कर्णावती व्याख्या केन्द्र मड़ला में बाघ के जन्म दिन पर केक काटकर ख़ुशी मनाते पीटीआर के अधिकारी व कर्मचारी। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। पूरी दुनिया में जंगली बाघ का जन्म दिवस मनाने की अनूठी परंपरा मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व में शुरू की गई थी। इस परंपरा का श्रीगणेश तब हुआ जब पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत बांधवगढ़ की बाघिन टी-1 ने पन्ना आकर 16 अप्रैल 2010 को यहाँ अपनी पहली संतान को जन्म दिया। तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने इस दिन को अविस्मरणीय बनाने के लिए बाघ का जन्म दिन मानाने की परंपरा शुरू की थी, जो हर साल 16 अप्रैल को धूमधाम के साथ मनाई जाती रही है।
उल्लेखनीय है कि 16 अप्रैल 2010 को पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना को चमत्कारिक कामयाबी मिलने के साथ ही यहाँ पर बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ने लगा तथा पन्ना के बाघ आसपास के वनक्षेत्रों में भी विचरण करने लगे। लेकिन देश और दुनिया में कोरोना संकट के कारण एक दशक से चली आ रही इस अनूठी परंपरा पर विराम सा लग गया था। जिससे वन्य जीव प्रेमी व पन्ना के लोग निराशा का अनुभव करने लगे, क्योंकि बाघ का जन्म दिन मनाने के पीछे यह सोच भी रही है कि आम जनमानस में वन्यजीवों के प्रति प्रेम व संरक्षण की भावना प्रगाढ़ हो। यह ख़ुशी की बात है कि कुछ समय के विराम के बाद बाघ का जन्म दिन मनाने की परंपरा छोटे रूप में ही सही फिर शुरू हुई है, जो निश्चित ही सराहनीय है।
परम्परानुसार 16 अप्रैल मंगलवार को पन्ना में जन्मे प्रथम बाघ शावक का जन्म दिन कर्णावती व्याख्या केन्द्र मड़ला में बकायदे केक काटकर मनाया गया और कामयाबी की गौरवपूर्ण स्मृतियों फिर से तरोताजा किया गया। वन्यजीव प्रेमियों व पर्यावरण से जुड़े लोगों का भी यह मानना है कि सिर्फ सरकारी प्रयासों से न तो जंगल की सुरक्षा हो सकती है और न ही वन्य प्राणियों का संरक्षण किया जा सकता है। इसके लिए जनता की भागीदारी बेहद जरूरी है। ऐसी परम्पराओं व गतिविधियों से जन समर्थन से बाघ संरक्षण के नारे को प्रोत्साहन मिलता है। यही नारा पन्ना की चमत्कारिक सफलता का मूल मन्त्र रहा है।
बाघ पुनर्स्थापना योजना व यहाँ जन्मे पहले बाघ के जन्म दिन की 14वीं वर्षगांठ मनाये जाने की जानकारी मिलने पर आर.श्रीनिवास मूर्ति ने प्रशन्नता प्रकट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होने कहा वाह शानदार, अच्छी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए पन्ना टाइगर रिज़र्व की क्षेत्र संचालक श्रीमती अंजना तिर्की को धन्यवाद। श्री मूर्ति ने आगे कहा कि यह दुनिया का इकलौता टाइगर रिज़र्व है, जहाँ जंगली बाघ का जन्मदिन मनाये जाने की परंपरा है। आइये, पन्ना के लोगों सहित समूचे बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड व विस्तृत भू-भाग के लोगों में बाघों के प्रति प्रेम और स्वामित्व की भावना को कायम रखने के लिए इस अनूठी परंपरा को जारी रखने का संकल्प लें। जय पन्ना - जय हिन्द !
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