Friday, December 30, 2016

सारस पक्षी को भा रहा केन नदी का किनारा

  • पन्ना टाइगर रिजर्व में दिख रहा सारस का जोड़ा 
  • उड़ान भरने वाला धरती का यह सबसे बड़ा पक्षी 




अरुण सिंह, पन्ना। उड़ान भरने वाला धरती का सबसे बड़ा पक्षी सारस पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर प्रवाहित होने वाली केन नदी के किनारे नजर आ रहे हैं. सारस पक्षी का एक जोड़ा पिछले कई दिनों से इस इलाके में डेरा डाले हुए है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि केन किनारे की आबोहवा व जलवायु इस विशालकाय पक्षी को भा रही है. मालुम हो कि सारस को उ.प्र. के राज्य पक्षी का दर्जा प्राप्त है.
उल्लेखनीय है कि सारस पक्षी के जोड़े को दाम्पत्य प्रेम का प्रतीत माना जाता है. सारस पक्षी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि अपने जीवन काल में यह सिर्फ एक बार जोड़ा बनाता है और जोड़ा बनाने के बाद जीवन भर साथ रहता है. यदि किसी कारण से एक साथी मर या बिछड़ जाता है तो दूसरा भी उसके वियोग में अपने प्रांण त्याग देता है. सारस को किसानों का मित्र पक्षी भी कहा जाता है, क्यों कि यह फसलों में लगने वाले कीड़ों को खाकर फसलों को नष्ट होने से बचाता है. दलदली व नमी वाले स्थान इसे प्रिय हैं, इसकी आवाज काफी दूर तक सुनाई देती है. जानकारों के मुताबिक विश्व में सबसे अधिक सारस पक्षी भारत में ही पाये जाते हैं. यहां इनकी कुल संख्या 8 से 10 हजार के बीच बताई जाती है.




सारस पक्षियों में मनुष्य की ही तरह प्रेम भाव होता है, ये ज्यादातर दलदली भूमि, बाढ़ वाले स्थान, तालाब, झील और खेतों में देखे जा सकते हैं. अपना घोसला ये छिछले पानी के आसपास ही बनाना पसंद करते हैं. जहां हरे - भरे खेत, पेड़ - पौधे, झाडिय़ां तथा घास हो. नर और मादा देखने में एक जैसे ही लगते हैं, दोनों में बहुत ही कम अन्तर पाया जाता है. लेकिन जब दोनों एक साथ हों तो छोटे शरीर के कारण मादा सारस को आसानी से पहचाना जा सकता है. मादा सारस एक बार में दो से तीन अण्डे देती है. अण्डों से बच्चों को बाहर निकले में 25 से 30 दिन का समय लगता है. सारस पक्षी का औसत वजन 7.3 किग्रा. तथा लम्बाई 173 सेमी. होती है. पूरे विश्व में सारस पक्षी की कुल 8 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से चार प्रजातियां भारत में मिलती हैं. अब इन पक्षियों की संख्या तेजी से घट रही है, जिससे पक्षी प्रेमी व पर्यावरण के हिमायती काफी चिन्तित हैं. फसल उत्पादन के तरीके में हुए बदलाव यानी परम्परागत अनाज के बदले नगदी फसल उगाने के कारण सारस के भरण पोषण पर भी असर पड़ा है. औद्योगीकरण और आधुनिक कृषि से सारस के आवास को खतरा है. केन नदी के किनारे सारस के जोड़े की मौजूदगी से इन पक्षियों की ओर पर्यटकों का भी आकर्षण बढ़ रहा है. पन्ना टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटक सारस पक्षी के इस जोडे को भी बड़े कौतूहल से निहारते हैं और उनकी छवि को अपने कैमरे में कैद करते हैं.

00

Friday, December 9, 2016

विश्रामगंज रेन्ज में हजारों सागौन वृक्षों की हुई अवैध कटाई

  •   जंगल में हर तरफ नजर आ रहा  हैं सागौन वृक्षों के ताजे ठूँठ
  •   सुनियोजित ढंग से होती रही  कटाई और वन विभाग को नहीं  लगी भनक
  •  खुलासा होने  पर मचा हड़कम्प, हो  रहा  नुकसानी का आंकलन
  •   सैकड़ों की संख्या में जंगल से सागौन की कटी बोगियां बरामद

जंगल  से बरामद की गई सागौन की कटी बोगियों का दृश्य। फोटो - अरुण सिंह 

अरुण सिंह,पन्ना। प्रकृति ने पन्ना जिले को अनगिनत सौगातों से नवाजा है । यहां  के घने जंगल, जहां  तक नजर जाये वहां  तक हरियाली ही  हरियाली, यह अद्भुत नजारा देख हर किसी का मन प्रफुल्लित हो  जाता है । लेकिन अब पन्ना जिले के समृद्ध और हरे-भरे जंगलों पर खतरे के बादल मंडरा रहे  हैं । आबादी बढऩे के साथ जंगलों पर अत्यधिक दबाव होने के चलते जंगल में अवैध कटाई बढ़ी है , लेकिन अब तो सुनियोजित तरीके से व्यापक पैमाने पर सागौन वृक्षों की वन माफियाओं द्वारा जिस तरह से कटाई कराई जा रही  है  उससे सागौन प्रजाति के पेड़ तेजी के साथ गायब हो  रहे  हैं । पन्ना जिले के उत्तर वन मण्डल अंतर्गत विश्रामगंज रेन्ज में हाल  ही  में हजारों की संख्या में सागौन वृक्षों का कत्लेआम हुआ  है । लगभग 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस वन परिक्षेत्र में बेहतरीन  किस्म का सागौन जंगल था, जिसे वन माफियाओं ने तहस-नहस कर दिया है । जंगल में जिस तरफ भी नजर दौड़ाई जाए उसी तरफ सागौन वृक्षों के ताजे ठूंठ दिखाई दे रहे  हैं ।

सागौन का ताजा ठूंठ  व पास खड़े वन परिक्षेत्राधिकारी।

सागौन वृक्षों के अवैध कटाई का मामला प्रकाश में आने पर बुधवार 7 दिसम्बर को जिला मुख्यालय पन्ना से पत्रकारों का एक दल जब मौके पर पहुँचा तो यहां  का नजारा देख दंग रह गया। विश्रामगंज रेन्ज के बीट मांझा व कौआ सेहा  के जंगल में जहां  बीते माह बड़ी बेरहमी के सागौन वृक्षों की कटाई हुई है , वहां  से बमुश्किल ढाई-तीन सौ मीटर की दूरी पर वन विभाग की चौकी है , जहां  पर बीटगार्ड की तैनाती रहती है । पेट्रोलिंग कैम्प छापर जिसे अब पटार चौकी के नाम से जाना जाता है , उसके ठीक सामने के जंगल में हजारों की संख्या में न सिर्फ सागौन वृक्षों को काटा गया बल्कि वहीं  जंगल में ही  मोटे तने वाले सागौन की सिल्लियां बनाकर उन्हें  ले भी जाया गया। इतना सब होने पर भी वनों की सुरक्षा का दावा करने वाले वन विभाग को अवैध कटाई की भनक तक नहीं  लगी, यह आश्चर्यजनक बात है । वन चौकी और इस जंगल के बीच एक पहाड़ी नाला गुजरता है , इस नाले के पार सागौन का जंगल है , जहां  वन माफियाओं ने बेखौफ होकर सागौन के वृक्षों को कटवाया है । जंगल में घूमकर देखने से यह पता चला कि वृक्षों की कटाई करने वाले लोग दर्जनों की संख्या में रहे  होंगे, जिन्होंने छांट-छांटकर मोटे और सीधे तने वाले सागौन वृक्षों को काटा है ।

जंगल में कटे पड़े वृक्ष की छटाई करता मजदूर।

सागौन के इस घने जंगल में इतने व्यापक पैमाने पर कटाई हुई  है  कि वन माफिया काटी गई सागौन की पूरी बोगियां ले जाने में कामयाब नहीं  हो  पाये। फिर भी मौके का जायजा लेने पर यह आभास होता है  कि 60 से 70 फीसदी सागौन चला गया है । शेष बची बोगियां अभी भी जंगल में जहाँ - तहाँ  पड़ी हुई  हैं । वन विभाग के अमले द्वारा पिछले एक सप्ताह से जंगल में बिखरी पड़ी सागौन की बोगियों को ढूँढ़कर पटार चौकी के सामने एकत्रित किया गया है । मौजूदा समय इस वन चौकी के सामने तकरीबन 600 सागौन की बोगियां एकत्रित हो  चुकी हैं  जबकि जंगल में कटी पड़ीं सागौन बोगियों के मिलने का सिलसिला अभी बन्दनहीं  हुआ है । इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है  कि कितने व्यापक स्तर पर बड़े ही  सुनियोजित ढंग से सागौन वृक्षों की कटाई हुई  है । अवैध कटाई के इस मामले ने जंगल की सुरक्षा व वन अमले की सक्रियता एवं चौकसी पर प्रश्न चिह्न खड़े कर दिए हैं । यदि यही  आलम रहा  तो आने वाले कुछ सालों में ही  पन्ना के जंगलों का सफाया हो  जाएगा तथा सागौन के वृक्ष कहीं  ढूँढ़े भी नहीं   मिलेंगे।

सीसीएफ छतरपुर को सबसे पहले मिली जानकारी


सागौन की बोगियों को जंगल से ढोकर लाते श्रमिक।

उत्तर वन मण्डल पन्ना के विश्रामगंज रेन्ज में हुई अवैध कटाई की जानकारी सबसे पहïले सीसीएफ छतरपुर विश्राम सागर शर्मा को हुई। पन्ना में वन मण्डलाधिकारी सहित वन अमले को इसकी भनक तक नहीं  लगी। मौके पर मौजूद वन परिक्षेत्राधिकारी आर.के. गोनेकर ने भी यह स्वीकार किया कि इतने व्यापक स्तर पर अवैध कटाई होने की जानकारी उन्हें  भी नहीं  थी। ऊपर से खबर आने पर जब जंगल का जायजा लिया गया तो वन अधिकारियों के होश उड़ गए। मिली जानकारी के अनुसार किसी अज्ञात व्यक्ति ने मोबाइल फोन पर सीसीएफ छतरपुर को वन कटाई की घटना से अवगत कराया था। इससे सवाल यह उठता है  कि आखिर पन्ना में बैठे वन महकमे के आला अफसरों को उस व्यक्ति ने जानकारी क्यों नहीं  दी ? क्या उसे यहां  के अधिकारियों पर भरोसा नहीं  था, या अन्य कोई वजह है , जो भी हो  लेकिन इतना तय है  कि उत्तर वन मण्डल की स्थिति ठीक नहीं  है । जंगल की सुरक्षा में तैनात अमला अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं  कर रहा  और जिम्मेदार अधिकारी भी बेपरवाह हैं ।

बफरजोन का जंगल भी सुरक्षित नहीं 





विश्रामगंज वन परिक्षेत्र के जिस इलाके में बेतहाशा कटाई हुई  है , उसी से लगा पन्ना टाईगर रिजर्व का बफरजोन भी है । बफरजोन के इस जंगल में कितने सागौन वृक्ष कटे हैं , अभी इसकी पुष्टि नहीं  हो  पाई है , लेकिन निकट ही  दहलान चौकी का जंगल जो बफरजोन में है  वहां  बड़ी संख्या में सागौन वृक्षों की कटाई हुई है । इस संबंध में पूछे जाने पर पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक विवेक जैन ने बताया कि दहलान चौकी वन क्षेत्र में कटाई होने की जानकारी मिलते ही  त्वरित कार्यवाही  की गई है  तथा इस मामले में दो बीट गार्डों को निलंबित भी किया गया है । श्री जैन ने बताया कि विश्रामगंज बफरजोन में कटाई होने का अभी तक कोई भी तथ्य प्रकाश में नहीं  आया फिर भी वन क्षेत्र में चौकसी बढ़ाई गई है ।

अवैध कटाई से बाघों को भी खतरा


 सागौन का ठूंठ व कटी पड़ी बोगी।

जंगल में मानवीय हस्तक्षेप बढऩे तथा बड़े पैमाने पर हो  रही  अवैध कटाई से वन्य प्राणियों विशेषकर बाघों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो  गया है । मालुम हो  कि बाघ पुनस्र्थापना योजना के बाद पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर एरिया में बाघों का कुनबा बढ़ा है । यहां  जन्मे कई बाघ बड़े होकर इलाके की तलाश में कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर व सामान्य वन क्षेत्र में विचरण कर रहे  हैं । यहां  पर विचरण कर रहे  बाघों को कोर क्षेत्र जैसी सुरक्षा नहीं  मिल रही , ऐसी स्थिति में जहां  वन माफियाओं की हुकूमत चलती है  वहां  के जंगल में बाघों की मौजूदगी होने पर वे कितने सुरक्षित रहेंगे, यह एक अहम सवाल है  जिस पर जिम्मेदार आला वन अधिकारियों को गौर करना होगा। अभी हाल ही  में उत्तर वन मण्डल के जंगल में एक तेंदुए की संदिग्ध मौत हुई है , इसके अलावा शिकार की घटनायें भी बढ़ी हैं । जिसे देखते हुए  पन्ना के बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समय रहते जरूरी कदम उठाये जाने चाहिए ताकि कोर एरिया के बाहर विचरण कर रहे  बाघ सलामत रहें ।
0000000