- पन्ना जिले के बड़ौर गाँव को पेयजल संकट से मिली निजात
- एनएमडीसी की अभिनव पहल से गाँव में घर-घर पहुँच रहा पानी
- गाँव से 3 किमी दूर प्राकृतिक श्रोत से आ रहा है कंचन जल
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में एक गाँव ऐसा है जहां बिना किसी खर्च के घर-घर स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इस गाँव के लोगों को अब गर्मी के मौसम में भी पेयजल के लिये भटकना नहीं पड़ेगा। बिना बिजली व किसी खर्च के गाँव के प्रत्येक घर में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने का यह करिश्मा एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना द्वारा किया गया है।
गाँव से लगभग 3 किमी दूर जंगल में स्थित प्राकृतिक जल श्रोत से पाईप लाईन द्वारा कंचन जल गाँव तक पहुँचाया जा रहा है। चूंकि जल श्रोत ऊँचाई पर है इसलिये पानी को गाँव तक पहुँचाने में कोई खर्च नहीं आता। गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रयोग कर इस जल की आपूर्ति गाँव तक की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि भूमिगत-जल के अभाव में बुन्देलखण्ड क्षेत्र पानी की समस्या से वर्षों से जूझता आया है। ग्रीष्म ऋतु में यह समस्या और भी विकट रूप धारण कर लेती है, जब ग्रामीणों को दूरस्थ क्षेत्रों से पेयजल की व्यवस्था करने के लिये बाध्य होना पड़ता है। जिला मुख्यालय पन्ना के निकट स्थित बड़ौर गाँव के लोगों को भी गर्मियों में भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ता था। गाँव की महिलाओं को मीलों दूर से पेयजल ढोकर लाना पड़ता था। ग्रामीणों की इस विकट समस्या को दृष्टिगत रखते हुये एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना प्रबंधन ने गाँव को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिये अनूठी तरकीब खोजी।
उल्लेखनीय है कि भूमिगत-जल के अभाव में बुन्देलखण्ड क्षेत्र पानी की समस्या से वर्षों से जूझता आया है। ग्रीष्म ऋतु में यह समस्या और भी विकट रूप धारण कर लेती है, जब ग्रामीणों को दूरस्थ क्षेत्रों से पेयजल की व्यवस्था करने के लिये बाध्य होना पड़ता है। जिला मुख्यालय पन्ना के निकट स्थित बड़ौर गाँव के लोगों को भी गर्मियों में भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ता था। गाँव की महिलाओं को मीलों दूर से पेयजल ढोकर लाना पड़ता था। ग्रामीणों की इस विकट समस्या को दृष्टिगत रखते हुये एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना प्रबंधन ने गाँव को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिये अनूठी तरकीब खोजी।
गाँव से 3 किमी दूर स्थित प्राकृतिक जल श्रोत जहां जंगल और पहाड़ों से बारहों महीने पानी रिसकर एकत्रित होता है, वहां से बड़ौर गाँव को पेयजल की आपूर्ति करने की योजना बनाई गई। इस योजना को मूर्तरूप देने के लिये जल श्रोत से लेकर गाँव तक परियोजना द्वारा पाईप लाईन बिछवाई गई। इसी पाईप लाईन के द्वारा बिना किसी पावर की मदद लिये गुरूत्वाकर्षण की शक्ति का उपयोग कर अनवरत् रूप से पानी गाँव तक पहुँच रहा है। इस अनूठी तरकीब के कामयाब होने पर ग्रामवासियों को चौबीसों घण्टे प्राकृतिक जल मिलने लगा है।
एनएमडीसी की इस सौगात से ग्रामीण अत्यधिक खुश हैं। गाँव के लोगों का कहना है कि जब से हम लोग इस पानी का सेवन कर रहे हैं तब से उन्हें जल जनित बीमारियों से भी मुक्ति मिल गई है। यह पानी अत्यधिक पाचक और स्वास्थ्यवर्धक है।
हीरा खनन परियोजना के प्रबंधक राजीव शर्मा ने 10 दिसम्बर को ग्राम बड़ौर का दौरा किया और बड़ौर ग्राम के सरपंच रूप नारायण यादव की उपस्थिति में जीर्णोद्धार किये गये 'पेज जल आपूर्ति प्रणाली का लोकार्पण किया। इस अवसर पर परियोजना के उप महाप्रबंधक (वाणिज्य) डॉ. अनुराग चौबे, उप महाप्रबंधक (सिविल) एस.आर. डेहरिया, वरिष्ठ प्रबंधक (कार्मिक) भूपेश कुमार, श्रमिक संघ एमपीआरएचकेएमएस के महामंत्री समर बहादुर सिंह और पीएचकेएमएस के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह सहित ग्रामीण जन और शासकीय विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे।
हीरा खनन परियोजना के प्रबंधक राजीव शर्मा ने 10 दिसम्बर को ग्राम बड़ौर का दौरा किया और बड़ौर ग्राम के सरपंच रूप नारायण यादव की उपस्थिति में जीर्णोद्धार किये गये 'पेज जल आपूर्ति प्रणाली का लोकार्पण किया। इस अवसर पर परियोजना के उप महाप्रबंधक (वाणिज्य) डॉ. अनुराग चौबे, उप महाप्रबंधक (सिविल) एस.आर. डेहरिया, वरिष्ठ प्रबंधक (कार्मिक) भूपेश कुमार, श्रमिक संघ एमपीआरएचकेएमएस के महामंत्री समर बहादुर सिंह और पीएचकेएमएस के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह सहित ग्रामीण जन और शासकीय विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे।
विदित हो कि नैगम सामाजिक दायित्व के तहत वर्ष 2008-09 में एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा 18 लाख की लागत से बड़ौर ग्राम में इस जल-प्रदाय योजना को कार्यान्वित किया गया था। सिंगल-यूज प्लास्टिक के प्रयोग को पूर्णत: समाप्त करने के उद्देश्य से एनएमडीसी लिमिटेड, हीरा खनन परियोजना द्वारा 9 दिसम्बर 2019 को शुरू किये गये जन-चेतना अभियान को आगे बढ़ाते हुये कार्यक्रम के दौरान परियोजना प्रबंधक ने ग्रामीणजनों और विद्यार्थियों को जूट बैग भी प्रदान किया।
00000
00000
No comments:
Post a Comment