Friday, February 14, 2020

पन्ना की बाघिन का चित्रकूट के जंगल में हुआ रेडियो कॉलर

  •  बाघिन पी-213(22) चार वर्ष पूर्व यहाँ के जंगल में दी थी दस्तक
  •  तीन बार शावकों को जन्म देकर चित्रकूट के जंगल को किया आबाद


बाघिन को बेहोश कर रेडियो कॉलर पहनाने की कार्यवाही पूरी करती पन्ना की रेस्क्यू टीम। 

अरुण सिंह, पन्ना। बाघों की नर्सरी के रूप में विख्यात हो चुके मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में जन्मे बाघ बुंदेलखंड सहित विंध्य क्षेत्र के जंगलों को भी आबाद कर रहे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व में 6 वर्ष पूर्व दिसंबर 2013 में जन्मी बाघिन पी-213(22) युवा होने पर अपने लिए नए घर की तलाश करते हुए 24 नवंबर 2015 को पन्ना कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर चित्रकूट के जंगल में दस्तक दी थी। तभी से यह बाघिन वन मंडल सतना के वन परिक्षेत्र मझगवां अंतर्गत सरभंगा के जंगल को अपना ठिकाना बनाए हुए है। यहीं पर शुक्रवार 14 फरवरी को दोपहर में पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता के तकनीकी मार्गदर्शन व वन मंडलाधिकारी सतना राजीव मिश्रा की मौजूदगी में पन्ना की रेस्क्यू टीम द्वारा बाघिन को रेडियो कालर पहनाया गया।
मालुम हो कि चित्रकूट के जंगल को अपना ठिकाना बना चुकी इस बाघिन की बहन पी-213(32) को भी हाल ही में 11 फरवरी को रेडियो कॉलर किया गया है। यह बाघिन अपने चार शावकों के साथ पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर क्षेत्र में आबादी वाले इलाकों में विचरण कर रही थी। यह बाघिन मवेशियों का शिकार भी कर रही है, जिससे सुरक्षा को ध्यान में रखकर इसे रेडियो कॉलर किया गया है। इसके ठीक तीन दिन बाद पीटीआर के वन्य प्राणी चिकित्सक व रेस्क्यू टीम द्वारा पन्ना में ही जन्मी बाघिन को चित्रकूट के जंगल में घने लेंटाना के बीच बेहोश कर उसे सफलता पूर्वक रेडियो कॉलर पहनाया गया है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बाघिन पी-213 (22) जब पन्ना टाइगर रिजर्व में थी, उस समय अक्टूबर 2015 में उसे रेडियो कॉलर पहनाया गया था। अब यह रेडियो कॉलर खराब होने की स्थिति में था। सिग्नल सिर्फ डेढ़ सौ मीटर तक ही मिल पा रहे थे जबकि अच्छी स्थिति में रेडियो कॉलर का सिग्नल 3 किलोमीटर के रेंज में मिलता है। इस स्थिति में बाघिन की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए इसका रेडियो कॉलर बदलना जरूरी हो गया था।

चार हांथियों की ली गई मदद

बाघिन पी- 213 (22) का रेडियो कॉलर बदलने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व के चार प्रशिक्षित हाथियों तथा 8 महावतों की मदद ली गई। दोपहर 1:45 बजे वन प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव गुप्ता ने बाघिन को ट्रेंकुलाइज गन से डांट लगा कर बेहोश किया और 45 मिनट के अंदर ही रेडियो कॉलर बदलने की कार्यवाही पूरी कर ली गई। इस मौके पर सतना डीएफओ राजीव मिश्रा, एसडीयो, रेंजर व वन कर्मियों के अलावा  पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम  मौजूद रही। पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथी गणेश, केनकली, वन्या व अनंति ने भी इस पूरी कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

दिसम्बर 2013 में जन्मी थी यह बाघिन

पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना की सफलतम रानी कही जाने वाली कान्हा की बाघिन टी-2 ने पी-213 को अक्टूबर 2010 में जन्म दिया था। इस बाघिन ने नर बाघ पी-111 से जोड़ा बनाकर दिसंबर 2013 में चार शावकों को जन्म दिया। जिनमें तीन मादा व एक नर शावक था। इन्हीं तीन मादा शावकों में से एक बाघिन पी- 213 (22) है जिसने चित्रकूट के जंगल को न सिर्फ अपना ठिकाना बनाया अपितु यहां पर तीन बार शावकों को जन्म देकर यहां के जंगल को बाघों से आबाद भी किया है। मौजूदा समय इस वन क्षेत्र में बाघिन पी-213(22) सहित कुल 9 बाघ विचरण कर रहे हैं।
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