- खेती किसानी और गांव हमारी पहचान है। सही अर्थों में गांव की प्रगति तभी होगी जब किसान खुशहाल हो। पन्ना की बेटी 22 वर्षीय रितु द्विवेदी की तमन्ना भी यही है, इसलिए उसने कृषि वैज्ञानिक बनने की कठिन राह चुनी है। चुनौतियों के बीच लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा इस बेटी में है, इसलिए उम्मीद है कि यह कुछ बेहतर करेगी जिससे किसानों की जिंदगी आसान बनेगी।
पन्ना की यह होनहार बेटी रितु कृषि स्नातक है और अब पीजी करने के बाद कृषि वैज्ञानिक बनना चाहती है। |
पन्ना। मौजूदा दौर में जब गांव और छोटे शहरों से निकलकर अनेकों बेटियां अपनी योग्यता, क्षमता और काबिलियत की दम पर आगे बढ़ रही हैं, तो हर किसी को गर्व का अनुभव होता है। बेटियां अब चूल्हा चौका के साथ ही वह सब काम भी पूरी दक्षता व कौशल से कर रही हैं, जो उनके लिए पहले कभी मुमकिन नहीं था। बेटियां अब अपने जुनून जज्बे और दृढ़ इच्छा शक्ति के बलबूते अपनी किस्मत खुद लिख रही हैं। ऐसी ही एक प्रतिभाशाली बेटी रितु द्विवेदी है, जिसने डॉक्टर व इंजीनियर बनने के बजाय कृषि वैज्ञानिक बनने की ठानी है। ताकि वह किसानों की मदद कर उनकी कठिन जिंदगी में खुशहाली के रंग भर सके।
पन्ना शहर की इंद्रपुरी कॉलोनी निवासी 22 वर्षीय रितु द्विवेदी बचपन से ही पढ़ने में अव्वल रही है। इस होनहार बेटी ने 12वीं तक की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय रमखिरिया पन्ना से प्राप्त की। इसके बाद रितु ने जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से कृषि स्नातक की डिग्री हासिल की। इस प्रतिष्ठित कृषि विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान रितु ने खेती किसानी व किसानों की समस्याओं को न सिर्फ निकट से देखा अपितु समझने का प्रयास भी किया। इस दौरान इस बेटी ने यह ठान लिया कि वह खेती किसानी को सुगम बनाने के लिए काम करेगी। रितु का पसंदीदा विषय एग्रोनॉमी (सस्य विज्ञान) है, जिस पर वह पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद रिसर्च करना चाहती है।
अपनी इस अभिलाषा को पूरा करने के लिए रितु ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पीजी कोर्स में प्रवेश हेतु आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा में शामिल हुई। इस कठिन परीक्षा में यह बेटी न सिर्फ़ कामयाब हुई अपितु अखिल भारतीय स्तर पर 16वीं रैंक हासिल की। बेटी की कामयाबी से उसके पिता उम्मेद द्विवेदी व मां शांति द्विवेदी बेहद खुश हैं, पन्ना शहर के लोग भी इस बेटी का हौसला बढाकर गर्व का अनुभव कर रहे हैं। रितु का कहना है कि वह कृषि वैज्ञानिक बनकर किसानों की उन्नति और बेहतरी के लिए काम करना चाहती है।
रितु बताती हैं कि गांव का किसान छोटी-छोटी चीजों और सुविधाओं के लिए संघर्ष करता है। खेती किसानी अभी भी लाभ का धंधा नहीं बन सका है। उन्हें उनकी मेहनत का फल जो मिलना चाहिए उससे वे वंचित रहते हैं। किसानों की कठिनाई व परेशानी से जब मैं रूबरू हुई तो मेरे मन में यह ख्याल आया कि क्यों ना खेती किसानी में उपयोग होने वाली तकनीक को सस्ता और अच्छा बनाया जाए। ऐसी तकनीक जिससे सेहत भी सुधरे और खुशहाली भी आये। रितु बताती हैं कि मिट्टी और पानी सेहत को सुधार कर हम अपनी सेहत की भी रक्षा कर सकते हैं। इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है।
रितु आगे बताती हैं कथित आधुनिक खेती जिसमें रसायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का अधाधुंध उपयोग होता है, उससे मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है। हमें इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना होगा और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम करना होगा। जहर मुक्त खेती आज सबसे बड़ी जरूरत है, ताकि देशवासियों को खाने के लिए पौष्टिक गुणों से भरपूर अनाज व सब्जियां मिल सकें।
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