- जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा में तैनात रहने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथियों का कुनबा इन दिनों छुट्टियां मना रहा है। बीते 1 अक्टूबर से यहां के हाथी न सिर्फ मौज-मस्ती कर रहे हैं अपितु विशेष स्वादिष्ट पकवानों का भी भरपूर लुत्फ़ उठा रहे हैं। हाथियों के इस कायाकल्प शिविर में उनके स्वास्थ्य का भी परीक्षण हो रहा है।
पन्ना टाइगर रिजर्व में कायाकल्प शिविर के शुभारंभ अवसर पर मौजूद वन अधिकारी व हांथी महावत। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। बिना छुट्टी लगातार काम करने का तनाव हर किसी को होता है, जानवर भी इससे अछूते नहीं हैं। इस तनाव को दूर करने के लिए कुछ दिन का अवकाश जरूरी होता है ताकि घूमना-फिरना व मौज- मस्ती कर तनाव मुक्त हुआ जा सके। ऐसा ही कुछ इन दिनों मध्यप्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथी कर रहे हैं। पर्यटन सीजन शुरू होने के साथ ही 1 अक्टूबर से यहां के सभी हाथी पूरे 7 दिनों की छुट्टी पर हैं। इन 7 दिनों के दौरान हाथी कोई भी काम नहीं करेंगे, वे आपस में मेल-मिलाप कर स्वादिष्ट पकवानों का लुत्फ उठाते हुए मौज-मस्ती करेंगे, जिसमें उनके महावत व चारा कटर भी शामिल रहेंगे।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पर्यटन सीजन शुरू होने के साथ ही प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व जहां पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुल गए हैं, वहीं 1 अक्टूबर से हमने पन्ना में हाथियों का रेजुविनेशन कैंप ( Elephant Rejuvenation Camp ) भी शुरू किया है। हमारे यहां 15 हाथियों का कुनबा है, इन सभी का एक हफ्ते विशेष रूप से ख्याल रखा जाएगा। इस हफ्ते उनसे किसी भी प्रकार का कार्य नहीं लिया जाएगा। सभी हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण होगा तथा उन्हें उनकी रुचि का भोजन व विशेष पकवान भी खाने को दिए जाएंगे। हाथियों के साथ महावत और चारा कटर जो उनसे जुड़े हुए हैं उनका भी स्वास्थ्य परीक्षण होगा तथा खेल-कूद और मनोरंजन की गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता हाथी कैंप में शुक्रवार 1 अक्टूबर से हाथी कायाकल्प शिविर का शुभारंभ क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा द्वारा हाथियों के माथे पर हल्दी चावल का टीका लगाकर विधिवत पूजा उपरांत किया गया। सभी हाथियों को उनके स्वादिष्ट भोजन के रूप में उन्हें गन्ना, ड्राई फ्रूट व गुड़ के लड्डू, सेव फल, अनानास, केला व दलिया के लड्डू खिलाए गए। इस मौके पर क्षेत्र संचालक के अलावा उप संचालक विजयानाथम टी.आर., सहायक संचालक डॉ. आर.के. गुरुदेव, वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता समस्त परिक्षेत्र अधिकारी व महावत और चारा कटर मौजूद रहे। महावतों के उत्थान हेतु शुक्रवार 1 अक्टूबर को सोनू परते, पंचू केवट, पवन परते व राजू गोंड़ को श्रमिक से स्थाई वनकर्मी बनाया गया।
हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण करते वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता । |
वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि पूर्व के शुरुआती दिनों में यहां केवल तीन हथिनी (वत्सला, रूपकली व अनारकली) थीं। वर्ष 2002 सितंबर के महीने में नर हाथी रामबहादुर, हथनी गंगावती व 3 माह की मोहनकली को पन्ना टाइगर रिजर्व में लाया गया था। मोहनकली ने यहां 3 बच्चों को जन्म दिया है जबकि रूपकली यहां 6 बच्चों को जन्म दे चुकी है। खुशी जाहिर करते हुए आपने बताया कि इनमें से कई बच्चे वयस्क होकर वन्य प्राणी संरक्षण के कार्य में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
डॉ गुप्ता आगे बताते हैं कि पूरे वर्ष पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथी वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा, मानसूनी गस्त, वन्य प्राणियों के उपचार, टाइगर ट्रेंकुलाइज ऑपरेशन जैसे कार्यों में संलग्न होते हैं। चूंकि पन्ना टाइगर रिजर्व तकरीबन 1500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, जहां हाथियों के छोटे-छोटे समूह बनाकर आवश्यकतानुसार अलग-अलग कैंप बनाए जाते हैं। ताकि हाथियों की उपस्थिति लगभग पूरे टाईगर रिजर्व में हो सके। इससे सभी हाथी पूरे वर्ष एक दूसरे से नहीं मिल पाते तथा हाथी महावतों की भी आपस में मुलाकात नहीं हो पाती। कायाकल्प शिविर के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी हाथी एवं महावत व चारा कटर एक स्थान पर रहकर 7 दिनों तक बिना कार्य के तनावमुक्त रहें। हाथी एवं हाथी महावतों को अच्छा भोजन, उनका स्वास्थ्य परीक्षण तथा खेल गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है ताकि वे शारीरिक व मानसिक रूप से फिट हो सके।
कैंप में सौ वर्ष की वत्सला व एक वर्ष की कर्णावती भी शामिल
बुजुर्ग हथिनी वत्सला के साथ इंजी. गरिमा सिंह। |
सौ वर्ष की उम्र पूरी कर चुकी दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी कहीं जाने वाली पन्ना टाइगर रिजर्व की वत्सला सहित हथिनी रूपकली का मादा शिशु एक वर्ष की "कर्णावती" इस कायाकल्प शिविर की शोभा बढ़ा रही हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर व पहचान बन चुकी हथिनी वत्सला जहां पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी बनी हुई है, वहीं एक वर्षीय कर्णावती अपने नटखट क्रियाकलापों से सबको लुभा रही है। इस नटखट मादा शिशु का नाम "कर्णावती" प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने रखा था। पर्यटक इन हाथियों को जहां अपने हाथों से स्वादिष्ट पकवान खिलाते हैं वही वत्सला के साथ अपनी यादगार फोटो भी खिंचा रहे हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व के अनुभवी महावत रमजान खान (60 वर्ष) ने बताया कि हाथी बहुत ही बुद्धिमान सामाजिक प्राणी है। उसकी स्मरण शक्ती बहुत ही तेज होती है। एक बार जिससे मिल लिया व जिस मार्ग से गुजरा उसे वह नहीं भूलता। साल में सिर्फ एक मर्तबा जब कायाकल्प शिविर आयोजित होता है तो हाथी कई किलोमीटर दूर से आ रहे अपने साथी का एहसास कर उसका इंतजार करते हैं। जब हाथी आपस में मिलते हैं तो विशेष आवाज निकालकर (चिग्घाड़ कर) खुशी का इजहार करते हैं।
हाथी महावत सोनू परते की पूरी हुई प्रतिज्ञा
महावत सोनू परते जिसे श्रमिक से स्थाई वनकर्मी बनाया गया, पूरी हुई प्रतिज्ञा। |
हाथियों के महावतों की जिंदगी चुनौतियों और खतरों से भरी होती है। जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले इन महावतों व चारा कटर में से कई स्थाई वनकर्मी तक नहीं हैं। वे सुरक्षा श्रमिक के रूप में अपनी सेवाएं देते हैं। इन्हीं में से एक महावत सोनू परते 46 वर्ष हैं। वर्ष 2011 से सोनू परते गणेश हाथी में महावत के रूप में कार्यरत हैं। इस जंगली हाथी को जो रास्ता भटक कर पन्ना जिले में आ गया था, उसे जनवार गांव के पास महावत परते ने ही पकड़ा था। फिर इस हाथी को प्रशिक्षण देकर बाघ अनुश्रवण (निगरानी) के लायक बनाया। वर्ष 2015 में महावत सोनू परते ने यह संकल्प लिया था कि जब तक वह परमानेंट वनकर्मी नहीं बन जाता, तब तक जूता-चप्पल नहीं पहनेगा। पूरे 6 वर्षों तक जंगल में हाथियों के साथ नंगे पांव अपने दायित्वों का निर्वहन करने वाले सोनू परते का संकल्प 1 अक्टूबर को तब पूरा हो गया जब क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने उसे स्थाई वन कर्मी बनाये जाने का आदेश प्रदान किया। सोनू परते के साथ पंचू केवट, पवन परते एवं राजू गोंड़ को भी श्रमिक से स्थाई वनकर्मी बनाया गया है। शुक्रवार को सोनू परते की प्रतिज्ञा पूरी होने पर क्षेत्र संचालक से लेकर सभी वन कर्मियों ने प्रसन्नता व्यक्त की। प्रतिज्ञा पूरी होने के साथ ही महावत सोनू परते जो बीते 6 साल से नंगे पैर रहा है अब जूते पहनेगा।
पर्यटन विलेज मड़ला की लौटी रौनक
प्रदेश के अन्य सभी टाइगर रिजर्व की तरह पन्ना टाइगर रिजर्व भी पर्यटकों के भ्रमण हेतु 1 अक्टूबर से खुल गया है। पहले दिन यहां 32 जिप्सियों में डेढ़ सौ से भी ज्यादा पर्यटक पहुंचे और उन्हें वनराज के भी दर्शन हुए। पर्यटक गाइड पुनीत शर्मा ने बताया कि क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने 1 अक्टूबर को विधिवत फीता काटकर पर्यटन सीजन का शुभारंभ किया। जिप्सियों को सैनिटाइज करने के लिए यहां विशेष व्यवस्था की गई है। श्री शर्मा बताते हैं कि सुबह जैसे ही पर्यटक भौंरा देव के पास पहुंचे, वहां उन्हें बाघिन पी- 151 अपने दो शावकों के साथ दिखी। जबकि शाम को हिनौता रेंज में पर्यटकों ने बाघिन पी-141 के दर्शन किए। पर्यटक गाइड श्री शर्मा के मुताबिक शुभारंभ अवसर पर यहां पहुंचे सभी पर्यटकों का पुष्पगुच्छ से आत्मीय स्वागत किया गया। टाइगर रिज़र्व में पर्यटन शुरू होने से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग प्रशन्न हैं। पन्ना जिले के पर्यटन विलेज मड़ला स्थित रिसॉर्ट व होटलों की रौनक पर्यटकों के आने से लौट आई है।
00000
No comments:
Post a Comment