Sunday, September 29, 2019

बाघ पुनर्स्थापना योजना के 10 वर्ष पूरे, होंगे विविध कार्यक्रम

  •   मार्च 2009 में शुरू हुई थी पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना
  •   बीते 10 वर्षों में बाघों से आबाद हुआ पन्ना टाईगर रिजर्व
  •   उत्सव मनाने व कार्यक्रमों को लेकर आयोजित हुई बैठक



अरुण सिंह,पन्ना। बाघ पुनर्स्थापना योजना के 10 वर्ष पूरे होने पर पन्ना टाईगर रिजर्व में विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे। पुनर्स्थापना योजना को यहां पर मिली उल्लेखनीय सफलता का उत्सव मनाने तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्र की प्राकृतिक सम्पदा और बाघों की सुरक्षा व संरक्षण के लिये आम जनमानस में जागरूकता पैदा करने के लिये विविध कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई गई है। जिसकी तैयारी के लिये रविवार को क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर  रिजर्व कार्यालय के सभाकक्ष में बैठक आयोजित हुई, जिसमें मुख्य वन संरखक एवं पदेन सदस्य सचिव म.प्र. राज्य जैव विविधता बोर्ड आर. श्रीनिवास मूर्ति  की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। बाघ पुनर्स्थापना योजना को कामयाबी के शिखर तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व क्षेत्र संचालक श्री मूर्ति  के कार्यकाल में ही पन्ना का गौरव वापस मिला है। बाघ पुनर्स्थापना के नायक इस वन अधिकारी को अब टाईगर मैन के नाम से भी जाना जाता है।
उल्लेखनीय है कि 10 वर्ष पूर्व पन्ना टाईगर रिजर्व का जंगल बाघ विहीन हो गया था। उस समय जब इस बात का खुलासा किया गया तो पन्ना सहित समूचे बुन्देलखण्ड के लोगों में हताशा और निराशा थी। पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा व प्रबन्धन को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही थी। ऐसी प्रतिकूल व विकट परिस्थितियों में शासन द्वारा आर. श्रीनिवास मूर्ति  को पन्ना में बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस तरह से पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना का श्री गणुश हुआ और योजना के तहत सबसे पहले दो बाघिन बांधवगढ़ व कान्हा से 3 एवं 6 मार्च 2009 को पन्ना लाई गईं। लेकिन जब दो बाघिन पन्ना पहुँचीं, उस समय तक यहां एक भी नर बाघ नहीं बचा था। ऐसी स्थिति में पेंच टाईगर रिजर्व से नर बाघ टी-3 को पन्ना लाया गया। विस्थापित बाघों की सफल निगरानी, अचूक सुरक्षा व्यवस्था और उत्कृष्ट प्रबन्धन के चलते 16 अप्रैल 2010 को बाघिन टी-1 ने धुंधवा सेहा में चार शावकों को जन्म देकर पन्ना को उसका खोया हुआ गौरव वापस प्रदान किया। इस दिन को यादगार बनाये रखने के लिये हर वर्ष 16 अप्रैल को प्रथम बाघ शावक का जन्म दिन यहां बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस अनूठी परम्परा की शुरूआत भी तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति  ने वर्ष 2011 में की थी, जो अनवरत् जारी है।


आयोजित हुई बैठक में क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने बताया कि वर्ष 2019 में बाघ पुनर्स्थापना के 10 वर्ष पूरे हुये हैं। इस अवसर पर पन्ना बाघ उत्सव का आयोजन कर विविध कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई गई है। बैठक में बताया गया कि 5 नवम्बर 2019 को कर्णावती में जन समर्थन से बाघ संरक्षण विषय पर केन्द्रित कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें बाघ पुनर्स्थापना योजना के एक दशक पूरे होने पर जन सामान्य के अनुभवों को साझा किया जायेगा। 20 से 25 दिसम्बर के दौरान नर बाघ टी-3 के विचरण क्षेत्र गहरी घाट से तेजगढ़ तक पैदल ट्रैकिंग का कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें सहभागिता के लिये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को आमंत्रित किया जायेगा। 26 दिसम्बर का दिन भी खास महत्व रखता है, इसी दिन नर बाघ टी-3 वापस पन्ना आया था, इस दिन आयोजित होने वाले कार्यक्रम में वन कर्मचारियों व जनता के अनुभवों को साझा किया जायेगा। दिनांक 14 से 16 अप्रैल तक पुनर्स्थापना योजना के प्रथम बाघ का तीन दिवसीय जन्मोत्सव कार्यक्रम आयोजित होगा। बैठक में आर. श्रीनिवास मूर्ति , के.एस. भदौरिया क्षेत्र संचालक, बालागुरू के. जिला पंचायत सीईओ, आर.पी. राय सीसीएफ छतरपुर, अनुपम सहाय डीएफओ, नरेश सिंह यादव डीएफओ उत्तर, श्रीमति मीना मिश्रा डीएफओ दक्षिण, ईश्वर रहाड़े उप संचालक, बिन्नी राजा सहित फ्रेण्डस ऑफ पन्ना के सदस्य, वन अधिकारी व कर्मचारी शामिल रहे।
00000



Saturday, September 28, 2019

पन्ना टाईगर रिजर्व के मनोज बने सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव गाइड

  •   पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने आयोजित समारोह में किया सम्मानित
  •   बाघों के पुनर्वास व गिद्धों के संरक्षण में भी निभाई है सक्रिय भूमिका


केन्द्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल से पुरस्कार प्राप्त करते हुये गाइड मनोज। 

अरुण सिंह,पन्ना। बाघों के पुनर्वास और गिद्धों के संरक्षण में सराहनीय व सक्रिय भूमिका निभाने वाले पन्ना टाईगर रिजर्व के गाइड मनोज कुमार द्विवेदी को सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव गाइड का नेशनल अवार्ड मिला है। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में केन्द्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने उप राष्ट्रपति बेंकैया नायडू की मौजूदगी में पन्ना के प्रतिभावान गाइड मनोज को पुरूस्कृत करते हुये सम्मानित किया है। मनोज को सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव गाइड का पुरूस्कार मिलने से पन्ना टाईगर रिजर्व के सभी गाइड जहां हर्षित और उत्साहित हैं, वहीं इस राष्ट्रीय सम्मान से पन्ना टाईगर रिजर्व का भी मान बढ़ा है।

गाइड मनोज कुमार द्विवेदी
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा यह पुरूस्कार हर वर्ष दिया जाता है। जिसके लिये देशभर के वन्यजीव गाइडों में से सर्वश्रेष्ठ गाइड का चयन होता है। पन्ना टाईगर रिजर्व के गाइड मनोज को वर्ष 2017-18 को लिये यह पुरूस्कार प्रदान किया गया है। देशी व विदेशी सभी तरह के पर्यटकों को प्रकृति, पर्यावरण व वन्यजीवों के बारे में अपनी अनूठी शैली में जानकारी देकर उन्हें प्रभावित करने में दक्ष मनोज की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह निरन्तर कुछ न कुछ नया सीखता है। वन्य प्राणियों, वनस्पतियों व पक्षियों के बारे में गहराई से जानने और समझने की ललक गाइड मनोज में है, जो इन्हें विशिष्ट बनाती है। हिन्दी के अलावा अंग्रेजी भाषा में भी अपने विचारों को प्रकट करने तथा वन्य प्राणियों के संबंध में सटीक व सही जानकारी देने में सक्षम होने के कारण पार्क भ्रमण हेतु आने वाले पर्यटकों की मनोज गाइड पहली पसंद होते हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व में विगत कई वर्षों से गाइड के दायित्व का निर्वहन करने वाले मनोज को टाईगर रिजर्व के चप्पे-चप्पे का ज्ञान है। टाईगर रिजर्व के किस क्षेत्र में कौन से वन्य प्राणी के दर्शन हो सकते हैं, इस बात का भी इन्हें खासा अनुभव और इल्म है। यही वजह है कि पर्यटक इन्हें पसंद करते हैं क्योंकि भ्रमण के दौरान पर्यटकों को न सिर्फ विभिन्न प्रजाति के वन्य प्राणी देखने को मिल जाते हैं अपितु उन्हें इन वन्य प्राणियों के संबंध में जानकारी भी मिलती है।

बाघ पुनर्स्थापना में भी रहा योगदान


सफल और लोकप्रिय गाइड होने के साथ-साथ मनोज पर्यावरण और वन्य जीव प्रेमी भी हैं। वर्ष 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व के बाघ विहीन होने पर यहां बाघों को फिर से आबाद करने के लिये जब बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू हुई, तो इसे कामयाब बनाने में पन्ना टीम के साथ मनोज गाइड ने भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। बल्चर गणना व उनके संरक्षण कार्य में भी इनकी अच्छी भागीदारी रही है। पर्यटकों से अच्छा व्यवहार, पार्क प्रबन्धन से बेहतर तालमेल तथा जंगल का ज्ञान मनोज को विशिष्टता प्रदान करती है। यही वजह है कि इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ वन्य जीव गाइड के सम्मान से नवाजा गया है।
00000

धूमधाम से मनाया गया महामति श्री प्राणनाथ जी का प्रगटन महोत्सव

  •   तोपों की सलामी व तुरही नाद बजाकर जताया हर्ष
  •   महामति प्राणनाथ जी के जयकारों से गूंजा शहर


पन्ना महाराज राघवेन्द्र सिंह मंदिर के पुजारी के साथ श्री जी की आरती करते हुये।  

अरुण सिंह,पन्ना। प्रणामी धर्म के प्रणेता महामति प्राणनाथ जी का प्रगटन महोत्सव आज श्री प्राणनाथ जी मन्दिर (बंगला जी) में धूमधाम व श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया। दोपहर 12 बजे से सम्पन्न हुये श्री प्राणनाथ जी के प्रगटन महोत्सव में सैकड़ों श्रद्धालुजनों व धामी समाज के लोगों सहित देश के कई प्रांतों से आये श्रद्धालुओं ने भागीदारी की। जैसे ही घड़ी ने दोपहर के 12 बजाये वैसे ही गर्भगृह के पर्दे खुले व भक्तगणों ने श्री जी के दर्शन कर गगनभेदी जयकारे लगाये। इस अवसर पर मुख्य रूप से पन्ना राजपरिवार के राघवेन्द्र सिंह उपस्थित रहे, जिन्होंने श्रीजी की प्रथम आरती कर धर्म लाभ लिया। इसके अलावा मन्दिर ट्रस्ट बोर्ड के पदाधिकारी, प्रबंधक व प्रणामी समाज के धर्मप्रेमी लोग शामिल रहे।
इस शुभ अवसर पर गगनभेदी तोपों की सलामी दी गई। वहीं परम्परागत रूप से तुरही बजाकर एवं बैण्ड बाजे की धुन के साथ भक्तगणों ने खूब खुशियां मनाईं। यह प्रगटन महोत्सव 12 बजे से प्रारम्भ होकर दोपहर बाद 5 बजे तक चलता रहा। इस महोत्सव के दौरान महिलाओं ने जोगमाया का गायन शुरू किया तथा श्रीफल आदि श्री जी को समर्पित किया। वहीं गुम्मट जी मन्दिर, बंगला जी दरवार साहब व सदगुरू मन्दिर में विशेष बड़ी आरती सम्पन्न हुई। इस दौरान अनवरत् बधाईयों का गायन चलता रहा। प्रगटन उत्सव के सांध्यकालीन बेला में गरबा तथा इसी के साथ-साथ मृदुर्ला गीतों का भी गायन हुआ। कार्यक्रम उपरांत उपस्थित सभी भक्तजनों को पंचामृत व प्रसाद वितरित किया गया।

नवयुवक मण्डल ने निकाली प्रभात फेरी

प्राणनाथ प्रगटन महोत्सव के शुभ अवसर पर शुक्रवार को प्रात: नवयुवक मण्डल द्वारा नगर के प्रमुख मार्गों से ढोल-नगाड़ों के साथ प्रभात फेरी निकाली गई जिसमें लगभग एक सैकड़ा से अधिक नवयुवक अपनी-अपनी बाईक पर सवार गुलाल से नगरवासियों का अभिनंदन किया और श्री जी के जयकारे लगाते हुये शांति का संदेश नगरवासियों को दिया। नवयुवक वाहन रैली पूरे शहर में निकाल कर श्री प्राणनाथ जी के संदेशों को आमजनों तक पहुंचाया। नवयुवक मण्डल द्वारा निकाली गई इस शांति संदेश रैली में नवयुवकों का उत्साह देखते ही बनता था। प्रभातफेरी का नगरवासियों द्वारा जगह-जगह गुलाल लगाकर स्वागत किया गया। अपनी-अपनी गाडिय़ों में झण्डे लगाये हुये और सिर पर रूमाल बांधे हुये प्राणनाथ प्यारे के जयकारे लगाते हुये जब रैली नगर के मार्गों से निकली तो लोगों ने श्रद्धा के साथ इनके साथ जयकारे लगाकर सहयोग प्रदान किया।
00000

युवक को मिला 4.33 कैरेट वजन का हीरा


पन्ना। रत्नगर्भा पन्ना जिले की धरती में बेशकीमती हीरों के मिलने का सिलसिला जारी है। जिले की कृष्णाकल्याणपुर (पटी) स्थित उथली खदान से शाहनगर निवासी युवक बसन्त सिंह  को आज 4.33 कैरेट वजन का हीरा मिला है। जेम क्वालिटी वाले इस हीरे को युवक द्वारा नियमानुसार आज हीरा कार्यालय में जमा कराया गया है। अगले माह जिला मुख्यालय पन्ना में आयोजित होने वाली हीरों की नीलामी में इस हीरे को भी बिक्री के लिये रखा जा सकता है। मालुम हो कि इसके पूर्व हाल ही में जिले की उथली खदानों से कई बड़े और कीमती हीरे मिले हैं। जिनमें 29.46 कैरेट वजन का बेशकीमती हीरा भी शामिल है।
00000

Thursday, September 26, 2019

तिलगुवां नाले के तेज प्रवाह में बह गया युवक

  • गुरूवार दोपहर नाले की पुलिया पार करते समय की  घटना
  • एसडीएम पन्ना की  मौजूदगी में कई घण्टे चला तलाशी अभियान



नाले में बहे युवक की तलाश में जुटे ग्रामीण व रेस्क्यू दल।

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय से महज 7 किमी दूर तिलगुवां नाले के तेज प्रवाह में गुरूवार को दोपहर पुल पार करते समय एक युवक बह गया है। प्राप्त जानकारी अनुसार सुरेन्द्र सिंह यादव पिता स्वर्गीय फू ल सिंह यादव 22 वर्ष निवासी ग्राम तिलगवां जब ग्राम कोढन व तिलगवां के बीच पडने वाले नाले में बनीं पुलिया को पार कर रहा था उस समय नाले का जल स्तर पुलिया से करीब ढाई फि ट ऊपर होने के कारण तेज बहाव में बह गया। मालुम हो कि बीती रात व आज दिन में हुई झमाझम बारिश के चलते जिले की ज्यादातर नदी व नाले उफान पर हैं। तेज बारिश होने की वजह से कई मार्गों पर जहां आवागमन बाधित हुआ है, वहीं ग्रामों में पानी भरने की भी खबरें हैं। बताया गया है कि तिलगुवां नाला भी उफनाया हुआ था और नाले का पानी पुलिया के ऊपर से बह रहा था। उसी दौरान 22 वर्षीय युवक सुरेन्द्र सिंह यादव निवासी तिलगुवां पुल से निकला और पानी के तेज बहाव की चपेट में आकर बह गया।

 मौके पर मौजूद एसडीएम, पुलिस अधिकारी व ग्रामीणजन। 
नाले में युवक के बहने की खबर जैसे ही ग्रामीणों को लगी सैकड़ों की संख्या में लोग मौके पर पहुँचकर युवक की तलाश में जुट गये। घटना की सूचना तुरन्त प्रशासन को भी दी गई, फलस्वरूप एसडीएम पन्ना श्री पाण्डेय रेस्क्यू दल के साथ मौके पर पहुँच गये। नगर निरीक्षक कोतवाली पन्ना अरविन्द कुजूर भी पुलिस बल के साथ जा पहुँचे। एसडीएम की मौजूदगी में दोपहर को ही गोताखोरों व रेस्क्यू टीम द्वारा सर्च अभियान शुरू किया गया। गाँव के युवक भी रेस्क्यू टीम के साथ तलाशी अभियान में जुट गये। लेकिन 5 घण्टे तक सघन तलाशी के बावजूद युवक का पता नहीं चल सका। बारिश का दौर थमने से नाले का प्रवाह भी कम हुआ है फिर भी तलाशी अभियान में जुटे लोगों को युवक नहीं मिला। देर शाम  तक मौके पर एसडीएम पन्ना, नगर निरीक्षक थाना कोतवाली सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण नाले के किनारे मौजूद थे और तलाशी अभियान जारी था।

जिले में अब तक 987.1 मिमी औसत वर्षा दर्ज

अधीक्षक भू-अभिलेख ने बताया कि पन्ना जिले की औसत वर्षा 1176.4 मिमी है। जिसमें जिले में चालू मानसून मौसम के दौरान गत 01 जून से अब तक 987.1 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि अभी तक वर्षामापी केन्द्र पन्ना में 997.3 मिमी, गुनौर में 839.6 मिमी, पवई में 1134.2 मिमी, शाहनगर में 918.7 मिमी तथा अजयगढ में 1045.9 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। इस प्रकार इस अवधि में अब तक सर्वाधिक वर्षा, वर्षामापी केन्द्र पवई में तथा सबसे कम वर्षा गुनौर में दर्ज की गई है। जबकि गत वर्ष इसी अवधि की औसत वर्षा 894.9 मिमी दर्ज की गई थी। जिसमें पन्ना में 899.7 मिमी, गुनौर में 786.0 मिमी, पवई में 991.8 मिमी, शाहनगर में 913.2 मिमी तथा अजयगढ़ में 883.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी। उन्होंने बताया कि 26 सितम्बर को जिले की औसत वर्षा 37.0 मिमी दर्ज की गई है। जिसमें वर्षामापी केन्द्र पन्ना में 29.2 मिमी, गुनौर में 61.0 मि.मी, पवई में 11.0 मिमी, शाहनगर में 51.2 मिमी तथा अजयगढ में 32.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई है।
00000

Tuesday, September 24, 2019

जब गुस्साये हांथी ने अपने ही महावत पर किया हमला

  •   हांथियो के रिजुवनेशन कैम्प के आयोजन में पड़ा खलल
  •   पन्ना टाईगर रिजर्व के हिनौता हांथी कैम्प की घटना
  •   हांथियों को तरोताजा करने के लिये आयोजित हो रही यह गतिविधि



 पन्ना टाईगर रिजर्व में चल रहे हांथियों के रिजुवनेशन कैम्प का दृश्य।

अरुण सिंह,पन्ना। बारिश के मौसम में बेहद प्रतिकूल और कठिन परिस्थतियों में जंगल की रखवाली व वन्य प्राणियों की सुरक्षा के कार्य में तैनात रहने वाले हांथियों की थकान मिटाने तथा उन्हें फिर से तरोताजा करने के लिये प्रतिवर्ष एक सप्ताह के लिये हांथियों के रिजुवनेशन कैम्प का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी यह आयोजन पन्ना टाईगर रिजर्व के हिनौता हांथी कैम्प में 22 से 28 अक्टूबर तक के लिये किया गया है। लेकिन इस महत्वपूर्ण आयोजन के शुरूआत में ही उस समय खलल पैदा हो गया, जब प्रहलाद नाम का एक हांथी अचानक भड़क उठा और अपने ही महावत के ऊपर हमला बोल दिया। इस गुस्साये हांथी ने महावत को अपनी सूंड़ में लपेट कर न सिर्फ पटक दिया अपितु सूंड़ से उसको दबाने का प्रयास भी किया। गनीमत यह थी कि वहां मौजूद दूसरे महावतों ने तत्काल हांथी को रोका और घायल हो चुके महावत को वहां से पृथक किया।

हांथी के हमले से घायल महावत।
घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार हांथी के हमले से घायल हुये महावत विष्णु को तत्काल जिला चिकित्सालय पन्ना लाया गया, जहां से उसे रीवा मेडिकल कॉलिज के लिये रेफर कर दिया गया है। बताया गया है कि घायल महावत को अंदरूनी चोट है। मालुम हो कि पन्ना टाईगर रिजर्व में 14 हांथियों का कुनबा है, जिसमें दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला सहित यहीं जन्मा हांथी प्रहलाद भी शामिल है। शरारती स्वभाव वाला कम उम्र का यह हांथी आखिर क्यों और किन परिस्थितियों में अचानक भड़क उठा, इस बात की गहराई से छानबीन होनी चाहिये ताकि ऐसे अप्रिय हालात फिर कभी निर्मित न हों। पन्ना टाईगर रिजर्व से जुड़ेे लोगों व महावतों का यह कहना है कि इस तरह की यह पहली घटना है, इसके पूर्व यहां के हांथियों ने कभी भी महावतों के साथ ऐसा आक्रामक बर्ताव नहीं किया।

आयोजन के तौर तरीकों पर हो पुनर्विचार 


वर्ष में एक बार हांथियों को तरोताजा बनाने के लिये इस तरह का आयोजन अच्छी पहल है, लेकिन आयोजन के तौर-तरीकों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये। इस सप्ताहिक आयोजन के दौरान हांथियों को उनके रूचि का भोजन दिया जाता है इतना ही नहीं उन्हें सुन्दर और आकर्षक बनाने के लिये सजाया और सँवारा भी जाता है। हांथियों को सजाने के लिये किस तरह के कलर उपयोग में लाये जाते हैं, यह विचारणीय है। चूँकि सजाने के दौरान ही यह हादसा हुआ है इसलिये इस पर गौर किया जाना लाजमी होगा कि कहीं कलर केमिकल युक्त तो नहीं था। जिसके रियेक्शन से हांथी भड़क गया हो और अपना गुस्सा बेचारे महावत पर उतारा हो। वजह जो भी हो लेकिन इस घटना के बाद से हांथियों के महावत चिंतित और डरे सहमे हैं।
00000

मन्दिरों के शहर पन्ना की सड़कें गड्ढों में हुईं तब्दील

  •   बस स्टैण्ड जाने वाले मार्ग की हालत सबसे ज्यादा खराब
  •   इन हालातों के चलते पन्ना कैसे बनेगी पर्यटन नगरी ?



 गड्ढों में तब्दील बस स्टैण्ड का मुख्य मार्ग।

अरुण सिंह, पन्ना। मन्दिरों के शहर पन्ना को पर्यटन के नक्शे में लाने के लिये जिले के प्रशासनिक मुखिया कर्मवीर शर्मा प्रयासरत हैं, इसके लिये उनके द्वारा विभिन्न मंचों पर यह बात प्रमुखता के साथ कही जा रही है। लेकिन शहर के जो मौजूदा हालात हैं उसे देखते हुये यह सवाल किया जा रहा है कि गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़कों में हिचकोले खाने के लिये पर्यटक भला क्यों आयेंगे? बस स्टैण्ड किसी भी शहर का सबसे महत्वपूर्ण स्थल होता है, यहीं से यात्रियों का आना-जाना रहता है। जाहिर है कि बस स्टैण्ड की व्यवस्थाओं तथा वहां सड़कों की हालत को देखकर ही लोग शहर के बारे में अपनी धारणा बनाते हैं। इस लिहाज से पन्ना शहर के बारे में यात्री क्या सोचकर जाते होंगे, इसकी कल्पना बस स्टैण्ड की अव्यवस्था, गन्दगी और गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़क को देखकर लगाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि बस स्टैण्ड जाने वाले मार्ग के अलावा भी शहर के अन्य प्रमुख मार्गों की हालत बेहतर नहीं कही जा सकती। नगर पालिका के पास, बल्देव जी मन्दिर के सामने सडक इतनी ज्यादा क्षतिग्रस्त हो गई है कि लोगों का यहां से निकल पाना मुश्किल हो रहा है। हल्की सी बारिश में इन गड्ढों में पानी भर जाने से लोगों को गढ्ढों का अनुमान नहीं लग पाता और निकलने वाले बडे वाहन के भारी पहिये जब इन गड्ढों में गिरते हैं तो गड्ढों में भरा पानी आस-पास से निकलने वाले राहगीरों के ऊपर जा गिरता है। जिससे उनके कपडे खराब होते हैं साथ ही विवाद उत्पन्न होता है। यही हाल गोविन्द जी मन्दिर से बडा बाजार जाने वाले मुख्य मार्ग का भी हो गया है। इस मार्ग में भी कई जगह बडे-बडे गड्ढे हो गये हैं व सडक उखड गई है। जिसके चलते आवागमन बाधित होता है। बताया जाता है कि पिछले वर्ष ही लोक निर्माण विभाग द्वारा इस पूरे मार्ग का जीर्णोद्धार कराया गया था किन्तु एक वर्ष के अन्दर ही यह मार्ग क्षतिग्रस्त और गड्ढों में तब्दील हो गया है।
स्थानीय प्राणनाथ बस स्टैण्ड जहां मुख्य रूप से दो तरफ  से यात्री बसों का निकलना होता है। जिसको यातायात पुलिस द्वारा वन-वे भी किया गया है। जिसमें एक तरफ  से यात्री बसें आती हैं और दूसरे मार्ग से जातीं हैं। किन्तु वर्तमान समय में यह दोनों मार्ग ही दयनीय स्थिति में हैं। महाविद्यालय तरफ  से आने वाला मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। जहां बस स्टैण्ड के अंदर जैसे ही वाहन प्रवेश करते हैं वैसे ही क्षतिग्रस्त सडक व बडे-बडे गड्ढों से होकर निकलना पडता है। इसके अलावा बस स्टैण्ड के अंदर की सडक भी कई जगह गड्ढों में तब्दील हो गई है। जिसके चलते यात्रियों को भारी मुसीबत का सामना करना पडता है। क्योंकि बरसात के दिनों में गड्ढों में भरे पानी से निकलने वाले वाहनों के टायरों से उछलने वाले कीचड से यात्रियों के कपडे व सामान खराब होता है। इसके अलावा बस स्टैण्ड परिसर में ऑटो स्टैण्ड के पास गंदगी का अंबार लगा रहता है जहां पर अवारा मवेशी धमाचौकडी मचाये रहते हैं।

शहर के अन्य मार्गों की स्थिति भी दयनीय


शहर के अन्य दूसरे मार्गों व गलियों की स्थिति भी बेहद दयनीय है। नगर पालिका प्रशासन द्वारा शहर को डस्टबिन रहित जरूर घोषित करा दिया गया है लेकिन सड़कों पर जहां-तहां कचड़े का अम्बार लगा रहता है। जहां आवारा मवेशी और सुअरों की फौज का जमावड़ा रहता है। बारिश के इस मौसम में नियमित रूप से साफ-सफाई न होने के कारण पानी बरसने पर पूरा कचड़ा और गन्दगी सड़कों में फैल जाती है। शहर के सबसे व्यस्त मार्ग बड़ा बाजार में सड़क के संकीर्ण होने के कारण दिन में कई बार जैम की स्थिति निर्मित रहती है जिससे लोगों को भारी असुविधा और परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा नगर की कई गलियां अभी भी नाली विहीन होने के कारण बरसात के पानी के साथ कचडा भी सडकों में जमा हो रहा है जो अव्यवस्था का सबव बना हुआ है।
00000

सांभर के सींग और पके मांस सहित तीन शिकारी गिरफ्तार

  •   आरोपियों के कब्जे से फंदा, तार व कुल्हाड़ी भी बरामद
  •   वन परिक्षेत्र कल्दा के बीट महगवां में किया था शिकार 


वन अमले द्वारा पकड़े गये शिकारी तथा उनके कब्जे से बरामद सामग्री। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में वन्य प्राणियों के शिकार व अवैध कटाई का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। बारिश के इस मौसम में शातिर शिकारी पन्ना टाइगर रिज़र्व के बफर क्षेत्र सहित टेरिटोरियल के जंगल विशेषकर दक्षिण वन मण्डल पन्ना अन्तर्गत कल्दा, सलेहा व मोहन्द्रा  वन परिक्षेत्र के जंगल में सक्रिय हैं। मौका मिलते ही ये लोग शिकार की घटनाओं को अंजाम दे देते हैं। सोमवार को  वन अमले ने वन परिक्षेत्र कल्दा के बीट महगवां अन्तर्गत  ग्राम भोपार एवं छतौल में छापामार कार्यवाही करते हुये तीन शिकारियों को गिरफ्तार किया है। इन शिकारियों के कब्जे से शिकार में उपयोग होने वाले फंदा, तार व कुल्हाड़ी के अलावा सांभर का सींग तथा पका हुआ मांस भी बरामद हुआ है।
उल्लेखनीय है कि लगभग 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वन परिक्षेत्र कल्दा का जंगल फैला हुआ है। जैव विविधता से भरपूर यहाँ के जंगल में चीतल, सांभर, नीलगाय,जंगली सुअर सहित विभिन्न प्रजाति के शाकाहारी व मांसाहारी वन्य प्राणी बहुलता में पाये जाते हैं। कल्दा पठार का  जंगल  हजारों प्रकार की अनमोल वनस्पति और विविध प्रकार के  पशु-पक्षियों से समृद्ध  है। यही वजह है कि यह वन क्षेत्र हमेशा शिकारियों के निशाने पर रहता है। यह वन क्षेत्र वन्य प्राणियों के रहवास के लिये अनकूल स्थान है, लेकिन बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध उत्खनन व कटाई से वन्य प्राणियों की नैसर्गिक जिंदगी में खलल पड़ने लगा है। स्थानीय पत्रकार अजय चौरसिया ने बताया कि बेशकीमती जंगल और वन्य प्राणियों से समृद्ध यहाँ के जंगल की  सुरक्षा का जिम्मा वन विभाग के उस अमले पर है, जिनके पास संसाधनों और सुविधाओं का अभाव है।  वन रक्षक और डिप्टी रेंजर बिना हथियारों और वाहनों के सुरक्षा करने को मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर शिकारियों के पास  वाहन व हथियार रहते हैं। इसका फायदा उठाकर शिकारी क्षेत्र में जानवरों और पक्षियों का शिकार कर आसानी से चले जाते हैं। कभी कभार ग्रामीणों की मदद से ये शातिर शिकारी पकड़े जाते हैं। बताया गया है कि गत 23 सितंबर की दरम्यानी रात 3 बजे मुखबिर की सूचना पर वन परिक्षेत्र अधिकारी एम.डी. मानिकपुरी के नेतृत्व में वन परिक्षेत्र कल्दा के अमले द्वारा बीट महगवां के ग्राम भोपार एवं छतौल में छापामार कार्यवाही करते हुये जंगली सूअर का शिकार करने के आरोपी महेंद्र सिंह उम्र 50 वर्ष, पन्नू आदिवासी उम्र 30 वर्ष एवं दुक्खु आदिवासी को हिरासत में लेकर शिकार में प्रयुक्त फंदा,  तार , कुल्हाड़ी एवं सांभर के सींग 03 नग जब्त किया गया है। आरोपियों के कब्जे से पका हुआ मांस भी बरामद हुआ है। पकडे गये इन शिकारियों के  विरुद्ध वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई है। इस कार्रवाही में कैलाश बामनिया, संतोष माली, के.पी. अग्निहोत्री,  बी.एल. अहिरवार, आदित्य प्रताप सिंह , के.के. गुप्ता, बालकृष्ण शुक्ला, सुमंत जनेत, उदय सिंह , रूपलाल आदि का योगदान रहा।
00000

Friday, September 20, 2019

कृषक जिसने पोषण से भरपूर मोटे अनाजों का किया संरक्षण

  • पद्मश्री सहित अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं बाबूलाल दाहिया 
  • जैव विविधता व धान की परंपरागत देशी किस्मों को संरक्षित करने का किया है कार्य 
  • मोटे अनाजों की उपेक्षा का परिणाम है कुपोषण, डायबिटीज और रक्तचाप : श्री दाहिया  


मोटे अनाजों की परंपरागत खेती के बारे में जानकारी देते हुए पद्मश्री बाबूलाल दाहिया। 

। अरुण सिंह 

पन्ना।  जैव विविधता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कृषक बाबूलाल दाहिया जी ने धान की अनेकों किस्मों को न सिर्फ संरक्षित किया है अपितु जैविक खेती को बढ़ावा देने व मोटे अनाजों को सहेजने का भी कार्य किया है।  सतना जिले के पिथौराबाद गांव के निवासी श्री दाहिया बघेली के ख्यातिलब्ध कवि भी हैं। 
विंध्य और बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कभी बहुलता में उगाये जाने वाले मोटे अनाजों के बारे में उनका परम्परागत ज्ञान अतुलनीय है। परंपरागत देशी धान की बिसरा दी गईं न जाने कितनी किस्मों को आपने बड़े जतन के साथ सहेजने और संरक्षित करने का जहाँ काम किया है वहीँ सावा, काकुन ,कुटकी, कोदो , ज्वार, बाजरा , मक्का जैसे  मोटे अनाज अपने खेत में उगाकर खेती के पुराने परम्परागत ज्ञान की अलख जगाये हुये हैं। मोटे अनाजों की जैविक खेती का महत्व  व इसका मानव जीवन और पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस बावत भी दाहिया जी लोगों को जागरूक करते हैं।
    आपके मुताबिक  मोटे अनाज मुख्यतः अंग्रेजी के माइनर मिलट्स का  हिंदी अनुवाद है । वर्ना हमारे यहां यह सब के सब अनाज थे जिन्हें किसान समय - समय पर उगाता और खाता भी था, कोई मोटा पतला नही । क्यो कि वर्षा आधारित खेती में किसान इन्हें अपने पुरखो तथा खुद के अनुभव जनित ज्ञान के आधार पर  जिस बीज को खेत माँगता उसे ही  बोता । उस समय की परम्परागत खेती अनुभव जनित ज्ञान की  खेती थी। और खेत अनेक तरह के होते थे। यथा ऊँचे खेत, गहरे जल भराव वाले बांध, कम जल भराव वाले खेत, जल्दी सूख जाने वाले, हल्की  मिट्टी के खेत। जल भराव वाले खेतो में तो प्रायः जल्दी, मध्यम समय , या  देर से पकने वाली धान की खेती ही होती पर ऊँची और हल्की मिट्टी की जमीन में मोटे अनाज ही बोये जाते थे। इनमे कुछ ऐसे थे जो किसान को तुरन्त राहत पहुचाने लगते थे तो कुछ की यह विशेषता भी थी कि अकाल दुर्भिक्ष के समय के लिए उन्हें 80 वर्ष तक रखा जा सकता था। समय समय पर इन तमाम प्रकार के अनाजो के खाने से एक ओर जहां लोगो को तरह -  तरह के पोषक तत्व मिलते थे वहीँ औषधीय गुण होने के कारण बहुत सी बीमारियों से  भी बचाव होता। पर सबसे बड़ी विशेषता तो यह थी कि इन्हें यदि कम मात्रा में भी खा लिया जाय तो जल्दी भूख नहीं लगती। साथ ही  यह तभी खाए जा सकते थे जब दो हिस्सा दाल या  तरकारी हो। इसलिए इन्हें खाने से शरीर को भरपूर पोषक तत्व मिलते थे।

 कोदो 80 वर्ष तक रहता है खाने योग्य

 



कोदो हल्की और काली मिट्टी बाली दोनो प्रकार की भूमि में बोया जाता था। उसकी खेती प्रायः ऊँचे स्थान में की जाती थी । किसान प्रथम वर्ष कोदो उगाता और दूसरे वर्ष उसी खेत मे चने की खेती होती। उससे खेत की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती। किसानों का मानना है कि प्रथम वर्ष कोदो बोने के बाद  खेत मे कोदो की जड़ के सड़ कर खाद बनने से दूसरे वर्ष  चने की अधिक पैदावार होती है। कुछ किसान अपने बाधो को उपजाऊ बनाने के लिए भी दो तीन वर्ष में एक बार कोदो ज्वार और अरहर की बोनी करते थे। कोदो की फसल 3 से साढ़े तीन माह की होती है। इसे अकाल दुर्भिक्ष के लिए 80 वर्ष तक रखा जा सकता है। कोदो का चावल तथा रोटी दोनो खाई जाती है। इसका चावल 100 डेढ़ सौ ग्राम से अधिक नही खाया जा सकता। पर यह तभी खाया जा सकता है जब दो हिस्सा दाल या  सब्जी हो। इसे बरसात और ठंड के मौसम में खाने से तासीर गर्म होने के कारण सर्दी जुखाम आदि नहीं होती । दाहिया जी बताते हैं कि हमारे रीवा सम्भाग में लगभग 6000 तलाब हैं, पर उनको बनवाने में कोदो को ही श्रेय जाता है। क्यो कि अकाल दुर्भिक्ष के समय जनता पालयन न करे इसलिए राजा इलाकेदार, या सम्पन्न लोग अपने रिजर्व में रखे बनडे बखारियो के कोदो को निकाल काम के बदले अनाज पर तालाब बनवा देते थे।

अल्प बारिश में पक जाती है कुटकी 


 यह मात्र डेढ़ महीने की फसल है जिस पर  बघेल खण्ड में एक कहावत भी प्रचलित है कि तीन पाख दो पानी।पक आई कुटुक रानी।। कुटकी की खेती प्रायः हल्की जमीन में होती है। यह मानसून की पहली बारिश के बाद खेतो में बो दी जाती है बाद में कितना भी सूखा पड़े यह एक दो बार के बारिश में पक आती है। यह चीटियों को इतनी पसन्द है कि  अगर बुबाई कर हल न चलाया जाय तो चीटियां सारा बीज उठा ले जाती है। इसका चावल खिचड़ी और पेज बनाकर उपयोग होता है। कुटकी की खीर बहुत ही स्वादिष्ट होती है । आज कल इसकी खीर तो बड़े बड़े होटलो में परोसी जाती है।कोदो की तरह इसे भी अकाल दुर्भिक्ष केलिए 80 वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

मोटे अनाजों का बड़ा भाई सांवा





पकने के मामले  में  सांवा भी कुटकी का बड़ा भाई ही है, जो डेढ़ माह में पक जाता है। इसकी बुबाई मानसून की पहली बारिश के बाद बीज को खेत मे छिटक कर हल्की जुताई कर दी जाती है। फिर न तो कोई घास इसे दबा पाती और न ही सूखे का असर होता। सभी अनाजो से पहले पक जाने के कारण इसे अनाजो  का बड़ा भाई भी कहा जाता है। यथा सांवा जेठा अन्न कहावय।सब अनाज से आगे आवय।। इसे किसान ऊँचे खेतो में बोते है और अगस्त के अंतिम सप्ताह में कट जाने के बाद खेत की जुताई कर उसी खेत मे चना या अलसी की खेती की जा सकती है। सांवा अतीसार की मुफीत औषधि  है । इसका चावल और रोटी दोनो बनते हैं । किन्तु खीर बहुत ही स्वादिष्ट होती है।

भूख से राहत दिलाने वाला अन्न काकुन या कांग




 यह भी डेढ़ माह में पकने वाली और किसान को शीघ्र भूख से राहत दिलाने वाला अन्न है। इसकी एक बालिन्स लटक रही बालिया पक्षियों के आकर्षण का केंद्र होती है । तोते बाल को काट ले जाकर पेड़ में बैठ मजे से खाते है अस्तु इसकी अकेले के बजाय मक्के के साथ मिलमा खेती होती है। जिससे 3 फीट ऊँचा पौधा छिपा रहे। इसका चावल या  खीर के लिए उपयोग होता है।

दो महीने की फसल वाला अनाज मक्का


यह दो महीने की फसल वाला अनाज है। इसे भी पहली मानसूनी बारिश के बाद बोया जाता है। मक्के के लिए घर के पाश वाली ऊँची जमीन चुनी जाती है जिसमे पर्याप्त गोबर की खाद पड़ी हो। मक्के के बाद उसी खेत मे गेहूं चना और सरसों की फसल ली जा सकती है। इसकी रोटी दलिया खीर महेरी आदि बनती है कच्चे भुट्टे के दाने भून कर खाने में स्वादिस्ट होते हैं । इसका लावा भी भून कर खाया जाता है। यदि सिचाई का साधन हो तो अप्रेल मई में भी इसकी खेती हो सकती है।

 ज्वार की होती है मिलमा खेती


ज्वार की विभिन्न प्रकार की लाल, पीली, सफेद, मटमैली, एक दाने तथा दो दाने वाली 8-10 प्रजातियां होती हैं।
इसे मानसूनी बारिश के बाद खेत की अच्छी तरह जुताई कर 4-5  अनाजों  की मिलमा खेती की जाती है।
परम्परागत ज्वार का पौधा अमूमन 7-8 फुट का होता है और डेढ़ से 2 फीट के अंतराल से बोया जाता है। अस्तु नीचे का गेप भरने के लिए झाड़ीदार पौधा मूग उड़द और लम्बाई का गेप भरने के लिए तिल, अरहर अम्बारी आदि की मिलमा खेती भी की जाती है। ज्वार का तासीर गर्म होने के कारण इसे नवम्बर से फरवरी तक रोटी दलिया आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है। ठंड के महीने में खाने से यह शीत जनित बीमारियों से भी बचाव करती है। बरसात में इसे भून कर महुए के साथ भी खाया जाता है। इस तरह यह मोटे अनाज शरीर के लिए काफी फायदेमन्द हैं  पर अफसोस कि जहां हमारे भोजन में पहले स्वाभाविक रूप से 10-12 अनाजो की बाहुलता थी अब  हमारा भोजन हरित क्रांति आने के बाद मात्र 3 अनाजो में ही सिमट गया है।  जिसके परिणाम भी कुपोषण और डायबिटीज , रक्तचाप आदि के रूप में दिखने लगा है।

00000    

Thursday, September 19, 2019

प्राकृतिक पर्यटन के साथ सांस्कृतिक पर्यटन को मिले बढ़ावा: आयुक्त

  •   अजयगढ़ किला सहित बफर व टेरीटोरियल क्षेत्र में शुरू होगा पर्यटन
  •   पर्यटन को बढ़ावा मिलने से वनों व वन्य प्राणियों की होगी सुरक्षा: कलेक्टर
  •   मड़ला में आयोजित हुई पन्ना टाईगर रिजर्व के सलाहकार मण्डल की बैठक




अरुण सिंह,पन्ना। मन्दिरों के शहर पन्ना में पर्यटन की विपुल संभावनाओं को देखते हुये शहर के आस-पास स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थलों का विकास कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जायेगा। इस योजना में सांस्कृतिक व मानसून पर्यटन को भी जोड़ा जायेगा। अजयगढ़ स्थित प्राचीन किला व बफर क्षेत्र सहित इस क्षेत्र में टेरीटोरियल के जंगल में भी पर्यटन गतिविधियां शुरू की जायेंगी। पर्यटन विकास से जुड़े इन अहम मुद्दों तथा वन क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिये गुरूवार को मड़ला स्थित कर्णावती में पन्ना टाईगर रिजर्व के स्थानीय सलाहकार समिति की बैठक आयोजित हुई, जिसमें पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। इस बैठक में आयुक्त सागर सम्भाग आनन्द कुमार शर्मा के साथ राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से लगे हुये जिलों के कलेक्टर, जनप्रतिनिधिगण एवं सलाहकार मण्डल समिति के शासकीय एवं अशासकीय सदस्यगण उपस्थित रहे।
बैठक के प्रारंभ में पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया द्वारा पिछले वर्षो में राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों की जानकारी दी गई और बताया कि पन्ना से अमानगंज मार्ग पर पडऩे वाले अकोला गाँव में नाईट सफारी प्रारंभ है। आगामी आने वाले समय में अजयगढ़ क्षेत्र में भी नाईट सफारी प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि टाईगर रिजर्व क्षेत्र से लगे होटलों की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं उनके लिये पन्ना टाईगर रिजर्व से अनुमति लेना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संचालित होटलों से वर्तमान तक कोई समस्या नहीं आई है। बैठक में कलेक्टर पन्ना कर्मवीर शर्मा द्वारा कहा गया कि पन्ना राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पन्ना के नगरीय एवं सांस्कृतिक व ऐतिहासिक क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों को पन्ना नगर में भी लाया जाये, जिससे वे पन्ना जिले के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व की इमारतों को देख सकें। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा पन्ना जिले के मन्दिरों एवं अन्य ऐतिहासिक इमारतों के संबंध में सचित्र पुस्तिका तैयार की जा रही है। इसे आस-पास के पर्यटन स्थलों पर भेजा जायेगा, जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग पर्यटकों को पन्ना लायें। उन्होंने कहा कि यदि जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है तो जिले के विकास के साथ-साथ जंगलों का संरक्षण होगा। पर्यटन से राष्ट्रीय उद्यान को भी आय बढ़ाने के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने बताया कि किलकिला नदी के जल को शुद्ध करने के लिये मिनी स्मार्ट सिटी अन्तर्गत प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजा गया है।

पर्यटन से मिलेंगे रोजगार के नये अवसर


आयुक्त श्री शर्मा ने कहा कि कलेक्टर पन्ना का पन्ना जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने का एक अच्छा प्रयास है। मैं चाहूँगा कि पन्ना जिले में प्राकृतिक पर्यटन के अलावा सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिले जिससे जिले के लोगों रोजगार के अवसर प्राप्त हों। जिले के लोगों को रोजगार प्राप्त होने से वनों के प्रति लोगों का रूझान होगा, जिससे लोग वनों को खुद ही संरक्षित करेंगे। बैठक में राजनगर विधायक कु. वीर विक्रम ङ्क्षसह, विधायक छतरपुर आलोक चतुर्वेदी द्वारा सुझाव देते हुये कहा गया कि वन क्षेत्र में बसे लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिये। किसानों के खेतों में जंगली जानवर नुकसान न करें जिसके लिये राष्ट्रीय उद्यान एवं वन विभाग को खेतों की बाउण्ड्रीबाल तैयार कराई जानी चाहिये। बैठक में वरिष्ठ पत्रकार अरूण सिंह  द्वारा सुझाव दिया गया कि पन्ना जिले के जंगलों से पर्यावरण को जो लाभ हो रहा है उसके बदले शासन से राशि प्राप्त होनी चाहिये, ताकि इस राशि से वन क्षेत्र में निवास करने वाले ग्रामीणों की मदद की जा सके। लाभ मिलने पर ही ग्रामीण वन व वन्य प्राणियों की सुरक्षा के प्रति प्रेरित हो सकेंगे। बैठक में यह भी सुझाव दिये गये कि किसानों को सहायता राशि देने के साथ उन्हें खेतों में सामान्य फसलों की खेती न करके वृक्षों की खेती के लिये प्रोत्साहित किया जाये जिससे लोगों का वनों के प्रति अच्छा भाव बना रहे। बैठक में श्यामेन्द्र सिंह (बिन्नीराजा), डॉ. रघु चुण्डावत वरिष्ठ वैज्ञानिक, हनुमन्त सिंह  (रजऊ राजा) आदि द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये।

डायमण्ड टूरिज्म पर भी हो रहा कार्य


बेशकीमती हीरों की उपलब्धता के लिये भी पन्ना जाना जाता है। यहां एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड हीरा खदान के अलावा उथली खदानों से भी हीरा निकलता है। इसे दृष्टिगत रखते हुये पन्ना में डायमण्ड पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास भी शुरू किये गये हैं। बैठक में टाईगर कॉरिडोर को संरक्षित करने तथा वन क्षेत्र के ग्रामों तक बारिश के मौसम में आवागमन सुचारू रूप से कायम रखने के लिये नालों में पुल व पुलिया का निर्माण कराये जाने पर भी जोर दिया गया। राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया द्वारा कहा गया कि इस बैठक में प्राप्त सुझावों के आधार पर कार्ययोजना तैयार कर शासन की ओर भेजी जायेगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ क्षेत्र का विकास सुनिश्चित हो सके। बैठक में सम्भागीय एवं जिला स्तर के पुलिस अधिकारी, सीसीएफ छतरपुर आर.पी. राय, कलेक्टर छतरपुर मोहित बुंदस, कलेक्टर दमोह तरूण राठी, वनमण्डलाधिकारी छतरपुर, गुनौर विधायक शिवदयाल बागरी, जिला समन्वयक दि. लास्ट वाइल्डरनेस फाउण्डेशन पन्ना इन्द्रभान सिंह बुन्देला, प्रो. गिरिटो जंगल कैम्प पन्ना अभिनव पाण्डेय, ग्राम पंचायत सरपंच हिनौता के साथ समिति के अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे।
00000

Tuesday, September 17, 2019

प्रभारी मंत्री ने पन्ना में नवनिर्मित ट्रामा सेन्टर का किया लोकार्पण

  •   जिला चिकित्सालय परिसर में 379.33 लाख रू. की लागत से हुआ है निर्माण
  •   ट्रामा सेन्टर में दुर्घटना के शिकार लोगों को मिलेगा त्वरित उपचार
  •   चिकित्सा एवं शिक्षा सुविधाओं के विकास में देंगे पूरा ध्यान: प्रभारी मंत्री


ट्रामा सेन्टर के लोकार्पण अवसर पर आयोजित समारोह में सभा को संबोधित करते हुए प्रभारी मंत्री व मंचासीन अतिथि। 

 अरुण सिंह,पन्ना। जिला चिकित्सालय परिसर पन्ना में 379.33 लाख रू. की लागत से निर्मित  सर्वसुविधायुक्त ट्रामा सेन्टर का आज प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने लोकार्पण किया। ट्रामा सेन्टर की सौगात मिलने से अब सड़क दुर्घटनाओं के शिकार सहित अन्य एक्सीडेन्टल केसों में लोगों को त्वरित उपचार मिल सकेगा। पूरे विधि विधान के साथ ट्रामा सेन्टर का लोकार्पण करने के उपरान्त आयोजित समारोह को संबोधित करते हुये प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि चिकित्सा एवं शिक्षा सुविधाओं के विकास हेतु प्रदेश सरकार द्वारा पूरे प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा और शिक्षा दो ऐसे क्षेत्र हैं, जहां दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करने की आवश्यकता है। सामूहिक प्रयासों से ही इन दोनों क्षेत्रों में अपेक्षित परिणाम हासिल किया जा सकता है। समारोह में क्षेत्रीय सांसद विष्णुदत्त शर्मा, पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह , गुनौर विधायक शिवदयाल बागरी, जिला पंचायत अध्यक्ष रविराज सिंह यादव, नपा अध्यक्ष मोहन लाल कुशवाहा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति दिव्यारानी सिंह,पूर्व गृह मंत्री कैप्टन जयपाल सिंह, केशव प्रताप सिंह, रवीन्द्र शुक्ल, शिवजीत सिंह,पूर्व विधायक श्रीकांत दुबे, शारदा पाठक, मनीष शर्मा, भरत मिलन पान्डेय सहित कांग्रेस के नेता व जनप्रतिनिधि मंचासीन रहे।




प्रभारी मंत्री ने कहा कि पूरे प्रदेश में चिकित्सकों की कमी है, जिसको लेकर मुख्यमंत्री जी ने भी चिन्ता जताई है। आपने बताया कि प्रदेश में अतिशीघ्र एक हजार चिकित्सकों की नियुक्ति की जायेगी, फलस्वरूप पन्ना जिला चिकित्सालय में रिक्त चिकित्सकों के पद भी भरे जायेंगे। उन्होंने पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा शुरू किये गये संजीवनी अभियान की प्रशंसा करते हुये कहा कि कुपोषण को खत्म करने के लिये यह अभिनव प्रयास है। इस अभियान के तहत जिले के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व नागरिकों द्वारा कुपोषित बच्चों को गोद लिया जा रहा है। अब तक जिले में 2891 कुपोषित बच्चों को गोद लिया जा चुका है। प्रभारी मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि कुपोषण से मुक्ति के लिये शुरू किये गये संजीवनी अभियान की तर्ज पर शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये भी पहल होनी चाहिये। आपने कहा कि शासकीय स्कूलों को भी गोद लेने के लिये लोग आगे आयें, ताकि स्कूल बेहतर बन सकें। प्रभारी मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूल ऐसे होने चाहिये कि अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों से निकालकर स्वमेव सरकारी स्कूलों में भर्ती कराने के लिये प्रेरित हों। आपने कहा कि म.प्र. के बच्चे शिक्षित होंगे तो प्रदेश का तेजी से विकास होगा। प्रभारी मंत्री ने मिलावटखोरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही पर जोर देते हुये कहा कि मिलावटखोरी बीमारी की जड़ है। प्रदेश सरकार द्वारा मिलावटखोरी के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है और दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही भी हो रही है।

विकास के मुद्दे पर करेंगे मिलकर काम: सांसद




पन्ना जिले को ट्रामा सेन्टर की सौगात मिलने पर क्षेत्रीय सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने प्रभारी मंत्री को धन्यवाद ज्ञापित करते हुये कहा कि विकास के मुद्दे पर हम सब मिलकर काम करेंगे। दलगत राजनीति क्षेत्र व जिले के विकास में कहीं भी आड़े नहीं आनी चाहिये। सांसद श्री शर्मा ने कहा कि पन्ना जिला चिकित्सालय में सुविधाओं के विस्तार हेतु बतौर सांसद जो भी संभव है, उसके लिये मैं तत्पर हूँ। उन्होंने आश्वस्त किया कि सांसद निधि से जिला अस्पताल की आवश्यकताओं की पूॢत हेतु वे मदद करेंगे। आपने भी कुपोषण के खिलाफ जिले में शुरू किये गये संजीवनी अभियान की सराहना करते हुये कहा कि पन्ना जिले में पर्यटन के विकास हेतु हम हर संभव प्रयास करेंगे।

विशेषज्ञ चिकित्सकों व स्टाफ की कमी दूर हो: बृजेन्द्र प्रताप सिंह 


ट्रामा सेन्टर का लोकार्पण पन्ना जिले के लिहाज से निश्चित ही एक अच्छी शुरूआत है, लेकिन इसका पूरा लाभ जिले के लोगों को मिले, इसके लिये चिकित्सकों की कमी को दूर किया जाना चाहिये। यह बात समारोह को संबोधित करते हुये पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह  ने कही। उन्होंने कहा कि ट्रामा सेन्टर तो खुल गया है लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों व स्टाफ की जिला अस्पताल में भारी कमी है। पन्ना विधायक ने प्रभारी मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुये कहा कि पन्ना में कृषि महाविद्यालय व इंजीनियरिंग  कॉलिज खोले जाने की घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई जबकि इसकी सारी औपचारिकतायें पूरी हो चुकी हैं तथा बजट भी स्वीकृत है। दोनों उच्च शिक्षण संस्थायें खुल जाने पर पन्ना जिले के युवाओं को इसका लाभ मिलेगा।

ट्रामा सेन्टर पन्ना के लिये बड़ी सौगात: दिव्यारानी सिंह 


 जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष श्रीमति दिव्यारानी सिंह  ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि ट्रामा सेन्टर के रूप में पन्ना को बड़ी सौगात मिली है। सड़क मार्गों पर आये दिन हादसे घटित होते हैं, फलस्वरूप घायलों को जिला अस्पताल में समुचित रूप से त्वरित उपचार नहीं मिल पाता था, जिससे घायलों को बाहर के लिये रेफर करना पड़ता था। अब ट्रामा सेन्टर खुलने से पन्ना में ही घायलों को त्वरित उपचार मिल सकेगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने भी जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी से उत्पन्न हो रही समस्या की ओर प्रभारी मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया और रिक्त चिकित्सकों के पदों की पूॢत कराने का अनुरोध किया।

ट्रामा सेन्टर के संचालन हेतु 73 पद स्वीकृत: डॉ. तिवारी


नवनिॢमत ट्रामा सेन्टर के सफल संचालन हेतु शासन द्वारा कुल 73 पद स्वीकृत किये गये हैं। जिसके अन्तर्गत चिकित्सक विशेषज्ञ 6 पद, चिकित्सा अधिकारी के 6 पद, पैरामेडिकल के 36 तथा मल्टी वर्कर के 12 पद स्वीकृत किये गये हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने जानकारी देते हुये बताया कि ट्रामा सेन्टर में कम्प्यूटराईज्ड पंजीयन कक्ष, 9 चिकित्सक कक्ष, एक्स-रे कक्ष, टीकाकरण कक्ष, माईनर शल्य क्रिया, ड्रेङ्क्षसग हेतु ओटी कक्ष, महिला वार्ड, फीजियोथेरेपी कक्ष, दवा वितरण काउण्टर, पैथालॉजी लैब, आकस्मिक चिकित्सा कक्ष तथा प्लास्टर कक्ष की सुविधा भू-तल पर उपलब्ध हो सकेंगी। जबकि ट्रामा सेन्टर के प्रथम तल पर मरीजों के लिये 5 बिस्तरीय 3 जनरल वार्ड, डॉक्टर ड्यूटी कक्ष, स्टोर, ऑटोक्लेव कक्ष, 2 ऑपरेशन थियेटर, स्टाफ नर्स कक्ष, आईसीयू वार्ड तथा पैथालॉजी रिकार्ड कक्ष की सुविधा रहेगी।

00000

दैनिक जागरण ग्वालियर 



Sunday, September 15, 2019

पन्ना के जुगल किशोर पितरों को कर रहे तर्पण

  • भगवान ने धारण कर लिये हैं श्वेत वस्त्र

  • श्री जुगल किशोर जी मन्दिर में अनूठी परम्परा 



अरुण सिंह,पन्ना। मन्दिरों के शहर पन्ना में स्थित जन आस्था के केन्द्र श्री जुगल किशोर जी मन्दिर की छटा इन दिनों बदली-बदली है। भगवान श्री जुगल किशोर पितृपक्ष शुरू होते ही श्वेत वस्त्र धारण कर अपने पितरों को तर्पण करने लगे हैं। पन्ना में मिनी वृन्दावन कहे जाने वाले भगवान जुगल किशोर मन्दिर में पितृपक्ष पर भगवान अपने पितरों के आत्मा की शान्ति के लिये तर्पण कर रहे हैं। पितृपक्ष के इन 15 दिनों में भगवान स्वेत वस्त्र ही धारण करेंगे।
मन्दिर के पुजारी अवध बिहारी बताते हैं कि जिनके नाम लेने मात्र से दुनियाभर की चिन्तायें दूर हो जाती हैं उन साक्षात् भगवान विष्णु के अवतार भगवान जुगल किशोर को अपने पितरों के आत्मा की शान्ति की चिन्ता है। इसी कारण वे पितृपक्ष में हर साल सुबह 5 बजे तर्पण करते हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया मन्दिर के गर्भगृह में पुजारियों द्वारा निभाई जाती है। जन सामान्य के लिये इसे देखना निषेध है। उन्होंने बताया, पितृपक्ष के 15 दिनों भगवान तर्पण करने के साथ ही स्वेत वस्त्र भी धारण करेंगे। गौरतलब है कि देश में ऐसे बहुत ही कम मन्दिर हैं जहां भगवान सामान्य इंसानों की भांति अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिये इस तरह से तर्पण करते हों। यहां इसी तरह से आयोजित होने वाली परम्परायें और रस्में पन्ना के मन्दिरों को देश के अन्य मन्दिरों से अनूठा बनाती हैं। भगवान जुगल किशोर का मन्दिर पन्ना के सर्वाधित प्रसिद्ध मन्दिरों में से एक है। यहां भगवान विष्णु के सभी अवतारों की झांकी सजाई जाती है। दिन में पाँच समय भगवान की आरती होती है। हर समय की आरती में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव यहां साल में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा कार्यक्रम है।

00000


बरबीरा बांध के पानी से खेती बनेगा लाभ का धन्धा

  •   बराछ गाँव के पास बरबीरा नाले में बनकर तैयार हुआ बांध
  •   7 करोड़ रू. की लागत वाले इस डेम से 11सौ एकड़ में होगी सिंचाई
  •   बराछ सहित नजदीकी पाँच गाँव के किसानों को मिलेगा लाभ


बराछ गांव के  पास बरबीरा नाले में नवनिर्मित सिंचाई बांध। 

 अरुण सिंह,पन्ना। सिंचाई सुविधाओं के बिना खेती से अच्छा उत्पादन लेने तथा खेती को लाभ का धन्धा बनाने की कल्पना नहीं की जा सकती। कृषि योग्य भूमि तेजी से बढ़ती आबादी के अनुपात में बहुत कम है, ऐसी स्थिति में उन्नत कृषि तकनीक का उपयोग व सिंचाई सुविधाओं का विस्तार कर उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि अन्नदाता किसान खुशहाल जिन्दगी जी सके। म.प्र. के पन्ना जिले में वन क्षेत्र अधिक होने के कारण कृषि भूमि सीमित है। इस कृषि भूमि को सिंचित बनाने के लिये जिले में सिंचाई जलाशयों व बांधों का योजनाबद्ध तरीके से इस तरह निर्माण कराया जा रहा है कि अधिक से अधिक कृषि भूमि सिंचित हो सके और किसान आराम से दो फसल ले सकें। जिले में केन नदी के तेन्दूघाट पर बनकर तैयार हुई पवई मध्यम सिंचाई परियोजना के साथ ही रून्ज व मझगांय मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण का कार्य अब तेजी से शुरू किया गया है। इन बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के अलावा जिले में छोटे किन्तु बेहद उपयोगी तालाबों का भी निर्माण कराया गया है, जिनमें बराछ गाँव के पास बनकर तैयार हुआ बरबीरा बांध है।

बांध बनने से होने वाले लाभ की जानकारी देते किसान।

जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 20 किमी दूर बराछ गाँव के निकट बरबीरा नाला पर बना यह बांध बराछ सहित इटवांकला, गौरा, शिवराजपुर व पिपरी गाँव के किसानों के लिये वरदान साबित होगा। अंग्रेजी अक्षर यू के आकार में बने इस बेहतरीन बांध की लोकेसन इतनी अच्छी है कि अल्प बारिश में ही यह पानी से लबालब भर जायेगा। इसकी वजह बरबीरा नाला है जिसके प्रवाह क्षेत्र में इस बांध का निर्माण कराया गया है। मालुम हो कि बरबीरा नाला पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगल से निकला है, इसकी विशेषता यह है कि थोड़ी बारिश होने पर ही जंगल व पहाड़ों का पानी सिमटकर इस नाले से बहने लगता है। बरबीरा नाले में पानी की आवक इतनी अधिक है कि तेज बारिश होने पर 24 घण्टे में ही यह बांध भर जायेगा। जाहिर है कि इस बांध के बन जाने से बराछ सहित पाँच गाँव के किसानों को अल्प वर्षा होने की स्थिति में भी सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी मिल सकेगा। बरबीरा गांध का निर्माण कराने वाले कान्ट्रेक्टर रामबाबू सिंह ने जानकारी देते हुये बताया कि 7 करोड़ रू. की लागत वाले इस बांध की सिंचाई क्षमता 11सौ एकड़ है। बांध से साढ़े पाँच किमी लम्बी नहर का निर्माण भी कराया जा चुका है, जिससे खेतों तक पानी पहुँचेगा।

इस वर्ष भरेंगे सिर्फ 33 फीसदी पानी


 बरबीरा बांध से निकली नहर का दृश्य।
बरबीरा बांध चूंकि इसी वर्ष बनकर पूरा हुआ है, इसलिये प्रथम वर्ष बांध में क्षमता का 33 फीसदी पानी ही भरा जायेगा। अगले साल से क्षमता के अनुरूप बांध में लबालब पानी रहेगा। मालुम हो कि पन्ना जिले में इस वर्ष अभी तक औसल से भी कम 829 मिमी वर्षा हुई है जबकि पन्ना जिले की औसत वर्षा 1176.4 मिमी है। अल्प वर्षा के चलते पन्ना शहर के आस-पास स्थित जलाशय अभी तक नहीं भर पाये हैं। लेकिन बरबीरा जलाशय के गेट पूरे खुले हैं। फलस्वरूप नहर से लगातार पानी बह रहा है। इसके बावजूद बांध में पानी भरा हुआ है। तकनीकी अधिकारियों के मुताबिक बारिश का सिलसिला खत्म होने के बाद बांध का स्लूश गेट बन्द कर दिया जायेगा, फलस्वरूप पर्याप्त पानी बांध में भर जायेगा।

किसान खेतों में ले सकेंगे दो फसल


सिंचाई की सुविधा मिलने से इस क्षेत्र के किसान अपने खेतों में अब दो फसल ले सकेंगे। बराछ गाँव के जयमंगल सिंह , द्वारका पटेल व भोपाल सिंह  ने बताया कि बहुत अच्छा और मजबूत बांध बना है, इस बांध के बन जाने से इस पूरे इलाके में खुशहाली आयेगी। जिन खेतों में सिर्फ मूँग, उड़द और तिली की ही फसल ले पाते थे, वहां भी अब गेंहूँ की अच्छी पैदावार होगी। इन किसानों ने बतााय कि बरबीरा नाला जंगली नाला है, जिसका पानी बारिश में बहकर बर्वाद हो जाता था। अब यह पानी बांध में भरेगा जिसे सिंचाई के लिये उपयोग किया जा सकेगा। किसानों ने बताया कि बांध के बनने से कृषि भूमि की कीमत भी बढ़ गई है।

00000


Saturday, September 14, 2019

दुर्लभ वन्यजीव पैंगोलिन के अंगों सहित चिकित्सक गिरफ्तार

  •   एसटीएफ जबलपुर की टीम ने सूचना मिलने पर की कार्यवाही
  •   पैंगोलिन के शिकार व तस्करी से जुड़े हैं चिकित्सक के तार


 दुर्लभ वन्य जीव पैंगोलिन। (फाइल फोटो)

अरुण सिंह,पन्ना। घने जंगल व विभिन्न प्रजातियों के दुर्लभ वन्यजीवों के लिये प्रसिद्ध म.प्र. के पन्ना जिले में हर समय शिकारियों व तस्कारों की नजरें गड़ी रहती हैं। यहां के जंगलों में पाये जाने वाले संकटग्रस्त दुर्लभ वन्य प्राणी पैंगोलिन के अवैध शिकार व उसके अंगों की तस्करी के मामले में एसटीएफ जबलपुर की टीम ने जिला मुख्यालय पन्ना से एक झोलाछाप चिकित्सक को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ की टीम ने इस कथित चिकित्सक के कब्जे से पैंगोलिन के  12 नग शल्क बरामद किये हैं।

गिरफ्तार आरोपी के साथ एसटीएफ जबलपुर की टीम।

मामले के संबंध में जानकारी देते हुये उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओं नरेश सिंह यादव ने आज बताया कि मुखबिर की सूचना मिलने पर जबलपुर एसटीएफ की टीम व वन अमले द्वारा संयुक्त रूप से कार्यवाही की गई है। विदित हो कि शुक्रवार 13 सितम्बर की रात एसटीएफ जबलपुर की टीम अचानक पन्ना पहुँची और डायमण्ड चौराहा जगात चौकी के पास दबिश देकर आरोपी चिकित्सक तपश राय को दबोच लिया। एसटीएफ की टीम आरोपी को लेकर सीधे डीएफओ उत्तर वन मण्डल पन्ना के कार्यालय में पहुँची और देर रात तक पूछताछ करती रही। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि आरोपी से सघन पूछताछ करने पर पैंगोलिन के शिकार व तस्करी में लिप्त अन्य आरोपियों का भी खुलासा हो सकता है।

पैंगोलिन की 12 नग शल्क बरामद


 आरोपी से बरामद पैंगोलिन के 12 नग शल्क।
आरोपी झोलाछाप चिकित्सक तपश राय तनय गुरूपत राय के सब्जे से एसटीएफ की टीम ने संकटग्रस्त वन्यजीव पैंगोलिन के 12 स्केल(शल्क) सहित मोबाइल व एक मोटरसाइकिल बरामद की है। आरोपी चिकित्सक के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, 39, 49 एवं 51 के तहत मामला दर्ज किया गया है। डीएफओ उत्तर नरेश सिंह यादव ने बताया कि एसटीएफ जबलपुर की टीम में शैलेन्द्र कुमार (एएसआई), मनीष तिवारी, नीतेश दुबे, हर्षवर्धन तिवारी, दिलावर सिंह तथा निर्मल सिंह सभी आरक्षक शामिल थे। एसटीएफ टीम व वन अमले द्वारा पैंगोलिन के शिकार व तस्करी के इस सनसनीखेज मामले की गहराई के साथ  छानबीन की जा रही है।

संरक्षण अधिनियम की अनुसूची प्रथम में आता है पैंगोलिन

दुर्लभ वन्य प्राणी पैंगोलिन के शरीर शरीर पर बालों के गुच्छे(कैरेटाइन) सख्त होकर सेल में रूपांतरित हो जाते हैं और रक्षा कवच बनाते हैं। भारत में यह प्रजाति संरक्षित है, इसे वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची प्रथम में रखा गया है। यह बंगलादेश, चीन, भारत, म्यांमार, नेपाल, ताइवान, थाईलैण्ड और वियतनाम में राष्ट्रीय और उपराष्ट्रीय कानूनों से संरक्षित है। लगभग 100 सेमी. की लम्बाई वाला यह प्राणी खतरे का आभास होते ही अपने शरीर को गेंद की तरह गोल बनाकर निर्जीव की तरह पड़ा रहता है। इस शक्ल में पेंगोलिन ऐसा प्रतीत होता है मानो जमीन में भूरे या पीले रंग का कोई गोल पत्थर पड़ा है। वन अधिकारियों के मुताबिक पेंगोलिन का पूरा शरीर एक-दूसरे पर चढ़े हुये पीले भूरे रंग के शल्कों से ढँका रहता है। अत्यधिक कठोर ये शल्क पेंगोलिन के लिये रक्षा कवच साबित होते हैं। लभग 5 से 9 किग्रा. वजन वाले इस दुर्लभ प्राणी का शरीर सिर, गर्दन, धड़ व पूँछ में विभक्त रहता है। अत्यधिक चौकन्ना होकर धीमी चाल से जब पेंगोलिन चलता है तो उसकी पीठ ऊपर उठी रहती है। इस अनूठे वन्यजीव का उपयोग सेक्सुअल पावर बढ़ाने की दवाईयां बनाने में उपयोग होने के चलते तस्करों की नजर इस पर बनी रहती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक पेंगोलिन के अंगों की कीमत लाखों में होती है, अत्यधिक माँग के चलते यह वन्यजीवन विलुप्ति की कगार पर जा पहुँचा है।

अनोखा है भोजन करने का तरीका


पेंगोलिन एक रात्रिचर प्राणी है जिसका मुख्य आहार चीटियां, दीमक व उनके अण्डे हैं। इस विचित्र जीव का भोजन करने का तरीका भी अनोखा है। यह अपनी लगभग 30 सेमी. लम्बी चिपचिपी जीभ को चीटियों व दीमक के घरों में डालकर चुपचाप पड़ा रहता है। जब चीटियां व दीमक इसकी जीभ में चिपक जाते हैं तो यह जीभ को मुँह के भीतर खींचकर उन्हें चट कर जाता है। जानकार यह बताते हैं कि गठिया बात, बबासीर व भगंदर जैसे असाध्य रोगों के लिये भी पेंगोलिन के अंगों का उपयोग किया जाता है। भूत-प्रेत की छाया से बचने के लिये भी इसकी हड्डियों की अंगूठी पहनने का रिवाज है। ऐसी अवैज्ञानिक धारणाओं और अंधविश्वास के चलते ही यह अद्भुत प्राणी अब दुर्लभ हो गया है।

00000


पन्ना के बृजेश उपाध्याय को मिला 29 कैरेट 46 सेंट का नायाब हीरा

  •  गरीब मजदूर मोतीलाल को 8 माह पूर्व मिल चुका है 42. 59 कैरेट का बेशकीमती हीरा 
  •   44 कैरेट वजन का सबसे बड़ा हीरा 58 वर्ष पूर्व 1961 में रसूल मोहम्मद को मिला था 
  •  रत्नगर्भा पन्ना की धरती ने अब तक अनेकों लोगों बनाया है रंक  राजा 


उथली खदान से मिला नायाब हीरा तथा हीरा धारक बृजेश उपाध्याय को जमा करने  रशीद प्रदान करते हुए कलेक्टर कर्मवीर शर्मा  

 अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के  पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में  फिर एक 29.46 कैरेट वजन का बेशकीमती हीरा पन्ना शहर के बड़ा बाजार निवासी बृजेश उपाध्याय को मिला है।  इसके पूर्व 8 माह पहले पन्ना के ही गरीब मजदूर  मोती लाल को 42 कैरेट 59 सेंट वजन का बेशकीमती नायाब हीरा मिला था। यह 42.59 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा खुली नीलामी में  6 लाख रू. प्रति कैरेट की दर से 2 करोड़ 55 लाख रू. में बिका था, जिसे झांसी उ.प्र. के निवासी राहुल अग्रवाल ने खरीदा था। शुक्रवार 13 सितम्बर को जमा हुये  नायाब हीरे की अनुमानित कीमत अधिकृत रूप से अभी नहीं बताई गई लेकिन जानकार इसकी कीमत करोड़ों रू. बता रहे हैं। मालुम हो कि इस माह बीते 15 दिनों में जिला मुख्यालय स्थित हीरा कार्यालय में उज्जवल किस्म के चार  हीरे जमा हो चुके हैं लेकिन बीते 8 माह के दौरान उथली
 खदानों से दो बड़े और नायाब हीरे मिले हैं, जिससे उथली हीरा खदानों के प्रति तुआदारों का जबरजस्त आकर्षण बढ़ा है। मालूम हो कि  जिले की उथली हीरा खदानों से हीरा मिलने का सिलसिला लगातार जारी है जिससे हीरों की तलाश करने वाले लोगों में जहां भारी उत्साह है वहीं हीरा कार्यालय में भी खुशी का माहौल है।
 हीरा अधिकारी कार्यालय द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पन्ना  कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के मार्गदर्शन में अवैध खनिज उत्खनन एवं परिवहन पर कडाई से निगरानी रखी जा रही है। जिससे जिले की उथली खदानों से लगातार प्राप्त होने वाले हीरे कार्यालय में जमा हो रहे हैं। जिले के कृष्णाकल्याणपुर (पटी) क्षेत्र में  बृजेश कुमार उपाध्याय निवासी बडा बाजार पन्ना को हीरा कार्यालय द्वारा उत्खनन पट्टा जारी किया गया था। फलस्वरूप उसे यहाँ  29.46 कैरेट का उज्जवल हीरा प्राप्त हुआ है। प्राप्त हीरे को कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की उपस्थिति में हीरा कार्यालय में जमा कराने की कार्यवाही की गयी। कलेक्टर द्वारा हीरा प्राप्त करने वाले व्यक्ति को हीरा कार्यालय में पावती रसीद दी गयी। जिले की उथली खदानों से प्राप्त होने वाले हीरे पिछले कुछ समय से बड़ी संख्या में जमा हो रहे हैं जिससे शासन की राजस्व आय में इजाफा हो रहा है।  उथली खदानों से लगातार मिल रहे बेशकीमती हीरों को देखते हुये हीरों की तलाश में जुटे लोग उत्साहित हैं, उन्हें उम्मीद है कि किसी दिन उनका भाग्य भी चमकेगा।

गौरतलब है कि पलक झपकते ही रंक से राजा बनने का चमत्कार यदि कहीं घटित होता है तो वह रत्नगर्भा पन्ना जिले की धरती है। इस धरती की यह खूबी है कि अचानक ही यहां पर कब किसकी किस्मत चमक जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही कुछ 13 सितम्बर शुक्रवार की सुबह पन्ना शहर के बड़ा बाजार   निवासी बृजेश उपाध्याय की जिन्दगी में घटित हुआ। बृजेश उपाध्याय को 29  कैरेट 46 सेंट वजन का बेशकीमती नायाब हीरा मिला है, जेम क्वालिटी(उज्जवल)  वाले इस हीरे की कीमत करोड़ों रू. बताई जा रही है। हीरा कार्यालय पन्ना के अधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार इसके पूर्व 15 अक्टूबर 1961 में पन्ना के ही रसूल मोहम्मद को महुआटोला की उथली खदान में 44 कैरेट 55 सेंट का सबसे बड़ा हीरा मिला था। कृष्णा कल्याणपुर की पटी उथली हीरा खदान से बीते 9 माह के दौरान 42 कैरेट 59 सेंट एवं 29  कैरेट 46 सेंट वजन के दो बड़े व बेशकीमती हीरे मिल चुके हैं जिससे उथली हीरा खदान क्षेत्र के प्रति हीरों की तलाश करने वाले तुआदारों का आकर्षण बढ़ा है।

 नीलामी में रखा जायेगा यह नायाब हीरा


जिला मुख्यालय पन्ना स्थित हीरा कार्यालय के हीरा पारखी अनुपम सिंह  के अनुसार बृजेश उपाध्याय को मिला हीरा वजन और क्वालिटी के लिहाज से  बहुमूल्य हीरा है, जिसे सरकारी खजाने में जमा कर लिया गया  है।  हीरा पारखी  ने बताया कि प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात आगामी माह में आयोजित होने वाली हीरों की शासकीय नीलामी में  इस हीरे को भी बिक्री के लिये रखा जायेगा। बहुमूल्य हीरा मिलने की खबर फैलने के बाद से बृजेश उपाध्याय के घर पर उत्सव जैसा माहौल है। उनके घर पर परिचितों और रिश्तेदारों का आना-जाना लगा है।
00000

Wednesday, September 11, 2019

कांग्रेस ने गिनाई उपलब्धियां तो भाजपा ने किया घण्टानाद

  • जिला मुख्यालय में  पूरे दिन रही राजनीतिक गहमा - गहमी
  •  दोनों ही  दलों के नेताओं ने एक दूसरे पर साधा निशाना 


सरकिट हाउस पन्ना में आयोजित प्रेस वार्ता में उपलब्धियां गिनाते  हुए कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति दिव्यारानी। 

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना में बुधवार को आज पूरे दिन राजनीतिक गहमा - गहमी बनी रही। कांग्रेस ने जहाँ दोपहर 12 बजे सरकिट हाउस में प्रेस वार्ता आयोजित करके प्रदेश सरकार की उपलब्धियों का बखान किया, वहीँ भाजपा ने भी ठीक इसी समय घण्टानाद आंदोलन के जरिये कांग्रेस सरकार की नाकामियों पर प्रकाश डालते हुए आक्रामक तेवर दिखाये।
उल्लेखनीय है कि  प्रदेश सरकार के 8 माह पूरे होने के उपलक्ष्य में जिला कांग्रेस कमेटी पन्ना की अध्यक्ष श्रीमति दिव्यारानी सिंह  ने प्रेसवार्ता आयोजित कर सरकार की उपलब्धियों और जन कल्याण की योजनाओं के संबंध में जानकारी दी। पन्ना जिले के संदर्भ में आपने कहा कि बीते 8 माह के दौरान जिले के विकास तथा यहां के शिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिये अनेकों कदम उठाये गये हैं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि शहर के प्राचीन जलाशयों को अतिक्रमण से मुक्त करने तथा बारिश के मौसम में वे भर सकें, इस दिशा में किलकिला फीडर को भी पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त करने की पहल शुरू कर दी गई है। ऐसा होने पर प्राचीन धरमसागर तालाब सहित लोकपाल सागर तालाब पानी से लबालब भर सकेंगे, फलस्वरूप नगरवासियों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अपने वायदों को पूरा करने के लिये वचनबद्ध है और इस दिशा में ठोस पहल व प्रयास शुरू हो गये हैं। आपने बताया कि राम वन पथ गमन मार्ग के विकास हेतु सरकार ने बजट का प्रावधान कर दिया है। राम वन पथ गमन मार्ग में पन्ना जिले के भी दो प्रमुख स्थल सुतीक्षण मुनि आश्रम सारंगधर व अगस्त्य मुनि आश्रम आते हैं, इन धार्मिक  महत्व के प्राचीन स्थलों का अब विकास हो सकेगा। इस मौके पर उन्होंने भाजपा सरकार की आलोचना करते हुये कहा कि उन्होंने सिर्फ घोषणायें की थीं, जबकि कांग्रेस सरकार जो कहा उसे करने में यकीन करती है। जिले के शिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिये भी सरकार कटिबद्ध है, इसके लिये 1500 करोड़ रू. की लागत वाली सीमेण्ट फैक्ट्री सिमरिया के पास लग रही है, जहां 70 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। आपने बताया कि शहर के गन्दे नालों विशेषकर किलकिला नदी को साफ स्वच्छ रखने के लिये ट्रीटमेन्ट प्लांट लगाने की दिशा में भी पहल की जा रही है। मौजूदा समय किलकिला नदी में पूरे शहर का गन्दा नालियों का पानी जाता है। इस पानी का उपयोग सब्जी उगाने वाले किसान सिंचाई के लिये करते हैं, जिससे सब्जियां दूषित व स्वास्थ्य के लिये हानिप्रद हो जाती हैं। ट्रीटमेन्ट प्लांट लगने से इस समस्या का निराकरण हो जायेगा। जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार नई डायमण्ड पॉलिसी भी लाने जा रही है, जिसका लाभ हीरा धारकों को मिलेगा। प्रेसवार्ता में जिला कांग्रेस अध्यक्ष के अलावा पूर्व गृहमंत्री कैप्टन जयपाल सिंह  , जिला पंचायत सदस्य केशव प्रताप सिंह, मनीष शर्मा, दीपचन्द्र अग्रवाल सहित कांग्रेसजन व पत्रकार मौजूद रहे।

भाजपा ने घण्टानाद आन्दोलन कर कलेक्ट्रेट का किया घेराव


इंद्रपुरी कॉलोनी स्थित पार्क के सामने आयोजित सभा को सम्बोधित करते भाजपा  नेता। 

 भारतीय जनता पार्टी ने अपने पूर्व घोषित घण्टानाद आन्दोलन को आज इन्द्रपुरी कालोनी स्थिति चन्द्र शेखर पार्क से प्रारंभ किया और घण्टा, शंख, बर्तन व सीटी बजाते हुये जिला कलेक्टर कार्यालय पहुँचे और कार्यालय का घेराव किया। सर्वप्रथम भाजपाईयों ने मंचीय सभा की और भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस सरकार की नाकामियों का जमकर बखान किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये भाजपा के प्रदेश मंत्री व पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह  ने कहा कि मध्यप्रदेश में पिछले 9 माह से कांग्रेस की सरकार चल रही है निश्चित ही कांग्रेस के पास सरकार चलाने के लिये अपना स्वयं का बहुमत नहीं है इसलिये वह अन्य दलों व निर्दलीय विधायकों की मान मनुहार पर टिकी हुई है। भारतीय जनता पार्टी ने निरंतर एक सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाई लेकिन सरकार ने इस सद्भावना को विपक्ष की और मध्यप्रदेश की जनता की कमजोरी समझने की भूल की है। यही कारण है कि सरकार निरंतर निरंकुशता की ओर बढ़ते हुये प्रदेश को बदनाम और बर्बाद करने के रास्ते पर निकल पड़ी है, मध्यप्रदेश की ऐसी बुरी स्थिति कर दी है जिसकी कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां जनहित के सारे काम ठप्प पड़े हैं वहीं दूसरी ओर उन सभी जन कल्याणकारी योजनाओं को बन्द कर दिया गया है जो योजनायें भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने शुरू की थीं। उन्होंने कहा की मध्यप्रदेश का किसान दोहरे और तेहरे धोखे का शिकार हुआ है पहला कर्ज माफी  के झूठ ने उसे डिफाल्टर बना दिया और वह आगामी फसल के लिये खाद बीज तक नहीं खरीद पा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में ट्रांसफर उद्योग चला बिजली गुल होने लगी और सरकार अपना वादा नहीं निभा पाई।
इस अवसर पर पार्टी जिला अध्यक्ष सतानांद गौतम ने कहा कि युवा किसी भी समाज और देश का भविष्य होता है और उसी युवा को प्रारंभिक काल में कांग्रेस सरकार से धोखाधड़ी का शिकार होना पड़े तो सोचिये व्यवस्था से उसका विश्वास किस कदर उठ जायेगा। कांग्रेस की सरकार ने मध्यप्रदेश के युवाओं को रोजगार और बेरोजगारी भत्ता देने के वादे के साथ जो छलावा किया है वह एक गंभीरतम अपराध है। सभा को सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष संजय नगायच, पूर्व जिला अध्यक्ष जय प्रकाश चतुर्वेदी, वरिष्ठ नेता सुधीर अग्रवाल,  राजेश वर्मा, आशुतोष महदेले, बाबू लाल यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष रविराज यादव, उपाध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह , सुशील त्रिपाठी, संजीत सरकार, श्रीकान्त त्रिपाठी, बृजेन्द्र गर्ग, तरूण पाठक व आशा गुप्ता ने भी संबोधित किया।
00000

बीज के भीतर छिपी होती हैं जीवन की असीम संभावनायें

  • अनुकूल वातावरण मिलने पर अन्तर्निहित सम्भावनायें होती हैं साकार                                      
  • एक छोटा सा बीज पूरी पृथ्वी को बना सकता है हरा - भरा                                                                                                                      



अंडे दुनिया की सबसे पवित्र चीजों में शामिल हैं। उनमें जीवन की संभावना छिपी होती है। आने वाला जीवन उनमें दुबक कर बैठा होता है। चुपचाप बैठे-बैठे वह जनम लेने की तैयारी करता है। पड़े-पड़े वह अचानक ही सांस लेने लगता है। सोते-सोते जाग जाता है। जब तक वह अंदर है। बाहर की दुनिया को कुछ भी जाहिर नहीं है। बाहर की दुनिया बस उस खोल को देखती है, जिसके अंदर कुछ हलचल हो रही है। लेकिन, अंदर क्या हो रहा है, किसी को क्या पता।
अंदर जो जीवन है, वह आगे बढ़ भी रहा है या उसमें जो जीवन पनप सकता था उसकी संभावना ही क्षीण हो गई। समाप्त हो गई। ऐसे ही बीज भी पवित्र हैं। बीज पेड़ों के अंडे होते हैं। उनके अंदर भी अपने मां-बाप के जैसा ही पेड़ बनने की संभावना छिपी होती है। बीज बहुत छोटे होते हैं। बरगद, पीपल के विशाल दरख्तों के बीज कैसे सुई की नोंक के बराबर छोटे-छोटे से दाने जैसे होते हैं। इतने छोटे और तुच्छ कि किसी चिड़िया की एक बीट में हजारों बीज समा जाते हैं। इन बीजों में भी जीवन सोता रहता है। अंडों में जीवन की नींद उतनी गहरी नहीं है। अंडे लंबे वक्त तक नहीं सोते। उनमें या तो जीवन पनपेगा या नष्ट हो जाएगा। उसके पनपने की संभावना ही समाप्त हो जाएगी। उसकी समयावधि तय है। उससे आगे जाने की उसकी संभावना नहीं है। लेकिन, बीज बहुत दिनों तक सोते रहते हैं। कई बार पचासियों सालों तक। कई बार सैकड़ों सालों तक। वे चुपचाप पड़े रहते हैं। इंतजार करते हैं। अनुकूल परिस्थितों के आने का। उनके धैर्य का क्या कोई जवाब है। जैसे ही मौसम उनके अनुकूल होता है, वे तुरंत पैदा हो जाते हैं।
चने के बीज सूखे हुए चुपचाप पड़े रहते है। पता नहीं वे आपस में कुछ बात भी कर पाते होंगे कि नहीं। एक दूसरे से सटे हुए वे एक ही डिब्बे में बंद पड़े रहते हैं। किसी बोरे में भरे हुए। एक-दूसरे को छूने से उन्हें कुछ आश्वस्ति मिलती भी होगी कि नहीं। लेकिन वे चुपचाप पड़े रहते हैं। उनके अंदर जीवन भी है, ऐसा जाहिर नहीं है। वे जताते भी नहीं। पर हैं तो वे भी अपने मां-बाप के बच्चे। जीवन जाहिर नहीं, प्रगट नहीं है। पर जीवन मौजूद है। ऐसा जरूरी नहीं है कि जीवन मौजूद हो तो प्रगट ही हो। जीवन बिना प्रगट हुए भी मौजूद हो सकता है। वह अवसर का, अपने मौके का इंतजार करता है। पानी में भिगोने पर चने के यही दाने कुछ ही घंटों में फूल जाते हैं। एक-दो दिन में ही उनके अंदर मौजूद जीवन जाहिर होने लगता है। जीवन का अंकुर फूट पड़ता है। वे जनम लेने लगते हैं। अपनी लंबी नींद से वे जाग उठते हैं। हां, मैं भी हूं इसी दुनिया में। इसी जीवन में। ऐसा हूं मैं। इस दुनिया में मेरी भी एक भूमिका है। मैं भी सांस लूंगा। पानी लूंगा। खाना खाऊंगा। रहूंगा इसी दुनिया में और फिर इस दुनिया में रहने का हक अदा कर जाऊंगा। लेकर नहीं, कुछ देकर ही जाऊंगा इस दुनिया को।
बरसात का मौसम आता नहीं है कि मिट्टी में दबे हुए न जाने कितने अनजान बीज मुस्कुराकर जाग उठते हैं। सोकर उठने के बाद वे अपनी प्यारी सी अंगड़ाइयां तोड़ते हैं। कुछ तो सीधे जमीन के अंदर से अपने हाथ को सिर के ऊपर करके, जोड़े हुए निकल आते हैं। बाहर आकर उनके दोनों हाथ खुल जाते हैं। वे सफेद-सफेद, नर्म, नाजुक से धागे। उनके ऊपर दो जुड़ी हुई हथेलियां, खुल जाती हैं। वे हरी पड़ने लगती हैं। सूरज उन्हें प्यार करता है। धूप उनको खाना देती है। जीवन किलकारियां भरने लगता है।
बीज के अंदर मौजूद जीवन कितने दिन तक जीवित रह सकता है। क्या हजारों साल पहले किसी पेड़ पर उगे बीज आज भी जीवित हो सकेंगे। मुझे लगता है कि बीजों की भी समयावधि तय होती है। कुछ बीज शायद एक हजार साल बाद भी अनुकूल परिस्थियां होने पर जी उठें। पर कुछ बीज हो सकता है कि कुछ ही सालों में नष्ट हो जाएं। अपने अनुकूल समय आने का उनका इंतजार पूरा न हो। वे अंदर बैठे-बैठे इंतजार करते रहें कि समय बदलेगा, उनका वक्त भी आएगा। अच्छे दिन आएंगे। ऐसा भी होगा कि जब वे खुली हवा में सांस ले सकेंगे। जब उनके भी बच्चे होंगे। जब वे भी अपने बीज इस धरती को दे जाएंगे। जब वे भी अपने बीज इन हवाओं, पक्षियों, इंसानों और न जाने किन-किन माध्यमों से धरती के अलग-अलग कोने में बिखेर देंगे। उन्हें पता है कि यह सबकुछ परमार्थ नहीं है। वे सब उसके बीजों को खा जाएंगे। फिर भी कुछ बीज बचे रहेंगे। वे फिर से जनम लेंगे और संतति को आगे बढ़ाएंगे। पर जाहिर है कि हमेशा ऐसा नहीं होता। समय बीतने के साथ ही कुछ बीज बांझ हो जाते हैं। उनके अंदर बैठे जीवन के जनम लेने की संभावना नष्ट हो जाती है। अंदर ही अंदर वे मर चुके होते हैं। न वे जनम लेते हैं और न ही उनकी संततियां ही आगे बढ़ती हैं। उनका अनुकूल समय कभी नहीं आता। अच्छे दिन नहीं आते। उनका इंतजार खत्म नहीं होता।
आपने कभी लंग फिश का नाम सुना है। अफ्रीका के कुछ हिस्सों में लंग फिश पाई जाती है। यह मछली अफ्रीका के कई ऐसे तालाबों में रहती है जो गर्मियों की मार नहीं झेल पाते। लंबी गर्मियों के मौसम में ये सूख जाते हैं। इनका पानी सूखता जाता है। तालाब की पहले गहराई कम होती है। फिर उसकी तली दिखने लगती है। उसमें जमा कीचड़ दिखने लगती है। फिर वह कीचड़ भी सूखने लगती है। उनमें दरारें पड़ जाती हैं। तालाब में रहने वाले बहुत सारे जीव-जंतु मर जाते हैं। या फिर वे भाग जाते हैं। वे ऐसी जगहों पर चले जाते है, जहां पर उन्हें जीवन की ज्यादा अच्छी संभावना मिल सकती है। पर लंगफिश कहीं नहीं जाती। वो उसी कीचड़ में पड़ी रहती है। वो अपने शरीर से एक खास किस्म का स्राव करती है। उससे उसके पूरे शरीर के इर्द-गिर्द एक खोल तैयार होता है। वो उसी खोल में चुपचाप सो जाती है। यह मौत की नींद होती है। चुपचाप सारी चीजें बंद। जैसे वह मर गई हो।
अक्सर ही लोग उस तालाब की मिट्टी को खोद लाते हैं। उसके बड़े-बड़े से डले बनाकर उससे अपने कच्चे घरों की दीवार बना लेते हैं। घर की दीवार खड़ी रहती है। महीनों बीत जाते हैं। गर्मियां बीतती हैं। बरसात का मौसम अच्छा नहीं रहा। बहुत जोर की बारिश नहीं हुई। फिर जाड़ा आ गया। फिर गर्मियां आईं। फिर बरसात का मौसम अच्छा नहीं रहा। बादलों की गड़-गड़ाहट तो बहुत हुई। लेकिन पानी ऐसा नहीं बरसा। ऐसे ही एक-दो-तीन-चार साल बीत गए। फिर बारिश के किसी मौसम में लंगफिश का इंतजार पूरा होता है। हवाएं अपने साथ बादलों का पूरा जत्था खींच लाती हैं। वे जोर-जोर से हांका लगाते हुए बरसने लगते हैं। उनका पानी धरती को तर-बतर कर देता है। सबकुछ भीगने लगता है। मिट्टी की दीवार भी गीली हो जाती है। पानी की नमी उसके अंदर भी जाने लगती है। लंग फिश को अहसास हो जाता है कि बाहर चारों तरफ पानी की बौछार पड़ रही है। अच्छे दिन आ चुके हैं। हर तरफ पानी भरा होगा। गीला होने पर, पानी से भीगने पर मिट्टी की दीवार भी ढीली पड़ जाती है। लंगफिश चुपचाप अपने खोल से निकलती है। वो रेंगते हुए बाहर आती है। वो दीवार से नीचे गिर जाती है। फिर बरसात के पानी के साथ बहते हुए चुपचाप उसी तालाब में पहुंच जाती है, जहां पर वो पैदा हुई थी। यहां पर दोबारा उसे ढेर सारा पानी मिलता है। हां, यही तो वो जीवन है, जिसका वो इंतजार कर रही थी। उसके अंदर के जीवन की संभावना दोबारा पूरी तरह से जाग उठती है। अब फिर से जियेगी, सांस लेगी, अपनी संततियां पैदा करेगी।अपने खोल में सिमटा, सिकुड़ा मैं सोच रहा हूं, मेरा इंतजार कब पूरा होगा।

@ कबीर संजय की फेसबुक वॉल से साभार  
#junglekatha #जंगलकथा