Tuesday, December 31, 2019

पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में मिला बाघ का कंकाल

  •   रमपुरा बीट के कक्ष क्र. 1355 में हुई संदिग्ध मौत
  •   मौत के 15-20 दिन बाद वन अमले को चल सका पता
  •   बाघों की मॉनिटरिंग व सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उठे सवाल



 पन्ना टाईगर रिजर्व का प्रवेश द्वार।

अरुण सिंह,पन्ना। नये वर्ष का आगाज म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में एक बुरी खबर के साथ हुआ है। टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में रमपुरा बीट के कक्ष क्र. 1355 में 31 दिसम्बर मंगलवार को लेन्टाना की झाडिय़ों के बीच अज्ञात बाघ का कंकाल मिला है। बताया गया है कि बाघ की मौत 15 से 20 दिन पूर्व हुई होगी। मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई, इस बात का खुलासा नहीं हो सका है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि टेरीटरी के लिये हुये आपसी संघर्ष में बाघ की मौत हुई होगी। पार्क प्रबन्धन की इस आशंका को यदि सच भी मान लिया जाये तो भी सवाल यह उठता है कि मौत के 15-20 दिन तक बाघों की मॉनिटरिंग व निगरानी में तैनात वनकर्मियों को बाघ के मौत की खबर क्यों नहीं लगी?



क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व कार्यालय द्वारा मामले के संबंध में दी गई जानकारी के मुताबिक पन्ना कोर परिक्षेत्र के बीट रमपुरा कक्ष क्र. 1355 में गश्त के दौरान जमुनहाई तलैया के पास लेन्टाना की झाडिय़ों में बाघ का कंकाल पाया गया है। सूचना प्राप्त होते ही परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना कोर, उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व तथा क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया मौके पर पहुँचे। डॉग स्क्वाड को मौके पर बुलाकर सॄचग करवाई गई। पार्क प्रबन्धन के मुताबिक मौके पर अवैध गतिविधि के कोई चिह्न नहीं पाये गये। बताया गया है कि यह वन क्षेत्र बाघ पी-111 का इलाका है, यहां लम्बे समय से इस बाघ की मौजूदगी देखी गई है। जहां बाघ का कंकाल मिला है उसके आस-पास ताजे पगमार्क भी पाये गये हैं। पार्क के आला अधिकारियों द्वारा मौके पर उपस्थित वनकर्मियों  से पूछताछ की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि इस क्षेत्र में बाघिन टी-2 के शावक पी-261, पी-262 एवं पी-263 विचरण करते थे। इन तीनों शावकों की आयु लगभग 3 से 4 वर्ष के आस-पास थी, जो जवानी की दहलीज पर थे और अपनी टेरोटरी बनाने के लिये अनुकूल वन क्षेत्र की तलाश कर रहे थे। इन तीनों ही बाघ शावकों को रेडियो कॉलर नहीं पहनाया गया था, फलस्वरूप उनके मूवमेन्ट की जानकारी वन अमले को नहीं हो पाती थी। क्षेत्र संचालक द्वारा वनकर्मियों से चर्चा के उपरान्त यह संभावना व्यक्त की गई है कि अपनी टेरीटोरी बनाने के चक्कर में बाघ पी-111 से हुये आपसी संघर्ष में उक्त बाघ की मृत्यु हुई होगी। मृत बाघ टी-2 की छठवीं लिटर की तीन सन्तानों में से कोई एक प्रतीत होता है।

बाघ के कंकाल को जलाकर किया गया नष्ट

क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने बताया कि मौके पर बाघ के सभी अवयव केनाइन, नाखून व हड्डी पाई गई हैं। आपने यह भी बताया कि मौत होने की घटना लगभग 15-20 दिन पुरानी प्रतीत होती है। मृत बाघ की वॉडी पोस्टमार्टम योग्य न होने से वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा मात्र परीक्षण किया गया तथा सेम्पल एकत्रित किये गये। मृत बाघ के कंकाल का परीक्षण करने के उपरान्त क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया, उप संचालक, वन्य प्राणी चिकित्सक, परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना कोर, प्रतिनिधि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एवं अन्य स्टाफ की उपस्थिति में जब्त किये गये बाघ के कंकाल को जलाकर नष्ट कर दिया गया है।

सवालों के घेरे में है बाघों की निगरानी

पिछले कुछ महीनों पन्ना टाईगर रिजर्व के आस-पास बफर व टेरीटोरियल के जंगलों में वन्य प्राणियों के शिकार की कई घटनायें प्रकाश में आ चुकी हैं, जिनमें तेंदुओं के शिकार की घटनायें भी शामिल हैं। शिकार की लगातार हो रही घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुये निगरानी तंत्र को मजबूत व चौकस रखना चाहिये। लेकिन टाईगर रिजर्व का कोर क्षेत्र जो वन्य प्राणियों के लिये सबसे सुरक्षित माना जाता है, वहां एक युवा बाघ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के 15-20 दिन तक यदि वनकर्मियों व अधिकारियों को इसकी भनक न लगे तो मामला बेहद गंभीर और चिन्ताजनक हो जाता है। इसी तरह की लापरवाही और अनदेखी के चलते 10 वर्ष पूर्व पन्ना टाईगर रिजर्व बाघ विहीन हुआ था, जिसे अथक श्रम व जन समर्थन से आबाद किया गया। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि पन्ना नेशनल पार्क की उल्टी गिनती फिर शुरू हो गई है।
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