- रत्नगर्भा धरती को उसका नैसर्गिक हक दिलाने
हो पहल
- प्रकृति प्रदत्त सौगातों का जिले की प्रगति में हो उपयोग
पन्ना की खदानों से निकले हीरों का द्रश्य। |
अरुण सिंह, पन्ना। पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में बेशकीमती हीरों का अकूत भण्डार मौजूद है, फिर भी यहां के लोग गरीब और फटेहाल हैं। जिन इलाकों में विकास की संभावनायें न्यून हैं, वहां तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन विकास की विपुल संभावनाओं के बावजूद पन्ना जिला पिछड़ा और बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज बना हुआ है। यदि प्रकृति प्रदत्त सौगातों का ही इस जिले की प्रगति व विकास में रचनात्मक उपयोग हो तो यह पिछड़ा क्षेत्र भी विकसित व यहां के वाशिंदे खुशहाल हो सकते हैं। प्रकृति के अनुपम सौगातों से समृद्ध बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में लगभग एक हजार वर्ग किमी. क्षेत्र में हीरा धारित पट्टी का विस्तार है, जहां बेशकीमती हीरा पाया जाता है। इस चमकीले और कीमती रत्न की उपलब्धता के कारण ही यहां की धरती को रत्नगर्भा कहा जाता है, सदियों से हीरा ही पन्ना जिले की पहचान है। फिर भी इस रत्नगर्भा धरती को उसका नैसर्गिक हक दिलाने के लिए आज तक कोई सार्थक पहल नहीं हुई. जिस धरती की कोख से उत्तम किस्म का बेशकीमती हीरा निकलता है, उसकी पहचान को बरकरार रखने के लिए पन्ना में डायमण्ड पार्क का निर्माण कराया जाना चाहिए. पन्ना शहर के हीरा व्यवसायी व यहां के वाशिंदे विगत डेढ़-दो दशक से यह पुरजोर मांग करते आ रहे हैं कि पन्ना शहर में डायमण्ड पार्क का निर्माण कराया जाय, लेकिन सक्षम नेतृत्व के अभाव में यहां की यह नैसर्गिक मांग भी पूरी नहीं हो सकी हैं। यहां से चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को अपनी उपलब्धि बताते रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि आवश्यकताओं की पूर्ति कोई उपलब्धि नहीं है, इसके लिए विशेष पहल व प्रयास करना पड़ता है। विकास के नाम पर यहां अभी तक जो कुछ हुआ व सामान्य वितरण प्रणाली के तहत स्वमेव हुआ, इसमें किसी जनप्रतिनिधि की निजी उपलब्धि व प्रयास नहीं है।
विचारणीय है कि जब कुदरत ने ही इस धरती को रत्नगर्भा बनाया है तो फिर इस धरती के साथ नाइंसाफी करना कितना उचित है. इस क्षेत्र का नैसर्गिक हक छीनकर इन्दौर व भोपाल को दे दिया जाय यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है।पन्ना जिले की जनता को भी यह बात समझनी होगी कि अपना हक यदि मांगने से न मिले तो छीनने की भी तैयारी दिखानी होगी. आगामी होने वाले लोकसभा चुनाव में भी डायमण्ड पार्क का निर्माण प्रमुख मुद्दा बने, इसके लिए भी वातावरण बनाना पडेगा, तभी राजनीतिक दल व प्रत्याशी पन्ना जिले के विकास व यहां के हितों के प्रति गंभीरता दिखायेेंगे, अन्यथा हमेशा की तरह इस जिले के लोग छले जाते रहेेंगे।पन्ना शहर में डायमण्ड पार्क का निर्माण उसका स्वाभाविक हक है, क्यों कि यहां पर सर्वोत्तम किस्म का हीरा निकलता है. यहां पर हीरा पारखियों व हीरा कटिंग व पालिसिंग के कार्य में दक्ष लोगों की भरमार है। पन्ना शहर के चार सौ से भी अधिक कारीगर जो हीरा कटिंग व पालिसिंग के कार्य में पारंगत हैं वे काम न मिलने के कारण मजबूरी में यहां से पलायन कर मुम्बई व सूरत के कारखानों व फर्मों में काम कर रहे हैं। यदि पन्ना शहर में सुव्यवस्थित तरीके से डायमण्ड पार्क का निर्माण करा दिया जाय तो यहां के हुनरमंद कारीगरों व पारखियों को काम की तलाश में पलायन नहीं करना पड़ेगा। डायमण्ड पार्क बनने से यहां पर हीरा कटिंग व पॉलिसिंग की जहां कई बड़ी - बड़ी यूनिटें लग जायेंगी वहीं डायमण्ड ज्वेलरी के सुसज्जित शो रूम शहर के आकर्षण को चार चांद लगा देंगे। यहां की खदानों से निकलने वाले हीरों की चोरी छिपे बिक्री व स्मगलिंग पर भी जहां रोक लगेगी वहीं तुआदारों (हीरा धारक) को भी उनके हीरे की अच्छी कीमत मिल सकेगी. डायमण्ड पार्क बनने से यहां पर न सिर्फ हीरे का व्यवसाय फले फूलेगा बल्कि पन्ना शहर देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र भी बनेगा। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो की निकटता का भी पूरा लाभ मिल सकेगा।
म.प्र. के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में अब तक अनेकों नायाब और बेशकीमती हीरे मिल चुके हैं। यहॉँ की उथली हीरा खदान से विगत दो माह पूर्व 42.59 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा एक गरीब मजदूर को मिला था जिसे खुली नीलामी में बिक्री लिए रखा गया था । यह हीरा 6 लाख रू. प्रति कैरेट की दर से 2 करोड़ 55 लाख रू. में बिका है, जिसे झांसी उ.प्र. के निवासी राहुल अग्रवाल ने खरीदा है। पन्ना जिले के इतिहास में अब तक का यह सबसे कीमती हीरा दो माह पूर्व 9 अक्टूबर को गरीब मजदूर मोतीलाल प्रजापति को मिला था। हीरा बिकने के साथ ही यह मजदूर अब करोड़पति बन गया है। पन्ना की रत्नगर्भा धरती ने इस गरीब मजदूर को नये साल का अविस्मरणीय तोहफा दिया है, जो लम्बे समय तक याद रहेगा।
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यहाँ मिल चुके हैं अनेकों नायब हीरे
अपने हीरे के साथ मजदूर मोतीलाल |
म.प्र. के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में अब तक अनेकों नायाब और बेशकीमती हीरे मिल चुके हैं। यहॉँ की उथली हीरा खदान से विगत दो माह पूर्व 42.59 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा एक गरीब मजदूर को मिला था जिसे खुली नीलामी में बिक्री लिए रखा गया था । यह हीरा 6 लाख रू. प्रति कैरेट की दर से 2 करोड़ 55 लाख रू. में बिका है, जिसे झांसी उ.प्र. के निवासी राहुल अग्रवाल ने खरीदा है। पन्ना जिले के इतिहास में अब तक का यह सबसे कीमती हीरा दो माह पूर्व 9 अक्टूबर को गरीब मजदूर मोतीलाल प्रजापति को मिला था। हीरा बिकने के साथ ही यह मजदूर अब करोड़पति बन गया है। पन्ना की रत्नगर्भा धरती ने इस गरीब मजदूर को नये साल का अविस्मरणीय तोहफा दिया है, जो लम्बे समय तक याद रहेगा।
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