Friday, February 16, 2018

बाघिन को देख नर व मादा तेंदुआ पेड़ में चढ़े

  •   इस दुर्लभ और अद्भुत नजारे को देख रोमांचित हो उठे पर्यटक
  •   कुछ ही दूरी के फासले पर मौजूद थी बाघिन पी-141


वृक्ष की डाल पर बैठा तेंदुआ का जोड़ा। फोटो - पुनीत शर्मा 
अरुण सिंह,पन्ना। बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाईगर रिजर्व में जंगल का राजकुमार कहे जाने वाले तेंदुओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है। टाईगर रिजर्व के भ्रमण में आने वाले देशी व विदेशी पर्यटकों को अब आये दिन जहां वनराज के दर्शन होते हैं, वहीं तेंदुआ भी अक्सर देखने को मिल जाते हैं। लेकिन पर्यटकों ने गुरूवार को आज जो नजारा देखा है वह उनके लिये अविस्मरणीय रहेगा। गुंजा के ऊँचे पेड़ की डाल में नर व मादा तेंदुआ एक साथ जहां बैठे हुये थे, वहीं निकट ही पन्ना टाईगर रिजर्व की बाघिन पी-141 राजशी अंदाज में टहलते हुये आस-पास के माहौल का जायजा ले रही थी।
उल्लेखनीय है कि आज सुबह लगभग 6:30 बजे आधा दर्जन जिप्सियों में सवार होकर पर्यटकों का दल जब टाईगर रिजर्व के भ्रमण हेतु मड़ला प्रवेश द्वार से आगे बढ़ा तो किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी, कि उन्हें ऐसा दुर्लभ और रोमांचकारी दृश्य देखने को मिलेगा। पर्यटकों के साथ भ्रमण में गये गाइड पुनीत शर्मा ने बताया कि मड़ला प्रवेश द्वार से लगभग 8 किमी दूर मगर डबरी के पास टू इन नाका में स्थित गुंजा के विशालकाय वृक्ष की डाल में नर-मादा तेंदुओं का जोड़ा बैठा हुआ था। जबकि निकट ही रोड के दूसरी तरफ बाघिन पी-141 चहल कदमी करते हुये नजर आ रही थी। यह दुर्लभ नजारा जब पर्यटकों ने देखा तो अवाक रह गये।

बाघिन के डर से पेड़ में चढ़े


पन्ना टाईगर रिजर्व के टूरिस्ट गाइड पुनीत शर्मा ने बताया कि मेटिंग सीजन के चलते नर व मादा तेंदुआ जंगल में एक साथ थे, लेकिन अचानक वहां पर बाघिन-141 का आगमन हो गया। ऐसी स्थिति में बाघिन से भयभीत होकर तेंदुओं का यह जोड़ा देखते ही देखते गुंजा के पेड़ में चढ़ गया। सुरक्षित ऊँचाई में पहुँचने पर दोनों एक मोटी डाल में बैठकर आराम फरमाने लगे। आधा दर्जन वाहन व पर्यटकों के पहुँचने पर तकरीबन 15 मिनट बाद तेंदुआ का यह जोड़ा पेड़ से उतरकर हिनौता रेन्ज के पहाड़ पर चढ़ गया। जबकि बाघिन वहीं निकट ही जंगल में आधा घण्टे तक चहल कदमी करती रही।

टाईगर रिजर्व का बढ़ा है आकर्षण


पार्क भ्रमण में आने वाले पर्यटकों को टाईगर दिखने से अब पन्ना टाईगर रिजर्व का आकर्षण दिनों दिन बढ़ रहा है। विगत वर्षों की तुलना में पर्यटकों की संख्या के साथ-साथ राजस्व में भी इजाफा हुआ है। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में 30 से भी अधिक बाघ हैं, जबकि तेंदुओं की संख्या 70 से 75 बताई जा रही है। इनके अलावा यहां के जंगल में भालू, सांभर, चीतल, चिंकारा व चौसिंगा प्रचुरता से देखने को मिलते हैं। पार्क के मध्य से प्रवाहित होने वाली केन नदी की बलुई चट्टानों में धूप सेंकते मगर को देखकर पर्यटक रोमांच से भर जाते हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगल में पक्षियों की भी 2 सौ से भी अधिक प्रजातियां मौजूद हैं, यहीं वजह है कि पक्षी दर्शन के शौकीन पर्यटक भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं।
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Monday, February 5, 2018

केन नदी में रेत के अवैध उत्खनन पर नहीं लग रहा अंकुश



  •   खनिज एवं पर्यावरण संबंधी नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां
  •   स्वीकृत क्षेत्र के बाहर मशीनों से हो रहा रेत का अवैध उत्खनन



अरुण सिंह,पन्ना। रेत के अवैध उत्खनन को लेकर पन्ना जिले का अजयगढ़ क्षेत्र इस समय सुर्खियों में है। केन नदी में हर तरफ भारी वाहन दैत्याकार मशीनों से बड़े पैमाने पर रेत का उत्खनन किया जा रहा है, जिससे खनिज एवं पर्यावरण संबंधी नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। कलेक्टर पन्ना मनोज खत्री के आदेश पर बीते माह अवैध उत्खनन के खिलाफ चलाये गये अभियान के बावजूद रेत माफियाओं के हौसले बढ़े हुये हैं। केन नदी में स्वीकृत रेत खदानों के अलावा उन क्षेत्रों में भी व्यापक  पैमाने पर अवैध उत्खनन चल रहा है जहां कोई खदान मंजूर नहीं है। रेत की इस लूट में लिप्त माफियाओं द्वारा पुलिस की अपहरणकाण्ड में व्यस्तता का भी भरपूर फायदा उठाया गया है। विगत एक सप्ताह से अजयगढ़ क्षेत्र में रेत का अवैध कारोबार कई गुना अधिक हो गया है।
उल्लेखनीय है कि स्वीकृत खदानों के ठेकेदार जहां निर्धारित क्षेत्र के बाहर बेखौफ होकर खुलेआम रेत का अवैध उत्खनन करा रहे हैं, वहीं केन नदी में एक दर्जन से भी अधिक स्थलों पर माफियाओं द्वारा पूर्णरूपेण अवैध रेत खदानें चलाई जा रही हैं। भारी भरकम मशीनों से हो रहे व्यापक उत्खनन के चलते पर्यावरण को जहां भारी नुकसान हो रहा है वहीं केन नदी का वजूद भी संकट में पड़ गया है। नियम व कानून को तांक में रखकर अनियन्त्रित उत्खनन से जलीय जीव-जन्तु व वनस्पतियां खत्म हो रही हैं, जिसका दूरगामी प्रभाव पर्यावरण पर पडऩे की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। मालुम हो कि विगत एक सप्ताह से जिले की पुलिस डायल 100 अपहरणकाण्ड में व्यस्त रही है। पुलिस अधिकारियों की इस व्यस्तता का रेत माफियाओं ने भरपूर फायदा उठाया है, दिन ढलने के साथ ही दैत्याकार मशीनें रेत निकालने में जुट जाती हैं। केन नदी की रेत खदानों में पूरी रात ट्रकों व डम्फरों की लाइन लगने से यहां पूरी रात गहमा-गहमी मची रहती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केन नदी के जिगनी घाट में फिर से अवैध उत्खनन शुरू हो गया है। यहां शाम होते ही जेसीबी व पोकलैन मशीनों को उतार दिया जाता है जो पूरी रात केन नदी का सीना छलनी करते हुये रेत निकालती हैं। यहां से निकलने वाली रेत को परिवहन कराने में पड़ोसी खदानों के ठेकेदार अहम भूमिका निभाते हैं। जिन स्वीकृत खदानों में पर्याप्त रेत नहीं है, वहां के ठेकेदार पिटपास की बिक्री के धन्धे में लिप्त हैं। जिसके चलते अस्वीकृत खदानों की रेत का परिवहन भी वैध तरीके से हो रहा है। डिजियाना कम्पनी द्वारा बीरा में संचालित रेत खदान में भी यह गोरखधन्धा चल रहा है। केन नदी की भीना चांदीपाठी रेत खदान का संचालन भी स्वीकृत क्षेत्र से बाहर बड़े क्षेत्र में हो रहा है। मझगांय खदान में रेत नहीं है जिसके पिटपासों की बिक्री होती है, फलस्वरूप मझगांय व मोहाना क्षेत्र से बड़े पैमाने पर रेत की निकासी हो रही है।

प्रतिबन्ध के बावजूद मशीनों से उत्खनन


नदी के प्रवाह क्षेत्र में भारी भरकम मशीनों का उपयोग कर रेत के उत्खनन पर कानूनी तौर पर प्रतिबन्ध के बावजूद केन नदी की रेत खदानों में दैत्याकार मशीनों का खुलेआम उपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं केन नदी में पानी के भीतर से भी रेत निकाली जा रही है। यदा कदा पुलिस व राजस्व अमले द्वारा कार्यवाही किये जाने के बावजूद रेत के उत्खनन में मशीनों का उपयोग बन्द होने के बजाय मशीनों की तादाद और बढ़ गई है। इससे पता चलता है कि रेत की लूट में लिप्त माफिया कितने बेखौफ और ताकतवर हैं जिन्हें नियम और कानून का भी कोई भय नहीं है।

अवैध उत्खनन पर 1.67 करोड़ का जुर्माना

रेत के अवैध उत्खनन को रोकने के लिये प्रशासन द्वारा पूर्व में दर्जनों जेसीबी मशीनों को जब्त कर अस्थाई पुलों व मार्गों को ध्वस्त किया गया था। अवैध उत्खनन करने वाले माफियाओं पर 1 करोड़ 67 लाख रू. का जुर्माना भी लगाया गया। यह कार्यवाही मोहाना, जिगनी, चंदौरा, बरौली व रामनई खदान क्षेत्रों पर की गई, इसके बावजूद रेत का अवैध उत्खनन थमने का नाम नहीं ले रहा। केन नदी की सहायक रून्ज व बागैं नदी में भी बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन होने की जानकारी मिली है। धरमपुर थानान्तर्गत इन नदियों के आस-पास स्थित ग्रामों में बिना किसी मंजूरी के बालू के डम्प नजर आते हैं, जिससे पता चलता है कि जिले में रेत का कारोबार कितने बृहद रूप में चल रहा है।
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