- चार शावकों के साथ आबादी क्षेत्र के आस-पास कर रही विचरण
- सतत निगरानी व सुरक्षा हेतु रेडियो कॉलर करना था जरूरी
युवा बाघिन जिसे पहनाया गया रेडियो कॉलर। |
अरुण सिंह,पन्ना। बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत कान्हा से पन्ना लाई गई बाघिन टी-2 का कुनबा यहाँ लगातार बढ़ रहा है। पन्ना की सफलतम रानी कही जाने वाली इस बाघिन ने अक्टूबर 2010 में पी-213 को जन्म दिया था। यह बाघिन भी अपनी माँ की ही तरह पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है। बाघिन पी-213 के तृतीय लिटर की मादा शावक जो अब साढ़े चार वर्ष की हो चुकी है तथा जिसने विगत एक वर्ष पूर्व चार शावकों को जन्म दिया था। यह बाघिन पी-213(32) अपने शावकों के साथ कोर क्षेत्र के बाहरी इलाकों में विचरण कर रही है। आबादी क्षेत्र से लगे इलाकों में इस बाघिन द्वारा मवेशियों का भी शिकार किया जा रहा है। जिसे दृष्टिगत रखते हुये इस बाघिन तथा उसके शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने रेडियो कॉलर किया जाना जरूरी हो गया था, ताकि बाघिन की सतत निगरानी हो सके।
उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व जराण्डे ईश्वर रामहरि ने बताया कि बाघिन पार्क के बाहरी हिस्सों में विचरण करते हुये मवेशियों का शिकार भी कर रही है। जिसे दृष्टिगत रखते हुये बाघिन पी-213 (32) व उसके शावकों की सुरक्षा हेतु रेडियो कॉलर किया जाना जरूरी हो गया था। श्री जराण्डे ने बताया कि मंगलवार 11 फरवरी को पी-213 के दूसरे मादा शावक बाघिन पी-213(32) को गहरीघाट परिक्षेत्र में सफलतापूर्वक रेडियो कॉलर पहनाया गया है। आपने बताया कि आबादी क्षेत्र के पास रहने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से सतत अनुश्रवण के लिये अनुमति प्राप्त कर रेडियो कॉलर किया गया है। यह पूरी कार्यवाही क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया के मार्गदर्शन तथा उप संचालक जराण्डे ईश्वर रामहरि के नेतृत्व में वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा पूर्ण की गई। कार्यवाही में गौरव शर्मा सहायक संचालक पन्ना, बी.आर. भगत परिक्षेत्र अधिकारी हिनौता सहित अन्य कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा।
00000
No comments:
Post a Comment