Tuesday, November 5, 2019

त्रासदी, पुनर्स्थापना और साकार हुये सपने का जश्न

  •   पन्ना बाघ पुनर्स्थापना के 10 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुआ समारोह
  •   यहां मिली कामयाबी की गौरव गाथा का वक्ताओं ने रोचक ढंग से किया बखान
  •   सफलता के नायक रहे श्री मूर्ति सहित तत्कालीन वन अधिकारी भी हुये शामिल
  •   बुन्देलखण्ड का गौरव बन चुके पन्ना के बाघों को सहेजना अब सबका दायित्व


समारोह को संबोधित करते हुये आर.श्रीनिवास मूर्ति ।

अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की वापसी किसी तिलस्म से कम नहीं है। एक दशक पूर्व बाघों से आबाद रहने वाला यह खूबसूरत वन क्षेत्र बाघ विहीन हो गया था। उस समय भी राष्ट्रीय स्तर पन्ना की चर्चा थी, लेकिन वह बाघों के पूर्णरूपेण सफाया होने से उपजी त्रासदी को लेकर थी। लेकिन एक दशक बाद अब चर्चा सफलता और कामयाबी की हो रही है। त्रासदी और पुनर्स्थापना के बाद साकार हुये सपने का अब उत्सव मनाया जा रहा है। मंगलवार 5 नवम्बर को पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगल कॉटेज परिसर हिनौता में भव्य समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें बाघ पुनर्स्थापना योजना के नायक रहे तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति व विक्रम सिंह परिहार सहित अनेकों लोग शामिल हुये, जिनका बाघों को फिर से आबाद कराने में योगदान रहा है। इस अनूठे समारोह में सभी वक्ताओं ने बड़े ही रोचक अंदाज में पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना के अपने अनुभवों को साझा किया और यह आगाह भी किया कि पन्ना के बाघ समूचे बुन्देलखण्ड ही नहीं अपितु म.प्र. के गौरव बन चुके हैं, इसलिये अब इस सम्पदा की सुरक्षा तथा इन्हें सहेजकर रखने का दायित्व हम सबका है।
समारोह का शुभारंभ पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया सहित मंचासीन अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। इस मौके पर मौजूद रहे तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि आज का यह त्यौहार पन्ना की जनता का है। इस मुकाम तक पहुँचने में जनता की सहभागिता को अनदेखा नहीं किया जा सकता। जनसमर्थन से ही पन्ना में वह कमाल हुआ है जो आज तक दुनिया में कहीं नहीं हुआ। इसीलिये हमने जन समर्थन से बाघ संरक्षण का नारा दिया था, जिसे हमेशा याद रखना होगा। श्री मूर्ति ने 10 वर्ष पूर्व की स्थितियों का जिक्र करते हुये बताया कि उस समय हर तरफ आलोचना हो रही थी, लोग पन्ना टाईगर रिजर्व के विरोध में थे तथा बाघों का सफाया होने के बाद लोगों का आक्रोश उफान पर था। लेकिन इस विपरीत हालातों में भी हमने प्रयास जारी रखा, फलस्वरूप जहां बन्दूकें चलती थीं वहां अब प्रेम बरस रहा है।

आयोजित समारोह में उपस्थित अधिकारी, कर्मचारी, नागरिक व ग्रामीणजन।

श्री मूर्ति ने बताया कि 5 नवम्बर 2009 को लोगों ने यह प्रण किया था कि बाघों के खात्मे से बुन्देलखण्ड की नाक कट गई है, लेकिन अब हम बाघों को आबाद करेंगे ओर नाक नहीं कटने देंगे। आपने उन सभी जनप्रतिनिधियों व गणमान्य जनों का जिक्र किया, जिनका बाघ पुनर्स्थापना योजना में योगदान रहा है। जो लोग अब हमारे बीच नहीं हैं उनको भी पूरे सम्मान के साथ श्री मूर्ति ने याद किया और कहा कि अशोक वीर विक्रम सिंह भैया राजा, अमर सिंह, जितेन्द्र सिंह बुन्देला, बृजेन्द्र सिंह बुन्देला, कामता प्रसाद व लखन नागर आज दुर्भाग्य से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। आपने पन्ना नामक हांथी व उन बाघ और बाघिनों को भी याद किया जिनकी मौत हो चुकी है। समारोह में जिन जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी नहीं रही उनके योगदान व सहभागिता को भी श्री मूर्ति ने सराहा और उनकी चर्चा की। आपने उस नर बाघ की रोचक दास्तान भी सुनाई, जिसकी मौजूदगी से पन्ना का गौरव फिर वापस मिला। श्री मूर्ति ने बताया कि बाघ टी-3 को यदि हम पन्ना वापस लाने में कामयाब न होते तो पन्ना कभी आबाद न हो पाता। आपने कहा कि टीम वर्क से ही सफलता मिलती है, पन्ना में टीम पहले है लीडर बाद में है।

श्री भदौरिया ने प्रजेन्टेशन देकर बताई सफलता की कहानी

क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने प्रोजेक्टर के माध्मय से प्रजेन्टेशन देकर बाघों के आबाद होने की पूरी कहानी को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। आपने पन्ना टाईगर रिजर्व के बनने से लेकर अब तक के इतिहास से भी लोगों को अवगत कराया और बताया कि मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में आधा सैकड़ा से भी अधिक बाघ हैं। पन्ना के बाघ अब कोर क्षेत्र से निकलकर बाहर भी जा रहे हैं जिसे देखते हुये बफर क्षेत्र के जंगल की सुरक्षा व्यवस्था व मॉनीटरिंग सिस्टम सुदृढ़ की जा रही है। श्री भदौरिया ने बताया कि पन्ना टाईगर रिजर्व में 142 पेट्रोलिंग कैम्प व 47 निगरानी कैम्प बनाये गये हैं। कैमरा ट्रेप व ड्रोन से भी बाघों व वन्य जीवों की निगरानी की जाती है तथा बफर क्षेत्र के ग्रामों में लोगों को संरक्षण से जोड़ा जा रहा है।

स्मृति चिह्न प्रदान कर योगदान देने वालों का किया गया सम्मान।

जो दुनिया में नहीं हुआ वह पन्ना ने कर दिखाया: लोकेन्द्र सिंह

पूर्व सांसद व पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के संस्थापक लोकेन्द्र सिंह ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि मैं दुबारा यहां बाघ देख रहा हूँ। जो कार्य दुनिया में कहीं नहीं हुआ वह पन्ना ने कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि इस बात पर रिसर्च होना चाहिये कि पन्ना में कम समय में इतने बाघ कैसे बढ़ गये। समारोह को राजनगर विधायक विक्रम सिंह नाती राजा ने संबोधित करते हुये कहा कि म.प्र. का गौरव म.प्र. को वापस दिलाने में पन्ना टाईगर रिजर्व का सबसे अहम योगदान रहा है। आपने वन अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुये कहा कि जिन्हें विस्थापित किया गया है उन्हें मूलभूत सुविधायें मिलें इस पर ध्यान देना चाहिये। कार्यक्रम को श्यामेन्द्र सिंह बिन्नी राजा ने भी संबोधित किया।

समस्या नहीं समाधान बने पन्ना टाईगर रिजर्व: बृजेन्द्र प्रताप सिंह

समारोह को संबोधित करते हुये पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि पन्ना टाईगर रिजर्व पन्ना की पहचान बन चुका है। लेकिन हमें यह ध्यान देना चाहिये कि टाईगर रिजर्व पन्नावासियों के लिये समस्या नहीं अपितु समाधान बने। आपने कहा कि लम्बे समय तक पन्ना के बाघों को सुरक्षित व संरक्षित रखने के लिये समन्वय और संवाद दोनों जरूरी है। वन विभाग का लोगों में खौफ नहीं होना चाहिये। बफर क्षेत्र के लोग मूलभूत सुविधओं से वंचित न रहें। पन्ना विधायक ने यह भी कहा कि पर्यटन विकास से ही यहां के लोग आगे बढ़ सकते हैं। समारोह को पेंच टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक विक्रम सिंह परिहार, पूर्व क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व रविकान्त मिश्रा, आर.पी. राय सीसीएफ  छतरपुर, अनुपम सहाय वन मण्डलाधिकारी ने भी संबोधित किया और महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये।समारोह में राजमाता दिलहर कुमारी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।  इस मौके पर वन अधिकारियों, कर्मचारियों व संरक्षण कार्य में सहभागिता निभाने वाले लोगों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन मीना मिश्रा ने किया।

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