- वन्यजीव का शिकार कर चुके अजगर को बकरी चरा रहे बच्चों ने देखा
- टाईगर रिजर्व के कर्मचारियों ने रेस्क्यू कर कौआसेहा में सुरक्षित छोड़ा
अरुण सिंह, पन्ना। बाघों के लिये प्रसिद्ध पन्ना जिले के जंगलों में वनराज सहित जंगल का राजकुमार कहे जाने वाले तेन्दुओं की जहां भरमार है, वहीं यहां पर विविध प्रकार के मांसाहारी व शाकाहारी वन्य जीव प्रचुर संख्या में पाये जाते हैं। पन्ना के घने जंगलों में रंग-बिरंगे पक्षियों की भी दो सौ से भी अधिक प्रजातियां देखने को मिलती हैं। इतना ही नहीं, यहां पर सर्पों का भी भरा-पूरा और समृद्ध संसार है। बेहद जहरीले कहे जाने वाले किंग कोबरा व रसेल बाइपर सहित भारी भरकम अजगर भी पन्ना के जंगलों में अक्सर नजर आते हैं । गत 3 नवम्बर रविवार को पन्ना शहर से लगे मांझा गाँव के पास फारेस्ट बैरियर के थोड़ा सा आगे एक भारी भरकम अजगर साँप देखा गया, जिसे पन्ना टाईगर रिजर्व के तफ्शील खान व संजय विश्वकर्मा ने सावधानी के साथ पकड़कर कौआसेहा के जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया है।
उल्लेखनीय है कि फारेस्ट बैरियर के आगे जंगल में बकरियां चरा रहे गाँव के बच्चों ने इस विशालकाय अजगर को जब देखा तो घबराकर वहां से भागे और गाँव में लोगों को बताया। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। जानकारी मिलने पर पन्ना टाईगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर जरांडे ईश्वर रामहरि ने सर्प पकडऩे में माहिर पन्ना टाईगर रिजर्व के रेस्क्यू दल के सदस्य तफ्शील खान व संजय विश्वकर्मा को मौके पर भेजा। संजय विश्वकर्मा ने बताया कि अजगर झाडिय़ों के बीच आराम से पड़ा हुआथा। उसका मध्य भाग काफी फूला था, जिससे साफ पता चल रहा था कि इसने किसी वन्य जीव का शिकार किया है। पन्ना टाईगर रिजर्व के इन दोनों कर्मचारियों ने बड़ी कुशलता के साथ तकरीबन 7 फिट लम्बे व 35-40 किग्रा वजन वाले इस अजगर को पकड़कर बोरा में कैद कर लिया। फिर इसे मांझा गाँव से दूर कौआसेहा के निकट जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया। श्री विश्वकर्मा ने बताया कि लम्बे समय तक बोरा में रहने के कारण जैसे ही उसे जंगल में छोड़ा गया, वह स्वभाव के विपरीत बेहद फुर्ती के साथ बोरा से निकला और जंगल में चला गया। अजगर पकड़े जाने के बाद मांझा गाँव के लोगों ने राहत की साँस ली है।
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दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर |
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