Tuesday, December 31, 2019

केन नदी को रेत माफियाओं ने कुरूक्षेत्र में किया तब्दील

  •   पंचायतों के नाम स्वीकृत खदानों में मशीनों से बेरोकटोक हो रहा उत्खनन
  •   अवैध उत्खनन के खिलाफ कांगे्रसी आये दिन प्रदर्शन कर सौंप रहे ज्ञापन



अरुण सिंह,पन्ना। विलुप्त होने की कगार में पहुँच चुके विभिन्न प्रजाति के जलचरों को आश्रय प्रदान करने वाली जीवनदायिनी केन नदी का वजूद संकट में है। रेत के अवैध कारोबार में लिप्त लोगों द्वारा इस खूबसूरत नदी का सीना भारी भरकम दैत्याकार मशीनों से छलनी किया जा रहा है। नदी के प्रवाह क्षेत्र से मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर रेत निकाले जाने से मगर, घडिय़ाल व विभिन्न प्रजाति के मछलियों सहित अन्य जलचरों व जलीय वनस्पतियां नष्ट हो रही हैं। अनियंत्रित उत्खनन से केन नदी का पूरा ईको सिस्टम तहस-नहस हो गया है, जिसके दुष्परिणाम केन किनारे बसे ग्रामों को भोगना पड़ रहा है। आलम यह है कि रेत के इस खेल में अधिक से अधिक कमाई करने की रेत माफियाओं में होड़ मची है, जीवनदायिनी यह नदी कुरूक्षेत्र में तब्दील हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि म.प्र. में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथजी ने अवैध उत्खनन पर प्रभावी रोक लगाने तथा माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाने के निर्देश सभी जिला कलेक्टरों को दिये थे। लेकिन रेत में मची लूट को देखते हुये ऐसा प्रतीत होता है कि पन्ना जिले में मुख्यमंत्री  जी के निर्देशों का असर  नहीं हो रहा। आश्चर्य की बात तो यह है कि आये दिन कांग्रेस के लोग ही रेत के अवैध उत्खनन का विरोध करते हुये प्रशासन को ज्ञापन सौंपने का काम कर रहे हैं, जबकि राज्य में उनकी पार्टी की ही सरकार है। विचित्र और विचारणीय बात तो यह है कि जिन लोगों को अवैध उत्खनन के मामले में मुखर विरोध दर्ज करना चाहिये, विपक्षी दल के नेता चुप्पी साधे हुये हैं। सत्ता पक्ष का विरोध व विपक्ष की चुप्पी के पीछे क्या राज है, यह रहस्य बना हुआ है।
मालुम हो कि जिले में मौजूदा समय पंचायतों के नाम स्वीकृत खदानों में ही रेत का उत्खनन हो रहा है। लेकिन इन खदानों का संचालन पंचायतों के द्वारा न होकर माफियाओं द्वारा कराया जा रहा है। यही वजह है कि जहां मजदूरों से रेत निकाली जानी चाहिये वहां पर दर्जनों की संख्या में भारी भरकम मशीन रेत निकालने के काम में जुटी हैं। केन नदी में रेत की जिस तरह से लूट मची है वह किसी से छिपा नही है, फिर भी प्रशासन इसे अनदेखा किये हुये है। इसके पीछे असल वजह क्या है कुछ कह पाना कठिन है। लेकिन कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में जिस तरह से जिले के बड़े व प्रभावशाली दिग्गज नेताओं के चेहरे नजर नहीं आते, उससे भी सवाल उठ खड़े होते हैं कि आखिर बड़े नेता अवैध उत्खनन मामले में क्यों चुप हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि रेत के इस खेल में जो लाभ उठा रहे हैं वे चुप हैं और जो वंचित हैं वे हो-हल्ला मचाकर शासन व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने का प्रयास कर रहे हैं कि रेत के खेल में उनकी कोई भूमिका नहीं है। मामला जो भी हो लेकिन कांग्रेसियों का रेत के अवैध उत्खनन को लेकर किया गया प्रदर्शन व सौंपा गया ज्ञापन लोगों के बीच चर्चा का विषय अवश्य बना हुआ है।

कांग्रेसियों ने संयुक्त कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन



अवैध उत्खनन को रोके जाने के संबंध में निरंतर कांग्रेसजनों के द्वारा विरोध के पश्चात भी अवैध उत्खनन नहीं रूक पा रहा है। इस दिशा में जिला युवक कांग्रेस के तत्वाधान में जिलाध्यक्ष दीपक तिवारी तथा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनीश खान के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने एकत्र होकर 30 दिसम्बर को कलेक्टर के नाम ज्ञापन दिया जिसे संयुक्त कलेक्टर सकल चन्द्र परस्ते एवं तहसीलदार पन्ना दीपा चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से प्राप्त किया। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि अजयगढ़ क्षेत्रांतर्गत माफियाओं द्वारा केन नदी का सीना छलनी कर माफियाओं द्वारा अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है जिसे जनहित के वास्ते तत्काल रोका जाये। ज्ञापन देने में जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष दीपक तिवारी, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनीश खान, निधि पाठक सहित राजा तिवारी, रियासत खान, अब्दुल हमीद, अमित शर्मा, रेवती रमण दीक्षित, आकाश पाराशर, रामगोपाल शिवहरे, रामदास जाटव, मनीष कुशवाहा, अनमोल गुप्ता, अनुराग, रामसनेही, रवि तिवारी, इरशाद, जयराम गौंड़, कदीर खान, अक्षय जैन, राज खान, आविद वेग, मोहसिन हुसैन, डमरू लाल सेन एवं शहीद खान सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसजन सम्मिलित रहे।
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