Thursday, October 28, 2021

वन्यजीव पर्यटन ने पकड़ी रफ्तार, स्थानीय लोगों को मिल रहा रोजगार

  • कोरोना काल की बंदिशों के बाद मध्य प्रदेश में वन्यजीव पर्यटन ने अब रफ्तार पकड़ ली है। पर्यटन बढऩे से संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। मध्य प्रदेश में 10 लाख से अधिक पर्यटक राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों का भ्रमण करते हैं, जिससे शासन को 30 करोड़ से अधिक राजस्व व ग्रामीणों को रोजगार मिलता है।

पन्ना टाइगर रिज़र्व के जंगल में लम्बी छलांग लगाता बाघ।  फोटो - अजित सिंह 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। वन्य जीव पर्यटन से जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित होने के साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है। पर्यटकों के आने से वन क्षेत्र के आसपास स्थित गांव के लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलते हैं। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं कि मध्य प्रदेश में हर साल 10 लाख से अधिक पर्यटक राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों का भ्रमण करते हैं, जिनसे प्रवेश शुल्क के रूप में 30 करोड़ रुपये से भी अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। पन्ना टाइगर रिजर्व ने वर्ष 2020-21 में लगभग 1.5 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है जिसके अब बढऩे की उम्मीद है।

क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि भारत में वन्य जीव पर्यटन आमतौर पर टाइगर पर्यटन का पर्याय बन चुका है। जिन बाघ अभयारण्यों व राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों के दर्शन अधिक होते हैं वहां पर्यटकों की संख्या भी अधिक होती है। टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या से ही काफी हद तक पर्यटकों का रुझान निर्धारित होता है। इस लिहाज से मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का बीता एक दशक उतार-चढ़ाव और चुनौतियों से परिपूर्ण रहा है। वर्ष 2009 में पन्ना के जंगल से बाघ पूरी तरह खत्म हो गए। बाघ विहीन यहां का जंगल शोक गीत में तब्दील हो गया। जाहिर है इसका असर पर्यटन पर पड़ा, पर्यटकों ने भी पन्ना टाइगर रिजर्व से मुंह मोड़ लिया।

उत्तम कुमार शर्मा, क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिज़र्व। 

इसी के साथ ही यहां मार्च 2009 में बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने की कवायद शुरू  होती है। बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से पहली बाघिन पन्ना लाई गई। इसके बाद कान्हा टाइगर रिजर्व से दूसरी बाघिन व पेंच टाइगर रिजर्व से एक नर बाघ यहां आता है। उस समय प्रबंधन का पूरा ध्यान पर्यटन के बजाय बाघों की वंश वृद्धि व संरक्षण पर था। बाघ पुनर्स्थापना योजना को पन्ना में चमत्कारिक सफलता मिली और पन्ना पन्ना टाइगर रिजर्व एक बार फिर बाघों से आबाद हो गया। मौजूदा समय यहां 70 से अधिक बाघ हैं, जिनमें वयस्क बाघों की संख्या लगभग 46 व शावकों की संख्या 20 से अधिक है।

पन्ना की ओर अब बढ़ रहा पर्यटकों का रुझान

बाघों की संख्या लगातार बढऩे तथा साइटिंग होने से पर्यटकों का रुझान अब पन्ना टाइगर रिजर्व की ओर बढ़ा है। पन्ना टाइगर रिजर्व की एक खूबी यह भी है कि यहां वन्य प्राणियों व बाघ के दर्शन के साथ-साथ पर्यटक खूबसूरत नजारों का भी लुत्फ उठाते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में पांडव फॉल, केन घडय़िाल अभयारण्य और रनेह फाल जैसे दर्शनीय स्थल हैं। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पीटीआर के कोर क्षेत्र (576.13 वर्ग किमी.) के 17 फ़ीसदी हिस्से में ही पर्यटकों को भ्रमण की इजाजत है। दिशा निर्देशों का पालन करते हुए पर्यटक निश्चित समय सीमा पर सूर्योदय व सूर्यास्त के बीच अनुमति प्राप्त वाहनों से भ्रमण कर सकते हैं। श्री शर्मा बताते हैं कि कोर जोन में प्रतिदिन अधिकतम 85 वाहनों को प्रवेश दिया जा सकता है।

जंगल में रास्ता पार करते बाघ को निहारते पर्यटक। 

कोर जोन के अलावा अकोला व झिन्ना बफर भी पर्यटकों के लिए खोले गए हैं। क्षेत्र संचालक बताते हैं कि बफर में पूरे वर्ष पर्यटन की अनुमति है। दोनों बफर जोन में नाइट सफारी भी रात 9:30 तक की जा सकती है। कोर जोन में वाहनों के प्रवेश की संख्या सीमित होने के कारण पर्यटकों का रुझान बफर क्षेत्र में बढ़ा है। अकोला बफर में बाघों की अच्छी खासी संख्या है, जिससे यहां अमूमन रोज ही पर्यटकों को बाघ के दर्शन हो जाते हैं।

पर्यटन से अर्थव्यवस्था ऐसे होती है मजबूत 

एक अध्ययन का हवाला देते हुए क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि प्रवेश शुल्क के रूप में पन्ना टाइगर रिजर्व को तकरीबन 1.67 करोड रुपए का राजस्व प्रतिवर्ष प्राप्त होता है। जबकि ईकोटूरिज्म द्वारा हर साल लगभग 21 करोड़ की अर्थव्यवस्था उत्पन्न होती है। इसमें होटल किराए के अलावा उत्पन्न होने वाले 5 लाख से अधिक मानव दिवस शामिल है। क्षेत्र संचालक ने आगे बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व की परिधि के कम से कम 8 गांव के लगभग 1800 लोग इको टूरिज्म से उत्पन्न पर्यटन व्यवसाय में कार्यरत हैं। इसके अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानीय 700 से अधिक लोग दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत हैं। पर्यटक गाइड पुनीत शर्मा ने बताया कि इको टूरिज्म के उद्देश्य से पन्ना टाइगर रिजर्व में 91 गाइड व 58 जिप्सी पंजीकृत हैं। इनमें अधिकांश जिप्सी ड्राइवर व गाइड पीटीआर की परिधि में स्थित गांव के निवासी हैं। श्री शर्मा बताते हैं कि पर्यटन से ग्रामीणों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ मिलने से वे अब वन्य प्राणी संरक्षण में रुचि लेने लगे हैं। जनसमर्थन से बाघ संरक्षण की सोच पन्ना में चरितार्थ हो रही है।

पन्ना टाइगर रिजर्व बन चुका है पन्ना की पहचान 

बाघों से आबाद हो चुका पन्ना टाइगर रिजर्व अब पन्ना जिले की पहचान बन चुका है। स्थानीय विधायक व प्रदेश शासन के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि देश के 51 टाइगर रिजर्व में यह इकलौता टाइगर रिजर्व है जिसे शहर के नाम से जाना जाता है। आपने कहा कि पन्नावासियों ने अब पन्ना टाइगर रिजर्व को अपना लिया है। हमें अब इसी से रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना होगा। 

पन्ना टाइगर रिज़र्व में परिवार के साथ भ्रमण हेतु आये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। 

खनिज मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पन्ना ने शून्य से यहां तक का सफर तय किया है, जो अपने आप में एक मिसाल है। आज पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र में हर कहीं बाघ स्वच्छन्द रुप से विचरण कर रहे हैं। बाघों की मौजूदगी से पन्ना का आकर्षण बढ़ा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी परिवार सहित यहां आकर प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। खनिज मंत्री श्री सिंह कहते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व से यहां के लोगों को रोजी रोजगार कैसे मिले, इस दिशा में सोचने व काम करने की जरूरत है। आपने पन्ना- अमानगंज मार्ग पर स्थित रमपुरा गेट पर्यटन हेतु खोले जाने की आवश्यकता बताई और कहा कि वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बुनियादी व मूलभूत सुविधा मिले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

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Monday, October 25, 2021

अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव का हुआ भव्य समापन

  • रास के रमइया की जयकारों से गूंजा पन्ना 
  • रासमण्डल से निकली श्रीजी की सवारी  
  • एक झलक पाने बेताब दिखे सुंदरसाथ


पन्ना। अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव अपने परम्परागत भव्यता के साथ सम्पन्न हो गया। प्रात: 9 बजे झीलना कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद जैसे ही अक्षरातीत परब्रह्म विजयाभिनंद बुद्ध निष्कलंक श्री प्राणनाथ जी की सेवा रासमण्डल से बंगला साहिब की तरफ रवाना हुई तो सुन्दरसाथ के कण्ठों से धाम के धनी की जयकार से पन्ना का आसमान गुंजित हो उठा। नाचते-गाते नर-नारी श्रद्धालु अपने प्रीतम को बंगला साहिब मंदिर में आसन ग्रहण करने के साथ ही शरदपूर्णिमा महोत्सव अपनी भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ।  

पवित्र नगरी धाम पन्ना में विजयादशमी से पंचमी तक चले इस दस दिवसीय महोत्सव में शरद पूर्णिमा पूनम की महारात्रि में श्रीजी की सवारी रास मण्डल में विराजमान हुई थी उसके पश्चात सोमवार पंचमी के दिन के भोर होते ही रासमण्डल से विजयानंद बुद्ध निष्कलंक अवतार श्री प्राणनाथ जी (अखण्ड रास के रमइया) की सेवा बंगला साहिब में पधराने के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा का आयोजन भव्यता के साथ सम्पन्न हो गया।


प्रणामी धर्मावलिम्बयों के अनुसार रासमण्डल जो शरदपूर्णिमा से पंचमी तक चलती है वास्तव में एक महारात्रि है। जिसमें महामति अनन्त स्वरूप धारण कर अपने सुन्दरसाथ के संग बृज की लीलाएं पुन: कलियुग में सम्पन्न करते हैं. इस महारात्रि मे सुन्दरसाथ श्रीजी को अपने पिया के स्वरूप में देखते हैं तथा सुख के अनंत दिव्य सागर में गोते लगाते हैं.    

दही से भरी मटकी लेकर नाचे सुंदरसाथ

परम्परानुसार शोभायात्रा के साथ सजी हुई मटकी में दही भरकर नाचते सुंदरसाथ श्रृद्धालु नजर आये। इसमें एक तरफ जहां पुरूष श्रृद्धालु मटकी लेकर अपने आप में मग्न थे तो वहीं महिला श्रृद्धालु की टोली भी मटकी ले-लेकर श्रीजी की रिझाने की कोशिश कर रही थी. यह दृश्य देखते ही बनता था. सभी श्रृद्धालु एक बार अपने सिर में मटकी रखकर नाचने की कोशिश में दिख रहे थे।

उल्टी परिक्रमा कर ठगिनी माया को दिखाई पीठ

आज प्रात: से ही मंदिर में सुन्दरसाथ श्रीजी की सवारी का हिस्सा बनने तथा रास के बाद माया जो सभी प्राणीमात्र को अपने दूसरे पे नचाकर परमधाम जाने की राह में रोड़ा अटकाती है को पीठ दिखाकर उल्टी परिक्रमा कर यह जताने का प्रयास किया कि "हे माया ठगिनी अब हमें पारब्रम्ह से मिलने में तुम हमारा रास्ता नहीं रोक सकतीं हो। तत्पश्चात झीलना सम्पन्न कर विभिन्न प्रकार के गीतों, वाणी गायन, नृत्यों तथा मनमोहक संगीत की धुन पर जब श्रीजी की सवारी रासमण्डल से निकली तो धाम के धनी की जयकार व प्राणनाथ ऐयारे की जयकार से पन्ना का आसमान गूंज उठा. श्रीजी की सवारी अपनी भव्यता व अलौकिक तेज के दर्शन सुन्दरसाथ को कराती हुयी पुन: बंगला साहिब पहुंची. इस अवसर पर सुन्दरसाथ ने श्रीजी पर सुन्दर पुष्प मालाएं भेंट कर अपना जीवन सवारने तथा परमधाम में अपना स्थान बनाने की अपनी ललक के साथ अपनी-अपनी मनौती प्रभु के समक्ष रखी।

सुंदरसाथ ने रासमण्डल में उतारी आरती

सोमवार की सुबह जब इस महारास अपने समापन पर था और रासमण्डल ब्रम्हचबूतरे पर श्रृद्धालु उपस्थित थे। सुबह लगभग 08:30 बजे श्रीजी की रासमण्डल में आरती की गई जिसमें उपस्थित सैकड़ो श्रृद्धालुओं ने एक साथ आरती कर अपने आपको धन्य महसूस किया। विजय दशहरा से पंचमी तक चले अंतरराष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के  समापन उपरांत श्री 108 प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी प्रमोद शर्मा वाइस चेयरमैन, चंद्र कृष्ण त्रिपाठी सचिव, राकेश कुमार शर्मा, अमरीश शर्मा, रंजीत शर्मा,, दिनेश कुमार शर्मा, तिलक राज शर्मा, अभय शर्मा, प्रबंधक राज किशन शर्मा व महाप्रबंधक डीबी शर्मा ने इस महोत्सव का सफल आयोजन में सहयोग करने वाले समस्त जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर पालिका प्रशासन, व्यापार मंडल सहित समाजसेवियों व समाज के लोगों का आभार व्यक्त किया और आगे भी सहयोग की अपेक्षा की।

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Sunday, October 24, 2021

पन्ना का वह जीनियस छात्र जिसने ग्रेजुएशन से पहले पीएचडी हासिल की

 

डॉ. राहुल बनर्जी : पन्ना का जीनियस जिसने आइंस्टीन के फार्मूले में सुधार किया। 

जनवरी 1980 में दो विदेशी वैज्ञानिक ( एक जर्मन व एक ब्रिटिश) कुछ उपकरणों को लादे हुए रीवा इंजीनियरिंग कालेज में आये और पूछ रहे थे कि हमे प्रोफेसर राहुल बनर्जी से मिलना है । प्रिंसिपल साहब बोले इस नाम का कोई प्रोफेसर हमारे कालेज में नही है। उन वैज्ञानिकों ने विदेशी जर्नल में छपे राहुल बनर्जी के पेपर्स दिखाए जिसमे उनका पता गवर्नमेंट इंजिनीयरिंग कालेज रीवा लिखा था । 

प्रिंसिपल साहब ने खोज बीन की तो पता चला कि ये फोर्थ ईयर B.E. इलेक्ट्रिकल के स्टूडेंट है । होस्टल में रहते तो हैं लेकिन अधिकतर समय किसी पेड़ के नीचे बैठे या लाइब्रेरी में लिखते पाए जाते है । टीचर्स की निगाह में ये क्लास अटेंड न करने वाले 'बेकार' स्टूडेंट हैं । प्रिंसीपल साहब ने राहुल बनर्जी को खोजवाया और तब पता चला कि ये कोई साधारण छात्र नही बल्कि विश्व स्तर के वैज्ञानिक हैं । अंग्रेज व जर्मनी के वैज्ञानिक इनके लिए वे उपकरण लाये थे, जिनके साथ इनको 16 फरवरी 1980 पूर्ण सूर्य ग्रहण के दिन दक्षिण भारत मे जा कर प्रयोग करने थे । 

फ़्लैश बैक --

अस्सी के दशक में हम लोग पन्ना के सरकारी स्कूल में पढ़ते थे । हमसे सीनियर छात्र थे राहुल भैया उर्फ आज के Dr. Rahul Banerjee. राहुल भैया का सिलेक्शन इंजीनियरिंग कालेज रीवा में हो गया । ये रीवा चले गए , इसके कुछ साल बाद हम जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज आ गए। कालेज की छुट्टियों में जब हम पन्ना आते तब टिकुरिया मोहल्ला में इनके घर पर राहुल भैया से मिलना होता। इनसे विज्ञान की तमाम बाते जैसे क्वासर पल्सर क्वार्क प्लाज्मा आदि  सुन कर हम अचंभित हो जाते थे । इनके पिताजी सरकारी स्कूल में इंग्लिश के टीचर थे । 

छात्र जीवन मे राहुल बनर्जी ने बहुत खोजे की थी । इन्होंने मुझे अपनी शोध कॉपी (researches in brain) दिखाई थी , जिसमें हाथ से बने रंग बिरंगे अनेक चित्र व गणित की लंबी लंबी डेरिवेशन थी । सब कुछ हमारे दिमाग से ऊपर का मैटर था । थोड़ा थोड़ा यह समझ आया कि राहुल भैया ने ओपेनलूप और क्लोजलूप रेडियो एक्टिविटी की खोज की है । और सबसे महत्वपूर्ण यह कि इन्होंने आइंस्टीन के फार्मूले E=MC^2 में अपेक्षित सुधार किया , कि किसी विशेष परिस्थिति में यह आप्लिकेबल नही होगा तब इसमे एक कांस्टेन्ट जोड़ा जाना चाहिए जिसे राहुल बनर्जी ने positronium constant  नाम दिया । छात्र जीवन में इनकी अनेकानेक रिसर्च विदेशी जर्नलों में प्रकाशित हो चुकी  थी ।

B.E. की डिग्री होने से पहले ही अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने राहुल बैनर्जी को Ph.D.की मानद उपाधि से अलंकृत कर दिया। यह हमारे देश का पहला ऐसा केस था , जहां किसी छात्र ने ग्रेजुएशन से पहले पीएचडी हासिल कर ली हो । छात्र जीवन मे ही उनकी एक पुस्तक खन्ना पब्लिशर दिल्ली से प्रकाशित हुई थी - spacecraft and computer memories। 

राहुल भैया थोड़ा मुश्किल से B.E.पास हुए क्योकि ये अपनी रिसर्च में इतने डूबे रहते कि कोर्स पढ़ने में टाइम नही दे पाते थे । इनके पास विश्व के अनेक देशों से वैज्ञानिक के पद पर कार्य करने के आफर थे , लेकिन उनकी बात आज भी मुझे याद आती है, जो 1987 में पन्ना से भोपाल साथ मे की गई बस यात्रा में उन्होंने कही थी  - अशोक मैं नौकरी सिर्फ भारत मे ही करूंगा, चाहे मुझे यहां कोई सुविधा न मिले, क्योकि देश को मेरी जरूरत है। सुविधाओं की खातिर मैं विदेश में कभी नौकरी नही करूंगा । 

देशभक्त राहुल भैया आज 35 साल बाद भी विदेश में सैटल नही हुए जबकि अनेकानेक देशों से जॉब आफर उनको लगातार मिलते रहे । हालांकि अनेक विदेशी विश्विद्यालयो और संस्थानों में  लेक्चर देने जाते रहे। 90 के दशक की शुरुआत में जब कंप्यूटर साइंस नए विषय के रूप में देश मे पढ़ाया जाने लगा उन्होंने artificial intelligence  को रिसर्च के लिए चुना और M. Tech, PhD करके BITS पिलानी में सहायक प्रोफ़ेसर नियुक्त हुए और कुछ वर्षों बाद कंप्यूटर साइंस विभाग के HOD और फिर BITS पिलानी में डीन हुए।

वर्तमान में पन्ना के राहुल बैनर्जी जयपुर के LNM institute of information technology के Director पद को सुशोभित कर रहे हैं। 'genius' शब्द भी इनकी प्रतिभा के आगे छोटा है।

मेरे छात्र जीवन के प्रेरणा स्त्रोत , अत्यंत सरल स्वभाव , सादगी , अभिमान रहित , सदैव खुशमिजाज , चॉकलेट प्रेमी, स्वप्रचार से दूर, किंतु ज्ञान के महासागर आदरणीय राहुल भैया को प्रणाम ।

(डॉ. अशोक कुमार तिवारी की फेसबुक वॉल से साभार)  

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Saturday, October 23, 2021

डेंगू से कैसे करें बचाव, जानिए डेंगू मच्छर की पहचान करने का तरीका

  • पन्ना जिले में अब तक डेंगू के 69 केसों की हो चुकी है पुष्टि 
  • गहरे रंग का होता है डेंगू फैलाने वाला एडीज इजिप्टी मच्छर



।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। कोरोना का संकट अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ और डेंगू ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। ये बुखार प्रदेश में जहाँ तेजी से पांव पसार रहा है वहीँ पन्ना जिले में भी इसने दस्तक दे दी है। बेहद पीड़ादायी यह बुखार बड़ों से लेकर बच्चों तक को अपना शिकार बना रहा है। ऐसे में हमें डेंगू से बचाव के लिए सावधानियां बरतने की जरूरत है। जानकारी के लिए बता दें कि डेंगू बुखार एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। यह मादा मच्छर होती है जो आपके आस-पास पानी के बर्तनों और पौधों में अंडे देती है।

डेंगू फैलाने वाला एडीज इजिप्टी एक छोटा, गहरे रंग का मच्छर है जिसमें बंधी हुई टांगें होती हैं। इस वजह से ये मादा मच्छर ज्यादा ऊपर नहीं उड़ पाते हैं और दूसरे मच्छरों की तुलना में इजिप्टी छोटे होते हैं। मच्छर आमतौर पर लोगों को घर के अंदर काटता है और दिन के समय पानी में अंडे देता है जिसमें पत्तियां, शैवाल आदि जैसे कार्बनिक पदार्थ होते हैं। मच्छर, इंसानों को काटने के तीन दिन बाद अंडे देता है। जब बारिश में अंडे पानी से भर जाते हैं, तो इनमें से लार्वा निकलता है। आम तौर पर, लार्वा पानी से भरे कंटेनरों में शैवाल, छोटे जलीय जीवों, पौधों के कणों को खाते हैं। अंडे से वयस्क यानी मच्छर बनने तक का पूरा चक्र 7-12  दिनों में होता है और एक वयस्क मच्छर का जीवनकाल लगभग तीन सप्ताह का होता है।

बचाव व नियत्रण हेतु जनजागरण आवश्यक 

मच्छर से फैलने वाले डेंगू, चिकुनगुनिया जैसी बीमारियों से सुरक्षा के लिए मच्छरों से बचाव व नियत्रण हेतु जनभागीदारी व जनजाग्रति का होना आवश्यक है। वर्षाकाल में जगह-जगह पानी इकटठा हो जाने से उनमें मच्छरों की उत्पत्ति व वृद्धि होती है। ये मच्छर रोगी व्यक्ति को काटने पर संक्रमित हो जाते हैं व इन संक्रमित मच्छर के काटने से डेगू, चिकुनगुनिया, रोग का प्रसार होता है। इस बीमारी से ग्रसित रोगी को बुखार, सिरदर्द, बदनदर्द, उल्टी आना, ठंड लगना जैसे लक्षण होते हैं जिनका त्वरित उपचार आवश्यक है।

डेंगू व चिकुनगुनिया रोग सफेद चकत्ते वाले ,एडीज मच्छर के काटने से फैेलता है। यह मच्छर दिन में सक्रिय रहता है। बीमारी फैलाने वाले मच्छर घरों में नमी वाले अंधेरे स्थान में विश्राम करते हैं एवं साफ व रूके पानी में पनपते हैं जो कि हमारे घरों में व आसपास पानी से भरे पात्र जैसे- गमले, टंकी, टायर, मटके, कूलर, टूटा-फूटा कबाड़ में भरे पानी, नल, हैण्डपंप व कुएं के आसपास भरे पानी में मच्छर अपने अण्डे देते हैं व 7 से 12 दिन में अंडे से मच्छर बनने का जीवनचक्र पूर्ण हो जाता है। अत: पानी से भरे बर्तन, टंकियों आदि का पानी सप्ताह में अवश्य बदलते रहें व कुएं, हैण्डपंप, नल के आसपास पानी इक_ा न होने दें। उन्हें मिट्टी से भराव करायें या पानी की निकासी कराकर मच्छरों कीे उत्पत्ति स्थल को नष्ट करें व मच्छरों के लार्वा नहीं पनपने दें। मच्छरों से बचाव करें। मच्छरों से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, पूरे आस्तीन के कपडे पहने, मच्छर भगाने वाली क्रीम या क्वाइल का उपयोग करें, नीम की पत्ती का धुंआ करें। 

जाने, कैसे होते हैं डेंगू के लक्षण

डेंगू के लक्षण जैसे तीव्र बुखार, सिरदर्द ,मांसपेशियों में दर्द, जी मचलना ,उलटी होना ,गंभीर मामलों में नाक ,मुंह, मसूड़ों से खून आना, आँखों के पीछे दर्द होना ,त्वचा पर लाल चकत्ते होना, डेंगू के लक्षण प्रमुख लक्षण होते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह ले, डेंगू की जाँच जिला चिकित्सालय पन्ना में नि:शुल्क की जाती है। मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 की उपविधि-11 के अंतर्गत नगरी निकायों को यह अधिकार प्राप्त है कि यदि किसी व्यक्ति या प्रतिष्ठान या कार्यालय में मच्छर के लार्वा पाए जाते हैं तो अधिकतम 500 रूपये तक का जुर्माना सम्बंधित व्यक्ति के ऊपर किया जा सकता है। शुक्रवार 22 अक्टूबर को जिला मलेरिया के दो दलों द्वारा 137 घरों में लार्वा सर्वे का कार्य किया गया, जिनमें कुल 590 कंटेनर,176 पानी की टंकी ,कूलर 148 चेक किये गए जिनमें से 24 कंटेनर में लार्वा पाया गया। टीम के द्वारा अपने समक्ष लार्वा विनिष्टीकरण कर लोगों को डेंगू से बचाव हेतु समझाइश दी गयी, 90 घरों में स्पेस स्प्रे किया गया। अब तक जिले में कुल 69 डेंगू के केस दर्ज हुए हैं। धाम मोहल्ला और इन्द्रपुरी  क्षेत्र में पम्पलेट वितरित कर प्रचार प्रसार किया गया।

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आदिवासियों का एक उपेक्षित समुदाय भुमिया : बाबूलाल दाहिया

आदिवासी समुदाय के व्यक्ति से चर्चा करते हुए बाबूलाल दाहिया। 

हमारे मध्यप्रदेश में आदिवासियों की 7 प्रमुख जातियॉ एवं 34 उप जातियॉ हैं। उन 7 में से गोंड़ ,भील, बैगा, भारिया और सहरिया जहां द्रविण मूल के माने जाते हैं, वहीँ कोल और कोरकू आष्ट्रिक मुंडा समूह के। किन्तु कोलो में उनके 7 गोत्र हैं एवं मवासी, भुमिया तथा खैरवार उनकी ऐसी उपजाति हैं जो कोलो से इतर अपना स्वतंत्र अस्त्तित्व बनाये हुए हैं।

कोल के अन्य गोत्र  रउतेल, कठौतिहा ,कथरिहा, ठकुरिया आदि जहां रीवा, सतना, सीधी, शहडोल, उमरिया, कटनी आदि जिलों में अधिक पाए जाते हैं, वहीं  खैरवार सीधी, छतरपुर में और मवासी यूपी से जुड़े सतना के मझगवां तहसील में। किन्तु भुमिया पन्ना ,कटनी व जबलपुर जिले में ही निवासरत हैं। सतना जिले में उनकी संख्या बहुत कम है।

पिपरिया गाँव के प्रह्लाद का कथन है कि भुमिया का आशय कभी उस झाड़ फूक करने वाले पण्डा गुनिया से था, जो उसी से अपनी आजीविका चलाता था । किन्तु कालांतर में संख्या बढ़ी तो वह कोलों के उप जाति का रूप ग्रहण कर लिया। लेकिन संस्कृतिक रूप से कोलो से भिन्न आज भी नही है। उसी तरह से विवाह, जातीय गीत और रोटी भाजी य कोदई भाजी का दण्ड लेने वाले महतो देमान एवं जातीय पंचायते।

भुमिया लोगों के भी 7 गोत्र हैं किन्तु उनके नाम बनबसिया, चन्देल,कर्चुली, राठौर,समरबा, कोपहा ,बम्हनिया है। कोलो के जिस प्रकार मृत्यु दान लेने वाले कोल मंगन होते हैं उसी प्रकार भुमिया लोगो के यहां मृत्यु दान लेने वाले भी होते हैं जो "बरितिया" कहलाते हैं। यह दान में मृतक के कपड़े और उसके हाथ में  रहने वाली कुल्हाड़ी ले जाते हैं। बाकी यदि सम्पन्न घर हुआ तो बकरी और बर्तन की मांग भी करते हैं।

आदिवासी कोई हो उसकी कमोवेश एक ही जीवन शैली है कि धरती के सीमित संसाधनों का उपयोग। यही कारण है कि उनकी संस्कृति में जीव जगत के लाखों साल बने रहने की अवधारणा आज भी छिपी है।अस्तु भुमिया समुदाय के पुरखों ने भी उतनी ही जमीन अपने कब्जे में रखी जितनी वे खोद खन कर उसमें खेती कर सकें। बाकी महुआ, तेंदू, अचार जैसी बनोपज ही उनकी अजीविका के साधन थे।

किन्तु आज जिस तरह जंगल समाप्त हो रहे हैं और जमीन भी उनने अधिक नहीं बनाया, तो इस अर्थ प्रधान युग में उनके सामने भी उत्तरोत्तर जीवन यापन का संकट गहराता जा रहा है।

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Thursday, October 21, 2021

शरद पूर्णिमा महोत्सव में शामिल होना सौभाग्य का विषय : मुख्यमंत्री

  • मुख्यमंत्री ने धार्मिक यात्रा की शुरुआत शहर के सुप्रसिद्ध श्री जगदीश स्वामी मंदिर से की
  • सपत्नीक पहुंचे मुख्यमंत्री के साथ मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह व सांसद व्ही.डी. शर्मा भी रहे 

शरद पूर्णिमा महोत्सव में सपत्नीक शामिल मुख्यमंत्री साथ में प्रणामी संप्रदाय के धर्मगुरु दिनेश एम पंडित।

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुद्धवार को देर रात पन्ना पहुंचकर यहाँ आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव में शामिल हुए और महारास में भागीदारी की। मुख्यमंत्री मंदिरों के शहर पन्ना में धार्मिक यात्रा की शुरुआत शहर के श्री जगदीश स्वामी मंदिर से की। तदुपरांत मुख्यमंत्री श्री बल्देव जी मंदिर, श्री रामजानकी मंदिर तथा श्री जुगल किशोर जी मंदिर जाकर माथा टेका और प्रदेश की खुशहाली हेतु प्रार्थना की। मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रणामी धर्मावलम्बियों की आस्था के केंद्र महामति श्री प्राणनाथ जी मंदिर पहुंचे। यहाँ उन्होंने कहा कि आज शरद महोत्सव में पन्ना आकर इस तीर्थ स्थल के दर्शन और एक आध्यात्मिक संत के जीवन और उनके कार्यों को जानने का अवसर मिला है। यह मेरे लिये सौभाग्य का विषय है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्राणनाथ प्यारे की जय के उद्धघोष के साथ संबोधन प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण दुनिया एक परिवार है, प्राणनाथ जी की हम सभी पर कृपा है। कहा भी गया है सियाराम में सब जग जानी। इस भावना के अनुसार हम सभी प्राणनाथ प्यारे के प्रिय हैं। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के अलावा खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, सांसद व्ही.डी. शर्मा, जन-प्रतिनिधि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्राणनाथ जी गुजरात से मध्यप्रदेश आए। उनके आगमन से यह धरा पावन हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी प्रार्थना है कि सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया। सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों और सभी का कल्याण हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल का भी मार्गदर्शन किया। सत्रहवीं सदी में उन्हें पराक्रम के लिये प्रोत्साहित किया। छत्रसाल जी के लिये कहावत है- ''छत्ता तेरे राज में, धक-धक धरती होय, जित-जित घोड़ा मुख करे, तित-तित फत्ते होय"। 

शरद पूर्णिमा महोत्सव में भक्ति भाव के साथ गरबा नृत्य करती महिलाएं। 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पन्ना प्रणामी पंथ का पवित्र धाम है। यहाँ श्री गुम्बट जी मंदिर के प्रांगण को ब्रह्र चबूतरा (रास मण्डल) कहा जाता है। यही श्री प्राणनाथ जी ने परम स्नेही सुन्दरसाथ को श्री राज जी-श्यामा जी की अलौकिक अखण्ड रासलीला, जागिनी रास का दर्शन करवाया था। इसलिये इसे जागिनी लीला भी कहा जाता है। तबसे अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव प्रतिवर्ष होता है। निजानंद संप्रदाय में प्रेम की बड़ी महिमा है, यहाँ प्रेम ही सब कुछ है। शरद पूर्णिमा में श्री कृष्ण ने प्रेम को ही प्रतिष्ठा प्रदान की। पाँच दिवसीय शरद पूर्णिमा महोत्सव भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है। 

खनिज मंत्री श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने शरद पूर्णिमा के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त की। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पहली बार कोई मुख्यमंत्री परिवार सहित इस पावन नगरी में पधारे हैं। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि प्राणनाथ महाराज छत्रसाल के आध्यात्मिक गुरू थे। श्री सिंह ने छत्रसाल जयंती पर संस्कृति विभाग द्वारा कार्यक्रम का सुझाव भी दिया। सांसद व्ही. डी शर्मा ने कहा कि प्राणनाथ जी के मंदिर में शरद महोत्सव में हिस्सा लेना सौभाग्य का क्षण हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ पन्ना आकर स्थानीय नागरिकों को प्रत्यक्ष रूप से शरद महोत्सव की शुभकामनाएँ देने का अवसर मिला है।

भगवान जगदीश स्वामी मंदिर में की प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना 


भगवान की सपत्नीक आरती कर की प्रदेश की खुशहाली की कामना। 

मंदिरों की नगरी और हीरे को लेकर विश्व भर में पहचान बनाने वाले पन्ना नगर का शरदोत्सव इस बार कुछ खास रहा। प्रदेश के कल्याण की कामना के लिए राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पन्ना नगरवासियों के आग्रह पर सपरिवार यहां पहुंचे और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान की धर्मपत्नि श्रीमती साधना सिंह और प्रदेश शासन के खनिज साधन व श्रम मंत्री श्री ब्रृजेन्द्र प्रताप सिंह भी उपस्थित रहे।

नगर के भगवान जगदीश स्वामी मंदिर से मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपनी धार्मिक यात्रा प्रारंभ की। जहां पर उन्होंने सपत्निक भगवान श्री जगदीश स्वामी के दर्शन पूजन किए और प्रदेश के सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। पन्ना शहर का जगदीश स्वामी मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। मंदिर के चारों ओर 26 छोटे-छोटे मंदिर हैं। 

बताया जाता है कि पन्ना के तत्कालीन महाराजा किशोर सिंह भगवान जगदीश स्वामी के अनन्य भक्त थे। जब उन्होंने जगन्नाथ पुरी की यात्रा की तो भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में उन्हें मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया। तब महाराजा, जगदीश स्वामी मंदिर में विराजमान जगदीश स्वामी, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रह को उड़ीसा महाराज से प्राप्त कर चार माह में पैदल चलकर पन्ना लाए थे। संवत 1874 में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। प्रतिमाएं काष्ठ निर्मित हैं। स्वामी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम की मूर्तियां स्थापित हैं। पन्ना की जगदीश स्वामी रथयात्रा पुरी के बाद देश की दूसरी बड़ी रथयात्रा मानी जाती है। 

प्रदेश के निरंतर विकास के लिये भगवान बल्देव से की कामना

धार्मिक यात्रा पर भगवान श्री जुगलकिशोर सरकार की नगरी पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान श्री जगदीश स्वामी मंदिर के दर्शन के बाद भगवान बलदेव जी के मंदिर पहुंचे। इस अनूठे  मंदिर में विराजित भगवान श्री बलदेव की प्रतिमा का मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सपत्निक पूजन अर्चन किया और प्रदेश की खुशहाली की कामना की। 

पन्ना नगर का बलदेव मंदिर देश के विशिष्ट मंदिरों में से है। इसको देखने दूर-दूर से प्रतिवर्ष हजारों यात्री आते हैं। महाराजा रूद्र प्रताप पन्ना राज्य के दसवें नरेश थे। उन्हें स्थापत्य कला में विशेष अभिरूचि थी। उन्होंने ही इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर निर्माण का कार्य संवत 1933 से प्रारंभ होकर संवत 1936 में पूर्ण हुआ था। मंदिर पूर्व एवं पश्चिम की स्थापत्य कला का अपूर्व संगम है। प्रवेश द्वार में सोपान निर्मित है जो प्राचीन शैली के अनुरूप है। स्तंभ निर्माण शैली भी प्राचीनता की द्योतक है तथा मौर्य युगीन स्तंभों की स्मृति ताजा कर देती है।

भगवान श्री कृष्ण की सोलह कलाओं के प्रतीक मंदिर निर्माण में स्पष्ट रूप ये परिलक्षित होते हैं। 16 स्तंभों पर विशाल मंडप, 16 झरोखे 116 गुंबद इनमें से प्रमुख हैं। मंदिर में प्रवेश हेतु 16 सोपान सीढ़ी भी निर्मित है। मंदिर का शिखर स्वर्ण कलश से सुशोभित है। मंदिर के विशाल गर्भग्रह में भगवान श्री बलदेव जी की शालीनतामयी प्रतिमा प्रतिष्ठित है। मंदिर के ऊपर केन्द्रीय गुंबद में कला की समन्वयात्मक शैली परिलक्षित है। सपाट छाप एवं बुंदेली परंपरागत निर्मित है। यह मंदिर राज्य की पुरातात्विक धरोहर में सम्मिलित कर लिया गया है। माना जाता है कि श्री बलदेवजी का मंदिर वृंदावन (दाऊपुरी) के अलावा मात्र पन्ना में ही है।

हीरा के लिए विश्वभर में  प्रसिद्ध पन्ना नगर के मंदिरों में श्री रामजानकी मंदिर प्रमुख मंदिरों में से है। यहाँ पहुंचकर मुख्यमंत्री श्री चौहान परिवार के साथ पूजन अर्चन किया। यह नगर के उत्तरी भाग में अजयगढ़ चौराहे के पास मुख्य सड़क पर स्थित है। मंदिर का निर्माण महाराज लोकपाल सिंह की महारानी सुजान कुँवर द्वारा संवत् 1952 में कराया गया था। इसके गर्भ में भगवान राम, माता सीता एवं लखनलाल जी की विग्रह स्थापित हैं। मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा संवत 1955 में महाराजा यादवेन्द्र सिंह जू देव द्वारा कराई गई थी।

 श्री जुगलकिशोर मंदिर में मुख्यमंत्री ने भक्तों के साथ लगाए जयकारे


मजीरा बजाकर भजन गाते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तथा झांझर बजाते मंत्री व सांसद। 

मंदिरों की नगरी पन्ना की धार्मिक यात्रा के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भगवान जुगलकिशोर के दर्शन को सपरिवार पहुंचे। पूजन अर्चन के साथ ही मुख्यमंत्री श्री चौहान ने भक्तों के साथ भगवान जुगलकिशोर के जयकारे लगाए। उन्होंने मंदिर में सपत्निक भगवान जुगलकिशोर की पूजा अर्चना कर भगवान से प्रदेश के विकास व खुशहाली की कामना की। उन्होंने यहाँ पर पूरे भक्ति भाव के साथ झांझर और मजीरा बजाते हुए भजन भी गाये। इस दौरान प्रदेश शासन के खनिज साधन व श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व खजुराहो सांसद वी.डी. शर्मा भी उपस्थित रहे।

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Wednesday, October 20, 2021

बुंदेलखंड के रियल हीरो महाराजा छत्रसाल की शौर्य गाथा पाठ्यक्रम में हो शामिल : बृजेंद्र प्रताप सिंह

  • क्षत्रिय महासभा के दशहरा मिलन समारोह में छत्रसाल वेब सिरीज़ बनाने  वाली टीम का हुआ सम्मान  

  • अपराजेय योद्धा महाराजा छत्रसाल इकलौते राजा जो अपने उद्देश्य में सफल हुए, नई पीढ़ी ले प्रेरणा

क्षत्रिय समाज के दशहरा मिलन एवं सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह। 

।। अरुण सिंह ।।   

पन्ना। हमने बचपन में महाराणा प्रताप व छत्रपति शिवाजी की शौर्य गाथा को पढ़ा है। इन महान योद्धाओं की तरह बुंदेलखंड के रियल हीरो महाराजा छत्रसाल की शौर्य गाथा भी पाठ्यक्रम में शामिल होनी चाहिए, ताकि नई पीढ़ी इस अपराजेय योद्धा के पराक्रम व जीवन संघर्ष से परिचित हो सके। यह बात प्रदेश के खनिज मंत्री व पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने क्षत्रिय महासभा जिला इकाई पन्ना द्वारा आयोजित भव्य दशहरा मिलन समारोह में कहीं। समारोह में महाराजा छत्रसाल वेब सिरीज़ बनाने वाली टीम व क्षत्रिय समाज सहित जिले की अन्य प्रतिभाओं का सम्मान किया गया। 

समारोह के मुख्य अतिथि खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने क्षत्रिय समाज के युवा इकाई को भव्य समारोह के आयोजन हेतु धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि राजस्थान में महाराणा प्रताप व महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी का नाम बड़े ही आदर व सम्मान से लिया जाता है। वहां का बच्चा-बच्चा इन महान विभूतियों से परिचित है। लेकिन महाराजा छत्रसाल जो बुंदेलखंड के रियल हीरो हैं, जिन्होंने अपने जीवन में 52 लड़ाइयां लड़ीं और विजय हासिल की। ऐसे पराक्रमी और दूरदर्शी योद्धा की शौर्य गाथा से नई पीढ़ी अनभिज्ञ है। यह देखकर दुख और कष्ट होता है। मंत्री श्री सिंह ने महाराजा छत्रसाल वेब सिरीज़ बनाने वाली टीम के अहम सदस्य मनु भाई पटेल, रमण भाई पटेल व महेश भाई पटेल का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने अथक मेहनत और समर्पित भाव से महाराजा छत्रसाल की जीवन गाथा को सुंदर ढंग से दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि मैं पन्ना ही नहीं समूचे बुंदेलखंड की ओर से इस टीम के सराहनीय प्रयासों को बधाई देना चाहूंगा। आपने धर्मगरु दिनेश एम पंडित के योगदान व पन्ना के प्रति उनके अगाध प्रेम के प्रति भी आभार जताया और कहा कि पन्ना के विकास में उनका सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा, ऐसा हमें भरोसा है।

पन्ना में शिक्षा व पर्यटन विकास की अच्छी संभावनाएं  

खनिज मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पूर्व में हीरा व पत्थर खदानें पन्ना में रोजगार का जरिया रही हैं। लेकिन मौजूदा समय जो हालात हैं, हमें पन्ना के विकास व रोजगार के नए अवसरों का सृजन करने के लिए दूसरे विकल्पों पर विचार करना होगा। आपने कहा कि पन्ना में शिक्षा और पर्यटन विकास की अच्छी संभावनाएं हैं, इस दिशा में सार्थक पहल की जरूरत है। पन्ना टाइगर रिजर्व का पन्ना के विकास व रोजगार के सृजन में बेहतर उपयोग हो, हमें यह देखना है। इसके अलावा यहां के प्राकृतिक मनोरम स्थलों सहित मंदिरों व ऐतिहासिक महत्व की जगहों का सुनियोजित विकास करके पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। 

मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पन्ना में खूबसूरत जंगल व अच्छा पर्यावरण है जो शिक्षा के लिए बेहतर माहौल प्रदान करता है। इसलिए हमें कोटा की तर्ज पर पन्ना को भी शिक्षा का हब बनाने के लिए सार्थक प्रयास करना होगा। इससे रोजगार के जहां नए अवसर पैदा होंगे वहीं नई पीढ़ी भी शिक्षित और योग्य बनेगी। आपने कहा कि यही दो ऐसे विकल्प हैं जिससे पन्ना का कायाकल्प हो सकता है। पन्ना के विकास हेतु हमें शिक्षा व पर्यटन विकास पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के लिए भी हम प्रयासरत हैं, इसके लिए धर्म गुरु जी का सपोर्ट व मार्गदर्शन भी मिल रहा है। बिना इनके सपोर्ट व मार्गदर्शन के हम पन्ना को लिफ्ट नहीं कर सकते।

महाराजा छत्रसाल के नाम से हो खजुराहो एयरपोर्ट



क्षत्रिय महासभा जिला इकाई पन्ना के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह परमार ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में पन्ना विधायक के रचनात्मक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि खजुराहो एयरपोर्ट महाराजा छत्रसाल के नाम पर होना चाहिए। छत्रसाल वेब सिरीज़ की आपने सराहना करते हुए समूची टीम को बधाई दी, जिनके अथक प्रयासों से महाराजा छत्रसाल की जीवन गाथा को समझने व जानने का अवसर जनमानस को मिला। कार्यक्रम को वरिष्ठ अधिवक्ता व क्षत्रिय समाज के प्रमुख स्तंभ भास्कर देव बुंदेला ने भी संबोधित किया। आपने बुंदेली भाषा में बड़े ही रोचक ढंग से महाराजा छत्रसाल के बाल्यकाल व शौर्य गाथा के बारे में बताया। श्री बुंदेला ने बताया कि महाराजा छत्रसाल इकलौते ऐसे राजा हैं जो अपने शौर्य, पराक्रम और दूरदृष्टि के बलबूते अपने उद्देश्य को पूरा करने में कामयाबी हासिल की। अनजाने तथ्यों का खुलासा करते हुए आपने बताया कि मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के ग्रैंडफादर एक ऐसे इतिहासकार रहे हैं जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर महाराजा छत्रसाल की जीवन गाथा का तथ्यपरक लेखन किया है। कार्यक्रम को समर बहादुर सिंह ने भी संबोधित किया और महाराजा छत्रसाल के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला।

 तीन वर्ष के अथक प्रयासों से बनी वेब सिरीज़



महाराजा छत्रसाल पर बनी वेब सिरीज़ 3 वर्ष की अथक मेहनत व प्रयासों का प्रतिफल है। यह बात वेब सिरीज़ के निर्माता मनु भाई पटेल ने अपने उद्बोधन में कही। आपने बताया कि महाराजा छत्रसाल के बारे में उन्होंने पूरे 3 वर्ष तक खोज की है। मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के दादा जी द्वारा लिखित पुस्तक भी उन्होंने पढ़ी है। आपने बताया कि आज तक किसी ने हिस्ट्री पर ड्रामा नहीं बनाया, ऐसा पहली बार हुआ है। मनु भाई ने कहा कि इतिहास के पन्नों पर दबी हुई कहानियों को प्रकाश में लाना सहज नहीं था। मनु भाई ने बड़े गर्व से कहा कि महाराजा छत्रसाल मेरे हीरो हैं। छत्रसाल से बिगेस्ट मोटीवेटर आपको कहीं नहीं मिलेगा। महाराजा छत्रसाल की गौरव गाथा पूरे समाज को एकजुट होने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि हमारे रियल हीरो के बारे में पढ़ाया जाए ताकि युवा पीढ़ी प्रेरणा ले। इतिहास के पन्नों में जिन्हें दफना दिया गया है, उन विभूतियों को उभारने तथा आतताइयों को इतिहास के पन्नों से बाहर करने का काम अब होना चाहिए।

प्रणामी संप्रदाय के धर्मगुरु दिनेश एम पंडित ने अपने प्रेरणादाई उद्बोधन में कहा कि पन्ना से मैं क्यों जुड़ा हूं, यह मुझे भी नहीं पता लेकिन जुड़ा हूं। पन्नावासियों को अपना भाई मानता हूं। आपने कहा कि पन्ना में मेडिकल फैसिलिटी वर्ल्ड क्लास की हो, इसके लिए पन्ना का इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा होना चाहिए। आपने पन्ना को दिव्य भूमि बताया और कहा कि यहां का विकास होना चाहिए। समारोह में राजमाता दिलहर कुमारी, क्षत्रिय समाज के गणमान्य जनों व अन्य समाज के प्रतिष्ठित नागरिकों सहित प्रणामी धर्मावलंबी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन मनु बुंदेला ने किया।

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Monday, October 18, 2021

भक्ति रस में सराबोर हुआ मंदिरों का शहर पन्ना

  • प्राचीन खेजड़ा मंदिर से निकली ऐतिहासिक श्री जी की भव्य सवारी
  • नगरवासियों ने शोभा यात्रा का किया स्वागत, गरबा नृत्य की रही धूम  

श्री जी की दिव्य सवारी साथ में प्रणामी संप्रदाय के धर्मगुरु। 

।।  अरुण सिंह ।।  

पन्ना। प्रणामी धर्मावलम्बियों की आस्था और श्रद्धा के केंद्र मंदिरों के शहर पन्ना की छटा आज देखते ही बन रही थी। भक्ति रस में सराबोर नाचते और गाते श्रद्धालुओं की टोलियां आज सायं जब प्राचीन खेजड़ा मंदिर से श्री जी की भव्य सवारी के साथ निकलीं तो समूचा नगर भी भक्ति रस में डूब गया। यह अनूठा आयोजन हर साल दशहरे के तीसरे दिन होता है जिसमें सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली श्री प्राणनाथ जी की दिव्य सवारी (शोभा यात्रा) खेजड़ा मंदिर से बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ निकलती है। अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव के धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला में इस शोभा यात्रा का खास महत्व है। क्योंकि यह शोभा यात्रा सद्गुरु के प्रति आदर, सम्मान और अहोभाव प्रकट करने का पुनीत अवसर होता है जिसमें दूर-दूर से आये सुन्दरसाथ (श्रद्धालु ) भक्ति भाव में डूबकर शामिल होते हैं।  

 सोमवार को आज निकली इस एैतिहासिक सवारी में श्रीजी की मनमोहक शोभायात्रा मुख्य आकर्षण का केंद्र रही, जिसकी एक झलक पाने के लिये श्रद्धालु बेताब दिखे। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के कारण अन्य राज्यों से श्रृद्धालु सुंदरसाथ पन्ना कम संख्या में आ सके। इसके अलावा सीमित संख्या में स्थानीय श्रृद्धालु संदरसाथ के द्वारा शासन द्वारा जारी कोरोना गाईड लाईन का पालन करते हुए सवारी निकाली गई। जिसका नगरवासियों द्वारा जगह - जगह स्वागत किया गया।    

प्रणामी सम्प्रदाय के आस्था का केन्द्र अति प्राचीन खेजड़ा मंदिर से सोमवार शाम पांच बजे से अखंड मुक्तिदाता महामति प्राणनाथ जी की सवारी जब निकली तो एैसा लगा मानो सभी सन्त मनीषी विविध रूप धारण कर इस सवारी की शोभा बढ़ा रहे हों। दिव्य रथ पर सवार श्री जी तथा धर्मगुरू इस भव्य सवारी की धर्म निष्ठां व भक्तिभाव के साक्षी बने। श्री जी की इस दिव्य सवारी का नगर के निवासियों ने जहाँ तहेदिल से स्वागत किया वहीं प्रणामी धर्म के स्थानीय अनुनायियों ने जगह-जगह श्री जी की आरती उतारकर पुण्य लाभ लिया।  

 सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक है तेरस की सवारी 


 तेरस को आज निकली भव्य शोभा यात्रा में नाचते-गाते भक्ति भाव में डूबे सुन्दरसाथ। 

अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के दौरान पन्ना नगर में सैकड़ों वर्षों से लगातार श्री जी की सवारी भव्य स्वरूप के साथ निकाली जाती है। इस सवारी का आयोजन पहली बार बुन्देलखण्ड केशरी महाराजा छत्रसाल जी ने किया था। सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली इस तेरस की सवारी को लेकर मान्यता है कि जब बुन्देलखण्ड को चारों तरफ से औरंगजेब के सरदारों ने घेर लिया था तब महामति श्री प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल को अपनी चमत्कारी दिव्य तलवार देकर विजयश्री का आर्शीवाद दिया था और कहा था कि हे राजन जब तक तुम अपने दुश्मनों को धूल चटाकर नहीं आ जाते तब तक मैं इसी खेजड़ा मंदिर में ही रूकूंगा। तेरस को जब महाराजा छत्रसाल अपने दुश्मनों पर फतह हासिल कर लौटे तो अपने सद्गुरू महामति प्राणनाथ जी को पालकी में बिठाकर अपने कंघों का सहारा देकर श्री प्राणनाथ जी मंदिर में स्थित गुम्मट बंगला जिसे ब्रम्ह चबूतरा भी कहते हैं में लाए थे।  जिसके प्रतीक स्वरूप तभी से यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है। 

श्री खेजड़ा जी मंदिर से निकली श्री जी की सवारी को श्री प्राणनाथ जी मंदिर की कुल तीन किलोमीटर तक की यात्रा में सात से आठ घंटे का समय लग जाता है। धार्मिक व एैतिहासिक महत्व की इस विशाल शोभायात्रा में पन्ना नगर वासियों ने भी पूरे उत्साह व भक्ति भाव के साथ बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई। रथ में सवार श्री जी की एक झलक पाने के लिए लोग घंटों सड़क के किनारे खड़े रहे। सवारी के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा जगह-जगह श्री जी की आरती उतारी व फूलों की बारिश कर स्वागत किया गया साथ ही शोभा यात्रा में सम्मिलित सुन्दरसाथ को मिठाइयां बांटी गईं।

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Thursday, October 7, 2021

वन्य-प्राणियों का संरक्षण, संवर्धन और सुरक्षा जरुरी

  • राज्य स्तरीय वन्य-प्राणी सप्ताह में 17 अधिकारी-कर्मचारी पुरस्कृत 
  • आयोजित हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी मिला पुरस्कार 

वन्य-प्राणी संरक्षण सप्ताह के समापन अवसर पर सम्मानित होने वाले वनयोद्धा। 

भोपाल। वन्य-प्राणी सप्ताह में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों से प्रेरणा लेकर वन्य-प्राणियों के संरक्षण, संवर्धन और सुरक्षा के प्रति सतत रूप से लगाव पैदा करने की जरूरत है। यह बात प्रधान मुख्य वन संरक्षण एवं वन बल प्रमुख रमेश कुमार गुप्ता ने वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में राज्य स्तरीय वन्य-प्राणी सप्ताह के समापन अवसर पर विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित करते हुए कही। वन बल प्रमुख श्री गुप्ता ने समारोह में मौजूद विद्यार्थियों और शिक्षकों से आव्हान किया कि स्कूली पाठयक्रम में वन्य-प्राणियों पर एक विषय को शामिल कराए जाने के लिए विशेष पहल किए जाने की जरूरत है। उन्होंने स्कूलों की लायब्रेरी में वन्य-प्राणियों की जानकारी रखे जाने के लिए मुहिम चलाने पर जोर दिया।

राज्य स्तरीय वन्य-प्राणी सप्ताह के दौरान हुई फोटोग्राफी, प्रदर्शनी, चित्रकला, (खुला वर्ग, सीनियर वर्ग, जूनियर और दिव्यांग वर्ग) रंगोली (सीनियर और जूनियर) फोटोग्राफी (सीनियर और जूनियर वर्ग), मेंहदी (खुला वर्ग) पॉम पेंटिंग, 'जस्ट ए मिनिट' प्रतियोगिता (सीनियर और जूनियर), सृजनात्मक प्रतियोगिता, फैंसीड्रेस और फेस पेंटिंग प्रतियोगिता में 67 विजेताओं को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार और प्रशस्ति -पत्र प्रदान किए गए। वन बल प्रमुख रमेश कुमार गुप्ता ने बांधवगढ़ रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व, मध्यप्रदेश में पक्षी पर केन्द्रित पुस्तक और म.प्र. राज्य ऑनलाइन जैव विविधिता विजन 2021 पर केन्द्रित पोस्टर का विमोचन किया।

इस अवसर पर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान जू भोपाल और संजय टाइगर रिजर्व पर बनाए गए वृत्तचित्र का प्रीमियर शो किया गया। इसके अलावा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की काफी टेबल बुक का विमोचन और वेबसाईट लाँच की गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन प्रमुख श्री गुप्ता ने वन्य-प्राणियों के संरक्षण, संवर्धन और सुरक्षा संबंधी सभी को शपथ दिलाई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) आलोक कुमार ने वन्य-प्राणी सप्ताह के दौरान हुई विभिन्न गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

पन्ना के भी दो वन कर्मचारी हुए पुरस्कृत



चयन समिति द्वारा वर्ष 2021 के लिए चयनित वन विभाग के विभिन्न टाइगर रिजर्व और वन मंडलों में कार्यरत 17 अधिकारी-कर्मचारियों को भी पुरस्कृत किया गया। इन कर्तव्यनिष्ठ वन योद्धाओं में पन्ना टाइगर रिज़र्व के दो वनकर्मी शामिल हैं। इन दोनों वनकर्मियों नन्हे सिंह वनपाल परिक्षेत्र सहायक अकोला बफर व उदयमणि सिंह परिहार वन रक्षक हिनौता रेंज को वन्य प्राणी संरक्षण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पन्ना टाइगर रिज़र्व के अधिकारियों व कर्मचारियों ने इस उपलब्धि व सम्मान के लिए दोनों वनकर्मियों को बधाई दी है। 

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Tuesday, October 5, 2021

छुट्टी मिलने पर हांथी कर रहे मौज-मस्ती, हो रही विशेष खातिरदारी

  • जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा में तैनात रहने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथियों का कुनबा इन दिनों छुट्टियां मना रहा है। बीते 1 अक्टूबर से यहां के हाथी न सिर्फ मौज-मस्ती कर रहे हैं अपितु विशेष स्वादिष्ट पकवानों का भी भरपूर लुत्फ़ उठा रहे हैं। हाथियों के इस कायाकल्प शिविर में उनके स्वास्थ्य का भी परीक्षण हो रहा है। 

पन्ना टाइगर रिजर्व में कायाकल्प शिविर के शुभारंभ अवसर पर मौजूद वन अधिकारी व हांथी महावत।

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। बिना छुट्टी लगातार काम करने का तनाव हर किसी को होता है, जानवर भी इससे अछूते नहीं हैं। इस तनाव को दूर करने के लिए कुछ दिन का अवकाश जरूरी होता है ताकि घूमना-फिरना व मौज- मस्ती कर तनाव मुक्त हुआ जा सके। ऐसा ही कुछ इन दिनों मध्यप्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथी कर रहे हैं। पर्यटन सीजन शुरू होने के साथ ही 1 अक्टूबर से यहां के सभी हाथी पूरे 7 दिनों की छुट्टी पर हैं। इन 7 दिनों के दौरान हाथी कोई भी काम नहीं करेंगे, वे आपस में मेल-मिलाप कर स्वादिष्ट पकवानों का लुत्फ उठाते हुए मौज-मस्ती करेंगे, जिसमें उनके महावत व चारा कटर भी शामिल रहेंगे।

पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पर्यटन सीजन शुरू होने के साथ ही प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व जहां पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुल गए हैं, वहीं 1 अक्टूबर से हमने पन्ना में हाथियों का रेजुविनेशन कैंप ( Elephant Rejuvenation Camp ) भी शुरू किया है। हमारे यहां 15 हाथियों का कुनबा है, इन सभी का एक हफ्ते विशेष रूप से ख्याल रखा जाएगा। इस हफ्ते उनसे किसी भी प्रकार का कार्य नहीं लिया जाएगा। सभी हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण होगा तथा उन्हें उनकी रुचि का भोजन व विशेष पकवान भी खाने को दिए जाएंगे। हाथियों के साथ महावत और चारा कटर जो उनसे जुड़े हुए हैं उनका भी स्वास्थ्य परीक्षण होगा तथा खेल-कूद और मनोरंजन की गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता हाथी कैंप में शुक्रवार 1 अक्टूबर से हाथी कायाकल्प शिविर का शुभारंभ क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा द्वारा हाथियों के माथे पर हल्दी चावल का टीका लगाकर विधिवत पूजा उपरांत किया गया। सभी हाथियों को उनके स्वादिष्ट भोजन के रूप में उन्हें गन्ना, ड्राई फ्रूट व गुड़ के लड्डू, सेव फल, अनानास, केला व दलिया के लड्डू खिलाए गए। इस मौके पर क्षेत्र संचालक के अलावा उप संचालक विजयानाथम टी.आर., सहायक संचालक डॉ. आर.के. गुरुदेव, वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता समस्त परिक्षेत्र अधिकारी व महावत और चारा कटर मौजूद रहे। महावतों के उत्थान हेतु शुक्रवार 1 अक्टूबर को सोनू परते, पंचू केवट, पवन परते व राजू गोंड़ को श्रमिक से स्थाई वनकर्मी बनाया गया। 


 हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण करते वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ।


वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि पूर्व के शुरुआती दिनों में यहां केवल तीन हथिनी (वत्सला, रूपकली व अनारकली) थीं। वर्ष 2002 सितंबर के महीने में नर हाथी रामबहादुर, हथनी गंगावती व 3 माह की मोहनकली को पन्ना टाइगर रिजर्व में लाया गया था। मोहनकली ने यहां 3 बच्चों को जन्म दिया है जबकि रूपकली यहां 6 बच्चों को जन्म दे चुकी है। खुशी जाहिर करते हुए आपने बताया कि इनमें से कई बच्चे वयस्क होकर वन्य प्राणी संरक्षण के कार्य में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।

डॉ गुप्ता आगे बताते हैं कि पूरे वर्ष पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथी वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा, मानसूनी गस्त, वन्य प्राणियों के उपचार, टाइगर ट्रेंकुलाइज ऑपरेशन जैसे कार्यों में संलग्न होते हैं। चूंकि पन्ना टाइगर रिजर्व तकरीबन 1500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, जहां हाथियों के छोटे-छोटे समूह बनाकर आवश्यकतानुसार अलग-अलग कैंप बनाए जाते हैं। ताकि हाथियों की उपस्थिति लगभग पूरे टाईगर रिजर्व में हो सके। इससे सभी हाथी पूरे वर्ष एक दूसरे से नहीं मिल पाते तथा हाथी महावतों की भी आपस में मुलाकात नहीं हो पाती। कायाकल्प शिविर के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी हाथी एवं महावत व चारा कटर एक स्थान पर रहकर 7 दिनों तक बिना कार्य के तनावमुक्त रहें। हाथी एवं हाथी महावतों को अच्छा भोजन, उनका स्वास्थ्य परीक्षण तथा खेल गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है ताकि वे शारीरिक व मानसिक रूप से फिट हो सके।

कैंप में सौ वर्ष की वत्सला व एक वर्ष की कर्णावती भी शामिल


बुजुर्ग हथिनी वत्सला के साथ इंजी. गरिमा सिंह।

सौ वर्ष की उम्र पूरी कर चुकी दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी कहीं जाने वाली पन्ना टाइगर रिजर्व की वत्सला सहित हथिनी रूपकली का मादा शिशु एक वर्ष की "कर्णावती" इस कायाकल्प शिविर की शोभा बढ़ा रही हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर व पहचान बन चुकी हथिनी वत्सला जहां पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी बनी हुई है, वहीं एक वर्षीय कर्णावती अपने नटखट क्रियाकलापों से सबको लुभा रही है। इस नटखट मादा शिशु का नाम "कर्णावती" प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने रखा था। पर्यटक इन हाथियों को जहां अपने हाथों से स्वादिष्ट पकवान खिलाते हैं वही वत्सला के साथ अपनी यादगार फोटो भी खिंचा रहे हैं।

पन्ना टाइगर रिजर्व के अनुभवी महावत रमजान खान (60 वर्ष) ने बताया कि हाथी बहुत ही बुद्धिमान सामाजिक प्राणी है। उसकी स्मरण शक्ती बहुत ही तेज होती है। एक बार जिससे मिल लिया व जिस मार्ग से गुजरा उसे वह नहीं भूलता। साल में सिर्फ एक मर्तबा जब कायाकल्प शिविर आयोजित होता है तो हाथी कई किलोमीटर दूर से आ रहे अपने साथी का एहसास कर उसका इंतजार करते हैं। जब हाथी आपस में मिलते हैं तो विशेष आवाज निकालकर (चिग्घाड़ कर) खुशी का इजहार करते हैं।

हाथी महावत सोनू परते की पूरी हुई प्रतिज्ञा


महावत सोनू परते जिसे श्रमिक से स्थाई वनकर्मी बनाया गया, पूरी हुई प्रतिज्ञा।

हाथियों के महावतों की जिंदगी चुनौतियों और खतरों से भरी होती है। जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले इन महावतों व चारा कटर में से कई स्थाई वनकर्मी तक नहीं हैं। वे सुरक्षा श्रमिक के रूप में अपनी सेवाएं देते हैं। इन्हीं में से एक महावत सोनू परते 46 वर्ष हैं। वर्ष 2011 से सोनू परते गणेश हाथी में महावत के रूप में कार्यरत हैं। इस जंगली हाथी को जो रास्ता भटक कर पन्ना जिले में आ गया था, उसे जनवार गांव के पास महावत परते ने ही पकड़ा था। फिर इस हाथी को प्रशिक्षण देकर बाघ अनुश्रवण (निगरानी) के लायक बनाया। वर्ष 2015 में महावत सोनू परते ने यह संकल्प लिया था कि जब तक वह परमानेंट वनकर्मी नहीं बन जाता, तब तक जूता-चप्पल नहीं पहनेगा। पूरे 6 वर्षों तक जंगल में हाथियों के साथ नंगे पांव अपने दायित्वों का निर्वहन करने वाले सोनू परते का संकल्प 1 अक्टूबर को तब पूरा हो गया जब क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने उसे स्थाई वन कर्मी बनाये जाने का आदेश प्रदान किया। सोनू परते के साथ पंचू केवट, पवन परते एवं राजू गोंड़ को भी श्रमिक से स्थाई वनकर्मी बनाया गया है। शुक्रवार को सोनू परते की प्रतिज्ञा पूरी होने पर क्षेत्र संचालक से लेकर सभी वन कर्मियों ने प्रसन्नता व्यक्त की। प्रतिज्ञा पूरी  होने के साथ ही महावत सोनू परते जो बीते 6 साल से नंगे पैर रहा है अब जूते पहनेगा। 

पर्यटन विलेज मड़ला की लौटी रौनक 

प्रदेश के अन्य सभी टाइगर रिजर्व की तरह पन्ना टाइगर रिजर्व भी पर्यटकों के भ्रमण हेतु 1 अक्टूबर से खुल गया है। पहले दिन यहां 32 जिप्सियों में डेढ़ सौ से भी ज्यादा पर्यटक पहुंचे और उन्हें वनराज के भी दर्शन हुए। पर्यटक गाइड पुनीत शर्मा ने बताया कि क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने 1 अक्टूबर को विधिवत फीता काटकर पर्यटन सीजन का शुभारंभ किया। जिप्सियों को सैनिटाइज करने के लिए यहां विशेष व्यवस्था की गई है। श्री शर्मा बताते हैं कि सुबह जैसे ही पर्यटक भौंरा देव के पास पहुंचे, वहां उन्हें बाघिन पी- 151 अपने दो शावकों के साथ दिखी। जबकि शाम को हिनौता रेंज में पर्यटकों ने बाघिन पी-141 के दर्शन किए। पर्यटक गाइड श्री शर्मा के मुताबिक शुभारंभ अवसर पर यहां पहुंचे सभी पर्यटकों का पुष्पगुच्छ से आत्मीय स्वागत किया गया। टाइगर रिज़र्व में पर्यटन शुरू होने से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग प्रशन्न हैं। पन्ना जिले के पर्यटन विलेज मड़ला स्थित रिसॉर्ट व होटलों की रौनक पर्यटकों के आने से लौट आई है। 

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Sunday, October 3, 2021

पन्ना टाइगर रिजर्व बन चुका है पन्ना की पहचान : बृजेंद्र प्रताप सिंह

  •  वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने पन्ना में निकली रैली 
  •  प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने रैली को दिखाई हरी झंडी 

वन्यप्राणियों के संरक्षण हेतु जागरूकता लाने निकली रैली को हरी झंडी दिखाते खनिज मंत्री। 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। बाघों से आबाद हो चुका पन्ना टाइगर रिजर्व अब पन्ना जिले की पहचान बन चुका है। देश के 51 टाइगर रिजर्व में यह इकलौता टाइगर रिजर्व है, जिसे शहर के नाम से जाना जाता है। यह बात प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने आज क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व कार्यालय परिसर में आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। आपने कहा कि पन्नावासियों ने अब पन्ना टाइगर रिजर्व को अपना लिया है, हमें अब इसी से रोजगार के नये अवसरों का सृजन करना होगा। 

उल्लेखनीय है कि 1 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी दौरान 2 से 8 अक्टूबर तक 18 टाइगर स्टेट के 51 टाइगर रिजर्व में इंडिया फॉर टाइगर्स - ए रैली ऑन व्हील कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। एनटीसीए द्वारा आयोजित कराए जा रहे इस कार्यक्रम में एनटीसीए का ध्वज लेकर संजय टाइगर रिजर्व से अधिकारी आज पन्ना पहुंचे। इस अनूठे कार्यक्रम के माध्यम से बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा की जा रही है तथा यह बताया जा रहा है कि बाघ हमारे इको सिस्टम का पैमाना है। बाघ के संरक्षण के साथ ही हम अपने त्रिस्तरीय फूड चैन को भी संरक्षित करते हैं।

बच्चों को पन्ना टाइगर रिज़र्व की कैप व टी-शर्ट प्रदान करते मुख्य अतिथि श्री सिंह। 

समारोह को संबोधित करते हुए खनिज मंत्री ने पन्ना टाइगर रिजर्व के पूर्व क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति को याद करते हुए कहा कि उनके अथक प्रयासों से ही पन्ना ने शून्य से यहां तक का सफर तय किया है। आज पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र हर कहीं बाघ स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं। बाघों की मौजूदगी से पन्ना का आकर्षण बढ़ा है, नतीजतन प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी परिवार सहित यहां आकर प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व से यहां के लोगों को रोजी-रोजगार कैसे मिले, इस दिशा में सोचने व काम करने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए पन्ना- अमानगंज मार्ग पर रमपुरा गेट पर्यटन हेतु खोले जाने की आवश्यकता बताई और कहा कि वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बुनियादी व मूलभूत सुविधा मिले यह सुनिश्चित करना चाहिए।

पारिस्थितिकी तंत्र का इंडिकेटर होता है बाघ 

जिस जंगल में बाघ की मौजूदगी होती है, उससे पता चलता है कि वहां का जंगल अच्छा व समृद्ध है। पारिस्थितिकी तंत्र का बाघ सबसे बड़ा इंडिकेटर है, इसीलिए टाइगर का इतना ज्यादा महत्व है। बाघ संरक्षण की महत्ता बताने वाली यह बात पन्ना के  पुलिस कप्तान धर्मराज मीणा ने कही। उन्होंने बाघ पुनर्स्थापना योजना पर भी प्रकाश डाला और बताया कि पन्ना कैसे शून्य से 70 तक पहुंचा। श्री मीणा ने कहा कि बाघ रोजगार देने का भी बहुत बड़ा जरिया बन चुका है, इसलिए यह पन्ना जिले के लोगों की जिम्मेदारी है कि यहां बाघ सुरक्षित और संरक्षित रहें। आपने उन वन योद्धाओं को भी याद किया जो वन्य प्राणियों खासकर बाघ को बचाने में अपनी कुर्बानी दी है। आपने कहा कि यह कुर्बानी सेना व पुलिस के जवानों की कुर्बानी से कम नहीं है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान में एसपी को टाइगर भी बोलते हैं। यह टाईगर आप सबसे अपील करता है कि आगे आएं और पन्ना के टाइगरों को सुरक्षित रखें। क्योंकि पन्ना सिर्फ हीरों के लिए नहीं बल्कि टाइगर के लिए भी जाना जाता है।

संरक्षण की बागडोर अब नई पीढ़ी के हाथों 


कार्यक्रम में आकर्षक प्रस्तुति देते श्री अरविंदो स्कूल के बच्चे। 


कार्यक्रम को पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने संबोधित करते हुए कहा कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए हम कार्य करते रहेंगे। कार्यक्रम को उपसंचालक पन्ना टाइगर रिजर्व विजयानाथम टी. आर. ने भी संबोधित किया। इस मौके पर उपस्थित स्कूली बच्चों तथा पारधी समुदाय के बच्चों सहित सभी को वन्य प्राणी संरक्षण की शपथ भी दिलाई गई। समारोह में श्री अरबिंदो स्कूल के बच्चों ने अनूठी प्रस्तुति देकर बाघ की महत्ता पर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। पारधी समुदाय के बच्चों ने भी कविता पाठ के माध्यम से यह बताया कि किसी समय वे लोग शिकारी थे और वन्य प्राणियों सहित बाघ का भी शिकार करते थे। लेकिन अब उन्होंने वन्य प्राणियों का संरक्षण करने के कार्य से आजीविका चलाना सीख लिया है। पारधी समुदाय को संरक्षण की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाने वाले इंद्रभान सिंह बुंदेला ने गीत के माध्यम से प्रकृति, पर्यावरण और वन्यजीवों के बारे में सारगर्भित जानकारी दी।

खनिज मंत्री ने बच्चों को किया सम्मानित 

समारोह में प्रस्तुति देने वाले बच्चों को प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह व मंचासीन अतिथियों ने सम्मानित किया। इस मौके पर उपस्थित सभी बच्चों को पन्ना टाइगर रिजर्व की कैप वाली टी-शर्ट भी प्रदान की गई। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन सहायक संचालक डॉ आर.के. गुरुदेव व आभार प्रदर्शन हरमन त्रिपाठी सहायक संचालक पन्ना ने किया। कार्यक्रम के उपरांत खनिज मंत्री ने रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली क्षेत्र संचालक कार्यालय से कोतवाली चौराहा होते हुए गांधी चौक पहुंची, जहां रैली का समापन हुआ। हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लिए बच्चे रैली में आकर्षक नारे लगा रहे थे, जो आकर्षण का केंद्र रहे।

रैली का वीडियो -



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Saturday, October 2, 2021

फिटनेश का डोज आधा घण्टा रोज का हुआ उदघोष

  • आजादी का अमृत महोत्सव फ्रीडम रन में दौड़े युवक और युवतियां 
  • खनिज मंत्री श्री सिंह ने फिट इंडिया एवं स्वच्छता की दिलाई शपथ 

 

फ्रीडम रन नजर बाग स्टेडियम से प्रारम्भ होकर कोतवाली चौक, गांधी चौक होते हुये महेन्द्र भवन पहुंची।

पन्ना। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की जयंती पर स्थानीय नजर बाग स्टेडियम में विधिक न्याय प्राधिकरण पन्ना एवं नेहरू युवा केन्द्र पन्ना के संयुक्त तत्वाधान में आजादी का अमृत महोत्सव फ्रीडम रन 2.0 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। फ्रीडम रन प्रारम्भ होने से पहले कार्यक्रम में उपस्थितों को मंत्री खनिज साधन एवं श्रम विभाग ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा फिट इंडिया एवं स्वच्छता की शपथ दिलाई गई। इसके उपरान्त आमंत्रित अतिथियों द्वारा हरी झण्डी दिखा कर दौड़ को रवाना किया गया। 

इस दौड़ में शामिल बच्चे-बच्चियां अपने हाथ में राष्ट्रीय ध्वज तथा फिट इंडिया एवं स्वच्छ भारत के नारे के साथ शुलभ न्याय के बेनर लिये हुये थे। यह दौड़ नजर बाग स्टेडियम से प्रारम्भ होकर कोतवाली चौक, गांधी चौक होते हुये महेन्द्र भवन पहुंची। यहां पर राष्ट्र गान एवं देश भक्ति के गीत का गायन किया गया। इसके उपरान्त भारत माता, महात्मा गांधी के जयकारे और बंदे मातरम, फिटनेश का डोज आधा घण्टा रोज का उदघोष किया गया। इस दौड़ के साथ-साथ लोगों को विधिक जागरूकता का संदेश देते हुये रथ भी चल रहा था।

कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों में खनिज मंत्री  ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह, कलेक्टर संजय कुमार मिश्र, पुलिस अधीक्षक धर्मराज मीना, जिला न्यायाधीश एवं सचिव विधिक सहायता प्राधिकरण  विकास भटेले, विशेष न्यायाधीश आर.पी. सोनकर, तृतीय जिला न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी, मुख्य न्याय मजिस्ट्रेट कमलेश सोनी, अपर कलेक्टर जे.पी. धुर्वे, अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अशोक चतुर्वेदी उपस्थित रहे। 

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Friday, October 1, 2021

जिला आपूर्ति अधिकारी कार्यालय पन्ना में लोकायुक्त का छापा

  •  1 लाख 40 हजार रु. रिश्वत के साथ आपूर्ति अधिकारी व लिपिक गिरफ्तार 
  •  पेट्रोल पम्प की एनओसी के लिए ध्रुव सिंह लोधी से मांगी गई थी रिश्वत 

कार्यवाही करते हुए लोकायुक्त पुलिस तथा कुर्सी में चिंतित बैठे जिला आपूर्ति अधिकारी। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में लोकायुक्त सागर पुलिस की टीम ने आज अपराह्न लगभग 12:15  बजे जिला आपूर्ति कार्यालय में छापा मारकर जिला आपूर्ति अधिकारी सहित लिपिक को 1 लाख 40 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा है। संयुक्त कलेक्ट्रेट स्थित इस कार्यालय में छापा पडऩे से हड़कंप मचा हुआ है। नवीन कलेक्ट्रेट में लोकायुक्त पुलिस की अब तक की यह सबसे बड़ी कार्यवाही है, जिसमें रिश्वत की इतनी बड़ी राशि रंगे हाँथ पकड़ी गई है।  

लोकायुक्त पुलिस सागर के डीएसपी राजेश खेड़े ने जानकारी देते हुए बताया कि शिकायतकर्ता ध्रुव सिंह लोधी से पेट्रोल पंप की एनओसी के लिए रिश्वत की मांग की गई थी। श्री लोधी ने रिश्वत की पहली किस्त 1 लाख 80 हजार रुपये दो माह पूर्व दी थी तथा दूसरी किस्त 1 लाख 40 हजार रुपये आज जब दी, उसी समय जिला आपूर्ति अधिकारी आर.के. श्रीवास्तव व लिपिक महेश गंगेले को रंगे हाथ पकड़ा गया। आपूर्ति अधिकारी के पास से एक लाख 25 हजार तथा लिपिक के पास 15000 रुपये बरामद हुए हैं। डीएसपी श्री खेडे ने बताया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही की जा रही है। यह छापामार कार्यवाही डीएसपी राजेश खेड़े के नेतृत्व में लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने की है। 

मामले के संबंध में शिकायतकर्ता ध्रुव सिंह लोधी पिता उत्तम लोधी 48 वर्ष निवासी हरदुआ खमरिया ने बताया कि पेट्रोल पंप लगाने के लिए एनओसी प्रदान करने के लिए जिला आपूर्ति अधिकारी ने 5 लाख रुपये रिश्वत की मांग की थी। पूर्व में उनके द्वारा पहली किस्त 1 लाख 80 हजार रुपये दी जा चुकी है, जिसमें आपूर्ति अधिकारी को डेढ़ लाख रुपए व लिपिक को 30 हजार रुपये दिए थे। इतनी राशि देने पर भी उन्होंने काम नहीं किया पूरे 5 लाख रुपये मांग रहे थे। इसकी शिकायत मेरे द्वारा गत 27 सितंबर को लोकायुक्त पुलिस से की गई। फल स्वरुप तहकीकात के बाद मामला सही पाए जाने पर लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम ने आज जिला आपूर्ति अधिकारी व  लिपिक दोनों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाँथ गिरफ्तार किया गया। 

भ्रष्टाचार पर नहीं लग पा रहा अंकुश 

भ्रष्टाचार अब पन्ना जिले में एक ऐसी लाइलाज बीमारी बन चुकी है, जिसका कोई इलाज नजर नहीं आ रहा। जिधर भी देखो हर तरफ भ्रष्टाचार की कहानियां सुनने और देखने को मिलती हैं। जनकल्याण व विकास की योजनाओं को भी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अधिकारी घुन की तरह चट कर रहे हैं। यही वजह है कि यहाँ विकास की बातें तो होती हैं लेकिन जमीन पर कहीं विकास दिखाई नहीं देता। आलम यह है कि इस लाइलाज बीमारी से कोई भी विभाग अछूता नहीं है। 

लोकायुक्त सागर के डीएसपी राजेश खेड़े जानकारी देते हुए -



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