Sunday, October 3, 2021

पन्ना टाइगर रिजर्व बन चुका है पन्ना की पहचान : बृजेंद्र प्रताप सिंह

  •  वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने पन्ना में निकली रैली 
  •  प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने रैली को दिखाई हरी झंडी 

वन्यप्राणियों के संरक्षण हेतु जागरूकता लाने निकली रैली को हरी झंडी दिखाते खनिज मंत्री। 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। बाघों से आबाद हो चुका पन्ना टाइगर रिजर्व अब पन्ना जिले की पहचान बन चुका है। देश के 51 टाइगर रिजर्व में यह इकलौता टाइगर रिजर्व है, जिसे शहर के नाम से जाना जाता है। यह बात प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने आज क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व कार्यालय परिसर में आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। आपने कहा कि पन्नावासियों ने अब पन्ना टाइगर रिजर्व को अपना लिया है, हमें अब इसी से रोजगार के नये अवसरों का सृजन करना होगा। 

उल्लेखनीय है कि 1 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी दौरान 2 से 8 अक्टूबर तक 18 टाइगर स्टेट के 51 टाइगर रिजर्व में इंडिया फॉर टाइगर्स - ए रैली ऑन व्हील कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। एनटीसीए द्वारा आयोजित कराए जा रहे इस कार्यक्रम में एनटीसीए का ध्वज लेकर संजय टाइगर रिजर्व से अधिकारी आज पन्ना पहुंचे। इस अनूठे कार्यक्रम के माध्यम से बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा की जा रही है तथा यह बताया जा रहा है कि बाघ हमारे इको सिस्टम का पैमाना है। बाघ के संरक्षण के साथ ही हम अपने त्रिस्तरीय फूड चैन को भी संरक्षित करते हैं।

बच्चों को पन्ना टाइगर रिज़र्व की कैप व टी-शर्ट प्रदान करते मुख्य अतिथि श्री सिंह। 

समारोह को संबोधित करते हुए खनिज मंत्री ने पन्ना टाइगर रिजर्व के पूर्व क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति को याद करते हुए कहा कि उनके अथक प्रयासों से ही पन्ना ने शून्य से यहां तक का सफर तय किया है। आज पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र हर कहीं बाघ स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं। बाघों की मौजूदगी से पन्ना का आकर्षण बढ़ा है, नतीजतन प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी परिवार सहित यहां आकर प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व से यहां के लोगों को रोजी-रोजगार कैसे मिले, इस दिशा में सोचने व काम करने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए पन्ना- अमानगंज मार्ग पर रमपुरा गेट पर्यटन हेतु खोले जाने की आवश्यकता बताई और कहा कि वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बुनियादी व मूलभूत सुविधा मिले यह सुनिश्चित करना चाहिए।

पारिस्थितिकी तंत्र का इंडिकेटर होता है बाघ 

जिस जंगल में बाघ की मौजूदगी होती है, उससे पता चलता है कि वहां का जंगल अच्छा व समृद्ध है। पारिस्थितिकी तंत्र का बाघ सबसे बड़ा इंडिकेटर है, इसीलिए टाइगर का इतना ज्यादा महत्व है। बाघ संरक्षण की महत्ता बताने वाली यह बात पन्ना के  पुलिस कप्तान धर्मराज मीणा ने कही। उन्होंने बाघ पुनर्स्थापना योजना पर भी प्रकाश डाला और बताया कि पन्ना कैसे शून्य से 70 तक पहुंचा। श्री मीणा ने कहा कि बाघ रोजगार देने का भी बहुत बड़ा जरिया बन चुका है, इसलिए यह पन्ना जिले के लोगों की जिम्मेदारी है कि यहां बाघ सुरक्षित और संरक्षित रहें। आपने उन वन योद्धाओं को भी याद किया जो वन्य प्राणियों खासकर बाघ को बचाने में अपनी कुर्बानी दी है। आपने कहा कि यह कुर्बानी सेना व पुलिस के जवानों की कुर्बानी से कम नहीं है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान में एसपी को टाइगर भी बोलते हैं। यह टाईगर आप सबसे अपील करता है कि आगे आएं और पन्ना के टाइगरों को सुरक्षित रखें। क्योंकि पन्ना सिर्फ हीरों के लिए नहीं बल्कि टाइगर के लिए भी जाना जाता है।

संरक्षण की बागडोर अब नई पीढ़ी के हाथों 


कार्यक्रम में आकर्षक प्रस्तुति देते श्री अरविंदो स्कूल के बच्चे। 


कार्यक्रम को पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने संबोधित करते हुए कहा कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए हम कार्य करते रहेंगे। कार्यक्रम को उपसंचालक पन्ना टाइगर रिजर्व विजयानाथम टी. आर. ने भी संबोधित किया। इस मौके पर उपस्थित स्कूली बच्चों तथा पारधी समुदाय के बच्चों सहित सभी को वन्य प्राणी संरक्षण की शपथ भी दिलाई गई। समारोह में श्री अरबिंदो स्कूल के बच्चों ने अनूठी प्रस्तुति देकर बाघ की महत्ता पर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। पारधी समुदाय के बच्चों ने भी कविता पाठ के माध्यम से यह बताया कि किसी समय वे लोग शिकारी थे और वन्य प्राणियों सहित बाघ का भी शिकार करते थे। लेकिन अब उन्होंने वन्य प्राणियों का संरक्षण करने के कार्य से आजीविका चलाना सीख लिया है। पारधी समुदाय को संरक्षण की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाने वाले इंद्रभान सिंह बुंदेला ने गीत के माध्यम से प्रकृति, पर्यावरण और वन्यजीवों के बारे में सारगर्भित जानकारी दी।

खनिज मंत्री ने बच्चों को किया सम्मानित 

समारोह में प्रस्तुति देने वाले बच्चों को प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह व मंचासीन अतिथियों ने सम्मानित किया। इस मौके पर उपस्थित सभी बच्चों को पन्ना टाइगर रिजर्व की कैप वाली टी-शर्ट भी प्रदान की गई। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन सहायक संचालक डॉ आर.के. गुरुदेव व आभार प्रदर्शन हरमन त्रिपाठी सहायक संचालक पन्ना ने किया। कार्यक्रम के उपरांत खनिज मंत्री ने रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली क्षेत्र संचालक कार्यालय से कोतवाली चौराहा होते हुए गांधी चौक पहुंची, जहां रैली का समापन हुआ। हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लिए बच्चे रैली में आकर्षक नारे लगा रहे थे, जो आकर्षण का केंद्र रहे।

रैली का वीडियो -



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1 comment:

  1. निश्चित रूप से पन्ना टाइगर रिजर्व संपूर्ण भारत वर्ष के लिए बाघ संरक्षण का एक विशेष रिजर्व क्षेत्र है इसका संरक्षण करना मूल रूप से पन्ना जिले के रहवासियों के लिए अत्यंत आवश्यक है
    वर्तमान समय में बाघ संरक्षण पर हो रहे कार्य ना काफी होते प्रतीत होते हैं क्योंकि जितनी संख्या पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ और बाघिनों कि है उस संख्या के आधार पर तो प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में वृद्धि होना चाहिए
    विगत दिनों टाइगर रिजर्व के उन बाघों की संकासपद स्थिति मैं मृत्यु होना जिनकी सुरक्षा के लिए 24 घंटे टीम तैनात थी सोचनीय है
    पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला गेट में बाघिन के बच्चों का सुरक्षित रहना भी नितांत आवश्यक है स्थानीय निवासियों के द्वारा यह चर्चा करना कि
    बाघिन के तीन बच्चों में से सामान्य तौर पर दो ही दिखाई देते हैं हमें इस ओर सचेत कर रहे हैं की वन अमले को तीसरे बच्चे की भी देखरेख करनी चाहिए ताकि जीवित बच्चों की संख्या और सुरक्षित बाघों की संख्या नियमित रूप से बढ़ती रहे
    हो रही चर्चाओं को मेरे द्वारा संबंधित आर ओ को भी अवगत कराया गया मेरा ऐसा मानना है यदि हम अधिक से अधिक बाघों की देखरेख तकनीकी तरीके से बेहतर कर सकें और अधिक से अधिक बाघों को अपने तकनीकी तरीके में शामिल कर सकें तो बहुत बेहतर होगा साथ ही
    यह भी अनुमान समय-समय पर प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है कि क्षेत्र में कितनी बाघिन है और संभावित बच्चे कहां और कितनी संख्या में बढ़े होंगे
    बाघों की बढ़ने वाली स्थिति में हमें यह भी ध्यान देने योग्य बातें कि इनका विस्तार कौन से क्षेत्र में और कौन से जंगलों की ओर होगा और वहां इनके संरक्षण की क्या सुविधाएं हैं

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