Monday, February 24, 2020

पन्ना के जंगलों में नहीं थम रहीं शिकार की घटनायें

  •   उत्तर वन मण्डल के धरमपुर रेंज में फिर हुआ शिकार
  •   मृत वन्य प्राणी तेंदुआ है या लकड़बग्घा नहीं हो सकी पहचान
  •  बिजली के करंट से शिकार होने की जताई जा रही है आशंका


कुडऱा बीट के जंगल में वन्य प्राणी का क्षत-विक्षत कंकाल।

अरुण सिंह,पन्ना। पन्ना जिले के जंगलों में वन्य प्राणियों के शिकार की घटनायें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। उत्तर वन मण्डल पन्ना का धरमपुर रेंज शिकार की घटनाओं को लेकर लम्बे समय से सुर्ख़ियों में है, फिर भी जिम्मेदार वन अधिकारी शिकारियों की धमाचौकड़ी तथा उनके क्रियाकलापों पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हुये हैं। ताजा मामला धरमपुर वन परिक्षेत्र अन्तर्गत कुडऱा बीट के कक्ष क्र. पी-53 का है। यहां एक सप्ताह से भी अधिक पुराना क्षत-विक्षत हालत में संदिग्ध वन्य प्राणी का कंकाल मिला है, जिसे देखकर स्पष्ट रूप से यह पहचान नहीं की जा सकी कि मृत वन्य प्राणी तेंदुआ है या लकड़बग्घा। वन्यप्राणी कोई भी हो लेकिन यह सुनिश्चित है कि इसका शिकार हुआ है और वन अमले को घटना की भनक तक नहीं लग पाई।
उल्लेखनीय है कि शिकार होने की इस सनसनीखेज घटना का खुलासा सोमवार को तब हुआ जब ग्रामीण जंगल लकड़ी लेने के लिये गये। ग्रामीणों को कुडऱा बीट के जंगल में जब भीषण दुर्गन्ध आई तो उन्होंने इसकी खोज खबर की, परिणाम स्वरूप वन्य प्राणी का क्षत-विक्षत कंकाल पड़ा मिला। मृत पड़े इस वन्य प्राणी को ग्रामीणों ने तेंदुआ बताया और इसकी सूचना वन परिक्षेत्राधिकारी धरमपुर बी.के. विश्वकर्मा को दी। शिकार होने की जानकारी मिलते ही वन परिक्षेत्राधिकारी अमले को लेकर मौके पर पहुँचे। घटना की गंभीरता को देखते हुये वन मण्डलाधिकारी श्रीमती मीना मिश्रा व उप वन मण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह परिहार ने भी मौके पर जाकर घटना स्थल का जायजा लिया। शिकारियों तक पहुँचने के लिये प्रशिक्षित डॉग की भी मदद ली गई। बताया गया है कि प्रशिक्षित डॉग मौके की गंध लेकर कुछ घरों में गया है जिससे मामले में तीन संदिग्ध लोगों की पहचान हुई है। संदिग्धों के घरों में न मिलने से वन अधिकारियों द्वारा सर्च वारंट जारी कर इन घरों की तलाशी ली जा रही है। समाचार लिखे जाने तक किसी आरोपी के गिरफ्तार होने की खबर नहीं है।

घटना स्थल का जायजा लेते हुये वन अधिकारी।

आरोपियों ने शिकार के बाद वन्य प्राणी की निकाली है खाल

शिकार की घटना को अंजाम देने के बाद शातिर शिकारियों ने वन्य प्राणी की खाल निकालने के साथ-साथ उसके पंजों को भी काटा है। इसी बात से यह आशंका मजबूत हो रही है कि मृत वन्य प्राणी तेंदुआ हो सकता है। सबसे दुर्भाग्य जनक बात तो यह है कि सात दिनों से भी अधिक समय तक वन्य प्राणी का शव जंगल में पड़ा सड़ता रहा और उससे भीषण दुर्गन्ध भी उठती रही, फिर भी वन अमले को घटना की भनक नहीं लगी। इससे साफ जाहिर होता है कि जंगल की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था कितनी लचर और कमजोर है। मैदानी वन अमला अपनी बीट में जाने के बजाय घरों में आराम फरमाते हैं और शिकारी बेखौफ होकर जंगल में वन्य प्राणियों का शिकार करते हैं।

मौके पर जमीन में गड़ी मिली हैं खूँटियां

धरमपुर वन परिक्षेत्र के कुडऱा बीट में जहां संदिग्ध वन्य प्राणी का क्षत-विक्षत शव मिला है, वहीं जमीन पर कई खूँटियां गड़ी पाई गई हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि इन खूँटियों के माध्यम से विद्युत तार का जाल शिकारियों द्वारा फैलाया गया होगा, जिसकी चपेट में आने से वन्य प्राणी तेंदुआ अथवा हाइना की मौत हुई है। चिन्ताजनक बात तो यह है कि शिकारी विद्युत तार बिछाकर इस तरह खौफनाक अंदाज में शिकार की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं और वन परिक्षेत्राधिकारी व उनका अधीनस्थ अमला इस सबसे बेरपरवाह और अन्जान हैं।

जंगल में घूम रहे बाघों पर भी मंडरा रहा खतरा

यह सर्वविदित है कि पन्ना टाईगर रिजर्व के कई बाघ बफर व टेरीटोरियल के जंगल में विचरण कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में स्वच्छन्द रूप से विचरण कर रहे बाघ भी इन शिकारियों के फंदे व जाल में कभी भी फँसकर अपनी जान गवां सकते हैं। जिले के सभी वन परिक्षेत्राधिकारियों को इस बात की पूरी जानकारी है कि टाईगर रिजर्व के कई बाघ कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर आस-पास के जंगलों में घूम रहे हैं। इसके बावजूद भी वन अधिकारियों द्वारा निगरानी नहीं की जा रही, जिससे जंगल के राजा बाघों पर भी खतरा मंडराने लगा है।

डीएनए जाँच से वन्य प्राणी की होगी पहचान

शिकार के इस मामले तथा बरामद हुये प्राणी के क्षत-विक्षत शव के संबंध में पूछे जाने पर उप वन मण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह परिहार ने जानकारी देते हुये बताया कि शव को देखकर प्रथम दृष्टया यह पहचान कर पाना कठिन प्रतीत हो रहा है कि यह किस वन्य प्राणी का शव है। उन्होंने बताया कि शव तेंदुआ का भी हो सकता है, लेकिन मुँह देखकर ऐसा लगता है कि यह लकड़बग्घा है। मृत वन्य प्राणी की सही पहचान डीएनए जाँच से होगी। इसके लिये वन्य प्राणी के शव के सेम्पल ले लिये गये हैं, जिसे जाँच के लिये भेजा जायेगा। जाँच रिपोर्ट आने पर ही मृत वन्य प्राणी की सही पहचान हो सकेगी।
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