Sunday, May 24, 2020

जिले में टिड्डी दल की हुई इन्ट्री, मड़ला से बढ़ रहा पन्ना की ओर


अरुण सिंह,पन्ना। जिले में टिड्डी दल की इन्ट्री हो चुकी है, इन टिड्डियों का विशाल दल पर्यटन ग्राम मड़ला से होते हुये केन नदी को पारकर पन्ना की ओर अग्रसर हुआ है। रविवार की शाम वन्य जीव विशेषज्ञ एवं साइंटिस्ट रघुनन्दन सिंह चुण्डावत ने केन नदी के किनारे स्थित अपने रिसॉर्ट से टिड्डियों के दल का वीडियो लिया है। आपने बताया कि यह दल काफी बड़ा है तथा पन्ना की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। जिले में टिड्डी दल के प्रकोप की संभावना को देखते हुए कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने सतत निगरानी हेतु जिला स्तरीय दल का गठन किया है। निगरानी दल में  ए.पी. सुमन उप संचालक कृषि को सम्पूर्ण जिला कार्यक्षेत्र के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।  जी.एल. अहिरवार सहा.संचा. कृषि पन्ना को सहायक,  एम.एम. भट्ट सहा.संचा. उद्यानिकी पन्ना,  शोभित ठावरे यांत्रिक सहायक कृषि अभियांत्रिकी पन्ना,  ए.के. त्रिपाठी वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखण्ड कार्यालय एवं ए.के. कुशवाहा कृषि वि. अधिकारी उप संचालक कृषि पन्ना को दल में सदस्य बनाया गया है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि जिला स्तरीय दल टिड्डी दल की सूचना प्राप्त होने पर सूचनाओं का आदान-प्रदान कर प्रभावित क्षेत्र में भ्रमण कर रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु आवश्यक कार्यवाही करेंगे तथा की गयी कार्यवाही का प्रतिवेदन तत्काल इस कार्यालय को प्रस्तुत करेंगे।

टिड्डी दल से बचाव हेतु कृषि विभाग की सलाह


उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास पन्ना ने बताया है कि प्रदेश के कई भागों में टिड्डी दल के प्रकोप की खबरें प्राप्त हो रही है जो पन्ना जिले में भी पहुंच सकती हैं। टिड्डी दल फसलों को नुकसान पहुंचाने वाला कीट है जो कि समूह में एक साथ चलता है और बहुत लम्बी-लम्बी दूरियों तक उडान भरता है। यह फसल को चबाकर, काटकर खाने से नुकसान पहुचाता है। यह उद्यानिकी फसलों, वृक्षों एवं कृषि की फसलों को बहुत बडे स्वरूप में एक साथ हानि पहुंचा सकता है।
उन्होंने बताया कि जिले में टिड्डी दल का प्रकोप होता है तो इसके नियंत्रण के लिए किसान भाई दो प्रकार के साधन अपना सकते हैं। जिसमें भौतिक साधन किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न प्रकार के परम्परागत उपाय जैसे शोर मचाकर, ध्वनिवाले यंत्रों को बजाकर, डराकर भगाया जा सकता है। इसके लिए ढोलक, ट्रैक्टर, मोटर साईकिल का साइलेंसर, खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि से भी सामूहिक प्रयास से ध्वनि की जा सकती है। ऐसा करने से टिड्डी दल नीचे नही आकर फसलों पर न बैठकर आगे प्रस्थान कर जाता है। इसी प्रकार रासायनिक नियंत्रण में सुबह से कीटनाशी दवा ट्रेक्टर चलित स्प्रे पम्प, पावर स्प्रेयर द्वारा जैसे क्लोरोपायरीफाॅस 20 ई.सी. 1200 मि.ली. या डेल्टामेथरिन 2.8 ई.सी. 600 मि.ली. अथवा लेम्डाईलोथिन 5 ई.सी. 400 मि.ली., डाईफ्ल्यूबिनज्यूराॅन 25 डब्ल्यू टी. 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें। टिड्डी दल वर्तमान में ग्वालियर संभाग तक पहुंच गया है जो कि हवा की गति अनुसार चल रहा है।
00000

No comments:

Post a Comment