Thursday, October 21, 2021

शरद पूर्णिमा महोत्सव में शामिल होना सौभाग्य का विषय : मुख्यमंत्री

  • मुख्यमंत्री ने धार्मिक यात्रा की शुरुआत शहर के सुप्रसिद्ध श्री जगदीश स्वामी मंदिर से की
  • सपत्नीक पहुंचे मुख्यमंत्री के साथ मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह व सांसद व्ही.डी. शर्मा भी रहे 

शरद पूर्णिमा महोत्सव में सपत्नीक शामिल मुख्यमंत्री साथ में प्रणामी संप्रदाय के धर्मगुरु दिनेश एम पंडित।

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुद्धवार को देर रात पन्ना पहुंचकर यहाँ आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव में शामिल हुए और महारास में भागीदारी की। मुख्यमंत्री मंदिरों के शहर पन्ना में धार्मिक यात्रा की शुरुआत शहर के श्री जगदीश स्वामी मंदिर से की। तदुपरांत मुख्यमंत्री श्री बल्देव जी मंदिर, श्री रामजानकी मंदिर तथा श्री जुगल किशोर जी मंदिर जाकर माथा टेका और प्रदेश की खुशहाली हेतु प्रार्थना की। मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रणामी धर्मावलम्बियों की आस्था के केंद्र महामति श्री प्राणनाथ जी मंदिर पहुंचे। यहाँ उन्होंने कहा कि आज शरद महोत्सव में पन्ना आकर इस तीर्थ स्थल के दर्शन और एक आध्यात्मिक संत के जीवन और उनके कार्यों को जानने का अवसर मिला है। यह मेरे लिये सौभाग्य का विषय है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्राणनाथ प्यारे की जय के उद्धघोष के साथ संबोधन प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण दुनिया एक परिवार है, प्राणनाथ जी की हम सभी पर कृपा है। कहा भी गया है सियाराम में सब जग जानी। इस भावना के अनुसार हम सभी प्राणनाथ प्यारे के प्रिय हैं। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के अलावा खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, सांसद व्ही.डी. शर्मा, जन-प्रतिनिधि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्राणनाथ जी गुजरात से मध्यप्रदेश आए। उनके आगमन से यह धरा पावन हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी प्रार्थना है कि सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया। सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों और सभी का कल्याण हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल का भी मार्गदर्शन किया। सत्रहवीं सदी में उन्हें पराक्रम के लिये प्रोत्साहित किया। छत्रसाल जी के लिये कहावत है- ''छत्ता तेरे राज में, धक-धक धरती होय, जित-जित घोड़ा मुख करे, तित-तित फत्ते होय"। 

शरद पूर्णिमा महोत्सव में भक्ति भाव के साथ गरबा नृत्य करती महिलाएं। 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पन्ना प्रणामी पंथ का पवित्र धाम है। यहाँ श्री गुम्बट जी मंदिर के प्रांगण को ब्रह्र चबूतरा (रास मण्डल) कहा जाता है। यही श्री प्राणनाथ जी ने परम स्नेही सुन्दरसाथ को श्री राज जी-श्यामा जी की अलौकिक अखण्ड रासलीला, जागिनी रास का दर्शन करवाया था। इसलिये इसे जागिनी लीला भी कहा जाता है। तबसे अंतर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव प्रतिवर्ष होता है। निजानंद संप्रदाय में प्रेम की बड़ी महिमा है, यहाँ प्रेम ही सब कुछ है। शरद पूर्णिमा में श्री कृष्ण ने प्रेम को ही प्रतिष्ठा प्रदान की। पाँच दिवसीय शरद पूर्णिमा महोत्सव भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है। 

खनिज मंत्री श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने शरद पूर्णिमा के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री चौहान के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त की। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि पहली बार कोई मुख्यमंत्री परिवार सहित इस पावन नगरी में पधारे हैं। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि प्राणनाथ महाराज छत्रसाल के आध्यात्मिक गुरू थे। श्री सिंह ने छत्रसाल जयंती पर संस्कृति विभाग द्वारा कार्यक्रम का सुझाव भी दिया। सांसद व्ही. डी शर्मा ने कहा कि प्राणनाथ जी के मंदिर में शरद महोत्सव में हिस्सा लेना सौभाग्य का क्षण हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ पन्ना आकर स्थानीय नागरिकों को प्रत्यक्ष रूप से शरद महोत्सव की शुभकामनाएँ देने का अवसर मिला है।

भगवान जगदीश स्वामी मंदिर में की प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना 


भगवान की सपत्नीक आरती कर की प्रदेश की खुशहाली की कामना। 

मंदिरों की नगरी और हीरे को लेकर विश्व भर में पहचान बनाने वाले पन्ना नगर का शरदोत्सव इस बार कुछ खास रहा। प्रदेश के कल्याण की कामना के लिए राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पन्ना नगरवासियों के आग्रह पर सपरिवार यहां पहुंचे और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान की धर्मपत्नि श्रीमती साधना सिंह और प्रदेश शासन के खनिज साधन व श्रम मंत्री श्री ब्रृजेन्द्र प्रताप सिंह भी उपस्थित रहे।

नगर के भगवान जगदीश स्वामी मंदिर से मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपनी धार्मिक यात्रा प्रारंभ की। जहां पर उन्होंने सपत्निक भगवान श्री जगदीश स्वामी के दर्शन पूजन किए और प्रदेश के सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। पन्ना शहर का जगदीश स्वामी मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। मंदिर के चारों ओर 26 छोटे-छोटे मंदिर हैं। 

बताया जाता है कि पन्ना के तत्कालीन महाराजा किशोर सिंह भगवान जगदीश स्वामी के अनन्य भक्त थे। जब उन्होंने जगन्नाथ पुरी की यात्रा की तो भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में उन्हें मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया। तब महाराजा, जगदीश स्वामी मंदिर में विराजमान जगदीश स्वामी, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रह को उड़ीसा महाराज से प्राप्त कर चार माह में पैदल चलकर पन्ना लाए थे। संवत 1874 में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। प्रतिमाएं काष्ठ निर्मित हैं। स्वामी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम की मूर्तियां स्थापित हैं। पन्ना की जगदीश स्वामी रथयात्रा पुरी के बाद देश की दूसरी बड़ी रथयात्रा मानी जाती है। 

प्रदेश के निरंतर विकास के लिये भगवान बल्देव से की कामना

धार्मिक यात्रा पर भगवान श्री जुगलकिशोर सरकार की नगरी पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान श्री जगदीश स्वामी मंदिर के दर्शन के बाद भगवान बलदेव जी के मंदिर पहुंचे। इस अनूठे  मंदिर में विराजित भगवान श्री बलदेव की प्रतिमा का मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सपत्निक पूजन अर्चन किया और प्रदेश की खुशहाली की कामना की। 

पन्ना नगर का बलदेव मंदिर देश के विशिष्ट मंदिरों में से है। इसको देखने दूर-दूर से प्रतिवर्ष हजारों यात्री आते हैं। महाराजा रूद्र प्रताप पन्ना राज्य के दसवें नरेश थे। उन्हें स्थापत्य कला में विशेष अभिरूचि थी। उन्होंने ही इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर निर्माण का कार्य संवत 1933 से प्रारंभ होकर संवत 1936 में पूर्ण हुआ था। मंदिर पूर्व एवं पश्चिम की स्थापत्य कला का अपूर्व संगम है। प्रवेश द्वार में सोपान निर्मित है जो प्राचीन शैली के अनुरूप है। स्तंभ निर्माण शैली भी प्राचीनता की द्योतक है तथा मौर्य युगीन स्तंभों की स्मृति ताजा कर देती है।

भगवान श्री कृष्ण की सोलह कलाओं के प्रतीक मंदिर निर्माण में स्पष्ट रूप ये परिलक्षित होते हैं। 16 स्तंभों पर विशाल मंडप, 16 झरोखे 116 गुंबद इनमें से प्रमुख हैं। मंदिर में प्रवेश हेतु 16 सोपान सीढ़ी भी निर्मित है। मंदिर का शिखर स्वर्ण कलश से सुशोभित है। मंदिर के विशाल गर्भग्रह में भगवान श्री बलदेव जी की शालीनतामयी प्रतिमा प्रतिष्ठित है। मंदिर के ऊपर केन्द्रीय गुंबद में कला की समन्वयात्मक शैली परिलक्षित है। सपाट छाप एवं बुंदेली परंपरागत निर्मित है। यह मंदिर राज्य की पुरातात्विक धरोहर में सम्मिलित कर लिया गया है। माना जाता है कि श्री बलदेवजी का मंदिर वृंदावन (दाऊपुरी) के अलावा मात्र पन्ना में ही है।

हीरा के लिए विश्वभर में  प्रसिद्ध पन्ना नगर के मंदिरों में श्री रामजानकी मंदिर प्रमुख मंदिरों में से है। यहाँ पहुंचकर मुख्यमंत्री श्री चौहान परिवार के साथ पूजन अर्चन किया। यह नगर के उत्तरी भाग में अजयगढ़ चौराहे के पास मुख्य सड़क पर स्थित है। मंदिर का निर्माण महाराज लोकपाल सिंह की महारानी सुजान कुँवर द्वारा संवत् 1952 में कराया गया था। इसके गर्भ में भगवान राम, माता सीता एवं लखनलाल जी की विग्रह स्थापित हैं। मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा संवत 1955 में महाराजा यादवेन्द्र सिंह जू देव द्वारा कराई गई थी।

 श्री जुगलकिशोर मंदिर में मुख्यमंत्री ने भक्तों के साथ लगाए जयकारे


मजीरा बजाकर भजन गाते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तथा झांझर बजाते मंत्री व सांसद। 

मंदिरों की नगरी पन्ना की धार्मिक यात्रा के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भगवान जुगलकिशोर के दर्शन को सपरिवार पहुंचे। पूजन अर्चन के साथ ही मुख्यमंत्री श्री चौहान ने भक्तों के साथ भगवान जुगलकिशोर के जयकारे लगाए। उन्होंने मंदिर में सपत्निक भगवान जुगलकिशोर की पूजा अर्चना कर भगवान से प्रदेश के विकास व खुशहाली की कामना की। उन्होंने यहाँ पर पूरे भक्ति भाव के साथ झांझर और मजीरा बजाते हुए भजन भी गाये। इस दौरान प्रदेश शासन के खनिज साधन व श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व खजुराहो सांसद वी.डी. शर्मा भी उपस्थित रहे।

00000 

No comments:

Post a Comment