Thursday, November 28, 2019

देवेन्द्रनगर में नवीन तहसील भवन का प्रभारी मंत्री ने किया लोकार्पण

  •  52.56 लाख रू. की लागत से नवनिर्मित भवन का हुआ निर्माण 
  •   गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिये जनप्रतिनिधि स्कूल गोद लें: डॉ. चौधरी
  •   प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं जनकल्याण की अनेक योजनायें



अरुण सिंह,पन्ना। प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी दो दिवसीय प्रवास पर पन्ना आये। उन्होंने पन्ना प्रवास का शुभारंभ देवेन्द्रनगर तहसील कार्यालय के नवीन भवन के लोकार्पण से किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा जनकल्याण की अनेक योजनायें संचालित की जा रही हैं। वहीं शिक्षा में सुधार कर गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा करते हुये कहा कि सभी जनप्रतिनिधि स्कूल गोद लें और जिस स्कूल को वह गोद लें उसका निरीक्षण निरंतर करते हुये शिक्षा की गुणवत्ता को जाने। पठन-पाठन के स्तर में सुधार के प्रयास करें।
प्रभारी मंत्री डॉ. चौधरी ने देवेन्द्रनगर में 52.56 लाख रू. की लागत से नवनिर्मित तहसील कार्यालय भवन का लोकार्पण वैदिक रीति से पूजन करने के उपरान्त नामपट्टिका अनावरण एवं फीता काटकर किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थितों को सम्बोधित करते हुये कहा कि किसानों की कर्ज माफी योजना के तहत अब तक लगभग 21 लाख किसानों को लाभान्वित किया जा चुका है। आगामी दिनों में 12 लाख अन्य नये किसानों को कर्ज मुक्ति का लाभ दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विद्युत की 100 यूनिट तक खपत होने पर 100 रू. तथा किसानों की विद्युत खपत का आधा बिल कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के बेरोजगारों को प्रशिक्षित कर रोजगार स्थापित कराये जा रहे हैं। जिस तरह किसानों को खर्ज माफी योजना का लाभ दिया गया है। इसी तरह आदिवासी भाईयों को साहूकारों के कर्ज से मुक्ति दिलाई गई है। मुख्यमंत्री कन्यादान/निकाह योजना की राशि को बढ़ाकर 51 हजार रू. कर दिया गया है।

बोर्ड परीक्षाओं की तर्ज पर होंगी 5वीं व 8वीं की परीक्षा




उन्होंने कहा कि प्रदेश में गुणवत्तायुक्त शिक्षा व्यवस्था के लिये माता-पिता एवं शिक्षकों की बैठक प्रत्येक विद्यालय में कराये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। वहीं कक्षा 5वीं एवं 8वीं की परीक्षायें बोर्ड परीक्षाओं की तर्ज पर लिये जाने का निर्णय लिया गया है। अच्छी शिक्षा एवं शिक्षित होकर बच्चे विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो सके इसके लिये नवीन एनसीआरटी पाठ्यक्रम लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रयास है कि हमारा प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में देश में पहला स्थान हासिल करे। इसके लिये प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश के शिक्षकों को शैक्षणिक व्यवस्था के अवलोकन के लिये दिल्ली एवं साउथ कोरिया भेजा गया था। शिक्षकों के शैक्षणिक स्तर में सुधार लाने के लिये प्रशिक्षण परीक्षायें ली जा रही है। जिन शिक्षकों का स्तर बच्चों को पढ़ाने योग्य नहीं है उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्त दी जा रही है। बच्चों के पठन-पाठन स्तर की जांच कर पढ़ाई में कमजोर बच्चों को नियमित क्लास के अलावा पृथक से पढ़ाने की व्यवस्था की गई है।

सप्ताह में एक दिन लगेगा एसडीएम कोर्ट

उन्होंने कहा कि शासन द्वारा आम आदमी की समस्याओं के निराकरण के लिये आपकी सरकार आपके द्वार शिविरों का आयोजन किया जा रहा हैै। इससे आम आदमी को समय पर शासन की सुविधाओं का लाभ आसानी से मिलना शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की पात्रता एवं इन परिवारों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ अपात्रों को न मिले इसके सत्यापन की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की समस्याओं का निराकरण किया जायेगा। प्रदेश में शीघ्र ही डॉक्टरों की भर्ती की जा रही है क्षेत्र में भी डॉक्टरों के पद भरे जायेंगे। स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष, पहुँच मार्ग आदि की समस्याओं का निराकरण भी किया जायेगा। इस अवसर पर भू-अधिकार एवं ऋ ण पुस्तिका वितरण, देवेन्द्रनगर विद्यालय में उत्कृष्ट श्रेणी में पास होने वाले छात्रों एवं संबंधित शिक्षकों आदि को सम्मानित किया गया। सप्ताह में एक दिन देवेन्द्रनगर में एसडीएम कोर्ट लगाया जायेगा।
सम्पन्न हुये इस कार्यक्रम में विधायक गुनौर शिवदयाल बागरी के साथ अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा उपस्थितों को सम्बोधित करते हुये क्षेत्र की समस्याओं की ओर मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट किया। इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शेख मोहम्मद, कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी, अपर कलेक्टर जे.पी. धुर्वे, संबंधित अधिकारीगण, जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में क्षेत्र के आमजन उपस्थित रहे।
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Wednesday, November 27, 2019

शीघ्र लागू किया जाएगा पत्रकार सुरक्षा कानून : जनसम्पर्क मंत्री

  • सुशासन की अवधारणा को मूर्त रूप दे रही है राज्य सरकार
  •  प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश को दिया जा रहा  बढ़ावा



जनसम्पर्क, विधि-विधायी कार्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, विमानन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा है कि प्रदेश में कमल नाथ सरकार सुशासन की अवधारणा को मूर्त रूप दे रही है। इसके लिए प्रशासनिक व्यवस्थाओं में पारदर्शिता लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ          मीडिया को सशक्त बनाने के लिए वचनबद्ध है और निर्भीक तथा निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। श्री शर्मा ने कहा है कि सरकार द्वारा शीघ्र ही पत्रकार सुरक्षा कानून भी लागू किया जाएगा।
मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश में सुशासन को स्थापित किये जाने में सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग किये जाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में दूरसंचार, इंटरनेट सेवा, अवसंरचना प्रदाताओं पर वायर लाइन या वायरलेस आधारित वाइस या डाटा पहुँच सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए अधोसंरचना की स्थापना को सुगम बनाने के लिये प्रक्रिया निर्धारित की गयी है। अब कम्पनियाँ ऑनलाइन आवेदन कर जिला कलेक्टरों से भूमि उपयोग का लायसेंस प्राप्त कर सकती हैं। प्रदेश में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ विंग्स जैसी नवीन तकनीकों का उपयोग कर शासकीय सेवाओं को बेहतर रूप दिए जाने के लिए नेस्काम के साथ एमओयू किया गया है।
प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए आईटी पॉलिसी में संशोधन कर इसे अधिक आकर्षक बनाया गया है। राज्य में नये डाटा सेंटर की स्थापना में सहयोग प्रदान करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की निवेश प्रोत्साहन नीति में संशोधन किया गया है। डाटा सेंटर क्षेत्र में नवीन निवेश को आकर्षित करने के लिए भूमि बैंक बनाये जाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
मैप-आईटी के सहयोग से विभिन्न विभागों के इंटरनल वर्क-फ्लो एवं कम्प्यूटरीकरण का कार्य प्रगति पर है। म.प्र. स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (स्वान) के उन्नयन का कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीन एवं प्रभावी लागत तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।

जन-कल्याणकारी राज्य के लिए हितैषी है निष्पक्ष पत्रकारिता


मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ सदैव ही निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता के पक्षधर रहे हैं। मुख्यमंत्री यह मानते हैं कि निष्पक्ष पत्रकारिता सरकार का सही रूप से मार्गदर्शन करती है। श्री शर्मा ने कहा कि इसीलिए सरकार पत्रकारों के सरोकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर पत्रकारों के हित में सभी आवश्यक कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि सरकार गठन के बाद पत्रकारों को अधिमान्यता देने के लिए राज्य एवं संभाग-स्तरीय अधिमान्यता समितियों का गठन कर दिया गया है। पत्रकारों के स्वास्थ्य उपचार के लिए आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने के लिए पत्रकार संचार कल्याण समिति और पत्रकारों की कठिनाईयों के अध्ययन और सुझाव देने के लिए राज्य-स्तरीय समिति का गठन किया गया है। सरकार ने पत्रकार प्रोत्साहन एवं नवाचार के लिए तथा महिलाओं को पत्रकारिता के क्षेत्र में सुरक्षात्मक वातावरण उपलब्ध कराने और विशेष प्रोत्साहन देने के लिए महिला पत्रकारों की राज्य-स्तरीय समितियों का गठन किया है। मंत्री श्री शर्मा ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 1127 राज्य-स्तरीय अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। जिला-स्तरीय अधिमान्य पत्रकारों की संख्या 1947 और तहसील-स्तरीय अधिमान्य पत्रकारों की संख्या 822 है। प्रदेश में कुल 3,896 अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार हैं।

एक करोड़ 31 लाख से अधिक की आर्थिक सहायता प्रदान की गई


जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने बताया कि पत्रकारों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य उपचार के लिए सरकार आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध करा रही है। सरकार द्वारा सामान्य बीमारियों के लिए 20 हजार रुपये तक और गंभीर बीमारियों के लिए 50 हजार तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद से अब तक 422 पत्रकारों को स्वास्थ्य उपचार के लिए एक करोड़ 31 लाख 54 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है।

5 करोड़ से अधिक की प्रीमियम राशि से पत्रकारों का 10 लाख तक का बीमा कराया


मंत्री श्री शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार पत्रकारों का 10 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा करा रही है। साथ ही 4 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 2,874 पत्रकारों का बीमा करवाया गया है। इनमें 2,310 अधिमान्य और 564 गैर-अधिमान्य पत्रकार हैं। श्री शर्मा ने बताया कि बीमित पत्रकारों की प्रीमियम राशि की 75 प्रतिशत राशि 5 करोड़ 40 लाख रुपये का वहन सरकार द्वारा पत्रकारों के हित में किया गया है। चार अक्टूबर, 2019 से अब तक 60 पत्रकारों के 24 लाख रुपये के बीमा क्लेम का भुगतान किया गया है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 615 से अधिक पत्रकारों ने अपना बीमा कराया है।

सम्मान-निधि 7 हजार से बढ़ाकर 10 हजार की गई


मंत्री श्री शर्मा ने बताया कि सरकार पत्रकारों के सम्मान के लिए वचनबद्ध है। सरकार ने पूर्व में मिलने वाली सम्मान-निधि की राशि को 7 हजार रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया है। वर्तमान में 209 वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मान-निधि दी जा रही है। सरकार द्वारा राज्य-स्तरीय अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को लेपटॉप क्रय करने के लिए 40 हजार रुपये की राशि दी जा रही है। इस वर्ष 17 पत्रकारों को राशि प्रदान की गई है। श्री शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा अधिमान्य पत्रकारों को 25 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान 5 वर्ष तक दिये जाने का प्रावधान किये जाने की प्रक्रिया प्रचलन में है। सरकार उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए शीघ्र ही वर्ष 2017, 2018 और 2019 के लिए पत्रकारों को समारोहपूर्वक सम्मान प्रदान करेगी। इसके लिए आवेदन-पत्र पूर्व में ही आमंत्रित किये जा चुके हैं।

बेहतर प्रचार-प्रसार में जनसम्पर्क की महत्वपूर्ण भूमिका


मुम्बई के बाहर पहली बार इंदौर में 10 नवम्बर, 2019 को आयोजित हुए इंडियन टेलीविजन अवार्ड के आयोजन में जनसम्पर्क विभाग ने सहभागिता करते हुए राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी नीतियों एवं विभिन्न निर्णयों का प्रचार-प्रसार किया। प्रदेश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और औद्योगिक क्षेत्र में अधिकतम निवेश को आकर्षित करने के लिए इंदौर में अक्टूबर, 2019 में हुए मैग्नीफिसेंट एमपी-2019 का आयोजन किया गया, जिसमें जनसम्पर्क विभाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस आयोजन का राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के 150वें जन्म वर्ष पर जनसम्पर्क विभाग द्वारा गाँधी जी के विचारों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसके तहत श्मध्यप्रदेश में गाँधीश्श् पुस्तक का पुनरू प्रकाशन किया गया। प्रदेश के जिन 13 स्थानों पर गाँधी जी का आगमन हुआ था, वहाँ विभाग द्वारा प्रदर्शनी और संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। पूरे वर्षभर गाँधीजी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर आधारित चलित प्रदर्शनी प्रदेश-भर में भ्रमण करेगी।

राम वन गमन-पथ का विकास


मध्यप्रदेश की पावन भूमि का अलौकिक स्वरूप भगवान प्रभु श्रीराम के चरण-कमल के प्रदेश में पड़ते ही साकार हो गया था। कमल नाथ सरकार प्रतिबद्ध है कि प्रदेश के वे पवित्र स्थल जैसे सतना, पन्ना, कटनी, उमरिया, शहडोल, अनूपपुर आदि जिले, जहाँ भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का समय व्यतीत किया था, प्रदेश कांग्रेस सरकार उन स्थलों को वही अलौकिक स्वरूप देने के लिए संकल्पित है। चित्रकूट-कामदगिरी, गुप्तगोदावरी, स्फटिक-शिला, अनुसूईया-आश्रम, हनुमान-धारा, दशरथ-गाठ इत्यादि स्थलों को धार्मिक पर्यटन के लिए विकसित किया जाएगा। साथ ही भोपाल में समूचे राम वन गमन पथ की प्रतिकृति भी निर्मित की जाएगी।

आध्यात्म विभाग का गठन और मंदिरों, मठों, तीर्थ-स्थलों का उन्नयन


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने वर्ष 1985 में लोकसभा में संबोधित करते हुए कहा था कि भारत की आध्यात्मिक विरासत की रक्षा करना समाज और विशेष रूप से सरकार का कार्य है। उन्होंने कहा था कि वास्तविक आध्यात्मिक संस्थाओं और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे व्यक्तियों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। मंत्री श्री शर्मा ने बताया कि प्रदेश में हमारी सरकार ने मंदिरों में पूजा-अर्चना करने वाले पुजारियों की बेहतरी के लिए नीतियों को नये सिरे से निर्धारित किया एवं पुजारियों के मानदेय को तीन गुना कर दिया। सरकार द्वारा माँ नर्मदा, माँ क्षिप्रा, माँ मंदाकिनी एवं माँ ताप्ती जैसी जीवन-दायिनी पवित्र नदियों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए नदी-न्यास का गठन किया गया है। इसके साथ ही मंदिर एवं मठों की व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मठ-मंदिर सलाहकार समिति का भी गठन किया गया है। विभिन्न मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए भी राशि प्रदान की गई है। साथ ही तीर्थ-दर्शन के लिए तीन विशेष ट्रेन चलायी गई हैं।
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Monday, November 25, 2019

27 हजार रूपये की रिश्वत लेते डीईओ ट्रायवल गिरफ्तार

  •   कन्या छात्रावास में साइकिल स्टैण्ड बनाने अधीक्षिका से माँगी थी रिश्वत
  •   शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस सागर की टीम द्वारा की गई कार्यवाही


नवीन कलेक्ट्रेट स्थित दफ्तर में कार्यवाही करती लोकायुक्त टीम तथा कुर्सी में बैठे डीईओ ट्रायवल।

अरुण सिंह,पन्ना। लोकायुक्त सागर की टीम ने आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक साबित खान को 27 हजार की रिश्वत लेते हुये सोमवार की शाम रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। उनके खिलाफ  इन्द्रपुरी कालोनी पन्ना स्थित शासकीय अनुसूचित जाति कन्या पोस्ट मैट्रिक छात्रावास की अधीक्षिका कृष्णा सोनी ने शिकायत की थी। शिकायत की सत्यता जाँचने के बाद लोकायुक्त डीएसपी राजेश खेड़े के नेतृत्व वाली टीम ने सोमवार की शाम लगभग 5 बजे छापामार कार्यवाही कर डीईओ ट्रायवल को रंगे हाँथ रिश्वत के रूपयों सहित गिरफ्तार कर लिया।
इस सनसनीखेज मामले के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार पोस्ट मैट्रिक कन्या छात्रावास में बीते महीनों 1.80 लाख रू. की लागत से साइकिल स्टैण्ड बनवाया गया था। इसके कमीशन के रूप में जिला संयोजक द्वारा छात्रावास अधीक्षिका कृष्णा सोनी से 20 फीसदी की राशि माँगी जा रही थी। इसके कारण अधीक्षिका बीते छ: माह से परेशान थी। इस मामले की शिकायत उन्होंने लोकायुक्त सागर से की थी। उनकी शिकायत पर लोकायुक्त की टीम पन्ना आई हुई थी। बीते करीब एक सप्ताह से ट्रैपिंग की तैयारी चल रही थी।


 छात्रावास अधीक्षिका कृष्णा सोनी जिनकी शिकायत पर कार्यवाही हुई।

 सोमवार की शाम को अधीक्षिका 25 हजार रू. देने आई तो जिला संयोजक साबित खान ने यह राशि यह कहकर नहीं ली कि पूरे 27 हजार रू. चाहिये। जब अधीक्षिका ने 2 हजार रू. और दिये तब जाकर जिला संयोजक माने। रिश्वत की राशि देने के कुछ ही देर बाद लोकायुक्त की टीम ने उन्हें ट्रैप कर लिया। जिनके हाँथ धुलवाये गये, देर शाम तक लोकायुक्त पुलिस द्वारा कार्यवाही जारी रही। नवीन कलेक्ट्रेट भवन स्थित जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग के कार्यालय में लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई इस कार्यवाही के उपरान्त कलेक्ट्रेट में हड़कम्प मच गया। नवीन कलेक्ट्रेट भवन में लोकायुक्त पुलिस की यह पहली कार्यवाही है। इस कार्यवाही में विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी रंगे हाँथ पकड़ा गया है। लोग इस बात से हैरत में हैं कि प्रशासनिक अधिकारी कितने भ्रष्ट और बेखौफ हैं कि दफ्तर में ही बैठकर सरेआम रिश्वत लेने से नहीं हिचकते। आदिम जाति कल्याण विभाग में हुई कार्यवाही इस बात का जीता-जागता उदाहरण है।

कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा रहे चर्चा में

अपनी कार्यप्रणाली को लेकर आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक साबित खान हमेशा चर्चा में रहे हैं। पूर्व में भी इनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जाते रहे हैं। छात्रावास अधीक्षकों के स्थानांतरण को लेकर भी ये मीडिया में सुर्ख़ियों पर थे। लेकिन जिला संयोजक इस तरह से एक छात्रावास अधीक्षिका की शिकायत पर रंगे हाँथ पकड़े जायेंगे इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। मालुम हो कि पूर्व में भी साबित खान पन्ना में पदस्थ रहे हैं जिनका स्थानांतरण हो गया था। लेकिन इन्होंने पुन: प्रयास करके अपना स्थानांतरण पन्ना करा लिया जो उनके लिये घातक साबित हुआ।
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Sunday, November 24, 2019

डेढ़ सौ किमी दूर हमीरपुर में दिखा पन्ना का बाघ

  •   पन्ना टाईगर रिजर्व में तेजी से बढ़ी है बाघों की तादाद
  •   संख्या बढऩे से नये ठिकाने की तलाश में निकल रहे हैं बाहर


 खेत से होकर गुजर रहे बाघ का दृश्य।

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या लगातार बढऩे के कारण अनेकों बाघ अपने लिये नये ठिकाने की तलाश करने कोर क्षेत्र से बाहर निकल रहे हैं। मौजूदा समय टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में आये दिन लोगों को बाघ नजर आ रहे हैं। जिन इलाकों में विगत कई वर्षों से बाघ नहीं दिखे वहां भी बाघों की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। अब तो आलम यह है कि पन्ना के बाघ लम्बी दूरी तय कर पड़ोसी राज्य उ.प्र. की सीमा में भी प्रवेश करने लगे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार उ.प्र. में आने वाले बुन्देलखण्ड क्षेत्र के महोबा-हमीरपुर जिले की सीमा में हाल ही में एक बाघ देखा गया है। सूत्रों के मुताबिक हमीरपुर जिले के घेवड़ी गाँव में खेत से गुजरते हुये ग्रामीणों ने बाघ को न सिर्फ देखा है अपितु दूर से उसकी तस्वीर भी ली है। मामले की जानकारी लगते ही वन विभाग के अधिकारी सक्रिय हो गये हैं और बाघ की तलाश में जुटे हैं। इस संबंध में पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया से पूछे जाने पर आपने संभावना जताई है कि हमीरपुर जिले में दिखा बाघ पन्ना टाईगर रिजर्व का हो सकता है। आपने बताया कि इस पूरे इलाके में बाघों का सोर्स पापुलेशन सिर्फ पन्ना टाईगर रिजर्व में है। चूँकि यहां पर बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है, इसलिये बड़ी संख्या में बाघ कोर क्षेत्र से निकलकर बफर के जंगल में विचरण कर रहे हैं। बफर क्षेत्र से ही निकलकर यह बाघ लम्बी दूरी तय करते हुये वहां पहुँचा होगा।

उ.प्र. के इस इलाके में पहली बार दिखा है बाघ

बुन्देलखण्ड के चीफ कन्जर्वेटर आफ फारेस्ट पिनाली सिंह के मुताबिक हमीरपुर जिले के इस इलाके में पहली मर्तबे कोई रॉयल बंगाल टाईगर देखा गया है। ग्रामीणों ने इस बाघ की फोटो भी ली है। बताया गया है कि इलाके के 7 ऐसे ग्रामों की पहचान हुई है जहां लोगों ने बाघ को गुजरते हुये देखा है। वन अधिकारियों ने इलाके के लोगों को सतर्क रहने के लिये कहा है। वन अधिकारियों के मुताबिक यह रॉयल बंगाल टाईगर पन्ना से केन नदी के किनारे यात्रा करते हुये हमीरपुर तक पहुँचा है। इस टाईगर को सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू करने के लिये बड़े स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है तथा बाघ की तलाश के लिये कानपुर से विशेष टीमों को भी बुलाया गया है।

आईडी से होगी इस बाघ की पहचान

क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व श्री भदौरिया ने बताया कि वे उ.प्र. के वन अधिकारियों से सम्पर्क कर रहे हैं। बाघ की अच्छी तस्वीर मिलने पर इस बात की पुष्टि हो जायेगी कि यह पन्ना का बाघ है। आपने बताया कि पन्ना टाईगर रिजर्व में जन्मे सभी बाघों की आईडी बनाई जाती है, जिससे यदि कोई बाघ लम्बी दूरी तय करके बाहर चला जाता है तो भी उसकी पहचान आसानी से की जा सकती है। श्री भदौरिया ने बताया कि पन्ना का एक बाघ मौजूदा समय रानीपुर सेन्चुरी में है। कई नर व मादा बाघ चन्द्रनगर, बिजावर व किशनगढ़ क्षेत्र में भी विचरण कर रहे हैं। आने वाले दिनों में बफर क्षेत्र के जंगल में बाघों का मूवमेन्ट और अधिक हो सकता है।
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Thursday, November 21, 2019

बुंदेलखंड में बालू बन गई अफीम, लूटने में लगे सियासतदार और ठेकेदार

 

केन के नदीखोर पोकलैंड से कर रहे खनन ।  जलआरती वाले डीएम हीरालाल का मौन,खनिज अधिकारी मौज में तब सुने कौन ? ’ नरैनी के गुढ़ा,कालिंजर, गिरवा से लगे मध्यप्रदेश की सरहदें अवैध खनन, ओवरलोडिंग के अड्डे। ’ गत सप्ताह बाँदा के मटौन्ध कस्बे में पकड़े गए थे ट्रकों से रंगदारी लेने वाले युवक,बीजेपी के प्रजापति विधायक की मिली थी छत्रछाया, प्रशासन ने दबाया नाम तो मीडिया में प्रकाशित नहीं किया गया।’ बुंदेलखंड में बालू बन गई अफीम, लूटने में लगे सियासतदार और ठेकेदार, खदानों के मुनीम।’ शिकायत मिलने पर अधिकारियों का कहना नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। ’ एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश नदी के जलस्तर पर मशीनों से खनन नहीं किया जाए। ’ बालू उठाने के लिए मैकेनिज्म की आड़ में नदियों की जलधारा में उतरती है हैवी मशीनें, जिलाधिकारी से लेकर थाने तक सेटिंग....सइयां भये कोतवाल तब डर काहे का ! ’ पर्यावरण के मुद्ददो पर किसी देशभक्ति की जुबान नहीं खुलती है जैसे विधायक,सरकार उनकी रोजीरोटी का साधन है।’ भारत मे नदियों को बना दिया गया है डस्टबिन जिसमें कचरा,नाले से लेकर बालू उठान के तरीकों तक सिर्फ पानी को समाप्त करने की हवस नजर आती है।  चित्रकूट मंडल में बालू खनन शुरू हो गया है। खबर में तस्वीर नरैनी के गुढ़ा-कालिंजर की बताई गई है। सूत्र कहते है कि चौकी इंचार्ज और क्षेत्रीय नेताओं की सहमति से पन्ना के बृहस्पति कुंड से निकलने वाली बाघे नदी में पोकलैंड मशीनों से खनन हो रहा है जबकि यह एनओसी की मान्यता के विपरीत है। बाँदा में डेढ़ वर्ष से टिके जिलाधिकारी हीरालाल यूँ तो पर्यावरण के संरक्षण में जल पूजन के हिमायती है लेकिन सत्ता समर्थित इस प्रकृतिखोर कार्य पर चुप रहते है....कौन नहीं जानता कि यदि बालू के अवैध खनन मुद्दे पर सख्ती की तो डीएम साहेब को सरकार के रिपोर्ट कार्ड में सिस्टम के खिलाफ खड़ा होने का तमगा देकर स्थांतरित करवा सकती है। उल्लेखनीय है जनपद में जो भी डीएम अवैध खनन या ओवरलोडिंग पर सख्त हुआ उसकी विदाई माननीय विधायक-सांसद करवा देते है। जाहिर है यह बालू का सिंडिकेट सफेदपोश महंतों के बिना संभव नहीं है। बालू खदान संचालन करने वालों का रुतबा देखना हो तो आवास विकास बी ब्लाक टीवीएस एजेंसी के समीप बाबू सिंह कुशवाहा के मकान में कनवारा खदान संचालन कर रहे बिहारी बाबू का जलवा देखिए। असलहों की हनक पर आवास जो बसपा सरकार में कभी कार्यालय हुआ करता था आज बालू ठेकेदार की गद्दी बन चुका है। बसपा से लेकर देशभक्ति की कथित ठेका चलाने वाली बीजेपी तक केन,बाघे,रजं,यमुना,बेतवा,मंदाकनी, चंद्रावल तक यह कारोबार नीति नियंता के हाथों की कठपुतली बन गया है। सरकार जैसा चाहती है इस करोड़ों के व्यापार को सुखाड़ वाले बुंदेलखंड में बेधड़क चलाती है। अवैध खनन भला कैसे रुके जब पूर्व विधायक से लेकर वर्तमान तक इस धंधे में मंजे खिलाडी हो ? भक्तिकाल में डूबे गोदी मीडिया और योगी-मोदी मंत्र का जाप करने वाले इन मुद्दों पर आईसीयू में रहते है यहां वो सूरदास बन जाते है।
@ आशीष सागर दीक्षित की फेसबुक वॉल से 

Sunday, November 17, 2019

बाबाओं की टोली करेगी रेत खदानों की निगरानी

  •   रेत का अवैध उत्खनन रोकने कम्प्यूटर बाबा ने ढूँढ़ा यह तरीका
  •   बाबा ने कहा 15 साल का कचरा हटाने में लगेगा समय


अध्यक्ष नन्दी न्यास कम्प्यूटर बाबा साथ में गुनौर विधायक व कलेक्टर।

अरुण सिंह,पन्ना। रेत के अवैध उत्खनन पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये म.प्र. सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त कम्प्यूटर बाबा ने अभिनव तरीका ईजाद किया है। जो काम प्रशासनिक तंत्र नहीं कर पा रहा उसे कम्प्यूटर बाबा की जमात के लोग पूरा करेंगे। कुुछ घण्टों के लिये पन्ना प्रवास पर पहुँचे कम्प्यूटर बाबा ने मन्दिरों के शहर पन्ना में न सिर्फ अपने रुतबे और जलवे का इजहार किया अपितु यह ऐलान भी किया कि बाबाओं की टोली अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिये खदानों की निगरानी करेगी। उन्होंने पूर्ववर्ती शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुये कहा कि उनके शासन में बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन हुआ है, 15 वर्ष के इस कचरे को साफ करने में समय लगेगा।
उल्लेखनीय है कि अपनी अनूठी वेशभूषा और राजनीतिक टीका-टिप्पणियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले कम्प्यूटर बाबा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक शनिवार को दोपहर पन्ना पहुँचे। बाबा की अगवानी में जहां प्रशासनिक अधिकारी मुस्तैद रहे वहीं रेत कारोबार से जुड़े लोगों की भी अच्छी खासी तादाद बाबा के इर्द-गिर्द मौजूद रही। छुट्टी का दिन होने के बावजूद कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त कम्प्यूटर बाबा ने पन्ना में अधिकारियों की बैठक ली और नवीन कलेक्ट्रेट परिसर में तुलसी व पीपल के पौधे का रोपण भी किया। यह अलग बात है कि नवीन कलेक्ट्रेट परिसर में बाहर अब तक जितने भी पौधे विशिष्ट लोगों द्वारा रोपित किये गये हैं, वे एक भी जीवित नहीं बचे। इस बार शायद कुछ चमत्कार घटित हो और  बाबा द्वारा रोपा गया पीपल का पौधा बचकर वृक्ष बनेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक पवित्र नगरी पन्ना बाबा को काफी रास आई है। यहां की हरियाली व भव्य मन्दिरों ने बाबा को बेहद प्रभावित किया है। दोपहर में कम्प्यूटर बाबा चमचमाती सफेद गाड़ी से जब सर्किट हाऊस पहुँचे तो पहले से ही फूल-माला लेकर वहां मौजूद लोगों ने बाबा का बड़े ही गर्मजोशी के साथ आत्मीय स्वागत किया। स्वागत से अभिभूत बाबा ने भी प्रसन्न होकर दिल से सभी को आशीर्वाद दिया। बाबा जी का आशीर्वाद पाकर स्वागत करने वाले लोग अपने को धन्य महसूस कर रहे हैं। वे आश्वस्त दिख रहे हैं कि केन नदी के तटों पर जब बाबाओं की टोली निगरानी के लिये पहुँचेगी तो वहां पर उनके सानिद्ध में अच्छा सत्संग होगा। रेत के अवैध उत्खनन को रोकने के लिये कम्प्यूटर बाबा के इस तरीके से बाबाओं को जहां पर्यावरण को बचाने का रचनात्मक काम मिल जायेगा वहीं उन्हें ध्यान, साधना और सत्संग के लिये अनुकूल माहौल और वातावरण भी मिलेगा। इससे अवैध रेत उत्खनन को रोकने में नाकाम रहने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को भी राहत मिलेगी और वे अपना पूरा ध्यान विकास व जनहित के कार्यों में लगा सकेंगे। नवीन कलेक्ट्रेट परिसर में बैठक के बाद पौधरोपण के समय का नजारा देखकर यही प्रतीत हुआ कि कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त कम्प्यूटर बाबा के पन्ना आगमन से प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ खनन कारोबार से जुड़े लोगों की भी प्रसन्नता बढ़ गई है। अपने अल्प प्रवास में ही बाबा ने सभी को तनाव मुक्त रहकर जीवन जीने का मंत्र सिखा दिया है।
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Saturday, November 16, 2019

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन ने उठाये सवाल



महान गणितज्ञ और कंप्यूटर जैसा दिमाग रखनेवाले शख्स वशिष्ठ नारायण सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन के साथ ही भारत ने गणित के क्षेत्र में नाम कमाने वाले लाल को खो दिया।  लेकिन क्या आप जानते हैं, उन्होंने अपने जमाने के प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को भी चुनौती दी थी। वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में हुआ था। इनका परिवार आर्थिक रूप से गरीब था, इनके पिताजी पुलिस विभाग में कार्यरत थे। बचपन से वशिष्ठ नारायण सिंह में विलक्षण प्रतिभा थी, वशिष्ठ जी ने प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही पूरी की। वर्ष 1962 में इन्होनें नेत्राहत स्कूल में मेंट्रिक की परीक्षा में पूरे बिहार में टॉप किया था। जिसके बाद साइंस कॉलेज से इन्टरमीडिएट की परीक्षा में भी पूरे बिहार में टॉप किया।
 जब ये पटना साइंस कॉलेज में पढाई कर रह थे तो उन्होंने अपने शिक्षकों को गलत पढ़ाने के कारण बीच में ही टोक दिया था। जब यह बात उनके प्रिंसिपल को पता चली तो इनकी अलग से परीक्षा ली गयी जिसमे उन्होंने सारे एकेडमिक रिकॉर्ड तोड़ दिए। बिहार के रहनेवाले वशिष्ठ नारायण छात्र जीवन से ही मेधावी थे।  इनके शैक्षणिक रिकॉर्ड को देखते हुए 1965 में पटना विश्वविद्यालय ने नियम बदल दिया और वशिष्ठ नारायाण को एक साल में ही बीएससी ऑनर्स की डिग्री दे दी। उनकी प्रतिभा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पटना सायंस कॉलेज में गलत पढ़ाने पर गणित के प्रोफेसर को टोक देते थे। जिसके बाद उनकी शोहरत इतनी फैली कि लोग उन्हें वैज्ञानिक जी कहकर पुकारने लगे। पटना सायंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही कैलोफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की तरफ से उनको अमेरिका आने का ऑफर मिला। 1965 में वशिष्ठ नारायण अमेरिका चले गये, जहां 1969 में पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में बतौर प्राध्यापक नियुक्त हुए। कुछ दिनों के लिए कंप्यूटर जैसे दिमागवाले शख्स ने नासा में भी काम किया। 1969 में वशिष्ठ नारायण ने ‘द पीस ऑफ स्पेस थ्योरी’ नाम से एक शोधपत्र प्रस्तुत किया. जिसमें उन्होंने आइंस्टीन की थ्योरी सापेक्षता के सिद्धांत को चौलेंज किया। पीएचडी की डिग्री उन्हें इसी शोध पर मिली। 1971 में अमेरिका से  भारत लौटे तो उनके साथ किताबों के 10 बक्से थे। स्वदेश वापसी पर उन्होंने कई नामी गिरामी संस्थानों में अपनी सेवाएं दीं।  उनके बारे में कहा जाता है कि नासा में अपोलो की लॉन्चिंग से पहले 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गये. जब कंप्यूटर ठीक किए गए तो वशिष्ठ नारायण और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन समान निकला।

ऐसे समाज में जीवित रहकर भी वशिष्ठ बाबू क्या करते?

 दुनिया के इस महान गणितज्ञ का देहावसान जिन परिस्थितियों में हुआ, वह बेहद दुःखद और हमारी असलियत को उजागर करने वाला है। निधन होने पर  पटना अस्पताल के बाहर इनका शव पड़ा रहा और वो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। तब जाकर विहार के मुख्यमंत्री सहित प्रशासन को उनकी सुध आई। घटनाक्रम से व्यथित योगेन्द्र भदौरिया फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं कि ये सामाजिक दुर्भाग्य है कि प्रशासन के साथ - साथ आम आदमी ने भी इनका साथ नही दिया....अंत समय तक ...नैतिकता की गिरावट यही है...इनकी पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राघवेन्द्र राज मोदी ने बेहद तल्ख़ अंदाज में अपनी भावनाओं को कुछ इस तरह प्रकट किया है -
अच्छा हुआ वशिष्ठ बाबू चले गए। वे रह कर भी क्या करते? जिस देश और प्रदेश के लिए वे अमेरिका की शान ओ शौकत और नासा जैसी प्रतिष्ठित संस्थान की नौकरी छोड़कर आये थे, उस देश और प्रदेश ने उन्हें बहुत पहले छोड़ दिया था। जिस वशिष्ठ नारायण सिंह को अमेरिका के विद्वत समाज ने तलहथी पर बैठा कर रखा था, उसकी हमने कदर नहीं की। भले ही उन्होंने आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती दी हो, उनका दिमाग कम्प्यूटर को भी मात देनेवाला क्यों न रह हो, विश्व के सबसे बड़े गणितज्ञ क्यों न रहे हों, हमे उससे क्या?
नेताओं के जयकारे लगाना और बेईमान-शैतान के पीछे भागना जिस समाज की नियति हो, जहां हत्यारे और घोटालेबाजों के स्मारक बने हों, सरकारी संरक्षण में चलनेवाले बालिका गृहों में यौनाचार होता हो, सामूहिक नकल और सेटिंग से बच्चे टॉप करते हों, वहां डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे जीनियस की जरूरत ही क्या है?
उन्हें तो हमने जीते जी ही मार डाला था! न सरकार ने सुध लेने की जरूरत समझी न समाज को उनकी याद आई। हां, उनके मरने के बाद श्रद्धांजलि देनेवालों की बाढ़ आ गई है। दिल्ली से पटना तक शोक की बयार चलती दिख रही है।
वह तो भला हो न्यूज चौनलों का जिनके शोर मचाने पर सरकार को दायित्व बोध हुआ। देर से ही सही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान से वशिष्ठ बाबू के अंतिम संस्कार की घोषणा की और उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किया। लेकिन नामी-गिरामी डॉक्टरों वाले पटना मेडिकल कालेज अस्पताल  ने उन्हें अपमानित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अपने चिर-परिचित अंदाज में इस महान गणितज्ञ के शव को बाहर सड़क पर ला छोड़ा। यह अस्पताल अपने इसी तरह के अमानवीय और क्रूर व्यवहार के लिए जाना जाता है। खबर दिखाए जाने के बाद एम्बुलेंस से लेकर सम्मान देने तक कि व्यवस्था हुई। लेकिन तबतक पूरे देश में हमारी थू-थू हो चुकी थी। सच पूछिए तो हम इसी थू-थू के पात्र हैं। नायकों की हम उपेक्षा करते हैं और खलनायकों के पीछे भागते हैं। यही हमारा चरित्र बन गया है। ऐसे समाज में जीवित रहकर भी वशिष्ठ बाबू क्या करते?
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पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती

  • 96 वर्षीय महिला कार्त्यानी अम्मा की प्रेरणादायी कहानी  
  • न सिर्फ साक्षरता परीक्षा पास की बल्कि उसमें टॉप भी किया




शिक्षा और साक्षरता के लिए देश में सभी को प्रयास करना चाहिए क्योंकि गरीबी से लड़ने के लिए, भ्रष्टाचार दूर करने के लिए और देश के समग्र विकास के लिए सभी का शिक्षित होना अनिवार्य है। कई बार हमें इसकी अहमियत बहुत देर में पता चलती है और हम यह कहकर इसे टाल देते हैं कि अब तो हमारी उम्र तो अब कमाने और परिवार चलाने की है। पर पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती। यानी कि जीवन के किसी भी मोड़ पर हम कुछ भी सीख सकते हैं। ये जितना कहना आसान है करने में थोड़ा मुश्किल है। हमने कुछ सीखने की उम्र खुद ही तय कर रखी है। जैसे कि पढ़ाई लिखाई, गाड़ी या साईकल चलाना, तैराकी सीखना। इन सब के लिए हमारे मन में यही धारणा है कि शुरुआती दौर में इन्हें सीख लो तो ठीक लेकिन बढ़ती उम्र के साथ इनको सीखने की गुंजाइश कम होती जाती है। लेकिन फिर भी दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो अपने अंदर की सीखने की इच्छा को मरने नही देते और उम्र के ऐसे पड़ाव में नई चीजें सीख जाते हैं जो दूसरों के लिए नामुमकिन के बराबर था।आज हम आपको एक ऐसी वृद्ध महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ना केवल 96 साल की उम्र में साक्षरता परीक्षा पास की बल्कि उसमें टॉप भी किया।
इनका नाम है कार्त्यानी अम्मा। 96 वर्षीय महिला कार्त्यानी अम्मा केरल राज्य के साक्षरता परीक्षा में 100 में से 98 अंक हासिल कर परीक्षा में टॉप किया है। यह परीक्षा मलयालम में आयोजित की गई थी। इस परीक्षा का आयोजन केरल सरकार अक्षरलक्षम् मिशन के तहत करवाती है। अलपुज्जा ज़िले के चेप्पाड़ गांव में रहने वाली कार्त्यानी अम्मा को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के हाथों अक्षरलक्ष्यम् साक्षरता सर्टिफिकेट दिया गया। बता दें कि कार्त्यानी अम्मा कभी स्कूल नहीं गईं। वे जब तक जीवित हैं, तब तक पढ़ना चाहती हैं। उनका परिवार मंदिरों और घरों में सफाई का काम करता था। फिलहाल कार्त्यानी अम्मा चेप्पाड़ गांव में अपनी बेटी और पोते-पोतियों के साथ रहती हैं।
अम्मा के पिता के एक टीचर तब बावजूद इसके वो और उनकी बहन शिक्षा से दूर रहीं। अम्मा को बचपन में अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी इसका कारण उनके घर की आर्थिक स्तिथि का अच्छा न होना था। शादी के बाद उनके छह बच्चे हुए। अपने पति की मृत्यु के बाद अब सारे घर की ज़िम्मेदारी उनके ऊपर ही आ गयी। बच्चों की परवरिश के लिए उन्होंने घरों में जाकर काम करने के अलावा स्वीपर का काम भी किया। हालांकि, वह थोड़ा बहुत पढ़ना जानती थीं। आज उन्होंने वहीं से पढ़ना शुरू किया, जहाँ से छोड़ा था। जिस उम्र में अक्सर बुजुर्ग लोगों का उठना-बैठना भी मुश्किल हो जाता है। वह स्वयं को सिर्फ भगवान नाम में लगाने के बारे में ही सोचते हैं। लेकिन अम्मा ने इस सोच को पीछे ढकेलते हुए शिक्षा प्राप्त करने के लिए कदम आगे बढाए हैं। ऐसे में अम्मा वाकई समाज के हर तबके के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं।
केरल सरकार की अक्षरलक्षम साक्षरता मिशन की इस परीक्षा में हिस्सा लेने वाली वे सबसे बुजुर्ग महिला थीं। इस परीक्षा में लगभग 43 हजार अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था, जसमें से करीब 42 हज़ार नें यह परीक्षा पास की है। बता दें कि इस मिशन में लेखन, पाठन और गणित के कौशल को मापा जाता है। यह परीक्षा इसी साल अगस्त में हुई थी, जिसके नतीजे बुधवार को घोषित किए गए। सूत्रों के मुताबिक, अम्मा इससे पहले भी कई परीक्षाएं दे चुकी हैं। इस परीक्षा में 80 कैदियों ने भी हिस्सा लिया था। साथ ही अनुसूचित जाति के 2420 अभ्यर्थियों और अनुसूचित जनजाति के 946 अभ्यर्थियों ने भी हिस्सा लिया था। परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की गई थी। पहली 30 नंबर की रीडिंग टेस्ट,40 नंबर की मलयालम लेखन और 30 नंबर गणित के। इसमें अम्मा ने रीडिंग टेस्ट में पूरे नंबर लेकर आई।
बात दें केरल को पूर्ण साक्षरता वाला राज्य घोषित किया जा चुका है। लेकिन इसके बावजूद वहां अलग-अलग प्रकार के जन साक्षरता वाले अभियान जारी हैं ताकि जो भी कमी रह गई हैं उसे पूरा किया जा सके। इस अभियान में सीनियर सिटिजन, आदिवासियों, मछुआरों, झुग्गी बस्तियों के लोगों जो निरक्षर हैं उनपर खास ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।  दरअसल यूनेस्को के नियम के मुताबिक अगर किसी देश या राज्य की 90 फीसदी जनसंख्या साक्षर है तो उसे पूर्ण साक्षर मान लिया जाता है।अब नए अभियान के द्वारा केरल सरकार ने 100 फीसदी साक्षरता दर हासिल करने का लक्ष्य बनाया है जिसके तहत समाज के हर वर्ग, हर व्यक्ति को साक्षर बनाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में इस उम्र में कार्त्यानी अम्मा के इस जज्बे नें सबको एक ऊर्जा देने का काम किया है।
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जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण की सुनाई दे रही हर तरफ गूँज

  •  क्विज प्रतियोगिताओं के आयोजन से स्कूली बच्चों में जगी अभिरूचि
  •  अभिनव पहल से जैव विविधता बोर्ड को मिल रही नई पहचान



अरुण सिंह,पन्ना।  शैक्षणिक संस्थानों और आम लोगों के बीच जिस विषय पर कभी चर्चा तक नहीं होती थी, आज उसकी गूंज हर तरफ सुनाई दे रही है। जी हां पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के बारे में पहली बार प्रदेश भर के स्कूलों में न सिर्फ चर्चा शुरू हुई अपितु इस विषय पर केंद्रित प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हुआ। इसका परिणाम यह हुआ कि स्कूली बच्चों को पर्यावरण संरक्षण व जैव विविधता के महत्व को समझने का न सिर्फ अवसर मिला बल्कि उनमें अभिरुचि भी पैदा हुई है। बच्चे अब प्रकृति के रहस्यमय जगत को अधिक से अधिक जानने व समझने के लिए उत्सुक हुए हैं। उत्साहित करने वाला यह बदलाव निश्चित ही उस व्यक्तित्व के रचनात्मक पहल और प्रयासों का परिणाम है जिसका जीवन ही प्रकृति, पर्यावरण व वन्यजीवों के संरक्षण को समर्पित है। यह जुनूनी व्यक्तित्व कोई और नहीं मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के प्रशासनिक मुखिया आर श्रीनिवास मूर्ति हैं, जिन्होंने बाघ विहीन हो चुके प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद करने का करिश्मा किया है। यह चमत्कारिक सफलता अब पूरी दुनिया को बाघ संरक्षण की दिशा में एक नई राह दिखा रही है।
उल्लेखनीय है कि इस अनूठे व्यक्तित्व से पन्ना जिले के लोगों का गहरा और आत्मीय नाता बन चुका है। यही वजह है कि जब भी अवसर मिलता है श्री मूर्ति किसी न किसी बहाने पन्ना दौड़े चले आते हैं। इनके जैसे लोग चाहे जहाँ व जिस भी पद पर रहें, अपनी छाप जरूर छोड़ते हैं। ऐसे लोग पद के कारण नहीं बल्कि पद इनके कारण जाना जाता है, इनके कार्य करने से उस पद को नई ऊंचाई व  नए अर्थ मिलते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व को विश्व विख्यात बनाने के बाद आपने मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड की कमान संभाली, जिसका असर आज समूचा प्रदेश देख रहा है। गांव - गांव के बच्चों की जुबान में जैव विविधता और आर श्रीनिवास मूर्ति का नाम है।
मालूम हो कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में देश में पहली बार मध्यप्रदेश में पिछले माह शुरू हुए अनूठे जैव-विविधता संरक्षण क्विज कार्यक्रम का गत दिवस भोपाल में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी और वन मंत्री  उमंग सिंघार ने विजेताओं को पुरुस्कृत कर समापन किया। इस अनूठे और भव्य समारोह में प्रदेश के सभी 52 जिलों के प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त विजेता टीमों ने भोपाल के राज्य-स्तरीय क्विज प्रतियोगिता में भाग लिया था। इनमें से फाइनल में पहुँची 7 टीमों में से सतना टीम ने प्रथम, अनूपपुर ने द्वितीय और शाजापुर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। जिला और राज्य-स्तर पर हुई क्विज प्रतियोगिताओं में 8 हजार स्कूली बच्चों ने भाग लिया और लगभग 3 लाख लोगों तक जैव-विविधता के संरक्षण से पृथ्वी पर जीवन रक्षा के लिये इसकी अनिवार्यता का संदेश भी पहुँचा।

क्विज कार्यक्रम भावी पीढ़ी को जागरूक करने की दिशा में एक कारगर प्रयास : वन मंत्री 



स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी  ने जैव-विविधता बोर्ड को इस अनूठी पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि भावी पीढ़ी को जैव-विविधता के संरक्षण के लाभ और दुष्प्रभावों की जानकारी देने से तेजी से विनाश की ओर बढ़ते जलवायु परिवर्तन को संतुलित करने में मदद मिलेगी। वन मंत्री उमंग सिंघार ने कहा कि मानव जीवन की हर आवश्यकता पृथ्वी से जुड़ी है। विकास की दौड़ में हवा-पानी की अशुद्धि के साथ पेड़-पौधे भी खत्म होते जा रहे हैं। इससे पृथ्वी पर पर्यावरणीय संतुलन डगमगा गया है। वन विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयास से आयोजित यह क्विज कार्यक्रम भावी पीढ़ी को जागरूक करने के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कारगर प्रयास है, जिसके दूरगामी सुपरिणाम देश, प्रदेश और विश्व को मिलेंगे। मंत्रीद्वय ने इस अवसर पर जैव-विविधता के ब्रॉण्ड एम्बेसडर के रूप में 7 स्टार्स श्रीमती सीता सहाय, श्री बाबूलाल दाहिया, श्री सोनू सिंह, सुश्री सुधा धुर्वे, श्री विक्रांत, श्री भालू मोढ़े, श्री विष्णु अधिकारी, सुश्री भक्ति वासानी, सुश्री कनिका तिवारी और श्री रमेशचन्द्र को सम्मानित किया। क्विज प्रतियोगिता का जैव-विविधता बोर्ड को आयडिया देने वाले श्री नीलेश चौबे का भी सम्मान किया गया।
सदस्य सचिव, मध्यप्रदेश राज्य जैव-विविधता बोर्ड आर. श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि इस वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती से आरंभ हुआ यह क्विज कार्यक्रम हर साल होगा। जिला स्तर पर विजेता टीम को क्रमश: रुपये 3000, 2100 और 1500 तथा  राज्य स्तर पर 30 हजार, 21 हजार और 15 हजार का पहला, दूसरा और तीसरा पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम को प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजेश श्रीवास्तव,  एस.के. मण्डल,  आनंद बिहारी गुप्ता,  एस.पी. रयाल,  भरत कुमार शर्मा और  रमेश कुमार गुप्ता, भारतीय वन प्रबंध संस्थान के संचालक डॉ. पंकज श्रीवास्तव, आयुक्त, लोक शिक्षा श्रीमती जयश्री कियावत ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ, शिक्षक और मास्टर ट्रेनर्स उपस्थित थे।
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Thursday, November 14, 2019

वृक्ष जिसने बना ली है अपनी विशिष्ट पहचान

  •   जिला पंचायत पन्ना कार्यालय के सामने लगा है खिन्नी का यह अदभुत पेड़
  •   सबको भाती है इस वृक्ष की शीतल छाया, पक्षी भी करते हैं बसेरा


जिला पंचायत पन्ना के कार्यालय परिसर में लगा खिन्नी का वृक्ष 

। अरुण सिंह 

पन्ना। मनुष्यों की तरह वृक्षों का भी अपना गुणधर्म और विशिष्ट पहचान होती है। अपने आकार प्रकार व उपयोगी होने के कारण कुछ वृक्ष बेहद प्रिय हो जाते हैं, उनके निकट जाने से खुशी और प्रसन्नता तो मिलती ही है अपनापन का भी अहसास होता है। जिला पंचायत पन्ना कार्यालय के ठीक सामने लगा खिन्नी का दशकों पुराना वृक्ष भी बेहद अनूठा और खास है जो यहां आने वाले लोगों को सहज ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। 

इस विशाल परिसर में अनेकों वृक्ष हैं लेकिन खिन्नी के इस वृक्ष की बात ही कुछ और है। छतरी जैसा प्रतीत होने वाला यह वृक्ष प्रतिदिन न जाने कितने थके हारे और तनाव से ग्रसित लोगों को शीतल छाया देकर राहत प्रदान करता है। ऐसे अनेकों लोग हैं जो खिन्नी के इस वृक्ष के चबूतरे में घंटों गुजारते हैं और सुख - शान्ति व सुकून का अनुभव करते हैं।

खिन्नी के इस सुन्दर वृक्ष की उम्र कितनी है, इसकी सही जानकारी तो नहीं मिली लेकिन इतना तय है कि यह 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है। पिछले कई दशकों से यह जिला पंचायत कार्यालय में पदस्थ रहने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों का चहेता बना हुआ है। गर्मी के मौसम में तो इस वृक्ष की अहमियत और भी बढ़ जाती है। कर्मचारियों के अलावा ग्रामीण अंचलों से आने वाले लोग भी इस वृक्ष के चबूतरे में बैठकर विश्राम करते हैं। 
जिला पंचायत कार्यालय के ठीक सामने खिन्नी के इस अद्भुत वृक्ष को किसने लगाया, यह भी नहीं पता लेकिन जिसने भी इसे लगाया है उसके प्रति लोग अनुग्रह से भर जाते हैं। हर कोई उस अजनबी को सलाम करता है जिसने लगभग 100 वर्ष पूर्व इस पौधे को रोपा था। अब वह पौधा खूबसूरत वृक्ष बन चुका है जिसकी छांव में बैठकर लोग सुकून पाते हैं।

खिन्नी के पेड़ में निंबोली के आकार वाले लगते हैं मीठे फल



खिन्नी के पेड़ में निंबोली के आकार वाले  मीठे फल लगते हैं। इसके फ लों और पत्तों को तोडऩे पर  दूध निकलता है। गुणों के आधार पर इसे फलों का राजा माना गया है। प्राचीन काल में इसका सेवन राजाओं द्वारा किया जाता था, इसलिये आयुर्वेद में इसे राजदान, राजफल एवं फ लाध्यक्ष आदि नामों से भी जाना जाता है। सपोटेसी कुल के इस वृक्ष का वानस्पतिक नाम मनिलकरा हेक्सान्द्रा है। 
खिरनी के पेड़ 3-12 मीटर लंबे होते हैं और मुख्यत: जंगलों में पाये जाते हैं। हालांकि इसके फ ल स्वादिष्ट होने के कारण इसे ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाने लगा है । खिरनी का पेड़ भारत में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि जगहों पर पाया जाता है। खिरनी के पेड़ भारत के अलावा चीन, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम में भी पाये जाते हैं।

सितंबर से दिसंबर के महीनों में लगते हैं फूल


खिन्नी अथवा खिरनी के पेड़ों पर सितंबर से दिसंबर के महीनों में फू ल लगते हैं और अप्रैल से जून के महीने में फल पकते हैं। बारिश आने पर इसके फलों में कीड़े लगने लगते हैं। खिरनी के पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत और चिकनी होती है। यदि किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जाये, तो खिरनी के पेड़ एक हजार साल तक जीवित रहते हैं। इसके विशाल पेड़ों को मध्य प्रदेश के मांडू क्षेत्रों में बहुतायत में देखा जा सकता है। 
खिरनी का फल मीठा होता है और बड़े शहरों में यह ऊंचे दामों पर बिकता है। इसके पत्तों का इस्तेमाल मवेशियों के लिये चारे के रूप में किया जाता है। खिरनी के पेड़ की छाल से निकालने वाले गोंद का इस्तेमाल चमड़े की सफाई के लिये किया जाता है। इसके छाल का इस्तेमाल शराब बनाने के लिये किया जाता है और छाल का काढ़ा ज्वर नाशक होता है। इसके पके फलों को सुखाने पर वे ड्राईफ्रूट का अच्छा विकल्प हो सकते हैं।

औषधीय गुणों से भरपूर होता है खिन्नी का वृक्ष


मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भील, भिलाला और पटाया आदिवासी समुदाय खिरनी के पेड़ का औषधीय इस्तेमाल पारंपरिक रूप से करते आये हैं।  ये आदिवासी समुदाय शरीर के दर्द का इलाज करने के लिये खिरनी की छाल को उबालकर उस पानी से नहाते हैं। खिरनी के औषधीय गुणों की पुष्टि वैज्ञानिक अनुसंधानों से भी होती है। वर्ष 2000 में मेडिसिनल प्लांट्स नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार खिरनी एक औषधि के तौर पर पीलिया, बुखार, जलन, मसूढ़ों में सूजन, अपच आदि रोगों के उपचार में कारगर है। 
वर्ष 1985 में एनसायक्लोपीडिया ऑफ  इण्डियन मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि खिरनी खून को साफ  करता है और सूजन, पेट दर्द और खाद्य विषाक्तता को दूर करता है। इंडियन मेडिसिनल प्लांट्स नामक जर्नल में वर्ष 2007 में प्रकाशित शोध के अनुसार खिरनी में अनेक प्रकार के ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर की अंदरूनी कई जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करने में सक्षम हैं।

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Tuesday, November 12, 2019

फकीरों की बस्ती में जब पहुँचे गुरु नानक देव...


नानक के जीवन में ऐसा उल्लेख है
कि वे अपनी अनंत यात्राओं में..
बहुत यात्राएं कीं उन्होंने - भारत में तो कीं ही,
भारत के बाहर भी कीं। काबा और मक्का तक भी गये..
वे एक ऐसे गांव के पास पहुंचे
जो फकीरों की ही बस्ती थी।
सूफियों का गांव था।
और उन सूफी दरवेशों का जो प्रमुख था,
उसे खबर मिली कि भारत से एक फकीर आया है,
पहुंचा हुआ सिद्ध है, गांव के बाहर ठहरा हुआ है-
गाव के बाहर ही सरहद पर, एक कुएं के पास,
एक वृक्ष की छाया में।
रात नानक ने और उनके शिष्य
मरदाना ने विश्राम किया था।
नानक चलते थे तो मरदाना
सदा उनके साथ चलता था।
मरदाना उनका एक मात्र संगी-साथी था।
नानक गाते गीत, मरदाना धुन बजाता।
नानक गुनगुनाते, मरदाना ताल देता।
नानक प्रभु के गुणों के गीत उतारते,
मरदाना स्वर साधता।
मरदाना के बिना नानक अधूरे से थे।
गीत तो उनके पास थे,
मरदाना जैसे उनकी बांसुरी था।
सुबह-सुबह नानक गा रहे थे,
सूरज ज्या रहा था और मरदाना ताल दे रहा था।
तभी उस फकीर का संदेशवाहक आया।
उस फकीर ने सांकेतिक रूप से-सूफियों का ढंग,
अलमस्तों का ढंग,
अल्हड़ों का ढंग-एक स्वर्ण पात्र
में दूध भरकर भेज दिया था।
इतना भर दिया था दूध कि एक बूंद
भी उसमें अब और न समा सके।
जो लेकर आया था पात्र, उसे भी
बड़ा संभालकर लाना पड़ा था।
क्योंकि अब छलका तब छलका-
इतना भरा था, ऐसा लबालब था।
पात्र लाकर उसने
नानक को भेंट दिया और कहां,
मेरे सद्गुरु ने भेजा है, भेंट भेजी है।
नानक ने एक क्षण पात्र को देखा,
मरदाना सुबह-सुबह ही नानक के
चरणों पर लाकर कुछ फूल चढ़ाया था,
उन्होंने एक फूल उठाया
और दूध से भरे पात्र में तैरा दिया।
अब फूल का कोई वजन ही न था,
वह तैर गया दूध पर।
एक बूंद दूध भी बाहर न गिरा।
और कहां नानक ने, ले जाओ वापिस,
मैंने भेंट में कुछ जोड़ दियाय
तुम न समझ सकोगे,
तुम्हारा गुरु समझ लेगा।
और गुरु समझा।
भागा हुआ आया,
नानक के चरणों में गिरा और
कहां कि आप मेहमान बनें।
मैंने पात्र भेजा था भरकर यह
कहने कि अब और फकीरों
की इस बस्ती में जरूरत नहीं।
यह बस्ती फकीरों से लबालब है।
यह मस्तों की ही बस्ती है,
अब आप यहां किसलिए आए हैं!
लेकिन आपने गजब कर दिया।
आपने एक फूल तैरा दिया।
यह तो मैंने सोचा भी न था,
इसकी तो कल्पना भी न की थी,
कि फूल तैर सकता है।
क्योंकि फूल कुछ डूबेगा नहीं-
ऊपर ऊपर ही रहा। रहा होगा
हलका-फुलका फूल-टेसू का फूल,
कि चांदनी का फूल।
डूबा ही नहीं तो पात्र से दूध
के गिरने का सवाल ही न उठा।
समझ गया आपका संदेश कि आप आए हैं बस्ती में,
फूल की तरह समा जाएंगे। आएं, स्वागत है!
बस्ती में कितने ही फकीर हों,
आपके लिए जगह है। फूल ने खबर दे दी।
मेरा स्वर्णिम भारत, प्रवचन-३२, ओशो

Monday, November 11, 2019

तेज रफ्तार स्कॉर्पियो की टक्कर से युवक की मौत

  •   राष्ट्रीय राजमार्ग 39 में जनवार मोड़ के पास हुआ हादसा
  •   सड़क के किनारे पंचर जोडऩे की दुकान चलाता था मृतक



 पन्ना-सतना मार्ग जहां पर हादसा घटित हुआ।

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 5 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 39 में सोमवार को दोपहर के समय एक तेज रफ्तार स्कॉर्पियो कार 40 वर्षीय युवक को टक्कर मारते हुये पलट गई। घटना में युवक की मौके पर ही मौत हो गई है। यह दर्दनाक हादसा पन्ना-सतना मार्ग पर जनवार मोड़ के पास घटित हुआ है। बताया गया है कि मृतक युवक सड़क मार्ग के किनारे पंचर जोडऩे की दुकान चलाता था, जो हादसे का शिकार होने पर असमय काल कवलित हो गया। इस हादसे में कार चालक मंजू रिछारिया उपयंत्री लोक निर्माण विभाग पन्ना भी घायल हुये हैं, जिन्हें जिला चिकित्सालय पन्ना में भर्ती कराया गया है।
घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार उपयंत्री मंजू रिछारिया अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी से स्वयं ड्राइव करते हुये पन्ना आ रहे थे। मोहनगढ़ी के आगे सकरिया मोड़ के पास तेज रफ्तार स्कॉर्पियो कार अचानक बेकाबू हो गई और वह सड़क किनारे पंचर की दुकान चलाने वाले छोटे मोहम्मद 40 वर्ष निवासी पन्ना को टक्कर मारते हुये वहीं आगे जाकर पलट गई। हादसे में युवक की घटना स्थल पर ही जहां मौत हो गई, वहीं उपयंत्री मंजू रिछारिया भी गंभीर रूप से घायल हुये हैं, जिन्हें इलाज के लिये जिला चिकित्सालय पन्ना में भर्ती कराया गया है। हादसे की खबर मिलते ही थाना कोतवाली पन्ना से पुलिस बल मौके पर पहुँच गया था। पुलिस ने मर्ग कायम कर घटना की विवेचना शुरू कर दी है।

बेलगाम ट्रक ने भैसों को मारी टक्कर, 4 की मौत

 तेज रफ्तार से बेलगाम होकर सड़क मार्ग पर दौडऩे वाले भारी वाहन कब किसे अपनी चपेट में ले लें, कुछ कहा नहीं जा सकता। सड़क मार्गों पर यमराज बनकर तेज गति से दौडऩे वाले भारी वाहनों के कारण सड़कों में आवागमन अब सुरक्षित नहीं रहा। बीती रविवार की रात पन्ना-अजयगढ़ मार्ग पर ग्राम विश्रामगंज के पास एक बेलगाम ट्रक सड़क से गुजर रही भैसों के झुण्ड को बुरी तरह से रौंदते हुये निकल गया। इस भीषण सड़क हादसे में 4 बेजुवान भैसों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि एक भैंस बुरी तरह से घायल हुई है। ट्रक चालक हादसे के बाद घटना स्थल पर ही ट्रक छोड़कर फरार हो गया है।
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार रविवार को रात लगभग 10 बजे परमलाल कोंदर निवासी विश्रामगंज अपनी भैसों को लेकर जब घर की तरफ जारहा था, उसी दौरान तेज रफ्तार से आ रहे ट्रक क्र. एमपी-19एचए-2605 ने सड़क मार्ग के किनारे चल रही भैसों को टक्कर मार दी। इस भयावह हादसे में भैसों को लेकर घर जा रहा युवक परमलाल कोंदर बाल-बाल बचा, अन्यथा वह भी यमराज बनकर आये इस ट्रक की चपेट में आज जाता। युवक ने बताया कि टक्कर इतनी तेज और भयावह थी कि चार भैसों ने घटना स्थल पर ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। एक भैंस बुरी तरह से घायल हुई है। अजयगढ़ थाना पुलिस ने हादसे को अंजाम देने वाले ट्रक को जब्त कर उसे थाना परिसर में खड़ा करा दिया है। घटना के बाद फरार हो चुके ट्रक चालक की पुलिस तलाश कर रही है।
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Saturday, November 9, 2019

पन्ना में अमन, चैन और भाईचारे का रहा माहौल

  •   सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का सभी वर्ग के लोगों ने किया स्वागत
  •   जिले में कानून व्यवस्था कायम रखने पुलिस व प्रशासन रहा सक्रिय



अरुण सिंह,पन्ना। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मन्दिरों के शहर पन्ना में अमन, चैन और भाईचारे का माहौल कायम रहा। गंगा-जमुनी संस्कृति की विरासत वाले इस शान्तिप्रिय शहर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी वर्ग के लोगों ने स्वागत किया, साथ ही शान्ति व्यवस्था बरकरार रखने के लिये अपील भी की। फैसले की अहमियत और संवेदनशीलता को देखते हुये प्रशासन द्वारा समूचे जिले में सुरक्षा के जहां माकूल इंतजाम किये गये थे वहीं आम जनता से निरंतर यह अपील भी की जा रही थी कि सभी संयम और समझदारी का परिचय देते हुये आपसी भाईचारे की विरासत को कायम रखें। जिले की जनता ने प्रशासन की इस अपील का न सिर्फ सम्मान किया बल्कि उसका अक्षरश: पालन भी किया।
उल्लेखनीय है कि शनिवार 9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दृष्टिगत रखते हुये प्रशासन द्वारा जिले के सभी थाना क्षेत्रों में बैठकों का आयोजन कर शान्ति और कानून व्यवस्था बनाये रखने का संदेश दिया था। इन बैठकों में सभी वर्गों के लोग शामिल हुये थे और प्रशासन को यह आश्वस्त किया था कि जिले में प्रेम और भाईचारे के माहौल को किसी भी कीमत पर बिगडऩे नहीं दिया जायेगा। फैसला आने के बाद जैसा कि सभी को भरोसा था जिला मुख्यालय पन्ना सहित जिले के ग्रामीण अंचलों में भी आम जन जीवन रोज की तरह सामान्य रहा। ऐहतियाती कदम उठाते हुये प्रशासन द्वारा शनिवार को शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश की घोषणा कर दी थी और सुबह से ही पुलिस बल व आला प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय हो गये थे। सड़कों पर सायरन बजाते हुये जब पुलिस और प्रशासन की गाडिय़ां निकलती थीं उस समय जरूर यह एहसास होता था कि आज का दिन कुछ विशेष है। अन्यथा शहर में सब कुछ सामान्य और यथावत था। बाजार में दुकानें भी जहां रोज की तरह खुली हुई थीं वहीं आम जन जीवन में भी कोई खास फर्क देखने को नहीं मिला। कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने एवं शान्ति पूर्ण वातावरण बनाये रखने के लिये नगर मुख्यालय सहित जिले के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया गया।


जिले में शान्ति एवं कानून व्यवस्था कायम: पुलिस अधीक्षक


कलेक्टर श्री शर्मा ने जिले के निवासियों से अपील करते हुये कहा कि आप लोगों ने जिस तरह शान्ति एवं भाईचारे का प्रदर्शन किया है इसी तरह आगामी आने वाले समय में भी बनाये रखेंगे। पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने कहा कि आम आदमी की हिफाजत करना हमारा दायित्व है। इसके लिये हम सभी निरंतर सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि जिले में शान्ति एवं कानून व्यवस्था कायम है, सभी लोग सौहार्दपूर्ण वातावरण में त्यौहार मनायें और पन्ना जिले की भाईचारे की परम्परा को और मजबूत करें।

देवेन्द्रनगर ने पेश की आपसी सौहार्द और भाईचारे की मिशाल



अयोध्या मामले में शनिवार को आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कस्बे में सद्भाव और भाईचारा की मिशाल कायम रही। गंगा-जमुनी तहजीब वाले इस कस्बे में मुस्लिम समाज ने खुद आगे आकर फैसले का स्वागत किया और सभी वर्गों से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने का आह्वान भी किया। इधर सुरक्षा के मद्देनजर पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा एवं पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी के निर्देशानुसार 9 नवम्बर को अयोध्या मामले के फैसले के अनुसार सम्पूर्ण जिले में धारा 144 कठोरता से लागू किये जाने के निर्देश दिये गये थे। वहीं अयोध्या फैसला आने के पूर्व व बाद में कस्बे में अमन चैन बनी रहे इसके लिये नगरीय प्रशासन पूर्णत: मुस्तैद रहा और देवेन्द्रनगर थाना प्रभारी घनश्याम मिश्रा व मातहत स्टाफ द्वारा सुबह 8 बजे से लेकर देर रात्रि तक कस्बे में भ्रमण किया गया। कस्बे में शान्ति व सुरक्षा के लिहाज से नगरीय प्रशासन द्वारा फ्लैग मार्च भी किया जिसमें एसडीएम पन्ना शेर ङ्क्षसह मीणा भी सम्मलित हुये। थाना प्रभारी देवेन्द्रनगर घनश्याम मिश्रा एवं तहसीलदार सुश्री दिव्या जैन द्वारा देवेन्द्रनगर में फ्लैग मार्च निकाला गया। फ्लैग मार्च में नगर परिषद देवेन्द्रनगर के सीएमओ महमूद हसन, प्रजापति नायब तहसीलदार, रामधन अहिरवार सदर पटवारी, रामप्रकाश शर्मा पटवारी, रामनरेश गौतम राजस्व निरीक्षक, सभी समाज के लोग व पत्रकार उपस्थित रहे। फ्लैग मार्च के साथ-साथ आम जनता से अपील की गई कि शान्ति व्यवस्था बनाये रखें एवं धारा 144 का पालन करें। कस्बे का दोपहर 1 बजे पन्ना कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी द्वारा भी भ्रमण किया गया।
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Friday, November 8, 2019

ध्वनि प्रदूषण व शोरगुल से परिंदों की जिंदगी में पड़ रहा खलल

  • विभिन्न प्रजाति के पंछियों की आबादी घटने का खतरा उत्पन्न
  • अध्ययन रिपोर्ट में भी चौकाने वाले तथ्य हुये उजागर 



अरुण सिंह, पन्ना। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण व शोरगुल के माहौल से परेशानी सिर्फ मनुष्यों को ही नहीं बल्कि परिंदों को भी होती है. ध्वनि प्रदूषण के कारण चिडिय़ों में संवाद करने की क्षमता पर असर पड़ा है। शोरगुल की वजह से नर पक्षी की पुकार मादा तक नहीं पहुंच पाती, ऐसे में विभिन्न प्रजाति के रंग विरंगे पंछियों की आबादी घटने का खतरा उत्पन्न हो गया है। पन्ना शहर के आसपास स्थित वनाच्छादित पहाडिय़ों में कुछ वर्षों पूर्व तक सैकड़ों प्रजाति के पंछियों के दर्शन सहजता से हो जाते थे। सुबह के समय पंछियों के कलरव व सुरीले गीतों को सुन मन प्रफुल्लित हो जाता था, लेकिन वाहनों के प्रेसर हार्न, जंगलों की बेतहासा कटाई व मानव दखलंदाजी बढने से पंछियों का प्राकृतिक रहवास तेजी से नष्ट हो रहा है जिससे उनके दर्शन दुर्लभ हो गये हैं।
उल्लेखनीय है कि बढ़ते ध्वनि प्रदूषण से पक्षियों का जीवन बेहद प्रभावित हो रहा है। उनमें प्रजनन की शक्ति घट रही है और साथ ही उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आ रहा है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। यह अध्ययन जर्मनी के मैक्स प्लैँक इंस्टीट्यूट फॉर ऑर्निथोलॉजी के शोधार्थियों ने किया है। उन्होंने जेबरा फिंच नाम के पक्षी पर अध्ययन किया और पाया कि ट्रैफिक के शोर से उनके रक्त में सामान्य ग्लकोकार्टिकोइड प्रोफाइल में कमी हुई और पक्षियों के बच्चों का आकार भी सामान्य चूजों से छोटा था। अध्ययन में दावा किया गया है कि ट्रैफिक के शोर की वजह से पक्षियों के गाने-चहचहाने पर भी फर्क पड़ता है।
यह अध्ययन कंजर्वेशन फिजियोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में पक्षियों के दो समूह को शामिल किया गया। इनमें एक समूह वह था, जो जर्मनी के राज्य बावरिया की राजधानी म्युनिख के एक शोर भरे इलाके में रहता है, जबकि दूसरा समूह शांत इलाके में रहता है। यह अध्ययन पक्षियों के प्रजनन काल के दौरान किया गया। जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली प्रजनन अवधि के अंत के कुछ समय बाद दोनों समूहों के समान जोड़ो के लिए शोर की स्थिति बदल दी गई। शोधकर्ताओं ने दोनों परिस्थितियों में प्रजनन अवधि के दौरान, पहले और बाद में हार्मोन में तनाव के स्तर को दर्ज किया। इसके अलावा, उन्होंने (इम्यून फंक्शन) प्रतिरक्षा कार्य और प्रजनन की सफलता के साथ-साथ चूजों की वृद्धि दर को भी देखा।

उन्होंने पाया कि जब वे शांत वातावरण में प्रजनन कर रहे थे, तब पक्षियों के खून में कॉर्टिकोस्टेरॉन का स्तर ट्रैफिक के शोर में प्रजनन कर रहे पक्षियों की तुलना में कम था। यह आश्चर्यजनक था क्योंकि तनाव अक्सर कॉर्टिकोस्टेरॉन के उच्च स्तर का परिणाम होता है, एक हार्मोन जो तनावपूर्ण अनुभवों के दौरान चयापचय क्रिया में शामिल होता है। प्रमुख अध्ययनकर्ता सू एनी जोलिंगर कहते हैं, शांत वातावरण में प्रजनन करने वाले पक्षियों में, प्रजनन के पूरे मौसम में उनका आधारभूत कॉर्टिकोस्टेरॉन कम रहता है। इससे पता चलता है कि जिन पक्षियों को शोर में रहने की आदत नहीं थी उनके प्रजनन चक्र के दौरान उनके हार्मोन का स्तर उपर-नीचे होता है अर्थात असामान्य पाया गया था। वहीं इसके विपरीत जो शांत वातावरण में इस प्रक्रिया से गुजरते हैं उनके हार्मोन का स्तर सामान्य पाया गया था। जिन चूजों के माता-पिता ट्रैफिक के शोर के संपर्क में थे, उनके चूजे शांत वातावरण में रहने वाले माता-पिता की तुलना में छोटे थे।  हालांकि, एक बार शोरगुल की स्थिति में रह रहे चूजों के बड़े होकर घोंसला छोड़ देने के पशचात, वे फिर शांत जगहों पर घोंसले बनाने में कामयाब रहते हैं। हालांकि, शोधकर्ता ने संतानों पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को नहीं लिया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले एक अध्ययन से पता चला है कि ट्रैफ़िक के शोर के संपर्क से युवा जेबरा फ़िंच पक्षी में टेलोमेयर क्षति में तेजी आई है, जिसका अर्थ है कि इन पक्षियों का जीवनकाल छोटा होने की आशंका है। हालांकि घोंसले में चूजों की संख्या पर यातायात के शोर का कोई प्रभाव नहीं था।
पक्षियों के साथ अध्ययन आम तौर पर यातायात से जुड़े अन्य कारकों, जैसे कि रासायनिक प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण और शहरी क्षेत्रों में पाए जाने वाले अन्य भिन्नताओं को शामिल करने के लिए किया गया था, उदाहरण के लिए पक्षी समुदायों की संख्या और संरचना, निवास स्थान की संरचना, खाद्य प्रकार और उसकी उपलब्धता आदि थे। शोध समूह के मुख्य अध्ययनकर्ता हेनरिक ब्रम कहते हैं, हमारे आंकड़े बताते है कि शहरी परिवेश की अन्य सभी गड़बड़ियों के बिना यातायात (ट्रैफिक) का शोर, पक्षियों के शरीर क्रिया विज्ञान को बदल देता है और उनके विकास पर प्रभाव डालता है। इसका मतलब यह है कि पक्षियों की प्रजातियां जो पहली नजर में शहरों में अच्छी तरह से मुकाबला करती दिखती हैं, ट्रैफ़िक के शोर से प्रभावित हो सकती हैं।
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जिंदगी में काम नहीं आते रटे रटाये उत्तर

सिद्धांत से नहीं, बोध से जीयो: ओशो 



पुरानी कहानी है। दो मंदिर थे एक गांव के। दोनों मंदिरों में पुराना झगड़ा था। झगड़ा इतना था कि मंदिर के पुजारी एक-दूसरे से बोलते भी नहीं थे। दोनों पुजारियों के पास दो छोटे बच्चे थे जो उनके लिए सब्जी खरीद लाते और कुछ सेवा-टहल कर देते। उन पुजारियों ने कहा उन बच्चों से कि तुम भी आपस में बोलना मत, रास्ते में कहीं मिल जाओ तो। बच्चे, बच्चे हैं! उनको बता दिया कि हमारा झगड़ा बहुत पुराना है, हजारों साल से चल रहा है। उस मंदिर को हम नर्क मानते हैं। उस मंदिर के बच्चे से बोलना मत, बातचीत मत करना।
लेकिन बच्चे तो आखिर बच्चे हैं, रोकने से और उनकी जिज्ञासा बढ़ी। पहले मंदिर का बच्चा एक दिन खड़ा हो गया बाजार में। जब दूसरे मंदिर का बच्चा आता था तो उसने दूसरे मंदिर के बच्चे से पूछा, कहां जा रहे? तो उस बच्चे ने कहा, सुनते-सुनते वह भी ज्ञानियों की बातें, ज्ञानी हो गया था, उसने कहा, जहां हवा ले जाए! पहला बच्चा बड़ा हैरान हुआ कि अब बात कैसे आगे चले? हवा ले जाए, अब तो सब बात ही खत्म हो गई! वह बड़ा उदास आया। उसने अपने गुरु को कहा कि भूल से मैंने उससे बात कर ली। उससे मैंने पूछ लिया, कहां जा रहे? आपने तो मना किया था, मुझे क्षमा करें! लेकिन मैं बच्चा ही हूं। मगर सच में आदमी उस मंदिर के बड़े गड़बड़ हैं। मैंने तो सीधा-सादा सवाल पूछा, वह बड़ा अध्यात्म झाड़ने लगा। वह बोला, जहां हवा ले जाए! और चला भी गया हवा की तरह!
गुरु ने कहा, मैंने पहले ही कहा था कि वे लोग गलत हैं। अब तू ऐसा कर, कल उससे फिर पूछना। और जब वह कहे, जहां हवा ले जाए, तो तू कहना, अगर हवा न चल रही हो तो फिर क्या करोगे?
वह बच्चा गया दूसरे दिन। उसने पूछा, कहां जा रहे हो? उस बच्चे ने कहा, जहां पैर ले जाएं। अब बड़ी मुश्किल हो गई। अब जहां पैर ले जाएं! वह तो बंधा हुआ उत्तर ले कर आया था। वह फिर लौट कर आया, उसने कहा कि वे तो बड़े बेईमान हैं। आप ठीक कहते हैं, वे आदमी तो बड़े बेईमान हैं! उस मंदिर के लोग तो बदल जाते हैं। कल बोला, जहां हवा ले जाएय आज बोला, जहां पैर ले जाएं!
गुरु ने कहा, मैंने पहले ही कहा था, उनकी बातों का कोई भरोसा ही नहीं। उनसे शास्त्रार्थ हो ही नहीं सकता। कभी कुछ कहते, कभी कुछ कहते। जैसा मौका देखते हैं, अवसरवादी हैं। तो तू ऐसा कर, कल तैयार रह। अगर वह कहे जहां हवा ले जाए, तो पूछना, हवा न चले तो? अगर कहे, जहां पैर ले जाएं, तो कहना भगवान न करे कहीं अगर लूले-लंगड़े हो गए, फिर?
वह गया। अब दो उत्तर उसके पास थे। उसने फिर पूछा, कहां जा रहे हो? उस लड़के ने कहा, सब्जी खरीदने।
मैं तुम्हें उत्तर नहीं देता। मैं तुम्हें सिर्फ इतना इशारा देता हूं कि जो पूछे, उसकी तरफ गौर से देखना, उसकी स्थिति को समझना और जैसा उचित हो वैसा करना।
जीवन को कभी भी बंधे हुए नियमों में चलाने की जरूरत नहीं है। उसी से तो आदमी धीरे - धीरे मुर्दा हो जाता है। जीवन को जगाया हुआ रखो। बोध से जीयो, सिद्धांत से नहीं। जागरूकता से जीयो, बंधी हुई धारणाओं से नहीं। मर्यादा बस एक ही रहे कि बिना होश के कुछ मत करो।
ओशो ❤, अष्‍टावक्ररू महागीता--प्रवचन--29

Wednesday, November 6, 2019

अमन का पैगाम देने शहर में निकाला गया सदभावना मार्च

  •   शहर की सड़कों पर पैदल निकले कलेक्टर, एसपी व गणमान्यजन
  •   सद्भावना मार्च में सभी वर्गों के लोग बड़ी संख्या में  हुये शामिल


सद्भावना मार्च में शामिल कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं शहर के गणमान्यजन। 

अरुण सिंह,पन्ना। मन्दिरों के शहर पन्ना में शान्ति, सद्भाव एवं आपसी भाईचारा कायम रखने के लिये आज सायं सद्भावना मार्च आयोजित हुआ, जिसमें जिले के प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी सहित सभी प्रमुख राजनैतिक दलों के नेता व गणमान्यजन शामिल हुये। शहर के गाँधी चौक से शुरू हुआ सद्भावना मार्च प्रमुख मार्गों से होकर गुजरा। इस दौरान लोगों से अमन और शान्ति बनाये रखने की अपील की गई।
उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर हमेशा से अमन, शान्ति और भाईचारे के लिये जाना जाता रहा है। विपरीत परिस्थितियों में भी यहां पर कभी ऐसे हालात नहीं बने जिससे भाईचारा प्रभावित हुआ हो। शहर की सड़कों पर पैदल चलते हुये प्रशासनिक अधिकारी व गणमान्यजन लोगों को प्रेम और भाईचारा कायम रखने का संदेश देते हुये निकले। इस मार्च में सभी वर्गों व समुदायों के लोगों ने बढ़-चढ़कर न सिर्फ हिस्सा लिया अपितु सभी ने यह संकल्प भी किया कि वे हर हाल में पन्ना शहर की प्राचीन भाईचारे की परम्परा को कायम रखेंगे। इस बीच जिला मजिस्टे्रट एवं कलेक्टर पन्ना कर्मवीर शर्मा ने गाँधी चौक में सभी को सद्भावना की शपथ दिलाई और यह अपील की कि त्यौहारों के इस मौसम में सभी लोग आपस में मिलकर रहेंगे। आपने बताया कि प्रशासन ने शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिये हरसंभव कदम उठाये  हैं। जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है और सभी से यह अपील भी की गई है कि वे किसी भी कीमत पर असमाजिक तत्वों को बढ़ावा न दें। उन्होंने लोगों से यह भी अपील की है कि साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाडऩे वाली कोई भी अफवाह न फैलायें तथा सोशल मीडिया में भी ऐसी कोई भी पोस्ट न डालें जिससे भाईचारा बिगडऩे व शान्ति भंग होने की संभावना हो। ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक श्री अवस्थी ने कहा कि संवेदनशील स्थलों पर पुलिस बल की तैनाती की गई है तथा हर तरह की परिस्थिति से निपटने की पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे पुलिस का सहयोग कर शहर में अमन और शान्ति कायम रखने में सहभागी बनें।

शहर की सड़कों पर पैदल मार्च कर अमन का सन्देश देते नगरवासी। 

शान्ति व्यवस्था भंग करने वालों के विरूद्ध होगी कठोर कार्यवाही: कलेक्टर

 कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की अध्यक्षता मेें जिला स्तरीय शान्ति समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में आगामी आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों देवउठनी ग्यारस, मिलादउन्नवी, गुरूनानक जयंती, क्रिसमस एवं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या संबंधी प्रकरणों में निर्णय तथा वर्तमान में अन्य शहरों में अधिवक्ताओं एवं पुलिस के बीच चल रहे विवाद को दृष्टिगत रखते हुये जिले में शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के संबंध में जनप्रतिनिधियों एवं विभिन्न समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ आगामी आने वाले समय में जिले में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान कलेक्टर द्वारा कहा गया कि कोई भी व्यक्ति यदि जिले में शान्ति व्यवस्था भंग करने की कोशिश करता है तो उसके विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बैठक में उपस्थितों से अपेक्षा करते हुये कहा कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक एवं अफवाह फैलाने वाली पोस्ट डालने वाले व्यक्तियों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि सभी लोग मिलजुलकर परम्परानुसार त्यौहारों को मनायें।  बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं गणमान्य नागरिकों द्वारा शान्ति व्यवस्था बनाये रखने में जिला प्रशासन की हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया।

जिले में धारा 144 लागू, न फैलायें अफवाह

कलेक्टर श्री शर्मा द्वारा बैठक में बताया गया कि जिले में 144 धारा लागू हो गई है। इसका उलंघन करने पर संबंधित के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर कोई भी व्यक्ति ऐसे आपत्तिजनक संदेश एवं चित्रों, वीडियो, ऑडियो मैसेज पोस्ट या फारवर्ड नहीं करेगा जो सामाजिक एवं व्यक्तिगत रूप से किसी भी प्रकार से आपत्तिजनक हो। साम्प्रदायिक सद्भाव को खतरा उत्पन्न करते हो।  कोई भी व्यक्ति जिले में किसी भी जुलूश प्रदर्शन, आन्दोलन, धरने, भण्डारण आदि का बिना सक्षम अनुमति के न तो आयोजन करेगा, न रखेगा और न ही उसका नेतृत्व करेगा। सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी व्यक्ति चाकू, डण्डा, धारदार हथियार और अन्य घातक हथियार जैसी वस्तुयें अपने साथ नहीं रखेगा। किसी भी होटल, लॉज, सार्वजनिक धर्मशाला पर रूकने वाले संदिग्ध व्यक्तियों की जानकारी देने की जिम्मेदारी प्रबंधक और मालिक की होगी। स्थानीय थाना में सूचना दिये बिना कोई भी व्यक्ति अपने मकान में किरायेदार, पेइंगगेस्ट को नहीं रखेगा। होटल, लॉज, धर्मशाला और ऐसे ही किसी स्थानों पर रुकने वालों के पहचान पत्र और जानकारी रजिस्टर में अंकित कर प्रतिदिन थाने में सूचना देना अनिवार्य होगा। लम्बे समय से बिना किसी कारण से नये एवं बाहरी व्यक्ति होटल, लॉज, सार्वजनिक धर्मशाला पर नहीं रूकेंगे।

 संवेदनशील और चिन्हित स्थलों पर पुलिस बल तैनात

पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी द्वारा बताया गया कि जिले के सभी चिन्हित स्थानों पर पुलिस/फोर्स लगाई गई है। कुछ ऐसे स्थान भी होते है जहां लोग कभी-कभी पूजा अर्चना या इबादत के लिये जाते हैं। ऐसे स्थानों पर कभी कोई असामाजिक तत्व कुछ करता है तो इसकी सूचना दी जाये। ऐसे प्रकरणों की तुरंत जांच कर कार्यवाही की जायेगी और संबंधितों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग अफवाह एवं आपत्तिजनक पोस्ट वायरल करते रहते हैं ऐसे व्यक्तियों पर निरंतर नजर रखी जा रही है। परिवार एवं समाज के लोगों को, बच्चों को समझाना चाहिये कि इस तरह की पोस्टो को पोस्ट न करें। ऐसा करने पर इन बच्चों के विरूद्ध कार्यवाही होगी। जिससे इनका जीवन बर्वाद हो जायेगा। जिला स्तरीय शान्ति समिति की बैठक में जिले के राजस्व अधिकारी, पुलिस अधिकारी, विभिन्न विभागों के जिला प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष रविराज सिंह यादव, उपाध्यक्ष माधवेन्द्र सिंह , नगरपालिका अध्यक्ष मोहनलाल कुशवाहा, जिला पंचायत सदस्य केशव प्रताप सिंह , श्रीमती दिव्यारानी, सतानन्द गौतम, पूर्व विधायक पन्ना श्रीकांत दुबे, मोहम्मद आसिफ सिद्दिकी के साथ विभिन्न समुदाय के प्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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आखिर कोई भी डॉक्टर सीताफल खाने की सलाह क्यों नहीं देता ?


जिसे मै अब तक सीताफल समझता रहा हूँ वह दरअसल शरीफा है! चूंकि शराफत अनमोल होती है! खरीदी या बेची नही जा सकती! ऐसे मे आपकी और दुकानदार की सहूलियत के लिये इसे सीताफल नाम दिया गया! हाँलाकि अब इस नामकरण का कोई मतलब रह नही गया है, शरीफ आजकल गली गली बिकते फिरते हैं और सीताफलो से सस्ते हैं!
एक जानकार के हिसाब से तो सीताफल पूरी दवाई की दुकान है! इसमे पोटेशियम, मैग्नेशियम, आयरन ,कॉपर, फाईबर, कैल्शियम और पता नही क्या क्या होता है ! इसको खाने का मतलब यह है कि आपको कभी डॉक्टर, वैद्य की शकल नही देखनी पडेगी! इस बेशकीमती जानकारी से ही मै जान पाया कि दुनिया का कोई भी डॉक्टर सीताफल खाने की सलाह देने से क्यों बचता है!
ये भी पता चला कि सीताफल को सीताफल इसलिये कहते है क्योकि उसे बंदर नही खाते ! मुझे लगता है इस बात मे दम तो है ! मैने भी कभी बंदरो को सीताफल खाते नही देखा ! सच्ची बात तो यह है कि जो सीताफल नही खाते वो बंदर ही होते है ! झाबुआ ,अलीराजपुर ,धार वालो ने तो अपने यहाँ पैदा होने वाले सीताफलो के सबसे अच्छे होने का दावा तो ठोका ही बैतूल ,नरसिंहगढ ,मांडवगढ ,चित्तोढगढ ,चंदेरी ,सिवनी छपारा ,सारंगपुर ,नागपुर भी पीछे नही रहे ! सबका यही ख्याल है कि उनके यहाँ वाले सीताफल सबसे मीठे है ! पर मै इन सभी महानुभावो के दावे की कदर तभी कर सकूंगा जब ये अपने यहाँ के सीताफल मुझे भिजवाने की व्यवस्था करे !
और फिर यह भी पता चला कि रामफल और सीताफल के अलावा हनुमानफल भी होता है ! और उसे हनुमान जी का नाम मिला भी इसलिये है क्योंकि वो अपने खानदान का सबसे बड़ा और हष्ट पुष्ट फल है !
सीताफल खाने के तरीके बाबत भी मेरी जानकारी मे इजाफा हुआ ! इसके बीजो का इधर उधर फैलना वाकई बडी दिक्कत थी ! ये बीज आपकी पत्नी को आप पर तनने का मौका मुहैया कराते है ऐसे मे सीताफल खाते वक्त अखबार बिछा लेने ता आईडिया बहुत अच्छा है ! आजकल के अखबारो का इससे अच्छा और क्या इस्तेमाल हो सकता है ! आदमी को करना यह चाहिये कि सीताफल को शराफत से दो हिस्सों में तोड़े ! ये दोनों हिस्से छोटे बड़े हो भी जाये तो कोई नुकसान है नही ! इसके बाद इस तरह मिली दो कटोरियों में मौजूद अमृत लिपटे बीजों को चम्मच की मदद से पूरे इत्मीनान से ,किश्तों में अपने मुँह के हवाले करे !
ये भी जानकारी हासिल हुई मुझे कि सीताफल के बीजो पर लिपटा गूदा उतारने मे जीभ यदि चूक जाये ! और आप गूदा लिपटा बीज थूक बैठे तो दुनिया मे इससे बडा और कोई दुख नही ! साथ बैठे लोग आपको ऐसे देखते है जैसे आपने गाय मार दी हो इसलिये सीताफल खाने के पहले अपनी जीभ को समझा देना बहुत जरूरी होता है !
सीताफल खाते वक्त एक जो दूसरी परेशानी सर पर आ खड़ी होती है कि इसे अकेले खायें या दोस्तों और घरवालों के साथ बाँट लें ! दिमाग अकेले ही खा जाने की सलाह देता है और दिल मिल बाँटने की बात करता है ! अकेले इसे इत्मीनान से खा सकते हैं आप और मंडली में इसे खाते वक्त हड़बड़ी पेश आ सकती है ! पर मेरा यह मानना है कि सीताफल अकेले खाने की चीज नही इसलिये जब भी इसकी टोकरी हाथ लगे यार दोस्तों को न्यौता दे ही देना चाहिये !
ये भी एक उपयोगी जानकारी ये मिली की इस मीठे फल को खाते वक्त इसके बीज थूकना इसलिये भी जरूरी है ताकि ये पेट मे ना चले जायें ! इन बीजो के पेट मे जाने पर पेट मे सीताफल का पेड ऊगने का खतरा हो सकता है ! यह भी कि सीताफल खाने के फौरन बाद पानी नही पीना चाहिये ! ऐसा करने पर पानी नाक के नल से बाहर आने की कोशिश करता है ! यह भी पता चला कि सीताफल खाने के बाद इसके काले काले बीजो को फैंकना नही चाहिये ! इन्हे पीस कर इनका पेस्ट बनाकर सर पर लगा लेने से जुँओ की समस्या से छुटकारा मिल जाता है ! चूकिं मेरे सर मे गिनती के ही  बाल मौजूद है ! बालो में जुयें होने के अब तक कोई सबूत मुझे मिले नही है ,इसलिये सीताफल के बीज मेरे किसी काम के नही ! जिन्हे इनकी जरूरत हो वो मुझसे संपर्क कर सकता है !
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Tuesday, November 5, 2019

त्रासदी, पुनर्स्थापना और साकार हुये सपने का जश्न

  •   पन्ना बाघ पुनर्स्थापना के 10 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुआ समारोह
  •   यहां मिली कामयाबी की गौरव गाथा का वक्ताओं ने रोचक ढंग से किया बखान
  •   सफलता के नायक रहे श्री मूर्ति सहित तत्कालीन वन अधिकारी भी हुये शामिल
  •   बुन्देलखण्ड का गौरव बन चुके पन्ना के बाघों को सहेजना अब सबका दायित्व


समारोह को संबोधित करते हुये आर.श्रीनिवास मूर्ति ।

अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की वापसी किसी तिलस्म से कम नहीं है। एक दशक पूर्व बाघों से आबाद रहने वाला यह खूबसूरत वन क्षेत्र बाघ विहीन हो गया था। उस समय भी राष्ट्रीय स्तर पन्ना की चर्चा थी, लेकिन वह बाघों के पूर्णरूपेण सफाया होने से उपजी त्रासदी को लेकर थी। लेकिन एक दशक बाद अब चर्चा सफलता और कामयाबी की हो रही है। त्रासदी और पुनर्स्थापना के बाद साकार हुये सपने का अब उत्सव मनाया जा रहा है। मंगलवार 5 नवम्बर को पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगल कॉटेज परिसर हिनौता में भव्य समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें बाघ पुनर्स्थापना योजना के नायक रहे तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति व विक्रम सिंह परिहार सहित अनेकों लोग शामिल हुये, जिनका बाघों को फिर से आबाद कराने में योगदान रहा है। इस अनूठे समारोह में सभी वक्ताओं ने बड़े ही रोचक अंदाज में पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना के अपने अनुभवों को साझा किया और यह आगाह भी किया कि पन्ना के बाघ समूचे बुन्देलखण्ड ही नहीं अपितु म.प्र. के गौरव बन चुके हैं, इसलिये अब इस सम्पदा की सुरक्षा तथा इन्हें सहेजकर रखने का दायित्व हम सबका है।
समारोह का शुभारंभ पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया सहित मंचासीन अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। इस मौके पर मौजूद रहे तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि आज का यह त्यौहार पन्ना की जनता का है। इस मुकाम तक पहुँचने में जनता की सहभागिता को अनदेखा नहीं किया जा सकता। जनसमर्थन से ही पन्ना में वह कमाल हुआ है जो आज तक दुनिया में कहीं नहीं हुआ। इसीलिये हमने जन समर्थन से बाघ संरक्षण का नारा दिया था, जिसे हमेशा याद रखना होगा। श्री मूर्ति ने 10 वर्ष पूर्व की स्थितियों का जिक्र करते हुये बताया कि उस समय हर तरफ आलोचना हो रही थी, लोग पन्ना टाईगर रिजर्व के विरोध में थे तथा बाघों का सफाया होने के बाद लोगों का आक्रोश उफान पर था। लेकिन इस विपरीत हालातों में भी हमने प्रयास जारी रखा, फलस्वरूप जहां बन्दूकें चलती थीं वहां अब प्रेम बरस रहा है।

आयोजित समारोह में उपस्थित अधिकारी, कर्मचारी, नागरिक व ग्रामीणजन।

श्री मूर्ति ने बताया कि 5 नवम्बर 2009 को लोगों ने यह प्रण किया था कि बाघों के खात्मे से बुन्देलखण्ड की नाक कट गई है, लेकिन अब हम बाघों को आबाद करेंगे ओर नाक नहीं कटने देंगे। आपने उन सभी जनप्रतिनिधियों व गणमान्य जनों का जिक्र किया, जिनका बाघ पुनर्स्थापना योजना में योगदान रहा है। जो लोग अब हमारे बीच नहीं हैं उनको भी पूरे सम्मान के साथ श्री मूर्ति ने याद किया और कहा कि अशोक वीर विक्रम सिंह भैया राजा, अमर सिंह, जितेन्द्र सिंह बुन्देला, बृजेन्द्र सिंह बुन्देला, कामता प्रसाद व लखन नागर आज दुर्भाग्य से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। आपने पन्ना नामक हांथी व उन बाघ और बाघिनों को भी याद किया जिनकी मौत हो चुकी है। समारोह में जिन जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी नहीं रही उनके योगदान व सहभागिता को भी श्री मूर्ति ने सराहा और उनकी चर्चा की। आपने उस नर बाघ की रोचक दास्तान भी सुनाई, जिसकी मौजूदगी से पन्ना का गौरव फिर वापस मिला। श्री मूर्ति ने बताया कि बाघ टी-3 को यदि हम पन्ना वापस लाने में कामयाब न होते तो पन्ना कभी आबाद न हो पाता। आपने कहा कि टीम वर्क से ही सफलता मिलती है, पन्ना में टीम पहले है लीडर बाद में है।

श्री भदौरिया ने प्रजेन्टेशन देकर बताई सफलता की कहानी

क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने प्रोजेक्टर के माध्मय से प्रजेन्टेशन देकर बाघों के आबाद होने की पूरी कहानी को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। आपने पन्ना टाईगर रिजर्व के बनने से लेकर अब तक के इतिहास से भी लोगों को अवगत कराया और बताया कि मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में आधा सैकड़ा से भी अधिक बाघ हैं। पन्ना के बाघ अब कोर क्षेत्र से निकलकर बाहर भी जा रहे हैं जिसे देखते हुये बफर क्षेत्र के जंगल की सुरक्षा व्यवस्था व मॉनीटरिंग सिस्टम सुदृढ़ की जा रही है। श्री भदौरिया ने बताया कि पन्ना टाईगर रिजर्व में 142 पेट्रोलिंग कैम्प व 47 निगरानी कैम्प बनाये गये हैं। कैमरा ट्रेप व ड्रोन से भी बाघों व वन्य जीवों की निगरानी की जाती है तथा बफर क्षेत्र के ग्रामों में लोगों को संरक्षण से जोड़ा जा रहा है।

स्मृति चिह्न प्रदान कर योगदान देने वालों का किया गया सम्मान।

जो दुनिया में नहीं हुआ वह पन्ना ने कर दिखाया: लोकेन्द्र सिंह

पूर्व सांसद व पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के संस्थापक लोकेन्द्र सिंह ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि मैं दुबारा यहां बाघ देख रहा हूँ। जो कार्य दुनिया में कहीं नहीं हुआ वह पन्ना ने कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि इस बात पर रिसर्च होना चाहिये कि पन्ना में कम समय में इतने बाघ कैसे बढ़ गये। समारोह को राजनगर विधायक विक्रम सिंह नाती राजा ने संबोधित करते हुये कहा कि म.प्र. का गौरव म.प्र. को वापस दिलाने में पन्ना टाईगर रिजर्व का सबसे अहम योगदान रहा है। आपने वन अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुये कहा कि जिन्हें विस्थापित किया गया है उन्हें मूलभूत सुविधायें मिलें इस पर ध्यान देना चाहिये। कार्यक्रम को श्यामेन्द्र सिंह बिन्नी राजा ने भी संबोधित किया।

समस्या नहीं समाधान बने पन्ना टाईगर रिजर्व: बृजेन्द्र प्रताप सिंह

समारोह को संबोधित करते हुये पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि पन्ना टाईगर रिजर्व पन्ना की पहचान बन चुका है। लेकिन हमें यह ध्यान देना चाहिये कि टाईगर रिजर्व पन्नावासियों के लिये समस्या नहीं अपितु समाधान बने। आपने कहा कि लम्बे समय तक पन्ना के बाघों को सुरक्षित व संरक्षित रखने के लिये समन्वय और संवाद दोनों जरूरी है। वन विभाग का लोगों में खौफ नहीं होना चाहिये। बफर क्षेत्र के लोग मूलभूत सुविधओं से वंचित न रहें। पन्ना विधायक ने यह भी कहा कि पर्यटन विकास से ही यहां के लोग आगे बढ़ सकते हैं। समारोह को पेंच टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक विक्रम सिंह परिहार, पूर्व क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व रविकान्त मिश्रा, आर.पी. राय सीसीएफ  छतरपुर, अनुपम सहाय वन मण्डलाधिकारी ने भी संबोधित किया और महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये।समारोह में राजमाता दिलहर कुमारी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।  इस मौके पर वन अधिकारियों, कर्मचारियों व संरक्षण कार्य में सहभागिता निभाने वाले लोगों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन मीना मिश्रा ने किया।

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