश्चित है कि इसका शिकार हुआ है और वन अमले को घटना की भनक तक नहीं लग पाई।
उल्लेखनीय है कि शिकार होने की इस सनसनीखेज घटना का खुलासा सोमवार को तब हुआ जब ग्रामीण जंगल लकड़ी लेने के लिये गये। ग्रामीणों को कुडऱा बीट के जंगल में जब भीषण दुर्गन्ध आई तो उन्होंने इसकी खोज खबर की, परिणाम स्वरूप वन्य प्राणी का क्षत-विक्षत कंकाल पड़ा मिला। मृत पड़े इस वन्य प्राणी को ग्रामीणों ने तेंदुआ बताया और इसकी सूचना वन परिक्षेत्राधिकारी धरमपुर बी.के. विश्वकर्मा को दी। शिकार होने की जानकारी मिलते ही वन परिक्षेत्राधिकारी अमले को लेकर मौके पर पहुँचे। घटना की गंभीरता को देखते हुये वन मण्डलाधिकारी श्रीमती मीना मिश्रा व उप वन मण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह परिहार ने भी मौके पर जाकर घटना स्थल का जायजा लिया। शिकारियों तक पहुँचने के लिये प्रशिक्षित डॉग की भी मदद ली गई। बताया गया है कि प्रशिक्षित डॉग मौके की गंध लेकर कुछ घरों में गया है जिससे मामले में तीन संदिग्ध लोगों की पहचान हुई है। संदिग्धों के घरों में न मिलने से वन अधिकारियों द्वारा सर्च वारंट जारी कर इन घरों की तलाशी ली जा रही है। समाचार लिखे जाने तक किसी आरोपी के गिरफ्तार होने की खबर नहीं है।

घटना स्थल का जायजा लेते हुये वन अधिकारी।

आरोपियों ने शिकार के बाद वन्य प्राणी की निकाली है खाल

शिकार की घटना को अंजाम देने के बाद शातिर शिकारियों ने वन्य प्राणी की खाल निकालने के साथ-साथ उसके पंजों को भी काटा है। इसी बात से यह आशंका मजबूत हो रही है कि मृत वन्य प्राणी तेंदुआ हो सकता है। सबसे दुर्भाग्य जनक बात तो यह है कि सात दिनों से भी अधिक समय तक वन्य प्राणी का शव जंगल में पड़ा सड़ता रहा और उससे भीषण दुर्गन्ध भी उठती रही, फिर भी वन अमले को घटना की भनक नहीं लगी। इससे साफ जाहिर होता है कि जंगल की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था कितनी लचर और कमजोर है। मैदानी वन अमला अपनी बीट में जाने के बजाय घरों में आराम फरमाते हैं और शिकारी बेखौफ होकर जंगल में वन्य प्राणियों का शिकार करते हैं।

मौके पर जमीन में गड़ी मिली हैं खूँटियां

धरमपुर वन परिक्षेत्र के कुडऱा बीट में जहां संदिग्ध वन्य प्राणी का क्षत-विक्षत शव मिला है, वहीं जमीन पर कई खूँटियां गड़ी पाई गई हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इन खूँटियों के माध्यम से विद्युत तार का जाल शिकारियों द्वारा फैलाया गया होगा, जिसकी चपेट में आने से वन्य प्राणी तेंदुआ अथवा हाइना की मौत हुई है। चिन्ताजनक बात तो यह है कि शिकारी विद्युत तार बिछाकर इस तरह खौफनाक अंदाज में शिकार की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं और वन परिक्षेत्राधिकारी व उनका अधीनस्थ अमला इस सबसे बेरपरवाह और अन्जान हैं।

जंगल में घूम रहे बाघों पर भी मंडरा रहा खतरा

यह सर्वविदित है कि पन्ना टाईगर रिजर्व के कई बाघ बफर व टेरीटोरियल के जंगल में विचरण कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में स्वच्छन्द रूप से विचरण कर रहे बाघ भी इन शिकारियों के फंदे व जाल में कभी भी फँसकर अपनी जान गवां सकते हैं। जिले के सभी वन परिक्षेत्राधिकारियों को इस बात की पूरी जानकारी है कि टाईगर रिजर्व के कई बाघ कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर आस-पास के जंगलों में घूम रहे हैं। इसके बावजूद भी वन अधिकारियों द्वारा निगरानी नहीं की जा रही, जिससे जंगल के राजा बाघों पर भी खतरा मंडराने लगा है।

डीएनए जाँच से वन्य प्राणी की होगी पहचान

शिकार के इस मामले तथा बरामद हुये प्राणी के क्षत-विक्षत शव के संबंध में पूछे जाने पर उप वन मण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह परिहार ने जानकारी देते हुये बताया कि शव को देखकर प्रथम दृष्टया यह पहचान कर पाना कठिन प्रतीत हो रहा है कि यह किस वन्य प्राणी का शव है। उन्होंने बताया कि शव तेंदुआ का भी हो सकता है, लेकिन मुँह देखकर ऐसा लगता है कि यह लकड़बग्घा है। मृत वन्य प्राणी की सही पहचान डीएनए जाँच से होगी। इसके लिये वन्य प्राणी के शव के सेम्पल ले लिये गये हैं, जिसे जाँच के लिये भेजा जायेगा। जाँच रिपोर्ट आने पर ही मृत वन्य प्राणी की सही पहचान हो सकेगी।
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Saturday, February 22, 2020

बिगड़े वनों को हरा-भरा बनाना सबसे बड़ी चुनौती - कमल नाथ

  • मध्यप्रदेश को अपनी वन सम्पदा पर गर्व है
  • वन संरक्षण अधिनियम के उद्देश्यों को आत्मसात करें वनकर्मी
  • वानिकी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे मुख्यमंत्री

                    
  

भोपाल।  वन सम्पदा, मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी सम्पदा है। मध्यप्रदेश को अपनी वन सम्पदा पर गर्व है। इसे संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी वनों से जुडे लोगों और वन विभाग के प्रत्येक सदस्य की है। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि वन से जुड़े लोगों और राज्य के हित के बीच तनाव और टकराहट से बचते हुए वन संरक्षण को आगे जारी रखना होगा। मुख्यमंत्री आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में वानिकी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
श्री कमल नाथ ने कहा कि बिगड़े वनों को हरा-भरा बनाना,आज सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि वनों का भारतीय संस्कृति से गहरा जुड़ाव है। वनों से सभी प्राणियों का भविष्य जुड़ा है। इसलिये वनों को संरक्षित और सुरक्षित रखते हुए इनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकारियों और मैदानी अधिकारियों के सक्रिय सहयोग से ही वन संरक्षण संभव है। उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी वन संरक्षण अधिनियम के उद्देश्यों को आत्मसात करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 1980 में वन संरक्षण अधिनियम बना था, तब की परिस्थितियों और वर्तमान परिस्थितियों में जमीन-आसमान का अंतर है। उन्होंने कहा कि तब लोगों की अपेक्षाएं और आशाएं कम थीं। राष्ट्रीय उद्यान बनाना आसान था।

मध्यप्रदेश की जैव विविधता अत्यंत समृद्ध

श्री कमल नाथ ने कहा‍ कि अब प्राथमिकताएं बदल रही हैं। उन्होंने बांस और छोटे अनाज का उदाहरण देते हुए बताया कि अब ये आर्थिक महत्व की फसल बन रही है। इसके लिये वन विभाग को सहयोगी की भूमिका निभानी होगी। बिगड़े वन क्षेत्रों में सुधार लाने के सभी उपाय अपनाने होंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की जैव विविधता अत्यंत समृद्ध है। इस पर कई अनुसंधान भी हो रहे हैं। अब दुनिया तेजी से रसायन आधारित फार्मास्युटिकल दवाओं से रसायन-मुक्त फार्मास्युटिकल दवा निर्माण की तरफ बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वनोपज भविष्य के लिए महत्वपूर्ण सम्पदा है। वन विभाग को इन सब आधारों पर अपनी सोच-समझ बढ़ाते हुए आगे बढ़ना होगा। श्री कमल नाथ ने कहा कि वन विभाग को अब एक दिशा में काम न करते हुए समान उद्देश्य के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाना चाहिये।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ को वानिकी सम्मेलन में रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने वनांचल संदेश, कैम्पिंग डेस्टिनेशन और वाईल्डलाईफ डेस्टिनेशन पुस्तकों का विमोचन किया। वन मंत्री श्री उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री को स्मृति-चिन्ह भेंट किया। वन मंत्री श्री उमंग सिंघार ने संयुक्त वन प्रबंधन समितियों की भूमिका और वन संरक्षण की दिशा में किए जा रहे कार्यों की चर्चा की। इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. यू. प्रकाशम ने वानिकी सम्मेलन के उद्देश्यों और प्रदेश में वनों की स्थिति की जानकारी दी। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव वन श्री ए.पी. श्रीवास्तव और वरिष्ठ वन अधिकारी उपस्थित थे।
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Friday, February 21, 2020

यादवेन्द्र क्लब में फिर लौटी राजाशाही जमाने की रौनक

  •   जर्जर हो चुकी धरोहर का कलेक्टर की पहल से हुआ कायाकल्प
  •   यह प्राचीन इमारत अब सज सँवरकर आफीसर क्लब में हुई तब्दील


कायाकल्प के बाद रोशनी से जगमगाता यादवेन्द्र क्लब।

अरुण सिंह,पन्ना। राजाशाही जमाने में पन्ना शहर की शान रहे यादवेन्द्र क्लब में दशकों बाद फिर रौनक लौट आई है। जर्जर हो चुकी इस प्राचीन धरोहर का कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की पहल से न सिर्फ कायाकल्प हो चुका है अपितु इस भव्य और विशाल इमारत को आफीसर्स क्लब में तब्दील कर दिया गया है। अब यहां पर जिले के प्रशासनिक अधिकारी अपनी रूचि के अनुरूप विविध प्रकार के खेलों का लुत्फ उठा सकेंगे। इसके लिये इस इमारत में जरूरी सभी सुविधायें व व्यवस्थायें विकसित की गई हैं।
उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर के निकट स्थित प्राचीन धरमसागर तालाब के किनारे यादवेन्द्र क्लब का निर्माण तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा यादवेन्द्र सिंह ने कराया था। बताया जाता है कि राजाशाही जमाने में इस झीलनुमा विशाल तालाब व इस तालाब के किनारे निॢमत यादवेन्द्र क्लब का सौन्दर्य देखते ही बनता था। उस समय पन्ना राजपरिवार के अतिथि रहने वाले अंग्रेज अधिकारी इसी भव्य इमारत में बिलियर्ड खेला करते थे। यादवेन्द्र क्लब के भव्य विशाल कक्षों की दीवारों को सांभर के सींगों से बनाई गई आकर्षक ट्राफियों से सजाया गया था। यहां की ज्यादातर ट्राफियां व अन्य कीमती सामान गायब हो चुका है, लेकिन कुछ सींगों वाली ट्राफियां यहां दीवारों की आज भी शोभा बढ़ा रही हैं। धरमसागर तालाब व यादवेन्द्र क्लब के नीचे खूबसूरत नजरबाग ग्राउण्ड है, जिसकी विशेषता यह है कि गॢमयों में भी यह मैदान घास के कारण हरा-भरा नजर आता है। इसी मैदान में अंग्रेज मेहमान व राजपरिवार के लोग क्रिकेट खेलते थे। राजाशाही खत्म होने के बाद कुछ दशक तक यादवेन्द्र क्लब की स्थिति ठीक ठाक रही, लेकिन फिर प्रशासनिक उपेक्षा व अनदेखी के चलते यह प्राचीन धरोहर जहां जीर्ण-शीर्ण हो गई वहीं पन्ना शहर के जीवन का आधार रहा धरमसागर तालाब भी गन्दगी और अतिक्रमण की चपेट में आ गया। दशकों बाद यादवेन्द्र क्लब की रौनक एक बार फिर लौट आई है, लेकिन प्राचीन धरमसागर तालाब को अभी भी उस क्षण का इंतजार है जब उसे अतिक्रमण से मुक्त कर सुरक्षित और संरक्षित किये जाने की कारगर पहल की जायेगी।

आफिसर्स क्लब का संभागायुक्त ने किया शुभारंभ


 प्राचीन इमारत में आफीसर्स क्लब का शुभारंभ करते आयुक्त।

आयुक्त सागर संभाग आनन्द कुमार शर्मा द्वारा यादवेन्द्र क्लब में आफिसर्स क्लब का शुभारंभ फीता काटकर किया गया। यह भवन लम्बे समय से जर्जर अवस्था में पड़ा हुआ था। इस भवन को पुनर्जीवन देकर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा आफिसर्स क्लब के रूप में विकसित किया गया। कलेक्टर श्री शर्मा ने आफिसर्स क्लब के वातावरण को आकर्षक और आनन्द दायक बनाने के लिये यादवेन्द्र क्लब भवन की नये सिरे से साज-सज्जा कराने के साथ आकर्षक लाइट, धरम सागर तालाब के मध्य स्थित शिव जी मन्दिर में लाइटिंग की व्यवस्था, पहाड़कोठी मार्ग एवं वहां स्थित स्मारक पर रंगीन लाइट लगवाई गई है। आयुक्त श्री शर्मा ने आफिसर्स क्लब की स्थापना करने के लिये कलेक्टर कर्मवीर शर्मा को बधाई देने के साथ आगे भी निरंतर क्लब की गतिविधियां जारी रहें ऐसी शुभकामनायें दीं। उन्होंने कहा कि जिला अधिकारियों के मध्य मिलने जुलने, खेलने, मनोरंजन के लिये यह एक अच्छा स्थान विकसित हो गया है। क्लब में जिला अधिकारियों एवं उनके परिवारों के आने जाने से एक-दूसरे के प्रति सहानभूति बढऩे के साथ-साथ एक-दूसरे के दुख सुख में सहभागी बनेंगे। उन्होंने कहा कि जिला अधिकारी जब प्रतिदिन क्लब में आयेंगे आपस में बातचीत करेंगे तो विभिन्न तरह की विभागीय समस्याओं का निराकरण भी होगा। इससे शासकीय कार्यो में तेजी आयेगी। सम्पन्न हुये इस कार्यक्रम में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के, एसडीएम शेर सिंह मीणा, अपर कलेक्टर जे.पी. धुर्वे, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी अशोक चतुर्वेदी, संजय सिंह परिहार के साथ जिला स्तरीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।
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Thursday, February 20, 2020

ऐसे प्रयास होने चाहिये कि समस्या ही पैदा न हो : आयुक्त

  •   हमें समस्याओं के उत्पन्न होने के कारण को मिटाना होगा: श्री शर्मा 
  • कलेक्टर ने कहा  मातृ एवं शिशु मृत्युदर को कम करने हो रहे प्रयास  


 समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते आयुक्त सागर।

अरुण सिंह,पन्ना। हमें समस्याओं के उत्पन्न होने के कारणों को मिटाना होगा, जिससे समस्यायें पैदा ही न हों।यह बात आयुक्त सागर संभाग आनन्द कुमार शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग में संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा बैठक में कही। समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि दोनों विभाग के अधिकारी-कर्मचारी आपसी समन्वय बनाकर कार्य करें। पलायन पंजी में जाने और आने वाले माताओं का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाये। उन्होंने जिले में बच्चों का कुपोषण मिटाने के लिये चलाये जा रहे संजीवनी अभियान की सराहना की। उन्होंने कहा कि पन्ना कलेक्टर द्वारा पहले से ही विभिन्न विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों के बीच समन्वय बनाने की योजना के तहत अभ्युदय योजना प्रारंभ की गई। इससे दोनों विभाग को कार्य करने में सुविधा उपलब्ध हो रही है। अब आगे आपसी तालमेल बनाकर दोनों विभाग कार्य करें जिससे आँकड़ों में अन्तर नहीं आये।
उन्होंने विभिन्न योजनाओं की समीक्षा के दौरान निर्देश दिये कि विभिन्न योजनाओं में शासन से जो राशि भुगतान की जाती है वह संबंधित हितग्राही को समय पर उपलब्ध हो जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि दोनों विभाग की योजनाओं में चिन्हित हितग्राही के बैंक खाते, आधार कार्ड आदि की जानकारी चिन्हांकन के समय ही प्राप्त कर ली जाये। जिससे भुगतान में किसी तरह की देरी न हो। उन्होंने मलेरिया, फाइलेरिया, क्षय रोग की अधिकता वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर उन क्षेत्रों में बीमारी की रोकथाम के लिये प्रभावी कदम उठाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने शिशु एवं मातृ मृत्युदर को रोकने एवं कुपोषण को मिटाने के लिये कहा कि दोनों विभागों को किशोरी बालिकाओं एवं माताओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा कि जिन किशोरियों एवं माताओं में रक्त की कमी अथवा अन्य किसी तरह का कुपोषण है उनकी जांच कराकर आवश्यक उपचार उपलब्ध कराना चाहिये। उन्होंने कहा कि शिशु एवं गर्भवती माताओं को शत-प्रतिशत टीकाकरण कराया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज में लड़का-लड़की के अन्तर को मिटाने के लिये जागरूकता लाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। गर्भवती महिलाओं पर दोनों विभाग के मैदानी कर्मचारी को सतत निगरानी रखनी चाहिये कि गर्भवती का प्रसव कब होने वाला है प्रसव से तीन दिन पहले ही प्रसव के लिये निर्धारित संस्था, परिवहन की व्यवस्था आदि कर लेनी चाहिये। जिससे शिशु एवं मातृ मृत्युदर में कमी आ सके।

50 फीसदी से अधिक बच्चे अतिकुपोषण से बाहर

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने जिले में चलाये जा रहे पोषण संजीवनी अभियान के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुये बताया कि इस अभियान के तहत 2800 बच्चों को चिन्हित किया गया था जो अतिकुपोषित थे। इन अतिकुपोषित बच्चों को जनप्रतिनिधियों, समाज सेवियों एवं अन्य लोगों के माध्यम से गोद दिलाकर कुपोषण मुक्ति का कार्य किया गया। उन्होंने बताया कि जिले में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे अतिकुपोषण से बाहर होकर मध्यम श्रेणी में आ गये हैं। वहीं 880 बच्चे सामान्य श्रेणी में पहुँच चुके हैं। जिले में इस अभियान का द्वितीय चरण प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिले में शत-प्रतिशत बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास श्रीमती शशिश्याम उइके ने बैठक में उपस्थितों को सम्बोधित करते हुये शिशु एवं मातृ मृत्युदर कम करने, कुपोषण मिटाने आदि विषयों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। सम्पन्न हुई बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बालागुरू के., मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी, कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास ऊदल सिंह , समस्त एसडीएम, दोनों विभागों के जिला, खण्ड एवं ग्रामीण स्तरीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
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सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध पर सरकारें बेसुध

  •  चूक सकता है 2022 का लक्ष्य, रिपोर्ट में हुआ खुलासा 
  •  महिलाओं के मुकाबले पुरुष प्लास्टिक बैग का ज्यादा करते हैं इस्तेमाल 



भारत में 28 ऐसे राज्य हैं जिन्होंने पूरी तरह से या फिर आंशिक तौर पर सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रखा है। हालांकि यह प्रतिबंध काम नहीं कर रहा है और नियम-कायदे कागजों पर ही सिमटे हैं। गैर सरकारी संस्था टॉक्सिक लिंक के ऑनलाइन और ऑफलाइन सर्वे के मुताबिक 453 भागीदारों में 83 फीसदी ने कहा है कि वे प्लास्टिक थैलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि सर्वे में यह स्पष्ट नहीं है कि इस्तेमाल करने वाले लोग 50 माइक्रोन (हल्की थैलियां) से कम या फिर ज्यादा माइक्रोन वाली प्लास्टिक थैलियों को इस्तेमाल कर रहे हैं। प्लास्टिक थैलियों को प्राथमिक तौर पर प्रतिबंधित किया जाना था।

टॉक्सिक लिंक की ओर से जारी की गई रिपोर्ट का नाम है सिंगल यूज प्लास्टिक दृ द लास्ट स्ट्रॉ”। सर्वे और विश्लेषण वाली इस रिपोर्ट में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल को लेकर 14 फीसदी लोगों ने कहा कि वे हर वक्त इसका इस्तेमाल करते हैं जबकि 17 फीसदी ने कहा कि वे प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल कभी नहीं करते हैं। इसी तरह 37 फीसदी ने कहा कि यदा-कदा प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करते हैं वहीं 32 फीसदी ने जवाब दिया कि वे लगातार प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करते हैं। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि महिलाओं (15 फीसदी) के मुकाबले पुरुष ज्यादा (19 फीसदी) प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लोग प्लास्टिक के खतरों को पहचानना शुरु कर चुके हैं हालांकि उनके बीच सिंगल यूज प्लास्टिल को लेकर तमाम भ्रांतियां भी मौजूद हैं। सर्वे में पाया गया कि अधिकांश लोग पानी की बोतलों और स्ट्रॉ को सिंगल यूज प्लास्टिक ही नहीं मानते। इसके अलावा जवाब देने वालों में केवल 57 फीसदी लोग ही ऐसे थे जो प्लास्टिक कैरी बैग को सिंगल यूज प्लास्टिक मानते थे। टॉक्सिक लिंक के मुताबिक महिला-पुरुष और विभिन्न आयु समूह के एक हजार से ज्यादा लोगों से फील्ड सर्वे में प्लास्टिक के इस्तेमाल से सबंधित जवाब जुटाए गए।
प्रदूषण का सबसे बड़े कारणों में एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) की पहचान हुई है। सिंगल यूज प्लास्टिक में 50 माइक्रोन से नीचे के प्लास्टिक बैग अत्यधिक चिंता का विषय हैं। क्योंकि काफी हल्के होने के कारण ये यत्र-तत्र मौजूद हैं और न तो इन्हें एकत्रित किया जाता है और न ही इनका रिसाइकल संभव है। यह ड्रेनेज को चोक करने से लेकर समुद्रों के प्रदूषण में बड़ी हिस्सेदारी निभा रहे हैं। हॉस्पिटल इंडस्ट्री, फूड बेवरेज इंडस्ट्री, आवासीय सुविधाएं, यात्रा और पर्यटन, एफएमसीजी, ई-कॉमर्स रिटेल, निकोटीन इंडस्ट्री, एल्कोहॉल बेवरेज इंडस्ट्री सिंगल यूज प्लास्टिक की प्रमुख स्रोत हैं। इनके विकल्प के तौर पर ग्लास, मेटल, जूट, कपड़े, पेपर, बांस, पत्तियां व अन्य विकल्प हो सकते हैं। हालांकि, इनके भी खतरे हैं।
सीपीसीबी की 2018-19 रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष करीब 36 लाख टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। इसमें से महज 60 फीसदी ही रिसाइकल होता है। प्लास्टिक रेग्युलेशन को लेकर भी भारत में अमल काफी कम है। भले ही भारत में प्लास्टिक का उपभोग ज्यादा होता है लेकिन प्रति व्यक्ति प्लास्टिक उपभोग काफी कम है। भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष प्लास्टिक उपभोग 11 किलोग्राम है जबकि अमेरिका में प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष प्लास्टिक उपभोग 109 किलोग्राम है। यूरोप में 65 किलोग्राम, चीन में 38 किलोग्राम, ब्राजील में 35 किलोग्राम है। प्रतिबंध क्यों नहीं प्रभावी हैं इस पर टॉक्सिक लिंक की मुख्य कार्यक्रम समन्वयक प्रीति महेश कहती हैं कि नियमों को लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। प्रतिबंध नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की गई। प्लास्टिक थैली को हतोत्साहित किए जाने को लेकर पर्याप्त जागरुकता भी नहीं फैलाई गई।
प्लास्टिक थैलियां के विकल्प मौजूद हैं। इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए भी कुछ नहीं किया गया। सर्वे के दौरान जवाब देने वालों में इनके प्रति रुझान भी दिखाई दिया। मसलन सर्वे में पाया गया कि प्लास्टिक थैलों के बजाए कपड़ों के थैलों और बायो-प्लास्टिक बैग को 59 फीसदी भागीदारों ने पसंद किया गया है। वहीं सर्वे में हिस्सेदारी करने वाले 95 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सिंगल यूज वाले कटलरी पर प्रतिबंध चाहते हैं। वहीं, 32 फीसदी ने कहा कि वे पत्ती वाले कटलरी को वापस चाहते हैं। प्रीति महेश ने कहा कि सरकार के पास विकल्प है कि वह इस पर कदम बढ़ाए क्योंकि लोगों में सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्पों के प्रति रुझान है।
संस्था ने अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष और सिफारिशों में कहा है कि रिसाइकलिंग भी बेहतर समाधान नहीं है। टिकरी कलां, गाजीपुर, नांगलोई और अन्य जगहों पर रिसाइकलिंग बाजार के सर्वे के बाद कहा कि स्थिति काफी खराब है। आर्थिक पहलू के चलते मल्टीलेयर पैकेजिंग के प्लास्टिक को कोई लेना नहीं चाहता। एफएमसीजी उत्पादों में मल्टीलेयर पैकेजिंग का इस्तेमाल होता है। बेहद पतली प्लास्टिक की कई लेयर उत्पादों के डिब्बों पर चिपकाई जाती है। वहीं, यह कचरा कहां रिसाइकल होगा इसके लिए भारत में अभी कोई तकनीकी नहीं है। ज्यादातर ऐसा कचरा लैंडफिल साइट्स और ड्रेनेज सिस्टम में पहुंचता है। वहीं, इस समस्या के समाधान को लेकर कंपनियां कोई शोध और तकनीकी पर काम करने के लिए भी नहीं तैयार है। ऐसे में सरकार को ही कोई रास्ता निकालना होगा।
टॉक्सिक लिंक के सहायक निदेशक सतीश सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्तूबर, 2019 को कहा था कि सिंगल यूज प्लास्टिक को 2022 तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर देंगे। हालांकि जमीन पर प्रतिबंध संबंधी कानूनों के अमल की स्थिति देखकर यह लक्ष्य आसान नहीं दिखाई दे राह है। सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करने के लिए कोई खाका नहीं खीचा है।
@डाउन टू अर्थ से साभार 
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मात्र संयोग नहीं होता किसी से मिलना..

  •  इसके पीछे होते हैं कई अनजाने अलौकिक कारण                                                                       



दरअसल कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारे जीवन में हमेशा के लिए नहीं आते, उनका हमारे जीवन में आने का एक खास मकसद होता है और जब यह मकसद पूरा हो जाता है तब वह अपने आप ही हमारी लाइफ से दूर हो जाते हैं। कभी आपने ये सोचा है कि कौन हैं ये लोग और क्या है इनका हमारे जीवन में आने का असली उद्देश्य।जानकारों की मानें कि ये सब पहले से ही निर्धारित होता है कि कौनसा व्यक्ति किस समय हमारे जीवन में आएगा, लेकिन जब कोई अचानक हमारे जीवन में आता है तो यह मात्र कोई संयोग नहीं होता, इसके पीछे कई कारण होते हैं जो स्वयं ब्रह्मांडीय शक्ति द्वारा रचित हैं। चलिए जानते हैं क्या हैं वो कारण।

हमें रोकने के लिए

कई बार जो लोग हमारे जीवन में आते हैं उनका वास्तविक उद्देश्य हमें आगे बढ़ने से रोकना होता है। शायद हम जिस मार्ग पर चल रहे हैं वह हमारे लिए सही नहीं है, इसलिए ब्रह्मांड की कोई शक्ति मनुष्य रूप में हमारे सामने आती है और हमें रोकने की कोशिश करती है। ऐसी स्थिति में हमें एक बार अवश्य रुक कर अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करना चाहिए।

हमारे उद्देश्यों से मिलवाने के लिए

कुछ लोग भले ही चंद मिनटों के लिए हमारे जीवन में आएं लेकिन उनसे यह छोटी सी मुलाकात ही यह बताने के लिए काफी होती है कि हमारे जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है। ये हमारी आत्मा पर अपना गहरा प्रभाव डालते हैं।

हमें आगे बढ़ाने के लिए

जब हम थक कर बैठ जाते हैं और पूरी तरह हार मान चुके होते हैं तब कोई हमारे जीवन में आता है और हमें एक बार फिर आगे बढ़ने का हौसला दे देता है। हमें फिर से खड़ा कर, हमारे मार्ग पर फिर से चलाकर वह वापिस चला जाता है। इसका अर्थ यही है कि वह हमें यह याद दिलाने आए हैं कि हमारा उद्देश्य हमारे लिए कितना जरूरी है।

जीवन की वास्तविकता

कॉफी शॉप, बस, किसी दुकान, शॉपिंग मॉल, ऐसी ही रैंडम जगहों पर किसी अजनबी से एक मुलाकात और उससे कुछ देर की बात, हमें हमारे जीवन की वास्तविकता से रुबरू करवा देती है।

भविष्य और नियति

जब हम अपने भविष्य और अपनी नियती के लिए तैयार होते हैं तब ब्रह्मांडीय शक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को हमारे जीवन में भेज देती है जो ताउम्र हमारे साथ रहता है। उसका और हमारा जीवन एक दूसरे से हमेशा के लिए जुड़ जाता है, यह कोई दोस्त, कोई परिजन या फिर आपका अपना जीवन साथी भी हो सकता है।

ब्रह्मांडीय ऊर्जा

जितने भी बिंदु हमने आपको बताए क्या आपको भी इनमें से किसी एक का अनुभव हुआ है? क्या आपको भी किसी से मिलने पर ऐसी ही ब्रह्मांडीय ऊर्जा महसूस हुई है? अगर हां तो आप संवेदनशील व्यक्ति है अपनी इस ऊर्जा को पहचाने।
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Wednesday, February 19, 2020

बेसहारा बच्चों को सहारा देने बाल गृह का हुआ शुभारंभ

  •  बाल गृह में सहयोग देंने समाज के लोगों से कलेक्टर ने की अपील 
  •  6 से 18 वर्ष तक के बेसहारा बच्चों को बाल गृह में रखा जायेगा


बालगृह के शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते कलेक्टर।

अरुण सिंह,पन्ना।  जिला मुख्यालय की ङ्क्षसचाई कालोनी में स्थापित बाल गृह का शुभारंभ कलेक्टर कर्मवीर शर्मा एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से वैदिक रीति से पूजन उपरांत फीता काटकर किया गया। इस बाल गृह का संचालन चित्रगुप्त महिला कल्याण एवं बाल विकास समिति द्वारा मध्यप्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस बाल गृह में 6 वर्ष से 18 वर्ष तक के बेसहारा बच्चों को रखा जायेगा। बाल गृह के शुभारंभ अवसर पर कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि इसके सफल संचालन एवं रह रहे बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिये समाज का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज के लोग बाल गृह के संचालन में आवश्यक सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि जिले के लोगों ने कुपोषण को खत्म करने में सक्रिय सहयोग दिया है, आगे भी इसी तरह सहयोग देते रहेंगे।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी उदल सिंह ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुये बताया कि किशोर न्याय नियम 2015 एवं 2016 के तहत यह बाल गृह संचालित किया जा रहा है। इस बाल गृह में अनाथ, बेसहारा, निराश्रित, परित्यकता, गुमशुदा, मानव तस्करी से मुक्त, भिक्षावृत्ति, बाल श्रमिक, असमर्थ माता-पिता, मातृ-पितृ विहीन बच्चों को रखकर उनकी देखरेख, उपचार, शिक्षा, प्रशिक्षण, विकास और पुर्नवास की व्यवस्था की गई है। बाल गृह में रह रहे बच्चों की देखरेख एवं संरक्षण के लिये एक समिति गठित की जायेगी। वह समिति प्रत्येक शनिवार को बाल गृह का निरीक्षण करेगी। जिला स्तर पर बाल संरक्षण समिति माह में एक बार बाल बृह का निरीक्षण करेगी। विशेष न्यायाधीश द्वारा प्रत्येक माह निरीक्षण किया जायेगा। प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड के माह के चौथे बुधवार को निरीक्षण किया जायेगा। सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास माह में दो बार बाल गृह का निरीक्षण किया जायेगा। इसके अलावा समय समय पर नियमानुसार निरीक्षण की व्यवस्था रहेगी। बाल गृह में रह रहे बच्चों को गोद लेने की सुविधा भी उपलब्ध की जायेगी। बाल गृह में रहने वाले प्रत्येक बच्चे को अनमोल बेवसाईट एवं मिसिंग चाइल्ड बेवसाईट पर दर्ज किया जायेगा। प्रत्येक पुलिस थाने में एक बाल कल्याण अधिकारी की नियुक्ति की गई है जो इस बाल संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आने वाले बच्चों के प्रकरणों को देखेंगे। बाल गृह में पुलिस विभाग, चाइल्ड लाईन, श्रम विभाग आदि द्वारा बाल गृहों में बच्चे भेजे जायेंगे। बच्चों को बाल गृह में प्रवेश देने से पहले उनके संबंध में पूरी जांच करने के उपरांत बच्चों को बाल गृह में रखा जायेगा।
इस अवसर पर पृथ्वी ट्रस्ट के अध्यक्ष यूसुफ बेग, जिला पंचायत सदस्य केशव प्रताप सिंह, श्रीमती दिव्यारानी सिंह, मनीष मिश्रा, मीना सिंह यादव, वैभव थापक, दीपक तिवारी, मनीष शर्मा आदि के द्वारा सम्बोधित किया गया। सम्बोधन में इन्होंने जिले में कुपोषण मुक्ति के लिये चलाये जा रहे पोषण संजीवनी अभियान की सराहना की गई। सम्पन्न हुये इस कार्यक्रम में गणमान्य नागरिक, पत्रकारगण, संबंधित अधिकारी/कर्मचारी एवं आमजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त में चित्रगुप्त महिला कल्याण एवं बाल विकास समिति की ओर से शैलेन्द्र निगम द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया।
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अगले 50 सालों में विलुप्त हो जाएंगी एक तिहाई प्रजातियां


क्या अपने गौर किया है कभी आपके चारों तरफ चहचाहती, फुदकती एक छोटी सी गौरैया कहां गुम हो गयी है। दिन प्रतिदिन तापमान में हो रही वृद्धि इसे हमसे दूर करती जा रही है। आज यह चिड़िया सिर्फ कुछ दूर दराज के क्षेत्रों में ही देखने को मिलती है और ऐसा सिर्फ एक चिड़िया के साथ नहीं हो रहा। ऐसी न जाने कितने जीव जंतुओं और पौधों के साथ हो रहा है। यह सभी क्लाइमेट चेंज की भेंट चढ़ते जा रहे हैं।
जैव विविधता को हो रहा यह नुकसान कितना व्यापक है इसका पता यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना के वैज्ञानिकों द्वारा किये अध्ययन से पता चल जाता है। जिनके अनुसार सिर्फ अगले 50 सालों में दुनिया के करीब एक तिहाई पौधों और पशुओं की प्रजातियां खत्म हो जाएंगी। और इन सबके लिए उन्होंने मानव के कारण जलवायु में आ रहे बदलावों को जिम्मेदार माना है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि यदि हम पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल कर लेते हैं तो भी हम 2070 तक 20 फीसदी प्रजातियों को खो देंगे। लेकिन तापमान में इसी तरह बढ़ोतरी होती रहती है तो यह आंकड़ा बढ़कर 33 फीसदी तक जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जो इतने बड़े स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रजातियों पर हो रहे असर को साबित करता है, साथ ही उसके पैटर्न का भी विश्लेषण करता है । यह अध्ययन अंतराष्ट्रीय जर्नल पनास में प्रकाशित हुआ है।
इस शोध में वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के इकोसिस्टम पर पड़ रहे इंसांनी प्रभावों का अध्ययन किया है। साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण खत्म हो रही प्रजातियों और उसकी दर का भी विश्लेषण किया है और भविष्य में क्लाइमेट चेंज का क्या प्रभाव पड़ेगा, उन अनुमानों की भी जांच की है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 581 स्थानों पर करीब 538 प्रजातियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। उन्होंने इसके लिए उन प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिनका कम से कम 10 वर्षों में एक ही स्थान पर अध्ययन किया गया था। साथ ही, शोधकर्ताओं ने वहां के जलवायु सम्बन्धी डेटा का भी विश्लेषण किया हैद्य जिसमें उन्हें पता चला कि 538 प्रजातियों में से 44 फीसदी प्रजातियां पहले ही एक या एक से अधिक स्थानों पर लुप्त हो चुकी है। उनके अनुसार इससे पहले के अध्ययनों में यह अनुमान लगाया गया था कि यदि तापमान में बढ़ोतरी होती है तो ज्यादातर जीव गर्म स्थानों से ठन्डे स्थानों की ओर चले जायेंगे। लेकिन इस नए अध्ययन से पता चला है कि यह प्रजातियां उतनी तेजी से प्रवास करने में सक्षम नहीं होंगी। जितनी तेजी से क्लाइमेट चेंज उनको खत्म करता जायेगा।
उनका मानना है कि हालांकि कुछ प्रजातियां एक निश्चित सीमा तक तो इस गर्मी को बर्दाश्त कर लेंगी। पर तापमान के उससे ज्यादा बढ़ने से उनका भी जीवन मुश्किल हो जायेगा। विश्लेषण के अनुसार यदि तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है तो करीब आधी स्थानीय प्रजातियां नष्ट हो जाएंगी। जबकि तापमान में आने वाली 2.9 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि करीब 95 फीसदी स्थानीय प्रजातियों का अंत कर देंगी। यदि जैव विविधता को होने वाले इतने बड़े नुकसान को रोकना है तो हमें जल्द से जल्द कड़े कदम उठाने होंगे। आज जितना हो सके ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की जरुरत है। और यदि ऐसा नहीं किया गया तो प्रकृति को होने वाला यह नुकसान कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। इससे अकेले वो प्रजातियां ही विलुप्त नहीं होंगी बल्कि इंसानों पर भी उसका गहरा असर पड़ेगा।
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Tuesday, February 18, 2020

सबसे उम्र दराज हथिनी वत्सला की जिंदगी में छाया अंधेरा

  •  आंखों में मोतियाबिंद होने से अब उसको कुछ नहीं दिखता  
  •  शतायु पार कर चुकी वत्सला दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी


दुनिया की सबसे उम्र दराज हथिनी वत्सला की ताजी तस्वीर। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर बन चुकी दुनिया की सबसे उम्र दराज हथिनी वत्सला को अब आंखों से दिखना बंद हो गया है। वत्सला की आंखों में मोतियाबिंद हो जाने के चलते यह स्थिति निर्मित हुई है। जिससे उसकी जिंदगी में अब अंधेरा छा गया है। अपनी जिंदगी के बेहद कठिन दौर से गुजर रही इस हथिनी को अब सिर्फ हाथियों के कुनबे का सहारा है, क्योंकि उसकी आंखों का इलाज संभव नहीं है। पन्ना टाइगर रिजर्व के हांथियों का पूरा कुनबा परिवार के इस सबसे बुजुर्ग सदस्य की पूरी देखरेख करते हैं। हाथियों के सहारे ही वत्सला अब  जंगल भ्रमण में जा पाती है।
 पिछले दो दशक से भी अधिक समय से वत्सला की सेहत पर नजर रखने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि वत्सला की उम्र 100 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है, जिसका असर उसके शरीर व अंगों पर पड़ने लगा है। डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि वत्सला की आंखों में मोतियाबिंद ( कैट्रेक्ट ) हो चुका है जिसके कारण उसे अब कुछ भी दिखाई नहीं देता। आपने बताया कि हाथियों की आंखों का लेंस अभी तक नहीं बन पाया है इसलिए वत्सला की आंखों का इलाज संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथियों के कुनबे की मदद लेकर ही उसे अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी। डॉ. गुप्ता के मुताबिक पार्क प्रबंधन द्वारा भी हथनी वत्सला की पूरी देखरेख की जा रही है। उसे सुगमता से पचने वाला आहार दिया जाता है साथ ही नियमित रूप से उसके स्वास्थ्य का परीक्षण भी होता है।

वत्सला दो बार दे चुकी है मौत को चकमा

 दुनिया की इस सबसे उम्र दराज हथनी की जिंदगी जितनी लंबी है उतनी ही रहस्यपूर्ण और रोमांच व दिल दहला देने वाली घटनाओं से भरी हुई है। यह हथनी अपनी जिंदगी में दो बार मौत को भी चकमा देने में कामयाब हो चुकी है। डॉक्टर संजीव गुप्ता बताते हैं कि टाइगर रिजर्व के ही एक नर हाथी राम बहादुर ने वर्ष 2003 और 2008 में प्राणघातक हमला कर वत्सला को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। मदमस्त नर हाथी ने दांतों से प्रहार कर वत्सला का पेट चीर दिया था लेकिन बेहतर उपचार और सेवा से इस बुजुर्ग हथिनी को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया गया। मौजूदा समय यह हथिनी देसी व विदेशी पर्यटकों के लिए जहां आकर्षण का केंद्र है, वहीं पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए भी किसी धरोहर से कम नहीं है।
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Monday, February 17, 2020

कान्हा से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व रवाना किये गये 13 बारासिंघा


भोपाल। कान्हा नेशनल पार्क के क्षेत्र संचालक श्री एल. कृष्णमूर्ति के नेतृत्व में कैप्चर प्रक्रिया द्वारा 16 फरवरी को कान्हा स्थित बारासिंघा बाड़े से 13 बारासिंघा (11 मादा एवं 2 नर) सफलतापूर्वक सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, होशंगाबाद की ओर रवाना किये गये। कैप्चर ऑपरेशन में कान्हा टाइगर रिजर्व एवं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अधिकारियों-कर्मचारियों तथा वन्य-प्राणी विशेषज्ञों ने भाग लिया।
राज्य पशु बारासिंघा को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ट्रांसलोकेशन के लिये भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश शासन द्वारा अनुमति दी गई है। अधिकारियों तथा विषय-विशेषज्ञों द्वारा 15 फरवरी को बारासिंघा कैप्चर के लिये विशेष रूप से निर्मित बोमा का निरीक्षण किया गया और बारासिंघा की रणनीति तैयार की गई। इसके पूर्व भी 33 बारासिंघा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व शिफ्ट किये जा चुके हैं। बारासिंघा को विशेष रूप से निर्मित परिवहन ट्रक में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से वन्य-प्राणी चिकित्सक एवं उनकी टीम की देख-रेख में रवाना किया गया।
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Sunday, February 16, 2020

ग्रामीण अब करने लगे जंगल और वन्य जीवों की सुरक्षा

  •   पन्ना में साकार हो रहा जनभागीदारी से बाघ संरक्षण का नारा
  •   वन क्षेत्र से लगे ग्रामों में चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान


 जरधोवा गाँव के ग्रामीणों को समझाईश देते हुये वन अधिकारी।

अरुण सिंह,पन्ना। जंगल व वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में एक अभिनव पहल शुरू की गई है, जिसका असर वन क्षेत्र से लगे ग्रामों में नजर आने लगा है। अब ग्रामीण खुद आगे आकर वन व वन्य प्राणियों की सुरक्षा हेतु अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। ऐसा संभव हुआ है वन क्षेत्र के तकरीबन डेढ़ दर्जन ग्रामों में पार्क प्रबंधन द्वारा जागरूकता अभियान चलाने से, जिससे प्रेरित होकर ग्रामवासी जनसमर्थन से बाघ संरक्षण के नारे को पन्ना में साकार कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में यहां के बाघ अपने लिये इलाके की खोज करने के लिये कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर क्षेत्र में भी जाने लगे हैं। इन परिस्थितियों के मद्देनजर बफर क्षेत्र में विचरण करने वाले बाघों की सुरक्षा पार्क प्रबंधन के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आई है। इस चुनौती से निपटने के लिये पार्क प्रबंधन ने जनभागीदारी से बाघ संरक्षण की सोच को मूर्त रूप देने के लिये अभिनव पहल शुरू की है। इसके तहत वन क्षेत्र से लगे ग्रामों में जागरूकता अभियान चलाने के साथ-साथ ग्रामीणों को पार्क का भ्रमण कराकर उन्हें जंगल की महत्ता व वन्य प्राणियों की उपयोगिता के बारे में बताया जा रहा है। जंगल से वन क्षेत्र के लोगों को क्या लाभ होता है तथा जंगल न होने की स्थिति में उनके जीवन पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा, इस बात को भी उन्हें बड़े ही प्रभावी तरीके से बताया जा रहा है। पार्क प्रबंधन की इस पहल से वन क्षेत्र में निवास करने वाले लोग स्वप्रेरणा से जंगल की सुरक्षा करने लगे हैं।
वन क्षेत्र से लगे ग्राम जरधोवा के ग्रामीणों को जिनमें पुरूष व महिलायें भी शामिल थीं, रविवार को उन्हें जंगल की सैर कराई गई। इसके साथ ही हिनौता प्रवेश द्वार के निकट इन ग्रामवासियों को प्रजेन्टेशन के माध्यम से वन व वन्य जीवों के महत्व से अवगत कराया गया। इस जागरूकता शिविर में सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी शहवाज अहमद मुख्य रूप से उपस्थित रहे। आप पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक भी रह चुके हैं। इस शिविर में पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बड़े ही रोचक तरीके से ग्रामीणों को महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया और उनसे कहा कि जंगल को कटने व शिकार की घटनाओं पर रोक लगाने के साथ-साथ हमें आग से भी जंगल को बचाना है। श्री भदौरिया ने ग्रामीणों से हाँथ उठाकर यह शपथ भी दिलाई कि वे अब न तो पेड़ काटेंगे और न ही काटने देंगे। ग्रामीणों ने कहा कि महुआ सीजन में वे अब जंगल में आग नहीं लगायेंगे, यदि किन्हीं कारणों से आग लगती भी है तो उसे तुरन्त बुझाने का पूरा प्रयास करेंगे। भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे श्री अहमद ने भी ग्रामीणों को वन व वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु भागीदारी निभाने के लिये प्रेरित किया। इस मौके पर जागरूकता अभियान में मुख्य भूमिका निभाने वाले इन्द्रभान सिंह बुन्देला, अजय चौरसिया के अलावा वन अधिकारी, पत्रकार व ग्रामीण जन उपस्थित रहे।
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नकली सोना बेचकर ठगी करने वाले गिरोह का हुआ भंडाफोड़

  •   नौ आरोपी हुये गिरफ्तार, गिरोह में 3 महिलायें भी शामिल 
  •   म.प्र. से लेकर उत्तर प्रदेश व गुजरात तक फैले थे ठगों के तार


आयोजित प्रेसवार्ता में जानकारी देते पुलिस अधीक्षक तथा गिरफ्तार हुये आरोपीगण।

अरुण सिंह,पन्ना। अंतर्राज्यीय ठग गिरोह का भंडाफोड़ करने में पन्ना पुलिस को महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है। इस शातिर गिरोह के 9 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें 3 महिलायें भी शामिल हैं। नकली सोना बेंच कर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले इस गिरोह के कब्जे से पन्ना पुलिस ने 80 हजार रू. नगद, 18 सोने की गुरिया, आठ चांदी के सिक्के, एक चाँदी का पेंडल तथा लगभग 2 किग्रा नकली सोना बरामद किया है।
पुलिस अधीक्षक पन्ना मयंक अवस्थी ने प्रेसवार्ता में जानकारी देते हुये आज बताया कि इस गिरोह ने लखन लाल कुशवाहा निवासी जनवार थाना कोतवाली पन्ना के साथ ठगी की वारदात घटित की थी। फरियादी की रिपोर्ट पर पुलिस ने थाना कोतवाली में मामला कायम कर विवेचना शुरू की। वारदात की गंभीरता को देखते हुये एक पुलिस टीम का गठन भी किया गया। सीसीटीवी से आरोपियों के संबंध में मिले सुराग के आधार पर 16 फरवरी 2020 को इन ठगों को रानीबाग पन्ना के पास घेराबंदी करके पकड़ा गया है।
मामले के संबंध में दी गई जानकारी के मुताबिक गत 14 फरवरी को फरियादी लखनलाल कुशवाहा पिता रामचरण कुशवाहा उम्र 60 साल निवासी जनवार थाना कोतवाली पन्ना में आकर रिपोर्ट किया कि मंै 24 जनवरी 2020 को सुबह 10 बजे अपनी सब्जी भाजी की दुकान लगाये बैठा था। तभी एक व्यक्ति मेरी दुकान में आया और मुझसे बोला कि दादा मैं बिहार का रहने वाला हूँ । जिला अस्पताल पन्ना मे मिस्त्रीगिरी का काम करता हूँ। अस्पताल मे नींव खोदते समय मुझे गले का सोने का हार वजनी  करीब  आधा किलो का मिला है। मुझसे बोला कि दादा मुझे अपनी बच्ची की शादी करना है मुझे पैसे की आवश्यकता है तो तुम मुझसे हार गिरवी रख लो या खरीद लो। इतनी बात हुई और वह चला गया । फिर दूसरे दिन वह व्यक्ति आकर एक पोटरी निकालकर खोल कर दिखाया कि यह  हार सोने का, उसी पोटरी में से दो गुरिया निकाले जो सोने जैसे चमक रहे थे। फिर उसका मामा मुझसे बोला कि जाओ सोनी को चैक करा लो कि गुरिया असली है या नकली। उस व्यक्ति ने मुझे अपना मोबाइल नं. 9084784800 दिया और मुझसे बोला कि चैक करा के आओ तो मुझे फोन कर लेना । तब मैने सोनी को चैक कराया तो वह असली सोना निकला ।
इसके बाद 26 जनवरी को मैने उसको फोन लगाया तो उसने कहा कि दादा मेरी लड़की की शादी है कन्यादान लेना है तुम सोमवार को देवेन्द्रनगर आ जाना और एक सोने का हार, एक करधौनी और 2 लाख रू. लेते आना। फिर दूसरे दिन मैं और मेरा लड़का मनमोहन एक सोने का हार और एक चाँदी का डोरा करीब डेढ़ पाव का और करीब 2 लाख रू. लेकर मोटर साइकिल से  बस स्टैण्ड देवेन्द्रनगर पहुँचा। वहां पर दोनों व्यक्ति देवेन्द्रनगर बस स्टैण्ड पर मिले तब मैने उस व्यक्ति को 2 लाख रू. दिये और एक सोने का हार वजनी करीब सवा तोला का और एक चाँदी  का डोरा वजनी करीब एक पाव  उस व्यक्ति को दिया तो  उस व्यक्ति ने मुझे एक हार दिया फिर हम दोनों हार लेकर अपने घर आये। उसी दिन पन्ना में सोनी की दुकान पर करीब शाम 4 बजे हार को चैक कराया तो सोनी ने कहा कि यह हार तो तांबे का है। मैने उस व्यक्ति को शाम करीब 5 बजे फोन लगाया तो उस व्यक्ति का फोन बंद बता रहा था। उन व्यक्तियो को कुछ दिन तक सकरिया, देवेन्द्रनगर में तलाश करते रहे जब नहीं मिले तब मुझे पता चला कि उन लोगों के द्वारा मेरे साथ धोखाधङी की गई है। फरियादी की रिपोर्ट पर थाना कोतवाली मे अपराध क्रं. 169/2020 धारा 420 भादंवि का कायम किया जाकर विवेचना मे लिया गया।

आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु गठित की गई पुलिस टीम

उक्त मामले की सूचना थाना प्रभारी कोतवाली पन्ना द्वारा तत्काल वरिष्ठ अधिकारियो को दी गई। मामले की गंभीरता को देखते हुये पुलिस अधीक्षक पन्ना मयंक अवस्थी के निर्देशन ,अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बी.के. एस. परिहार एवं अनुविभागीय अधिकारी आर.एस. रावत के मार्गदर्शन एवं थाना प्रभारी कोतवाली के नेतृत्व मे तत्काल एक पुलिस टीम का गठन किया गया। उक्त पुलिस टीम द्वारा तत्परता पूर्वक अपने मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया गया एवं घटना दिनांक के सीसीटीव्ही फु टेज को खंगाला गया। उक्त दोनो व्यक्तियो की सीसीटीव्ही के माध्यम फ ोटो प्राप्त की जाकर संबंधित व्यक्तियों की खोज पन्ना, सकरिया, देवेन्द्रनगर, बृजपुर, मड़ला अजयगढ़ एवं आस-पास के कस्बों व गाँवो में की गई। शनिवार 16 फरवरी को मुखबिर द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि  उक्त हुलिया के व्यक्ति  रानीबाग पन्ना तरफ  घूम रहे हंै। मुखबिर की सूचना पर तत्काल थाना प्रभारी कोतवाली हरिसिहं ठाकुर द्वारा टीम को रवाना किया गया। उक्त टीम के द्वारा सीसीटीव्ही फुटेज जैसे व्यक्ति देखे गये  जिन्हें टीम के द्वारा घेराबन्दी कर पकङा गया। इनका नाम पता पूछे जाने पर उन्होंने अपना-अपना नाम क्रमश: शंकर लाल पिता राजाराम राय उम्र 48 साल निवासी आवास विकाश कालोनी थाना सिकंदरा जिला आगरा, शंकर राय पिता बीरचन्द्र राय उम्र 34 साल निवासी मल्लपुरा आगरा, मंगल राम पिता तेजराम राय उम्र 42 साल निवासी आवास विकाश कालोनी सिकंदरा जिला आगरा, अर्जुन राय पिता शंकर राय उम्र 20 साल निवासी आवास विकाश कालोनी सिकंदरा जिला आगरा, अर्जुन सिलवट पिता धुला सिलवट उम्र 26 साल निवासी गुलाब बाई कालोनी नागदा जिला उज्जैन, रामलाल राय पिता धूरा लाल राय उम्र 44 साल निवासी बदरीकूठ थाना बसरीहर जिला इटावा उ.प्र., श्रीमति टीना राय  पति मंगल राय उम्र 40 साल निवासी आवास विकाश कालोनी सिकंदरा जिला आगरा, श्रीमती राजू देवी राय पति राम लाल राय उम्र 42 साल निवासी बदरीकूठ थाना बसरीहर जिला इटावा उ.प्र. एवं श्रीमति नूतन सोलंकी पति हेमराज सोलंकी उम्र 25 साल निवासी खोडिय़ा नगर अहमदाबाद गुजरात का बताया।

पन्ना के अलावा कई जिलों में की है ठगी की वारदात

गिरफ्तार हुये आरोपियों से घटना के संबंध में कड़ाई से पूछताछ  करने पर उन्होंने घटना कारित करना स्वीकार किया। आरोपीगणों के द्वारा मेमोरण्डम में बताया गया कि उक्त घटना में हेमराज सोंलकी पिता कप्तान सोंलकी उम्र 35 साल निवासी ग्राम करारी जिला झाँसी उ.प्र. भी शामिल है जिसे शीघ्र गिरफ्तार किया जायेगा। उक्त आरोपीगणों के द्वारा पूछताछ पर सतना, रीवा, जबलपुर, कटनी, इलाहाबाद  जिलों में इस तरीके की वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया गया है। उक्त आरोपीगणों को बाद गिरफ्तारी न्यायालय में पेश किया जाकर पुलिस रिमाण्ड पर लेते हुये पूछताछ की जा रही है, जिनसे और भी कई खुलासे होने की संभावना है। उक्त सम्पूर्ण कार्यवाही में  निरीक्षक हरिसिंह ठाकुर, उपनिरी. एन.पी. पटेल, बलवीर सिंह, सउनि. कस्तूरी बाई, प्र.आर. रामकष्ण पाण्डे, शिवेन्द्र सिंह, प्रेमलाल पाण्डे, आर. राजेश सिंह, लक्ष्मीनारायण यादव, राजीव, बृह्मदत्त, प्रदीप, रामपाल, महिला आर. किरन, सीतू सिंह, मीना अहिरवार व साईबर सेल पन्ना  से आर. नीरज रैकवार, आशीष अवस्थी, धर्मेन्द्र राजावत का सराहनीय योगदान रहा। पुलिस अधीक्षक पन्ना के द्वारा उक्त टीम को नगद पुरूस्कार देने की घोषणा की गई है।
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Saturday, February 15, 2020

खजुराहो सांसद वी.डी. शर्मा बने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष

  •   पन्ना पहुँचने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने किया स्वागत
  •   भगवान श्री जुगल किशोर मन्दिर पहुँचकर टेका माथा


 श्री जुगल किशोर मन्दिर पन्ना में प्रार्थना करते वी.डी. शर्मा।

अरुण सिंह,पन्ना। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान खजुराहो सांसद वी.डी. शर्मा को सौंपकर यह जता दिया है कि भाजपा घिसे पिटे मोहरों पर दाँव लगाने के बजाय नये, ऊर्जावान और युवा चेहरों को बड़ी जवाबदारी सौंपने में हिचकिचाती नहीं है। शनिवार को जैसे ही सांसद श्री शर्मा के नाम की अधिकृत रूप से घोषणा हुई, समूचे संसदीय क्षेत्र सहित पन्ना जिले के पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई। मूलत: संगठन से जुड़े श्री शर्मा की छवि निर्दाग और एक जुझारू कार्यकर्ता की है, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि वे संगठन में नई ऊर्जा का संचार कर उसे और मजबूती प्रदान करने में सफल होंगे।
उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर विगत कई महीनों से कयासों और अनुमानों का दौर चल रहा था। इस अहम पद के लिये कई दिग्गजों के नाम चर्चा में थे, लेकिन भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने सारे अनुमानों को झुठलाते हुये जो नाम घोषित किया है, उसने भाजपा के नेताओं सहित कांग्रेसियों को भी चौंका दिया है। इस घोषणा से भाजपा के शीर्ष नेताओं सहित पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी जहां उत्साह का संचार हुआ है वहीं उनकी खुशी साफ जाहिर भी हो रही है। श्री शर्मा अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे राकेश सिंह की जगह लेकर संगठन की कमान संभालेंगे। मालुम हो कि वी.डी. शर्मा मूलत: म.प्र. के मुरैना जिले के निवासी हैं तथा पिछले लगभग 32 वर्षों से लगातार सक्रिय राजनीति में हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के वे जुझारू स्वयं सेवक रहे हैं। मौजूदा समय आप भाजपा म.प्र. के महामंत्री थे। माना जा रहा है कि श्री शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष बनने से भाजपा प्रदेश में मजबूत होगी। बुन्देलखण्ड व विन्ध्य सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी इनका जमीनी सम्पर्क व प्रभाव है। नये प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि हम प्रदेश के विकास के लिये सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता को पार्टी आला कमान ने जिम्मेदारी सौंपी है इसके लिये मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।

पन्ना में फूटे पटाखे और मिठाईयां बँटी


 नये प्रदेश अध्यक्ष के पन्ना पहुँचने पर पार्टी कार्यकर्ता खुशी मनाते हुये।
पन्ना-खजुराहो संसदीय क्षेत्र के सांसद वी.डी. शर्मा के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने की खबर मिलते ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने खुशी का इज़हार करते हुये शहर के गाँधी चौक में जमकर पटाखे फोड़े और मिठाई बाँटी। श्री शर्मा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद आज शाम जैसे ही पन्ना पहुँचे उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। सर्किट हाऊस में आप पार्टी कार्यकर्ताओं व पत्रकारों से भी मिले और चर्चा की। शाम को लगभग 7 बजे श्री शर्मा ने भगवान श्री जुगल किशोरजी मन्दिर पहुँचकर माथा टेका और जुगल किशोरजी से आशीर्वाद प्राप्त किया।
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Friday, February 14, 2020

पन्ना की बाघिन का चित्रकूट के जंगल में हुआ रेडियो कॉलर

  •  बाघिन पी-213(22) चार वर्ष पूर्व यहाँ के जंगल में दी थी दस्तक
  •  तीन बार शावकों को जन्म देकर चित्रकूट के जंगल को किया आबाद


बाघिन को बेहोश कर रेडियो कॉलर पहनाने की कार्यवाही पूरी करती पन्ना की रेस्क्यू टीम। 

अरुण सिंह, पन्ना। बाघों की नर्सरी के रूप में विख्यात हो चुके मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में जन्मे बाघ बुंदेलखंड सहित विंध्य क्षेत्र के जंगलों को भी आबाद कर रहे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व में 6 वर्ष पूर्व दिसंबर 2013 में जन्मी बाघिन पी-213(22) युवा होने पर अपने लिए नए घर की तलाश करते हुए 24 नवंबर 2015 को पन्ना कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर चित्रकूट के जंगल में दस्तक दी थी। तभी से यह बाघिन वन मंडल सतना के वन परिक्षेत्र मझगवां अंतर्गत सरभंगा के जंगल को अपना ठिकाना बनाए हुए है। यहीं पर शुक्रवार 14 फरवरी को दोपहर में पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता के तकनीकी मार्गदर्शन व वन मंडलाधिकारी सतना राजीव मिश्रा की मौजूदगी में पन्ना की रेस्क्यू टीम द्वारा बाघिन को रेडियो कालर पहनाया गया।
मालुम हो कि चित्रकूट के जंगल को अपना ठिकाना बना चुकी इस बाघिन की बहन पी-213(32) को भी हाल ही में 11 फरवरी को रेडियो कॉलर किया गया है। यह बाघिन अपने चार शावकों के साथ पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर क्षेत्र में आबादी वाले इलाकों में विचरण कर रही थी। यह बाघिन मवेशियों का शिकार भी कर रही है, जिससे सुरक्षा को ध्यान में रखकर इसे रेडियो कॉलर किया गया है। इसके ठीक तीन दिन बाद पीटीआर के वन्य प्राणी चिकित्सक व रेस्क्यू टीम द्वारा पन्ना में ही जन्मी बाघिन को चित्रकूट के जंगल में घने लेंटाना के बीच बेहोश कर उसे सफलता पूर्वक रेडियो कॉलर पहनाया गया है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बाघिन पी-213 (22) जब पन्ना टाइगर रिजर्व में थी, उस समय अक्टूबर 2015 में उसे रेडियो कॉलर पहनाया गया था। अब यह रेडियो कॉलर खराब होने की स्थिति में था। सिग्नल सिर्फ डेढ़ सौ मीटर तक ही मिल पा रहे थे जबकि अच्छी स्थिति में रेडियो कॉलर का सिग्नल 3 किलोमीटर के रेंज में मिलता है। इस स्थिति में बाघिन की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए इसका रेडियो कॉलर बदलना जरूरी हो गया था।

चार हांथियों की ली गई मदद

बाघिन पी- 213 (22) का रेडियो कॉलर बदलने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व के चार प्रशिक्षित हाथियों तथा 8 महावतों की मदद ली गई। दोपहर 1:45 बजे वन प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव गुप्ता ने बाघिन को ट्रेंकुलाइज गन से डांट लगा कर बेहोश किया और 45 मिनट के अंदर ही रेडियो कॉलर बदलने की कार्यवाही पूरी कर ली गई। इस मौके पर सतना डीएफओ राजीव मिश्रा, एसडीयो, रेंजर व वन कर्मियों के अलावा  पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम  मौजूद रही। पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथी गणेश, केनकली, वन्या व अनंति ने भी इस पूरी कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

दिसम्बर 2013 में जन्मी थी यह बाघिन

पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना की सफलतम रानी कही जाने वाली कान्हा की बाघिन टी-2 ने पी-213 को अक्टूबर 2010 में जन्म दिया था। इस बाघिन ने नर बाघ पी-111 से जोड़ा बनाकर दिसंबर 2013 में चार शावकों को जन्म दिया। जिनमें तीन मादा व एक नर शावक था। इन्हीं तीन मादा शावकों में से एक बाघिन पी- 213 (22) है जिसने चित्रकूट के जंगल को न सिर्फ अपना ठिकाना बनाया अपितु यहां पर तीन बार शावकों को जन्म देकर यहां के जंगल को बाघों से आबाद भी किया है। मौजूदा समय इस वन क्षेत्र में बाघिन पी-213(22) सहित कुल 9 बाघ विचरण कर रहे हैं।
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विश्व में पहली बार मध्यप्रदेश में हुई पैंगोलिन की रेडियो टेगिंग

  • दुर्लभ वन्य जीव पैंगोलिन मध्यप्रदेश में लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल
  • पैंगोलिन की रेडियों टेंगिग कर आवास स्थलों व दिनचर्या का होगा अध्ययन
  • वन विभाग और वाईल्ड लाईफ कजंर्वेशन ट्रस्ट की अभिनव पहल 




मध्यप्रदेश ने अति लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल भारतीय पैंगोलिन के संरक्षण के लिए विशेष पहल की है। वन विभाग और वाईल्ड लाईफ कजंर्वेशन ट्रस्ट ने भारतीय पैंगोलिन की पारिस्थितिकी को समझने और उसके प्रभावी संरक्षण के लिए एक संयुक्त परियोजना शुरू की है। इस परियोजना में कुछ पैंगोलिन की रेडियों टेंगिग कर उनके क्रियाकलापों, आवास स्थलों, दिनचर्या आदि का गहन अध्ययन किया जा रहा है। दो भारतीय पैंगोलिन का जंगल में सफल पुर्नवास किया गया है। रेडियो टेगिंग की मदद से इन लुप्तप्राय प्रजाति के पैंगोलिन की टेलिमेट्री के माध्यम से सतत निगरानी की जा रही हैं। इस प्रयोग से पैंगोलिन के संरक्षण और आबादी बढ़ाने में मदद मिलेगी। पूरे विश्व में चिंताजनक रूप से पैंगोलिन की संख्या में 50 से 80 प्रतिशत की कमी आई है।

एस.टी.एस.एफ. ने किया 11 राज्यों में शिकार और तस्करी का भांड़ा फोड़


मध्यप्रदेश की पहचान हमेशा से ही वन्य जीव प्रबंधन में अनूठे और नये प्रयासों के लिए रही है। वन्य प्राणी सुरक्षा के लिए प्रदेश में गठित विशिष्ट इकाई एस.टी.एस.एफ ने सभी वन्यप्राणी विशेषकर पैंगोलिन के अवैध शिकार पर और व्यापार को नियंत्रित करने के कारगर प्रयास किये हैं। एस.टी.एस.एफ. ने पिछले कुछ सालों में 11 से अधिक राज्यों के पैंगोलिन के शिकार और तस्करी में शामिल गुटों का सफलता पूर्वक भांडा फोड़ किया है।

चीन और दक्षिण एशियाई देशों में कवच और मांस की भारी मांग


पैंगोलिन विश्व में सर्वाधिक तस्करी की जाने वाली प्रजाति है। सामान्यतरू परतदार चींटी खोर के नाम जाने वाले ऐसे दंतहीन प्राणी हैं जो वन्यप्राणी जगत में अद्वितीय होने के साथ लाखों वर्षों के विकास का परिणाम हैं। पैंगोलिन अपने बचाव के रूप में इस परतदार कवच का उपयोग करता है। यही सुरक्षा कवच आज उसके विलुप्ति का कारण बन गया है। परम्परागत चीनी दवाईयों में इनके कवच की भारी मांग इनके शिकार का मुख्य कारण है। चीन और दक्षिण एशियाई देशों में इनके कवच और मांस की भारी मांग है। इससे वैश्विक रूप से पैंगोलिन प्रजाति की संख्या में तीव्र कमी आई है।

पैंगोलिन की 8 प्रजातियों मे से 2 भारत में

पैंगोलिन की आठ प्रजातियों में से एक भारतीय एवं चीनी पैंगोलिन भारत में पाए जाते हैं। चीनी पैंगोलिन उत्तर पूर्वी भारत और भारतीय पैंगोलिन अत्यधिक शुष्क क्षेत्र, हिमालय ओर उत्तर पूर्वी भारत के अलावा सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। भारतीय पैंगोलिन भारत के अलावा श्रीलंका, बाँग्लादेश और पाकिस्तान में भी पाया जाता है। दोनों प्रजातियों को वन्यजीव (संरक्षण)अधिनियम की अनुसूची- एक में संरक्षण प्राप्त है।
निशाचर प्रजाति होने के कारण भारतीय पैंगोलिन के व्यवहार और पारिस्थितिकी के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रभावशील संरक्षण योजना और विकास के लिए उनकी पारिस्थितिकी जानना अति महत्वपूर्ण है। मध्यप्रदेश वन विभाग और वाइल्ड लाईफ कंजर्वेशन ट्रस्ट रेस्क्यू किये गये पैंगोलिन में से 6 की रेडियों टेगिंग कर अध्ययन करेगा। इससे लुप्तप्राय प्रजाति की जनसंख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी। विश्व पैंगोलिंन दिवस फरवरी माह के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है। इस अंतर्राष्ट्रीय प्रयास से पैंगोलिन प्रजाति के बारे में जागरूकता बढ़ती है और विभिन्न स्टाक होल्डरों को एकत्र कर संरक्षण प्रयासों को गति दी जाती है।
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Thursday, February 13, 2020

वन अमले ने अवैध हीरा खदानों पर फिर मारा छापा

  •   विश्रामगंज परिक्षेत्र के सरकोहा बीट में हुई कार्यवाही
  •   डीजल पम्प सहित सामग्री जब्त, आरोपी मौके से फरार


 खदानों से जब्त हुई सामग्री के साथ वन अमला।

अरुण सिंह,पन्ना। वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से संचालित हो रही उथली हीरा खदानों पर रोक लगाने के लिये वन अमले द्वारा छापामार अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत गुरूवार 13 फरवरी को वन परिक्षेत्र विश्रामगंज के अन्तर्गत सरकोहा बीट के कक्ष क्र. पी-333 में चल रही हीरा खदानों में छापा मारा गया। इस कार्यवाही में मौके से एक डीजल पम्प सहित उत्खनन में उपयोग होने वाले फावड़े, गेंती, झूमरा, रम्भा, डिलेवरी पाईप व लोहे की छन्नी आदि जब्त कर वन अपराध प्रकरण क्र. 153/25 दिनांक 13.02.2020 पंजीबद्ध किया गया है। वन अमले के वहां पहुँचते ही उत्खनन कार्य में लगे लोग मौके से फरार हो गये हैं।
उप वन मण्डलाधिकारी विश्रामगंज नरेन्द्र सिंह परिहार ने जानकारी देते हुये बताया कि सरकोहा क्षेत्र में अवैध रूप से हीरा की खदानें संचालित होने की जानकारी प्राप्त होने पर छापामार कार्यवाही हेतु टीम का गठन किया गया। गठित टीम द्वारा वन परिक्षेत्राधिकारी विश्रामगंज अजय बाजपेयी के नेतृत्व में छापामार कार्यवाही की गई लेकिन आरोपी मौके से भागने में सफल हो गये। मालुम हो कि विश्रामगंज वन परिक्षेत्र के कई इलाकों में हीरा पाया जाता है। चूँकि राजस्व क्षेत्र में अब हीरा धारित क्षेत्र कम ही बचा है, ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में लोग चोरी-छिपे वन क्षेत्र में हीरा खदानें चलाते हैं। मौजूदा समय सबसे ज्यादा अवैध हीरा खदानें सरकोहा बीट में ही चल रही हैं। यही वजह है कि चल रहे इस अवैध उत्खनन पर प्रभावी रोक लगाने के लिये छापामार अभियान शुरू किया गया है।

विश्रामगंज वन परिक्षेत्र के सरकोहा बीट में हुये अवैध उत्खनन का नजारा। 
वन परिक्षेत्राधिकारी विश्रामगंज अजय बाजपेयी ने बताया कि अवैध हीरा खदान चलाने वाले लोगों का मजबूत नेटवर्क है। वे लोग हर समय वन अधिकारियों की गतिविधियों पर चौकस नजर रखते हैं। हम लोग मुख्यालय से जैसे ही निकलते हैं खदान क्षेत्र में सूचना पहुँच जाती है। श्री बाजपेयी ने बताया कि अब हमने भी यह ठान लिया है कि वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जायेगा। अवैध रूप से हीरा खदान चलाने वाले लोगों से निपटने के लिये विशेष रणनीति बनाई जा रही है जिसका असर जल्दी ही दिखने लगेगा। इस छापामार कार्यवाही से पूर्व विश्रामगंज वन परिक्षेत्र के ही पुरूषोत्तमपुर बीट में विगत 7 फरवरी को छापा मारा गया था। यहां भी 3 नग डीजल पम्प सहित बड़ी मात्रा में उत्खनन कार्य में उपयोग होने वाली सामग्री जब्त की गई थी। लेकिन छापामार दल के हत्थे पुरूषोत्तमपुर में भी एक भी आरोपी नहीं चढ़ सका। एक हफ्ते के भीतर यह दूसरी छापामार कार्यवाही है जिसमें सामान तो जब्त हुआ लेकिन आरोपी भाग निकले हैं। वन विभाग के इस छापामार अभियान से अवैध हीरा खदान चलाने वाले अब सशंकित जरूर हो गये हैं। यदि अभियान इसी तरह जारी रहा तो अवैध हीरा उत्खनन सहित वनों की होने वाली कटाई में भी अंकुश लगेगा। इस पूरी कार्यवाही में वन परिक्षेत्राधिकारी अजय बाजपेयी के अलावा शेख महबूव परिक्षेत्र सहायक रानीपुर, काशी प्रसाद अहिरवार परिक्षेत्र सहायक माझा, कमलेश विश्वकर्मा वनरक्षक, अरूण ज्योति भौमिक, भागीलाल पटेल, मुकेश रैकवार, अमान सिंह , शिवबहादुर बागरी एवं सुरक्षा श्रमिक व चालक चन्द्रभान सिंह का विशेष योगदान रहा।
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Wednesday, February 12, 2020

पन्ना में फिर पलटी यात्री बस, एक मृत 25 घायल

  •   जिले में नहीं थम रहा रफ्तार का कहर
  •   पन्ना-सतना मार्ग पर मोहनगढ़ी के पास की घटना
  •   48 घण्टे के भीतर यह दूसरा बड़ा सड़क हादसा


पन्ना-सतना मार्ग पर मोहनगढी के पास  घटना स्थल जहां पर यात्री बस पलटी।

अरुण सिंह, पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में रफ्तार का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। 48 घण्टे के भीतर बुधवार को फिर बड़ा हादसा घटित हुआ है, जिसमें एक यात्री की जहां मौके पर ही दर्दनाक मौत हुई है, वहीं इस हादसे में दो दर्जन से भी अधिक यात्री घायल हुये हैं। यह भयावह हादसा सुबह तकरीबन 11 बजे पन्ना-सतना मार्ग पर मोहनगढ़ी के पास उस समय घटित हुआ, जब यात्रियों से खचाखच भरी बस अचानक अनियंत्रित हुई और हिचकोले खाते हुये पलट गई। बस के पलटने पर घटना स्थल में कोहराम मच गया। लहूलुहान यात्रियों को पुलिस तथा मौके पर पहुँचे स्थानीय लोगों की मदद से जिला अस्पताल पहुँचाया गया, जहां घायलों का इलाज चल रहा है।
 लहूलुहान महिला यात्री।
हादसे के संबंध में पुलिस तथा बस में सवार रहे यात्रियों से मिली जानकारी के मुताबिक प्राची कोच की यात्री बस क्र. एमपी-09एफए-1377 छतरपुर से सतना जा रही थी। बस की सीटें पूरी भरी हुई थीं तथा कुछ यात्री खड़े भी थे। पन्ना से यह बस लगभग 10:30 बजे रवाना हुई और पन्ना-सतना मार्ग पर बमुश्किल 7 किमी ही चली होगी और मोहनगढ़ी मोड़ पर जाकर पलट गई। यात्रियों के मुताबिक ड्राइबर लापरवाहीपूर्वक तेज गति से बस चला रहा था। मोड़ में तेज रफ्तार यह बस जब अनियंत्रित हुई तो ड्राइवर संभाल नहीं पाया और  यात्रियों से भरी बस पलटी खा गई। हादसे में श्रीराम कुशवाहा निवासी छतरपुर की मौत हुई है। घटना की खबर मिलते ही पन्ना से एडिशनल एसपी बी.के.एस. परिहार, रक्षित निरीक्षक देविका सिंह , यातायात प्रभारी नीतू ठाकुर, नगर निरीक्षक हरिसिंह ठाकुर सहित पुलिस बल पहुँच गया। फलस्वरूप 100 डायल की मदद से घायलों को जिला चिकित्सालय पन्ना पहुँचाया गया। घायल हुये यात्रियों में पुरूष व महिलाओं के अलावा बच्चे भी शामिल हैं।
मालुम हो कि इस हादसे के बमुश्किल 48 घण्टे पूर्व ही सोमवार को पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग पर नवोदय विद्यालय के पास बस पलटी थी। इस हादसे में दो नाबालिग छात्रों की जहां मौत हो गई थी, वहीं डेढ़ दर्जन से भी अधिक यात्री व स्कूली बच्चे घायल हुये थे। आये दिन हो रहे सड़क हादसों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये जिस तरह के उपाय किये जाने चाहिये, वह नहीं किये जा रहे। जिले में खटारा हो चुकी बसें मनमाने तरीके से सवारियों को भरकर सड़कों में क्षमता से अधिक सवारियां भरकर तेज रफ्तार से लापरवाहीपूर्वक यात्री बसों को भगाने से इस तरह के हादसे होते हैं, जिस पर अंकुश लगाया जाना जरूरी है।

कलेक्टर ने घायलों का जाना हाल


जिला चिकित्सालय में घायलों से बातचीत करते कलेक्टर श्री शर्मा। 

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा जिला चिकित्सालय पहुँचकर वहां इलाज करा रहे घायलों का हाल जाना।  उन्होंने बस दुर्घटना में घायलों से मुलाकात कर कहा कि आप लोगों की हरसंभव सहायता की जायेगी। मौके पर उपस्थित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिये कि सभी घायलों का आवश्यकतानुसार नि:शुल्क उपचार करें। मौके पर उपस्थित राजस्व अधिकारी को निर्देश दिये कि इन सभी के नियमानुसार आर्थिक सहायता संबंधी प्रकरण तैयार कर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाये। कलेक्टर श्री शर्मा ने मौके पर उपस्थित चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मचारियों को निर्देश दिये कि घायलों को किसी तरह की परेशानी न हो। इस बात का ध्यान रखें। इन मरीजों की देखरेख के लिये रात्रि में भी डॉक्टर एवं चिकित्सा स्टाफ उपलब्ध रहे।
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बसों में सुरक्षा मानकों का नहीं हो रहा पालन : रविराज

  •   घटित हो रहे हादसों पर जिला पंचायत अध्यक्ष ने जताई चिन्ता
  •   हादसों को रोकने प्रशासन से की प्रभावी कदम उठाने की माँग


रविराज सिंह यादव जिला पंचायत अध्यक्ष पन्ना।  

अरुण सिंह,पन्ना।
जिले में बीते 48 घण्टे के दौरान घटित दो भीषण सड़क हादसों ने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। जनप्रतिनिधियों ने भी इन हादसों को लेकर अपनी चिन्ता जाहिर की है। जिला पंचायत अध्यक्ष पन्ना के अध्यक्ष रविराज सिंह यादव ने इन हादसों को लेकर कई सवाल उठाये हैं। उन्होंने जिले के प्रशासनिक मुखिया से माँग की है कि सड़क हादसों को रोकने के लिये यथाशीघ्र प्रभावी कदम उठाये जायें ताकि बेकसूर यात्रियों के जीवन की सुरक्षा हो सके।
उन्होंने प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुये कहा है कि जिले में सामने आई बस दुर्घटनाओं के मामले में यह देखने को मिला है कि ऐसी अनेक बसें सड़क में चलाई जा रही हैं जिनकी सही तरीके से फिटनिस नहीं है। बसों में आवश्यक सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन तथा परिवहन विभाग को पन्ना जिले से गुजरने वाली सभी बसों के फिटनिस की जाँच कराया जाना उचित होगा। जो बसें नियम विरूद्ध चल रही हैं उनके तत्काल परमिट निरस्त करते हुये कार्यवाही की जाये। आपने कहा कि बस दुर्घटनाओं की दूसरी मुख्य वजह यह है कि बसों के आवाजाही के लिये निर्धारित किये गये परमिट में समय अंतराल बेहद कम है। एक ही मार्ग में 10 से 15 मिनिट के अंतर में बसों का होने की वजह से वाहन चालक सवारियों के लिये तेज रफ्तार से वाहन चलाते हैं और जिसके चलते दुर्घटनायें घटित हो रही हैं। ऐसे में बसों की आवाजाही के दौरान अल्प समय के अंतर में जो परमिट जारी किये गये हैं उसका युक्ति-युक्तकरण किया जाये। वाहनों में अनिवार्य रूप से स्पीड गवर्नर लगाये जायें।
श्री यादव ने कहा कि जिले में प्रमुख सड़क मार्गों की तकनीकी स्थिति बेहद खराब है। सड़कों के किनारे साईड सोल्डर नहीं हैं, कई पुलिया टूटी हुईं साथ ही साथ मार्ग की स्थिति भी बेहद खराब है। रोड के किनारे मिट्टी डाली गई है, जो कि दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है। ऐसे में तत्काल ही सभी सड़कों में दुर्घटनाओं के जो तकनीकी कारण हैं उन्हें तत्काल दुरूस्त किया जाये। जिले के परिवहन विभाग की स्थिति काफी कमजोर है, बसों तथा अन्य वाहनों की नियमित रूप से जाँच नहीं की जा रही है। साथ ही ओवरलोड वाहन भी सड़क में दौड़ रहे हैं जो कि दुर्घटनाओं का बड़ा कारण हैं। ऐसे में परिवहन विभाग की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाये तथा लापरवाही होने पर कार्यवाही की जाये।
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Tuesday, February 11, 2020

बाघिन की सुरक्षा बढ़ाने पहनाया गया रेडियो कॉलर

  •   चार शावकों के साथ आबादी क्षेत्र के आस-पास कर रही विचरण
  •   सतत निगरानी व सुरक्षा हेतु रेडियो कॉलर करना था जरूरी


 युवा बाघिन जिसे पहनाया गया रेडियो कॉलर।

अरुण सिंह,पन्ना। बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत कान्हा से पन्ना लाई गई बाघिन टी-2 का कुनबा यहाँ लगातार बढ़ रहा है। पन्ना की सफलतम रानी कही जाने वाली इस बाघिन ने अक्टूबर 2010 में पी-213 को जन्म दिया था। यह बाघिन भी अपनी माँ की ही तरह पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है। बाघिन पी-213 के तृतीय लिटर की मादा शावक जो अब साढ़े चार वर्ष की हो चुकी है तथा जिसने विगत एक वर्ष पूर्व चार शावकों को जन्म दिया था। यह बाघिन पी-213(32) अपने शावकों के साथ कोर क्षेत्र के बाहरी इलाकों में विचरण कर रही है। आबादी क्षेत्र से लगे इलाकों में इस बाघिन द्वारा मवेशियों का भी शिकार किया जा रहा है। जिसे दृष्टिगत रखते हुये इस बाघिन तथा उसके शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने रेडियो कॉलर किया जाना जरूरी हो गया था, ताकि बाघिन की सतत निगरानी हो सके।
उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व जराण्डे ईश्वर रामहरि ने बताया कि बाघिन पार्क के बाहरी हिस्सों में विचरण करते हुये मवेशियों का शिकार भी कर रही है। जिसे दृष्टिगत रखते हुये बाघिन पी-213 (32) व उसके शावकों की सुरक्षा हेतु रेडियो कॉलर किया जाना जरूरी हो गया था। श्री जराण्डे ने बताया कि मंगलवार 11 फरवरी को पी-213 के दूसरे मादा शावक बाघिन पी-213(32) को गहरीघाट परिक्षेत्र में सफलतापूर्वक रेडियो कॉलर पहनाया गया है। आपने बताया कि आबादी क्षेत्र के पास रहने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से सतत अनुश्रवण के लिये अनुमति प्राप्त कर रेडियो कॉलर किया गया है। यह पूरी कार्यवाही क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया के मार्गदर्शन तथा उप संचालक जराण्डे ईश्वर रामहरि के नेतृत्व में वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा पूर्ण की गई। कार्यवाही में गौरव शर्मा सहायक संचालक पन्ना, बी.आर. भगत परिक्षेत्र अधिकारी हिनौता सहित अन्य कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा।
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यात्री बस पलटने से दो छात्रों की मौत, डेढ़ दर्जन घायल

  •   पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग पर नवोदय विद्यालय के पास हुआ हादसा
  •   बस में यात्रियों के अलावा बड़ी संख्या में सवार थे स्कूली छात्र
  •   तेज रफ्तार और लापरवाही के चलते बस हुई थी अनियंत्रित

हादसे के बाद दुर्घटना स्थल पर उमड़ी लोगों की भीड़ का द्रश्य। 

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 30 किमी दूर पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग पर सोमवार की सुबह यात्रियों और स्कूली बच्चों से भरी एक बस नवोदय विद्यालय के पास अनियंत्रित होकर पलट गई। तेज रफ्तार यात्री बस के अचानक पलटने से घटना स्थल पर कोहराम मच गया। इस भीषण हादसे में 2 छात्रों की जहां दर्दनाक मौत हो गई वहीं डेढ़ दर्जन से भी अधिक यात्री घायल हुये हैं। हादसे में घायल हुये सभी यात्रियों को स्थानीय लोगों व पुलिस की मदद से जिला अस्पताल पन्ना पहुँचाया गया, जहां उनकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है।
दुर्घटनाग्रस्त यात्री बस 
उल्लेखनीय है कि पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग पर चलने वाली अम्बे ट्रेवल्स की यात्री बस क्र. एमपी-35पी-0284 रोज की तरह पहाड़ीखेरा से पन्ना की ओर जा रही थी। स्कूल टाइम होने के कारण बस में बड़ी संख्या में छात्र व छात्रायें भी सवार थे जो पढऩे के लिये हायर सेकेण्डरी स्कूल बृजपुर आ रहे थे। तेज गति से दौड़ते हुये यात्री बस नवोदय विद्यालय रमखिरिया के पास मोड़ पर जैसे ही पहुँची, अचानक अनियंत्रित होकर पलट गई। हादसे की खबर फैलते ही आनन-फानन बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुँच गये। यात्री बस के भीतर फँसे यात्रियों व स्कूली छात्र-छात्राओं को भारी मशक्कत के बाद बस के शीशा तोड़कर बाहर निकाला गया। रास्ते के जिन ग्रामों से बच्चे विद्यालय जाने के लिये इस बस में सवार हुये थे, खबर पहुँचने पर इन बच्चों के परिजनों में जहां खलबली मच गई वहीं गाँव के लोग भी हादसे की खबर से बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गये। लोगों को जिस बात का डर था वहीं हुआ, हादसे में दो नाबालिग 10वीं कक्षा में पढऩे वाले छात्रों को अपनी जान गँवानी पड़ी। हादसे में ग्राम धरमपुर के निवासी छात्र लक्ष्मण यादव 17 वर्ष तथा प्रेमसागर पाण्डे उर्फ रामभरोसी 16 वर्ष की दर्दनाक मौत हुई है।

जिला अस्पताल में घायलों का चल रहा इलाज

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह सड़क हादसा सुबह लगभग 10:30 बजे हुआ। बस में सवार रहे यात्रियों के मुताबिक चालक द्वारा लापरवाहीपूर्वक तेज रफ्तार से बस चलाई जा रही थी। अचानक जैसे ही बस पलटी उसके दोनों गेट नीचे दब गये, जिससे यात्री व स्कूली बच्चे चीखने-चिल्लाने लगे। ग्रामवासियों ने खिड़कियों व सामने के काँच तोड़कर लहूलुहान बच्चों और यात्रियों को बाहर निकाला। आनन-फानन सभी घायलों को जिला चिकित्सालय पन्ना पहुँचाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है। हादसे के बाद से बस का चालक व परिचालक मौके से फरार हो गये हैं।
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