देशभर की नदियों पर 24 घंटे जल आपूर्ति, सिंचाई, मछलीपालन और कारखानों में पानी को जरूरत की वजह से बहुत अधिक दबाव है। तकरीबन सभी नदी घाटी प्रदूषण के अलावा बड़े बांध के निर्माण और पानी के कुदरती बहाव की कमी से जूझ रही है। इन नदियों के दोहन की योजनाएं तो कई हैं लेकिन नदी बचाने के लिए समुचित जल नियोजन की बात कहीं नजर नहीं आती। जिस वजह से नादियों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे खतरों को समझने वाले पर्यावरणविद भोपाल में एक और दो मार्च को होने वाले नदी घाटी विचार मंच में आकर चर्चा करने वाले हैं।
भोपाल के गांधी भवन में शुक्रवार को कार्यक्रम के बारे में बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि इसमें नर्मदा, गंगा, गोदावरी, यमुना, कृष्णा, पोलावरम, सिंगरी, बारू, रेवा, कावेरी, कोसी, विश्वामित्र, साबरमती, गोसीखुर्द, हलोन सहित तमाम नदी घाटी के विभिन्न पहलुओं पर काम करने वाले लोग आएंगे।
यहां दो दिनों तक देश भर के नदी घाटियों के खतरे और जल नियोजन पर चर्चा की जाएगी और नदियों को बचाने का कोई रास्ता निकाला जाएगा। उन्होंने मध्यप्रदेश के राइट टू वाटर की बात करते हुए कहा कि ये कार्यक्रम अच्छा है लेकिन बेहतर जल नियोजन के साथ ही इसे पर्यावरण के लिहाज से अच्छा बनाया जा सकता है।
उत्तराखंड से आए पर्यावरण कार्यकर्ता विमल भाई ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंत में विशेषज्ञ मिलकर नीति निर्माताओं तक कुछ सुझाव भी पहुंचाने की कोशिश करेंगे ताकि नदियों को बचाया जा सके। जबलपुर से आए सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा ने कार्यक्रम में आने वाले अतिथियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चर्चा में जन वैज्ञानिक सौम्य दत्ता, पूर्व प्रशानिक अधिकारी शरद चंद्र बेहार, नदी विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री डॉ भरत झुनझुनवाला, पर्यावरणविद सुभाष पांडे, यमुना जी,अभियान के मनोज मिश्रा, पर्यावरण शास्त्री प्रफुल्ल सामंत्रा, देबादित्या सिन्हा,पर्यावरण शास्त्री, समाजसेवी सुनीति, पर्यावरण विशेषज्ञ रोहित प्रजापति प्रदीप चटर्जी व शोमेन दा, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, जल विशेषज्ञ विवेकानंद माथने जैसे विशेषज्ञ शामिल होंगे।
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Hyena In Hindi
ReplyDeleteलकड़बग्घा की रोचक तथ्य