Wednesday, November 6, 2019

आखिर कोई भी डॉक्टर सीताफल खाने की सलाह क्यों नहीं देता ?


जिसे मै अब तक सीताफल समझता रहा हूँ वह दरअसल शरीफा है! चूंकि शराफत अनमोल होती है! खरीदी या बेची नही जा सकती! ऐसे मे आपकी और दुकानदार की सहूलियत के लिये इसे सीताफल नाम दिया गया! हाँलाकि अब इस नामकरण का कोई मतलब रह नही गया है, शरीफ आजकल गली गली बिकते फिरते हैं और सीताफलो से सस्ते हैं!
एक जानकार के हिसाब से तो सीताफल पूरी दवाई की दुकान है! इसमे पोटेशियम, मैग्नेशियम, आयरन ,कॉपर, फाईबर, कैल्शियम और पता नही क्या क्या होता है ! इसको खाने का मतलब यह है कि आपको कभी डॉक्टर, वैद्य की शकल नही देखनी पडेगी! इस बेशकीमती जानकारी से ही मै जान पाया कि दुनिया का कोई भी डॉक्टर सीताफल खाने की सलाह देने से क्यों बचता है!
ये भी पता चला कि सीताफल को सीताफल इसलिये कहते है क्योकि उसे बंदर नही खाते ! मुझे लगता है इस बात मे दम तो है ! मैने भी कभी बंदरो को सीताफल खाते नही देखा ! सच्ची बात तो यह है कि जो सीताफल नही खाते वो बंदर ही होते है ! झाबुआ ,अलीराजपुर ,धार वालो ने तो अपने यहाँ पैदा होने वाले सीताफलो के सबसे अच्छे होने का दावा तो ठोका ही बैतूल ,नरसिंहगढ ,मांडवगढ ,चित्तोढगढ ,चंदेरी ,सिवनी छपारा ,सारंगपुर ,नागपुर भी पीछे नही रहे ! सबका यही ख्याल है कि उनके यहाँ वाले सीताफल सबसे मीठे है ! पर मै इन सभी महानुभावो के दावे की कदर तभी कर सकूंगा जब ये अपने यहाँ के सीताफल मुझे भिजवाने की व्यवस्था करे !
और फिर यह भी पता चला कि रामफल और सीताफल के अलावा हनुमानफल भी होता है ! और उसे हनुमान जी का नाम मिला भी इसलिये है क्योंकि वो अपने खानदान का सबसे बड़ा और हष्ट पुष्ट फल है !
सीताफल खाने के तरीके बाबत भी मेरी जानकारी मे इजाफा हुआ ! इसके बीजो का इधर उधर फैलना वाकई बडी दिक्कत थी ! ये बीज आपकी पत्नी को आप पर तनने का मौका मुहैया कराते है ऐसे मे सीताफल खाते वक्त अखबार बिछा लेने ता आईडिया बहुत अच्छा है ! आजकल के अखबारो का इससे अच्छा और क्या इस्तेमाल हो सकता है ! आदमी को करना यह चाहिये कि सीताफल को शराफत से दो हिस्सों में तोड़े ! ये दोनों हिस्से छोटे बड़े हो भी जाये तो कोई नुकसान है नही ! इसके बाद इस तरह मिली दो कटोरियों में मौजूद अमृत लिपटे बीजों को चम्मच की मदद से पूरे इत्मीनान से ,किश्तों में अपने मुँह के हवाले करे !
ये भी जानकारी हासिल हुई मुझे कि सीताफल के बीजो पर लिपटा गूदा उतारने मे जीभ यदि चूक जाये ! और आप गूदा लिपटा बीज थूक बैठे तो दुनिया मे इससे बडा और कोई दुख नही ! साथ बैठे लोग आपको ऐसे देखते है जैसे आपने गाय मार दी हो इसलिये सीताफल खाने के पहले अपनी जीभ को समझा देना बहुत जरूरी होता है !
सीताफल खाते वक्त एक जो दूसरी परेशानी सर पर आ खड़ी होती है कि इसे अकेले खायें या दोस्तों और घरवालों के साथ बाँट लें ! दिमाग अकेले ही खा जाने की सलाह देता है और दिल मिल बाँटने की बात करता है ! अकेले इसे इत्मीनान से खा सकते हैं आप और मंडली में इसे खाते वक्त हड़बड़ी पेश आ सकती है ! पर मेरा यह मानना है कि सीताफल अकेले खाने की चीज नही इसलिये जब भी इसकी टोकरी हाथ लगे यार दोस्तों को न्यौता दे ही देना चाहिये !
ये भी एक उपयोगी जानकारी ये मिली की इस मीठे फल को खाते वक्त इसके बीज थूकना इसलिये भी जरूरी है ताकि ये पेट मे ना चले जायें ! इन बीजो के पेट मे जाने पर पेट मे सीताफल का पेड ऊगने का खतरा हो सकता है ! यह भी कि सीताफल खाने के फौरन बाद पानी नही पीना चाहिये ! ऐसा करने पर पानी नाक के नल से बाहर आने की कोशिश करता है ! यह भी पता चला कि सीताफल खाने के बाद इसके काले काले बीजो को फैंकना नही चाहिये ! इन्हे पीस कर इनका पेस्ट बनाकर सर पर लगा लेने से जुँओ की समस्या से छुटकारा मिल जाता है ! चूकिं मेरे सर मे गिनती के ही  बाल मौजूद है ! बालो में जुयें होने के अब तक कोई सबूत मुझे मिले नही है ,इसलिये सीताफल के बीज मेरे किसी काम के नही ! जिन्हे इनकी जरूरत हो वो मुझसे संपर्क कर सकता है !
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2 comments:

  1. बहुत ही आनंददायक कहानी और जानकारी है।
    क्या बात है, मजा आ गया

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